क्या आप पर हँसने वाले कल तालियां भी बजाएंगे ?

जो व्यक्ति कर्म पर विश्वास करता है । वह हँसने वालों की कोई परवाह नहीं करता है । सफलता में समय और संधर्ष अवश्य लगता है । तभी सफलता हाथ लगती है । और हँसने वालें तालियां बजाते हैं । यहीं कुछ जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है। अब आये  विचारों को भी देखते हैं : - 
       यह समाज है। जो अंधा-बहरा और लंगड़ा होने के साथ-साथ मनोरोगी भी है। इसकी विशेषता है कि यह जिनपर पहले हँसता है बाद में उनकी सफलता प्राप्ति पर तालियां भी बजाता है। इसलिए आत्मनिर्भर कर्मठ व्यक्ति कभी हौंसला नहीं गंवाते और साहसी बन कर अपनी मंजिल की ओर यात्रा जारी रखते हैं। क्योंकि उन्हें ज्ञान होता है कि मंजिल पर वही पहुंचते हैं जो चलते रहते हैं।
       इतिहास साक्षी है कि प्रत्येक सफल व्यक्ति समाज की हँसी के साथ-साथ सामाजिक घृणा का पात्र भी बनता है। वह सफल व्यक्ति चाहे किसी भी क्षेत्र से संबंधित क्यों न हो? 
       धार्मिक क्षेत्र की बात करें तो मीरां और धन्ना जाट की भांति कई नाम सामाजिक हँसी के पात्र बने और प्रभु की प्राप्ति के बाद उन्हें उसी समाज द्वारा सादर अपनाया भी गया।
       यदि तल्ख टिप्पणी की जाए तो ऐसे लोगों को हिजड़ों की संज्ञा देकर हिजड़ों का अपमान करना भी उचित नहीं है। क्योंकि हिजड़े शुभ अवसरों पर ही एक साथ हँसते और तालियां बजाते हैं।
       अतः मेरा मानना है कि सफलता प्राप्त करने वालों को  हँसने और तालियां बजाने वालों की परवाह न करते हुए अपने कर्मों में लिप्त रहना चाहिए और उस मदमस्त हाथी के समान अपनी मंजिल की ओर चलते रहना चाहिए जिसके पीछे कुत्ते भौंकते रहते हैं।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
जो लोग किसी पर हंसते हैं या कम ताली बजाते हैं वह सही में उसे ईर्ष्या करते हैं।जो अच्छे लोग हैं अच्छा कार्य करते हैं वह इन सब की परवाह नहीं करते वह आलोचक आलोचना करने वालों को भी एक दिन अपनी लिखने और अपने व्यक्तित्व के बल पर झुका लेते हैं और ताली बजाने पर मजबूर कर देते हैं।
जो खुश होकर ताली नहीं बचाते वे सही साहित्यकार या एक महान व्यक्तित्व के धनी नहीं होते वह सिर्फ साहित्यकार बनने का ढोंग करते हैं।
सही इंसान तो हमेशा लोगों को देना और बांटना ही चाहता है खुशियां जितनी बातों के तालियां जितनी बचाओगे उससे दोगुनी आपको वापस मिलेंगे।
स्वस्थ रहें खुश रहें और खुशियां बांटे जय हिंद जय हिंदी
- प्रीति मिश्रा 
जबलपुर - मध्य प्रदेश 
     जीवन-यापन करने के लिये एक जो सबसे बड़ी विशेषता यह हैं, कि तरह-तरह के लोगों से सामना करना पड़ता हैं, कि कोई जानबूझकर परिवार हो समसामयिक व्यवस्थाओं में परेशानी होती हैं और जिससे दूसरे को हँसने का मौका मिलता हैं, उन्हें तालियाँ बजाने में ही मजा आता हैं, उन्हें दूसरों की मजबूरी समझ में नहीं आती और दूसरों की चर्चाऐं कर समय पास कर रहे हैं और अपनी सार्थकता को नष्ट करने में योगदान देते हुए दिखाई दे रहे हैं। अपनी भूमिका का निर्वाह करने दायित्वबोध कराया जा रहा हैं। धरती पर विभिन्न प्रकार के परिप्रेक्ष्य में दिखाई देता हैं और दिलचस्प भी पंसग प्रत्यक्ष रूप से उदाहरण परिदृश्यों में देखिए, उन्हें कुछ मिलता तो कुछ भी नहीं, लेकिन क्या करें, इसमें आनंदित हो रहें हैं।
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर' 
  बालाघाट - मध्यप्रदेश
जिंदगी के कई रंग हैं। इंसान कभी अर्श से फर्श पर तो कभी फर्श से अर्श पर।जब इन्सान अर्श पर होता है तो उस के अवगुण, सदगुणों में बदल जाते हैं। जो कल तक उसे मूर्ख समझ कर हंसते थे,वो ही कसीदे पढ़ते नहीं थकेंगे। अगर हम अपनी रोज़मरा की जिंदगी में देखें तो यह सब दिखाई देगा।जो कल तक आप पर हंसते थे,आज उनकी तालियों की गूंज ही सब से तेज होगी।
        अगर जिंदगी की रेल पटरी से उतर गई है तो आप के सभी गुण,अवगुण बन जाएँ गे। लोग बात करने से कन्नी काटेंगे।इसी लिए तो कहा गया है जिंदगी घूप-छाँव है।सभी चढ़ते सूर्य को ही सलाम करते हैं। 
- कैलाश ठाकुर 
नंगल टाउनशिप - पंजाब
यदि मैं कोई कार्य कर रहा हूं और  कुछ लोग मुझ पर हंस रहे हों तो ये बात बिल्कुल साफ और स्पष्ट है कि वो लोग आपका मजाक या खिल्ली उडा रहे हैं । हमें अपने किसी कार्य को करते हुए ऐसे लोगों की तरफ ना तो ध्यान देना चहिये ना ही उनके कारण् अपने कार्य के प्रति तंद्रा भंग होने देनी चाहिये ।ऐसे लोग ऐसा इसलिये भी करते हैं कि कार्य से आपका ध्यान और तंद्रा भंग हो और आप उस कार्य को पूरी लग्न से ना करके आधा अधूरा छोड कर हंसी के पात्र बन जायें ।
    ऐसे लोग ईर्ष्यालु होते हैं जो खुद कुछ कर नहीं पाते उल्टे आप जैसे परिश्रमी के परिश्रम को भी निष्फल करने के घृणित कार्य को अंजाम देने से नहीं चूकते ।
    ऐसे लोग कभी भी आपके अच्छे कार्य पर तालियां नहीं बजायेगे ।ऐसे ईर्ष्यालु और कामचोर लोग आपको भी नीचा दिखाने से परहेज नहीं करेंगे ।
अता ऐसे लोगों की ध्यान भंग की कोशिसों को नजर अंदाज करदें और उन की तालियों को तबज्जो ना दें ।।
  -  सुरेन्द्र मिन्हास
 बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
 जरूर आज हंसने वाले लोग उपेक्षा करने वाले लोग कल अपेक्षा करेंगे। अपेक्षा की चाहत में उपेक्षा नहीं हमारे कार्य व्यवहार के प्रति कृतज्ञता कैसा सम्मान करेंगे।  वे लोग अज्ञानता वश  उपेक्षित स्वयं हो कार दूसरों की उपेक्षा करते हैं अर्थात हंसते हैं। हंसने वाले लोग हैं बाद में कामयाबी देखकर अपेक्षा करते हैं और सम्मान के साथ ताली बजाते हैं यह यह सच्ची बात है अतः किसी से उपेक्षा नहीं अपेक्षा रखिए कभी ना कभी अपेक्षा हमारी भी विकास के लिए जरूरी हो जाता है। और यही कहते बनता है कि दूसरों पर नहीं हसना चाहिए। बल्कि उनकी प्रेरणा लेकर आगे बढ़ना चाहिए।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
अवश्य बजायेंगे समय कभी किसी का एक जैसा नहीं रहता। आज जो हमारी गलती पर या हमारी असफलता पर हँसते हैं कल वो हमारी सफलता पर तालियां बजायेंगे। और जोरदार बजायेंगे। व्यक्ति के जब बुरे दिन आते हैं तो सभी हँसते हैं सब उसे हेय दृष्टि से देखते हैं। लेकिन जब उसी व्यक्ति का अच्छा समय आता है तो सभी उसकी जी हजूरी करने से बाज नहीं आते। जो कभी रास्ते में मुलाकात होने पर कन्नी काट जाते थे वो समय आने पर राह में पलक पाँवड़े बिछाए खड़े मिलते हैं। एक ताजा उदाहरण गायिका रानू मंडल का है । जो पहले उसे दूर दुरा दिया करते थे आज एक झलक पाने को बेताब हैं। कल जिस पर लोग हँसते रहते हैं अगर वह दुसरे दिन किसी भी क्षेत्र में कामयाब हो जाता है तो सभी ताली बजाने लगते हैं। यहाँ तक कि दुश्मन भी। क्योंकि वह भी सोचता है न जाने कब कोई काम पड़ जाय। सब समय का फेर है। कब किसके भाग्य में क्या आ जाय। और हँसने वाले ताली बजाने लगें।
- दिनेश चन्द्र प्रसाद "दीनेश" 
कलकत्ता - पं. बंगाल
एक कहावत यह भी है क्या यदि आप पर कोई हंसता है और आपका दिल दुख लाने के लिए तालियां बजाता है तो आपको घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि जो दूसरे के लिए गड्ढा खोदता है। एक दिन ऐसा आता है कि उस गड्ढे में वो खुद गिर जाता है। यदि आप पर कोई हंसता है तो आपको संयम रखना चाहिए क्योंकि लोग देखते हैं कि वह इंसान बिना वजह आपको बेइज्जत करने आप का मजाक उड़ाने के लिए आप पर हंस रहा है। एक न एक दिन वो खुद दूसरे के हसी का शिकार हो जाता है।
यदि कोई आपको नीचा दिखाने के लिए आपका हंसी उड़ाता है तो वह कुछ भी कर सकता है। आप को नीचा दिखाने के लिए वह कुछ भी कर सकता है, क्योंकि वह आपकी तरक्की से जलता हैं। आप पर हंसने वाले कोई दूसरा नहीं होता है। आपके ही नजदीकी होता हैं। जो कभी आपके अच्छे दोस्त रहे हैं परिवार के लोग हैं रिश्तेदार हैं पड़ोस के लोग हैं। यह मनुष्य की प्रवृत्ति में जाता है कि कोई समाज के लोग यदि आगे बढ़ते हैं तो उसे कैसे पैर खींच कर पीछे किया जाए। घटिया सोच वाले लोगों की मजाक में आने का सिला दूसरों को नीचा दिखाने और तकलीफ पहुंचाने वाली बातें शामिल होती है। घटिया पर दिखाते हैं। अपमान दिल पर चोट लगने से ज्यादा तकलीफदेह होता है। जीवन में यदि याद रखना चाहिए कि यदि कोई बेइज्जती करता है तो उसे उलझना नहीं चाहिए नहीं तो छोटी बात भी बड़े झगड़े का रूप ले सकती है जो कि दोनों में से किसी के हित में नहीं होगा। यदि आप बेज्जती करने वाले व्यक्ति की नजरों में दूर हो सकते हैं तो हो जाए। यदि यहां पर उपस्थित रहने के लिए मजबूरी हो तो उसकी बातों को अनसुना कर दें। आपका उस व्यक्ति की बातों पर ध्यान देना अग्नि में घी डालने का काम करेगा अथवा आपकी और ज्यादा बेइज्जत करेगा। ऐसे इंसान गुस्से में होते हैं। क्रोधित इंसान सामान्य व्यक्ति नहीं रह जाता है। शैतान का रूप धारण कर लेता है इसलिए उसे दूरी ही अच्छी है।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर - झारखंड
होता है,यही होता है कि किसी की प्रतिभा का मजाक उड़ाने वाले, उसे हतोत्साहित करने वाले एक दिन उसकी सफलता पर तालियां बजाते नजर आते हैं। हर देशकाल में ऐसा हुआ है। जो लोग इस हंसी,उपेक्षा की परवाह किए बिना आगे बढ़ते रहे,वह सफलता के शिखर पर पहुंचे हैं। चाहें क्षेत्र कोई भी रहा हो रंगमंच, कला,अभिनय, साहित्य,विज्ञान, राजनीति, खेल, चिकित्सा आदि कोई भी,सभी में ऐसे उदाहरण भरे पड़े हैं। सदी के महानायक का खिताब प्राप्त श्री अमिताभ बच्चन जी को आकाशवाणी ने कभी स्वर परीक्षा में फेल कर दिया था।आज वही आवाज जनजागरण के संदेश देती, आकाशवाणी से प्रसारित की जाती है। राजनीति में देखिए ताजा उदाहरण हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी।पहले जिनके अपने यहां आने पर कई विदेशी सरकारों को  ऐतराज रहा,आज वहीं देश उनके सामने नतमस्तक होते हैं,विश्व मंच पर उनकी अगवानी करते हैं। अनेकानेक उदाहरण हमारे चारों ओर बिखरे पड़े हैं।मजाक बनाने वालों पर ध्यान ही नहीं देना,ये ही सब एक दिन तालियां बजाते नजर आएंगे।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
अवश्य बजायेंगे! लोग तो हमारे बढ़ते कदम को रोकने में ही आनंद लेते हैं! हमारे बारबार के अथक प्रयास के बाद भी असफलता मिलती है तो हमें लोग उपेक्षा की दृष्टि से देखते हैं हमारी हंसी उडा़ते हैं किंतु हमें अपने हौसले को बुलंद रखना है! सफलता मिलते ही यही हमारी कामयाबी पर तालियाँ बजाते हुए हमें सम्मानित करते हैं जो कभी हसा करते थे! जीवन में नाकामयाबियां सभी को मिलती है जिसने इसका स्वाद चखा हो वह कभी किसी की असफलता पर नहीं हसेगा चूंकि उसे पता होता है कि हार मिलने पर जीतने के हौसले और बुलंद हो जाते हैं! सफलता के लिए उसकी दृढ़संकल्पता एवं आत्म विश्वास बढ़ जाता है और सफलता शत प्रतिशत मिलती है! ईष्या  करने वाले अज्ञानवश स्वयं तो कुछ नहीं कर सकते किंतु दूसरे को प्रोत्साहन देना भी नहीं जानते! 
आदमी यह नहीं समझता कि दूसरों पर हसने वाला स्वयं हसी
 का पात्र न बन जाये !
           -  चंद्रिका व्यास
          खारघर  नवी मुंबई - महाराष्ट्र
सामान्यतः जीवन में हरेक के साथ ऐसे अवसर आते हैं कि हमारे द्वारा किये जा रहे किसी कार्य के प्रारंभ में कुछ लोग प्रोत्साहित करने के बजाय हममें कोई कमियां या खामियां निकाल कर , हम पर छींटाकशी करते हुए, उपेक्षा में हँसते हैं और  हतोत्साहित करते हैं। सच पूछा जाये और सूक्ष्मता से देखा जाये तो असल में ये ही हमें हमारे उद्देश्य को सफल करने में सहायक बन सकते हैं और ऐसा तभी संभव है जब हम इनकी उपेक्षा और हँसी पर मन ही मन दृढ़ संकल्पित हो लें कि इन्हें एक दिन जरूर हम हमारे इसी काम को लेकर तालियां बजवायेंगे और फिर उनके द्वारा निकाली जा रहीं कमियों और खामियों के निदान का प्रयास करते हुए हमें उस काम में सच्चे मन, वचन और कर्म से जुट जाना है। असफलता मिल सकती हैं , मगर फिर भी असफल होने की बजह और बाधाओं को दूर करते जाना है । फिर वह एक दिन जरूर आयेगा जब हम सफल होंगे और उन हँसने वालों से तालियाँ बजवायेंगे। 
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
 गाडरवारा - मध्यप्रदेश
अध्यात्म -विज्ञान के अनुसार मन की वृति ही सबकुछ है l हमारा मन स्याही सोखने वाले कागज की तरह होता है, जिस रंग को भी उससे छुवाया जाता है उसी रंग का वह हो जाता है l कैसी है रंग  रंगीली ये दुनियाँ आप पर डाले लेकिन आप का मन हमेशा अपराजित रहना चाहिए l
"मन के हारे हार है, मन के जीते जीत l "
यदि हमारा मन अपराजित है तो आज बजाई जाने वाली तलियाँ ही हमारी प्रेरणा स्रोत होंगी अतः निःसंदेह आज हँसने वाले कल तालियाँ भी बजायेंगे और विजय हार भी पहनायेंगे लेकिन शर्त यह रहेगी सबसे पहले अपनी हार के कारणों का विश्लेषण करें,उस अनुभव से लाभ उठायें l इस विचार को मन से निकाल दें कि लोग क्या कहेंगे, लोगों का काम है कहना.....
हार के विचार को मन से निकाल दो क्योंकि जो प्रयास करता है और अन्तर में अपराजित है वह अनेकों बार हारकर भी विजयी है l चाहें संसार उस पर आज हँसे लेकिन वह प्रभु की दृष्टि में अपराजित है l
मेरी दृष्टि में हम परमात्मा की एकमेवाद्वितीय सृजन है l हमें इसका स्वाभिमान होना चाहिए l
         चलते चलते ---
"न करो जरूरत किसी के वक़्त पर हँसने की कमी,
ये वक़्त है जनाब चेहरों को याद रखता है l "
 - डॉ. छाया शर्मा
अजमेर -  राजस्थान
जो व्यक्ति से लोग अनभिज्ञ रहते हैं तो किसी विषय पर चर्चा के समय लोग तालिया नहीं बजाते हैं बल्कि हंसते हैं। लेकिन प्रवक्ता को शांत होकर स्वीकार कर लेना चाहिए। जीवन का शुरुआती दौर होता है आगे चलकर वहीं व्यक्ति के अपने  प्रवचन तालिया बटोर के जाते हैं।
वह वक्ता छोटे-छोटे चुटकुले सुनाने लगे जिस पर तालिया खूब बटोरे और अपने समाज में सम्मानित कलाकार में गीने  जाते हैं।
उनका एक चुटकुला बहुत प्रचलित हुआ
उन्होंने कहा मैं 35 साल से गीता का ही अनुसरण कर रहे हैं। जिससे हर काम निश्चित खुशी प्राप्त होती है। सुनकर सभा के सभी लोग गीता का अनुसार समय बिताने लगे लेकिन अपने जीवन में कुछ परिवर्तन नहीं दिखाई पड़ा।
अंत में उनके साथ दूसरे व्यक्ति के बैठे हुए थे बताएं जीता इनकी पत्नी का नाम है उन्हीं के बताये पर चलते हैं ।
- विजयेन्द्र मोहन
बोकारो - झारखंड
हंसनेवालों का काम  है दूसरों की हंसी उड़ाना और वो केवल हंसी उड़ा सकते हैं ......जिसकी वे हंसी उड़ा रहे होते हैं उनका अथक परिश्रम व प्रयास उन्हें दिखाई नहीं देता
कोशिश करनेवालों की कभी हार नहीं होती व सफल वो ही होते हैं जो कोशिश करते हैं .....हॅसनेवाले केवल हंसी उड़ाते रह जाते हैं
जब वे सफल होते हैं जिनकी हंसी उड़ाई जा रही थी तो हंसी उड़ानेवाले तालियां भी बजाते हैं क्यूंकि ये रंग बदलती दुनियां है और चढ़ती को सलाम है ......ये अलग बात  है की अपवाद हर जगह होते हैं
- नंदिता बाली
सोलन - हिमाचल प्रदेश
संभव है । आप पर आज हंसने वाले कल तालियाँ भी बजा सकते हैं वशर्ते उस बात को अपने मन मस्तिष्क में इस तरह से बैठा लें कि वही सबसे बड़ी चुनौती है या वही लक्ष्य है कि आज हंसने वाले लोग जब तक तालियाँ न बजाए तब तक पीछे मुड़कर नहीं देखना है । वैसे भी कामयाब होने के लिए एक जुनून की आवश्यकता होती है वह जुनून किसी के हंसने से भी ज़िद के कारण पैदा हो सकता है और कुछ कर गुज़रने की मन में आ सकती है और अगर ऐसा हुआ तो कामयाबी आपके कदम चूमेगी फिर आप पर हंसने वाले लोग तालियाँ बजाने को विवश हो जाएँगे । 
अक्सर ऐसा देखा जाता है कि वही लोग सफलता के सोपान चढ़े हैं जिन्होंने हंसने वालों की बातें चुनौती के रूप स्वीकार की हैं । हंसने वाले आज अगर आपकी असफलता को देखते हैं तो उनकी पैनी नज़र कल आपकी कामयाबी पर भी होगी तो अवश्य अपनी झेंप मिटाने के लिए तालियाँ बजाने में भी आगे ही रहेंगे । 
- डॉ भूपेन्द्र कुमार 
धामपुर - उत्तर प्रदेश
जी बिल्कुल सम्भव है कि जो लोग आज आप पर हंस रहे है ,आपकी असफलता से या किस कमी को देखकर आपका परिहास करते हैं ,मज़ाक उड़ाते हैं वे ही लोग ,जब आप भविष्य में सफल हो जाएंगे आपके पास उपलब्धियां होंगी तो वही लोग आपका स्वागत तालियों से करेंगे  क्योंकि सफलता को सभी सलाम करते हैं।
यही सत्य है की असफलता अनाथ होती हैं परंतु सफलता के बहुत रिश्तेदार बन जाते हैं ।
यूं तो जब कोई व्यक्ति सफलता के शिखर पर होता है तो उसका कंपटीशन सिर्फ खुद से होता है, लेकिन यह सच है कि जब कोई व्यक्ति सफल होता है तो क्या अपने क्या पराये सभी उस से प्रेम जताने लगते हैं ।यह भी सत्य है कि सफल व्यक्ति को लोग अक्सर अपना रिश्तेदार सगा संबंधी बताते हैं ।
 समाज में अपने भाव बढ़ाने के लिए सफल लोगों को अपना खास बताते हैं क्योंकि सफलता को  ही दुनिया सलाम करती है ।यही कटु सत्य है ।
 असफल व्यक्ति की प्रतिभा को नजरअंदाज कर दिया जाता है,,,, अक्सर नकार दिया जाता है।
सफलता के समय हर कोई आपके साथ खड़ा नजर आता है और अपने आपको रिश्तेदार भी साबित कर देता है, परंतु संकट के समय बड़े से बड़ा रिश्तेदार साथ छोड़ देता है ।
मगर ऐसा हमेशा नहीं होता है  अपवाद स्वरूप कुछ सच्चे मित्र सच्चे रिश्ते भी होते हैं ,जिनमें सच्चा प्रेम होता है ।वह विपरीत परिस्थितियों में पूरी निष्ठा के साथ साथ देते हैं।
 मगर ऐसा बहुत कम ही होता है। ज्यादातर मामलों में सफलता के ही रिश्तेदार होते हैं ।
सफलता के साथ अनेक रिश्ते आप की देहरी पर अपनेपन की बारिश करने लगते हैं। अगर आप किसी ऊंचे पद पर नियुक्त हो गए तो रिसते रिश्ते भी महकने लगते हैं ।
असफलता मनुष्य को इसलिए अवसाद की ओर से ले जाती है क्योंकि असफल मनुष्य अकेला रह जाता है। यह  जगत की नकारात्मक रीति है ,कि जब मनुष्य को सबसे ज्यादा अपने रिश्तेदारों व मित्रों की जरूरत होती है ,तब वह नदारद मिलते हैं।
 एक कहावत है कि चढ़ते सूरज को सभी सलाम करते हैं ,,,यह कहावत मनुष्य के व्यवहार में चरितार्थ होती है ।
परंतु यह भी सत्य है कि असफलता के समय व्यक्ति के धैर्य और साहस की परख तो होती ही है, साथ ही सच्चे रिश्तेदारों व मित्रों की भी परख भी हो जाती है ।
सच्चे रिश्तेदार के धैर्य और साहस बढ़ाने हिम्मत देने के दो शब्द ही सफलता का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
 लेकिन सफलता भी प्राप्त स्वयं के प्रयासों से ही प्राप्त होती है।
यह सच है कि सिर्फ सपनों से कुछ नहीं होता सफलता मेहनत से हासिल होती है ।सफलता का कोई रहस्य नहीं है वह केवल अत्यधिक परिश्रम चाहती है ।इंसान अपने जज्बात और उतावलेपन से नहीं ,अपनी मेहनत और दिमाग से सफल होता है। हां जीतने वाले अलग चीजें नहीं करते वह चीजों का अलग तरीके से करते हैं ।
वैसे तो सफलता की परिभाषा भी व्यक्ति अपने हिसाब से गढ़ लेता है ,वह जो चाहता है उसे प्राप्त कर  खुद को सफल मान लेता है, और उसके यही  प्राप्ति उसे प्रसन्नता प्रदान करती है ।
 यूं तो आत्मविश्वास भी सफलता का प्रमुख रहस्य माना जाता है।  मेहनतकश लोग जब सफलता की मंजिल पर पहुंचते हैं तो उनको ऐसे लोग भी अपना मानते हैं  और अपना बताते हैं जो कभी उन्हें पहचानने से इनकार करते थे।
 तो हुई ना बात कि असफलता अनाथ होती है और सफलता के बहुत से रिश्तेदार बन जाते हैं।
यही कटु सत्य है । जो लोग आपको असफलता पर  कल तक हंसते थे वो आज आपके स्वागत में तालियां बजा ने को तैयार खड़े हैं ।
 - सुषमा दिक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
यह संभव है, बिल्कुल संभव है यदि हम स्वयं पर हंसने का कारण जानकर अपने आप में सुधार कर मेहनत करें और हर एक कटाक्ष को अपने हित में जानकर अपनी सोच को बदलें, उन कारणों को खत्म करें जिनके कारण हम पर हंसा जाता है। ऐसा होते ही कल हम पर तालियां भी बजेंगी, विश्वास रखें।
- सुदर्शन खन्ना 
 दिल्ली
आलोचना कभी कभी जीवन में प्रेरणा बनकर हमें आगे बढ़ने को प्रेरित भी करती है । जीवन में तरह-तरह के लोगों से सामना होता है। कोई जरूरी नहीं कि हमारे दुश्मन ही हमारा मजाक उड़ाएं। कुछ अपने भी अंदरूनी इर्ष्यावश तारीफ की जगह मजाक उड़ाते हैं।
      कभी-कभी हमें ऐसा दुर्व्यवहार हतोत्साहित करता है और कभी-कभी हमें  कुछ अच्छा कर दिखाने के लिए प्रोत्साहित भी करता है और इसी कारण दिलो-जान से हम जीवन में अपने मुकाम को हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध होते हैं और सफलता भी हासिल होती है।
      सफलता देखकर वास्तव में जो सहृदय होते हैं वो हंसना छोड़कर तालियां बजाने को मजबूर हो जाते हैं। आलोचक भी प्रशंसक बन जाते हैं। उन पर ये पंक्तियां सटीक बैठती हैं--
 "निंदक नियरे राखिए आंगन कुटी छवाय।
 बिन पानी साबुन बिना निर्मल करे सुभाय।।"
      निंदक को अपने पास संभाल कर रखें। आपके त्रुटियों को उजागर करते हुए वह आपके लिए आगे बढ़ने का दरवाजा खोलेंगे। निंदा से कभी हतोत्साहित न हो--- अपनी कमियों को सुधारते हुए प्रयत्नरत रहें---सफलता कदम चूमेगी। आज जो हंस रहे हैं कल जरूर ताली बजाएंगे।
                   - सुनीता रानी राठौर
                   ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश
"गिरते हैं शाह सवार ही मैदान ऐ जंग में'
मुर्दादिल क्या खाक जिया करतें हैं!"
ज़ी हाँ  शायर साहब कि ये पंक्तियां बहुत ही सटीक हैं । 
जो मानव परिश्रमी हैं और प्रयास के द्वारा आगे बढ़ने की उम्मीद रखते हैं वे एक दिन अवश्य ही सफल होते हैं। जो केवल मात्र मन में योजना ही बनातें रहते हैं अथवा ख्याली पुलाव पकाते रहते हैं स्वयं आगे बढ़ने के लिए कुछ भी प्रयत्न नहीं करतें वहीं मनुष्य मुर्दादिल के समान होते हैं।
 ऐसे मनुष्य अकर्मण्य अर्थात आलसी नाम से जाने जाते हैं।अधिकतर ऐसे ही लोग दूसरों का मज़ाक उड़ानें और व्यर्थ की बातों में समय व्यतीत करने में माहिर होते हैं।
"कुछ तो लोग कहेंगे
लोगों का काम है कहना!"
इसलिए लोगों के हँसने पर ध्यान नहीं देना चाहिए । बल्कि लोगों के हँसने या काम में बाधा डालने वाले नकारात्मक सोच वाले लोगों से दूर रहकर अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कठिन परिश्रमी मनुष्य को अवश्य ही एक दिन मंजिल प्राप्त होती हैं। तब हँसी उड़ाने वाले ये लोग आपकी सफलता से प्रभावित होकर आपके आगे-पीछे चक्कर लगाने के लिए और तालियाँ बजाने के लिए बाध्य हो जातें हैं।
- सीमा गर्ग मंजरी
मेरठ - उत्तर प्रदेश
पहले हमें ये समझना होगा ,हम पर दूसरा व्यक्ति क्यों हँसता है  । अपने में सामर्थ न हो और वह काम करने की तरफ हम बढ़ें बड़ी -बड़ी बातें बनायें और असफल हो जायें तो हमारी आलोचना होती है तरह-तरह के व्यंग वाण भी झेलने पड़ते हैं । बात फैलती जाती है लोगों का कटाक्ष सहना पड़ता है  । इसके विपरीत यदि हम बड़ी बोल न बोलें केवल अपने काम पर ध्यान दें तो हम पर हँसने वाले नहीं होते हैं क्योंकि आज शिक्षा का प्रसार बो चुका है संकुचित विचार धारा दम तोड़ रही है तो पुनः सफल होने पर लोग तालियाँ बजाते हैं इतना ही नहीं घर आ कर शुभकामनाएँ भी देते हैं ।
- कमला अग्रवाल
गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश
जो व्यक्ति किसी पर हंसता है यानी मजाक उड़ाता है, वह दरअसल ईर्ष्यालू प्रवृत्ति का और अहंकारी होता है । यदि हमसे ये पूछा जाए कि 'क्या हम पर ऐसे हंसने वाले व्यक्ति , कल तालियां भी बजाएंगे ?' तो मेरा ऐसा मानना है कि ऐसे व्यक्ति कल यदि तालियाँ भी बजाएंगे तो पीठ पीछे बुराईयां ही करेंगे । ऐसे व्यक्ति खुश होकर तालियां नहीं बजाएंगे । 
इसलिए हमें ऐसे लोगों पर बिना ध्यान दिए अपने कार्य पर ध्यान देना चाहिए। 
 - पूनम झा
कोटा - राजस्थान 
"किसी के बुरे वक्त  पर हंसने की गल्ती मत  करना,
वक्त है जनाब, चेहरे याद रखता है, "। 
एेसे कई मौके आते हैं यहां हंसी मजाक चलता है, ताली बजाई जाती है, 
जैसे किसी समारोह में स्कूल में, मंदिर में या घर में जब कोई भी खुशी  और उत्साह वाली बात होती है तो उस दिन हम खूब हंसी मजाक करते हैं व ताली बजाकर अभिवादन करते हैं, 
लेकिन कई बार कुछ व्यक्ति किसी कारणवश हंसी के पात्र बन जाते हैं जिनमें कई बार सफल न होना, किसी कार्य को सही ढंग से न कर पाना, , गरीबी के कारणवश कुछ बातों मैं पीछे रह जाना इत्यादी, 
इन सभी कारणों के पीछे कई बार सहने वाला इंसान  अपने आप में बहुत महसूस करता है, बात यहां तक ही नहीं रूकती लोग तो  उसकी नाकामयाबी पर तालियों  पर उतर आते हैं, 
तो आईये आज की चर्चा इसी बात पर करते हैं कि क्या आप पर हंसने वाले तालियों भी बजायेंगे, 
यह तो सच है जो किसी का मजाक ले सकते हैं अगले दिन वो तालियां भी बजायेंगे, 
लेकिन हमों किसी प्रवाह न करते हुए सब कुछ सहते हुए आगे बढ़ना चाहिए ताकि उनको दिखा सकें की हम भी कुछ हैं और तालियां बजाने वाले खुद अपने आप को नीचा महसूस करें, अगर कुछ कर दिखाने की तमन्ना हो तो किसी की हंसी व तालियां हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकती, 
सच कहा है, 
खुदी को कर वुलंद इतना हर तकदीर से पहले कि खुदा खुद वन्दे से आकर पुछे कि बता तेरी रजा क्या है, 
अन्त में यही कहुंगा  कि हंसना तो सेहत के लिए च्वनप्राश है, ताली बजाना तो एक व्यायाम है जिससे कई रोग दूर होते हैं लेकिन किसी वेरहम पर हंसना व उसका मजाक लेना न जाने सहने वाले के लिए क्या क्या रोग लाता है क्योंकी सहने वाला ही जानता है कि वो कितने दर्द में है  वरना दूनिया को तो बस झूठी हंसी दिखती है, 
सच कहा है, 
जब भी वो उदास हो, 
उसे मेरी कहानी सुना देना, 
मेरे हालात पर हंसना उसकी पुरानी आदत है, 
हमें कभी किसी की वेरहमी व गरीवी, लाचारी पर हंसना नहीं चाहिए  न जाने कब सहने वाला सामने उभर कर आऐगा जब आपकी हंसी व तालियां आपको राख में मिला देंगी, 
सच कहा है, 
मत सता गरीब को 
वो रौ देगा जब देखेगा 
उसका मालिक आपको जड़ से खो देगा। 
अगर आप हंसी देना चाहते हो तो किसी अवला कि मदद करके उसे हंसाओ ताकि उसके घर में खुशी के कारण खूब तालियां बजें वरणा नाजायज कि हंसी  दुसरे को गम भी देती है तो कईबार साहस इतना देती है कि आपका हंसता खेलता  घर उसे फलता फूलता देखकर  खुद गमी में तब्दील हो जाऐगा, 
लेकिन सहने वाले को चाहिए वो किसी के हंसने व तालियों की प्रवाह किये बिना अपने प्रयत्न को जारी ऱखे। 
- सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू कश्मीर
वक्त किसी का एक सा नहीं रहता। जीवन में उतार चढ़ाव तो चलता ही रहता है। लोगों का स्वभाव ही इस तरह का होता है। उगते सूर्य को सभी अर्ध्य देते हैं। उसी प्रकार इंसानी फितरत भी होती है। निश्चित रूप से किसी व्यक्ति पर हंसने वाले मौका आने पर उसके लिए तालियां भी बजाते हैं।
- गायत्री ठाकुर "सक्षम" 
नरसिंहपुर - मध्य प्रदेश

" मेरी दृष्टि में "  हँसने वाले अपनी मूर्खता प्रकट करते हैं । सफलता अपना परिणाम अवश्य दिखाती है । सफलता अच्छे - अच्छे के विचार बदल देते हैं । यही सफलता का रहस्य सिर चढ़कर बोलता है ।
- बीजेन्द्र जैमिनी 

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