क्या भारत - चीन मोर्चे पर दिखा चीनी एप्स के प्रतिबंध का असर ?

चीनी एप्स पर प्रतिबंध लगने से भारत - चीन मोर्चे पर असर स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है । भारत की रणनीति कामयाब नज़र आ रही है । चीन कितना भी शक्तिशाली क्यों ना हो ...। परन्तु चीन की लगाम भारत के हाथ मे है । यहीं " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
चीन से सीमा पर तनातनी के बीच भारत सरकार ने चीन के 59 मोबाईल ऐपों पर प्रतिबंध लगाकर चीन को स्पष्ट संदेश दिया है कि लद्दाख में चीनी सेना की हरकत असहनीय है और भारत राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं करसकता l सरकार के इस फैसले से चीन को आर्थिक चोट पहुँची है l सात सौ करोड़ का उसे नुकसान, फलतः चीन बौखलाया हुआ है l भारत की सुरक्षा, अखंडता और सम्प्रभुता के लिए यह बहुत बडा और आवश्यक कदम है l भारत सरकार के सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय को इस तरह के एप के बारे में लम्बे समय से शिकायतें मिल रही थीं कि इन ऐप के माध्यम से चीन भारत की जासूसी करा रहा है और साथ ही वह सूचनाओं और आंकड़ों को दूसरे देशों को बेच भी रहा है l अगर ऐसा है तो आपात कालीन उपाय और भारतीय सुरक्षा की दृष्टि से उचित फैसला है l हम भारत के नागरिकों के डेटा और निजता में किसी तरह की सेंध नहीं चाहते है l इन एप्स पर पाबंदी से भारत के मोबाईल और इंटरनेट उपभोक्ता सुरक्षित होंगे l 
    15 जून को गलवान घाटी में चीन और भारत के सुरक्षा बलों के बीच जान लेवा झड़प हुई l तब से ही भारत में उग्र राष्ट्रवाद देखने को मिल रहा है और चीनी उत्पादों का बहिष्कार किया जा रहा है l 
       लद्दाख का समाधान सामरिक व कूटनीतिक स्तर पर होगा क्योंकि चीन भारत की नियंत्रण रेखा में चार स्थानों पर घुसपैठ किये बैठा है l कई दौर की परस्पर वार्ताओं के बाद भी चीन अड़ियल रुख अपनाये हुए है l 
        जहाँ ऐप पर प्रतिबंध का मामला है तो इसमें भी एक विचारणीय प्रश्न है कि अगर सरकार के पास चीनी ऐप को लेकर पहले से ही शिकायतें थीं तो प्रतिबंध का कदम पहले क्यों नहीं उठाया गया? लद्दाख सीमा घटनाक्रम के बाद क्यों उठाया गया? फिर भी प्रतिबंध का हथियार कारगर सिद्ध भी हुआ l भारत की इस करवाई से चीन घबरा गया है l चीन की प्रतिक्रिया साबित करती है कि उसे तगड़ा झटका लगा है l 
     सूचना क्रांति के इस दौर में इंटरनेट व स्मार्ट मोबाईल से प्रत्यक्षत:किसी दूसरे देश की मुखबिरी की जासकती है और इसमें ऐप की भूमिका बड़ी होती है l चीन कभी भी भारत का मित्र नहीं रहा है सभी जानते हैं फिर भी भारत सरकार दग़ाबाज दुश्मन को बजार में पैर पसारने का मौका देती है l अगर समय रहते राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बनते चीनी मोबाइल के प्रसार को रोक लिया जाता तो चीनी ऐप का खतरा खड़ा नहीं होता l अब चीन की जगह भारतीय कंपनियों को कमर कसनी होगी l मोदी जी ने तो पहले ही "आत्म निर्भर भारत "का नारा दें दिया l 
   चलते चलते --
देखना यह है कि रिश्ते बिगड़ेंगे या सुधारने की गुंजाइस बाकी है l शब्दों में बयान नहीं कर सकते जवानों के खोने का दर्द l उनकी बहादुरी दर्शाती है कि भारत के नौजवान अपनी मातृभूमि के लिए जीतने प्रतिबद्ध है भारत अपनी अखंडता से समझौता नहीं करेगा l हमारे जवान मारते मारते मरे हैं l
- डॉ छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
 भारत चीन के मोर्चे पर दिख रहा है चीनी एप्स के प्रतिबंध का नतीजा। चीन  59एप्स  बंद होने से चीन बौखलाया  कुत्ते की तरह हरकत कर रहा है। क्योंकि जिस मकसद से  वह आर्थिक संपन्नता हेतु जाल फैलाया था वह विफल हो रहा है इसलिए वह  बौखला कर सीमा में सेना तैनात कर रखा है शंका भय  फरेब की मानसिकता रखने वाला देश
 कब तक सुखी रहेगा ऐसे  मात्सर्य  दिमाग रखने वाला देश कब तक टिक पाएगा ऐसा देश ना तो स्वयं सुखी रहता है ना अन्यों को सुखी रहने देता है ऐसे ही स्थिति चीन की बनी हुई है ना तो खुद सुखी है ना दूसरों को सूखी रखने की रिश्ता रखता है।
 ऐसा ही देश ना तो खुद का भला करता है ना दूसरों का भला करता है यह हमेशा उद्दंडता और आकार से जीता हुआ खुद का नुकसान करता है यही उसकी प्रवृत्ति होती है  चीन की विस्तार वादी प्रवृत्ति और आकर्षित समान का निर्यात करने वाला प्रलोभन  प्रवृत्ति  वाला चीन अपनी कामयाबी ने कभी सफल नहीं होगा अब वह भारत की रणनीति से टूटते जा रहा है लेकिन भारत को उसके बारे में कभी भी रहम नहीं करना चाहिए धोखे क्योंकि वह धोखेबाज और  मक्कार देश है कभी भी कुछ कर सकता है ।भारत को हमेशा  सचेत रहना चाहिए  और उसे  मुंह तोड़ आर्थिक और मानसिक दबिश बनाना चाहिए ताकि कभी इस तरह की हरकत भारत तो क्या किसी के साथ ना कर सके।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
भारत चीन के मोर्चे पर चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध चीन को आर्थिक झटके के साथ साथ करारा जवाब भी है । जो आंख दिखाते चीन के मुह पर तमाचा मारता प्रतीत होता है । वहीं चीन की ऐप्स पर प्रतिबंध से देश के कोने कोने और घर घर तक चीन के अमानवीय व्यवहार की कहानी पहुंची है । जिसने लोगो मे देश प्रेम की भावना को प्रबल किया है और लोगो ने चीनी सामानो से स्वयं ही मुह मोड़ना शुरू कर दिया है । चीनी ऐप्स के प्रतिबंध से विश्व को भी एक बड़ा संदेश गया कि भारत अब किसी भी हालात में चीन के ऐसे अमानवीय कृत्यों के आगे झुकने वाला नही है । भारत चीन को किसी हाल में एक इंच भी जगह पर कब्जा करने नही देगा । भारत हर मुकाबले के लिए मजबूती के साथ तैयार है ।
- परीक्षीत गुप्ता
बिजनौर - उत्तरप्रदेश
चीन के 59 एप्स प्रतिबन्धित करने का जो साहसिक कदम उठाया है वह वर्तमान में भारत के साथ चीन की भूमिका के परिप्रेक्ष्य में नितान्त आवश्यक कदम है। 
हमारी सेना सीमा पर चीन को मुंहतोड़ जवाब देने में पूर्ण रूप से सक्षम है। परन्तु केवल इससे ही चीन अपनी कुटिलता से बाज आने वाला नहीं है। चीन को आर्थिक स्तर पर भी चोट देना अनिवार्य है। विशेषज्ञों के अनुसार इस वर्चुअल स्ट्राइक के माध्यम से भारत ने चीन को  प्रभावी और मजबूत जवाब दिया है। 
भारतीय जनता भी जिस तरह चीनी सामान के विरोध में मुखर हो रही है उससे भी चीन का आर्थिक लेनदेन प्रभावित होगा।
इन एप्स पर प्रतिबंधों को अधिक समय नहीं हुआ है, इसलिए भारत-चीन मोर्चे पर इसके प्रभाव अभी स्पष्ट नहीं हैं परन्तु यह तय है कि भारत सरकार और भारतीय जनता द्वारा निरन्तर इसी प्रकार के कदमों को उठाया जाता रहा तो निश्चित रूप से चीन की आर्थिक स्थिति पर इसका बहुत खराब प्रभाव पड़ेगा और भारत-चीन मोर्चे पर भी इन प्रतिबन्धों का असर दिखाई देगा। 
मेरी दृष्टि में सरकार द्वारा लगाए गए ये प्रतिबन्ध और जनता द्वारा चीनी सामानों के बहिष्कार का रूख "ताबूत में पहली कील के समान है"। 
इसलिए चीन के प्रति कठोर कदमों की निरन्तरता तब तक जारी रहनी चाहिए जब तक चीन के "ताबूत में आखिरी कील" न लग जाये। 
- सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग' 
देहरादून - उत्तराखण्ड
लद्दाख के गलवान घाटी में चीन के हमले से भारत के कर्नल सहित 20 जवानों के शहादत का बदला देश ने लेना शुरू कर दिया है। दो दिन पहले भारत सरकार ने चीन के 59 एप पर प्रतिबंध लगा दिया। भारत के करोड़ों लोगों ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। हर एक देशवासी का एक ही बात कहना है कि पहले देश है। इसके बाद कुछ भी। हालांकि भारत मे टिक-टॉक बहुत ही लोकप्रिय हो गया था  इससे युवा वर्ग में मायूसी तो जरूर है पर देश की रक्षा में युवा वर्ग इसे भूलने में ही भलाई समझते है। टिक-टॉक के अलावे अन्य एप भी लोकप्रिय हो गया था। इसके बाद भी हर देशवासी चीन के एप को भूल जाना चाहता है। वहीं 59 एप पर भारत द्वारा प्रतिबंध लगा दिए जाने के बाद चीन में काफी नाराजगी देखने को मिल रही है, क्योंकि इससे चीन को काफी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ेगा। इसके साथ ही भारत के नागरिकों द्वारा चीनी उत्पादों का बहिष्कार की जानकारी भी मिल गई है। इस कारण भी चीन की भारत के प्रति बौखलाहट देखी जा रही है। पूरी दुनियां में कोरोना संक्रमण फैलाने वाला चीन अमेरिका, आस्ट्रेलिया,भारत सहित दर्जनों देश का दुश्मन बन गया है। कई देशों ने चीन से व्यापारिक संबंध तोड़ने की घोषणा कर दिए हैं। इसी कोरोनाकाल में चीन ने भारत पर हमला कर बहुत ही भारी मुसीबत मोल ले ली है। इसका करार जवाब भी भारत ने चीन के 59 मोबाइल एप पर प्रतिबंध लगाकर दे दिया है। चीन इसके बाद भी अपनी गंदी हरकतों से बाज नही आया तो उसे आर्थिक मोर्चे पर और भी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। भारत हर मोर्चे पर चीन को करारा जवाब देने को तैयार है। अभी तो 59 मोबाइल एप पर भारत द्वारा प्रतिबंध लगाना टेलर है। 
- अंकिता सिन्हा साहित्यकार
जमशेदपुर - झारखंड
      भारत में चीनी व्यवस्थाएं की बाढ़ सी आ गई थी। हर कोई उन्हीं वस्तुओं के प्रति केन्द्रित था। यह तो अच्छा हुआ,  उन वस्तुओं के प्रति ध्यानाकर्षण धीरे-धीरे परिस्थितियों में सुधार होता गया और पूर्णरूपेण चीनी वस्तुओं से लगाव कम हो रहा हैं। अभी तो शुरुवात 59 एप्स से हुई हैं, समस्त अप्रत्यक्ष सामग्रियों को तटस्थ  पूर्णतः प्रतिबंधित करने की अत्यंत आवश्यकता हैं। जैसा कि चीन समझ रहा था, कि भारत पर व्यापार करने से उन्हें फायदा भविष्य में होता जायेगा, अब भ्रम टूट चुका हैं, कि भारत आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हैं? भारत-चीन मोर्चे पर चीन एप्स का असर अप्रत्यक्ष रूप से दिखाई देने लगा हैं। बहुत हो चुका हैं, भावनात्मक संबंध, नकारात्मक को प्रभावशाली बनाने से भारत की व्यापकता के साथ व्यापार नीति सुदृढ़ होगी?
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर'
    बालाघाट - मध्यप्रदेश
क्या भारत चीन मोर्चे पर दिखा चीनी आपके प्रति बंद करने का असर जहां तक यह प्रश्न है तो चीन इस विषय पर कुछ कहने की स्थिति में नहीं है क्योंकि उसने अपने यहां दूसरे किसी भी देश कि किसी भी ऐप के प्रयोग करने पर पहले ही प्रतिबंध लगा रखा है इसलिए वह इस विषय पर खुलकर कुछ नहीं कह सकता हांँ इसकी प्रतिक्रिया होना स्वाभाविक है क्योंकि इससे चीन को काफी नुकसान होगा और वह भारत के प्रति पहले से ही दुर्भावना रखता है बौखलाया हुआ है उसकी बद नीति कपट चालबाजी किसी से छिपी नहीं है यह चीज इस मोर्चे पर भी दिखाई दे तो कोई अप्रत्याशित बात ही नहीं है वैसे भी वह पहले ही कोई कमी अपनी धूर्तता में नहीं रख रहा है परंतु चीनी ऐप पर प्रतिबंध लगाने के भारत सरकार के इस फैसले पर वह बहुत खुलकर कुछ नहीं कह पाएग !
- प्रमोद कुमार प्रेम 
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
निःसंदेह भारत चीन मोर्चे पर दिखा चीनी एप्स के प्रतिबंध का असर दिखा है।  59 चायनीज ऐप्स पर भारत सरकार द्वारा  बैन लगाने के बाद चीन के रवैये में नरमाई नजर आई है. साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वीबो से हट गए हैं। वे चीन के इस ऐप से 2015 में जुड़े थे। पीएम मोदी का यह बहुत बड़ा फैसला है।  हिंसक झड़प के बाद भारत-चीन के बीच तनाव चरम पर है. चीन द्वारा सीमा पर विवाद खड़ा किये जाने के बाद से ही भारतीयों में जबरदस्त आक्रोश है। विवाद के बाद से ही भारत में चीन के उत्पादनों को इस्तेमाल करने से हर कोई बच रहा है। 
इन कदमों से चीन बेचैन हो गया है. चीन मान रहा है कि भारत में बैन किये जाने के बाद टिकटॉक की पैरेंट कंपनी बाइटडांस को अरबों डॉलर का नुकसान हो सकता है. प्रमुख चीनी समाचार पत्रों के अनुसार भी लद्दाख में हिंसक झड़प के बाद भारत सरकार की तरफ से चीन के 59 एप पर बैन लगाने से टिकटॉक जैसी कंपनियों को अरबों डॉलर का नुकसान हो सकता है और साथ ही भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स और कर्मचारियों को भी काफी नुकसान होगा. वह बचकानी बातें कर रहे हैं कि इससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ेगा. ये तो चीन को विवाद खड़ा करने से पहले सोचना चाहिए था. 
चीनी एप्स के प्रतिबन्ध से बौखलाए चीनी दूतावास ने विरोध में आवाज उठाई कि भारत द्वारा उठाया यह कदम वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन के नियमों का उल्लंघन है. 59 चीनी ऐप को बैन करने के भारत के फैसले को अमेरिका का भी साथ मिला है. अमेरिका ने भारत की इस कार्रवाई की सराहना की है कि यह कदम भारत की संप्रभुता, अखंडता और राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ावा देगा. इस प्रतिबन्ध से आहत चीन बार बार कह रहा है की इसमें दोनों देशों का नुकसान है. वह भारत को इस पर पुनर्विचार करने की सलाह दे रहा है.   भारत सरकार ने स्पष्ट कहा है कि इन ऐप्स से देश की सुरक्षा और एकता को खतरा बना हुआ था, इसलिए ही इन्हें बैन करने का फैसला लिया गया है. इन सभी बातों से स्पष्ट है कि भारत चीन मोर्चे पर चीनी एप्स के प्रतिबन्ध का असर दिखता प्रतीत हो रहा है. - - - सुदर्शन खन्ना
 दिल्ली
बिल्कुल दिख रहा है जैसे ही सरकार ने पहल की चीन का रैवये में फर्क नजर आया है!  चीन को सबक सिखाने के लिए भारत उसे सामरिक और आर्थिक दोनों मोर्चों पर घेर चुका है। अभीतक लद्दाख में हेकड़ी दिखा रहे चीन के 59 ऐप्स पर भारत में बैन लगने के बाद ड्रैगन हकलाने लगा है। नई दिल्ली ने चीन को घेरने के लिए अब कूटनीतिक हथियार भी उठा लिया और अबतक हॉन्ग कॉन्ग में चीन के नए सुरक्षा कानून पर चुप्पी साधने वाले भारत ने इशारों में इस कानून पर सवाल उठाए हैं और दो टूक सुना दिया है।
भारत ने यह बयान दुनिया में मानवाधिकार स्थिति पर हो रही चर्चा के दौरान दिया। भारत ने पहली बार हॉन्ग कॉन्ग के मुद्दे पर बोला है। वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन के आक्रामक रवैये और पिछले महीने गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद भारत का यह बयान आया है। दोनों देशों के पिछले एक महीने से ज्यादा वक्त से लद्दाख में तनाव चल रहा है।
चीन को आर्थिक मोर्चे पर झटका देने की रणनीति को भारत सफल मान रहा है। चीन में इस कदम पर जिस तरह की प्रतिक्रिया हो रही है, उससे भारत को लगता है कि उसके इस दांव का उस पर बड़ा असर पड़ रहा है। यही कारण है कि भारत ने इस रणनीति पर आगे बढ़ाने का फैसला किया है। ऐसे में निकट भविष्य में भारत चीनी वस्तुओं पर उत्पाद शुल्क बढ़ाने सहित कई ऐसे फैसले लेगा जिससे चीन को आर्थिक नुकसान उठाना पड़े।
चीन हमेशा से अपने पड़ोसियों के साथ माइंडगेम खेलता रहा है। भारत मानता है कि पाकिस्तान को पीओके में सैनिकों का जमावड़ा बढ़ाने, नेपाल को भारत के खिलाफ उकसाने जैसी चीन की रणनीति इसी माइंडगेम का हिस्सा है। दरअसल भारत ने भी चीन की आर्थिक मोर्चे के अलावा सामारिक मोर्चे पर भी घेराबंदी की है।
अमेरिका का दक्षिण चीन सागर के आसपास सैन्य जमावड़ा बढ़ाने, फ्रांस, जापान, जर्मनी जैसे देशों के समर्थन के कारण चीन की स्थिति भी सहज नहीं है। डोकलाम विवाद के दौरान भी चीन ने इसी तरह माइंडगेम का सहारा लेते हुए भारत पर दबाव बनाने की रणनीति तैयार की थी। हालांकि भारत ने अंत तक आक्रामक रुख जारी रखकर चीन को झुकने पर मजबूर किया था।
चीन के साथ द्विपक्षीय व्यापार में गिरावट पर भारत ने भी स्थिति का आकलन किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के मुकाबले चीन को ज्यादा घाटा उठाना होगा। चीन के जवाबी आर्थिक हमले में भारत को लघु और मध्यम उद्योग क्षेत्र में शुरुआती घाटा उठाना होगा, क्योंकि यह उद्योग कच्चे माल में चीन पर निर्भर है।
मगर इसका लाभ यह है कि निकट भविष्य में भारत कांच, सिल्क, दवाई सहित अन्य क्षेत्रों में खुद जरूरत का कच्चा माल बनाने की स्थिति में होगा। इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद के मामले में भारत के पास जापान-कोरिया जैसे देशों का विकल्प मौजूद है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक के संगठन स्वदेशी जागरण मंच ने बुधवार को देश के बड़े उद्योगपतियों से पेटीएम जैसे भारतीय स्टार्टअप में चीनी निवेश को बाहर का रास्ता दिखाने की मांग की। स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक अश्विनी महाजन ने कहा, चीन के निवेश को खत्म करने का यह एकमात्र तर्क संगत तरीका है।
उन्होंने कहा, भारत में चीन का निवेश हमारे 500 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा भंडार की तुलना में महज 6 अरब डॉलर है। हमें बहुत चिंता नहीं करनी चाहिए। मैं बड़े उद्योगपतियों से मांग करता हूं कि वे चीनी कंपनियों को बाहर का रास्ता दिखाएं और उनके द्वारा स्टार्टअप में किए जा रहे निवेश को खुद करें। यह हमारे आधिपत्य को स्थापित करने का सुनहरा मौका है। उन्होंने विपक्ष द्वारा चीनी एप पर प्रतिबंध लगाने के फैसले के विरोध को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। 
जनता भी अब चीन के प्रति आक्रमक हो उठी है ! 
- डॉ अलका पाण्डेय
 मुम्बई - महाराष्ट्र
समाचारों के अनुसार सरहद पर चीन अब कोई हरकत नहीं कर रहा है। और यह भी कहा है,गलवान जेसी झड़प नहीं दोहराया जाएगा।दोनों सैनिकों में सहमति बना है की 72 घंटे तक एक दूसरे पर नजर रखेंगे।
 यह है रिजल्ट,चीनी 59 एप पर प्रतिबंध होने का असर साथ ही साथ यह भी माना टिक टॉक एप बैंड से अरबो  डॉलर का नुकसान होगा।लेकिन 59 एप बैन पर बौखलाया चीन ने ट्रेड वार की धमकी दे डाला। एक कहावत चरितार्थ करता है रस्सी जल जाए लेकिन ऐठन नहीं जाए।
भारत ने चीन की आर्थिक  घेरा बंधी तेज कर दी है।जैसे:- हाईवे प्रोजेक्ट में चीनी कंपनियों पर रोक।BSNL ने 4G का टेंडर का रद्द।
अमेरिका में भी उठी टिक टॉक पर  प्रतिबंध की मॉग।
चाइना छोड़ने वाली कंपनियों के लिए भारत में " सेज" तैयार है। इन कंपनियों को आसानी से जमीन मिलेगी इंफ्रास्ट्रक्चर बिजली ,पानी, यातायात,की सुविधा दी जाएगी।इस काम के लिए देश में 461589  हेक्टर क्षेत्र की पहचान कर ली गई है। भारत ने भी स्पेशल इकोनामिक जोन का खाका  तैयार कर दुनिया को टक्कर देने के लिए तैयारी कर ली है ।
लेख का विचार:- भारत के साथ अगर चीन  टकराएगा  तो आर्थिक रूप से चूर चूर हो
 जाएगा। भारत के साथ सभी शक्तिशाली देश खड़े हैं ।साथ देने के लिए। अब चीन के दादागिरी  विश्व में नहीं चलने को है।
- विजयेंद्र मोहन
बोकारो - झारखण्ड
हानी हानी होती हैं चीनी एप्स के प्रतिबंध का असर चीन से छुपाये नही छुप रहा हैं यह तो मात्र एक शुरुआत हैं भारत की ओर से अभी ओर झट्के चीन को झेलने हैं जो उसकी बोखलाहट स्पष्ट नजर आ रही हैं पता चला हैं की चीन अब भारत द्वारा लगायेगे एप्स पर प्रतिबंध के खिलाप कानुन का सहारा लेगा। क्या चीन की यह कारवाही उसको गम्भीर नुक्शान का प्रमाण नही हैं इस बार चीन का मुकाबला जय भवानी जय शीवाजी वालो से पढा हैं। हर बार की तरह भारत के नैतृव को कमजोर समझने की भुल भी चीन को भारी पढती नजर आ रही हैं।
- कुन्दन पाटिल
 देवास - मध्य प्रदेश
चीनी एप्स पर प्रतिबंध का भारत-चीन मोर्चे पर असर साफ दिखा। चीनी अधिकारियों ने वार्ता के लिए कहा और सेना को पीछे हटाने की तैयारी शुरू कर दी। भारत में चीनी एप्स बंद होने से करोड़ों रुपए के नुकसान के झटके से उसके होश ठिकाने आ गये।अब करने लगा बातचीत की गुहार। ये सब यूं ही नहीं हुआ।भारत सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति, मजबूत नेतृत्व और विश्व में प्रभावशाली भूमिका का परिणाम है। भारत में चीन का लाखों अरब का व्यापार है, चीनी उत्पादों की खपत का बड़ा बाजार भारत है। एक अनुमान के मुताबिक मात्र टिकटाक एप के बंद होने से ही 700 करोड़ का नुक़सान चीन को होना है। फिर यहां तो 59 एप बंद कर दिए गए। मैंने पहले भी लिखा था वर्तमान परिस्थितियों में चीन युद्ध करने की गलती नहीं करेगा,वह संबंधों को सामान्य करने का प्रयास करेगा, जिससे उसका एक बड़ा बाजार हाथ से न निकले।अब तो यह निकल ही गया, सड़कों के निर्माण में चीन की भागीदारी वाली एजेंसियों के करार रद्द करना भी भारत का साहसिक कदम है।इन कदमों का असर सीमा पर चीनी सेना के पीछे हटने से दिख रहा है।फिर भी सतर्कता जरुरी है।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर -उत्तर प्रदेश
आर्थिक अर्थ एक ऐसा माध्यम है जिसकी सभी को जरूरत होती है और देखा जाए तो जीवन का आधार भी काफी हद तक उसी से चलता है।जब राष्ट्र की तरक्की या उसकी सेना की रख रखाव तथा सैनिकों की सुविधा के लिए संसाधनों की बात आती है तो आर्थिक स्थिति का मजबूत होना अतिआवश्यक है।बात अगर हम भारत चीन मोर्चे की करें तो चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध का असर साफ साफ दिख रहा है।इसका सीधा असर आर्थिक स्थिति पर पड़ा और चीनी सेना की कमर पर भी वो मार पड़नी लाज़मी थी।जो यथार्थ में हुआ भी।
            इसका सबसे बड़ा असर दिखा हमारी सोशियल मीडिया पर जिन्होंने मान लिया है कि केवल चीनी ऐप्स ही थे जिन्होंने भारत चीन मोर्चे पर तनाव किया था और अब सब कुशल है।हकीकत भी है कि हम भी तो उन्हीं खबरों पर निर्भर हो गए थे और अब चीनी ऐप्स पर प्रतिबन्ध लगते ही सुलह।लेकिन ये ऐप्स जिस तरह से राज करने लगे थे अब प्रतिबन्ध लगते ही वर्तमान में चीन को बैकफुट पर भेज दिया है। वह चाहते हुए भी भारत को परेशान नहीं करेगा फिलहाल तो।यह असर है आर्थिक स्थिति का देश की किसी भी व्यवस्था पर और सैन्य व्यवस्था या डिफेन्स उसी का एक अंग मात्र है।
      इस चर्चा के माध्यम से ही हम सभी मिलकर चीनी ऐप्स का हमेशा के लिए बहिष्कार कर और सरकार उन पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाकर चीन कि कमर को सीधा ही ना होने दें।भारत चीनी उत्पादों का सबसे बड़ा बाजार बन चुका था और चीन हमारे बाजारों पर आश्रित होने लगा था।अगर आर्थिक स्थिति नाज़ुक रहेगी तो चीन का ध्यान सरहदों से ज्यादा अपने देश की जनता पर रहेगा।
- नरेश सिंह नयाल
देहरादून - उत्तराखंड
चीनी एप्स  को चीन के साथ प्रथम युद्ध के समय ही बंद कर देना चाहिए था। किन्तु उस समय की सरकार ने अपने गले लगाया।उसी की सजा हमे मिल रही।अन्यथा चीन की औकात नही की हमारे तरफ आंख उठाकर देखे। भारत - चीन मोर्चे तो पहले से चले आ रहे है। लेकिन वर्तमान सरकार ने चीन की कमर भी तोड़ने की व्यवस्था कर ऐसी स्तिथि में लाकर खड़ी कर दिया कि चीन का किसी भी प्रकार और कोई भी वस्तु को लेना ही नही है।साथ चीन के सभी वस्तु पर भारत मे पूर्ण प्रतिबंधित भी कर दिया। यह वर्तमान सरकार की सबसे कामयाबी यही है कि चीन के सभी वस्तुओ पर प्रतिबंधित करना और चीन के अर्थव्यवस्था को खत्म कर दुश्मन को हराना है। अब युद्ध की कोशिश पर चीन पर हम रहम नही करेंगे। भारत - चीन मोर्चे की बजह से हम भारतीय एप्प उपयोग कर पाएंगे यह खुशी की बात है की । भारत के द्वारा चीन के सभी सामानों पर हमेशा के लिए प्रतिबंध लगा देना चाहिए।
- राम नारायण साहू "राज"
रायपुर -  छत्तीसगढ़
चीन के आप को प्रतिबंधित कर देने से प्रतिबंधित ऐप उससे 40 करोड से ज्यादा नुकसान हुआ है क्योंकि उसका टिक टॉक एप दो भारत के गांव गांव तक फेमस था जिसको देखो वही गाना वीडियो बनाए जा रहा था और उसके सस्ते मोबाइल तो घर-घर थे उसकी लाइफ और डेकोरेशन की चीज नहीं को भी हमें क्या देना चाहिए देखने में सुंदर और सस्ते भले हो पर अपने स्वदेशी सामान को ही लेना चाहिए दुश्मन कितना अच्छा भी सामान बनाए उसका सामान कभी नहीं लेना चाहिए क्योंकि वह दुश्मनी करने से बाज नहीं आएगा करुणा रूपी महामारी तो पूरे देश में ही भेज चुका है और हमारे बॉर्डर पर सैनिकों को भी मार रहा है और युद्ध कर रहा है हम पाकिस्तान और चीन दोनों से ही सीमा पर परेशान हैं और हम उसकी अर्थव्यवस्था को तोड़ने के लिए उसके किसी भी ऐप और सामान का बहिष्कार होना चाहिए सरकार का यह बहुत ही अच्छा कदम है उसने यह ठोस कदम लिया है कि हम उस को झुका देंगे हिंदुस्तान का भी कमजोर ना था ना रहेगा ईट का जवाब पत्थर से देंगे।तुम सीमा पर लड़ते भी रहो और सामान भी भेजते रहो आंखें भी दिखाओ और हम सहते भी रहे हमारी सहनशीलता को उसने कमजोरी मान लिया था।
अच्छा है उसे कुछ तो अक्ल आएगी।
आपकी तरह ही अब हमें उसके सारे सामान को भी अपने देश से भगाना चाहिए सभी देशवासियों को यही प्रतिज्ञा लेनी चाहिए।
अच्छा आहार ले जिससे अच्छे विचार आएंगे।
स्वस्थ रहें शरीर ही सच्चा धन है समस्याओं का हम मुकाबला कर लेंगे एकता में बड़ी शक्ति होती है।
- प्रीति मिश्रा 
जबलपुर - मध्य प्रदेश
चीनी एप्स पर प्रतिबन्ध का ,असर चीनी मोर्चे पर दीख रहा है ।समाचार के अनुसार चीन के 59एप्स को हमारी सरकार ने प्रतिबन्धित कर दिया है ,सरकार के इस फैसले से चीन को आर्थिक चोट पहुँची है ।तिलमिलाया चीन भारतीय अखबारों और वेबसाइट पर रोक लगा रहा है ।पकिस्तान अधकृति कशमीर में 20 हजार चीनी फौज पहुँच चुकी है । हलाँकि भारत के खिलाफ मोर्चा खोलने वाला चीन स्वयं सात तरफों से घिर गया है ।प्रधानमंत्री के डिजिटल स्ट्राइक से पूरे चीन में हलचल मच गई है ।चीन  के अखबार ग्लोबल टाइमस ने तो यहाँ तक लिखा "चीन के सैनिक पीछे हटने को तैयार हैं ।"
पाँच देशों के इंटेलिजेंस ग्रुप में शामिल होने का भारत ने भी मन बना लिया है ।विश्व में अभी सबसे चर्चित देश चीन है किसी भी देश की मजबूती उसकी आर्थिक स्थिति होती है  ।चीन डर रहा है कि कहीं सभी देश उस  पर प्रति बन्ध न लगायें क्यों कि कई देशों से उसके रिश्ते बिगड़ चुके हैं ।एप्स पर लगाये गये प्रतिबंध की कई देशों ने सराहना की है ।सूत्रों के अनुसार  चीन के व्यवहार में नर्मी आ रही है ।
- कमला अग्रवाल
गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश
क्या असर दिखेगा? ये दोनों अलग अलग बाते हैं।चीन को इन सब चीजों की कोई फिक्र  नहीं है।उसके मानदंड ही दूसरे हैं।चीन का सिर्फ एक ही इलाज है और वो है उस को उसकी ही भाषा मे उत्तर देना।वो गंवार हैं और उनका जवाब गंवारपन से ही दिया जा सकता है।हमे इनसे एक रणनीति बना कर निपटना है। सबसे पहले तो आयात ही बन्द कर दो।थोड़ी परेशानी तो होगी लेकिन रास्ता भी वही से निकलेगा। आवश्यकता अविष्कार की जननी है। 
- रोहन जैन
देहरादून - उत्तराखंड
     व्यापारी कितना भी बड़ा चतुर और चालाक क्यों ना हो। वह घाटा सहन नहीं कर सकता। जबकि चीन तो चील कौवे की प्रजाति का व्यापारी है। वह भारत द्वारा चीनी एप्स के प्रतिबंध के व्यापक असर को कैसे अनदेखा कर सकता है? इसलिए भारत-चीन मोर्चे चीनी एप्स के प्रतिबंध का असर तुरंत दिखा है। जिसे पूरे विश्व ने देखा है।
     हालांकि उस विश्वासघाती देश और उसकी सेना पर तुरंत विश्वास करना कठिन है और बुद्धिमत्ता इसी में है कि उस पर कड़ी से कड़ी दृष्टि बनाए रखें। ताकि उसकी हर गतिविधि पर नजर रखी जाए।
     बिल्कुल उसी प्रकार जैसे माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी जी बार-बार कहा है कि हम मित्रता निभाना जानते हैं और आंख में आंख डालकर बात करने का साहस भी रखते हैं।
     कुछ भी हो जिस प्रकार भारत-चीन मोर्चे पर हमारे पराक्रमी सैनिकों ने कायर चीनी सैनिकों की गर्दनें मरोड़ कर जो सबक चीन को सिखाया है। उसी प्रकार हमें देश के भीतर चीनी एप्स व अन्य सामान की टांगें तोड़ कर देना चाहिए। ताकि चीन की रीढ़ की हड्डी टूट जाए और भविष्य में कभी भारत-चीन मोर्चे पर दोबारा कायराना दुस्साहस न कर सके।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
 ५९ एप्स एक साथ बंद करने से चीन की अर्थव्यवस्था पर पूर्ण ग्रहण न सही पर आंशिक असर ज़रूर देखा जा सकता है । केवल टिकटॉक के बैन होने से ही चीनी कंपनी को 100 करोड़ रुपये का चपत लगा है. इस हिसाब से सोचिए कि कितना बड़ा नुकसान चीन को हुआ है । भारत उन देशों में से हैं जहां इंटरनेट के दाम दुनिया में सबसे कम हैं। यहां 80 करोड़ से ज्‍यादा कंज्‍यूमर्स हैं। इनमें से आधे से ज्यादा स्‍मार्टफोन यूजर्स 25 सााल या उससे कम उम्र के हैं। 59 चीनी ऐप्‍स को बंद करके भारत ने न सिर्फ अपने इरादे जाहिर किए हैं, बल्कि चीन को साफ संदेश दिया है। टिक टॉक भारत में सबसे ज्‍यादा डाउनलोड की जाने वाली ऐप है। इसके 12 करोड़ से भी ज्‍यादा ऐक्टिव यूजर्स थे। यह उन इलाकों में युवाओं के बीच खासी लोकप्रिय थी जो आमतौर पर आधुनिक सुविधाओं से अछूते हैं। इसलिए इन युवाओं ने अपने टैलेंट का जमकर प्रयोग किया और टिक टॉक  पर मौजूद  30% वीडियो ये भारतीय यूजर्स बनाते हैं। जिससे एक बड़ी आमदनी टिक टॉक को होती है । एप्स प्रतिबंध का असर साफ़ तौर पर देखा जा सकता है ।
- डॉ भूपेन्द्र कुमार धामपुर
 बिजनौर - उत्तर प्रदेश
जी बिल्कुल चीनी एप्स के प्रतिबंध का भारत चीन के मोर्चे पर खासा असर दिख रहा है। हिंदुस्तान ने चीन के खिलाफ आर्थिक युद्ध छेड़ दिया है । हमारे केंद्र और राज्य सरकारें चीन को लगातार अलग-अलग मोर्चों पर सबक सिखा रही  हैं।
 चीनी समान पर  बैन लगने से चीन  चिढ़ गया है  भारत ने सबसे पहले चीनी कंपनियों के ठेकों पर वार किया।59 चीनी ऐप बन्द कर दिये ,ऐसा कर  गलवान  काण्ड के लिए भारत ने चीन को इस प्रकार चोट दी। टिक टॉक जैसा मशहूर ऐप भी बंद कर दिया गया । इससे पहले हजारों करोड़ के टेंडर नष्ट किए जा चुके हैं । गलवान के बाद लगातार चीन के सामान का बहिष्कार करने की मुहिम तेज चल रही है ।नतीजा यह है कि चीन  बौराया सा हो गया है । चीन की तरफ से सीमा पर स्थाई इंतजाम किए जाने के बाद अब बार भारत ने भी उससे लंबे टकराव की तैयारी कर ली है।
 अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओ ब्रायन ने आरोप लगाया है कि चीन अपनी बात मनवाने के लिए तमाम तरह के प्रोपेगेंडा भी कर रहा है ।
भारत की सैन्य शक्तियां एवं यहां का बच्चा-बच्चा देश की अखंडता एवं संप्रभुता बचाने के लिए समर्पित है।
 इसके अलावा भारत के साथ विश्व की कई शक्तिशाली देश भी चीन के खिलाफ खड़े हैं ।
 हमारे जवानों की हत्या करने के लिए भारत ,चीन को कभी नहीं बखशेगा ।
 भारत ने चीन की सेना के कदमों को रोकने के लिए बड़ी संख्या में सैनिक तैनात कर दिए हैं ।इसके अलावा  करीब 12000 सैन्यकर्मी  तैनात हैं।
भारत द्वारा हॉवित्जर तोपों को भी यहां इकट्ठा कर लिया गया है, ताकि चीन के किसी भी उकसावे का ठीक से जवाब दिया जा सके। कई फाइटर जेट्स भी एलएसी पर इकट्ठे हो चुके हैं ।
चीन का गलवान  घाटी पर संप्रभुता का दावा  टिकने योग्य नहीं है ।
इधर भारत का बच्चा-बच्चा देश की अखण्डता  व सम्प्रभुता बचाने के लिए समर्पित है ।
 भारतीय सैन्य कर्मी देश की अखंडता एवं संप्रभुता के लिए दिलो जान से हाजिर हैं।
 अंततोगत्वा चीन को मात  खानी ही पड़ेगी ।
- सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
भारत-चीन मोर्चे पर इन 59 एप्प्स के प्रतिबंध का कोई खास असर नहीं दिख रहा। हाँ, चीन की परेशानी अवश्य बढ़ गई है। भारत ने उसे चारों तरफ से घेरने का प्रयास शुरू कर दिया है। 
आत्मनिर्भरता की बात शुरू हुई तो उसे लगा कि छुटकारा पाना आसान नहीं होगा। लेकिन भारत की प्रतिबद्धता देख अब वह चिंतित जरूर है। उसे अपने अंदर  सुराख बनने का डर तो जरूर हो गया है।
  भारत के इस कदम का साथ अन्य देशों ने दिया तो अवश्य खतरनाक साबित होगा। यह चीन को समझ आ रहा है। वैश्विक मार झेलना महत्वाकांक्षी चीन के लिए आसान नहीं है।
  वह विश्व पर राज करने के सपने देखने में इतना मशगूल हो गया कि उसे अपनी साख की भी चिंता नहीं रह गई। उसे अपने घर में उठते तूफान की भी चिंता नहीं हो रही है।
कहा गया है कि -
"गीदड़ की मौत आती है तो शहर की ओर भागता है।"
यही चीन पर लागू होती है।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार

" मेरी दृष्टि में " भारत बहुत बड़ा बाजार है । इसी बाजार से चीन की अर्थव्यवस्था चलती है । भारत का बाजार बन्द होने से चीन के कितने उधोग बन्द हो जाऐंगे । यह बहुत कम को मालूम है ।जैसे :- रक्षाबंधन की राखी , होली की पिचकारी व रंग आदि अनेक उधोग है । जो चीन मे बन्द हो जाऐंगे ।
                                                  - बीजेन्द्र जैमिनी 
सम्मान पत्र


Comments

  1. आदरणीय बीजेन्द्र जैमिनी जी, सादर प्रणाम.  इस मंच की स्थापना कर आपने बहुत ही सराहनीय कार्य किया है.  वास्तव में यह मंच ज्ञानवर्धन का केंद्र साबित हो रहा है. अनेक प्रबुद्धजनों के विचार पढ़ने को मिलते हैं. यह मेरा सौभाग्य है कि मैं आपके इस मंच से जुड़ा हूँ.  इस प्रगतिशील मंच के निरंतर विकास की मैं हार्दिक कामना करता हूँ.  सादर.  सुदर्शन खन्ना.  दिल्ली 

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  2. आदरणीय बीजेन्द्र जैमिनी जी, सादर प्रणाम.  इस मंच की स्थापना कर आपने बहुत ही सराहनीय कार्य किया है.  वास्तव में यह मंच ज्ञानवर्धन का केंद्र साबित हो रहा है. अनेक प्रबुद्धजनों के विचार पढ़ने को मिलते हैं. यह मेरा सौभाग्य है कि मैं आपके इस मंच से जुड़ा हूँ.  इस प्रगतिशील मंच के निरंतर विकास की मैं हार्दिक कामना करता हूँ.  सादर.  सुदर्शन खन्ना.  दिल्ली 

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  4. आपके विचार कि भारत बहुत बड़ा बाजार  है और इसी बाजार से चीन की अर्थव्यवस्था चलती है सही हैं. निस्संदेह भारतीय त्योहारों से जुडी वस्तुओं पर चीन ने बहुत उद्योग स्थापित किए जिनमें रक्षाबंधन की राखी, होली की पिचकारी व रंग, पतंग की सामान्य डोर, बच्चों के खिलौने और पुस्तकें आदि. चीन में इनके बंद होने से चीन पर बुरा प्रभाव पड़ेगा. 

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