क्या संघर्ष व्यक्ति के संयम और परिश्रम का परिणाम है ?

संघर्ष जीवन का श्रृंगार है । संघर्ष बिना जीवन असम्भव है ।  संघर्ष के लिए संयम और परिश्रम की आवश्यकता पड़ती है । जिससे संघर्ष सफल होता है । यहीं कुछ जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
"न संघर्ष न तकलीफ तो क्या मजा जीने  में,
वड़े बडे तुफान थम जाते हैं
जब  आग लगी हो सीने में"
 देखा जाए तो जीवन एक संघर्ष है, बिना संघर्ष जीवन अधुरा है, संघर्ष से व्यक्तित्तव में निखार आता है तथा संघर्ष ही हमें जीवन वो ताकत देता है जिससे जीवन भर सफलता हासिल करने की मजवूती मिलती है प्रत्येक प्राणी संघर्ष करता है कोई ज्यादा कोई कम लेकिन बिना परिश्रम  जीवन का आनंद लेना मुश्किल हो जाता है क्योंकी हर प्राणी को अच्छी जीवीका के लिए संघर्ष करना पड़ता है, 
तो आईये आज यही चर्चा कपते हैं कि क्या संघर्ष व्यक्ति के संयम और परिश्रम का परिणाम है, 
मेरा मानना है  कि सचमुच संघर्ष संयम और परिश्रम  का ही परिणाम है 
यह बात सच है जिसके पास संयम नहीं है वो परिश्रम कर ही नहीं सकता, 
इसके एलावा हर प्राणी को भी अपनी जीवका के लिए संघर्ष करना पड़ता है और जैसा हम संघर्ष करेंगे  उसी के हिसाव से हमें फल मिलता है, 
यही महीं संसार में प्रतिष्ठता, नाम, शोहरत तरक्की व किसी भी लक्ष्य को पाने के लिए संघर्ष अत्यंत जरूरी है, 
संघर्ष के बाद जो सफलता मिलती है वो अतुलनिय होती है
इसलिए जब तक जीवन मे संघर्ष नहीं होता तब तक जीने का अंदाज व  सच्ची खुशी  नहीं मिलती, 
अन्त में यही कहुंगा कि संघर्ष जीवन का सबसे बड़ा वरदान है यह हमारी  आंतरिक एंव  वाहरी शक्ति को  बढ़ाने में मदद करता है, 
इसके कारण ही  व्यक्ति कि छिपी हुई प्रतिभा बाहर आती है, जीवन में कठिन से कठिन   कर्मों को संघर्ष से ही प्राप्त किया जा सकता है व यह सुखमय जीवन का फल है, 
यह एक ऐसा अनमोल साधन है जिससे हम जीलन की मुश्किलों को दूर कर सकते हैं, 
देखा जाए तो हर संघर्ष जीवन को चमकाने में मदद करता है और सफलता की नींव संघर्ष  से ही पैदा होती है बशर्ते व्यक्ति में संयम और परिश्रम की लगन हो, 
सच कहा है, 
"जीवन के संघर्ष  में टूटा हुं
बिखरा भी हूं
ऐ जिन्दगी तेरी ठोकरों से निखरा भी हूं"
- सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू कश्मीर
जीवन में किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हमें संघर्षरत होना पड़ता है और उसके साथ ही परिश्रम भी करना पड़ता है ! अपनी प्रतिभा को निखारने में भी हमें परिश्रम लगाना होता है ! 
आज कंपटीशन का जमाना है जहां संघर्ष है वहां हार जीत तो लगी रहती है ! यदि हमें अपने अथक प्रयास और संघर्ष के बाद भी सफलता नहीं मिलती तो व्यक्ति संयम और धैर्य के साथ और परिश्रम कर लक्ष्य तक पहुंचने की कोशिश करता है बार-बार के संघर्ष का रुख करते हुए भी सफलता नहीं मिलती तो वह अपना संयम खोने लगता है !क्रोध और ईर्ष्या से भर वह विवेक हिन होने लगता है! उसकी इंद्रियां उसके वश में नहीं होती ! संघर्षरत हो अथक परिश्रम के बावजूद वह अपने लक्ष्य तक पहुंचने में नाकामयाब होता है उसका विवेक काम नहीं करता !
अतः ठंडे दिमाग से संयमता के साथ धैर्य रखते हुए शांत चित्त से परिश्रमता के साथ-साथ कार्य करता है तो वह अवश्य अपनी मंजिल पा ही लेता है ! 
               - चंद्रिका व्यास
               मुंबई - महाराष्ट्र
     जीवन यापन करने में संघर्ष की अहम भूमिका होती हैं। जिसनें भी संघर्ष को जीत लिया, वह अजर अमर हो गया। पूर्व में ॠषि मुनि, महात्माओं, समसामयिक विभूतियों  को देख लीजिए  उनकी पहचान, उनके संघर्षों से होती थी, संयम और परिश्रम उनके व्यक्तित्व का एक अभिन्न अंग अध्याय होता था, आज भी कामयाबी का परचम लहरा रहा हैं। परन्तु वर्तमान परिदृश्य में कोई भी संघर्षों का सामना नहीं चाहता, वह अपेक्षाकृत रुप से चरमोत्कर्ष पर पहुंचना चाहता हैं, जिसके कारण तुरंत तो सफलताओं की सीढ़ियों पर पहुंच कर फिर विनाश की ओर अग्रसर हो जाता हैं, यह प्रत्यक्ष अनुभव प्रायः देखने को मिलता हैं। आज मानव तंत्र पूर्णतः लोभायमान होते जा रहा हैं। इसलिए नाकारात्मक को छोड़कर, सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए लक्ष्य की ओर परिदृश्यों में सार्थक पहल निस्वार्थ भाव से सम्पादित करनी चाहिए।
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर' 
  बालाघाट -मध्यप्रदेश
बिना संघर्ष के इंसान चमक नहीं सकता लिए
जो जलेगा उसी दिये में उजाला होगा ll
महत्वकांक्षाएं व्यक्ति को संघर्ष के लिए प्रेरित करती हैं l प्रतिस्पर्धा की भावनाएं इसके मूल में निहित हैं l प्रतिस्पर्धा में विजय श्री हेतु संयम एवं परिश्रम की आवश्यकता है l
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में संघर्ष के मायने अधिक धन अर्जन से संबंधित है लेकिन मेरी दृष्टि में जीवन में सबसे बड़ा संघर्ष शारीरिक और मानसिक विकारों से मुक्ति पाने का होना चाहिए l इसमें संयम और परिश्रम अपना अहम रोल अदा करते हैं l अनैतिक और भ्रष्ट तरीके से कोई भी धनवान हो सकता है लेकिन उसका यह संघर्ष और परिश्रम से उतपन्न संघर्ष का प्रतिफल कदापि नहीं हो सकता l
जीवन की सार्थकता उसी अवस्था में है जब मानव हित के लिए संयम और परिश्रम से प्रेरित संघर्ष आपको आत्म संतुष्टि प्रदान करने में सक्षम हो l डॉ. कलाम का जीवन हमें ईमानदारी, संयम और परिश्रम सिखाता है l कहा गया है -"बुद्धि:कर्मानुसारिणी l "
तब ही संयम और परिश्रम हमें संघर्ष के लिए प्रेरित करते हैं l
          चलते चलते ---
साहिल के सुकून से किसे इंकार है
          लेकिन...
तूफान से संघर्ष करने में मज़ा कुछ और है l
     - डॉ. छाया शर्मा
 अजमेर -  राजस्थान
मनुष्य को जीवन में विभिन्न परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। संयमित परिश्रम मनुष्य का एक ऐसा गुण है जो विपरीत परिस्थितियों में उसकी संघर्ष क्षमता में वृद्धि करता है। 
अपने लक्ष्य प्राप्ति हेतु सभी मनुष्य को जीवन में कभी न कभी हताशा घेर लेती है और उसके बढ़ते कदम ठहर जाते हैं। इन ठहरे हुए कदमों को गति देने के लिए मनुष्य को अत्याधिक परिश्रम युक्त संघर्ष करना पड़ता है परन्तु यह संघर्ष भी शीघ्र परिणाम नहीं देता। यहां पर मनुष्य के संयम की परीक्षा होती है। 
इसलिए कहता हूँ कि...... 
मिलना विपरीत परिस्थितियों का जीवन में दोस्तों, 
समान है, खिलना गुलाब का कांटों के बीच में दोस्तों ।
संयमित परिश्रम से संघर्ष ही मंजिल तक ले जाता है, 
कश्ती को भी नहीं मिलता किनारा शांत धारा में दोस्तों।
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग'
देहरादून - उत्तराखंड
जीवन अत्यंत कठिनाइयों से भरा हुआ है। पग पग में व्यक्ति को सफलता प्राप्त करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। संघर्षशील व्यक्ति परिणाम की आशा तो अवश्य करता है परन्तु उसको  सफलता मिल ही जाएगी यह विश्वास नहीं होता है।उसका कारण यह है कि उसके सामने कई ऐसे उदाहरण होते हैं जो आजीवन संघर्ष तो करते हैं पर उनको उन्नति नहीं मिलती है।
      इतना अवश्य कहा जा सकता है कि संघर्ष करने वाला व्यक्ति संयमी अवश्य हो जाता है क्योंकि उसका मूल उद्देश्य जीवन में अपना लक्ष्य पाना होता है।अतः स्पष्ट है कि संघर्ष व्यक्ति के मन में स्वयं के परिश्रम के प्रति यह विश्वास अवश्य होता है कि कर्म किया जाए फल की चिंता न की जाए।
डॉ० विभा जोशी (विभूति)
दिल्ली
       व्यक्ति का संघर्ष उसके परिश्रम को दर्शाता है। परन्तु संयम उसकी अथाह विवशता होती है। चूंकि कोई भी पीड़ित व उत्पीड़ित व्यक्ति इतना संयम नहीं रख सकता। जिसकी सीमा असीम हो और अंतहीन प्रमाणित भी हो जाए।
        उल्लेखनीय है कि इंसान से लेकर पशु-पक्षी तक कोई भी अपनी इच्छानुसार संघर्ष नहीं करना चाहता और जो भी कोई संघर्ष करता है उसके पीछे विवशता और मात्र विवशता होती है।
      उसी विवशता के कारण रांझा योगी बन जाता है और हीर को विष खाना पड़ता है। इसी प्रकार महिवाल को अपनी जांघ का मांस सोहनी को खिलाना पड़ता है और सोहनी चिनाब के बाढ़ग्रस्त फर्फीले पानी की तेज धाराओं को कच्चे घड़े पर तैरने से पीछे नहीं हटती। जिससे वह मृत्यु को प्राप्त हो जाती है। जिसे देखकर महिवाल भी उसी पानी में अपने प्राणों की आहुति दे देता है और दोनों का प्रेम अमर हो जाता है।
       अतः मेरा मानना है कि संघर्ष व्यक्ति को परिश्रम की प्रेरणा देता है। जिसका परिणाम व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाता है और संयम उसकी पुष्टि करता है।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
जी बिल्कुल संघर्ष व्यक्ति के संयम और परिश्रम का परिणाम है ।
प्रत्येक  प्राणिमात्र ईश्वर की ऐसी अद्भुत रचना है जो बिना संघर्ष के जीवन यापन नहीं कर सकता।
 हाँ इसकी मात्रा कम या अधिक हो सकती है ।
जीवन एक अग्निपथ है और बिना परिश्रम बिना संघर्ष जीवन  का आनंद लेना असंभव है।
 हर व्यक्ति अपने अपने तरीके से संघर्ष करते हुए जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं ।संयम धारण कर परिश्रम करना ही संघर्ष है  और संघर्ष   किये बगैर सफलता  नही मिलती । अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने हेतु संघर्ष तो करना ही होगा ।
बस किसी को ज्यादा संघर्ष करना होता है और किसी को कम संघर्ष में ही सफलता  मिल जाती है ।इसे ही हम किस्मत कहते हैं ।
- सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
संघर्ष के बिना जीवन अधूरा है। संघर्ष से जानकारी होती है कि दुनिया कैसी है? इससे व्यक्तित्व में निखार आता है। संघर्ष ही जीवन में ताकत देता है। जिससे जीवन भर सफलता प्राप्त होने में मददगार मिलता है। जिसने संघर्ष नहीं किया वह सफल इंसान नहीं हो सकता है। अतः संघर्ष से कभी नहीं घबराना चाहिए इससे जीवन के हर क्षेत्र में सफलता की राह दिखाई पड़ती है।
लेखक का विचार:---संघर्ष एक अनमोल साधन है। जिससे जीवन की मुश्किलों को एक नया आयाम मिलता है। सहनशीलता, संवेदनशील बनाता है।
दुखों पर काबू पाने के लिए संघर्ष ही एक रास्ता है। हर संघर्ष से जीवन चमकता है।
अतः सफलता के नए संघर्ष पर खड़ी है।
*यही जीवन की सफलता का मूल मंत्र है*।
- विजयेन्द्र मोहन
बोकारो - झारखंड
संघर्ष के बिना जीवन में कुछ नहीं। जीवन में आगे बढ़ना है, सफलता प्राप्त करनी है ,तो संघर्ष करना ही पड़ेगा । संयम हमें संघर्ष के रास्ते पर प्रयासरत रखता है । संघर्ष व्यक्ति के शक्ति और प्रगति का पर्याया है।
 जन्म से ही संधर्ष शुरू हो जाता है। संघर्ष अपना रूप तय करता है, छोटे कार्य के लिए छोटा संघर्ष,बड़े कार्य के लिए बड़ा संघर्ष।
 जितना बड़ा संघर्ष होगा उतनी बड़ी सफलता होगी। संघर्ष शक्ति अग्नि की भांति होती है मनुष्य उस में जितना तपता है, उतना ही निखरता है। 
अतः संघर्ष ही जीवन है ,जीवन ही संघर्ष है । जीवन में संघर्ष नहीं तो कुछ नहीं संघर्ष और संयम जीवन को सुखमय  बनाते हैं। संघर्ष करने के बाद हमें जो सफलता मिलती है उसका स्वाद अद्भुत होता है, अनोखा होता है। दुनिया में अनेकों ऐसे उदाहरण है जिन महान लोगों ने संघर्ष के बल पर सफलता पाई है । बुलंदियां स्पर्श की है।  इसलिए संघर्ष और संयम सफल जीवन के लिए बहुत जरूरी है। 
- शीला सिंह 
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
संघर्ष व्यक्ति के संयम और परिश्रम का परिणाम भी कहा जा सकता है। अन्यथा जिस व्यक्ति में संयम नहीं है वह भी संघर्ष करता है किन्तु लक्ष्यहीन। इसी प्रकार परिश्रमी व्यक्ति परिश्रम तो करता है मगर उसमें संघर्ष के चिह्न नहीं होते।
- सुदर्शन खन्ना 
 दिल्ली 
संघर्ष व्यक्ति के संयम और परिश्रम का परिणाम है .....इस कथन से मैं पूर्णतः सहमत नहीं हूँ
जीने केलिए संघर्ष करता है मनुष्य ....वो भी किस्मत के अनुसार ....पर संयम और  परिश्रम स संघर्ष की क्रिया में सहायक होते हैं .....न की परिणाम
संघर्ष व्यक्ति के संयम वधैर्य को नापता है व परिश्रम व्यक्ति की क्षमता कीकसौटी को
कुछ लोग जन्म से ही ऐसी किस्मत लेकर पैदा होते हैं की उन्हे संघर्ष करना ही नहीं पड़ता व उनके संयम व परिश्रम की कसौटी उनके हालात के आधार पर निर्भर होती है
- नंदिता बाली
सोलन - हिमाचल प्रदेश
जीवन में मिलते ही संघर्ष प्रारंभ हो जाता है। जिसके निपटने के लिए उपाय खोजना शुरू हो जाता है। इस प्रतिक्रिया में संयम और परिश्रम बहुत काम आता है।  ये ही हमें न केवल संघर्ष से जूझने की  सामर्थ्य देते हैं, बल्कि संबंधित संघर्ष से निजात भी दिलाते हैं। यही सफलता है। इसके विपरीत हमारा उतावलापन, हमारी शीघ्रता और बैचेनी हमें असंयमित कर हमें शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर कर , संघर्ष को बलिष्ट बनाती है। निजात के उपायों पर प्रतिघात कर प्रतिबंधित करती है।
  इसीलिए समझदारी यही है कि सदैव संघर्ष को जीवन का हिस्सा मानते हुए, धैर्य, बुद्धि, विवेक, सुझाव एवं बुजुर्गों, अपनों के मार्गदर्शन संयम और परिश्रम के सहयोग से उससे निराकरण का प्रयास करना चाहिए और ऐसा करना कठिन भी नहीं, असंभव तो है ही नहीं।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
मानव जीवन विभिन्न प्रकार की परिस्थितियों से भरा रहता है कभी न कभी किसी न किसी समस्या से उसका सामना होता रहता है ।इन्हीं समस्याओं से जूझते हुए संयम और विवेक के द्वारा  परिश्रमी व्यक्ति सफलता हासिल कर पाता है। संघर्ष में निश्चित रूप से संयम और परिश्रम का समावेश रहता है, उसके बिना तो संघर्ष संभव ही नहीं है।
- गायत्री ठाकुर "सक्षम" 
नरसिंहपुर - मध्य प्रदेश
आज की चर्चा में जहां तक यह प्रश्न है कि क्या संघर्ष व्यक्ति के संयम और  परिश्रम का परिणाम है तो मै कहना चाहूंगा वर्तमान परिवेश में ऐसा लगता है कि संयमी और परिश्रमी तथा ईमानदार व्यक्तियों के मार्ग में कठिनाइयां अधिक आती हैं क्योंकि वह अपना कार्य पूरी ईमानदारी से और अनुशासित तरीके से करना चाहते हैं आज के समय में बहुत से लोग अपने कामों में सफल होने के लिए शॉर्टकट की तलाश करते है और अपने मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए अपनी मंजिल को पाने के लिए वह यह भी नहीं देखते कि जिस रास्ते पर चल रहे हैं वह रास्ता सही है अथवा गलत उन्हें सत्य है सत्य से भी कुछ लेना देना नहीं है बस यही चाहते है कि किसी भी रूप में अपनी मंजिल और अपने स्वार्थ को प्राप्त कर लेना ऐसे में संयमी और परिसर में ईमानदार व्यक्ति कुछ विचलित सा महसूस करता है परंतु यदि वह अपने मार्ग पर पूरी लगन संयम और परिश्रम के द्वारा चलता रहता है तो उसे प्राप्त होने वाला प्रतिफल बहुत सुंदर होता है जो उसे आत्म संतुष्टि प्रदान करता है और उसे मिलने वाली सफलता और उसकी मंजिल जो उसे सही रास्ते पर चलकर  प्राप्त होनी होती है दूसरों के लिए अनुकरणीय बन जाती है ......... !
- प्रमोद कुमार प्रेम
 नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
विपरीत परिस्थितियों में संयम बनाए रखना, हार कर नहीं बैठना अपितु परिश्रम करते हुए उचित समय व लक्ष्य की प्राप्ति में संलग्न रहना ही संघर्ष है।दैनिक भोगियों के लिए तो विशेष कर संघर्ष ही जीवन है।  फिर सबके लिए जीवन कभी एक रूप होकर नहीं चलता सुख-दुख, आशा- निराशा, संयोग- वियोग, लाभ- हानि, जय- पराजय के सोपानों से गुजरता है।देखा जाए तो संघर्षपूर्ण जीवन ही  वास्तविक आनन्द का स्रोत है। चरैवेति- चरैवेति की विचारणा भी इसी संघर्ष का परिणाम है।
    मेरे पिताश्री जगदीश वियोगी भी यही मानते थे। उन्होंने तो हर उम्र के लिए यही संदेश दिया कि---
पांव मेरे अभी डगमगाओ नहीं मंजिलें पार करनी पड़ेगी बहुत जिंदगी तो लखीआज संघर्ष में  देखोसंघर्षबिन जिंदगानी कहाँ   तुम सिसकती हुई न पीर भरो
 वरना देखोगे नौजवानी कहाँ"
अत:सच ही है कि संयम और परिश्रम संघर्ष के पर्याय हैं।
    - डाॅ.रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
हाँ! संघर्ष व्यक्ति के संयम और परिश्रम का ही परिणाम है। क्योंकि जब कोई संघर्ष करता है तो उसे संयमीत रहकर ही परिश्रम करना पड़ता है। अगर संघर्ष में संयमित रहके परिश्रम नहीं करेगा तो उस संघर्ष का परिणाम उल्टा भी हो सकता है। संयमित परिश्रम ही संघर्ष में सफलता दिलाता है। इसलिए ये कहा जा सकता है कि संघर्ष व्यक्ति के संयम और परिश्रम का ही परिणाम है।
- दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश" 
कलकत्ता - पं. बंगाल
संघर्ष का दूसरा नाम ही जीवन है  । हम देखते हैं कि जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में हमें परेशानियों.....मुसीबतों से दो-दो हाथ होना पड़ता है  । कभी अपनों से .....कभी परायों से.....और कभी स्वयं से आजीवन संघर्षरत रहते हैं  । 
       यूं तो संघर्षों की सूची बड़ी लम्बी है परन्तु ये मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं- भौतिक और मानसिक  । 
       जीवन में प्रत्येक क्षेत्र की समस्याओं से जूझने के लिए परिश्रम तथा संयम अति आवश्यक है  । क्योंकि समस्याओं से मुंह मोड़ा नहीं जा सकता .....उनसे पीछा छुड़ाया नहीं जा सकता है .....उनसे भाग नहीं सकते  । संघर्ष तो हर हाल में करना ही है  । यहां तक कि हमें खुद से .....खुद के भीतर के विचारों से भी......
      जीवन के संघर्षों में यदि परिश्रम के साथ संयम भी हो कहना ही क्या ..... सफलता अवश्य मिलती है  । 
            - बसन्ती पंवार 
       जोधपुर - राजस्थान 
जीवन में किसी भी व्यक्ति के उन्नति और विकास के लिए परिश्रम बहुत ही जरूरी है। इसके साथ है संयम धैर्य रखना भी महत्वपूर्ण है। संघर्ष व्यक्ति के संयम और परिश्रम का परिणाम है यह बिल्कुल ही सत्य है। जीवन में उन्नति के लिए जिन गुणों की जरूरत होती है उसमें परिश्रम महत्वपूर्ण स्थान रखता है। जीवन में परिश्रम से प्रतिबल भर्ती है और परिश्रम के अभाव में प्रतिभा बेकार पड़े रहते हैं। पर यह भी सच है कि काम करते-करते इंसान के पास योग्यता का विकास हो ही जाता है। समय और जीवन कभी डरता नहीं है और सब कुछ कभी खत्म नहीं होता, जबकि करोना काल एक ऐसा समय आया कि पूरे विश्व को हिला कर रख दिया। कोरोना वायरस जैसे संकटों से जीवन में कभी कभी ऐसा चढ़ाते हैं जब लगता है मानव सब कुछ खत्म होने वाला है। विपरीत परिस्थितियों में यह जानना महत्वपूर्ण नहीं है कि हमें जीवन से क्या अपेक्षा है बल्कि यह जानना महत्वपूर्ण हो जाता है कि इस समय जीवन को हमसे क्या उपेक्षा है। संघर्ष व्यक्ति के संयम और परिश्रम का परिणाम है। इसका एक उदाहरण दिया जा सकता है। मान लेते हैं की हम कोई दुकान या नया व्यवसाय शुरू करते हैं तो हमें एक दिन में ही सफलता नहीं मिलेगी इसके लिए परिश्रम करना होगा और साथ में संयम रखना है तब जाकर हमें सफलता मिलेगी। यदि इसी बीच हम घबरा जाए तो सारा का सारा मेहनत बेकार हो जाता है। इसलिए कोई भी काम करने के लिए संघर्ष संयम के साथ परिश्रम जरूरी होता है।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर - झारखंड
अमीर हो या गरीब हर इंसान को जीने के लिए किसी न किसी तरह का संघर्ष करना पड़ता है कोई रोटी के लिए संघर्ष करता है कोई रोटी कपड़ा के लिए संघर्ष करता है कोई रोटी कपड़ा मकान के लिए संघर्ष करता है कोई इन तीनों चीज के रहने के बावजूद आत्मसम्मान मान मर्यादा के लिए संघर्ष करता है संघर्ष के दरमियान धैर्य संयम और परिश्रम को रखना अति आवश्यक है तभी संघर्ष का परिणाम सुखद होता है
एक छोटा बच्चा जोकि पैदा हुआ है वह भी अपने जीवन के लिए जीने के लिए संघर्ष करता है संघर्ष के परिणाम है उसे संतुष्टि मिलती है सुख मिलता है इसलिए संघर्ष व्यक्ति के संयम और परिश्रम का परिणाम है यह कथन अक्षरश सत्य है
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र

" मेरी दृष्टि में " संयम और परिश्रम से संघर्ष में सफलता मिलती है । संघर्ष से ही जीवन में कर्म होता है । जो भाग्य का परिचालक होता है ।
- बीजेन्द्र जैमिनी

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