बेटी दिवस के अवसर पर ऑनलाइन कवि सम्मेलन




भारत में बेटियों को लेकर एक खास रूढ़िवादी सोच रही है. बड़े शहरों मे तो यह सोच काफी बदली है लेकिन छोटे शहरों में अभी भी लोग बेटियों को खास तवज्जो नहीं देते. इसी रूढ़िवादी सोच को मिटाने के लिए भारत में डाटर्स डे मनाना शुरू किया गया. इस दिन को बनाने का उद्देश्य यह है लोगों के मन से यह भ्रांति दूर की जाए कि बेटी बोझ है. हालांकि यह निर्धारित नहीं है भारत में किस साल से डाटर्स डे मनाने की शुरुआत की गई. डाटर्स डे के माध्यम से लोगों को यह याद करने का मौका होता है कि बेटियां उनके लिए कितनी महत्वपूर्ण हैं.
बेटी दिवस परिवार की सभी लड़कियों और महिलाओं को सम्मानित करने का खास दिन है. दरअसल, भारत में बेटियों को लक्ष्मी का दर्जा दिया गया है.
अतः जैमिनी अकादमी ने WhatsApp द्वारा बेटी दिवस के अवसर पर " बेटी " विषय पर ऑनलाइन कवि सम्मेलन रखा है । जिसने भी विषय अनुकूल कविताएं भेजी हैं । उन्हें सम्मानित किया जा रहा है : -
बेटी 
***

नन्हीं गुड़िया, प्यारी बिटिया 
भोली मुस्कान लिए जन्मी l 
तेरी मुस्कान खिले तो लगा 
खिली है जग में फुलवारी ll 

अनमोल रतन, चमका हीरा 
हँसी में खिलती किलकारी l 
लक्ष्मी, सरस्वती बन जग में 
दूजे घर का सम्मान बनीं ll

मन्नत मांगो जग वालों मिल 
क्यों नहीं करते दुआ बेटी की l 
संसार बंटा, नन्हीं बिटिया
 नदिया के दो तीरों में बही ll 

आधा जीवन इस पार यहाँ
 आधा जीवन ससुराल चलीl
 हम सब की शान बनी बेटी 
   हमारा है अभिमान बेटी ll 

त्याग, तपस्या, बलिदान की ये 
जीती जागती मूरत है बनी l 
जौहर ज्वाला पद्मावती का 
पन्ना का बलिदान कहानी बनी ll 

शौर्य प्रचण्ड ज्वाला सी बनी 
झाँसी रानी बन खूब लड़ी l 
हँसते हँसते विष का प्याला 
पीकान्हा की दीवानी बनी ll

आंधी है नहीं, तूफान बनी
 स्रष्टि की रचनाकार बनी l 
स्वर्णिम इतिहास का गौरवगान 
नन्हीं बिटिया की कहानी बनी ll 

क्यों मन में जहर समाया है
है पूछ रही जग से बेटी? 
मैं तो हूँ माँ की छाया ही 
क्यों अब तक तू समझा ही नहीं? 

लेने दो मुझको भी आकार 
मैं देश का है उत्थान बनी l 
मानव को देती सहारा हूँ 
मैं सखी, सखा, घनश्याम बनी ll 
         - डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
बेटी
***

बेटी कन्या रत्न है 
            करे रोशन दो कुल।
दो परीवार को जोड़ती
                 रिस्ते के बन पुल।।
कभी कभी बेटा भले
                बोले कड़वा बोल।
बेटी स्नेह से बोलती
               बातें करती तोल।।
वर्तमान मे कही कही
                 बेटी हुई अपमान।
दरींन्दों ने जान ले ली
                बनकर के सैतान।।
बेटी माँ की सखी बन
              दूख सुख लेती बाँट।
पिता काम से कब लौटेगा
           देखती रहती बाट।।
आज कल बेटी बेटा 
               दोनो एक समान।
जिम्मेदारी गजब सम्भाली
                बेटा के समान।।
बेटी भी अब कार चलाती
              रेल और वायुयान।
चन्द्र लोक में भी जा पहूची
               बैठ राकेट उडा़न।।
पर्वत मे भी जा पहूची हैं
                  बेटी बेटा समान।
प्रशासन का धर्म निभाई
             राष्ट की थामी कमान।।
बेटी करूणा बेटी ममता
          बेटी भी है स्वभीमान।
शास्त्र में नारी स्वरूप सरस्वती
                देती सबको ज्ञान।
- गोवर्धन लाल बघेल
 महासमुंद - छत्तीसगढ़
 बेटी
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तुमसे जितनी उम्मीदें थीं तुमने की हैं पूरी
आंखों का तारा हो तुम, तुम हमारी नूरी।
बात है पूर्ण सच्ची नहीं कोई ये बात अधूरी
आंखों का तारा हो तुम, तुम हमारी नूरी।

     देख रहें हैं हम भी सपने
     सपने पूरा करने अपने
     बहे हिमालय से कोई गंगा
     ख्वाब अभी हैं बाकी कितने
जीवन जिओ इतना अच्छा ये बन जाए खूबी
आंखों का तारा हो तुम,तुम हमारी नूरी ।

       जीवन सुगंधित बने तुम्हारा
        जग समस्त देखे नजारा
        हमको आशा है ये पूरी
         देखेंगे हम ये दृश्य प्यारा
भक्तिभाव से सेवा करना मान इसको जरूरी
आंखों का तारा हो तुम,तुम हमारी नूरी।
तुमसे जितनी उम्मीदें थीं तुमने की हैं पूरी
आंखों का तारा हो तुम, तुम हमारी नूरी।
- प्रो डॉ दिवाकर दिनेश गौड़
गोधरा - गुजरात
बेटी 
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भाग्यवान हैं जिन के आंगन में बेटी 
दुनिया में खुशियों की जननी है बेटी 
       घर की आन होती है बेटी 
        घर की शान होती है बेटी 
बेटे समान प्यार की हकदार है बेटी 
भगवान का दिया आशीर्वाद है बेटी 
      बेटी से बनें सब रिश्ते नाते 
      बिन बेटी घर आंगन फीके
सृष्टि की उत्पत्ति का बीज है बेटी 
नये रिश्ते बनाने वाली रीत है बेटी 
       मत कहो बेटी को धन पराया
         वह माँ की ममता की छाया
होती हैं फूलों सी कोमल बेटियां 
माता-पिता के दुखों में रोती बेटियां 
      मत करो बेटी का अपमान 
      बेटी बढ़ाती सब का सम्मान 
 घर की तो होती हैं शान बेटियां 
माता-पिता का अभियान बेटियां 
      आज आसमान को छू रही बेटी
        न झुकेगी,न टूटेगी अब बेटियां। 
- कैलाश ठाकुर 
नंगल टाउनशिप - पंजाब
             बेटी की तमन्ना   
            *************

 बेटी की तमन्ना पहचान बनायें अपनी,
करें उजाला शिक्षा से जीवन में अपनी।

दे दो हक हमें स्वयं खुद निर्णय लेने की,
हटाओ पाबंदियां आजादी दो जीने की।

नहीं अपनाओ तुम कभी दोहरे मापदंड,
न हीं लगाओ तुम संस्कार का प्रश्नचिन्ह?

न हीं हर पल कसौटी-तराजू पर चढ़ाओ,
न हीं पराया धन कह अपमानित कराओ।

सजाती रही मैं भी अरमानों की आशायें,
काटती रही जीवन मन में उम्मीदें सजाये।

न हीं तोड़ना तुम मेरे अरमानों की बस्ती,
सुनहरे सपनों के घरौंदे हैं हृदय में बनाये।

सर्वस्व न्योछावर की रखती हूं मैं भावना,
सिर्फ परिवार की जिम्मेदारी में न बांधना।

न मरूं मैं बेआबरू हो कभी घुट-घुट कर,
न हीं मरूं मैं दामन को कुचलते देखकर।

संवेदना न जताना तुम सिर्फ ट्विटर पर,
संवेदना जताना हृदय से मेरे जीवन पर।

बेटियों संग पापा पत्नी को भी न्याय देना,
कानून बनाकर उसपे अमल भी कर लेना।
                - सुनीता रानी राठौर
              ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश
  बेटी
*****
  ईश्वर का अनुपम वरदान है बेटी,
सरस्वती और लक्ष्मी का रूप है बेटी।
घर रोशन करने वाला चिराग है बेटी।
 नसीब  वालों को ही मिलती है बेटी।
दोनों कुलों की लाज निभाती है बेटी,
माता, बहन,भार्या का  रूप है बेटी ।
 माता का तो अरमान होती है  बेटी ।
  पिता का सम्मान भी होती है बेटी ।
  माता के साथ काम कराती है बेटी।
भाई बहनों का ध्यान रखती है बेटी।
खुद को भूल सबकी चिंता करती बेटी
सुख दुख में भी साथ निभाती है बेटी।
कभी घरों में बंद रहती थी रानी बेटी ,
 पंछी की तरह उड़ रही है आज बेटी।
 कदम मिलाकर साथ चल रही है बेटी
जमीं सेआसमां तक उड़ रही है बेटी।
समंदर की लहरों पर चल रही है बेटी
देश और राष्ट्र को भी चला रही है बेटी
घर एवं काम का समन्वय हैआज बेटी
 सौम्य ,शांत, सुशील तो होती है बेटी,
पर समय पर दुर्गा भी बन जाती बेटी।
दोनों घरों की ही हरदम शोभा है बेटी।
मुबारक देती"सक्षम"'बेटी दिवस' बेटी।
- श्रीमती गायत्री ठाकुर "सक्षम"
 नरसिंहपुर - मध्य प्रदेश
         परियों सी बेटियां           
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ईश्वर का अनुपम उपहार होती हैं परियों सी बेटियां, 
घर रूपी उपवन की बसन्ती बहार होती हैं बेटियां। 
उनकी प्यारी सी मुस्कान खिलखिला देती है घर को, 
मां-बाप की धड़कनों की जान होती हैं बेटियां।। 

उगते सूरज से अच्छी बेटियों की मुस्कान भली लगती है,
चाँद की चाँदनी से शीतल उनकी मनुहार भली लगती है।
सकारात्मक उर्जा से भरा रहता है वह आँगन हर वक्त,
जिस घर में बेटियों के पैरों की झंकार भली लगती है।

गर्व का सुखद अहसास कराती हैं मां-बाप को बेटियाँ,
फूलों की ताजगी से सुन्दर होती है बेटी रूपी कलियाँ। 
उन्हें सृष्टि की सारी नियामतें दामन में भरी लगती हैं, 
जिन माँ-बाप के पावन आंचल में पलती हैं बेटियाँ।। 

इस तरह सींचो उसे वो नन्ही कली खिलता पुष्प बन जाये, 
आँधियां भी बुझा न पाये जिसको ऐसा दीप बन जाये। 
दिवाकर सी उष्मा, सुधाकर जैसा सुधा रस  बरसाये, 
संवारें वर्तमान बेटी का कि भविष्य में जग में छा जाये।। 
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग' 
देहरादून - उत्तराखण्ड
हरी_धान_सी_बेटियाँ
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माता- पिता की  शान, होतीं हैं बेटियाँ ।
दोनों  कुलों  का  मान,  होतीं हैं  बेटियाँ ।।

मधुरिम  सा  मधुर  गान, होतीं  हैं  बेटियाँ ।
वेदों  का  दिव्य ज्ञान,   होतीं  हैं  बेटियाँ ।।

धरती  की  सदा   आन,  होतीं हैं  बेटियाँ ।
माँ   भारती   महान,  होतीं  हैं  बेटियाँ ।।

ऋतुराज सा जहान,  होतीं  हैं  बेटियाँ ।
वीणा  की मधुर  तान,    होतीं  हैं  बेटियाँ ।।

कुदरत  की कद्रदान,  होतीं   हैं  बेटियाँ ।।
भागों में  भाग्यवान,  होतीं  हैं  बेटियाँ ।

दानों में कन्यादान  , होतीं  हैं  बेटियाँ ।
नदियों  में  दीपदान , होतीं  हैं  बेटियाँ ।।

रत्नों से भरी  खान,  होतीं  हैं  बेटियाँ ।
अन्नों  में  हरी   धान,   होतीं  हैं  बेटियाँ ।।
- छाया सक्सेना ' प्रभु '
जबलपुर - मध्यप्रदेश
बेटी
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ईश्वर की नैमत होती है सारी बेटियाँ !
देवता जब ख़ुश होते है देते है बेटियाँ !!
बेटी कभी पराई नहीं है घर की लक्ष्मी होती है !
माँ के आंचल की ममता की छाया होती है बेटियाँ!!

कोई समझा नहीं बेटी के अरमानों को 
मत छिन्नो बेटी के जीने के अधिकार को !!
आने दो उसको देखने दो यह सारा संसार 
सुन लो कभी तो उसकी दिल की चीखों को !!

माँ तुम मेरी हत्या गर्भ में मत करना !
ब्रह्म हत्या का पाप माँ तुम कभी 
न करना !!
मेरी हत्या का हिसाब आज नहीं तो कल देना होगा !
मेरी हत्या का पाप कभी न तुम अपने सर करना !!

माँ मैं तेरे अंश का एक जान का टुकड़ा हूँ ! 
ईश्वर द्वारा भेजा गया आशिर्वाद हूँ !!
तेरे बेटे से ज़्यादा तेरा ख़्याल रखूगी मां !
माँ मैं तेरा अनमोल प्यार पाने की 
हक़दार हूँ !!

तेरी आँखों में कभी न आँसू आने दूगी !
तेरे जीवन में अनुपम ख़ुशियाँ भर दूँगी !!
पर तुम कभी बेटा बेटी में फ़र्क़ न करना !
वफ़ादारी से तेरा हर क़र्ज़ चूका दूँगी  !!

पिता के आँखों का तारा बन इतराऊँगी !
भैया का प्यार पा कर मैं इठलाऊगीं !!
मुझको बस इस दुनिया में तू आने दे माँ ,,
तेरे हाथो की मददगार बन मैं ख़ुश हो जाऊँगी
- डॉ अलका पाण्डेय 
 मुम्बई - महाराष्ट्र
 बिटिया 
*******

तुम लाड़ हो 
हमारा प्यार हो
तुम जो कुछ भी करो
हितकारी हो हमें गर्व होगा
तुम्हारी नन्ही अंगुलिया
जब हमारे जीवन में चली थी
आंगन में जब पहली बार
तुम्हारे नन्हे पैरों ने भी
परिधि की चौकड़ी भरी थी
तभी लगा था मुझे 
मेरी जिंदगी की 
गाथा बदल रही थी
तुम जब से आई हो
हमारा रुदबा बड़ रहा था
देवी के पूजन में
हमारे घर पे भी
तुम्हें पूजने की खातिर
लोगों का ताँता लग रहा था
फिर तेरी बातों में
हमें दुनिया अच्छी लगने लगी
उसी आंगन में तुम भी
संसारिकता व संस्कार सीखने की
लगन में लगने लगी
तुम बड़ी हो रही थी
उम्र की सीढियां चढ़ रही थी
गर्व तेरे हर कर्म पे होगा
आँसू भी तुम लेकर जाओगी
योग्य जब कोई बिटिया
तुम इस जहां में पाओगी
उस दिन से फिर तुम
संसार नया बसाओगी
जो भी सीखा है तुमने यहाँ
उसे यथार्थ करोगी वहाँ
पर फक्र तब होगा मुझे 
जब मेरा नाम मिट कर
शरीर बन चुका होगा
तुम्हारे ही मजबूत कांधों पर
मेरी अंतिम यात्रा का
हुजूम आगे बढ़ रहा होगा
दुनिया रोकने का प्रयास करेगी
तुम्हें रीति रिवाजों का 
लंबा चौड़ा हिसाब भी देगी
तब तुम्हारे पिता की
पथरीली आंखें और मृत उम्मीद
सिर्फ तुम पर टिकी होगी
तुम्हारे कांधों पर ही
अपने अंतिम सफर की आश
धरा पर पड़ी होगी
मेरी बिटिया तुम तब
जरा भी न डगमगाना
बड़े तहजीब से 
मुझे इस संसार के
अंततोगत्वा अंजाम तक 
अवश्य छोड़ आना।

-  नरेश सिंह नयाल
देहरादून - उत्तराखंड
भारत की है शान बेटियां
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घर की जान होती है बेटियां,
पिता का गुमान होती है बेटियां,
ईश्वर के आशीर्वाद होती हैं बेटियां,
समझ लो बेमिसाल होती है बेटियां,
बेटी के आंखे  कभी नम ना होने देना,
जिंदगी से कभी खुशियां 
कम ना होने देना,
अंगुली पकड़कर कल जिसको चलाया था
उसको ही डोली पर बिठाया था हमने
फिर दो आंगन के रौनक हो जाती है,
बेटी  सासू मां से घुल मिल जाती है
उस घर की लक्ष्मी कहलाती है
बेटी असीम दुलार प्यार दोनों आंगन में पाने के हकदार हो जाती है।
बेटी वरदान है मां दुर्गा की शक्ति है।
बेटी जो एक खूबसूरत एहसास होती है।
- विजयेन्द्र मोहन
बोकारो - झारखंड
बेटी
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   सीता का अवतार बेटी
   नारी के कोख की शान बेटी
   मात-पिता का सम्मान बेटी
   विश्व का कल्याण बेटी
  फिर क्यों सावन में भी
 पतझड़ ही पतझड़ देखूं
हरियाली के इस उपवन में
ढूंढ़ती रहती हूं अपना आंगन
 पूछे है मुझसे मेरी बेटी !

यादें ताजा कर मुझसे
कहती है मेरी बेटी
मां का आंचल,पिता की अंगुली
     पकड़ जब चलती थी
कितना सुंदर था तब यह उपवन
जब, झूले पर बैठ हिचकती थी मैं
तब , मां झूला देती थी
गिरने के भय से घबराती तब
थाम पिता की अंगुली लेती
लाडली की हर खुशी का ध्यान
     रहता था उनको
मुख से निकले उससे पहले
खड़े पैर रहते थे दिल खोले !

पापा मेरी गुड़िया को 
एक गुड्डा ला दो 
सावन के आते ही
शादी करवा दूंगी उसकी
 मम्मी पापा दोनों हंसते
 गुड़िया की प्यारी 
बातों का रस लेते 
एक दिन गुड़िया को लेने
राजकुमार सा दूल्हा 
आया घोड़ी में !

हर सुख साधन संग दिया
भारी मन से विदा किया 
संस्कार का गहना पहने
आशीर्वाद की चुनरी ओढ़े
चली ससुराल दुल्हनिया बनकर अंतर्मन के सपनों को लेकर !ससुराल में ,
ड्योढी पर लक्ष्मी बन आई 
घर पर बनी बहु 
पति की प्यारी भारिया बन 
धन्य हुई प्रभु !

तेज हुई रफ्तार वक्त की
 बदले रंग अनेक 
हरियाली बन आया मौसम
 लेकर प्यार का संदेश !

 बनी एक बिटिया की माता 
नानी कहती लक्ष्मी बन बिटिया आई
 संग घर में अपने ढेरों खुशियां लाई !
 पापा जब लक्ष्मी को सहलाते  दादा दादी देख ना पाते !

 समय की सुई कभी न रुकती
 मां की ममता कभी न थकती जीवन में कड़वा रस पीकर भी बेटी की ममता में वह सब कुछ सहती  !

 समय की धारा संग बहकर
 खिला पुनः एक फूल
बेटी की किलकारी सुनकर 
  .बत्ती हुई गुल !

मां की अब कसौटी देखो
बंधी हुई थी जिस खूंटे से
वह खूंटा भी अब छूटा
पर बेटी की ममता में 
उसका साहस न टूटा
सोच मैं भी तो एक बेटी हूं !

दिन महिना साल गुजरा
बनाया उसने नया बसेरा
बेटी का भविष्य हो उज्जवल
   संघर्षरत हो बनी वह
     अबला से सबला !

संस्कार और ममता में पली
हर दुख को बिसराती हुई
बैरिस्टर बन बेटी बोली
संघर्ष हुआ पूर्ण तुम्हारा
 अब है मेरी बारी
हर संघर्ष को विजय चिन्ह दे
करना है सम्मान तुम्हारा ! 
- चंद्रिका व्यास
 मुंबई - महाराष्ट्र
 बेटी समाज की शान है 
****************

जिंदगी की शोभा 
हमारी बेटियाँ 
समाज की शान
हमारी बेटियाँ 
फूल सी कोमल 
मुखरित उल्ल्हास
ये हमारी बेटियाँ
सजग समाज की 
संस्कृति वेद की ऋचाएँ
गायित्री सी सुशोभित
अभिमंत्रित ललनाएं 
चाँद सी सुंदर 
उपवन सी महक 
सम्पूर्ण समुदाय की 
ये अनूठी चहक 
कर्मप्रधान बोधिसत्व
की , ममत्व की 
अधिकारिणी ,समयानुसार
सजगता की मूर्त 
अरु उद्घोषिणी 
जीवन के अभिप्रेत
नियम को सिंचित करके
नवसृजन की बालाएं ये 
विश्व के हर क्षेत्र में
परचम अपना फैलायें ।।
कौन है जो रच रहा 
षड्यंत्र इनके प्रति 
नहीँ किसी काम की 
फैला रहा असत्य अफवाहें
जागरूक समाज में
प्रगति के प्रयाण में 
ये नही तो हम नही 
सोच लेना हे मनुज 
बेटियाँ हैं तो सब सही ।।
- डॉ अरुण कुमार शास्त्री 
दिल्ली 
आत्मजा
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हे अनंत को छूने की
आकांक्षामय आत्मजा सलोनी
तुझे देख यों भान हो रहा
मानो हो आशंकित मृगछौनी
कुछ वर्ष पूर्व नन्हीं कलिका-सी
मेरी बगिया में आई
आशा-आशंका-उल्लास का
सागर मानो साथ में लाई
तेरे कौतुकमय बचपन ने
खोल दिए स्मृति के द्वार
तेरे माध्यम से पहुंची मैं
अपने ही बचपन के पार
कभी मचलना, कभी किलकना
कभी उछलना, कभी थिरकना
तुझे झिड़ककर याद आता था
ऐसे ही अम्मा का झिड़कना
पता नहीं कब नन्ही कलिका को
यौवन-मधुऋतु ने
विकसित सुमन बनाया
कभी लज्जाना, कभी सकुचाना
कभी मुस्काना चलता रहा
और फिर
स्नेह का सागर लहराया
तेरा मदमाता मधुर यौवन
करा गया मधुरिम-सी यादें
आशा-आशंका-आतंक की
तनिक विस्मृत-सी फरियादें
तेरा हंसना और बिछलना
मानो मेरा ही तो यौवन था
कुछ सकुचाकर फिर मुस्काना
मेरा ही तो अपनापन था
हर वर्ष जन्मदिन आते गये
कुछ-न-कुछ नया लाते गए
स्मृतियों के भंडार में
अपना योगदान लुटाते रहे
अब आया रूबी जयंती वर्ष
लाया है सलोना हर्ष
कहता है जीवन में बढ़ती रहो
यों ही सफलता पाते हुए सहर्ष
इसी तरह सदैव मुस्कुराती रहना
चाहे हो मंझधार में नैय्या
कैसा डर, कैसी आशंका
साथ हो जब कुशल-सुमधुर खिवैया.
तुझसे ही मैंने सीखा है
 भेदभाव की कारा तोड़ो
बेटी-बेटे का अंतर छोड़ के
मन को जोड़ो, सब को जोड़ो.
बेटी बचाएं, बेटी पढ़ाएं
यह संकल्प हमारा है
समय पड़े तो बेटी भी अपना
बनती सबल सहारा है.
- लीला तिवानी 
 दिल्ली
         बेटी          
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ओ दुनिया के करतार,तू है कहाँ
तेरी दुनिया में विश की है आग 
 तेरे होते हुए आज मैं मर रही 
    मेरे गर्भ में हर रहे प्राण ।

वहाँ बैठा हुआ है तू दरवार में
मेरे अवला के फुट रहे भाग 
बाहर बैठे हुए हैं नश्तर लिए 
  मैं भी देखना चाहूं संसार ।

ज़रा बैठ के सोचो ऊपर वाले
मैं न रहूंगी तो क्या है जहान्
कैसे होंगे गोविंद सिंह,बन्दा वैरागी 
शिवाजी और राणा प्रताप ।

मेरी विनती सुन ओ दीन दयाल 
  तू इतना सा रखना ख्याल 
 न बधाईयाँ बंटेगी,न मंगल गावेंगे 
  न गाई जाएगी घोड़ी -सुहाग ।

शक्ति रूप में आके तू अवतार ले 
नहीं तो उजड़ेगा सकल संसार 
न होली होवेगी न राखी बंधेगी 
     न जाएगी कोई बारात ।
- ललिता कश्यप सायर 
 बिलासपुर  - हिमाचल प्रदेश
       बेटी      
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हु मैं एक बेटी
 बाबूजी की दुलारी
  भाई बहनों की प्यारी
   मां की चहेती
     क्यों की थी सबसे छोटी

खूब हंसना
था मेरा स्वभाव
  सजना सवरना
    था मेरा अरमान

बहन के साथ दोस्ती मेरी
कहलाती थी जुगल जोड़ी

दोनों बहनों की जोड़ी
परिवार की थी रौनक
घर को रखती थी गुलजार
यह बेटियों का संसार

प्यारी दुलारी के साथ
होती है बेटियां पराई
हर वक्त लोग जताया
तू तो है किसी की अमानत

प्यार दुलार दिखाकर
बना दिया जाता है पराया
पर यह हुई है एक विवशता
सदियों की है सामाजिक मान्यता

खुद मां बनकर
लगाया गले अपनी बेटी
लाड प्यार से पाला पोसा
झुकाया सर अपना
उस सामाजिक मान्यता पर
कर दी विदाई डोली में बैठा कर
निभाया सामाजिक दस्तूर को
हो जाती है जब पराई
पल पल याद आती है उसकी
ऐसा लगता है जैसे चला गया अपना खजाना
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
 बेटी
******

बहुत प्यारी होती हैं ये बेटियां,
ओस की बूंद सी होती हैं ये बेटियां,
पापा की आंखों की प्यारी होती हैं ये बेटियां,
मां की दुलारी होती हैं ये बेटियां।
बहुत प्यारी होती हैं ये बेटियां.....

बेटा करता रोशन एक कुल को,
बेटियां करतीं रोशन दो कुलों को,
बेटा अगर हीरा होता है कुल का,
तो बेटियां भी होती हैं मोती दो कुलों की,
बहुत प्यारी होती हैं ये बेटियां.....

कांटों की राह पर चलती हैं ये बेटियां,
पर! औरों के लिए फूल बोती हैं ये बेटियां,
कभी उफ़ तक न करती हैं ये बेटियां,
हर पल काम करने को तत्पर रहती हैं ये बेटियां।
बहुत प्यारी होती हैं ये बेटियां.....

विधि का विधान तो देखो,
दुनिया ने क्या रस्म बनाई,
बेटा पास रहता है और दूर जाती हैं ये बेटियां,
मुठ्ठी में भरे नीर सी होती हैं ये बेटियां।
बहुत प्यारी होती हैं ये बेटियां......
नूतन गर्ग 
दिल्ली
बेटी
*****

बेटी विना घर की शान नहीं, 
बेटी विना जहान  नहीं, बेटी
 ही महान है, बेटी देश की शान है।  
इनके विना नहीं आंगन शोभे, 
इनके विना  न  कुछ संपूर्ण होवे, सृष्टी की पहचान बेटीयां, 
फिर भी क्यों परेशान बेटीयां,  
बेटी है तो जहान है, बेटी घर की शान है, बेटी से  देश महान है। 
हर क्षेत्र में आगे आंए, दुश्मन को तरूंत भगांए, सैना में  भी गौरभ दिखातीं, राईफल तो क्या, फाईटर तक चलातीं, 
चारों दिशां की पहरेदार ,बेटियां, हर मानब की जान बेटियां, फिर क्यों परेशान बेटियां, हर मरहम की पहचान बेटियां, 
बेटी  है तो जहान है, बेटी देश की शान है। 
चांद बीबी की बात  सुनाएं, 
लक्ष्मी बाई का इतिहास दोहराएं आजादी का इतिहास थी बेटियां, ग्रथों में अबतार बेटियां  पूजे सारा संसार बेटियां, फिर बेटी क्यों परेशान है, बेटी  भारत की शान, बेटी ही महान है। 
आओ मिलके हम कसम एक खांए, बेटी से न कभी नफरत पांए,  पापा का  संस्कार बेटियां, मम्मा का  संसार बेटियां, त्योहारों में त्योहार बेटियां, हर प्राणी का प्यार बेटियां, 
बेटी है ते जहान है बेटी घर की शान है। 
- सुदर्शन कुमार शर्मा 
जम्मू - जम्मू कश्मीर
  बेटी का वरदान
 **************

  ठुमुक-ठुमुक बेटी चले,घर खुशहाली होय |
  बिदा होय जब लाडली,नौ-नौ आँसू रोय ||
  बेटी पूजा अर्चना , बेटी घर का मान |
  पाकर वे सब धन्य हैं, बेटी का वरदान ||
  फैल रही बीमारियां, घर-घर में ये जान |
भ्रूण-हत्या कर कैसे, सुखी होय इंसान ||
  जिस घर में बेटी नहीं, किया न कन्यादान |
  कर्म स्वयं खोटे करें, दोष देय भगवान ||
  बेटा-बेटी प्रकृति का, है ऐसा वरदान |
  बेटी है पंजाब सी, बेटा खालिस्तान ||
  बेटी घर की स्वच्छता, आगत का सम्मान |
छोड़, गई ससुराल जब, घर हो जाय मकान ||
                        -   विश्वम्भर पाण्डेय व्यग्र 
                            गंगापुर सिटी - राजस्थान
बेटी
****

तुम बिन सूनी हो धारिणी
  गद्य पद्य की सकल सारिणी 
      हर आँगन सुख सुबह-शाम
           बेटी  कोटि-कोटि प्रणाम।।

 तनया कुसुम तुम माँ भारती 
   केश भ्रमर बगिया समाज की
       नभ  प्राण  शीतल  पुकारती 
           मोद प्रमोद हर परिवार की 

मोहक रमणीक इन्दिरा लगती 
   रश्मि लोचन हर माँ - बाप की 
      सदन सदस्य धड़कन में रमती 
        अभिलाषा हो सुखी संसार की

 कमल सरोज नयन चमकाती
    चंचल प्रवीण मूर्ति गुड़िया सी 
       मन चित-वन अखिल हर्षाती
           परमधाम शक्ति हो प्यार की

 कुछ दिग्भ्रमित दानव जगती
   बन दुश्मन पूर्ण नारी जाति की
     भ्रूण विज्ञ संग गर्भ हत्या करती 
          नरक फल दण्ड धर संहार की

सुत - सुता में  भेद पाप है
   शिक्षा सुश्रुता बराबर मिलती
       जीवन स्वर्ग से सुन्दर बनता
             आगामी पीढ़ियाँ  हैं तरती

तुम बिन सूनी हो धारिणी 
  गद्य पद्य की सकल सारिणी 
     हर आँगन सुख सुबह शाम
       बेटी  कोटि-कोटि प्रणाम ।।
           - डॉ0 रवीन्द्र कुमार ठाकुर
 बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
बेटी
*****

उँगली थामे
हथेली की थपकी
कितनी बेफिक्र होती

बाबुल घर बेटी !

पलती , बढ़ती
ख्वाब सँजोती
होती सयानी जब

जमाने को चुभती ।

बचती बचाती
जीवन बिताती
अधखुली अधजगी सोती

नजरों से ओझल होती बेटी!

माँ , बहन , पत्नी , बेटी
सब स्त्री ही है होती
रिश्तों से बंधी होकर

रिश्तों से ही डरती बेटी।
- संगीता सहाय "अनुभूति"
रांची - झारखंड

बेटी 
*****

 घर में बेटी का होना मतलब 
जीवन की तमाम खुशियों का होना
 वह सब कुछ होना जिसमें सारी खुशी
दुनिया की तमाम खुशी वो समेटे रहती
बेटी अपने घर की हर खुशी को कम ना होने देती 
बेटी बाप मां बापू का अभिमान होती है 
बेटी कर्म से भी महान होती है 
जो करती नित्य थपेड़ों का सामना
 हर पल मुस्कुराकर कर खुशियां बिखेर देती
हर पल अपने आंगन में देती वह खुशी
 जो किसी ने नहीं पाई 
तभी तो कहते हैं कि बेटे से भी बढ़कर होती है बेटी 
बेटी जिस घर में पैदा होती 
वह स्वर्ग बन जाता 
लगता जैसे जीवन के सपनों का संसार
 बेटी से ही मिल जाता |
 - दीपा परिहार ' दीप्ति '
जोधपुर - राजस्थान
बेटी
*****

वह कोमल फ़ूल
जो महकता है
किसी और आंगन में
जन्म लेती जहां
पनपती किसी और
आंगन में
पढ़ती लिखती जहां
लक्ष्मी बनती
किसी और आंगन में
चलना सीखती जहां
दौड़ धूप जीवन की
किसी और आंगन में
एक नहीं दो आंगन सजाती हैं
बेटियां तो
पिता,पति का अभिमान कहलाती हैं
सृष्टि की बन निर्माता
हाथों से कुम्हार हो जाती
मत मारों इन्हें गर्भ में
और ना ही करो शोषण इनका
इन्हीं से रोशन दो जहां हैं
इन्हीं से आबाद होता
पूरा जहां है।।।
- ज्योति वधवा "रंजना"
 बीकानेर - राजस्थान
 बेटी 
****

स्नेह की ध्वनि का करे, वो निनाद हर पल, 
हर पल चेहके, मुस्काएँ प्यारी बेटियाँ। 
कभी रुठे कभी मने, भैया बहिन रहे यूँ ही, 
पापा की तो होती सदा, लाडली ये बेटियाँ। 
काम काज करे नित, हार ये ना माने कभी, 
सीखें संस्कार फिर, सिखाए प्यारी बेटियाँ। 
इनको पढाओ तुम, इनको लिखाओ तुम, 
नवयुग हिंद का ,भविष्य प्यारी बेटियाँ।।
  - डॉ असीम आनंद
 आगरा - उत्तर प्रदेश
 बेटी
*****

मेरी मेंहदी निखर गई थी,
जब मेरे हाथों से,
झरती मेंहदी,
कुछ गीले - सुखे,,
अपने नन्हे कदमों से,,
छिपाती,दिखाती,,,,
मेरी लाडो ने,,
तुतलाती आवाज़ में कहा,,
मम्मा, मैं दुल्हन कब बनुगी?

पल भर में जैसे,,
सैलाब उमड़ आया,
अश्कों का तुफान,
मेरे पलकों  से लड़ झगड़,,
मेरे गालों पर ढुलक गई,,

हाय ,  मेरी बेटी, 
मुझे भी तुझे विदा करना  होगा
मेरी धड़कन को दूर करना होगा,
मेरी लाडो खुश रखना सबको,,

पहली बार मां  जब कहा था तुने,
मन मयूर नाच उठा था बेटी,
धन्य  हो गई मैं,
हुआ पावन मेरा जीवन।
       - सुधा कर्ण
        रांची -  झारखंड
बेटी
*****

मां बनकर ही जाना.. मां! तुम्हारी फिक्र,दर्द,गहराई.. अंधेरा होने से पहले...
लौट आना घर....
जब कहती थी तुम..
तक कितना भुनभुनाते थे  हम..
आज अंधेरा होते ही..
धड़कता है मेरा दिल..
सताती है बेटी की फिक्र, वही बिल्कुल वही..
दोहराती हूं मैं भी,
जो तुम से सुना था..
सुनकर उसी तरह बेटी भी भुनभुनाती है और..
पैर पटकती चली जाती है.. पर मैं जानती हूं..
कि मेरी तरह वो भी..
समय पर लौट आएगी! क्योंकि...
मां की बातें..
कितनी भी दुखे..
दिल जानता है..
अच्छी होती हैं..
अंतस के बिल्कुल अंदर.. कोने में बैठा है कोई..
जो हर बार मां की बात, मानने को मजबूर करता है. भले ही आज तुम,
दूर हो मां..
पर मैं भी तो..              
बेटी हूँ तुम्हारी 
जो माँ बनकर..
तुम्हें ही जी रही हूं..
लगातार..
ओ माँ !तुम्हारी स्म्रति के,
छलकते अश्रु कणों को.. समेट लूंगी में अंतस में.. क्योंकि यही तो थाती है..
 प्रेम की..
स्नेह की..
अनुराग की..
 मां की..
बेटी की! 
 - अंजु अग्रवाल 'लखनवी'     
अजमेर -  राजस्थान
 बेटी
****
बेटी बिन सब जग सूना..
जिस  घर में  बेटी होती ..
वह घर स्वर्ग से भी सुदंर है  ...
वह धरा जहां जन्म लेती..
वह माटी बन‌ जाती चंदन ..
जिस आँगन में  बेटी  खेली  ...
वह गंगा  का  पावन तट है... 
सारे जगत का तीर्थ महाकुंभ वहीं..
जिस घर में  बेटी  का  मान  होता ....
वहाँ सदा  धन लक्ष्मी का निवास..
मां अन्नपूर्णा भर देती उसके..
घर के सब भंडार....
जिस घर में बेटी  को
शिक्षित करते  वहाँ ..
 स्वयं सरस्वती देवी 
ज्ञान का  भंडार  भरती.... 
जिस  घर से  बेटी  की  डोली  सजती 
वहाँ  स्वर्ग से देवता  आशीष देते... 
जिस घर में  बेटी होती 
वहाँ सभ्यता, संस्कृति, संस्कार     
जैसे गुणों  का आभूषण होता ...
परिवार के  हर सदस्यों  के लिए 
  वह अनुकरणीय होती.... 
जिस  घर में  बेटी  होती   प्रेम, स्नेह  ,
ममता सदा  बरसती रहती... 
धैर्य धीरज आत्म मनोबल
हम सब सीखते बेटी से हैं...
 प्रकृति  की  अनमोल देन मनमोहनी 
शांत शीतल  जल सी होती है बेटी..
जब परम सौभाग्य होता...
तब जन्म लेती है बेटी..
कन्यादान करके तुम..
करोड़ों दान का पुण्य पाते हो..
सोचो  जब बेटी ना  होगी  
जग  सारा  सूना  सूना  होगा... 
कैसे  सृजन  संभव  होगा  ..
बेटी  बिन  सब जगत अंधेरा ..
बेटी को गर्भ में मत मारो...
दहेज, बलात्कार ,तेजाब जैसी...
घिनौने कृत्य को अब समाज में...
हम सभी‌ को मिल आगे बढ़कर ..
कठोर कदम उठाना होगा..
 बेटी ही हर रिश्ता निभाती...
कलयुग में घर घर देखो..
बुढ़ापे की मां बाप की लाठी..
बेटियां ही जग में बनती हैं...
बेटी बिन सब जगत सूना ..
आओ हम सब मिलकर संकल्प करें...
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ..
बेटी  आंख का तारा है..
बेटी अभिमान हमारा है..
बेटी से जन्म होता हर रिश्तों का..
बेटी बिन सब जग सूना ...
बेटी है तो सृष्टि सृजन ....!!!
- आरती  तिवारी  सनत 
दिल्ली
 बेटियाँ
****

जिनके जन्मदिन पर नहीं बजती है थालियां
माँ-बाप की सेवा करती है वही बेटियाँ 
जिसके जन्म दिन पर नहीं बंटती है मिठाइयाँ
क्या कमी है मुझमें सोचती हैं बेटियाँ 
जिसके लिए नहीं गाई जाती है लोरियाँ
बिन खाये ही सो जाती है बेटियाँ
अगर न होती घर-घर में बेटियाँ
तो कहां से मिलती माँ-बहन भाभियाँ  
अपने हक़ के लिए किसी से नहीं लड़ती है बेटियाँ
अपना हक भाई के लिए छोड़ देती है बेटियाँ 
उस आंगन में नहीं बजती है शहनाईयाँ
जिस घर में नहीं होती है बेटियाँ 
कन्यादान होता है महादान,
इस दान का हक देती है बेटियाँ
दुल्हन बनकर डोली में जाती है बेटियाँ
तब मां-बाप को बहुत रुलाती है बेटियाँ 
उनका जन्मदिन कभी नहीं जाता मनाया
पर मां-बाप को जन्मदिन पर उपहार देती है बेटियाँ
बेटा बस जाता है जाकर दूर देशियाँ 
"दिनेश" अंतिम समय में सहारा होती है बेटियाँ
औरत की दुश्मन पहले होती है नारियाँ 
फिर बाद में पुरुष करता है अपनी कारगुजारियाँ
- दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश" 
कलकत्ता - प. बंगाल
बेटी: एक अभिशाप
***************

आपत्ति - क्यों है तुम्हें
जब कोई माँ कराती है भ्रूण टेस्ट
या अबॉर्शन/ 

विवश होती है वह /मिटा देने को 
अपनी ही बेटी का अस्तित्व
अपनी कोख में!

क्या इसलिए कि/जब वह
जन्म देती है बेटी को
तुम्हारे भीतर का 'दानव'/ होता है पुल्कित? 
 हिचकोले मारने लगती हैं
हवस तुम्हारी?

क्योंकि-कल को यही करेगी तृप्त
तुम्हारे जिस्म की अग्निज्वाला को ?
परोसेगी स्वयं को/ तुम्हारे हवाले / 
बिस्तर पर होगा
'गर्मागर्म' गोश्त उसका...?

छोड़ दो अब ये/दीवारों पे
लंबी लंबी लाईने या चेतावनी

 लिखना - कि भ्रूण टेस्ट/भ्रूण हत्या/है
कानूनन अपराध/ कराने दो बेबस, लाचार
माँ को 'अबॉर्शन'/ताकि जन्म से पूर्व ही कर
सके वह/अपने हाथों सूनी- अपनी कोख
खात्मा हो जाये/गर्भ में ही 'बेटी' रूपी 
अभिशाप का/फिर रह सके वह /
निःसंकोच सुखी  जीवन भर ?

और बचा रह सके -  समाज
बेटियों के सरेआम बलात्कार /हत्या
इज्ज़त की लूटमार  से..न हो कोहराम
देश में बेटियों के चीरहरण का
फिर कभी...?
- मोहम्मद मुमताज़ हसन
 गया - बिहार
बिटिया
********

हवा से हल्की 
बिटिया की मुस्कान 
मिटे थकान. 

माँ की है सखी 
बेटी,पिता की मीत
भाई की प्रीत. 

सुने कहानी 
रोज़,बिटिया रानी 
बाबा जुबानी. 

हिय में शूल 
छोड़ चली अंगना 
नैनों का नूर. 

है माँ की परी 
पापा की सोनपरी
खोजती पंख. 
   - सीमा स्मृति 
 विहार - दिल्ली
 बेटी का दर्द
**********

होती बच्ची युवा जब, मां बाप की बढ़े चिंता,
विवाह शादी की सोचते, लड़का नहीं मिलता,
मन पसंद लड़का मिले, दहेज मांगते वो भारी,
जमीन जायदाद बेचकर, दहेज देने की तैयारी।

बेटी जाती बहु बनकर,दहेज लोभी हो सक्रिय,
उनको बहु गुण नहीं चाहिए,दहेज लगता प्रिय,
कई तरीकों से तंग करे, मांगते मोटर और कार,
दहेज जुटा जुटाकर पिता, जाता बेचारा वो हार।

सास, ससुर,देवर, देवरानी, बदलते अपना रूप,
सोने के गहने मांगे, ,बनकर राक्षस और कुरूप,
पढ़ी लिखी वो बेटी, बच्ची,जाती है जीवन हार,
आंसू बहाते रहते परिजन, भूल जाते प्यार व्यार।

एक दिन वो भी आता, दहेज की बने बलिवेदी,
अखबारों में मिलता लिखा,एक ओर जान दे दी,
रुकने वाला नहीं लगता,सिलसिला बहुत पुराना,
बड़ी बीमारी होती दहेज, हर जन ने यही माना।

जीवनभर बेटी कमाती, बेटियां घर को सजाती,
दुनिया बहुत रोती जब, बेटी घर पैदा हो जाती,
मां-बाप की  सेवा करती,जमाने से थोड़ा डरती,
जब ससुराल जाती तो,सास ससुर के कष्ट हरती।

पीहर में मायके की चिंता,मायके में पीहर की
दो घरों को सजाती दाता उसे देखके मुस्कुराता,
जब ढहाती कहर उस पर,जाती कभी ससुराल,
दान दहेज ढो बेचारी,जिंदगी में होती लाचार।

नाम कमाए जग में ,सीता,सवित्री,इंदिरा,कल्पना,
जग पिता उन्हें दे जीवन,उनका भी हो सपना,
बेटी से बड़ी नहीं दौलत, कहता है जग सारा,
बेटी रहती सुख दुख में, रहे उन्हें पिता प्यारा।।
- होशियार सिंह यादव
 महेंद्रगढ़ हरियाणा
   बेटियाँ
******

बहुत सी बेटियाँ,
खिलखिलातीं,
इतराती, इठलातीं,
तितलियों की तरह बातें करतीं,
आ पहुँचीं, मंडराने झूलों पर, 
गुनगुनी धूप में।
तू-तू और  मैं-मैं के शोर के साथ,
चिड़ियों सी चहचहातीं,
पेंग मारती हुयीं,
अपने झूलों को,
हवा में तेज और तेज, उठाने का उपक्रम करतीं,
ये बेटियाँ मानो आसमान नाप लेना चाहती हों,
कल्पना की ऊँची-ऊँची उड़ाने भरतीं,
ये छरहरे बदन वाली बेटियाँ,
मस्ती के आलम में डूबी हैं,
अरे! हाँ, उनके गिरने का भी डर है,
सुनो!
रोको न कोई,
इस उम्र की यही रीत है,
मस्त होने दो उन्हें,
डूबने दो उन्हें, इस खुशी में, 
क्या पता? फिर कभी ये क्षण मिले न मिले,
यौवन की पदचाप से ही सिहर जाएंगीं वे, 
इसलिए, गुंजा लेने दो इन्हें, 
इनके हिस्से की धरती और आसमान,
नाप लेने दो  इन्हें आकाश,
पता नहीं, फिर इनके मन,
झूलों के लिए मचलें या नहीं,
झूल लेने दो इन्हें, जी भर के,
यह बचपन है! लड़कपन है!  बेटियों का,
समय की हवा में, पर्त दर पर्त,
खो जाएगा कहाँ? 
इसलिए उनकी यादों में, 
लड़कपन की इस शाम को बस जाने दो।
- प्रज्ञा गुप्ता 
बाँसवाड़ा - राजस्थान
               बेटियाँ               
              ********           

प्यार से पालो कलेजे ,
              के हैं टुकडे़ लड़कियाँ ।
स्वर्ग धरती पर बसाने ,
            को हैं आती लड़कियाँ ।।

घर की बौराई टहनियों ,
            की  हिफाज़त  के लिए ।
ग़म  की  तपती धूप में ,
        खामोश जलती लड़कियाँ।।

 लाल कोंपल शस्यश्यामल ,
            फूल सा नाजुक बदन  ।
गिरती  जेसे  पेड़ से ,
        पत्ती बिछड़ती लड़कियाँ ।।
-   डाः नेहा इलाहाबादी
 दिल्ली
बेटी
****
बेटियाँ अरमान हैं,
बेटियाँ सम्मान हैं ।

बेटियाँ तो हर्ष हैं,
बेटियाँ जयगान हैं।

बेटियाँ तो तेज हैं,
बेटियाँ उत्थान हैं ।

बेटियाँ तो रोशनी,
बेटियाँ कुल-जान हैं।

बेटियाँ तो हैं सरल,
बेटियाँ सहगान हैं।

बेटियाँ जीवन सुखद,
बेटियाँ तो प्रान हैं।

बेटियाँ तो गर्व हैं,
बेटियाँ अभिमान हैं ।
                       - डॉ नीलम खरे
                       मंडला - मध्यप्रदेश
                                  बेटी   
****

सुबह की सुहानी भोर है जो
चिड़ियों की चहचहाहट है जो
गुलाबों सी सुगंधित हवा है जो
गंगा सी निर्मल धारा है जो

आँखो की उज्ज्वल रोशनी वो
सांसों की चलती धड़कन है वो
हाथों में जिसके  सरस्वती का वास।
सारे घर की वो है खास।

जिसके होने से है मेरा वज़ूद
जिसके हँसने से दिल है मज़बूत
जिसके चलने से थिरकती है चपला
वो चंचला वो कपिला वो मेरी संपदा।

जिसके बोलने से खिलते है फूल
जिसके हिलने से बहते है झरने
वो और कोई नहीं बिटिया है मेरी
बेटा वंश तो बिटिया भी अंश मेरी।
- सीमा मोंगा
रोहिणी - दिल्ली
  बेटी
****

बेटी का सम्मान करो
बेटी पर अभिमान करो।
घर की यह लक्ष्मी है।
सुबह शाम ध्यान करो।

बेटियां ही माता बनी
बेटियों से परिवार।
बेटियों के बिना नहीं,
जिंदगी   सुमार  है।

बेटियां है खिलती
 गुलाब की पंखुड़ी।
भोली   भाली  सीधी 
साधी जनक सुतावरी।

गार्गी   सुमित्रा    और
 सीता के समान भी।
देश की    ही बेटियों 
का आज सम्मान है।

बेटियां ही घर और समाज की है गुलशन।
एक कुल नहीं दोनों
 कुल को है तारती।

किसी की    है दुल्हन किसी की है बेटी बहन।
किसी की है बुआ नानी
किसी की है धड़कन।

घर से आवास तक 
पूरे इस समाज तक।
बेटियों की भूमिका गुंजायमान होती है।

बेटियां ही एक सूत्र में पिरोयी    मालाएं हैं।
उनको समझने का
 बोध होना चाहिए।

देश में कुरीतियां जो
 बढ़ रही आजकल।
बेटियों की शान में बाधाएं डालती है वह।

देश का विकास हो या घर का विकास हो।
आज हर क्षेत्र में 
बेटियों का  ही मान है।

बेटियां अपाला दुर्गा लक्ष्मी और जीजाबाई।
विश्व जग माता है यह
बेटियों का मान करो।
- अन्नपूर्णा मालवीय सुभाषिनी
प्रयागराज - उत्तर प्रदेश
 बेटी
***

बड़ी प्यारी होती है बेटियाँ
पिता की जान
माँ की परी होती है बेटियाँ ।
फर्ज निभाती है
बिन कहे सब कुछ
समझ जाती है बेटियाँ ॥
ईश्वर का वरदान
घर आँगन में खिलखिलाती है
जब थका हारा 
घर आता हुँ
झट पानी का गिलास लिए
मुस्कुराती है बेटियाँ ।
हर थकान हर परेशानी
हो जाती है दूर
मै मुस्कुरा उठता हूँ
जब मुस्कुराती है बेटियाँ ॥
- नीमा शर्मा ' हँसमुख ' 
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
 बिटिया की चाहत
**************

 मैं प्रकृति की कोमल कली,
 मैं भी धरा पर आना चाहती हूं।
 तुम क्यों ?निर्दई मानव मुझे ,
 अवतरित से पहले रौद डालते हो।
 मै ही दुर्गा मै ही सरस्वती,
 मैं ही लक्ष्मी मैं ही गायत्री।
 अगर मैं ना रहूं अस्तित्व में,
 तो भयानक होगा तुम्हारा दुर्गति।
 क्या तुम अकेला मानव परंपरा बना पाओगे,
 समय रहते तुम नहीं जागे तो,
 बाद में पछताओगे।
 लिंग भेद करने वाले मानव,
 कैसे ओछे विचार रखते हो।
 बिना बेटी के वे निकम्मे,
 क्या दुनिया रच सकोगे।
 बेटी के बिना व्यवस्था कहां,
 अव्यवस्था समाज में फैलाओगे।
 बेटी को ना समझने वाला मानव,
 समझदारी आने पर बेटी के लिए तरसोगे।
   बेटी है घर संसार की रौनक,
 बेटी का सम्मान करो।
 बेटी है दोनों कुल का उद्धारक,
 बेटी को तुम  स्वीकार करो।
-  उर्मिला सिदार 
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
   बिटिया 
******

अपनी दादी की नातिन हो तुम
अपने पापा की परी हो तुम 
अपनी मम्मी की लाडली हो तुम
अपने भाइयों की प्रिय बहन हो तुम
 अपने ससुर के लिए लक्ष्मी हो तुम               
 अपने सासू मां की बिटिया हो तुम               
   अपने ननद की भाभी हो तुम
दोनों कुल को तारने वाली देवी हो तुम
फूलों सी कोमल हृदय वाली हो तुम
माँ बाप की एक आह पर ही रोती हो तुम 
भाई के प्रेम में खुद को भुला देती हैं हो तुम 
बड़े नसीब वालों के घर जन्म लेती हो तुम
घर आँगन को खुशियों से भर देती हो तुम
देवालय में बजते शंख की ध्वनि हो तुम
देवताओं के हवन यज्ञ की अग्नि हो तुम
खुशनसीब हैं वो जिनके आँगन में हो तुम
जग की तमाम खुशियों की जननी हो तुम
खिलती हुई कलियाँ हो तुम
माँ-बाप का दर्द समझती हो तुम
घर को रोशन करती हो तुम
जिस घर में  ऐसी  बिटिया हो,
वह घर स्वर्ग बन जाता है
वहां साक्षात लक्ष्मी का वास होता है
 ऐसी बिटिया को राम बिहारी प्रणाम  करता है
- राम बिहारी पचौरी
भिंड - मध्य प्रदेश
 बेटियाँ
******

माँ-बाप का दिल का टुकड़ा, स्वाभिमान हैं बेटियाँ ।
माँ-बाप की इज्जत और अभिमान हैं बेटियाँ ।
सदा वो खुश रहे, यही देते आशीर्वाद हैं,
सपनों को सच करती वो, अरमान हैं बेटियाँ ।


घर को आबाद करती, बेमिसाल हैं बेटियाँ ।
माँ-बाप का भी रखती खूब ख्याल हैं बेटियाँ ।
बाबुल के घर को पराया मानती ये दुनिया,
क्यूँ करे स्वीकार, पूछती सवाल हैं बेटियाँ ।

  -  रंजना वर्मा उन्मुक्त
रांची - झारखण्ड
             बताओ ना              
**********

क्यों हो गई आज पराई बताओ ना? 
    
 बगिया की सोन चिरैया 
           आंगन की नन्ही बेलिया
                 दादू की आंख का तारा 
                    दादी का जग उजियारा
क्यों भेज रहे मुझे दूर बताओ ना?
         
ये कैसी जगत की रीतें
             अपने जो जान से प्यारे
                  पल भर में पराये होते
                      रिश्ते जो जन्म ने बांधे। 
क्यों नव बंधन ये आज बांधे हैं बताओ ना? 
           
कभी झूठे ही यदि रो पड़ती
                घर देहरी उदास हो जाती 
                    मेरी एक आह सब घर की
                       गूंगी चीखें बन जातीं। 
क्यों आंसू रंज ना आज दिख रहे बताओ ना? 
         
 बिछिया सिंदूर महावर 
             जो बोल पाते तो बताते
                 मेरे हिया की करुण पुकार 
                    शहनाई बांसुरिया सुनाते। 
क्यों सुनी न करुण गुहार उनकी बताओ ना?
    
आंसू की भाषा ने 
                लिखे इतिहास कई
                      बिटिया के बलिदानों की
                           साक्षी हैं गाथा कई             
क्यों उसका कोई अपना घर नहीं बताओ ना?
       
 कुछ ऐसा कर दो बाबुल
             जग जगती करे सम्मान
                  देही ना बने आहुति
                      भले जीवन यज्ञ महान
बेटी है सृष्टि आधार जग को बतलाओ ना। 
     -  हेमलता मिश्र मानवी
 नागपुर - महाराष्ट्र
बेटी
****

कुदरत का वरदान है बेटी 
आन बान और शान है बेटी
सदियों से प्यासी धरती पर
बारिश का अरमान है बेटी


पिता का अभिमान है बेटी
तन-मन-धन और प्राण है बेटी
तरस रही माँ की ममता पर
पर्वत सी अविराम है बेटी

तारों का आयाम है बेटी
नवग्रह मंडल व्योम है बेटी
सृष्टी के विराट हृदय पर
चंदा का पैगाम है बेटी


गंगा सी निर्मल पावन बेटी
सिंधु सतलज नील है बेटी
कुरूक्षेत्र सी युद्धभूमि पर
अटल अमिट संग्राम है बेटी...
- कु.गीता रामकृष्ण तिवारी
   नागपुर - महाराष्ट्र
 बेटी
 ****

बेटी तो कोमल कली ,बेटी तो  तलवार ।
बेटी सचमुच धैर्य है,बेटी तो अंगार ।।

बेटी है संवेदना,बेटी है आवेश ।
बेटी तो है लौह-सम,बेटी भावावेश ।।

बेटी कर्मठता लिये,रचे नवल अध्याय ।
बेटी चोखे सार का,है हरदम अभिप्राय ।।

बेटी में करुणा बसी,बेटी में है धर्म ।
बेटी नित माँ-बाप प्रति,करती पूरा कर्म ।।

बेटी तो ममतामयी,पर वीरों की वीर ।
हर लेती परिवार की,हो कैसी भी पीर ।।

बेटी है मानो धरा,बेटी है आकाश ।
बेटी के गुण को सदा,समझे यह युग काश ।।

बेटी सेवा,श्रम लिये,करती है उपकार ।
बेटी से ही सृष्टि को,मिलता नव आकार ।।

बेटी अनुसंधान है,बेटी है विज्ञान ।
बेटी तो अध्यात्म है,बेटी है सम्मान ।।

बेटी सूरज की किरण,बेटी है उजियार ।
बेटी  शीतल चांदनी,परे करे अंधियार ।।

बेटी बेटे से भली,है वह खिलती धूप ।
परम शक्तियां आ गईं,ले बेटी का रूप ।।
           --प्रो.शरद नारायण खरे
      मंडला - मध्यप्रदेश
बेटियाँ 
*****

बिन कहे ही सब जान जाती हैं 
दिल का गहना होती हैं.. 
मन के भावों को पढ़ती हैं.. 
अँगना में रुनझुन सी.. 
आते जाते लगती हैं... 
सयानी सी होती हैं 
मंदिर की घंटी सी... 
घर को सुरमयी करती हैं... 
बेटियाँ वरदान सी... 
सबसे प्यारी होती हैं... 
- पूजा नबीरा 
 नागपुर - महाराष्ट्र
 बेटियां 
******
 
निर्मल - निश्छल , 
सजल , कोमल ,
मन के सागर में
जैसे खिलता
कमल
होती है बेटियां  ।

होंठो की हंसी ,
आंख का
पानी भी होती है ,
जीवन के हर खूबसूरत
पल की रवानी भी होती है ।

बेटियों से घर - आंगन
चहकता  है ,
जैसे गमले में
गुलाब का पौधा
महकता है ।

माँ - बाप के लिए
इक परी होती है ,
रिश्ते निभाने में 
हर बेटी खरी
होती है ।
आसमान का तारा ,
चांद की चकोरी - सी
मिठासा बताशा और
खीर की कटोरी - सी
होती है बेटियां ,
नाजुक रेशम की डोरी - सी 
होती है बेटियां ।
रस्मो - रिवाज और
कसमे - वादों के डगर
में , 
जिंदगी बेटियों की
गुजर जाती है
रिश्तों के भंवर में ,
इस तरह उलझ कर
रह जाती है बेटियां ।
हर रिश्ते को दिल
से निभाती है बेटियां ।
गम - ओ - खुशी
मुस्कुराकर सह जाती
है बेटियां  ।
-  डॉ. जयप्रकाश नागला 
नांदेड़ -महाराष्ट्र
बेटी 
****
                    
सुना है बेटो से ज्यादा बेटियाँ मान रखतीं हैं ,
देखा है बेटो से ज्यादा सभी का ध्यान रखतीं हैं .

रे अब तो कोई रोको ना राहों को ,
रे अब तो पूरी करने दो चाहो को ,
कहीं कोई ख्आब टूट ना जाये, 
कि मन में कोई आशा छूट ना जाये ,
माना है... बेटो से ज्यादा निज सम्मान रखतीं हैं .
सुना है..............
        
रे अब नहीं अबला सबला बनके निकली, 
रे अब तो उसने छवि बनायी उजली ,
कि लेके सारी जिम्मेदारी उठाके ,
कि उसने दो-दो कार्यक्षेत्र सँभाले, 
देखा है.   बेटो से ज्यादा पिता का मान रखतीं हैं .
सुना है............... 

रे अब तो पूरा आसमा उड़ाने भरेगी,
कि अब तो कोई समझौता ना करेगी,
ना रोको, टोको लक्ष्य भरी उडा़नो से ,
उड़ाने ऊँची करने दो स्वयं पंखो से ,
माना हैं ..बेटो से ज्यादा उडा़ने पूरी करतीं हैं .
सुना है........... 

रे अब तो कोई रोके से ना रुकेगी,
रे अब तो अपनी मंजिल पूरी  करेगी ,
कि अब तो जानी जाये निज पहचानो से ,
कि अब तो आगे बढ़ती जायेगी शानो से ,
सुना है बेटो से ज्यादा बेटियाँ नाम करतीं हैं .
सुना है........ 

कि मेरी बिटिया पढ़ लिख नाम करेगी ,
कि मेरी गुड़िया पिता की आन बनेगी,
रे सुन लो अब तो राहें रोकने वालो,
कि मेरी लाडो खुद राहें तय करेगी, 
देखा है बेटो से ज्यादा मेरी पहचान बनती है. 

सुना है बेटो से ज्यादा बेटियाँ मान रखतीं हैं !
देखा है बेटो से ज्यादा सभी का ध्यान रखतीं हैं ....!! 
   - कृष्णा उपाध्याय 
आगरा - उत्तर प्रदेश
बेटी है तो कल है 
*************

देखो कितनी भोली भाली और कितनी चंचल है 

पथरीली धरती पर जैसे शीतल निर्मल जल है 

बेटी है तो कल है बेटी है तो कल है 

बेटी नहीँ होगी तो बोलो बहू कहाँ से आयेगी 

ये समस्या विकट है बेटी नहीँ बची तो अंधकार निकट है 

बेटी अगर बचालोगे तो सभी समस्याओं का हल है 


पहन के पायल ठुमकेगि वो चिड़िया जैसै फुदकेगी 

कितनी कोमल कितनी चंचल और कितनी निर्मल है 

तपती हुईं रेत पर जैसे नदिया की कल कल है 
बेटी है तो कल है 

कभी लगाती बिन्दी टिकुली कभी पहनती पायल 
साड़ी पहन के दिखलाती है हँसती है वो खिल खिल 

खद्दर जैसे जीवन मेंं वो ढाके की मलमल है 
बेटी है तो कल है 

हर तरफ़ है मारामारी लूट खसोट और भ्रष्टाचारी 
इनसे लड़ने की तैयारी 

साथ मेंं यदि हो इक नारी 
दुर्गा जैसी या झलकारी 
बहुत बड़ा संबल है 

बेटी  है तो कल है 

बेटियाँ है आरती गंगा है गायत्री है भारत माता भारती  बेटियाँ कृष्णा कावेरी 

बेटियाँ हैँ नर्मदा झेलम और रावी चिनाव बेटियाँ यमुना हैँ बेटियाँ चंबल है

बेटी है तो कल है
- डॉ रमेश कटारिया पारस
ग्वालियर - मध्य प्रदेश


Comments

  1. जिन्दगी की एक प्रतिलिपि छाया रूपेण चलती है साहित्य उसका इन्द्रधनुष और जैमिनी अकादमी उसकी तुलिका - संचालक , संपादक , प्रशासक आदि उसके कैनवास बोर्ड सपोर्ट आशय ये सब कहने का बस इतना की एक एक इंसान जो जो आपसे जुडा या आपके इस महती यज्ञ में सहयोगी / एक एक हीरे के समान आपके पटल की शोभा हैं - उसका सम्मान पटल का सम्मान है / आभार सहित / आपका मित्र - डॉ अरूण कुमार शास्त्री

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  2. अद्भुत और अद्वितीय आप का कार्यक्रम 🙏
    इतने सुंदर कार्यक्रम के आयोजन हेतु आदरणीय संचालक महोदय और पूरी टीम को बहुत-बहुत बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं 🙏
    मुझे सम्मान पत्र देकर सम्मानित कर गौरवान्वित महसूस कराने के लिए आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद और हार्दिक आभार 🙏🌹🙏

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