परीक्षा में सफलता का मूल मंत्र कैसा होना चाहिए ?

परीक्षा का मूल मत्रं स्पष्ट होना चाहिए और कई नावों पर सवार नहीं होना चाहिए । तभी परीक्षा में सफलता मिलती है । ऐसी बहुत सी बातों का ध्यान रखना चाहिए । फिर परीक्षा तो परीक्षा होती है । यही कुछ जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
       यूं तो परीक्षाएं कई प्रकार की होती हैं जैसे पढ़ाई-लिखाई की उपाधियों की परीक्षा, राजनीतिक एवं कूटनीतिक समस्याओं की चुनौतियों की परीक्षा, सामाजिक कुरीतियों को मिटाने की चुनौतियों की परीक्षा, दहेज न लेकर धर्मपत्नी के सपनों को साकार करने की चुनौतियों की परीक्षा, सरकारी नौकरी में उन्नति की परीक्षा, घर-गृहस्थी में प्रेमपूर्वक निर्वाह करने की परीक्षा इत्यादि से लेकर जीवन की सार्थक सफलता की परीक्षाओं में सफलता प्राप्ति का मूल मंत्र "दृढ़ निश्चय और कड़े परिश्रम के साथ-साथ आत्मविश्वास एवं ईश्वर पर आस्था" है। 
       उल्लेखनीय है कि यदि दृढ़ निश्चय डगमगाने लगे तो कड़े परिश्रम का पसीना बहाया जाए, जब पसीना बहाना भी काम न आए तो आत्मविश्वास उसके घावों पर मरहम लगाए और जब उपरोक्त तीनों सशक्त स्तंभ कार्यपालिका, विधायिका व पत्रकारिता स्तंभों की भांति साथ छोड़ जाएं तो ईश्वर की आस्था के चौथे स्तम्भ का अनुसरण करें। 
       जैसे माननीय डॉ भीमराव अम्बेडकर व उनकी कमेटी द्वारा लिखित भारतीय संविधान के तीनों सशक्त स्तम्भों कार्यपालिका, विधायिका व पत्रकारिता के चरमराने के उपरांत चौथे स्तंभ "न्यायपालिका" का अंतिम विकल्प व सहारा होता है। उसी प्रकार जब घर-परिवार, रिश्ते-नाते, धन-दौलत सहित नाक की सीध पर चलने वाला मूकदर्शक समाज साथ छोड़ दे तो ईश्वरीय आस्था का आशीर्वाद बना रहे। जिसके सहारे जीवन से लेकर मृत्यु तक की अंतिम यात्रा सम्पूर्ण हो सके।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
 परीक्षा में सफलता का मूल मंत्र मन लगाना चाहिए ।अगर मन में तीव्र इच्छा शक्ति जागृत होती है, तो कोई भी कार्य कठिन नहीं सरल हो जाता है ।अतः मन लगने से ही ध्यान जाता है । ध्यान लगने से ही ज्ञान होता है और ज्ञान होने  होने से स्मरण में रहता है । स्मरण में रहने से, उसे कॉपी में लिखा जाता है ।अतः सबसे महत्वपूर्ण मन लगाने की आवश्यकता है। मन लगता है वहां तन लगता है और जहां तन लगता है वहां धन लगता है ।तभी सफलता की सीढी पार करते हैं। शरीर और मानसिकता स्वस्थ होना जरूरी है। स्वस्थ शरीर साधन स्वरूप है। स्वस्थ रहने से कोई टेंशन शरीर संबंधी नहीं होता है। मन में किसी भी प्रकार का विकार उत्पन्न न  होने से मन स्वस्थ होता है ।मन और तन दोनों की स्वस्थता से ही कार्य करने से सफलता मिलती है। इसलिए यही कहते बनता है, कि मन तन की स्वस्थता से की गई कार्य ,हमेशा सफल होता है ।
-  उर्मिला सिदार 
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
छात्र के जीवन में परीक्षा की घड़ी बहुत ही महत्वपूर्ण होती है।इस समय शांत मन से पढ़ाई करना और परीक्षा में सफल होना बहुत जरूरी है।परीक्षा के समय की गई चूक से छात्र का पूरा साल बर्बाद होता है।
परीक्षा में सफलता पाने के अचूक उपाय;--- जब आप पढ़ने के लिए बैठते हैं उस समय अपने इष्ट देव का याद करें इससे आपका ध्यान एकाग्र होगा। परीक्षा में सफलता के उपाय अंतर्गत ब्रह्ममुहूर्त में उठकर पढ़ने से विशेष लाभ होता है।इस समय वातावरण में शुद्ध हवा रहती है और चारों तरफ शांति छाई रहती है।
लेखक का विचार:-- परीक्षा में सफलता के उपाय में स्वच्छता का होना जरूरी है।
सुने अपने का दिल की बात। सीखें निर्णय लेना। परीक्षा में जाने के पहले अपने इष्ट देव एवम् माता पिता से आशीर्वाद लेना।
- विजयेन्द्र मोहन
बोकारो - झारखंड
हमें परीक्षा की सफलता का मूल मंत्र मेहनत और प्रार्थना का होना बेहद आवश्यक है। जिस प्रकार हम जिंदगी की गतिविधियों पर आगे बढ़ते हैं उसी प्रकार परीक्षा की सफलताओं को प्राप्त करने के लिए हमें अपने मूल मंत्र का विकास करना अति आवश्यक होता है ।जिंदगी के अनुभव में सफलता एक बहुत बड़ी उपलब्धि मानी जाती है अनुभवों की परतों में एक सफलता की परीक्षा होती है।जो उसका मूल मंत्र संयम संवेदनशील सद्गति होना चाहिए ।अगर आप सरलता और संयम से होते हैं तो जीवन की सफलता निरंतर आपको मिलती रहती है और जीवन के मूल मंत्र में यह काफी सहायक सिद्ध होती है जीवन का मूल मंत्र एकमात्र परीक्षा प्रार्थना ही नहीं आवश्यक है परंतु जीवन का मूल मंत्र कड़ी मेहनत है। हम जीवन के परीक्षाओं में तथा परीक्षा के सफलताओं में अगर हम कड़ी मेहनत करते हैं तो हमें सफलता अवश्य मिलती है अपने आपको संयम नियमित नियंत्रण में रखते हुए और मेहनत परिश्रम करते हुए जीवन के सफलताओं को प्राप्त करने की विधि जो होती है वह हमारा मूल मंत्र होता है तथा सुबह जल्दी उठना और अभ्यासरत होना यह जीवन की परीक्षा का एवं परीक्षा की सफलता का मूल मंत्र होता है ।
परीक्षाओं के विभिन्न प्रकार के होते हैं जो कि जीवन मे हमें सफलतापूर्वक  ग्रहण करते हैं और जिंदगी के गतिविधियों को आगे लेकर जाते हैं ।जीवन में परीक्षा का हमारे दायित्व से लेना-देना होता है अर्थात अपने परीक्षा में सफलता हेतु जीवन की परीक्षा में नियमित नियंत्रण और सद्भावना सरल से अभिभूत होना चाहिए।परीक्षा में सफलता का यह मूलमंत्र साबित होता हैं।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर - झारखंड
परीक्षा में सफलता का मूल मंत्र स्पष्ट होना चाहिए। अच्छे अंकों से सफलता के लिए विषय को अच्छे से आत्मसात कर उस पर निरन्तर एकाग्रचित्त होकर अभ्यास करना चाहिए। रटने की विधा से परीक्षा में सीमित सफलता तो संभवतः मिल सके परन्तु तार्किक सोच न होने से परीक्षा में वांछित सफलता नहीं मिल सकती। किसी भी विषय में यदि कुछ समझ नहीं आता तो अध्यापकों व होनहार छात्रों से चर्चा कर उसे समझने की आवश्यकता है। इन मूल मंत्रों को अपनाने से अच्छी सफलता मिल सकती है।
- सुदर्शन खन्ना 
दिल्ली 
परीक्षा का समय बहुत ही महत्वपूर्ण होता है ! जीवन में किसी भी तरह की परीक्षा देनी पडे़ सफलता के लिए आत्म विश्वास का होना जरुरी है ! जिससे सकारात्मकता आती है !
रही विद्यार्थीयों के लिए परीक्षा में सफलता का मूलमंत्र तो जो अनुशासन में रह नियमों का पालन करता है वह परीक्षा के लिए तैयार रहता है ! उसका आत्म विश्वास तगडा़ होता है ! उसे परीक्षा का डर नहीं रहता ! वह समय का सही उपयोग कर एकाग्रचित्त हो मन लगाकर पढ़ता है !  डर ना होने से असफल होने के नकारात्मक ख्याल और विचार आते ही नहीं एवं चित्त भटकता नहीं ! रोज हमें पढा़ई करनी चाहिए, वर्ना परीक्षा के दिन हमें टेंशन आयेगा !
आत्मविश्वास के साथ मेहनत ,लगन , दृढ़संकल्पता आती है तो सफलता तो मिलनी है !
परीक्षा के समय सफाई और खानपान का भी विशेष ध्यान देना चाहिए ! माहौल भी अच्छा होना चाहिये  !
बाकी तो मेहनत ही सफलता की कुंजी है
     - चंद्रिका व्यास
   मुंबई - महाराष्ट्र
जीवन की विभिन्न अवस्थाओं में मनुष्य को सफलता हेतु कदम-कदम पर परीक्षा देनी पड़ती है। विद्यार्थी जीवन हो या व्यवसायिक अथवा पारिवारिक जीवन हो, परीक्षाओं का सामना करके ही मनुष्य सफलता का वरण करता है।
जीवन की किसी भी परीक्षा में सफलता का मूल मंत्र व्यक्ति की सशक्त मानसिक स्थिति पर निर्भर करता है। सफलता प्राप्ति का मार्ग आसान नहीं होता। प्रत्येक परिस्थिति में व्यक्ति के मन-मस्तिष्क की दृढ़ता और जिजीविषा सफलता प्राप्त करने के लिए पर्याप्त लगन और मेहनत की उत्पत्ति करती है। 
मनुष्य के समक्ष, प्रश्नचिह्न बनकर आने वाली विपरीत परिस्थितियों से उत्पन्न परीक्षा में, पूर्ण निष्ठा, समर्पण, ईमानदारी, स्थिरता और सकारात्मकता के भावों से ही सफलता प्राप्त की जा सकती है। 
इसीलिए कहता हूँ कि...... 
"इन्सान के हौसलों से जब मुश्किलों के पर कतर जाते हैं, 
हकीकत के धरातल पर तब उसके सपने उतर आते हैं। 
सपनों में जिसने परिश्रम के रंग भरे समर्पण से अपने, 
इन्सान वही जीवन की परीक्षा में सफल पाये जाते हैं।।" 
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग' 
देहरादून - उत्तराखण्ड
कठोर परिश्रम ही सफलता का मूल मंत्र है l आज पुस्तकीय ज्ञान के अतिरिक्त सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक, व्यवहारिक हर स्तर पर परीक्षा देकर हमें सफल होना पड़ता है l
शैक्षिक विकास के साथ साथ मानसिक व भावनात्मक विकास भी आवश्यक है l विद्यार्थी जीवन के दो पक्ष हैं -प्रथम सैद्धांतिक और दूसरा व्यवहारिक l विद्यार्थी जीवन सिद्धांतों से चलता है और हमारा जीवन व्यवहार से l दोनों ही में सफलता प्राप्त करना हमारी महत्वांकांक्षा होती है l सैद्धांतिक जीवन में सफलता के मूल मंत्र -
1. सफलता के लिए जीवन में चिंता नहीं, चिंतन आवश्यक है l गीता में कहा है -कर्म किये जा फल की.... क्योंकि विद्यार्थी फल की चिंता करने लगा तो सफलता के स्थान पर मनोविकार ले बैठेगाl
विद्यार्थी इतना ही सोचें कि आप औरों से बेहतर क्यों हैं l
2. मौन मन को एकाग्र कर सत्य और विवेक के आदर्शो को अपनाने में सहयोग करके सफलता के समीप ले जाता है l
3. राग द्वेषो मनो धर्मः... राग द्वेष हमारे मन के धर्म हैं, हमारे नहीं l इन्हें त्याग कर जीवन में प्रेम को आने दो l सच्चे प्रेम के वशीभूत होकर मीरा ने जहर का प्याला भी पिया था l अतः जब आप निर्विकार होंगे तभी सफल होंगे l
4.
कठोर अनुशासन -सफलता या शक्ति प्राप्त करने आवश्यक है l
व्यवहारिक जीवन में सफलता का मूल मंत्र -
1. लघु न दीजिये डारि... जीवन में किसी को भी कमतर न आँकिये, चाहें सजीव हो या निर्जीव l
2. जीवन मूल्यों /सिद्धांतो में कभी समझौता न करें l यह दुनियाँ उतनी आसान नहीं जीतना हम समझते हैं l चुनौतियां और संघर्ष हैं इसमें मूल्य आपको इन संघर्ष में सफल करेंगे l
प्रातः काल उठी रघुनाथा,
मात पिता गुरु नावहि माथा l 3. अद्यात्मिक शांति के लिए जीवन में अध्यात्म एवं अाधिभूत तत्वों में सामंजस्य बैठाये l
मेरे दृष्टिकोण में दृढ़ संकल्प, मेहनत, ईमानदारी, लगन के साथ सकारात्मक सोच के जरिये हर प्रकार की परीक्षा में सफलता अर्जित की जा सकती है l
        चलते चलते ---
संघर्ष का मैदान छोड़कर मत भागो तुम l 
कुछ किये बिना ही जय जयकार नहीं होता ll
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती l
  - डॉ छाया शर्मा
अजमेर -   राजस्थान
     जीवन में परीक्षाऐं अनेकों होती हैं और जिसमें  उत्तीर्ण होना भी एक कला हैं, वही व्यक्ति  सफल होता हैं, जिसकी दूरगामी पहल मजबूत और सफलता की ओर अग्रसर होते जा रहा हों यही मूल मंत्र हैं। आज वर्तमान में  भागम-भाग जीवन शैली परिवर्तित होते जा रही हैं, जिसके परिपेक्ष्य में परिणाम सार्थक नहीं हो पा रहे हैं  और दूसरीं ओर संकुचित भावनाएँ के कारण लक्ष्य निर्धारित नहीं हो पा रहा हैं।
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर' 
  बालाघाट - मध्यप्रदेश
परीक्षा में हर व्यक्ति सफल होना चाहता है पर सभी को मनोनुकूल सफलता नहीं मिलती क्योंकि सही मार्ग और सही समय पर सही तरीके से पूर्ण रूप से तैयारी में कमी रह जाती है। 
     परीक्षा में सफलता के लिए सर्वप्रथम दृढ़ संकल्प , धैर्य, आत्मविश्वास व कठिन परिश्रम की आवश्यकता होती है।
    जीवन के हर परीक्षा में कामयाबी हेतु तीन की वर्ड्स हैं--- नॉलेज, स्किलस और एक्शन। मंजिल कहीं भी हो रास्ता यहीं से गुजरेगा।
  परम ज्ञानी गुरु जी से ज्ञान अर्जित करना , परफेक्ट बेसिक नॉलेज, व्यवहारिक ज्ञान, सही समय पर सही वर्क, सदैव कठिन परिश्रम के साथ-साथ अनुभवी बुद्धिजीवियों से अनुभव प्राप्त करना और साथ ही पहले सोचे विचारे फिर सही फैसला पर अमल करना जरूरी होता है। इन सभी मार्गो से गुजरते हुए जब  अथक परिश्रम करेंगे तभी सफलता हासिल होगी।
               -  सुनीता रानी राठौर 
                  ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश
परीक्षा में सफलता का मूलमंत्र कड़ी मेहनत तो है ही साथ ही साथ कुछ ट्रिक्स भी होने चाहिए। पूरा पुस्तक तो कोई याद कर सकता नहीं। इसके लिए जो जो मेन प्वाइंट्स हैं उन्हें याद रखना चाहिए। फिर उसके आधार पर  अपने से लिखना चाहिए। ये हो गया उस विषय के लिए जिसमें केवल लिखना होता है। गणित वगैरह विषय के लिए गणित का फॉर्मूला सब याद रहना चाहिए। उत्तर देते समय पहले उन प्रश्नों के उत्तर दें जिनके उत्तर  आप अच्छी तरह से जानते हैं या जिनका उतर आप सहज रीति से लिख सकते हैं। इसी क्रम में आगे बढ़ना चाहिए। फिर समय रहने पर उन प्रश्नों का उत्तर देना चाहिए जिसके बारे में आप कम जानते हैं। उन्हें सोच समझ कर उतर देना चाहिए। आजकल को ऑब्जेक्टिव टाइप के प्रश्न होते हैं जहाँ पर केवल टिक मार्क करना होता है। जहाँ पर निगेटिव मार्किंग हो वहाँ पर अंदाज से कुछ न लिखें। नहीं तो जो सही होगा उसमें से नम्बर कम हो जाएगा। जहाँ पर निगेटिव मार्किंग न हो वहाँ पर अंदाज से लिखा जा सकता है। इस तरह परीक्षा में आप आराम से सफलता हासिल कर सकते हैं।
- दिनेश चन्द्र प्रसाद "दीनेश" 
कलकत्ता - पं. बंगाल
परीक्षा में सफलता का मूल मंत्र उद्देश्य निर्धारित करना उस उद्देश्य को हासिल करने के लिए कठिन परिश्रम करना। मन में आत्मविश्वास लगन धैर्य का होना अति आवश्यक है।
जीवन अपने आप में एक परीक्षा है हर दिन हर इंसान परीक्षा देता है कोई आवश्यक नहीं है सभी को पूर्ण रूप से सफलता मिल ही जाती है पर विफलता भी सफलता का एक अंश है वह यह सूचना देता है कि तुम्हारे द्वारा किया गया प्रयास यथोचित नहीं है।
त्याग और तपस्या परीक्षा का एक अंश परिश्रम करने के लिए त्याग की आवश्यकता होती है त्याग  से सामान्य अर्थ होता है सुख सुविधाओं से अलग रहना आलस को छोड़ देना यही जीवन की तपस्या है
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
परीक्षा में सफलता निर्भर करती है आपके मूल्यांकन पर और मूल्यांकन होता है परीक्षा में आपकी  प्रस्तुति का।परीक्षा में सफलता का मूलमंत्र है बेहतरीन प्रदर्शन। यह परीक्षा में ही नहीं,सब जगह प्रभावी होता है।परीक्षा लिखित हो तो प्रश्नों के सटीक उत्तर लिखना।यदि मौखिक होतो 'टू द प्वाइंट' जवाब देना ही सफलता का मूलमंत्र है।यही होता रहा है अब तक। अब मूल्यांकन मात्र परीक्षा  पर नहीं सतत मूल्यांकन भी होता है।गत वर्ष कोरोना के कारण परीक्षाएं प्रभावित हुई और पिछली परीक्षा के आधार पर छात्रों को प्रोन्नत कर दिया गया।इस वर्ष भी कक्षा आठ तक अधिकांश राज्यों में छात्रों को प्रोन्नत किया जाएगा।
अब सतत मूल्यांकन परीक्षा में सफलता का मूलमंत्र बना है। लेकिन यह प्रतियोगी परीक्षाओं में नहीं हो सकता, इसलिए सफलता का मूलमंत्र बेहतरीन प्रदर्शन ही है।
- डॉ. अनिल शर्मा 'अनिल'
 धामपुर - उत्तर प्रदेश
परीक्षा में सफलता पाने के लिए हैं परीक्षार्थी के लिए अपने विषय के प्रति *चित्त* *की* *एकाग्रता* को बनाए रखना अति आवश्यक है। इसके साथ-- साथ परीक्षार्थी का पूरा ध्यान शांत मन से स्वास्थ्य के नियमों का पालन करते हुए पठित सामग्री को दोहराना या अभ्यास करना भी जरूरी है। घर का वातावरण, पढ़ाई करने का स्थान शोर-शराबे से युक्त न हो। ब्रह्ममुहूर्त में परीक्षा की तैयारी का सबसे उचित समय  है। पूरी रात का जागरण करना ठीक नहीं; इससे पेपर करते समय नींद के शिकार हो सकते हैं और स्मरण किया हुआ भी विस्मृत हो सकता है। शास्त्रों में तो अध्ययन से जुड़े विद्यार्थी और परीक्षार्थियों के लिए पहले ही मंत्र दे रखा है जो सटीक जान पड़ता है------
 "काक चेष्टा, बको ध्यानम, श्वान निद्रा तथैव च। अल्पाहारी, गृह त्यागी विद्यार्थी पंच लक्षण"।।
परीक्षा में सफल होने के लिए धैर्य, आत्मविश्वास और प्रतिदिन अध्ययन के प्रति जागरूक रहने से परीक्षा काल में विशेष परिश्रम की आवश्यकता नहीं होगी।
      विद्या बुद्धि की प्रदाता माता सरस्वती का ध्यान करके, बड़ों का आशीर्वाद लेकर परीक्षा देने जाएं।      परीक्षा कक्ष में उत्तर पुस्तिका पाते ही आवश्यक प्रविष्ठियां करके, पेपर प्राप्त होने पर पूरे ध्यान से उसको पढ़कर सबसे पहले सरल प्रश्नों के उत्तर तत्पश्चात अन्य के उत्तर दें। पेपर समाप्ति पर 10 मिनट पूर्व अपना कार्य समाप्त करके संपूर्ण उत्तर पुस्तिका को एक बार  ध्यान से पढ़ना जरूरी है जिससे समय रहते आवश्यक सुधार किया जा सकता है  ऐसा सब करने से परीक्षार्थी को परीक्षा में शत प्रतिशत सफलता का अवसर रहता है।
- डाॅ.रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
मैं कहना चाहूंगा की परीक्षा में सफलता के लिए संयमित व अनुशासित जीवन के साथ-साथ नियमित अध्ययन बहुत सहायक है यदि आप समय से किसी काम को करना चाहते या किसी भी परीक्षा में या किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो उसके लिए नियमित रूप से सम्मिलित प्रयास करना बहुत आवश्यक है वास्तव में सफलता और असफलता इसी पर निर्भर करती है सफल व्यक्तियों के पास भी कार्य करने के लिए वही 24 घंटे होते हैं और असफल व्यक्ति के पास भी कार्य करने के लिए वही 24 घंटे होते हैं बस समय को ठीक तरह से सदुपयोग करने का तरीका ही सारा अंतर पैदा कर देता है कुछ औसत बौद्धिक स्तर के व्यक्ति भी अपने जीवन में बहुत प्रसिद्धि और सफलता प्राप्त कर लेते हैं ऐसे व्यक्तियों के मुकाबले में जो उनसे कहीं ज्यादा आई क्यू रखते हैं उनसे कहीं ज्यादा योग्यता रखते परंतु वह अपने कार्यों को ठीक ढंग से संयुक्त रूप से अनुशासित रहते हुए नहीं करते दूसरी तरफ ऐसे व्यक्ति जो कम आई क्यू वाले भी है लेकिन अपने जीवन को अनुशासित तरीके से जीते हैं अपने कार्यों को सम्यक तरीके से करते नियमित रूप से सफल होने के लिए प्रयास करते हैं वह अपने जीवन में बहुत सफल रहते है़
 - प्रमोद कुमार प्रेम 
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
हर परिक्षा का मूल मंत्र कठिन परिश्रम, धर्य, सूझ-बूझ ही है परिक्षा व्यवहारिक हो,सामाजिक हो या शिक्षा सम्बन्धित हो सभी मेें कठिन परिश्रम करना ही पड़ता है अब परिश्रम मानसिक हो या शारीरिक कहते भी हैं 
     "कठिन परिश्रम सफलता की कुंजी है"
और यह भी सत्य है कि जीवन की सार्थकता ही परिश्रम है खाली दिमाग तो शैतान का घर होता है।
- ज्योति वधवा "रंजना "
बीकानेर - राजस्थान
"रूकावटें आती हैं सफलता की राहों में ये कौन नहीं जानता, 
फिर भी वह मंजिल पा ही लेता है जो हार नहीं मानता"। 
 देखा जाए जीवन में सफलता बहुत ही मुश्किल से मिलती है
सफल व्यक्ति को कठिन से कठिन परिश्रम करना पढ़ता है तब जाकर सफलता मिलती है लेकिन बहुत से लोग ऐसे भी होते हैं जो बहुत प्रयासों के बाबजूद भी  असफल हो जाते हैं, 
तो आईये बात करते हैं परिक्षा में सफलता के लिए कौन  सा  मूल मंत्र अपनाना चाहिए जिससे  असफलता हाथ न लगे, 
मेरा मानना है कि सफलता को पाने के लिए पढ़ाई के साथ साथ कुछ ऐसे नियम अपनाना भी जरूरी है जिससे सफलता हमारे हाथ में आ जाए, 
सबसे पहले तो हमें पूरी सूची की जानकारी होनी चाहिए जो हमारे सलेवस मैं है दुसरा हमें एक ऐसा टायम टेवल नियुक्त करना चाहिए कि हम हर सवजेक्ट को समय दे पाएं तिसरा पढ़ाई की जगह एकांत व साफ सुथरी होनी चाहिए तथा हमें बैठ कर पढ़ना चाहिए पास में खाने पीने का समान नहीं होना चाहिए, 
इसके एलावा जो भी हम याद करें उसे खुद लिख कर करें न की टाइप करके, उसके वाद सैल्फ टेैस्ट लेकर गलतियों को सुधारें ऐसा करने से कामयाबी अवश्य मिलेगी, 
यही नहीं हमें साथ साथ में सेहत का ख्याल रखना भी जरूरी है, 
यह भी  मत भूलैं कि परिक्षा के दिनों खानपान का खास ख्याल रखना बहुत जरूरी है ताकि खराब सेहत परिक्षा में वादा न बने, 
परिक्षा का समय बहुत महत्वपूर्ण होता है इस समय शांत मन से पढ़ाई करनी चाहिए अगर आप के पास नालेज, स्किल व एक्सन है तो  आप किसी भी क्षेत्र में सफल हो सकते हो, जल्दी सफलता उनको मिलती है जो खुद सफल होने के तरीके अपनाते हैं व लक्षंय को रखकर ही मेहनत करते हैं, 
अन्त में यही कहुंगा सफलता का कोई  सार्टकार्ट नहीं होता लेकिन अगर आप एक रणनीति के तहत आगे बढ़ते हैं तो आपको कामयावी अवश्य मिलेगी, यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि हम प्रश्न सूची के ठीक ढंग से पढ़ कर लिख रहें हैं या नहीं प्रश्न पेपर को कम से कम दो वार पढ़कर ही उत्तर लिखना शूरु करें ताकि आप को प्रश्न अच्छे ढंग से समझ में आ सके व  कुछ छूट न जाए इसके साथ समय का भी ख्याल रखना जरूरी है ताकि टायम के मुताविक लिखकर हम एक वार रिवाइज भी कर लें जिससे हम गल्ती को दुरूस्त कर सकते हैं ऐसा करने से हम अवश्य अच्छे अंको से सफल हो सकते हैं
सच कहा है, 
जब बंदा कुछ पाने की करता है, कोशिशें , 
फिर रोक नहीं सकती उसे जमाने भर की बंदिशे। 
इसलिए अपने होंसले व इरादे वुलंद हों तो लक्ष्य अवश्य प्राप्त होगा, 
यह भी सच है, 
हार मत मान रे बंदे, 
कांटों में कलियां खिलती हैं, 
अगर सच्ची हो लगन तो सफलता जरूर मिलती है। 
- सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू कश्मीर
परीक्षा में सफलता पाने का मूल मंत्र  दृढ़ संकल्प शक्ति के साथ निरंतर अभ्यास ही होता है ।
परंतु उसके साथ कुछ सावधानियां बरतना नितांत आवश्यक है ।
अगर सावधानियों के साथ परीक्षा की तैयारी की जाए तो बेहतर रहता है ।
कुछ बातें जरूरी हैं जैसे की पढ़ाई करने से पूर्व  सर्वप्रथम थोड़ा सा योगाभ्यास जरूरी है जिससे कि शरीर चुस्त दुरुस्त रहता है ,और आत्मविश्वास आ जाता है। परीक्षा के तैयारी के लिए शरीर को स्वस्थ रखने के लिए एक गिलास गुनगुने दूध को पीना जरूरी है ।
इसके अलावा रट्टू तोते न बनकर ध्यान पूर्वक पढ़ाई करनी चाहिए।  परीक्षा हेतु कम से कम 2 माह पूर्व रिवीजन करें ।
परीक्षा के दिन तनाव में ना रहे, पढ़ाई करते वक्त शांत वातावरण जरूरी है ।
इन सबके साथ अगर पूरे आत्मविश्वास के साथ परीक्षा दी जाय तो सफलता निश्चित मिलेगी।
-  सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
पूर्ण ध्यान एवं मनोयोग से परीक्षा  से संबंधित तथ्यों का अध्ययन एवं आंकलन करके तैयारी की जाना चाहिए। हर संभावित टॉपिक या प्रश्न का अच्छी तरह से मनन करके उत्तर तैयार करना चाहिए और समय समय पर उन्हें दोहराते रहना चाहिए ताकि भूले नहीं। तथ्यों को समझ कर पढ़ना और उत्तर तैयार करना चाहिए। विषय समझ में आ जाने से किसी भी तरह से प्रश्न पूछा जाए, आसानी से उत्तर दिया जा सकता है।
- गायत्री ठाकुर "सक्षम" 
नरसिंहपुर - मध्य प्रदेश
विद्यार्थी का जीवन बहुत अनुशाशित जीवन माना गया है अध्ययन करना उनके लिए मूल विषय होता है ।बच्चों की रुची और विषय दोनों अलग -अलग होते हैं । यह सत्य है कि जो नित पढ़ते हैं और जो केवल परीक्षा के वक्त मेहनत करते हैं ।दोनों के रिजल्ट में फर्क रहता है । पढ़ते समय नये नये अनुभवों से गुजर कर नित पढ़ने वाला परिपज्ञ बन जाता है जबकि परीक्षा के समय पढ़ने वाला कामचलऊ ज्ञान रखता है ।शिक्षा और मेहनत एक पूँजी है जो जीवन पर्यन्त काम देती है । परीक्षा के समय विद्यार्थी केवल किताब ही न पढ़ता रहे । समय से खाने और सोने का भी ध्यान रखना चाहिए । इससे मानसिक बोझ बंट जाता है ,पढ़ाई के समय परिवार से  भी अपनी तैयारी के विषय में बातचीत करनी चाहिए ।इससे आत्मविश्वास में वृद्धि होती है ।मेरे विचार से परीक्षा में सफलता का मूल मंत्र दैनिक अध्ययन और संयमित जीवन  होना चाहिए ।
- कमला अग्रवाल
गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश

" मेरी दृष्टि में " परीक्षा को कभी हौवा नहीं मानना चाहिए । अस्पष्ट कहीं पर भी नहीं होनी चाहिए । विभिन्न चरणों में परीक्षा को बाटना चाहिए । ईमानदारी से परीक्षा  में जाना चाहिए । परीक्षा में सफलता अवश्य मिलेगी ।
- बीजेन्द्र जैमिनी 

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