क्या सावन में पौधे लगाने का समय सबसे अच्छा है ?

सावन को मौसम ऐसा होता है । जिसमें धरती को हर भरा करना बहुत आसान होता है । फिर पौधे भी जड़ जल्दी पकड़ लेते हैं । यहीं " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
सावन में पौधे लगाने का सबसे अच्छा समय है । क्योंकि सभी प्रकार के पौधों को संरक्षित करने में बहुत अधिक सुविधा रहती है।
         भारतीय संस्कृति की एक विशेषता रही थी कि जितना हम प्रकृति से लेते   थे । उससे कहीं ज्यादा श्रम करके देने की कोशिश करते थे । परंतु अब प्रकृति से ज्यादा खिलवाड़ करते  हैं ।
 देशभक्ति गीतों में प्रकृति से प्रेरित शिक्षाप्रद पंक्तियां अब भी गुनगुनाए जाती हैं।
देश में देता है सब कुछ
हम भी तो कुछ देना सीखे .....
पर्यावरण  की स्वच्छता के लिए पेड़ पौधों का लगाना व यज्ञ आदि अधिक करते थे । परंतु आज प्रकृति का दोहन ज्यादा हो रहा है जंगल व वन नष्ट कर दिए गए हैं ।पर्यावरण संतुलन बिगड़ने की कगार पर है ।कोरो ना काल के समय मनुष्य ने प्रकृति को अच्छी तरह समझा है  अगर अब भी मनुष्य ने प्रकृति को नहीं समझा तो  जीवन ही व्यर्थ है ।
पर्यावरण संतुलन के लिए वृक्षारोपण सप्ताह 5 जुलाई से मनाया जा रहा है इस सप्ताह वृक्ष लगाना ही नहीं उनका संरक्षण करना भी आवश्यक है।   
            वृक्षारोपण - सावन के महीने में पौधे लगाने का सबसे अच्छा समय है क्योंकि सावन के महीने में वातावरण का तापमान कुछ कम हो जाता है वर्षा होने पर मिट्टी भी उपजाऊ हो जाती है , पोधों  की ज्यादा देखभाल में  जैसे सिंचाई की ,पानी  आदि देने की जरूरत नहीं होती ।
 वर्षा होने के कारण किसान के मित्र- (अर्थवर्म) केंचुए निकलने के कारण जमीन कि मिट्टी को उपजाऊ बना देते हैं ।नर्सरी वगैरह में हर एक वैरायटी के पौधे आसानी से मिल जाते हैं। 
सरकार भी सभी विभाग के कार्यालय में पौधों को निशुल्क उपलब्ध करा रही है ।
हम सभी का कर्तव्य है कि वृक्षारोपण में  तथा वृक्षारोपण संरक्षण में अपना योगदान अवश्य दें ,एक पेड़ अवश्य लगाएं ।
हम  सांसो को जब ले पाएंगे
 हम वृक्षों को जब  बचाएंगे।
 वृक्षारोपण का कार्य महान ,
  एक   वृक्ष - सौ  पुत्र समान।
- रंजना हरित   
 बिजनौर - उत्तर प्रदेश
 हमारा भारत गांव का देश है गांव के लोग अधिकतर कृषि कार्य करते हैं कृषि कार्य करने के लिए भूमि, जल ,हवा ,प्रकाश और देखभाल की आवश्यकता होती है। मनुष्य अपने उपयोग के लिए पौधे लगाता है उसमें देखभाल की आवश्यकता होती है लेकिन प्रकृति प्रदत्त जो अपने आप पौधे उगते हैं उसमें देखभाल की आवश्यकता नहीं होती उसे सावन का इंतजार होता है। क्योंकि सावन के महीने में है वर्षा की फुहार पौधों की वृद्धि के लिए बहुत अनुकूल होता है इसीलिए सावन के माह में पौधे लगाने की प्रवृत्ति रही है सावन के महीने में पानी की कमी नहीं होती पौधे को जितने पानी की आवश्यकता होती है भरपूर मात्रा में मिल जाता है उसके अलावा मिट्टी गीली एवं उपजाऊ रहती है जो पौधे के विकास के लिए उपयुक्त मानी जाती है मनुष्य अपने आवश्यकता ओं की पूर्ति हेतु जो पौधे लगाते हैं उसमें विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है कभी-कभी इतना अधिक पानी बरसता है कि पौधों की कोपलें टूट जाती हैं ऐसी स्थिति में पौधों को कैसे बचाना चाहिए फिर सबको पता होता है और अपनी पौधे की सुरक्षा का इंतजाम कर लेता है सावन के माह में लगे पौधे अगर वह विकसित होकर के आगे बढ़ते हैं तो और पौधे को सूखने की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि वह बड़ी होने पर उसकी जड़ अंदर जाकर गहराई वाली पानी पानी से वह अपना विकास कर लेता है बरसात के माह के अतिरिक्त अन्य माह में हम पौधे लगाते हैं तो वह उतना विकास नहीं करता है क्योंकि पानी की जितनी आवश्यकता होती है उतना नहीं हो पाता है पेड़ पौधे लगाने के लिए सावन का महीना अनुकूल होता है सावन का हुआ पौधा वह हमेशा विकास करते हुए विकसित होता है उसे और देखभाल की आवश्यकता नहीं होती है वह निरंतर विकास करते हुए अपने गंतव्य पर पहुंच जाता है इसीलिए सावन का महीना बड़ा पेड़ पौधों के लिए सुकून का होता है किसानों के लिए तो खुशियों का महा होता है किसान बेसब्री से सावन का इंतजार करता है सावन में जितना  पौधों को पानी की आवश्यकता होती है उतना पानी गिरता है तो किसानों का फसल भी अच्छा होता है । अच्छी फसल आने से उसकी आय में भी वृद्धि होती है आय में वृद्धि होने से उसकी हर आवश्यकताओं की पूर्ति होती है आवश्यकता की पूर्ति होने से वह संतुष्टि के साथ जीता है सभी मानव का यही तक लक्ष्य होता है अतः इसे यही कहते बनता है कि सावन के महीने में आपको जितनी आवश्यकता है उतना पेड़ पौधे जरूर लगाइए साथ-साथ उसकी देखभाल भी कीजिए। और पानी की महत्व को समझते हुए पानी की संग्रहण की व्यवस्था समाज में मिलकर करना चाहिए ताकि हमारी जल की पूर्ति होता रहे वर्तमान में जल की समस्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है लेवल डाउन होते जा रहा है जिससे पानी की किल्लत हो रही है अतः हमको वर्षा से जो पानी मिलता है उस पानी का संग्रहण करके उसका हम सदुपयोग कर सकते हैं फसल लगा सकते हैं और अन्य घरेलू कार्य कर सकते हैं।  हर व्यक्ति को सावन के महीने में पेड़ पौधे जरूर लगाना चाहिए क्योंकि पर्यावरण है तो हम जीवित हैं हमारे जीवन जितनी अधिक महत्वपूर्ण है उससे कहीं अधिक महत्वपूर्ण पर्यावरण है अतः इसी संदर्भ में एक छोटी सी कविता है  जिनके होने से हम हैं ,
उनका करो संरक्षण ।
उनके सुख की कामना लें ,
करो विचार और चिंतन ।
चिंतन और विचार से ,
कोई तो विकल्प निकल जाएगा। आवर्तन शीलता बनी रहने से, धरती स्वर्ग बन जाएगा।
 ना यहां तेरा ना यहां मेरा,
 यहां है सभी का बसेरा ।
जागृति की ओर बढ़े चलो ,
आएगा एक दिन नया सवेरा।
 इस तरह हमें प्रकृति की सुरक्षा पर ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि हमारे पर्यावरण बना रहे हमारे पर्यावरण के सुख की कामना हमें करना चाहिए जिसकी इसकी आवर्तन शीलता
 बनी रहे क्योंकि यह धरती सभी का है यहां कोई तेरा मेरा नहीं है अतः हमें जागृति की ओर बढ़ते हुए हम अपने पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए तभी हम एक दिन नया सवेरा लाएंगे। इसीलिए सावन में पेड़ पौधा लगाना चाहिए आज हम अपने स्कूल में 40 मुनगा का पौधा लगाए हैं।  साथ साथ और अन्य पौधे लगाए हैं आम ,अमरूद, पपीता ,करंज  आदि।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
सावन का महीना, पवन करे शोर 
जियारारे झूमें ऐसे जैसे वनवा नाचे मोर.. 
भारत एक कृषि प्रधान देश है l कृषि कार्य भी अधिकतर सावन की रिमझिम पर ही आश्रित है l जब ग्रीष्म का ताप सारी धरती और प्रकृति के स्वरूप को झुलसाकर प्रपीड़ित करती है, तब धरती, प्रकृति और प्राणी जगत की प्यास और ताप मिटाने के लिए एकाएक पुरवाई चलकर बादलों के आगमन की सूचना दे जाती है l पुरवाई के तरल -सरल शीत झोकों का स्पर्श पाकर मानव जब विह्वल सा आकाश की और आँख उठाकर देखता है तो काले घुमड़ते बादलों को देखकर उसका मन मयूर वन मोर की तरह ही प्रसन्नता और उमंग से भरकर नाच उठता है l जैसे ही बरखा की एक बूंद टपकती है और टप -टप का संगीत एक अनवरत झड़ी लग जाती है l कुछ ही क्षणों में सोंधी सुगंध तन मन को सराबोर कर आसपास फैलते पानी में समा धरती को भी हहरा दिया करती है l इस प्रकार सावन मनभावन हुआ करता है l मुरझाई लताएँ फिर से हरी होकर लहलहा उठती हैं l वृक्षों के छलनी भी नए पत्तों के उगने के कारण एक सघन छाते का सा स्वरूपाकार धारण कर लिया करती हैं l 
     बारिश का आगमन भारतीय किसानों के लिए, वृक्षारोपण के लिए एक सुखद वरदान से कम महत्त्वपूर्ण नहीं है बल्कि खेत में हल चलाकर सरलता से बीज बोने योग्य हो जाया करते है, सिंचाई भी प्राकृतिक रूप से स्वयं ही हो जाया करती है l बोये बीज पानी के अभाव में व्यर्थ न जाकर सहज रूप से अंकुरित होते और भरपूर फ़सल उतपन्न किया करते हैं l ठीक समय और अनुपात से वर्षा होने पर पीने के पानी की समस्या भी प्रायः हल हो जाया करती है l सिर्फ मनुष्यों के लिए ही नहीं पशु -पक्षियों तक के लिए भी पीने के पानी का अभाव नहीं रहता है l सावन में प्रकृति हरियाली चूनर ओढ़कर इठलाती है l धरा का श्रंगार नयनाभिराम होता है सावन में वर्षा से पेड पौधे, वनस्पतियाँ, पहाड़ियाँ एवं प्रत्येक प्राकृतिक उपादान साफसुथरे एवं तरोताजा से दिखाई देते हैं जैसे नवस्नाता दुलहिन मनभावन लगा करती है l 
    चलते चलते ----
आकाश से बूंदे धूम मचाके 
झुमके आके गिरी हैं जमीं पर 
हल उठा, बढ़ चला, मस्ती में गाता हुआ किसान 
अपने सांस्कृतिक बोधि उत्तरदायित्व को निभाओ l 
यमुना तट, कान्हा की बंशी 
राधा संग मिल रास रचाओ l
- डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
     पौधे जीवन हैं और जीवन अनमोल है‌। जिसे जीने के लिए वायु, जल और ऊर्जा चाहिए। ऊर्जा खाद्यान्न से, जल भूमि से और वायु पेड़-पौधों से मिलती है। इसलिए पौधे लगाने अति आवश्यक हैं।
     स्वस्थ जीवन के लिए शुद्ध वायु चाहिए। शुद्ध वायु के लिए जितने अधिक पौधे होंगे उतनी ही वायु शुद्ध मिलेगी। चूंकि मानव जब सांस लेता है तो आॅक्सीजन अन्दर जाती है और जब सांस छोड़ते हैं तो नाइट्रोजन बाहर आती है। जबकि सभी पौधे वायुमंडल से नाइट्रोजन लेते हैं और आॅक्सीजन छोड़ते हैं। जबकि पीपल वृक्ष 24 घंटे वायुमंडल को आॅक्सीजन देता है और बाकी पौधे दिन को आॅक्सीजन छोड़ते हैं। इसलिए पीपल हिन्दुओं का पूजनीय वृक्ष है।
     पौधे लगाना मानवता धर्म माना गया है। जिन्हें पूरा वर्ष लगाया जा सकता है। लेकिन सावन महीना पौधे लगाने की सर्वोत्तम ऋतु मानी गई है। जिसमें पौधों को लगाना शुभ भी माना जाता है। उक्त ऋतु में पौधों को पानी आसानी से मिल जाता है। जिससे पौधे शीघ्र बढ़ते और फूलते-फलते हैं।
     उल्लेखनीय है कि भारत सरकार भी 'वृक्ष लगाओ वृक्ष बचाओ' के स्लोगन प्रतियोगिताएं आयोजित करवा कर पौधे लगाने का प्रचार-प्रसार कर रही है।
- इन्दु भूषण बाली 
जम्मू - जम्मू कश्मीर
सावन को इसीलिए मनभावन कहा जाता है क्योंकि सावन में चारों तरफ हरियाली ही छाई रहती है और पेड़ पौधों को कम पानी देना पड़ता है और वह जल्दी से उठ जाते हैं प्राचीन परंपरा भी यही रही कि सब लोग पेड़ पौधे को बरसात के समय ही लगाते थे फलों के पेड़ फूल के पेड़ और हमें भी जितना जरूरी हो उतने पेड़ लगाने चाहिए क्योंकि हरियाली रहेगी तभी हमारा वातावरण शुद्ध रहेगा और मन भी भी प्रसन्न रहता है।
इसीलिए सावन के महीने को प्रकृति से जोड़ा जाता है इसमें तीज के त्यौहार के अलावा वृक्षारोपण का भी बहुत महत्व है। हम पीपल बरगद आदि पेड़ों की पूजा करते हैं।नीम को हम देवी मानते हैं उसके नीचे जल चढ़ाते हैं और यह सब औषधि के पेड़ हैं।
इस समय बारिश के कारण मिट्टी भी मुलायम हो जाती है आसानी से गड्ढे खुद जाते हैं और बीजों को डालकर हम तरह-तरह के मनपसंद पेड़ पौधे को जरूर लगाएं।
वृक्ष लगाएं वृक्ष लगाएं ढेरों वृक्ष लगाएं।
हरी भरी धरती को सजाएं तभी तो सावन आएगा झुमके।
- प्रीति मिश्रा 
जबलपुर - मध्य प्रदेश
यूं तो पौधों को हर मौसम में अधिकाधिक तौर पर लगाना चाहिए क्योंकि केवल पौधों के सहारे ही पृथ्वी पर जीवन की कल्पना की जा सकती है । बढ़ती आबादी ओर घटता जंगल तथा कटते पेड़ आने वाली पीढ़ी को पृथ्वी पर सांस मिलेगी भी या नही अभी से अहसास करा रहे है । जिसके लिए हमे पेड़ो संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ाने की आवश्यकता है ।
रही बात श्रावण मास की तो श्रावण मास हिन्दुओ में आस्था का महीना है । इस माह को विशेष पूजन का माह भी माना जाता है । इस माह में किये गए अधिकतर कार्य फलीभूत होते नजर आते है । जिस कारण जिस माह का सभी को विशेष इंतेजार भी होता है । इस माह में लगाये गए पौधों को पानी देने की भी आवश्यकता नही होती है । कुछ बरसात के पानी से तो कुछ धरती के सौखे हुए जल से इन पौधों का लालन पालन होता रहता है । इस मौसम में ज्यादा धूप नही होती है और अधिक तौर पर बादल बने रहते है , जिस कारण पौधों के मुरझाने की भी संभावना बहुत कम हो जाती है । पौधों के लिए इस दृष्टि से भी सावन का महीना अच्छा होता है ।
- परीक्षीत गुप्ता
बिजनौर -उत्तरप्रदेश
धरती पर सावन की फुहारें पड़ते ही पेड़-पौधों पर हरियाली छा जाती है और इस हरियाली से धरा, मातृत्व को प्राप्त मां के समान, खिलखिलाने और चहचहाने लगती है। प्रकृति स्वयं को सम्पूर्ण और सम्पन्न करने हेतु स्वयं सक्षम है। वर्ष भर ऋतुओं का आना-जाना प्रकृति के सन्तुलन चक्र का द्योतक है। कभी पतझड़, कभी बसन्त आदि अनेक ऋतुओं का चक्र चलता रहता है और सावन मास में वर्षा की बूंदों से तो जैसे धरा निहाल हो जाती है।  सावन मास ही वह समय है जब हम अपने घर की छोटी बगिया से लेकर विशाल उपवन को पेड़-पौधों से सुसज्जित कर भविष्य हेतु एक हरे-भरे धरातल की रूपरेखा तैयार कर सकते हैं।
पेड़-पौधे लगाने हेतु बागबानी का कोई व्यवसायिक पाठ्यक्रम करना आवश्यक नहीं है बल्कि सामान्य जानकारी से ही हम सावन में लगाये जाने वाले पेड़-पौधों के विषय में अवगत हो सकते हैं। सावन मास में घर की बगिया में अनेकानेक फूलों के पौधे लगाने हेतु सही समय है। घर-घर में पूजा जाने वाला तुलसी का पौधा भी इस समय लगाने पर खूब फलता-फूलता है और इससे घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास रहता है। इसके अलावा जगह-जगह पर खुली फूलों की नर्सरी से सावन में लगाये जाने वाले फूलों के पौधों के लिए सम्पर्क करना सुविधाजनक है। 
इसके अतिरिक्त धार्मिक दृष्टि से देखा जाए तो सावन मास भोलेनाथ का अतिप्रिय मास है और बेलपत्र भी भोलेनाथ को अत्याधिक प्रिय है। इसलिए बेलपत्र का पौधा लगाना भी सावन मास में फलदायक है। इसके साथ ही रुद्राक्ष का पौधा भी सावन में लगाने हेतु उत्तम पौधा है।
सावन मास में पौधों को प्राकृतिक रूप से जल मिलता है। जब प्रकृति स्वयं पौधों हेतु जल की व्यवस्था करके हमें पेड़-पौधे लगाने के लिए प्रोत्साहित करती है तो क्यों न हम अपनी व्यवस्थानुसार सावन में पेड़-पौधे लगायें।
- सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग'
देहरादून - उत्तराखण्ड
सावन भगवान शिव का प्रिय मास है। तपती धरती को जब वर्षा की बूंदे भिगोती है तो धरती का रोम रोम यूँ खिल जाता है जैसे कि कोई प्रेयसी अपने प्रीतम को पा जाती है। और धरती का श्रृंगार ये पेड़ पौधे तो मानो अपनी बाहें खोले आसमान को छूने का जज़्बा रखते हो। और वर्षा को आलिंगनबद्ध करना चाहते हो।
          सावन में नए पौधे लगाने का बहुत ही सही समय कहा गया है। इस समय जब न अधिक धूप होती है और न ही अधिक गर्मी। पौधों को सही मिट्टी हवा पानी धूप का एक संतुलित आधार मिलता है। मिट्टी में नमी बनी रहती है और बीज को पनपने में सहायता मिलती है और छोटी छोटी कपोलें कुछ ही दिन में फूट पड़ती है। और देखते ही देखते एक सुंदर पौधा तैयार हो जाता है। किसी और मौसम में यह सब होने में बहुत देखभाल और समय लगता है। जबकि बरसात में पौधरोपण बड़ी सहजता से हो जाता है और जल्दी ही फल फूल से पूरी बगिया खिल जाती है।
नन्हे से बीज को जब रोपा सावन में।
रिमझिम रिमझिम बरसा पानी आँगन में।
लेकर अंगड़ाई मुस्काई कपोलें
खिल उठी डारी डारी वसुधा के आँचल में।
- सीमा मोंगा
रोहिणी - दिल्ली
     पर्यावरण का अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान हैं। जहाँ वातावरण एक स्वच्छ एवं सुन्दर दिखने लगता हैं। प्राचीन काल में जंगल हरा भरा हुआ करता था। उन जंगलों से पगड़ी हुआ करती थी,  जहाँ से आमजनों का आना-जाना लगा रहता था, लेकिन अकेले जाने में भी डर लगता था। उस समय पौधे आमतौर पर लगायें नहीं जाते थे, बल्कि पक्षी तथा हवा के माध्यम से जमीन पर गिरते थे, वही प्राकृतिक छटाओं को बिखेरते थे। समय बदला, प्रकृति बदली समय के साथ-साथ पर्यावरण हरा भरा जंगल कटते गये। जंगल और विनाश दोनों ही देखने को मिलते गये। जिसके कारण ॠतुएं परिवर्तित होते जा रही हैं। फिर समय चला आया, विभिन्न पर्वों, जन्म दिनों, कस्बों, ग्रामों,नगरों में  पौधे रोपित करने, कई-कई तो मात्र फोटो खिंचवानें के लिए पौधे रोपित करते हैं, पौधे जीवित रहे या नहीं रहे? भारतीय संस्कृति में सावन मास के हरियाली अमावश में पौधे रोपित करने का अत्यंत महत्व हैं, जहाँ पर्यावरण की महत्ता को बताया जाता हैं। वर्तमान परिदृश्य में चारों ओर शासन-प्रशासन द्वारा युद्ध स्तर पर सावन में पौधे लगाए जाते हैं, क्योंकि उस समय पर्याप्त वर्षा ऋतु रहती हैं, पौधे आसानी से जीवित रहते हैं। छायादार पौधे आम, पुत्ररनजीवा, अशोक, पीपल, वट, जामुन, नीम, शीशम आदि? वर्षा ऋतु के बाद पौधों को जीवित रखने के लिए जल की अत्यंत आवश्यकता पड़ती हैं।
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर'
  बालाघाट - मध्यप्रदेश
सावन का महिना पौधों को लगाने का सबसे उत्तम महिना माना जाता है, 
पेड़ जल्दी ज़मीन पकड़ लेते है हमें अधिक देखभाल नही करनी पड़ती , यह मौसम सबसे सही रहता है बाग़वानी करने बहार वृँक्षारोपण करने व घर में पौधे लगाने के लिए !
सावन महिना खुशहाली व प्रेम ऊर्जा ,और मस्ती का मौसम है !
सावन का मौसम यानी चारों ओर हरियाली ,इस मौसम में कितना अच्छा हो यदि हम अपने रोजमर्रा के जीवन में ऐसी हरियाली का महत्व मानें और घर को रंग-बिरंगे महकते फूल-पौधों से सजाकर इस बरसात के मौसम का मजा दो गुना कर लें।
और बहार व अंतर दोनों स्थानों को खुबसुरत महकता हुआ बना दे 
घर में सुंदर पौधों की सजावट से आप घर के अंदर भी हरियाली का समावेश कर सकते हैं। सावन के झूले, ठंडी बयार, रिमझिम बारिश, चाय की चुस्की और पकौड़े, ऐसे में परिवार और प्रियजनों का साथ कौन नहीं चाहेगा ....कितना अच्छा हो यदि हम अपने रोजमर्रा के जीवन में ऐसी हरियाली का महत्व मानें और घर को रंग-बिरंगे महकते फूल-पौधों से सजाकर इस बरसात के मौसम का मजा दो गुना कर लें। यूं तो हम सभी जानते हैं कि पेड़-पौधे हमारे वातावरण को साफ करते हैं, सरल शब्दों में समझें तो ये हमारे लिए वही काम करते हैं जो हमारे फेफड़े शरीर में यानि अशुद्ध हवा लेकर शुद्ध हवा देना। देखने में ये जितने खूबसूरत लगते हैं, घर का तापमान उतना ही ठंडा रखते हैं, ऑक्सीजन देते हैं साथ ही पौधे मैगनेट यानि चुंबक की तरह घर में आसपास उड़ती धूल व गर्द भी अपने ऊपर ले लेते हैं।
बरसात के मौसम में कुछ पौधे मात्र कटिंग द्वारा लग सकते हैं। यदि आप अतिरिक्त खर्च न करना चाहें तो घर में बेकार पड़ी चीजों जैसे- कड़ाही, पुराने इडली कुकर, दूध लाने के डोल, केक बनाने के टिन, लोहे की बालटियां, लकड़ी के डिब्बे, हैंडल, टूटे पतीले, बांस की टोकरियों को आप गमलों के तौर पर प्रयोग कर सकती हैं। इन्हें एक्रेलिक रंगों से पेंट कर आप अपनी कलात्मक रुचि भी दिखा सकती हैं।
हम घर के कूड़े कचरे से खाद बना सकते है 
चाय की पत्ती, अंडे के छिलके, सूप का पानी, सब्जी, दाल धोने के बाद का बचा पानी सब आपके इनडोर बगीचे के काम आएंगे।
कपड़े धोने के बाद साबुन धुला पानी तो इनके लिए विशेष तौर पर टॉनिक का काम करता है,क्योंकि सर्फ का कास्टिक सोडा फरटिलाइजर की तरह एक्ट करता है।
साथ ही फल-सब्जियों के छिलके भी खाद बनाने के काम आ सकते हैं।चाय की पत्ती फेंकने के बजाय छन्नी को नल के नीचे लगा सब दूध निकल जाए गुलाब की जड़ में डाल दें गुलाब के पेड़ को खाद मिलेगी !
इसीतरह हम कचरे से खाद बना कर पेड़ों को पोष्टीकता दे सकते है । मैं हर साल सावन में वृक्षा रोपण करती हूँ ! 
पर्यावरण - 
धरा का आवरण फट गया 
पर्यावरण खंड खंड हो गया !!
प्रदूषित हो रहा है प्रर्यावरण !
यही मानव के चिंता का कारण!!
प्रकृति  का करने लगे विनाश !
धरा के लिये बना है अभिशाप !!
ख़त्म कर रहे है देखो हरियाली !
धधक रही है सूरज की प्याली !!
प्रदूषण ओज़ोन परत को डँस रहा !
दिन पर दिन बढ़ रहा नहीं कोई अंत !!
आओ मिलकर प्रदूषण को रोके प्रकृति की करे रक्षा !
वृक्षारोपण का प्रण ले , धरा की करे सुरक्षा !!
प्रकृति का करे सम्मान हम , स्वच्छता का रखे ध्यान !
हरित वसुधंरा की सुदंरता है , देश का अभिमान !!
पेड की पेड कट रहे नहीं रही है कही छांव !
कालोनियाँ कट रही है प्रकृति को देती घाव !!
कंक्रीट के जंगल पनप रहे नहीं आयेगी खुशहाली  !
मरघट पर क्या पनपती है कभी भी हरियाली !!
प्रकृति हमारी जीवन दाता , पाल पोष कर बढ़ा करती !
आओ बचाए धरती माँ को साँसें वहीं देती !!
हमें फ़ैसला करना होगा जन जन से वृक्षारोपण करवाना है !
देश को महामारी से बचानाहोगा 
हरित क्रांति लाना है !!
प्रदूषण को रोक कर करेंगे इसका सम्मान !
नहीं होने देंगे अब हम धरा का ज़रा भी अपमान !!
सावन आया बादल छाया 
सब लोगों को करना है 
वृक्षा रोपण , 
पर्यावरण बचाना 
- डॉ अलका पाण्डेय
                                मुम्बई - महाराष्ट्र
सावन के महीने में पौधे लगाना सबसे उत्तम होता है। सबसे अच्छी बात तो यह है कि सावन भगवान भोलेनाथ का महीना होता है, जिसमे पूरे माह उनका पूजा पाठ चलते रहता है। सावन में पौधरोपण से पौधों में पानी डालने की समस्या नही रहती। क्योंकि बारिस का पानी पौधों के लिए बहुत ही लाभदायक होता है। सावन में संवृद्धि वाले पौधे लगाने चाहिए। तुलसी का पौधा लगाना अच्छा होता है। सावन के महीने में अनार का पौधा लगाने से वातावरण उत्तम रहता है। इसके साथ ही सावन में बेलपत्र, शमी, रुद्राक्ष, कनेर, आंकड़ा या अर्ध का पौधा लगाने से भगवान भोले शंकर प्रसन्न होते है, क्योंकि ये सभी पौधे भगवान शिव पर पूजा में चढ़ाए जाते हैं। इसके अलावे आम, जामुन, शीशम, अमरुद व अन्य पौधे लगाया जाता है। सरकार द्वारा भी वनों में हरियाली बने रहने और पर्यावरण को शुद्व रखने के लिए सावन में ही पौधे लगाए जाते हैं। सामाजिक संगठनों द्वारा भी सावन में पौधरोपण किया जाता है। यह महीना पौधरोपण के लिए सबसे उत्तम  
होता है। सावन में पौधा लगाने से उसे पटाने के लिए बारिस का पानी मिल जाता है और मौसम भी इसके लिए  उपयुक्त होता है।
- अंकिता सिन्हा साहित्यकार
जमशेदपुर - झारखंड
विषय सावन में पौधा लगाने का समय सबसे अच्छा होता है
पहला कारण है वर्षा की बूंदों से मिट्टी मुलायम हो जाती है गड्ढा खोदना आसान हो जाता है पौधे का जड़ आसानी से मिट्टी में अपनी पकड़ बना लेता है।
मिट्टी में इतना पानी रहता है की 2 महीने बरसात के मौसम में पौधों को ऊपर से पानी देने की आवश्यकता नहीं पड़ती है
कभी कभी धूप भी निकल जाती है जिससे सभी पौधों का विकास वृद्धि बहुत ही अच्छी तरह हो जाता है बहुत जल्दी नए पत्ते आने लगते हैं नए फूल खिलने लगते हैं आसपास हरियाली छा जाती है इसलिए सावन का महीना नए पौधे को उगाने का बहुत ही अच्छा समय है इस महीने में पौधों की टहनी तोड़कर दूसरे जगह अगर लगा दीजिए तो आसानी से अपना जड मिट्टी में बना लेते हैं
सावन का महीना ऐसे भी हरियाली का महीना कहलाता है जिन पौधों में बहुत दिनों से हरी पत्तियां नहीं निकल पाए हैं वह पौधे भी इस महीने में अपनी हरियाली दिखला देते हैं इसलिए यह महीना कृषक के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है उनकी मेहनत कम होती है खेतों की जुताई आसानी से होती है और बीजों को बोलने में सहज एवं सरल तरीके अपनाने पड़ते हैं जिन खेतों में पहले से पौधे लगे हुए हैं उनमें हरियाली आ जाती है पौधों के लिए यह बहुत ही उपयोग समय है
पौधों के साथ-साथ मानव जीवन को भी पौधे अपनी हरियाली से हरा बना देते हैं हरा कहने का मतलब है खुशहाली प्रकृति को हरा भरा देखने पर मन में एक खुशी छा जाती है और इस महीने में खासकर लड़कियां झूला खूब झूलती हैं महिलाएं लड़कियां सभी हरे कपड़ों में सुसज्जित होती हैं हरी चूड़ियां पहनती हैं हाथों में मेहंदी लगाती हैं यह हरियाली का त्यौहार कहलाता है किसी न किसी रूप में हर राज्य में यह हरियाली का त्यौहार मनाया जाता है
सावन महीने की हरियाली को देखकर संगीत की दुनिया में बहुत अच्छे-अच्छे गानों का प्रसारण हुआ है आया सावन झूम के, सावन का महीना पवन करे शोर
इसलिए सावन का महीना पौधों के साथ-साथ मानव जीवन के लिए भी उत्साहवर्धक खुशहाली हरियाली का महीना है
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
सनातन धर्म में प्राणी मात्र के कल्याण का मार्ग निकलता हैं।ओर सावन में सुहानी फुवारों के बिच यदी हम पौधा रोपन मुहिम चलायें ओर वृक्षो की सम्पुर्ण सुरक्षा का ध्यान रखे तो कई पौधो को हम वृक्षो का रूप दे सकते हैं। और हम धरती को हराभरा सुन्दर बना सकते हैं तो क्यों न हम इस सावन में हम पौधा रोपन मुहिम चलिये ओर अधिक से अधिक पौधे लगाये ओर उनका संवरक्षण करे उनहें वृक्ष बनने तक लगे रहे। जीवन को धन्य करे।
- कुन्दन पाटिल 
देवास - मध्यप्रदेश
जी सही कहा आपने ,सावन माह पौधे लगाने का सबसे अच्छा समय होता है। यह मात्र पौधे ही नहीं, सकारात्मक विचारों के रोपण,पल्लवन का भी उपयुक्त समय है। प्रकृति अपने यौवन  पर होती है, चारों ओर हरियाली ही हरियाली।खाली बंजर भूमि पर भी हरी-हरी घास जमने लगती है। भूमि अपने गर्भ में छिपे हर बीज को पौधा और पनप रहे या रोपित किये पौधे को वृक्ष बनने का भरपूर अवसर देती है। बीजारोपण और पौधारोपण का सबसे उपयुक्त समय होता है यह। वातावरण में पर्याप्त नमी और समुचित ताप होता है,जो पौधे के जमने के लिए बहुत सहायक होता है। सावन में, प्रकृति में भरपूर सकारात्मक उर्जा होती है। इसीलिए किसी भी प्रकार का संकल्प, विचार,बीज, अनुष्ठान अवश्य पुष्पित पल्लवित होता ही है। शिवतत्त्व प्रभावी व जाग्रत होने के कारण इस माह में नवजीवन और जीवनी शक्ति बलिष्ठ होती है। पौराणिक मान्यता भी है कि भगवान शिव इस माह में धराधाम पर ही विराजते हैं। जब स्वयं शिव धराधाम पर हो,तो सकारात्मक ऊर्जा और उत्पादकता तो बढ़ेगी ही। 
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
जल ,जीवन, हरियाली खुशहाली ये सब सावन के महीने में चहुं ओर दिखता है । सावन का महीना बड़ा पावन और सुहावना होता है ।किसी भी पौधे को सींचने और पल्लवित करने के लिए जल अति आवश्यक है ऐसा हम सभी जानते हैं, फिर यदि प्राकृतिक जल यानी सावन में बारिश का पानी मिल जाए फिर तो निश्चित रूप से ज्यादा असरदार और कारगार होगा हीं । इसलिए निश्चित रूप से सावन में पौधे लगाने का सबसे अच्छा और अनुरुप समय होता है । पौधे को सावन के महीने में कम देखभाल की जरूरत होती है । ग्रीष्म ऋतु की भीषण गर्मी के बाद जब सावन की फुहार शुरू होती है तो हर ओर सब हरा_ भरा हो जाता है जो कि पहले गर्मी से झुलसे हुआ रहता‌ है।सावन के महीने में धरती की उर्वरा शक्ति भी बढ जाती है फलत: इस समय कुछ यूं भी छिट दिया जाए तो वो स्वत: उग जाते हैं । कुछ जंगली फूल_ पौधे भी  सावन के महीने में आपरूपी  निकल आते‌ हैं। इसलिए इसमें कोई शक नहीं कि सावन के महीने में पौधे लगाने का सबसे उत्तम समय है।
- डॉ पूनम देवा
पटना -  बिहार
जी हाँ सावन यानी वर्षा की फुहारों , मानसून का महीना होता है । गर्मी के बाद प्यासी धरती वर्षा के पानी से तृप्त हो जाती है   । ऐसे में गीली धरती पर हम बीज लगाएँ तो वह जल्दी से अंकुरित हो जाता है । बीज से ही पौधा बनने महान क्रिया शुरू हो जाती है ।
भारतीय संस्कृति में पेड़ों को इसलिए पूजा जाता है । क्योंकि यही हमारे पूर्वज , भाई - बहन , प्रभु हैं । प्रकृति हम पर परोपकार करके हमें जीने के लिए तरह - तरह के फल , अन्न आदि देती है ।  प्रकृति हमारे संग मित्रता का व्यवहार करती है । प्रदूषित पर्यावरण बचाने के लिए हमें अपने आस - पास के पौधों की सेवा अवश्य करनी चाहिए । क्योंकि इन पेड़ पौधों में इंसान की तरह चेतना होती है । यह गतिशील अपने भोजन बनाने , अपने कार्यों में रहते हैं । लेकिन यह चल नहीं सकते हैं । ये स्थावर होते हैं । 
मानवीय धर्म हमें वृक्ष लगाने  की बात कहता है। आज भौतिकवादी संसार में सुख सुविधाओं का अंबार लगा हुआ है । वहाँ विकास क्रम में  मशीनों से सब काम होते हैं । भला कौन अपने आस - पास के परिवेश में पौधों की सेवा , देखभाल करना पसंद करेगा । पर्यावरण प्रेमी , समाज सेवी या पौधों के प्रति जो सेवा भाव रखता होगा । वही इनकी सेवा करेगा ।
हरियाली आँखों को सुंदर लगती है ।  हमारे पूर्वजों ने वृक्षों - वनस्पतियों  पर प्रेम किया था , उनमें ईश दर्शन किए थे ,  उन्हें सहोदर मान कर स्नेह से सिंचन किया था  . शकुन्तला वृक्षों को सगे भाई मान कर पानी पिलाती थी .  आज भी भारतीय स्त्रियों का वट  सावित्री का व्रत पति की दीर्घायु की कामना करते हुए वट की पूजा करती हैं . पेड़ - पोधे वर्षा का कारण बन कर पर्यावरण की रक्षा करते हैं और कार्बन - डाई - आक्साइड जैसी विषैली गैस का शोषण कर  शुद्ध वायु आक्सीजन का निर्माण करती है . हमें आस -पास के पेड़ों को अंधाधुंध काटना नहीं चाहिए बल्कि इन  का संरक्षण करें .पेड़  हैं तो नदियाँ जीवित रहेंगी , नदियों के किनारे वृक्ष लगाएं . तभी नदियाँ पहले की तरह हो जाएंगी .मानवीय सभ्यता , संस्कृति नदियों के किनारे जन्मी है . 
मेरे घर के आस - पास आम , कटहल , गुलमोहर , नीम , जामुन , बाँस, नारियल , बादाम , सुपारी के हरे -भरे पेड़ हैं । सारे मौसमी फल हैं ।  मुझे पौधे लगाने , बाँटने का बहुत शौक है । इसलिए इनकी सेवा करना मुझे बहुत पसंद है । वाचमैन के साथ मैं इन पेड़ों का पोषण खुद रसोई के कचरे से खाद बनाकर इनमें डालती हूँ । पानी से सींचना मुझे भाता है । जिससे ये  खूब फलों से ये लद जाते हैं । फिर इन्हें बाँट के खाना भारतीय संस्कृति की पहचान है ।
इन्हीं फलों की गुठलियों को बारिश में वाकिंग करते हुए 
दूसरे स्थानों में जहाँ वृक्ष नहीं मैं वहाँ पर बो देती हूँ । पूरे साल उनकी देखरेख करती हूँ । कुछ मेरी दोस्त इस काम में मेरी सहायता भी करती हैं । अब कोरोना के कारण वाकिंग बाहर नहीं हो रही है । 
 पिछले वर्ष ' टाटा विद्युत गार्डन ' में मार्निंग वॉक कर रहे थे । गर्मी चरम पर थी । पेड़ झुलस रहे थे । सभी दोस्तों ने , जो वहाँ पर घूमने के लिए आते थे । उन लोगों को  पानी डालने के लिये कहा । अगले दिन सब अपने साथ पानी की बोतल , बाल्टी से पानी डाल के बगीचे को हर - भरा करने में  इन पौधों को बचाने की मुहिम जुट गए ।
मेरे नेतृत्व में अखबारों आयी खबर इसी पेड़ बचाओ मुहीम की साक्षी है ।
वृक्षारोपण  करना हमारा सांस्कृतिक दायित्व है,  नहीं तो बिना वृक्षों के मानव का अस्तित्व ही नहीं रहेगा . तभी संसार  को भावी प्राकृतिक , दैवीय  विनाश लीला जैसे सूखा , अकाल , सुनामी , केटरीना , भूकंप आदि  से बचाया जा सकता है . प्रकृति के साथ संतुलन  बनाए  रखना होगा . भारत की कालजयी संस्कृति  सब के हित , '  सर्वे सुखानी भवन्तु  ' की बात करती है 
मेरे को बागबानी का बहुत शौक  है , मैंने अपनी छत पर तरह - तरह के फूलों के , सब्जियों के , क्रोटोन्स , फर्न  ,  पान , अौषधीय पौधे आदि गमलों में उगाए हैं।
इसलिए सावन पेड़ लगाने , वृक्षरोपण करने  सबसे उपयुक्त समय है । इसलिए जुलाई का पहला सप्ताह वृक्षारोपण पर्व के रूप में पूरा भारत मनाता है । 
पर्यावरण के वृक्ष हमारे मित्र हैं । वृक्ष ग्लोबल वार्मिंग को कम करते हैं और जीवित रहने के लिए ऑक्सीजन भी भरपूर मात्रा में देते हैं ।
- डॉ मंजु गुप्ता
 मुंबई - महाराष्ट्र
सावन माह का वृक्षों के बिना कोई वजूद नहीं ।यूं तो सावन की अपनी कई पहचाने हैं ,कई महत्व हैं, उसमें एक महत्वपूर्ण कारण यह भी है कि सावन माह का बेसब्री से इंतजार देश का वन विभाग व कई एनजीओ भी करते हैं ।मानसून की आहट से ही देश में पर्यावरण से जुड़ी संस्थाएं सक्रिय हो जाती हैं ।
मौसम की दृष्टि से वृक्षारोपण के लिए सामान का मौसम सर्वोत्तम होता है ।
यूं तो सावन की अपनी अलग ही परिभाषा है।
 इसकी पहचान के तीन मुख्य कारण है पहला भक्ति भाव दूसरा प्रणय भाव  और तीसरा नैसर्गिक सौंदर्य ।
सभी जानते हैं  इस माह मे भक्ति भाव शिव जी के प्रति होता है ।
तो प्रणय भाव प्रेमी युगल को सीधे तौर पर वैज्ञानिक कारण से एक दूसरे से आकर्षित होने के कारण होता है ।
तीसरा है हरियाली,,,,हरी लहलहाती दूर तक सुहावनी वादियां ,,,,,जो अनायास ही
 मानव मन  को अपनी ओर खींच लेती है ।
ऐसा नैसर्गिक सौन्दर्य हमारे हरे भरे वृक्षो की देन है ।
हम सभी को  आज जरूरत इस बात की है कि हम सच्चे मन और कर्म से लाखों-करोड़ों पौधों के स्थान पर  चाहें एक ही पौधा लगाएं और उसकी तब तक देखभाल करें जब तक कि वह बड़ा ना हो जाए ,क्योंकि अपने और अपनी संतानों तथा समस्त मानवता के लिए धरती को हरा-भरा बनाना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है ।
सावन के महीने में वृक्ष लगाना सबसे बेहतर तो वैज्ञानिक कारणों से ही है ।
सावन में बरसात की चार अवस्था जो कि 4 माह के रूप में जानी जाती हैं ,आषाढ़ ,सावन ,भादों, आश्विन ।सावन बरसात की दूसरी अवस्था के रूप में है ,अर्थात आषाढ़ मे  बारिश की शुरुआत होने से धरती गीली हो जाती है और सावन आने तक मुलायम हो जाती है ।
सावन वृक्षारोपण के लिए अनुकूल माना जाता है  इसमे कभी बारिश  तो कभी धूप आवश्यक  रूप से होती है ।सावन मे वृक्षों को पोषण कुदरत ही देती है ।
इन दिनों मानव पर निर्भर नहीं रहते वृक्ष ।
फिर सावन में लगाए पौधों को 2 महीने बाद यानी कि भादो ,अश्विन में भी अनुकूल जलवायु मिलती है तब तक उनकी जड़ें मजबूती पकड़ लेती हैं । तब तक उनकी अच्छी वृद्धि हो चुकती  है, यही मुख्य कारण है कि सावन को वृक्ष लगाने के लिए सर्वोत्तम माना जाता रहा है।
 जलवायु परिवर्तन के कारण हमारे देश का मौसम भी बदल रहा है ।
अपने आसपास के इलाकों को हरा भरा बनाने का  दायित्व हमारा है।
 कुदरत के प्रति अपने प्रेम को वृक्ष लगाकर ,परवरिश करके प्रदर्शित किया जा सकता है।
 इन पौधों की अनुमानित मजदूरी देकर आप अपना एक हक अदा कर सकते हैं ।पौधों की देखभाल के लिए स्वयं का समय ,खाद पानी ,श्रमदान के रूप में दे सकते हैं ।
पुराने जमाने में पेड़ पौधे लोगों की जिंदगी का अहम हिस्सा थे। आज भी भारतीय घरों में तुलसी का पौधा लगाना लगभग अनिवार्य है ।
शादी के मंडप में केले के पत्ते सजाना ,नवजात के जन्म पर घर के बाहर नीम की टहनियां लगाना, हवन में आम की लकड़ियों का प्रयोग जो कि वृक्षों की उपयोगिता बताते हैं ।
वनों का महत्व हमारे जीवन में अनेक प्रकार से आंका जाता रहा है ,जहां एक और पर्यावरण संतुलन वृक्षों से प्राप्त होता है वहीं दूसरी और वनवासियों की अनेक आवश्यकताएं पूरी होती  हैं।
 हमारी समूची भारतीय संस्कृति वृक्ष पूजन से जुड़ी है इसके वैज्ञानिक कारण  भी हैं ।
तो देर किस बात की आज ही संकल्प ले की कम से कम एक वृक्ष लगाकर सावन  को सार्थक करने मे अपनी भूमिका को बखूबी निभाएँगे ,,,।
- सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
बागवानी स्वयं में एक पूर्ण मनोरंजन है ।सावन में  बीज रोपण फिर अंकुर फूटने का इंतजार ,पौध से पुष्प तक की प्रतिक्षा सुखदायी होती है ।कोई भी उम्र हो लेकिन अनुभव  बालपन वाला  होता है ।गर्मी से तपती धरती पर सावन की फुहार मिट्टी को मुलायम कर देती है । सूरज भी बदलों में लुक छिप कर गर्मी देता है बीजों के प्रस्फुटन 
 या नये पौधों को लगाने का  यह उपयुक्त समय होता है ।पौधों का बाल्यकाल न तो ज्यादा गर्मी, ना ही बहुत ठंड बर्दाश कर पाता है ।पौधों में भी धीरे -धीरे  मौसम की मार सहने की आदत पड़ती है ।
ऐसे तो कुछ  विशेष पौधे गर्मी में ही लगते  हैं और कुछ ठंड में ,लेकिन ज्यादातर पौध लगाने का सबसे अच्छा समय
 सावन ही है ।
- कमला अग्रवाल
गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश
पेड़-पौधे लगाना प्रकृति और धरती पर वास करने वाले सभी प्राणियों के लिए शुभ है। जल की तरह पेड़-पौधे भी हमारे जीवन के अविभाज्य अंग हैं। पेड़-पौधे जिंदगी में बरकत और समृद्धि प्रदान करते हैं। सावन महीना हरियाली खुशहाली का प्रतीक होता है। वर्षा ऋतु के कारण हर तरह के पौधे लग जाते हैं। खेतों में धान के पौध के साथ-साथ हर तरह के छोटे-बड़े पौधे घर-आंगन में भी लगाए जाते हैं।
    धरती पर जैसे हीं सावन की बूंदे पड़ती है पेड़ पौधों में हरियाली छा जाती है। यही सीजन होता है कि आप अपने बाग बगीचे को तरह-तरह के पौधे लगाकर सजा संवार सकते हैं और वातावरण को खुशनुमा और प्रदूषण रहित बना सकते हैं। सही दिशा में घरेलू पौधे से घर में धन की देवी का वास होता है। अलग-अलग तरह के पौधे सुख शांति व शुभ संकेत देते हैं। मनी प्लांट हो या मीठा कड़ी पत्ता, शमी का पेड़ हो या अश्वगंधा या बेलपत्र घर में लगाना शुभ माना जाता है। तुलसी, अनार का पौधा लगाने से वातावरण भी उत्तम रहता है।
     आज के नगरीय वातावरण में कम जगह होने के कारण हम बड़े पेड़ों के स्थान पर छोटे पौधे लगाकर अपने आवास को खूबसूरत भी बना सकते हैं और शुभ फल भी पा सकते हैं।
    सावन का महीना वर्षा ऋतु और भगवान शंकर का पवित्र महीना होने के कारण पौधे लगाने का सबसे अच्छा समय माना गया है। यही कारण है कि इस समय चारों तरफ प्रकृति हरी-भरी,खुशहाल और आनंदित प्रतीत होती है।
                             - सुनीता रानी राठौर 
                          ग्रेटर नोएडा -उत्तर प्रदेश
पौधे लगाने का जो हमारा उपक्रम है वह तभी सार्थक होता है ;जब मिट्टी में बोए हुए बीज या नए पेड़ का कलम बढ़कर पेड़ या पौधे का स्वरूप अख्तियार कर पाए। इसके लिए समुचित वातावरण होना अनिवार्य है। अन्यथा सारे प्रयासों के बावजूद लगाया हुआ बीज प्रस्फुटित नहीं हो पाता तो प्रयास निरर्थक ही हो जाता है।
   सावन का ऐसा पावन महीना होता है जब धरती उष्मा और नमी को अपने में संग्रहित कर नये बीज में जान फूंकती और हमारी धरती को हरा-भरा बनाए रखने में सतत्  सहयोग करती है।
   सावन अपने फुहार के लिए मशहूर है। जो धरती और उसके जनजीवन में  उर्जा ,उमंग और स्फूर्ति का संचार करता है। ऐसा लगता है कि जैसे सावन में कुदरत खुद बागवानी कर रहा हो। जब कुदरत खुद ही सृष्टि का बागवान बना हो तो हमें इसके लिए कुछ विशेष प्रयास करने की आवश्यकता नहीं होती है। ग्रीष्म ॠतु की तपिश से तप्त धरती को सावन में घने काले बादलों का संरक्षण और प्रस्फुटित होने और पौधों को पल्लवित होने के लिए समुचित वातावरण बनता है।
                 -  रंजना वर्मा "उन्मुक्त "                
रांची - झारखण्ड
अलग अलग पौधों को लगाने के लिए अलग-अलग मौसम होता है. सदाबहार पौधे अपवाद हैं.  सावन की रिमझिम बारिश की झड़ी में वन सम्पदा हरियाली से खिलखिला उठती है. भीनी भीनी खुशबू मन को भाती है, नवजीवन का संचार होता है.  हालाँकि मेरे घर की बालकनी में भी हरे भरे पौधे हैं पर मेरे एक कृषक मित्र ने अनेक महत्वपूर्ण बातें बताईं थीं जो मुझे याद हैं.  कृषक के लिए बारिश अक्सर वरदान होती है लेकिन तेज धार की बारिश नई कोपलों के लिए उपयुक्त नहीं मानी जाती. विशेष ध्यान रखना पड़ता है.  अगर घर के लॉन में घास है तो उसके चारों तरफ मेढ़ बनानी चाहिए. मिट्टी की कटान नगण्य होती है.  सावन की बारिश से पूर्व खरपतवार निकाल दें.  सावन में गेंदा, बालसम, जीनिया माफिक पौधे हैं. कदम के बीज कमाल करेंगे. कलम या कटिंग से लगने वाले पौधे सावन में खिल उठते हैं. चमेली, बेला, रात की रानी, बिगोनिया जैसे पौधे भी लगाए जा सकते हैं पर इनके लिए विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है.  तो आइये सावन की मस्त फुहारों में पौधे लगाकर मन की बगिया को भी महका दें.
- सुदर्शन खन्ना
दिल्ली
सावन को ऐसे भी मनभावन कहा गया है। चारों तरफ हरीतिमा का राज रहता है। इस  मौसम में ऊर्जा, पानी और हवा पर्याप्त मात्रा में मिलती है।
वायु बीज के बिखरने में मदद करती है।रिमझिम बारिश अंकुरों के पोषण में सहायता करती है। उन्हें मानव पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है। सूर्य की किरणें अपने ओज को संतुलित रखती हैं। बादलों के साथ सूरज की लुका-छिपी का खेल चलता रहता है।
इस मौसम में हर तरह के पौधे सुकून भरे प्रदूषणरहित वातावरण में बढ़ते हैं। धूल-गंदगी से भी छुटकारा रहता है। मस्ती से झूमते-गाते पौध जल्दी बड़े हो जाते हैं । उन्हें नुकसान भी कम होता है। सावन मानव से पौधों तक को हरियाली का सुख देती है।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
पौधे लगाना इतना महत्वपूर्ण और नेक कार्य है कि इन्हें लगाने के लिए सदैव तैयार और तत्पर रहना चाहिए परंतु यह भी सच है कि सावन में पौधे लगाने का समय सबसे अच्छा है। मेरे अनुमान के अनुसार वह इसीलिए कि इस माह के आने तक बरसात प्रारंभ हो चुकी होती है और जमीन में पौधों के विकास के लिए आवश्यक  नमी पर्याप्त और अनुकूल हो गई होती है। यह भी  कारण होता है कि इस माह में पौधे अन्य माह की अपेक्षा जल्दी विकसित होते हैं। साथ ही वर्षा का मौसम होने की वजह से  पौधे के लिए समुचित पानी की व्यवस्था करने के प्रति निश्चिंत भी रहते हैं याने कि सावन माह में मेहनत कम करना पड़ती है।
 सार्वजनिक स्थलों पर जो पौधे लगे हुए होते हैं या लगाये जाते हैं उन पौधों की सुरक्षा का काम भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी वाला होता है। सामान्यतः अन्य माह में पशु-पक्षियों से बचाना भी बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है। सावन के माह में सर्वत्र हरियाली ही हरियाली हो जाती है ऐसे में पशु-पक्षियों के लिए उनका भोजन सहजता से भारी तादाद में उपलब्ध रहता है, ऐसे में वे मनोवैज्ञानिक तौर पर सुरक्षा गार्ड के भीतर के पौधे को खाने का जोखिम नहीं लेते।
 अतः ऐसे अनेक प्राकृतिक और मनोवैज्ञानिक कारण हैं जिनकी वजह से कह सकते हैं कि सावन में पौधे लगाने का समय सबसे अच्छा है।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
 गाडरवार - मध्यप्रदेश
पेड़ लगाने का उत्तम महीना सावन को माना गया है। पेड़ लगाने के बाद पानी डालना जरूरी होता हैं। सावन में  पेड़ लगाने पर पेड़ सूखने की संभावना कम होती हैं ।बरसात की पानी से पेड़ लहलहा उठता हैं। गर्मी में पेड़ लगाने से बहुत कम पेड़ ही बच पाते हैं पानी के अभाव से ज्यादातर पेड़ सूख जाते हैं।  सावन में धरती पर हरियाली ऐसे छा जाता है मानो धरती ने सोलहों श्रृंगार कर रखी हो। हम मनुष्य अपने स्वार्थ के कारण पेड़ काटते जा रहे है। जिसके कारण वातावरण दूषित हो रहा है। हम सभी का कर्त्तव्य बनता हैं कि हम सभी ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए। एक मनुष्य के जीवन काल मे सांस लेने के लिए 18 पेड़ का ऑक्सीजन चाहिए। औरों के लिए नही सही हम अपने सांस लेने के लिए तो पेड़ लगा ही सकते है। पेड़ हैं तो हम है वरना हमारे जीवन का कल्पना करना ही बेईमानी होगी। 
  - प्रेमलता सिंह
 पटना - बिहार


" मेरी दृष्टि में " सावन के मौसम में पौधे का विकास बहुत जल्दी होता है । सावन में पौधे भी बहुत कम मरते है ।ऐसे में पौधे लगाने के लिए सबसे उपयुक्त समय होता है ।बाकी पौधे की देखभाल पर निर्भर करता है ।
                                                   - बीजेन्द्र जैमिनी
सम्मान पत्र

Comments

Popular posts from this blog

वृद्धाश्रमों की आवश्यकता क्यों हो रही हैं ?

हिन्दी के प्रमुख लघुकथाकार ( ई - लघुकथा संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी

लघुकथा - 2023 ( ई - लघुकथा संकलन )