जिस के जीवन में कोई लक्ष्य नहीं होता है क्या उस का जीवन व्यर्थ है ?

जीवन में कोई ना कोई लक्ष्य अवश्य होना चाहिए । तभी जीवन का कोई मतलब होता है । लक्ष्यहीन जीवन भटकने के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है । यही कुछ जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
जीवन के लिए लक्ष्य का होना जरूरी है।लक्ष्य के बिना जीवन अधूरा है।जीवन में जब हम कोई कार्य करना चाहते हैं तो पहले अपना लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए।उसके लिए एकाग्रता होनी चाहिए।उस पर पूर्ण ध्यान केंद्रित करना चाहिए।लगन और जज्बा होना चाहिए। उस विषय में ज्ञान होना चाहिए तभी वह कार्य पूरा होगा और हमारा जीवन सुखमय बीतेगा।अगर हम बिना ज्ञान और बिना लक्ष्य के कार्य करेंगे तो दिशा विहीन हो जाएंगे और वह कार्य अधूरा रह जायेगा।हमारा जीवन कष्टमय हो जाएगा अतः बिना लक्ष्य के हमारा जीवन अधूरा है।
- इन्दिरा तिवारी
रायपुर-छत्तीसगढ़
     जीवन-यापन करने के लिये एक लक्ष्य की ओर अग्रसर होना पड़ता हैं, जिसके माध्यम से उन समस्त प्रकार के कार्यों को पूर्णता तत्परता के साथ स्वतन्त्र क्रियान्वित करने में सार्वभौमिकता की आवश्यकता प्रतीत होती हैं, नहीं तो अपने लक्ष्य की  जगह नकारात्मक सोच में बदलाव होता हैं और परिकल्पना दूषित हो जाती हैं, जिसका प्रतिफल सीधा सा प्रभाव परिवार जनों में दिखाई देता हैं और दिलचस्प भी अप्रत्याशित होकर रह जाता हैं, उसका जीवन व्यर्थ रह जाता हैं फिर स्वयं अपने आपको कोसते रह जाते हैं, कि हमें पूर्व में ही लक्ष्य निर्धारित करना था, फिर वह समय वापस नहीं आ पाता और सभी से दूरियां बनते जाती हैं?
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर' 
   बालाघाट - मध्यप्रदेश
कहीं पढ़ा था कि लक्ष्य हीन जीवन बिना पते के लिफाफे की तरह होता है जो इधर उधर पड़ा रहता है। सचमुच लक्ष्य होना जीवन को दिशा प्रदान करता है, सार्थक बनाता है। बचपन से ही हम सपने देखने लगते हैं कि बड़े होकर क्या बनेंगे। आजकल तो बच्चे के स्कूल में भर्ती होते ही उसके माता पिता भी उसके भविष्य के सपने संजोना शुरू कर देते हैं। वास्तव मे लक्ष्यहीन जीवन अधूरा है।
लक्ष्य से हमारा अभिप्राय केवल जीवन का ध्येय अथवा लक्ष्य नहीं हैं अपितु लक्ष्य छोटे छोटे भी हो सकते हैं। जैसे स्वस्थ जीवन शैली अपनाना, दूसरों के प्रति सहिष्णुता, दयालुता तथा मैत्रीभाव विकसित करना, अच्छे श्रोता बन दूसरों की बात सुनना आदि। कुछ भी करने या बनने का ध्येय निश्चित ज़रूर करना चाहिए। आवश्यक यह है कि जो भी लक्ष्य हम निर्धारित करें उसे पूरा अवश्य करें। अर्जुन की आंख की तरह हमारा पूरा फोकस उसी लक्ष्य पर होना चहिए। लक्ष्य निश्चित करना तथा उस के लिए कार्यशील रहना हमें उत्साह, स्फूर्ति व प्रेरणा से भरपूर रखता है। हमारे जीवन को उद्देश्य तथा मार्गदर्शन प्रदान करता है।  
इसमें कोई संदेह नहीं कि जिनके जीवन में कोई लक्ष्य नहीं उनका जीवन व्यर्थ ही है।
किसी ने सही कहा है..
जिस दिन से चला हूं मेरी मंज़िल पे नज़र है
इन आंखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा।
- डॉ नीलिमा डोगरा
नंगल -  पंजाब
इस प्रश्न का उत्तर चाहिए तो लट्टु घुमाइए और फिर भी समझ न आये तो स्वयं भी लट्टु के साथ घूमना शुरू कर दीजिए। 
बिना कोई लक्ष्य रखे जीवन भी कोई जीवन है। सच कहूँ तो लक्ष्यविहीन मनुष्य की मानसिक स्थिति कूप मंडूक जैसी हो जाती है। ऐसी स्थिति में मनुष्य को अपनी परछाई के काले रंग के अतिरिक्त और कोई रंग दिखाई ही नहीं देता। वह जीवन भर लट्टु की तरह एक निश्चित दायरे में घूमता रहता है। 
मैं यहाँ यह चर्चा नहीं कर रहा हूँ कि लक्ष्य क्या होना चाहिए क्योंकि यह एक अलग बिन्दु है और मनुष्य की परिस्थिति पर निर्भर करता है। 
परन्तु यह अवश्य कहुँगा कि यह आवश्यक नहीं कि अपनी सीमाओं के बाहर जाकर ही कोई लक्ष्य निर्धारित किया जाए। 
हाँ! जिस धरातल पर हम खड़े हैं उस पर मन-मस्तिष्क की पूरी उर्जा के साथ चलते हुए शिखर तक पहुँचने का लक्ष्य तो जीवन में अवश्य होना चाहिए। 
इसीलिए कहता हूँ कि...... 
मिलते नहीं पुष्प ही हिस्से में जरा कंटक हटाओ तुम, 
करो हिम्मत कश्ती को धारा के विपरीत बहाओ तुम। 
लक्ष्य पर जो आँख टिकाते वही 'अर्जुन' बन जाते हैं,
भेद अन्तिम द्वार 'अभिमन्यु' से आगे बढ़ जाओ तुम।।
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग' 
देहरादून - उत्तराखण्ड
प्रत्येक को अपने जीवन में कुछ न कुछ करने का लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए ताकि जीवन सुनियोजित ढंग से आगे बढ़ सके और जीवन का सही मायने में सदुपयोग हो सके। बिना लक्ष्य के तो अधिकांश लोग जीते ही हैं पर किसी उपलब्धि के लिए लक्ष्य निर्धारित करना आवश्यक हो जाता है जिसको पूर्ण लगन एवं सतत प्रयास के द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है।
- गायत्री ठाकुर "सक्षम" 
नरसिंहपुर - मध्य प्रदेश
जिसके जीवन का कोई लक्ष्य नहीं उसका जीवन तो व्यर्थ ही समझना चाहिए। क्योंकि पेट तो सभी पालते हैं
यहाँ तक कि जानवर भी अपना पेट पालते हैं। अगर मनुष्य जीवन का कोई लक्ष्य न हो तो वो जीवन बेकार ही समझना चाहिए। खाना-पीना-सोना तो सभी करते हैं या कर सकते हैं। लेकिन जो जीवन में कुछ करते हैं वे अपना नाम अमर कर जाते हैं। चाहे वो देश के लिए हो,समाज के लिए हो या अपने परिवार के लिए कुछ करने वाले ही अपने जीवन का एक लक्ष्य बनाकर चलते हैं। बहुत लोगों का लक्ष्य होता है मुझे आईपीएस, आईएएस, इंजीनियर डॉक्टर इत्यादि बनना है या बड़ा बिजनेसमैन बनना है या और कुछ बनना है और बनता है।तो उसे खुशी मिलती है या जग में नाम होता है। जिसके जीवन का कोई लक्ष्य नहीं उसका जीवन व्यर्थ ही समझना चाहिए। इसलिए जीवन का कोई न कोई लक्ष्य अवश्य होना चाहिए।
- दिनेश चन्द्र प्रसाद "दीनेश"
 कलकत्ता - पं. बंगाल
 हां जी जिसके जीवन में कोई लक्ष्य नहीं होता उसका जीवन व्यर्थ है अर्थात बिना प्रयोजन का उत्तर आता है जी नहीं पाता अर्थात मानसिक सुख नहीं मिलती है। वहां शरीर को जैसा कैसा चलाता रहता है लेकिन आत्मिय  सुख नहीं मिलती है।
 आत्मीय सुख के बिना यह जीवन व्यर्थ है क्योंकि फूल कितना भी सुंदर हो लेकिन उस फूल की कोई उपयोगिता नहीं होती तो उस फूल का कोई महत्व नहीं होता सुंदर रहते हुए भी वह अनुपयोगी रहता है इसी तरह मनुष्य का जीवन भी है यह जीवन शरीर यात्रा सुख की चाहत से कर रहा है लेकिन सुख नहीं मिला तो यह जिंदगी जिसकी जीवन में कोई उपयोगिता नहीं है यही कहते बनता है जी बिना लक्ष्य के जीवन व्यर्थ है।
 - उर्मिला सिदार 
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
ऐसा कहना सौफीसदी सही नहीं होगा। हर जगह, हर प्रकार के लोग , हर तरह की विविधताएं लिए जीवनयापन कर रहे हैं। कोई लोग ऐसे हैं उनके पास जो कुछ है, उसी में संतोष का सुख ले रहे हैं और कुछ लोग ऐसे भी हैं जो और... और पाने को सतत संघर्षरत हैं। कुछ ऐसे हैं जो बहुत दूर तक का लक्ष्य लिए हैं , कुछ ऐसे भी हैं जो आज याने एक-एक दिन का ही अपना लक्ष्य सीमित रखते हुए चलते हैं और कुछ तो ऐसे भी हैं जो बिना लक्ष्य लिए जी रहे हैं।  उन्हें न लक्ष्य का ज्ञान है, न भान। इसीलिए लक्ष्य से जीवन की सार्थकता या व्यर्थता का आकलन करना तर्कसंगत नहीं होगा। 
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
हम सभी मानते हैं कि मनुष्य जीवन सर्व श्रेष्ठ है क्यों कि हमारे पास सोचने समझने और कर्म करने की शक्ति है । जीव तो और भी हैं लेकिन उनका कार्य केवल पेट भरना , प्रजनन और सोना है । हाँ उनकी संरचना भी प्रभु ने हमारी जरुरतों की पूर्ती के लिए किया है ।और वह हमसब के लिए परोपकार करते हैं फिर भी लक्ष्य साधने की शक्ति उनमें नहीं है ।
दुनिया कितनी सुन्दर और प्रभाव शाली है बस इसको समझने के लिये ज्ञानचक्षु  चाहिए । यह बिना लक्ष्य के नहीं हो सकता । लक्ष्यनिर्धारण करना  फिर बहुत से संकटों के दरिया को पार करना ।सफलता या असफलता का इंतजार ,या तो खुशी या पुनः 
प्रयास । यह सभी लक्ष्य की सिढ़ियाँ है । जो हमें पार करनी चाहिए ।अरे ! मनुष्य तन मिला है तो संसार को कुछ देकर जायें । खाये सोये और चले गये ।यह जीवन नहीं है ।मैं तो जीवन मे लक्ष्य निर्धारण मूल्यवान मानती हूँ ।
- कमला अग्रवाल
गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश
जिसके जीवन में कोई लक्ष्य नहीं होता उसका जीवन पूरी तरह से व्यर्थ है यह नहीं कहा जा सकता।  नदी का लक्ष्य रहता है कि वह समुद्र में जाकर मिले। जिस नदी का समुद्र में जाकर मिलने का लक्ष्य नहीं होता वह कम से कम लोगों की प्यास बुझा सकती है, खेतों की सिंचाई कर सकती है। इसी प्रकार जिस व्यक्ति का जीवन में कोई लक्ष्य नहीं होता वह किसी न किसी रूप में समाज के काम आ सकता है और उसका जीवन व्यर्थ नहीं जाता।
- सुदर्शन खन्ना 
दिल्ली 
जिस के जीवन में कोई लक्ष्य नहीं होता वह जीवन तो जीता है और जीते हुए क्या गाता है-------" दुनिया में हम आए हैं,
 तो जीना ही पड़ेगा।
 जीवन है अगर जहर,
 तो पीना ही पड़ेगा।।"
           यानि मानना पड़ेगा कि वह निरर्थक और दिशाहीन जीवन जी रहा है जो कि व्यर्थ कहा जाएगा। उसे सार्थक नहीं कह सकते। 
               सही लक्ष्य के अभाव में भी यदा- कदा जीवन उपलब्धियों से भरा भी होता है पर वह उस सुखमयता से रिक्त ही रहता है; जिसकी वह आकांक्षा रखता है। वह पूर्णता से अपूर्ण रहता है।
          व्यक्ति यदि जीवन का लक्ष्य अपनी रूचि, स्वभाव  या जन्मजात प्रतिभा के अनुरुप रखता है तो उसे उसकी प्राप्ति में सफलता आसान हो जाती है। भले ही लक्ष्य प्राप्ति का काल चुनौतियों से भरा होता है पर वह व्यक्ति  अपने उचित आदर्श और व्यवहार से अपने चरम लक्ष्य की संभावना को साकार कर ही लेता है ।
          लक्ष्य सदैव जीवन को एक नया अर्थ देता है जहां चुनौतियों को अवसर में बदलने का असीम जोश व साहस मिलता है। लक्ष्य बनाकर बनाकर जीवन जीने से हमारी कर्मवादिता के फलस्वरूप प्राप्त सफलता से हमारा सामाजिक जीवन भी कल्याणकारी होने के साथ-साथ आर्थिक विकास की राहें भी खोल देता है। वह व्यक्ति अद्वितीय व्यक्तित्व की संज्ञा से भी महामंडित होता है।
  - डाॅ.रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
हां! जिस मानव के जीवन का कोई लक्ष्य नहीं होता है उसका जीवन व्यर्थ होता है। लक्ष्य ही जानवर और इंसान में अंतर करता है। चूंकि मानव जीवन का लक्ष्य ही उसके जीवन को श्रेष्ठ एवं महान बनाता है।
       उल्लेखनीय है कि लक्ष्य दिशा निर्देशन एवं मार्गदर्शन करता है। जिससे मानव को मालूम होता है कि उसे अपनी सफलता के लिए कौन सी सीढ़ी चढ़ना है?
       जैसे तैराक बनने का लक्ष्य निर्धारित करने वाले को तैरने के प्रशिक्षण की और लेखक बनने के लिए निरंतर लेखन के अभ्यास की आवश्यकता पड़ती है। सर्वविदित है कि तैरने का प्रशिक्षु लेखक नहीं बन सकता और निरंतर लेखन के अभ्यर्थी तैराक नहीं बन सकते। इसलिए सफलता प्राप्ति उन्हीं को होती जिन्हें अपनी निर्धारित मंजिल के 'लक्ष्य' का सम्पूर्ण ज्ञान होता है।
       अतः उपरोक्त उदाहरणों से स्पष्ट प्रमाणित होता है कि लक्ष्य विहीन जीवन व्यर्थ ही नहीं बल्कि पशु समान होता है।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
जीवन में लक्ष्य का होना अति आवश्यक होता है अगर कोई लक्ष्य ना हो तो जीने का कोई तात्पर्य ही नहीं होता है ।अर्थात जीवन की गतिविधियों को निरंतर निभाने के लिए और मंजिल पाने के लिए अपने लक्ष्य का होना आवश्यक होता है। जिसके पास कोई लक्ष्य कोई मंजिल नहीं होती उनका जीना बेशक व्यर्थ ही होता है और जीवन में खालीपन सा रहता है जीवन की गतिविधियों में अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमें हमेशा वेतन से और मेहनत पर्यटन करना बेहद आवश्यक होता है जीवन का अनमोल होती है जीवन अनमोल है और हमें जीवन के हर एक मोड़ पर लक्ष्य निर्वहन करना चाहिए लक्ष्य प्राप्त करके हम अपने जिंदगी के आगे की ओर ले जा सकते हैं जिंदगी को हमेशा प्रगतिशील करने के लिए आवश्यक होता है  अपना लक्ष्य ।जिसके जीवन में कोई नहीं है उसका जीवन  व्यर्थ  माना जा सकता है ।ना कोई पाने की लालसा होती है ना कोई  उम्मीद
 जिंदगी एकदम निरस्त हो जाती है प्रत्येक मानव के जीवन में अपना अपना एक लक्ष्य होता है जिससे वह उससे कदम पऱ चलकर अपनी मंजिल की ओर और आगे बढ़ते हैं और प्रेरणा के स्रोत कहलाते हैं जिंदगी के अनुभवों में लक्ष्य का अनुभव होता है जिसमें जीवन के लक्ष्य का होना बेहद आवश्यक होता है। लक्ष्य से ही हम जिंदगी के अनुभव प्राप्त कर सकते हैं जिंदगी के जीवन जीने की कला को हम सीख सकते हैं।लक्ष्य का होना आवश्यक होता है उसके बिना जीवन व्यर्थ है
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर - झारखंड
, जीवन में लक्ष्य का विशेष महत्व है। लक्ष्य नहीं तो जीवन व्यर्थ माना गया है। जीवन जीने के लिए लक्ष्य तय करना पड़ता है। दिन-रात उसी पर ध्यान केंद्रित करना पड़ता है। लक्ष्य को पूरा करने के लिए व्यक्ति पुरजोर मेहनत करता है और सफलता भी प्राप्त करता है । लक्ष्य के बिना जीवन में भटकाव पैदा होता है । यह भटकन किसी विशेष दिशा की तरफ ना ले जाकर गोल दायरे में ही व्यक्ति को घुमाती रहती है।  संसार में हर प्राणी कोई न कोई लक्ष्य को लेकर जिता है। लक्ष्य ही जीवन का आधार आधार है। बिना लक्ष्य के जीवन का कोई महत्व नहीं। 
- शीला सिंह
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
मनुष्य एक विवेकशील प्राणी है। मनुष्य और जानवर में बस यही फर्क है कि मनुष्य विवेक बुद्धि से सोचते हुए अपने लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु सदा प्रयत्नशील रहता है जबकि जानवर का मकसद सिर्फ पेट भरना होता है।
 हर व्यक्ति का कोई न कोई लक्ष्य होता है- अपने परिवार को संभालने का ,मंजिल को प्राप्त करने का। 
लक्ष्यविहीन या दिशाविहीन व्यक्ति कभी भी अपने उद्देश्य को पाने में सफल  हो पाता।
अगर लक्ष्य न हो तो जीवन जीना व्यर्थ लगने लगता है या जीवन बोझ सा महसूस होता है। लक्ष्य हृदय में नई चाह उत्पन्न करती है उस चाह को पूर्ण करने में हम तत्परता दिखाते हैं और आत्मिक संतुष्टि मिलती है। 
  घर- गृहस्थी सुचारु रुप से संभालते हुए बच्चों को काबिल बनाना भी आम इंसान का लक्ष्य ही हैं जिसको सफल बनाने हेतु रात- दिन परिश्रम करता रहता है। बच्चे तन मन से पढ़ाई में जुटे रहते हैं क्योंकि उनका लक्ष्य कुछ कर दिखाने का होता है।
 वास्तव में अगर जीवन में लक्ष्य न हो तो जीवन व्यर्थ-सा महसूस होता है।
         - सुनीता रानी राठौर
             ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश
इस बात से सभी सहमत हैं जिसके जीवन का कोई लक्ष्य नहीं उसका जीवन ही व्यर्थ है ! यदि किसी से रास्ता पूछते हैं तो हमें पता होना चाहिए कि हमें जाना कहां है वर्ना हम भटकते रहेंगें ! ठीक उसी तरह लक्ष्य विहिन कार्य हमें भटकाव की ओर ले जाता है जबकि लक्ष्य व्यक्ति को सकारात्मक दिशा देता है ! हर व्यक्ति शिखर चूमना चाहता है ! लक्ष्य प्राप्ति में हमें असफलता से विचलित नहीं होना चाहिए ! 
बालक जब खडे़ होने और चलना सीखता है बारबार गिरता है पुनः उठता है उसका एक ही लक्ष्य होता है उसे खडे़ होना और चलना है ! वह रात दिन यही सोचता है और अंत में विजय हासिल कर अपने लक्ष्य में कामयाब हो चलना सीख ही जाता है ! संघर्ष एवं आत्म-विश्वास के साथ असफलता के बीच सफलता के सोपान पा ही लेता है !लक्ष्य प्राप्ति के लिए निरंतर प्रयासरत रहना चाहिए !
इसमे कोई दो राय नही लक्ष्य बना हम कार्य करते हैं तो सफलता अवश्य मिलती है किंतु हम किस दिशा में जा रहे हैं उसका ध्यान देना होगा ! लक्ष्य सही दिशा में होना चाहिए ऐसा ना हो कि लक्ष्य प्राप्ति के बाद हमें पछताना पडे़ !
(वैसे मेहनत तो दीमक भी करती है किंतु वह निर्माण नहीं विनाश करती है !)
            - चंद्रिका व्यास
           मुंबई - महाराष्ट्र
दिशाहीन जीवन भटकते हुए रास्ते जैसा है
लक्ष्य निर्धारित होने पर जीवन का उत्साह आनंद चौगुना बढ़ जाता है शरीर में ऊर्जा का संचार होता है हम हमेशा ही आत्म मनोबल, आत्म विश्वास के साथ एक एक कदम आगे बढ़ते हुए विजय प्राप्त करते हैं यह 
लक्ष्य छोटा या बड़ा कुछ भी हो जीवन को जीवंत बनाए रखने में बहुत ही सहायक होता है लक्ष्य का हमारे जीवन में महत्व पूर्ण स्थान होता है 
लक्ष्य के बिना जीवन नि:संदेह व्यर्थ ही है।
- आरती तिवारी सनत
 दिल्ली
मनुष्य जीवन में महान कार्यो के निरापद पूर्णता के लिए उत्साह साहस और प्रसन्नता के साथ साथ लक्ष्य निर्धारण आवश्यक है l लक्ष्य संधान के लिए
 "आंधीयों को जिद है जहाँ बिजलियाँ गिराने की l
हमें भी जिद हो वहीं आशियाँ बसाने की ll "
यदि हम अपना जीवन स्वयं के मुताबिक जीना चाहते हैं तो स्वयं लक्ष्य निर्धारित करें, उसे दूसरों को निर्धारित न करने दें l
बिना लक्ष्य के लिए गये फैसले भटकाव व समस्या उतपन्न करेंगे और मार्ग बदलते हुए पुनः प्रारम्भ में आ जायेंगे l लक्ष्य निर्धारण कर्म प्रयासों को सुव्यवस्थित बनाते हैं l
     लक्ष्य निर्धारण से आत्मविश्वास और साहस बढ़ता है l शक्ति का संचार होता है l
   लक्ष्य वाले लोग ही सफल होते हैं l वह यह जानते हैं कि वह कहाँ जा रहे हैं l विवेकानंद जी ने कहा है -"उठो, जागो!तब तक मत रुको जब तक अपने लक्ष्य को हासिल नहीं कर लो l "
         चलते चलते --
तकदीर बदल जायेगी जिंदगी के मकसद से l 
वरना उम्र तो कट जायेगी
तकदीर को दोष देते देते ll
     -डॉ. छाया शर्मा
 अजमेर - राजस्थान
जिसके जीवन में कोई लक्ष्य नहीं होता उसका जीवन व्यर्थ है जी बिल्कुल यह बात नितांत सत्य है, जिसके जीवन का कोई ध्येय नहीं वह जीवन किस काम का ।
हमें अपने लक्ष्य के लिए परिश्रम करना चाहिए ।
लक्ष्य किरण है जो व्यक्ति को सकारात्मक दिशा प्रदान करता है, जबकि लक्ष्यविहीन कार्य भटकाव की ओर ले जाता है। जीवन में एक लक्ष्य बनाना चाहिए ,दिन-रात उसी के चिंतन मनन और क्रियान्वयन में लगे रहना चाहिए ।यहां तक कि सपने में भी वहीं लक्ष्य दिखाई देना चाहिए ।
असल में जब आप कोई कार्य करते हैं तो जरूरी नहीं है कि आप सफल ही हो ,लेकिन आपको असफलताओं से घबराना नहीं चाहिए ।
हमें लक्ष्य की प्राप्ति तक स्वयं पर आशा एवं विश्वास रखते हुए आगे बढ़ते जाना चाहिए ।तभी लक्ष्य की प्राप्ति होगी एवम जीवन सार्थक हो सकेगा ,अन्यथा तो कीड़े मकोड़े भी धरती पर जन्म लेते हैं ,हालांकि कुछ कार्य उनके लिए भी कुदरत ने सौंपे है ।
- सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
"मंजिल कितनी भी दूर क्यों न हो, 
मगर लक्ष्य अर्जुन के तीर सा हो, 
कमजोरियां चाहे कितनी भी
 हों पर हौंसला सीमा पर खड़े वीर सा हो"।  
व्यक्ति के जीवन में उदेश्य जरूर होना चाहिए, लक्ष्य के बिना जीवन दिशाहीन तथा व्यर्थ होता है, 
तो आईये आज इसी पर चर्चा करते हैं कि  जिसके जीवन में कोई लक्ष्य नहीं होता उसका जीवन व्यर्थ होता है, 
यह सच है  लक्ष्य के बिना जीवन व्यर्थ ही होता है क्योंकी जीवन उसी का सार्थक है जिसमें परिस्थितियों को बदलने का साहस हो, 
मनुष्य के जीवन में लक्ष्य का बहुत महत्व है इसके बिना जीवन का कोई मतलब नहीं  आंका जाता 
देखा जाए जीवन तो लक्ष्य से ही जुड़ा होता है, लक्ष्य को अधारित करके ही हम अपने जीवन को सही दिशा  दे सकते हैं, हर महान व्यक्ति की महानता के पीछे उसके लक्ष्य का ही हाथ होता है, 
लक्ष्यवहीन जीवन में कभी सुख नहीं मिल सकता और व्यक्ति अपनी मंजिल तक कभी भी नहीं पहुंच सकता, 
आज के जीवन में हम लक्ष्यों से दूर होते जा रहे हैं जिसका  कारण यही होता है कि हम बिना   सोचे समझे व निधारित किए कार्य को शूरू कर देते हैं जो  सफलता तक नहीं पहुंच सकता और हम जिंदगी का सुख  प्राप्त करने से वंचित रह जाते हैं, 
अन्त में यही कहुंगा यदि जीवन की दौड़ हमारे अपने लक्ष्य की और है तो जीवन में सुख का बसेरा होगा, 
अगर विद्दार्थी पढ़ाई के साथ जीवन के लक्ष्य को लेकर चलें तो वो सफलता की चर्म सीमा तक पहुंच सकते हैं, 
यह भी याद रखें  लक्ष्यवहीन जीवन दिशाहीन होता है इसलिए हमें जीवन के लक्ष्यों को समझना चाहिए ताकि हमारा जीवन सुखमय व सुंदर बन सके, 
 लक्ष्य जिंदगी में  बहुत जरूरी है इसे हरेक को अपना कर ही आगे बढ़ना चाहिए ताकी हम जीवन की चर्म सीमा को छू सकें। 
- सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू कश्मीर
लक्ष्य हर जीवन के लिए जरूरी है। जो पढ़े-लिखे हैं जिनमें कुछ कर गुजरने की क्षमता है , वे लक्ष्य बना कर दुनिया को नया कुछ दे जाते हैं और मुकाम हासिल होने पर अपने जीवन की सार्थकता महसूस करते हैं। 
 इसके अलावा भी कुछ जनमानस ऐसा है जो बिना लक्ष्य के जीवनयापन कर रहा है। उनमें किसान वर्ग और गरीबी रेखा के नीचे के लोग आते हैं। लेकिन उनका भी लक्ष्य पेट-पूजा होता है। अच्छे और ज्यादा फसल का लक्ष्य होता है। अपने दायरे, सोच और जरूरत के अनुसार  हर व्यक्ति का जीवन-पथ किसी-न-किसी मंजिल को इंगित करता है।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार


" मेरी दृष्टि में " जीवन में  लक्ष्य से प्ररेणा मिलती है कि जीवन किस ओर जा रहा है । सकरात्मक या नकारात्मक । फिर जीवन को गति मिलती है । यह जीवन को अहम पहलू है । जो जीवन के जन्म से लेकर मृत्यु तक की  परिभाषा बनता है ।
- बीजेन्द्र जैमिनी 

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