नाम और पहचान किस को नहीं चाहिए। शायद सभी को चाहिए। नाम और पहचान के लिए जीवन भर संघर्ष करना पड़ता है। कई लोगों को पहचान पाने के लिए तरह - तरह हथकंड़े अपनाने पड़ते हैं। जो गैरकानूनी हो सकतें हैं। जो अपराध की दुनिया में पहुंच जाते हैं। यही कुछ जैमिनी अकादमी की चर्चा परिचर्चा का प्रमुख विषय है।अब आयें विचारों में से कुछ विचार पेश करते हैं:- यह बात मानने और समझने की है कि हम में से हरेक में कोई न कोई एक प्रतिभा तो होती ही है। जो इसे पहचान लेते हैं और फिर उसे निखारने का जतन करते हैं, वे सफल हो जाते हैं और जो अपने में इस छिपी प्रतिभा को नहीं जान पाते, वे इस दुनिया की भीड़ में खो जाते हैं। दुनिया में जितने भी प्रतिभावान हुए हैं, सभी अपनी एक विशिष्ट पहचान रखते हैं। अत: कहने का आशय यही कि दुनिया का प्रत्येक व्यक्ति विशेष होता है।इसमें किसी धर्म, जाति, लिंग, वर्ग , रंग,रूप, अमीरी,गरीबी आदि से फर्क नहीं पड़ता। बस, प्रतिभा को पहचानना होता है और फिर जतन करके उसे निखारना होता है। यह मेहनत स्वयं को करनी होती है, बिना समय गंवाये...