क्या जीवन का उद्देश्य समृद्ध विरासत छोडना होना चाहिए ?

सभी का जीवन उद्देश्य पूर्ण होना चाहिए । तभी इंसान होने का कोई मतलब होता है । हर कोई जीवन में कुछ ना कुछ हासिल अवश्य करता है । जो विरासत के रूप में छोड़ कर जाता है । यहीं कुछ जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : - 
*जीवन का उद्देश्य अनंत है इसे बांध नहीं सकते*
जीवन का उद्देश्य जीवन को आनंदमय और दूसरों को खुशियां बांटना अपने स्वयं के जीवन का सुचारू रूप से  समय का उपयोग करना औरों के लिए आपका जीवन प्रेरणा स्त्रोत बने ऐसे कार्य करना संसार में कुछ छोड़ना ही है तो अपने अच्छे व्यवहारों को, सद् विचारों को और ज्ञान को औरों के लिए छोड़ जाए आने वाली भावी पीढ़ी उस मार्ग का पथ प्रदर्शक बन सके संस्कार सभ्यता के बीज रोपित करके जाइए।
यही समृद्ध विरासत है।
*समाज से जो हम लेते हैं उसे समाज को अर्पित करना ही जीवन है*
- आरती तिवारी सनत
 दिल्ली
हां जी,जीवन का उद्देश्य,समृद्ध विरासत छोड़ना भी होना चाहिए। विरासत अपनी संस्कृति की,सभ्यता की,जीवन मूल्यों की, अपने गौरवशाली इतिहास की,पुरखों से मिली खानदानी संपत्ति, परंपराओं की और अपने जीवन काल में सृजित वो सब जो इसे समृद्धि प्रदान करे।यह होना चाहिए, लेकिन केवल यही हो ऐसा नहीं। केवल यही होने से तो भटक जाते हैं हम। चल पड़ते हैं गलत राह पर,हो जाते हैं भ्रष्टाचारी क्योंकि लक्ष्य एक ही बना लेते हैं येन केन प्रकारेण धनार्जन,क्योंकि इसे ही तो समृद्ध विरासत मानते, जानते हैं।जबकि मानव जीवन सब योनियों में श्रेष्ठ माना जाता है, फिर इस श्रेष्ठ अवसर को यूं ही धन की मृग मरीचिका में फंसकर गंवाना सही नहीं।यदि सही राह पर चलते रहे तो जो विरासत हम छोड़ेंगे,वह लंबे काले तक संरक्षित रहेगी। कहां हैं आतताई शासकों के वंशज, उनके महल, शानो-शौकत?नाम भी नहीं लिया जाता कितनों का। जबकि संस्कारों की विरासत वाले कितने ही नाम सदियां बीत जाने पर भी जन मन में बसे हैं।गौरव से उनका स्मरण किया जाता है।अब यह स्वयं पर निर्भर है कि हम कौन सी विरासत छोड़ते हैं।
- डॉ. अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
निश्चित रूप से जीवन का उद्देश्य समृद्ध विरासत को छोड़ जाना होना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ी अपने पूर्वजों के बारे में जानकर  उनके बताए हुए मार्ग पर चले एवं अच्छाइयों का संवर्द्धन करें। इसी में मानव जीवन की सार्थकता है। किसी भी देश या राष्ट्र का उत्थान उसकी समृद्ध विरासत पर ही निर्भर करता है जो कि नागरिकों के लिए एक प्रेरणा स्रोत होती है।
- गायत्री ठाकुर "सक्षम" 
नरसिंहपुर - मध्य प्रदेश
     भारतीय इतिहास में विरासतों के लिए ही नर संहार होते रहे हैं और अपना वर्चस्व स्थापित करने में सफल हो रहे हैं। वहीं प्रक्रिया कालांतर में चले आ रही हैं, जो निरंतर चलते रहेगी । जबकि हमारा सदाचारण 4 भागों में विभक्त किया गया हैं, जिसका पालन कोई भी नहीं करते हुए दिखाई देता हैं,
जिसके परिपेक्ष्य में तो कोर्ट कचहरी के चक्कर में रहने के कारण विचारधारा को रोचक बनाने प्रयत्नशील हैं। जीवन का उद्देश्य समृद्ध विरासत को समय पूर्व विभक्त कर देना चाहिये ताकि परिवार जनों, समसामयिक व्यवस्थाओं में मधुरता बनी रहे और युवा पीढ़ियों में एकता अनेकता का संदेश वृहद रुप में जायें।
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर'
  बालाघाट - मध्यप्रदेश
विरासत हमारे पूर्वजों द्वारा छोडी़ गई यादें होती हैं फिर चाहे वह ऐतिहासिक हो, सांस्कृतिक हो अथवा देशप्रेम में मरमिटने की भावना हो ऐसी अनेक विरासतें हमारे पूर्वज हमारे लिए छोड़ गये हैं! समृद्ध विरासतें जो ऐतिहासिक हैं वर्तमान में पर्यटन स्थल बन गये हैं जो हमें हमारे पूर्वजों की संस्कृति, रहन सहन का बोध कराती है! उनकी खूबियां, कमियां में संशोधन हमारेआने वाले मार्ग को प्रसस्त कर हमारे ज्ञान को विकसित करती है! 
माना कबीर, तुलसी, रहीम, मैथलिशरण गुप्त और भी अनेक साहित्यकार मुशी प्रेमचंद, निराला, दिनकर ,महादेवी वर्मा ,देश प्रेम की भावना को जागृत करती सुभद्रा कुमारी चौहान और हर युग के साहित्यकार साहित्य द्वारा भाई-चारा, देश भक्ति की भावना, सदभाव जगा युगो युगों तक समाज को आलौकित कर रहे हैं और करते रहेंगे किंतु उनके द्वारा लिखित पाण्डुलिपियां आज हमारे संग्रहालय में(लाइब्रेरी में) सुरक्षित  हैं ! वह हमारी धरोहर है हमारी विरासत है जो हमारी आने वाली पीढ़ी को मिलना चाहिए  !
हां यदि आज की चर्चा में समृद्ध विरासत का आशय धन दौलत अपने बच्चों के लिए छोड़ने से है तो मैं इसके खिलाफ हूं! बच्चे और आने वाली पीढी पंगु हो जाती है! बिना मेहनत किये पका पकाया माल मिलता है! जीवन में संघर्ष क्या होता है उसे समझ नहीं होती! क्षितिज को चूमना है तो उसे पंख फड़फड़ाने दो ! अपना मार्ग  स्वयं प्रसस्त करने दें! विरासत में अपने अनुभव का ज्ञान देे! 
            - चंद्रिका व्यास
            मुंबई - महाराष्ट्र
जीवन का उद्देशय आत्मा से परमात्मा का मिलन होता है। भगवत गीता में कहा गया है जो मनुष्य अपने आने वाले वंशज के लिए समृद्ध विरासत छोड़ते हैं वह अनुचित है। 
उदाहरण पेश करता हूं:--
भगवान कृष्ण के दरबार में उनके सखा  सुदामा का आगमन हुआ तब कृष्ण खाली पाव आकर सुदामा जी को स्वागत करते हुए ले  गए  और कुशल क्षेम की जानकारी लिए।
 जाने के समय कोई भेंट नहीं दिए लेकिन सुदामा जी के घर को सुशोभित कर दिए। सुदामा जी जब घर पर आए  देख कर अचंभित होकर बोले ऐ मेरे मित्र कृष्णा के कृपा से है। अतः जीवन में समृद्ध विरासत छोड़ने की जगह पर सम्रद्व कल्याण करें।
- विजयेन्द्र मोहन
बोकारो - झारखंड
विरासत देश  और लोगों की पहचान को परिलाक्षित करती  है।भारत एक ऐसा देश है जहाँ की विरासत अत्यंत विस्तृत, समृद्ध तथा विविध है। हमारी यह बहुमूल्य विरासत  केवल स्‍मारकों ,  कला वस्‍तुओं के संग्रहण तथा ऐतिहासिक स्थानों तक ही सीमित  है बल्कि इसमें हमारी परंपराएं , हमारी सोच व जीवनशैली भी शामिल  है जो सदियों से चलती आई है। हमारे पूर्वजों से प्राप्‍त 
इस समृद्ध तथा अद्वितीय विरासत को बचाये रखना हमारा कर्तव्य भी है और अधिकार भी। हमारी परंपराएं, कला प्रदर्शन, धार्मिक एवं सांस्‍कृतिक उत्‍सव और परंपरागत शिल्पकारी हमारे
गौरवशाली अतीत के प्रतीक हैं। हमारे पूर्वजों ने सदियों से हमारी विरासत को संरक्षित किया है,  हमें अपनी जड़ों से जोड़ कर रखा है। हमारा भी कर्तव्य है युवा पीढ़ी में अपनी विरासत के लिए प्रेम का आह्वान करें। शुरू से ही  युवा पीढ़ी को हमारे गौरवशाली अतीत से परिचित कराएं।  इससे उनके अंदर गर्व की भावना लाने में मदद मिलेगी और वे परंपरा को जारी रखने के लिए प्रेरित होंगे । इसके लिए शिक्षकों के साथ-साथ अभिभावकों के सामूहिक प्रयास की जरूरत है।
 आज के विश्वीकरण एवं औद्योगिकीकरण के युग में हम बेशक पश्चिमी मूल्यों व जीवन शैली की ओर उन्मुख हो रहे हैं ।  टेक्नोलॉजी से हो रहे  तीव्र परिवर्तनों  के कारण आधुनिकीकरण की प्रक्रिया तेज़ हो रही है। ऐसे में अपनी विरासत को सुरक्षित रख पाना वाकई किसी चुनौती से कम नहीं है।  इन सब की महत्ता से भी  इंकार नहीं किया जा सकता। आवश्यकता है दोनों में सामंजस्य बिठाने की। हमें चाहिए कि हम किसी देश से पीछे भी न रहें । साथ में अपनी समृद्ध विरासत से गौरवान्वित हो उसे अगली पीढ़ी को भी पारित करें। यही हर भारतीय के जीवन का उद्वेश्य होना चाहिए।
- डॉ नीलिमा डोगरा
नंगल - पंजाब
कोई भी संस्कृति, देश, समाज, परिवार और व्यक्ति का वर्तमान जितना अधिक समृद्ध और सम्मानित होगा, वह भविष्य में उसकी विशाल विरासत के रूप में पहचाना जायेगा। 
पृथ्वी पर प्रत्येक सजीव-निर्जीव का पतन और पुन: नवअंकुर द्वारा नवीव सृजन एक यथार्थ है। जो आज वर्तमान है, उसको कल के वर्तमान द्वारा विरासत के रूप में सहेजा जायेगा। 
यदि यह विरासत समृद्ध होगी तो तत्समय को स्वयं जैसी समृद्धि और सम्मानीय कार्यों के लिए प्रेरक की भूमिका निभाते हुए प्रोत्साहित करेगी। 
निष्कर्षत: यह बहुत आवश्यक है कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का उद्देश्य समृद्ध विरासत छोड़ना होना चाहिए। यह तभी संभव है जब हम अपने वर्तमान को मन-वचन-कर्म से संवारने के लिए सदैव तत्पर रहें। 
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग' 
देहरादून - उत्तराखण्ड
समृद्ध विरासत का अर्थ हर व्यक्ति के लिए भिन्न-भिन्न होता है कोई समृद्ध विरासत अपनी संस्कृति ,सभ्यता को मानता है कोई धन दौलत को तो कोई अपने अच्छे कर्मो को अब अगर बात करें की जीवन का उद्देश्य समृद्ध विरासत ही नहीं होना चाहिए तो यह बात सभी के लिए सटीक साबित नहीं होती यह उन लोगों के लिए सटीक है जो जीवन को सार्थक ही तब मानते हैं जब उनके पास अपार धन दौलत, ऐशो आराम आदि हो और उन सभी को पाने हेतु वह गलत सही सभी हथकंडे अपनाते है जिससे भ्रष्टाचार, चोरी, डकैती आदि पनपते हैं। 
आज की पत्रिका की खबर तीस लाख लूट कर व्यापारी को गोली मार दी व्यापारी की मृत्यु हो गई। 
 यह है समृद्ध विरासत का जुनून जो धन की चकाचौंध में जीवन अंधकार मय बना देता है जिसका त्याग निहायती आवश्यक है।।
- ज्योति वधवा "रंजना "
बीकानेर - राजस्थान
जीवन का उद्देश्य लोक कल्याण के लिये होना चाहिए। समृद्ध विरासत का नहीं । भले हम कुछ भी कहें लेकिन सारा जीवन तो हम समृद्ध विरासत बनाने में ही लगे रहते हैं। फिर जीवन का उसे छोड़ने में क्यों होना चाहिए। जीवन का उद्देश्य तो परिवार कल्याण, समाज कल्याण, देश कल्याण, पिछड़ो, वंचितों के उत्थान के लिए होना चाहिए। समृद्ध विरासत को ऐसे छोड़ देने पर तो वह बर्बाद हो जाएगा। हाँ यदि कोई योग्य विरासत संभालने वाला हो तो उसे सौप देना चाहिए।
- दिनेश चन्द्र प्रसाद "दीनेश" 
कलकत्ता - पं. बंगाल
 जीवन का उद्देश्य है समाधान समृद्धि अभय और प्रकृति के साथ तालमेल पूर्वक जीना। किसी का शोषण करना नहीं बल्कि पोषण के अर्थ में बिहार कार्य होता है। क्योंकि मनुष्य जिंदगी भर मानव मानव के साथ व्यवहार करता है और एक प्रकृति के साथ तालमेल पूर्वक नियम के साथ जीना होता है। लेकिन वर्तमान समाज में जीने की शैली का पता नहीं है। सभी मनुष्य संग्रह सुविधा को ही महत्व देते हैं ।जबकि संग्रह सुविधा सिर्फ शरीर को सुविधा देती है। मन को संतुष्टि नहीं ।मनुष्य के जीवन का उद्देश्य है संतुष्टि् हो कर  जीना। जीवन का उद्देश्य समृद्ध विरासत छोड़ना नहीं है। बल्कि समृद्धि में नियंत्रण करने की आवश्यकता है।
- उर्मिला सिदार 
रायगढ - छत्तीसगढ़
समृद्ध विरासत छोड़ना जीवन का उद्देश्य कभी भी नहीं होना चाहिए।  मेरे विचार में हमारी संस्कृति और हमारे संस्कार ही हमारी समृद्ध विरासत है।  धन-सम्पदा की विरासत तो आती जाती रहती है। किन्तु यदि हम अपनी सभ्यता की समृद्ध विरासत छोड़ देते हैं तो इससे बड़ी कोई गलती नहीं होगी क्योंकि हम भावी पीढ़ी के लिए एक प्रकार से हमारी मजबूत सभ्यता की जड़ों में विष डालने जैसा कार्य करेंगे।
- सुदर्शन खन्ना 
 दिल्ली 
जीवन का उद्देश्य है यह कतई नहीं होना चाहिए कि समृद्ध विरासत छोडा़ पड़े। समृद्ध विरासत होना एक बहुत बड़ा दायित्व होता है और अगर आप इस विरासत के उत्तरदायित्व है तो इस इस समृद्ध विरासत को आगे लेकर चलना चाहिए। तथा इससे संवेदनाएं और संयम के साथ आगे निरंतर बढ़ाने का प्रयास होना चाहिए ।इसमें विरासत  का छोड़ना  खुद के लिए एक बहुत बड़ी बात होती है।समृद्ध विरासत बनाने के लिए बहुत मेहनत और कठिन परिश्रम से गुजरना होता है ।जीवन की प्रत्येक परिस्थितियों में समृद्ध विरासत का होना हमें एक संबल देता है और जीवन का उद्देश्य हमें इस विरासत को आगे लेकर  लोगों के बीच में अपने को प्रेरित करना होना चाहिए। तथा प्रेरणा के दायित्व को इस विरासत से हमेशा जोड़कर अगर आप जीवन का उद्देश्य विरासत को आगे निरंतर बढ़ाने का होना चाहिए।और विश्वास के साथ ऐसा कार्य करते हैं ।जिस  मेहनत और परिश्रम से दायित्व का निर्वाहन करना जरूरी होता है ।समृद्ध विरासत को छोड़ना एक बेवकूफी ही  हैं।मेहनत और लगन से इसे निरंतर प्रगति पथ पर ले जाना तथा सबके लिए लाभदायक सिद्ध करना जीवन का उद्देश्य अगर आपके पास  हैं तब समृद्ध विरासत आपकी जिंदगी के सभी सुखों का आनंद देती हैं ।तथा अपने आसपास के सभी समस्याओं का समाधान भी कर सकते हैं ऐसा करना मानव जीवन द्वारा सत्य का निवाहाण होता है ।
तथा इसमें विरासत को छोड़ देना एक बेवकूफी होती है उसे संयम और संवेदना तथा भावनात्मक रूप से आगे बढ़ाकर सबकी मदद करने की प्रक्रिया को अपनाया जाए। तो आत्मविश्वास के जीवन में जुड़ जाता है ।जीवन का उद्देश्य  विरासत को छोड़ना  नहीं होना चाहिए ।इस विरासत को बनाने के लिए यूगों मेहनत करनी पड़ती है।तो हमें इसे  ऐसे गवाना नहीं चाहिए ।बल्कि हमें इसे आगे निरंतर की ओर और समृद्धि बनाना चाहिए।तथा सभी को साथ लेकर चलना चाहिए सबका विकास से ही देश का विकास संभव हो सकता है।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर - झारखंड
आज की चर्चा में जहां तक यह प्रश्न है कि क्या जीवन का उद्देश्य है समृद्ध विरासत छोड़कर जाना  होना चाहिए तो इस पर मैं कहना चाहूंगा यदि समृद्ध विरासत छोड़कर जाने  को ही सभी जीवन का उद्देश्य बना लेंगे तो फिर उसके लिए कुछ भी करने के लिए व्यक्ति तैयार रहेगा और वह अपने आप को समृद्धि साली बनाने के लिए हर तरह से प्रयास करेगा भले ही रास्ता सही हो या गलत इसलिए जीवन का उद्देश्य समृद्धि साली विरासत को छोड़कर जाना ही नहीं होना चाहिए बल्कि जीवन का उद्देश्य सच्चाई परोपकार इमानदारी के रास्ते पर चलकर भारतीय राष्ट्रीय संस्कृति के अनुरूप जीवन यापन होना चाहिए जिससे इस देश को अच्छे नागरिक मिल सके सुसंस्कृत बच्चे और युवा ही इस देश को आगे की ओर ले जा सकते हैं यदि ऐसा नहीं होगा तो हम दिन प्रतिदिन और अधिक उन्नति के गड्ढे में गिरते चले जाएंगे इसलिए देश को आर्थिक रूप से सांस्कृतिक रूप से सामाजिक रूप से मजबूत बनाने के लिए जीवन का उद्देश्य अच्छे और सुसंस्कृत नागरिक तैयार करना होना चाहिए न कि एक समृद्ध विरासत अपने पीछे छोड़ कर के जाना ़
- प्रमोद कुमार प्रेम 
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
जीवन  दो तरह की संभावनाओं पर टिका होता है एक तो पतन और पाप की ओर उन्मुख होता खाई में गिराने वाला दूसरी और उन्नति, उत्कर्ष की ऊंचाइयोॅ।  एक पतन से जुड़ा है तो दूजा   विकास की ओर ले जाने वाला
 ऐतिहासिक सोददेश्य पूर्ण।       अक्सर हम बोलते हैं कि हम अपने बच्चों या आगामी पीढ़ी के लिए जायदाद छोड़कर जा रहे हैं या विरासत।
 सही मायने में देखा जाए तो जमीन, मकान, जेवर, पैसा, आभूषण आदि सब जायदाद हैं और व्यक्तित्व, संस्कार, शील, जीवन का दृष्टिकोण इत्यादि सब विरासत के असली अमिट प्रतीक । जमीन जायदाद  तो मूक एवं क्षणिक हैं पर विरासत श्रेष्ठ व्यक्तियों के जीवन में स्थान पाती है।
       विरासत की पहचान व्यक्ति के जीवन जीने के तरीके, व्यक्तित्व, वाणी, आचरण के  संस्कारों से होती है। जितने महापुरुष सशक्त व्यक्तित्व के हुए हैं उनके जीवन का उद्देश्य समृद्ध विरासत छोड़कर जाना ही रहाहै यथा- राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, स्वामी, विवेकानंद, शिवाजी इत्यादि । इन्होंने पवित्र, सार्थक ,उद्देश्य पूर्ण विरासत छोड़ी है जोकि होना भी चाहिए।
        हमारे जीवन का उद्देश्य पैसा, मकान छोड़कर जाना नहीं हो।
   विवाद की जड़ जैसे धन के लिए तो समझदार लोग भी यही कहते हैं----
" पूत कपूत तू क्यों धन संचय पूत सपूत तो क्यों धन संचय"
        अतः शील, संस्कारों की प्रेरणास्पद विरासत छोड़कर हमें जाना ही  चाहिए जो वास्तविक रूप से जीवन का सफल एवं सार्थक उद्देश्य है।
-  रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
          मदन मानव जी ने लिखा है ,
"उम्र पके तो यों पके ज्यों  गेहूँ की बाल
 दाना दाना दान कर जीवन करे निहाल "
        हमारी विरासत कबीर ,तुलसी ,रहीम ,मैथलीशरण गुप्त जैसी होना चाहिए जो युगों युगों तक समाज को आलोकित करती रहे ।आपस में भाई चारा ,सदभाव का भाव जगाती रहे ।
     चल व अचल सम्पत्ति की विरासत न तो स्थायी होती है  है और नाहीं अपनों का भला करती है । स्वालंबन का संदेश देती विरासत ही स्थायी विरासत है ।
     - निहाल चन्द्र शिवहरे
झांसी - उत्तर प्रदेश
बहुत ही बढ़िया और विचारोत्तेजक है यह सोचना कि जीवन का उद्देश्य क्या सिर्फ समृद्धि की प्राप्ति होना चाहिए। युगों के बदलाव के साथ यह प्रश्न आज बदला हुआ है। पुराने समय में दो पीढ़ी पहले तक समृद्धि की परिभाषा संयुक्त परिवार के साथ-साथ वसुधैव कुटुम्बकम की होती थी। लेकिन आज भौतिकतावादी युग में समृद्धि का तात्पर्य "तेरा घर मेरे घर से बड़ा कैसे "---और शुरु हो गया तथाकथित काँपिटिशन। और सचमुच जीवन का उद्देश्य हो गया समृद्ध विरासत की सूची।      आध्यात्मिक विरासत की क्या कहें। हमारे बच्चे राम को रामा कृष्ण को कृष्णा कहते हैं। कार्टून मैग्जीन में तोड़ मरोड़ कर पेश की गयी कथाओं से ज्ञान प्राप्त करते हैं। भाषायी संक्रमण की इंतेहा हो चुकी है।
तात्पर्य यही कि" समृद्ध विरासत भौतिकता की" बस यही उद्देश्य है आज हम पुरानी पीढ़ी का--और इस पीढ़ी का भी। सांस्कृतिक सामाजिक भौतिक आर्थिक मानसिक समृद्धि की बात कहीं नहीं है - - सिर्फ मीडिया की एड्स के साथ चलनेवाली दिखावटी दुनिया और निन्यानवे के फेर में जमा की गई संपत्ति ही समृद्धि की द्योतक है - - रहेगी आज की दुनिया में। 
- हेमलता मिश्र" मानवी" 
नागपुर - महाराष्ट्र
कदापि नहीं! चूंकि जीवन को जीने हेतु समृद्ध विरासत का होना अति आवश्यक है। क्योंकि जीवन का कोई उद्देश्य होगा, तो ही जीने का आनंद आएगा। जीवन के उन्हीं उद्देश्य की पूर्ति हेतु किए संघर्षों के कारण पता ही नहीं चले कि जीवन कब व्यतीत हो गया?
       सर्वविदित है कि समृद्ध विरासत में जहां हमें अपने पूर्वजों की छोड़ी धन-दौलत मिलती है वहीं हमें उनके प्रति कर्त्तव्य पालन की भी जिम्मेदारी सौंपी जाती है।
        इसलिए समृद्ध विरासत में हमें राष्ट्रीय सम्पत्तियों के रखरखाव के मूल कर्त्तव्यों का भी पालन करना होता है। जिनमें अपनी मातृभूमि एवं मातृभाषा से लेकर राष्ट्रध्वज एवं राष्ट्रगान का आदर करना भी शामिल है। उपरोक्त कर्त्तव्यों के अलावा भारत की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए जान की बाजी लगाना, राष्ट्र-सेवा को सर्वोच्च एवं प्राथमिकता देना, सभ्यता और संस्कृतियों को संजोए रखना सब-कुछ समृद्ध विरासत के प्रमुख भाग हैं। जिन्हें हर हाल में बनाए एवं बचाए रखना हमारा मौलिक कर्तव्य है। जिसकी सुरक्षा में मर-मिटना हमारा परम उद्देश्य होना चाहिए।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
जब भी जीवन के उद्देश्य की बात होती है तो मैं यही समझती हूँ कि सभी व्यक्ति का उद्देश्य अलग-अलग होता है । कोई धन सम्पत्ति अर्जित करना ही अपना उद्देश्य मानता है तो कोई ज्ञान अर्जित करना । कोई समाज के लिए भी कुछ करना चाहता है तो कोई अपने परिवार के लिए भी नहीं । 
मेरा मानना है कि जीवन का उद्देश्य समृद्ध विरासत नहीं, बल्कि कुछ ऐसा करना होना चाहिए कि लोग आपकी मिशाल दे और आपके पद चिन्हों पर चलने की कोशिश करे ।
 - पूनम झा
  कोटा - राजस्थान
"संस्कारों से वड़ी कोई वसीयत नहीं होती, 
ईमानदारी से बड़ी कोई विरासत नहीं होती, "। 
विरासत चाहे दौलत की हो या संस्कारों की दोनों को बनाने में काफी वक्त लगता है 
अगर आने वाली पीढ़ियां शिक्षत और हुनरमंद न हों तो विरासत को संभालना मुश्किल हो जाता है। 
आईये बात करते हैं कि क्या जीवन का उदेश्य समृद विरासत को छोड़ना होना चाहिए , 
मेरा मानना है कि विरासत हमारे इतिहास सभ्यता और भविषय  की नींव है इसको संभाल कर रखना ही हमारा व यूवा पीढी का फर्ज बनता है, 
प्रत्येक  वर्ष  १८अप्रेल को  विश्व विरासत दिवस मनाया जाता है इस दिवस पर प्रत्येक व्यक्ति  के लिए बड़ा महत्ब है भारत के एेतिहासिक महत्व में कुल ३२ स्थल विश्व विरासत सूची में दर्ज हैं इसलिए विश्व धरोहरों में भारत का दूनिया में महत्वपूर्ण स्थान है जिसमें अजंता की गुफाएं, ताज महल, , एलौरा की गुफाएं इत्यादि आते हैं जिनसे हमारी संस्कृति साफ झलकती है कि हम सब को अपनी संस्कृति को जोड़े रखना, लोक कलाओं को जोड़ रखना विरासत को संभालना  चाहिए और समय के अनुसार परंपरा को इतिहास को व विरासत को सांझा समझ कर संभाल के रखना चाहिए, 
अन्त मे यही कहुंगा कि हमे भारतिय विरासत के लिए सम्मान का अध्यन करना चाहिए यूवा पीढी को चाहिए भारतिय विरासत के लिए प्यार और सम्मान का अाहवान करे और हमे भी चाहिए कि युवा पीड़ी को हमारेे गौरवशाली अतीत से ु परिचित करवाएं ताकि युवा पीढी को न केवल भापत की  संस्कृति को सुरक्षित रखना है बल्कि हमारे देश  कि समृद विरासत को भी संभाल कर रखना चाहिए व स्मारक व प्राकृतिक विरासत को  भी संभाल कर रखना होगा यही हमारै जीवन का उदेश्य होना चाहिए। 
- सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू कश्मीर
"मुंडे -मुंडे मतिरभिन्ना "होते हुए भी मनुष्य सामाजिक प्राणी है, अतः प्रत्येक का जीवन उद्देश्य भी अलग अलग होता है l
मनुष्य महत्वकांक्षाओं का पुतला है l आकांक्षाएँ पद, पैसा और प्रतिष्ठा जीवन के उद्देश्य का निरूपण होता है l ऐसी परिस्थिति में जीवन के उद्देश्य की सर्वमान्य परिभाषा नियत कर पाना कठिन है l
मानवीय गुणों से रहित लौकिक सफलतायें व कीर्ति मनुष्य की प्रतिष्ठा नहीं होती है l अतः मेरे विचार में समृद्ध विरासत छोड़ना जीवन का उद्देश्य कदापि नहीं होना चाहिए l
"पूत कपूत तो का धन संचय,
पूत सपूत तो का धन संचय l "
  समृद्ध विरासत तो भ्रष्टाचारी, चोर, अपराधी भी छोड़कर जाते हैं तो क्या इन सफलताओं के आधार पर मनुष्य को सफल माना जायेगा? मेरे दृष्टिकोण में लौकिक दृष्टि से नीति और उच्च दृष्टिकोण का ही मानव जीवन में महत्त्व है l जो कर्मठ दृष्टिकोण को महत्त्व देते है वे कल की या समृद्ध विरासत की चिंता नहीं करते हैं l जिनका दृष्टिकोण विकृत व दुर्बल होता है वे येन केन प्रकारेण समृद्ध विरासत छोड़ना अपना जीवन उद्देश्य बनाते हैं या यूँ कहूँ कि -साध्य से साधन की पवित्रता हमारे जीवन का उद्देश्य होना चाहिए l अतः महत्वकांक्षाओं के विकृत और परिष्कृत रूप को समझकर, विवेकी बनकर यश, प्रतिष्ठा, सफलता की कसौटीयों को बदलते हुए नैतिकता और आदर्शवादिता को वरेण्य करते हुए संस्कारित समृद्ध विरासत छोड़ना जीवन का लक्ष्य होना चाहिए l
              चलते चलते -----
जड़ दो चांदी या सोने में,
आईना कभी झूँठ बोलता ही नहींl
    - डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
जीवन का उद्देश्य समृद्ध विरासत को और अधिक समृद्धशाली बनाने का होना चाहिए। विरासत हमारी जड़ और पहचान होती है।अगर हम जड़ से कट जायें, अपनी पहचान को छोड़ दें तब हमारा अस्तित्व खतरे में पड़ जायेगा। हां,समयानुकूल आमूलचूल परिवर्तन के साथ अपने विरासत को सहेज कर रखने की जरूरत होती है।
    अगर आप का विरासत समृद्ध है तो आपका वर्तमान और भविष्य भी सुनहरा होगा ---जरूरत है अपनी बुद्धिमत्ता का परिचय देते हुए और भी अधिक समृद्धशाली बनायें न कि उसे छोड़कर अस्तित्वविहीन हो जाए।आप को कमजोर देखकर आपके दुश्मन भी नाजायज फायदा उठायेंगे, अगर आप मजबूत हैं तो हर व्यक्ति आपसे मित्रता करना पसंद करेगा, आपकी तारीफ का पूल बांधेगा।
अत: आप अपनी समृद्ध विरासत को कभी छोड़े नहीं बल्कि इसे सहेज कर रखते हुए प्रगतिशील रहें। कामयाबी आपका कदम चूमेगी।
                        -  सुनीता रानी राठौर
                         ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश
मानवीय गुण, व्यावहारिक संस्कार धन दौलत कहने का अर्थ भौतिक आत्मिक समृद्धि इंसान को अपने पारिवारिक विरासत से ही प्राप्त होती है।
अब यहां पर यह सोचना है कि भौतिक सुख को समृद्धि समझा जाए या संस्कार आत्मिक ज्ञान सभ्यता को समृद्धि समझा जाए यह हर व्यक्ति का अपना अलग अलग नजरिया है पर जिसका जो भी नजरिया हो पहली प्रधानता संस्कार व्यवहार आत्मिक सुख को ही माना जाता है अगर व्यक्ति उसमें परिपूर्ण है तो उसे यह समृद्धि विरासत से ही प्राप्त हुई है धन दौलत तो कभी भी कमाया जा सकता है लेकिन संस्कार आत्मिक सुख संतोष यह आपको पारिवारिक संस्कार से ही मिलता है। इसलिए विरासत से मिले हुए संस्कार ही आपकी पारिवारिक समृद्धि है
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र

" मेरी दृष्टि में " जीवन की विरासत समृद्ध होनी चाहिए ।तभी पीढी दर पीढी समृद्धि ऩजर आती है । यहीं परिवार की पहचान समाज व देश में बनती है । 
- बीजेन्द्र जैमिनी 

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