क्या फिल्म इडस्ट्रीज में डग्स की भूमिका की जांच नहीं होनी चाहिए ?

फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत ने  फिल्म इडस्ट्रीज का कच्चा चिठ्ठा जनता के सामने लाकर खड़ा कर दिया है । फिलहाल मौत से ज्यादा डग्स का खेल बहुत बड़ा नज़र आ रहा है । इस खेल में बड़ें - बड़ें लोगों के शामिल होने के सकेत मिल रहे हैं । कुछ लोगों तो इस की जांच नहीं होने देना चाहते हैं । क्या यह उचित है ?  जांच से ज्यादा राजनीति ज्यादा हो रही है । यही जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
फिल्म  इंडस्ट्रीज मे डग्स की जाँच अवश्य होनी चाहिए।   ड्रग्स एक खतरनाक नशीला पदार्थ है। जो मनुष्य के शरीर को हानि पहुंचाता है और मनुष्य समय के पूर्व  शरीर त्याग देता है। यह नशीला पदार्थ समाज के लिए अवैधानिक है ,इसीलिए इसका उपयोग लोग चोरी-छिपे करते हैं।  जो मानव शरीर के लिए बहुत हानिकारक है। इसकी जांच फिल्म इंडस्ट्री तो क्या पूरे समाज जाति में इसका तहकीकात कर अवैध व्यापार को कड़ाई के रोकना चाहिए। नशीला पदार्थ मानव समाज को ह्रास की ओर ले जाने में  अहम भूमिका है। अतः नशीली पदार्थ को मानव समाज से पूरी तरह समाप्त कर देना चाहिए। यह  मानव समाज के बहुत सी समस्याओं का कारण है।   अंत मे यही कहते बनता है कि फिल्म इंडस्ट्रीज मे डग्स की भूमिका की जांच अवश्य होनी चाहिए।
 -उर्मिला सिदार 
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
ड्रग्स की भूमिका की जांच होना अत्यावश्यक है ।
सबसे पहले यह जानना आवश्यक है कि वे कौन लोग है जो इस सारे कारोबार  के पीछे हैं।जिनके कारण यह व्यापार फल-फूला । जो ड्रग्स को प्रयोग में लाये ।और जिन्होंने सबको व्यक्तिगत रूप से हानि पहुंचाई।स्वयम पथभ्रष्ट हुए और दूसरों को भी किया ।चरित्र का पतन हुआ । बुराई का मार्ग हमेशा व्यक्ति को नर्क तक ले जाता है ।चरित्र का हनन होता है ।कालाबाज़ारी को फैलने ,-फूलने का अवसर मिलता है । कुछ लोग खूब धन कमाते हैं ।और इस प्रकार से कमाए हुए धन का दुरुपयोग करते हैं ।वह सब हम आजकल देख और सुन रहे हैं । लेकिन ड्रग्स में किन लोगों का हाथ है ?किन्होंने हमारे देश में चाहे वह बॉलीवुड ही हो ,इसका कारोबार शुरू किया ?वे कौन लोग हैं जिन्होंने आर्थिक रूप से भी देश को हानि पहुंचाई। ?हमारे देश का धन बाहर विदेशों में गया। यह सब जानना बहुत आवश्यक है ।इसलिए ड्रग्स की भूमिका की जांच अवश्य होनी चाहिए ।
- चंद्रकांता अग्निहोत्री 
पंचकूला - हरियाणा
 फिल्म जगत में ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ड्रग्स की भूमिका की जांच होनी चाहिए। ताकि मालूम हो सके कि भारत में ड्रग्स कहां से और कैसे आती है? वहां से आगे किस प्रकार फिल्म इंडस्ट्रीज में प्रवेश कर फिल्मी सितारों तक पहुंचती है? इन समस्त बिंदुओं की बिंदास जांच होनी चाहिए।
      प्रश्न जांच का ही नहीं बल्कि ड्रग्स की रोकथाम हेतु भी गंभीर कदम उठाते हुए कड़ी दण्डात्मक कार्रवाई पर भी बल देने की आवश्यकता है। ताकि अपराधियों को दण्ड मिले और भविष्य में नशे की भेंट चढ़ने वाले युवक मृत्यु से बच सकें।
      उल्लेखनीय है कि यदि सुशांत सिंह राजपूत के केस में इतना हो हल्ला होने और एनसीबी एवं सीबीआई के बावजूद भी फिल्म इंडस्ट्रीज में ड्रग्स की भूमिका की गंभीर जांच नहीं हुई, तो फिल्म इंडस्ट्रीज एवं युवाओं का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा।
      अतः फिल्म इंडस्ट्रीज एवं उसके उभरते युवा कलाकारों के उज्ज्वल सुनहरे भविष्य के लिए ड्रग्स माफिया की भूमिका की गंभीर से गंभीर जांच होनी चाहिए?
      - इन्दु भूषण बाली
      जम्मू - जम्मू कश्मीर
देश में फिल्म इंडस्ट्री हो या फिर कोई भी अन्य संस्थान या इंडस्ट्रीज जहां तक ड्रग्स की भूमिका की जांच मा मामला हो तो इसकी जांच बहुत ही जरूरी है। क्योंकि ड्रग्स नशीला पदार्थ है जो प्रतिबंधित है। ड्रग्स का सेवन करने से शरीर को नुकसान हो है ही बल्कि नशे कि लत से लोग बर्बाद हो जाते हैैं। ड्रग्स नहीं मिले तो नशा करने वालों की हालत पागलों जैसी हो जाती है। साथ ही ड्रग्स बहुत महंगा है और आसानी से नहीं मिलता है। फिल्म इंडस्ट्रीज में पैसे। वालों का बोलबाला रहता है जहां पार्टियों मै शराब के साथ ड्रग्स का सेवन बड़े मात्रा में होता है। फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत हत्याकांड में मुख्य आरोपी रिया चक्रवर्ती सहित 8 लोगों को एनसीबी नारकोटिक्स ड्रग्स विभाग ने ड्रग्स लेने और उसके धंधे में संलिप्तता पाए जाने पर गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। इसके साथ ही एन सी बी ने दो दर्जन फिल्मी कलाकारों को ड्रग्स लेने का आरोपी पाया है,। जिसमे फिल्म इंडस्ट्रीज से जुड़े  दिग्गज लोग भी शामिल है। नारकोटिक्स विभाग इनको कभी भी गिरफ्तार कर सकती है। रिया चक्रवर्ती अपने प्रेमी सुशांत सिंह राजपूत को भी ड्रग्स देती थी। इसके साथ वो खुद भी ड्रग्स की आदि हो गई थी। उसके घर यानी सुशांत सिंह राजपूत के घर पर रिया चक्रवर्ती पार्टी देती थी जिसमे ड्रग्स का खूब सेवन होता था। फिल्म इंडस्ट्री में ड्रग्स की भूमिका की जांच की जोरदार तरीके से मांग फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत भी करते आ रही है। कंगना के साथ फिल्म अभिनेत्री व पूर्व सांसद जयाप्रदा ने भी फिल्म इंडस्ट्री में ड्रग्स की भूमिका की जांच की मांग की है। ड्रग्स से फिल्म जगत का युवा वर्ग बर्बाद हो रहें हैं। इस कारण फिल्म इंडस्ट्री में ड्रग्स की भूमिका की जांच होनी चाहिए।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर - झारखंड
         क्यों नहीं होना चाहिए?   फिल्म इंडस्ट्रीज भारत का हिस्सा है।  उस पर भी भारतीय संविधान लागू होता है फिल्म इंडस्ट्रीज अलग से हटकर नहीं है। जो नियम या कानून आम जनता के लिए हैं वही फिल्म इंडस्ट्रीज के लिए भी है।   मुंबई भारत की आर्थिक राजधानी है  अधिकांश बड़ी कंपनियों के कार्यालय  मात्र    मुंबई में स्थित है किंतु उनका सारा बिजनेस संपूर्ण भारत से करीबन 99% होता है केवल मात्र एक परसेंट मुंबई से होता है। संजय राउत ने कहा मुंबई से बाहर के लोग मुंबई छोड़कर चले जाएं। मुंबई   उनको पाल रहा है। बात इसके विपरीत है 16 राज्यों की कमाई से मुंबई पल रही है। बाबा साहब ठाकरे तथा संजय राउत स्वयं बाहर से जाकर मुंबई में बसे हैं। महाराष्ट्र के बहुत से लोग भारत के सभी प्रांतों में बहुत अच्छी स्थिति के साथ संपत्ति बना कर रह रहे हैं। मध्यप्रदेश में ही जन आबादी का करीबन 12% मराठी लोग सुख संपदा के साथ रह रहे हैं। यदि ऐसा है तो वह भारत के सभी प्रांतों से मराठी लोगों को वापस बुला कर महाराष्ट्र में बसाएं। काजल की कोठरी में कोई अछूता नहीं है इसीलिए जांच में अड़ंगा डाले जा रहे हैं। drugs की भूमिका की फिल्म इंडस्ट्रीज में निश्चित रूप से जांच की जानी चाहिए। वह दिन दूर नहीं जब फिल्म इंडस्ट्री से प्रताड़ित लोग शिमला भोपाल लखनऊ आदि जगहों पर नई फिल्म इंडस्ट्रीज खड़ी कर देंगे।
- श्रीमती गायत्री ठाकुर "सक्षम"
 नरसिंहपुर -मध्य प्रदेश
जहाँ तक आज की परिचर्चा में यह प्रश्न है कि क्या फिल्म इंडस्ट्रीज में ड्रग्स की भूमिका की जांच नहीं होनी चाहिए तो इस पर मैं कहना चाहूंगा कि यह ऐसा रोग है जो न जाने कितने ही मन और मस्तिष्क को दूषित करता है और उन्हें गलत राह पर ले जाता है एक बार इसकी गिरफ्त में आने वाला व्यक्ति इससे निकलना भी चाहे तो आसान नहीं होता इसलिए इस तरह के रैकेट्स की जांच अवश्य ही होनी चाहिए जिससे विभिन्न युवाओं को उसकी गिरफ्त में आने से बचाया जा सके सरकार ने इसके लिए एक पृथक विभाग ही बना रखा है नारकोटिक्स समय-समय पर उसके द्वारा विभिन्न सनसनीखेज खुलासे भी होते रहे परंतु जिस तरह की खबरें फिल्म इंडस्ट्री से आ रही हैं वह किसी भी तरह से बहुत परेशान करने वाला है और इस तरह की चीजों का खुलासा होना ही चाहिए जहाँ जहाँ यह चल रहा है सबसे अहम बात यह है की फिल्में समाज पर प्रभाव डालती हैऔर इनमें में जो लोग काम करते हैं उन्हें युवा यूथ आइकन की तरह से मानते हैं जिनके हाव-भाव जीवनशैली और अभिनय का प्रभाव उनकी जीवन यात्रा पर भी पड़ता है और यदि इस तरह के काम इस इंडस्ट्रीज में होते रहेंगे तो कहीं ना कहीं यह समाज के युवाओं के मन और मस्तिष्क को दूषित करते रहेंगे और उसका दुष्प्रभाव समाज पर पड़ेगा जो दिख रहा है जिसके परिणाम अच्छे नहीं होंगे जो कभी कभी देखा भी जाता है और सुनने में भी आता है जब खुद अपराधी इस बात को स्वीकार करते हैं कि उन्होंने अमुक फिल्म से देखकर इस घटना को अंजाम दिया इस तरह की चीजों की जांच होनी चाहिए और समाज में युवाओं को इसके प्रभाव से बचाया जाना बहुत आवश्यक है 
- प्रमोद कुमार  प्रेम 
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
डग्स या नशा एक ऐसी चीज है। जो अच्छे अच्छे कलाकारों को पर नशा की लत लगाई जा रही है । जिस देश की युवा पीढ़ी बर्बाद हो रही है और हम अच्छे और उनका कलाकारों को भी खो रहे हैं। हमारे समाज के लिए घातक है यह फिल्म इंडस्ट्री में नहीं चाहे जहां हूं इसकी जांच होनी चाहिए और इसके खिलाफ कड़े कानून होने चाहिए।
नशाखोरी इसी तरह चलती रही तो हमारे देश के युवा पीढ़ी बर्बाद हो जाएगी और उनका नैतिक पतन भी हो जाएगा इससे हमारे देश की उन्नति और विकास भी नहीं हो सकता है। हमारी प्राचीन सभ्यता एक विशाल संस्कृति की धरोहर इस को आगे बढ़ाने में युवा पीढ़ी का ही हाथ है और वह नशे में रहेगी तो हमारे देश में अराजकता का माहौल रहेगा और लोकतंत्र भी खतरे में रहेगा क्योंकि आज की युवा पीढ़ी हीरो हीरोइन की ही नकल करती है उन्हीं की तरह बाल जाना उनके स्टाइल को अपनाना और डायलॉग को बोलना इसीलिए इसको खत्म होना चाहिए क्योंकि समाज का आईना तो फिल्म ही दिखाती है और उसका ही अधिकतर लोग अनुसरण करते हैं।
स्वास्थ्य ही सच्चा धन है, जीवन के मोल को समझना चाहिए।
- प्रीति मिश्रा
 जबलपुर - मध्य प्रदेश
       वर्तमान समय में फिल्म उद्योग एक डग्स की भूमिका पर चर्चित हो गया हैं, जिसके परिपेक्ष्य में सीबीआई कार्यवाही प्रारम्भ हैं, किन्तु फिल्म उद्योग दो भागों में बटकर रह गया हैं, वरिष्ठ कलाकार चुप्पी साधे हुए हैं और  कनिष्ठ कलाकार डग्स के साये में हैं, जिसके कारण गंभीर जांच का सामना करना पड़ रहा हैं। जिस तरह से फिल्मांकन में डग्स को कलाकारों में दर्शाया जाता हैं, उसी तरह से आज की स्थिति में परिदृश्य हो रहा हैं। फिल्म उद्योग में डग्स की भूमिका पर निष्पक्ष कार्यवाही होनी चाहिए, तभी जाकर वास्तविक तथ्यों का पता चल सकता हैं।
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर' 
  बालाघाट मध्यप्रदेश
ड्रग्स के मामले में मीडिया ट्रायल चल रही है। जब तक कुछ जानकारी बाहर निकल कर नहीं आता है।तब तक जांच होगी या नहीं कहना जल्दबाजी होगा।
लोकसभा में बीजेपी के सांसद के कथनाअनुसार फिल्म इंडस्ट्री में ड्रग्स की लत एक गंभीर मुद्दा है। फिल्म इंडस्ट्री में भी कुछ लोग एक्टिव हैं।
एनसीबी ड्रग्स के मामले में कुछ लोग को गिरफ्तारी की है। नशीले पदार्थों की तस्करी /लत की समस्या बढ़ रही है। देश के युवाओं को नष्ट करने के लिए षडयंत्र रचे जा रहे हैं, इसमें हमारे पड़ोसी देश भी अपना योगदान दे रहे हैं।
लेखक का विचार:-मनोरंजन जगत  हमेशा देश (सरकार) को समर्थन किया है, अधिक से अधिक टैक्स दिया है। फिर भी जांच होनी चाहिए ।जिससे सच्चाई सामने आएगी। लेकिन जांच के लिए कठिनाई से गुजरना होगा। फिर भी दूध का दूध  होना पता चल जाएगा।
- विजयेन्द्र मोहन
बोकारो - झारखंड
फिल्म इंडस्ट्री में ड्रग्स की भूमिका के सन्दर्भ में नारकोटिक्स कन्ट्रोल ब्यूरो की जांच में प्रतिदिन नये खुलासे हो रहे हैं। अब यह स्पष्ट हो चुका है कि इंडस्ट्री में ड्रग्स बहुत गहरे तक समाया हुआ है। 
ड्रग्स केवल नशे का सामान ही नहीं है बल्कि अपराध को न्यौता देने वाला एक सशक्त माध्यम है। जिन फिल्म कलाकारों को जन सामान्य आदर्श मानने की सीमा तक चला जाता है, उन्हीं को ड्रग्स की दलदल में डूबता देखकर सिर शर्म से झुक जाता है। 
इसमें कोई दो राय नहीं कि ड्रग्स और इंडस्ट्री का गठबंधन जगजाहिर हो चुका है। ऐसे में फिल्म इंडस्ट्रीज में ड्रग्स की भूमिका की जाँच अवश्य होनी चाहिए और तब तक होनी चाहिए जब तक इस पूरे तालमेल का अन्तिम स्रोत न मिल जाये। और बात केवल जाँच तक ही सीमित ना रहे बल्कि ड्रग्स के सौदागरों को उचित सजा भी मिलनी चाहिए। 
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग' 
देहरादून - उत्तराखण्ड
नशा एक ऐसी बीमारी  या लत है जो आज युवा पीढ़ी को लगातार अपनी चपेट में लेकर हर तरह से बीमार कर रही है । शराब सिगरेट, तंबाकू एवं ड्रग जैसे जहरीले पदार्थों का सेवन कर युवा वर्ग का एक बड़ा हिस्सा नशे का शिकार हो रहा है  ।
नशे की लत ने व्यक्ति को उस स्तर पर लाकर खड़ा कर दिया है कि व्यक्ति मादक पदार्थों के सेवन के लिए किसी भी हद तक जा सकता है । नशे के लिए जुर्म की दुनिया में भी चला जाता है ।
 भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में बहुत कुछ ऐसा है जो ग्लैमर की चकाचौंध में किसी को नजर नहीं आता । ड्रग से जुड़ी हुई बहुत बातें हैं जो हमेशा छुपी रही ड्रगस की दुनिया की असलियत और भयावहता को फिल्मों के माध्यम से भी देखा जा सकता है ।अनेकाें फिल्मों में नशे का कारोबार दिखाया गया है और उसके दुष्परिणामों को भी बताया गया है । बहुत हद तक यह फिल्मी दुनिया नशे की बुरी लत के लिए जिम्मेदार भी है ।
 दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के केस में भी ड्रग की भूमिका सबसे ऊपर है खबरों से पता चलता है कि सुशांत और रिया ड्रग लिया करते थे रिया चक्रवर्ती ने एक न्यूज़ चैनल पर यह बात स्वीकारी है कि सुशांत ड्रग्स सेवन किया करते थे सुशांत सिंह राजपूत की हत्या या आत्महत्या मामले में ड्रग्स की लत भी जिम्मेवार हो सकती है । बॉलीवुड का ड्रग्स  से पुराना नाता रहा है कई फिल्मी सितारे ड्रग्स की लत का शिकार हो चुके हैं ड्रग्स को लेकर कुछ फिल्में भी बन चुकी हैं जो इसकी लत की भयावहता को उजागर करती है ।
 फिल्म इंडस्ट्री में नशे का कारोबार चरम सीमा पर है देश के कोने-कोने से नए नए कलाकार अपना भाग्य आजमाने फिल्म इंडस्ट्री में आते हैं अपनी मेहनत और प्रतिभा के दम पर वह कामयाबी भी हासिल कर लेते हैं परंतु जल्दी ही नशे की दलदल में फंस जाते हैं और अपना कैरियर बर्बाद कर जाते हैं  ।फिल्म इंडस्ट्री में नशे की भूमिका पर अवश्य जांच होनी चाहिए ताकि प्रतिभावान व मेहनती कलाकार अपनी हैसियत को बरकरार रख सके ।
फिल्मी दुनिया में परिवारवाद या गॉडफादर का होना किसी भी कलाकार के लिए सुरक्षा घेरे का कार्य करता है लेकिन कुछ ऐसे मेहनती प्रतिभावान कलाकार इस घेरे की पहुंच से दूर ही रह जाते हैं उन्हें अभिनय क्षेत्र में काम नसीब से ही मिलता ह, दुर्भाग्यवश अथवा नशे की वजह से उनकी कामयाबी को दुर्भाग्य में बदलते देर नहीं लगती  ।नशे के माया जाल में फस कर उनका कैरियर चौपट हो जाता है  ।फिल्म इंडस्ट्री में नशे की भूमिका अथवा ड्रग की भूमिका की जांच अवश्य होनी चाहिए ताकि किसी सच्चे कलाकार के भविष्य से कोई खिलवाड़ ना हो ।
- शीला सिंह
 बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश 
           फ़िल्म इंडस्ट्रीज में ड्रग्स की  भूमिका की जाँच अवश्य होनी चाहिए। ड्रग लेना देना जब अवैध काम है तो इसकी जाँच तो होनी ही चाहिए। आज ड्रैग के चलते ही एक होनहार अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत चला गया। बरसों पहले अभिनेता संजय दत्त की हालत खराब थी। और बहुत से होंगे ड्रग लेने वाले इन सबकी जाँच तो होनी ही चाहिए।
           कितने ड्रग माफिया होंगे फ़िल्म इंडस्ट्रीज में जो अवैध कारोबार करते होंगे। होंगे क्या हैं ही नहीं आज ड्रग के कारण ही फ़िल्म दो भागों में बंटा हुआ है। इसका मतलब साफ है फ़िल्म इंडस्ट्रीज में ड्रग का धंधा जोरों पर है और इस में बड़े-बड़े लोग शामिल हैं।
         आज जो कुछ देखने सुनने में आता है इससे साफ जाहिर है कि फ़िल्म इंडस्ट्रीज में ये धंधा जोर शोर से चल रहा है। डॉन माफिया सब शामिल हैं इसमें ,हो सकता है कुछ नेता भी शामिल हो इसमें। कला धन सफेद करने वाले भी शामिल हो सकते हैं। इसलिए जांच एकदम जरूरी है।
- दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश" 
कलकत्ता - प. बंगाल
ड्रग्स की भूमिका की जांच फिल्म इंडस्ट्री में होनी ही चाहिए। देश के युवा वर्ग को जिस तरह से ड्रग्स की लत डालकर इसका कारोबार किया जा रहा है उससे देश को बहुत बड़ी हानि हो रही है। नशीले पदार्थों के व्यापार की चर्चा फिल्म इंडस्ट्री में पहले भी कई बार होती रही है। इसमें लगे  माफिया यहां पर सक्रिय हैं। अभिनेता सुशांत सिंह की मौत के बाद चल रही चर्चाओं पर के बीच ड्रग्स माफियाओं का कनेक्शन फिल्म इंडस्ट्री से होने की बात जिस तरह से सामने आई, उसने आम भारतीय नागरिक को चौका दिया है।दबी जुबान में इस इंडस्ट्री के की लोगों ने यह बात समय समय पर कहीं है। अब यह बात मीडिया में जोरों से आने पर कुछ लोग इसे मनगढ़ंत आरोप बताकर इंडस्ट्री की छवि बिगाड़ने का षड्यंत्र बता रहे हैं। इसलिए यह बहुत जरूरी हो गया है कि फिल्म इंडस्ट्री में ड्रग्स की भूमिका की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
फिल्मी दुनिया, छलावा और नशे का बोलबाला । अब तो यही फिल्म इंडस्ट्री की असलियत के रुप में सामने उभर कर आ रहा है। हमारी युवा पीढ़ी फिल्म के पर्दै पर झूठे किरदार निभाने वाले नायक-नायिका को अपना आदर्श सुमानती है । पर नशे के दलदल में धंसते हुए कलाकारों की सच्चाई जैसे-जैसे सामने आ रही है, युवा पीढ़ी इस भ्रमजाल से निकलने का सोचने लगी है। सुशांत सिंह राजपूत प्रकरण  से उभरकर सामने आई ड्रग्स की काली सच्चाई निश्चय ही जांच का विषय होना चाहिए ताकि जो ने बच्चे फिल्म इंडस्ट्री में अपना कैरियर बनाना चाहते हैं वो आगे जाकर किसी बहकावे में आकर या क्षणिक खुशी के लिए नशे के भंवर-जाल में फंसकर  डिप्रेशन अथवा अवसाद के शिकार न हों,जिसके वजह से भविष्य में उन्हें अपनी मान- प्रतिष्ठा, रोजगार इत्यादि सबसे हाथ धोना पड़े।फिल्म इंडस्ट्री में ड्रग्स की गहराई से जांच कराई जानी चाहिए ताकि सिर्फ छोटे-छोटे मोहरों को ही नही अपितु इस काले कारोबार में लिप्त बड़े खिलाड़ियों को सलाखों के अंदर पहुंचाया जा सके
- संगीता राय
पंचकुला - हरियाणा
ड्रग्स, नाम ही समाज के लिए घातक है। ये नशीले पदार्थ हमारे देश की मानवीय संसाधन को नष्ट करते हैं । अतः इन से दूरी बरतना ही हमारे लिए लाभदायक है।
  ड्रग्स के लिए पैसा चाहिए । फ़िल्म इंडस्ट्रीज नोट छापने की मशीन है । यहाँ मनुष्य अपनी लोक-लाज त्याग कर धन के पीछे भागता है। यह इंडस्ट्री पूरी तरह माफिया के चंगुल में फँसी हुई है। यहाँ इसके अवैध घन्धे का कारोबार भी बड़ी मात्रा में होता है। इन सब को कड़ाई से समाप्त करना जरूरी है। यह तभी सम्भव है जब सरकार इस पर संज्ञान लेगी।
  इसे जड़ से उखाड़ने से ही अपने सबसे कीमती संसाधन को बचाया जा सकता है। इसलिए इसकी जाँच बहुत जरूरी है।
  - संगीता गोविल
  पटना - बिहार
ड्रग संबंधी कानून पूरे देश के लिए और देश में रहने वाले प्रत्येक नागरिक और विदेशियों के लिए एकसमान लागू होता है।  किसी भी सूरत में किसी भी प्रकार की छूट की कोई संभावना नहीं। फिल्म इंडस्ट्रीज़ से जुड़े लोग भी आम नागरिक हैं।  यह दीगर बात है कि वे धनवान होकर वीआईपी की भांति आचरण करते हैं। दूसरी महत्वपूर्ण बात यह कि फिल्मी हीरो-हीरोइनों (असली हीरो-हीरोइन नहीं) की अधिकतर जनता नकल भी करती है और कई स्थितियों में तो ये कलाकार कुछ लोगों के आदर्श भी बन जाते हैं। ऐसा सिर्फ कथानक की वजह से होता है।  उदाहरणार्थ रामायण में श्रीराम की भूमिका निभाने वाले श्री अरुण गोविल से बेहतर इस तथ्य को कौन समझ सकता है। ऐसे और भी चरित्र हैं जिन्हें निभाकर कलाकारों ने लोगों के हृदय में विशेष स्थान बनाया। इसी प्रकार अन्य फिल्मी कलाकारों ने भी आदर्श भूमिकाएं निभाकर अपना स्थान बनाया और जनता ने इन पर धन लुटाया।  ऐसे में कुछ कलाकारों का ड्रग्स में लिप्त होना असहनीय है। अतः फिल्म इंडस्ट्रीज़ में ड्रग्स की भूमिका की जांच होनी चाहिए।
- सुदर्शन खन्ना 
दिल्ली
ड्रग्स एक नासूर है समाज में युवाओं को भटका दिया है और दीमक की तरह खोखला कर दिया है ड्रग्स से एक ही जिंदगी नहीं सैकड़ों जिंदगियां समाप्त हो जाते हैं इससे समाज में विकृति उत्पन्न हो जाती है
यह निम्न वर्ग से लेकर उच्च वर्ग तक फैलता हुआ जाल है आज के परिपेक्ष में यह हाई प्रोफाइल सोसाइटी में पूर्ण रूप से जकड़ लिया हमारी फिल्म इंडस्ट्री भी इससे अछूती नहीं रही फिल्म इंडस्ट्री में भी इसकी जांच होनी चाहिए एजेंसी एनसीबी को इसमें बड़ी सफलता मिल रही है इससे कई सुराग मिल सकते हैं फिल्म के हीरो हीरोइन को युवा पीढ़ी के कई बच्चे अपना आदर्श मान लेते हैं लेकिन इस दुनिया की हकीकत को जानना भी बहुत जरूरी होता है आने वाली पीढ़ी के युवक युवतियों को खतरनाक विषैले जंजाल से मुक्त कराने के लिए कई सामाजिक संगठनों व सरकार को कड़े से कड़ा कानून बनाना चाहिए जिससे भय उत्पन्न हो और लोग इस दिशा की ओर अग्रसर होने से डरें फिल्म इंडस्ट्री में भी ड्रग्स की जांच होनी चाहिए
 कला और रंगमंच की छवि धूमिल ना होने पाए इसके लिए इसकी जांच होना नितांत आवश्यक है।
- आरती तिवारी सनत
दिल्ली
नशा  कोई  भी  हो, ये  तन-मन-धन, परिवार, समाज  और  देश  को  बर्बाद  ही  करता  है  ।  अधिकांश  युवा  पीढ़ी  एवं  अन्य  फिल्मी  किरदारों  का  अनुसरण  करते  हैं  तथा  वैसा  ही  बनने  का, उनके  समान  ही  आचरण  करने  का  प्रयास  करते  हैं  । 
         फिल्मी  कलाकारों  के  पास  धन  की  कमी  नहीं  होती  मगर  साधारण  परिवार  के  लोगों  में  यदि  देखा-देखी  इस  नशे  की  लत  लग  जाती  है  तो  उनकी  बर्बादी  निश्चित  है ।
       इस  माफिया  के  चक्कर  में  अधिक  धन  कमाने  के  लालच  में  लोग  फंस  तो  जाते  हैं  मगर  इससे  बाहर  निकलना,  मौत  के  मुंह  से  बाहर  आने  के  समान  है  । 
        ड्रग्स  के  कारण  ही  युवा  पीढ़ी  का  पतन  हो  रहा  है  । अतः  इसके  कारोबार  पर  पैनी  नज़र  रखते  हुए  फिल्म  इंडस्ट्री  ही  नहीं, सभी  क्षेत्रों  में  ईमानदारी  से  जांच  कर, कठोर  प्रतिबंध  लगाते  हुए  इस  कार्य  में  लिप्त  लोगों  के  लिए  कठोर  सज़ा  का  भी  प्रावधान  होना  चाहिए  । 
        - बसन्ती  पंवार 
          जोधपुर - राजस्थान 
ड्र्ग्स की जांच हर व्यक्ति,देश के लिए जरूरी है क्योंकि यह एक ऐसा ज़हर है जो धीरे धीरे ज़िन्दगी के साथ साथ आचरण भी समाप्त कर देता है ड्रग्स की आदत चोरी,डकेती, स्मगलिंग आदि व्यभिचारियों को जन्म देती है जो हम सुशांत सिंह के केस में देख रहे हैं कि किस प्रकार उसकी मौत के रहस्य के साथ साथ कई बातें सामने आ रही है माना कि हिरो, हिरोइन आदि पैसे वाले होते हैं और इनके लिए यह सब छोटी बातें होती हैं परन्तु देश के लिए घातक सिद्ध होती है अतः ‌फिल्म इंडस्ट्रीज में ड्रग्स की जांच होनी ही चाहिए।।
 - ज्योति वधवा"रंजना"
बीकानेर - राजस्थान
क्यों नहीं होनी चाहिए ?अवश्य होनी चाहिए ! ड्रग्स समाज के लिये एक ऐसा कीडा़ है जो उसे खोखला कर देगा ! एक ऐसा राक्षस है जिसका निवाला आने वाली पीढ़ दर पीढ़ी बनती रहेगी यदि इस पर अंकुश तो क्या जड़ से उखाड़ न फैंका तो ! फिल्म समाज का दर्पण है और उस दर्पण में आने वाली बुरी या अच्छी  छबि हमे दिखाने वाला एक मंझा हुआ कलाकार होता है ! समाज में रहकर हम वही सीखते हैं जो हम देखते हैं ! फिल्म एक ऐसा जरिया है जिसका असर तुरंत पड़ता है !क्या हमारी भावी पीढ़ी को हम इसी गर्त में ढ़केलना चाहेंगे कदापि नहीं ! आनेवाली भावी पीढ़ी हमारा भविष्य है अतः प्रथम वर्तमान को बचाना होगा ! फिल्म कलाकारो के पास धन की कमी नहीं है इंडस्ट्रीज की रंगीली जिंदगी पर्दे पर वास्तविकता लाने के लिये ये ड्रग्स लेते हैं! व्यसन चाहे कोई भी हो शरीर,धन ,परिवार ,समाज देश सभी बर्बाद हो जाते हैं !अतः जांच तो होनी ही चाहिए !
 - चंद्रिका व्यास
 मुंबई - महाराष्ट्र
फिल्म इंडस्ट्री में हीं क्यों हर जगह ड्रग्स की भूमिका की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। नामी हस्तियों के साथ हादसा होने पर सरकार जागती है, जांच करने की कवायद शुरू कर देती है वरना सब कुछ जानते हुए भी वह नजरअंदाज किए हुए रहती है।
 ऐसा नहीं कि उन्हें नहीं पता कि कहां पर क्या हो रहा है? पर जब तक किसी बड़े व्यक्ति के साथ कोई हादसा न हो जाए सभी चीजों को नजरअंदाज कर दिया जाता है यह सर्वविदित है।
  नशा का कारोबार कितना फल-फूल रहा है सभी जानते हैं। उस पर कई फिल्में बनाई जा चुकी है।नशा कारोबारियों को रिश्वतखोर पुलिस वालों की और नेताओं की संरक्षण भी मिली रहती है। इसी कारण वे बेखौफ होकर कानून को ठेंगा दिखाते हैं।
  जो समाज के हित में न हो, उन चीजों पर पूरी तरह बैन होनी चाहिए, पर नहीं होता क्योंकि इसके सेवन करने वाले भी बड़ी-बड़ी हस्तियां ही अधिकांश हैं।
   नामी हस्तियों के साथ हादसा होने के बाद सरकार और सीबीआई जागरूक दिखाई देती है, आम इंसानों की यहां पर जान की कोई कीमत नहीं है। जांच एजेंसियां भी खानापूर्ति करती है। जैसे ही बड़े लोगों का नाम सामने आता है। केस फाइल बंद कर दिया जाता है यही हमारे देश की विडंबना है।
                    - सुनीता रानी राठौर
                     ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश
कानून और विधि व्यवस्था हर व्यक्ति के लिए एक समान है चाहे वह इंडस्ट्रियलिस्ट हो या अन्य सामान्य व्यक्ति।
इस नियम के तहत फिल्म इंडस्ट्री में भी ड्रग्स की जांच पड़ताल होनी चाहिए बहुत ही आवश्यक है एक बात गौर करने की है फिल्म इंडस्ट्री का युवा पीढ़ी जो इस इंडस्ट्री में अपनी भूमिका कला को निखारने आए हैं अगर वह वृक्ष के चंगुल में फंस जाएंगे तो जिंदगी उनकी तबाह हो जाएगी कई ऐसे उदाहरण सामने दिख रहे हैं यहां पर युवा पीढ़ी जितने दोषी नहीं है उससे ज्यादा वह एजेंसी दोषी है जो अपने मुकाम में कामयाब हो रही है इसलिए देश को बचाने के लिए युवा पीढ़ी को सुरक्षित रखने के लिए समय रहते ही सभी को सतर्क होना है और इस गंदगी का निवारण करना आवश्यक है
- कुमकुम वेदसेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
जिस हिसाब सेे कंगना स्नोट ने एक इंटरव्यू में कहा था की फिल्म इंडस्टृीज में लगभग ९९प्रतिशत लोग डृग्स लेते हैं, एक बहुत ही लापरबाह ब्यान है, अगर हम इसका आदा मान कर भी चलें तो लगता है फिल्म इंडस्टृीज का भविष्य अंधकारमय में डुव रहा है और इसका प्रभाव हमारी युवा पीढ़ी को झेलना पड़ सकता है, क्योंकी ज्यादातर युवा व युवतियां इनकी नकल के अनुसार ही कार्य करते हैं। 
इसमें कोई संकोच नही जैसा लिबास  व खानपान उनका देखते हैं उसी को  अपना लेते हैं, इसलिए अगर ऐसा हो रहा है तो तरूंत  जांच करके रोक लगानी चाहिए, ताकी आने   वाली पीढ़ी को ऐसी बूरी लत से रोका जा सके। 
कहा भी गया है़ बुराई को शूरू से रोकना चाहिए। 
उधर  ज्या बच्चन जो एक सांसद है उसका कहना है  कि डृग्स को लेकर बालीवुड को बदनाम करने की साजिस हो रही है, ऐसा लग रहा है कि डृग्स के  मामले को लेकर बालीवुड का बंटवारा हो चुका है अलग अलग कैंप बन चुके हैं और यही बहस चल रही है कि बालीवुड में डृग्स कल्चर की जांच होनी चाहिए या नहीं,  
यही नहीं वड़े वडे़ अभिनेता निर्माता, निर्देश्क डृग्स के खिलाफ स्वच्छता अभियान से परेशान हैं। 
जवकि रवि किशन बी जे पी के सांसद ने कहा है, डृग्स की लत एक गंभीर मुद्दा है और फिल्म इंडस्टृीज में एकि्टव है, उसने कहा, सरकार से अनुरोध करता हुं डृग्स पर रोक लगाई जाए, इससे देश  के युवाओं का भविष्य खतरे  में है.  यह सच भी है, इसलिए फिल्म इंडस्टृीज में डृग्स की भूमिका की जांच अनिवार्य हो गई है, और होनी चाहिए। 
- सुदर्शन  कुमार शर्मा  
जम्मू - जम्मू कश्मीर
ड्रग्स  की लत हमारे समाज में एक कोढ़ की भांति है व्याप्त है । जो आज  के युवा पीढ़ी को इसमें डुबोते जा रही है। ड्रग्स लेना ,देना ,बेचना सब अपराधिक मामले के तहत आता है। अतः वह कोई भी दुनिया हो जब ड्रग्स लेना ,देना रखना सब गैर कानूनी है तो  फिर ऐसी वारदात जहां भी देखी ,सुनी या पाई जाए उसकी जांच- पड़ताल होनी हीं चाहिए। ड्रग्स काफी महंगी होती है शायद इसीलिए यह हाई फाई सोसायटी में ज्यादा प्रचलित भी है। जिस किसी को भी यदि ड्रग्स लेने की लत लग जाती है तो फिर आसानी से इसकी लत नहीं छूटती है और इसका आदी  व्यक्ति विशेष इसके सेवन हेतु छटपटाता है और इसे पाने हेतु कुछ भी कर गुजरता है। ऐसा कहा और सुना गया है कि फिल्मी दुनिया में ड्रग्स सेवन बहुत ज्यादा पैमाने पर होता है तो निश्चित तौर से इसकी निष्पक्ष जांच और इस पर अंकुश लगाने की अति आवश्यकता है। कानून से ऊपर कोई नहीं होता फिर फिल्म इंडस्ट्रीज इसके अधीन हीं तो है तो  फिर वहां भी ड्रग्स की जांचअवश्य हीं होनी चाहिए।
- डॉ पूनम देवा
पटना -बिहार
फ़िल्म जगत में ड्रग्स की भूमिका की जांच होनी चाहिए क्योंकि हमारी युवा पीढ़ी फिल्मों को आदर्श मानकर हीरो बनने की चाहत रखते है l नशा या ड्रग्स जीवन में व्यक्ति की घातक है जो जीवन को बर्बाद तो करता ही है स्वयं भी भारी शारीरिक नुकसान भी उठाना पड़ता है l आज की युवा पीढ़ी दिग्भ्र्मीत हो जाती है l ड्रग्स से  व्यक्ति होश हवास खो बैठता है, अपराधी बन जाता है l 
         - डॉ. छाया शर्मा 
          अजमेर - राजस्थान
ड्रग्स यानि नशे का सेवन जिससे हमारा फ़िल्म उद्योग भी अछूता नहीं है। फ़िल्म उद्योग की रंगीनियत और जगमगाहट के पीछे कितना घर अधंकार छिपा है जहाँ शोषण है, जहाँ मानसिक तनाव है, जहाँ खुद को सफल बनाने के लिए फैशन और आधुनिकता  के नाम पर खुलमखुल्ला देह प्रदर्शन भी है। तो वही काम पाने और खुद को स्थापित करने में  कई बार फिसलन भरी राह से इस ड्रग्स की आदत लग जाना आम बात है। बहुत बड़ा माफिया इस पर काम करता है। नवकलाकार जो इन सब परिस्थितियों में अपने आप को सम्भल नहीं पाता। इनके चंगुल में फंस जाता है। धीरे धीरे सिगरेट पीने से लेकर, शराब और नशे की लत का शिकार हो जाता है। और मानसिक तनाव को झेल नही पाता और सुशांत राजपूत जैसे कलाकार आत्महत्या करने को मजबूर हो जाते हैं।।                
- सीमा मोंगा
रोहिणी - दिल्ली
ड्रग्स जिन्दगी को बरबाद कर देने वाला नशा है जो आजकल बड़े तबके के लिए फैशन बन गया है ।
कुछ मध्यम श्रेणी के लोग भी अपने आपको इसके गुलाम बन जाते हैं इसके आदी लोग इसे पाने के लिए गैर कानूनी काम भी करते हैं ।खबरों के अनुसार फिल्म जगत में इसका बोल -बाला है और वहीं से ये फल -फूल रहा है ।इसके डिलर लोगों का पालन -पोषण हो रह है जो कि समाज में भी फैल रहा है ।ये पूर्ण रुप से पैसे और शक्ति दोनों की बर्बादी है साथ ही दुश्मन देश को जड़ें मजबूत करने का मौका मिल रहा है ।इस हानिकारक नशीले पदार्थ को खत्म करने केलिए फिल्म इंड़स्ट्रीज में इसकी जाँच होनी चाहिए और  इसमें लिप्त लोगों को सजा भी होनी चाहिए ।यह समाज को खोखला कर रहा है ।
- कमला अग्रवाल
गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश


" मेरी दृष्टि में "  राजनीति ने यह केस बहुत अधिक प्रभावित किया है । उदाहरण स्वरूप बिहार पुलिस के अधिकारियों को आइसोलेट करना या कंगना का घर तोड़ना । ये कहीं ना कहीं बहुत कुछ कहता है । इस में बहुत बड़ें - बडें लोगों का हाथ हैं । जो आने वाले समय में स्पष्ट हो जाऐगा ।
    - बीजेन्द्र जैमिनी
                             डिजिटल सम्मान

Comments

  1. निश्चित रूप से फिल्म इंडस्ट्री की ड्रग्स मामले में जांच की जाना चाहिए aur Akeli film industry se Kyon sabhi jagah ड्रग्स की जांच की जाना चाहिए। उसकी जड़ें बहुत गहरी हैं और बड़े-बड़े रसूखदारों से उसके संबंध जुड़े हुए हैं।

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