अमर गोस्वामी स्मृति सम्मान - 2025
परिवर्तन से डरना और संघर्ष से कतराना मनुष्य की सबसे बड़ी कायरता है क्योंकि परिवर्तन संसार का नियम है तो आईये आज इसी चर्चा को आगे बढ़ाने का प्रयास करते हैं कि तरक्की के लिए बदलाव जरूरी है और बदलाव प्रकृति का नियम है, मेरा मानना है कि जब हम बदलाव को अपनाते हैं तो हम नई परिस्थितियों, स्थितियों और लोगों के अनुकूल ढल जाते हैं और उनके द्वारा प्रस्तुत अवसरों का लाभ उठाते हैं और जीवन में हर नए अनुभव के साथ विचारों, मतों और कई अनुभवों को साथ लेकर चलते हैं जिससे पहले से ज्यादा मजबूत विचार बनते हैं और बड़े से बड़े लक्ष्य को हासिल करने में कामयाबी मिलती है इसके साथ परिवर्तन से नई ,नई चीजें सीखने को मिलती हैं और हम जितने ज्यादा बदलाव लाते हैं उतने ही ज्यादा हमें अनुभव मिलते हैं लेकिन आज के दौर में चाहे इंसान तरक्की की राहों को ढूंढ रहा है लेकिन शिष्टाचार जैसे मुल्यों को भूलता जा रहा है जबकि शिष्टाचार, सम्मान ,विनम्रता आपसी सद्भाव का प्रतीक है जिससे संबंध अच्छे बनते हैं और जीवन में सम्मान तथा एक दुसरे से सीखने का मौका भी मिलता है, लेकिन आजकल के सभ्य और पढे लिखे सामाज में बनावटी शिष्टाचार ज्यादा देखने को मिलता है जिससे तरक्की के रास्तों में उलझनें पैदा होती हैं जिससे एक दुसरे से दूरी बनी रहती है और हम कुछ नया नहीं सीख पाते क्योंकि शिष्ट व्यवहार ही दुसरों पर अच्छा प्रभाव डालता है जिससे हमारी कार्यकरनी में बदलाव आते हैं जो हमें तरक्की के रास्ते पर ले चलते हैं,अन्त में यही कहुंगा की बदलाव प्रकृति का नियम है यहां कुछ भी स्थाई नहीं है इसलिए परिस्थितियों में परिवर्तन को जितने बेहतर ढंग से अपना सकेंगे हम व्यक्तिगत और व्यावसायिक रूप से उतने ही अधिक सफल होंगे इसलिए बदलाव ही विकास और प्रगति का आधार है और यह सत्य, सृष्टि, जीवन और समाज पर लागू होता है और यह नियम सृष्टि के विकास के लिए जरूरी है इसलिए परिवर्तन को भी अवसर के रूप में देखना चाहिए ।
- डॉ सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू व कश्मीर
तरक्की के लिए बदलाव जरूरी हैं बदलाव प्रकृति का नियम हैं तरक्की के लिए इंसानी हिम्मत हौसला उत्साह जुनून जरूरी है उसके लिए बदलाव जरूरी है, जो हमें हमारे लक्ष्य तक पहुँचने प्रेरित करता है ! उस समय को धर्य सयंम वाणी की मधुरता से ख़ुद का और सामने वाले का आत्म विश्वास पाना जरूरी होता है तभी आप अपनी और दूसरों की अच्छी बाते सुन जीवन खुशियों से जीने के लिए अपने अनुभव से बदलाव लाते आज के बच्चे युवा पीढ़ी का बूढ़ों के प्रति कृतज्ञता का व्यवहार उनकी मानसिक अवस्था को देखते आंकलन कर उचित मार्गदर्शन प्रदान कर सकते हैं ! प्राकृतिक नियम तो यही कहते है !बदलाव नवाचार को बढ़ावा देता है और नए विचारों को जन्म देता हैविकास को बढ़ावा देता है अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है।बदलाव सुधार को बढ़ावा देता है और हमें अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने में मदद करता है।अपनी आदतें वही बदल सकता है ! को कर्मठ कर्तव्य परायण हो प्रेम ,त्याग समर्पण की भावना लेकर राष्ट्रहित समाजहित से निः स्वार्थ जुड़ा होता है ! जो ख़ुद की चरित्र की रक्षा करता वही दूसरों की रक्षा कर सकता है!जिसकी सोच आदतों में सुधार लाना मन का उत्साह जगाता है डर को दूर भगाता ज़िंदगी को सेहत मंद बनाता है ! दूसरों के भविष्य को उज्जवल बना सकता है ! ऐसे अनेकों उदाहरण पौराणिक कथाओं रामायण में मिलते है पहले डाकू फिर आदतों में सुधार ला महर्षि बाल्मीकि रामायण लिखी ऐसे ही गोस्स्वामी तुलसीदास पत्नी रत्नावली से मोह भंग कर आदत में बदलाव ला रामचरित मानस रचना की ! इसी तरह रावण ने अपने अंतिम समय में राम से कहा-बुद्धिमान होते हुए,मयवान मृत्यु का कारण बना ,तुम्हारी तरह चरित्रवान न बन सका और राम अपने शालीन आदत से क्रोध त्याग कर लक्ष्मण को गुरु दक्षिणा रावण से दिलवाई! राम पिता हिफ़ाज़त अयोध्या की मिट्टी मज़बूत बनाये जड़ को सिचने सीता माता की आदत बन गए ! आने वालो पीढ़ियाँ ,तने टहनियो को इतना मज़बूत बनाए ,पत्ते फूलों का रूप श्रृंगार सूरत सीरत बना जाए प्रकृति जीवन के हर आगंन चहका महका जाए ,फलों से लदे पेड़ को वो झुकना सीखा जाए, घर आगंन का हर कोना मधुबन व्यवहार की बेल आदत में सामिल सीचना सीख जाए हर व्यक्ति उज्ज्वल भविष्य लिख सकता है ! हमारे ऋषि ,मुनि ,ज्ञानी ध्यानी महात्मा राजा राजमोहन राय ,वियवेकानंद की तरह जीना सीख जाए!
- अनिता शरद झा
रायपुर - छत्तीसगढ़
जीवन में तरक्की छोटी हो या बड़ी किसी भी क्षेत्र में अपना लक्ष्य हासिल करने महत्वपूर्ण योगदान रखती है। कोई धीरे-धीरे गंतव्य की ओर अग्रसर होता है, कोई जल्दी से पदौन्नति प्राप्त कर लेता है, कभी-कभी चरण वंदना से आगे बढ़ते जाता है। यह सब भाग्य और कर्म पर रहता है। तरक्की के लिए बदलाव जरूरी है, बदलाव प्राकृतिक का नियम है। यह सच है, जिस तरह से प्रकृति अपने समयानुसार अपने आपको बदलती है और तरक्की के लिए बदलाव भी जरूरी है। कोई एक ही जगह पर अपना जीवन यापन करता है, कोई घुम-घुम कर अनेको स्थानों का प्राकृतिक सौंदर्यीकरण, पर्यावरण का आनन्द लेकर, आनन्दित होता है।
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार "वीर"
बालाघाट - मध्यप्रदेश
इंसान अपनी शक्ति और सामर्थ्य के अनुसार , अपनी तरक्की के लिए यथासंभव प्रयास करता है !! कई बार उसकी तरक्की होती है , और कई बार नहीं !! नाकामयाब होकर , हारकर कुछ लोग इसे अपनी नियति मान , स्थिति से समझौता कर लेते हैं ! इस प्रकार के लोगों की तरक्की कभी नहीं हो पाती , क्योंकि बिना प्रयास व मेहनत के , तरक्की असंभव है !! कुछ अन्य लोग ऐसे भी होते हैं , जो अपनी हार के कारणों का विश्लेषण कर , स्वयं मैं वांछित बदलाव लाकर , नए सिरे से प्रयास करते हैं , व तरक्की या सफलता भी पाते हैं !! परिवर्तन या बदलाव प्रकृति का नियम है , व जो इसे अपनाते हैं , वे अपनी तरक्की भी पाते हैं व लक्ष्य प्राप्ति भी !!
- नंदिता बाली
सोलन - हिमाचल प्रदेश
जीवन के हर क्षेत्र में तरक्की के लिए बदलाव जरूरी है. और बदलाव प्रकृति का नियम है. जो आज है वह कल नहीं रहेगा. थोड़ा पिछे की तरफ हम देखें तो पता चलेगा कि सारा काम हाथ से होता था लेकिन अब कंप्यूटर से हो रहा है जो तरक्की के लिए जरूरी था. एक तरह से कहा जाय कि तरक्की के लिए ही बदलाव होता है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी. मान लीजिए कोई पहले साइकिल से चलता था अब वह मोटरसाइकिल से चलता है तो इसे कहा जाएगा कि बदलाव हुआ है और साथ-साथ उसकी तरक्की भी.दफ्तर कार्यालय में भी जब किसी की तरक्की होती है तो उसके अंदर बदलाव आएगा ही. एक तरह से पैसा होना माने तरक्की होना होता है. तो ये बात जग जाहिर है कि जिसके पास पैसा हो जाता है उसका बदलाव हो जाता है या उसके अंदर बदलाव करने की भावना आ जाती है. कोई नया मकान बनवाया यानी उसकी तरक्की हुई. यानी पुराने से नया हुआ बदलाव हुआ.इस तरह से हम देखते हैं कि तरक्की और बदलाव का चोली दामन का साथ है. बदलाव तो प्रकृति का नियम है ही. प्रकृति हमेशा एक जैसी नहीं रहती है वह पल पल बदलती रहती है.
- दिनेश चन्द्र प्रसाद "दीनेश "
कलकत्ता - प. बंगाल
यह सही है के तरक्की के लिए बदलाव जरूरी है. अगर काम नहीं बन पा रहा है तो, अवश्य ही हमारी योजना मैं कोई कमी होगी या हम पूरा प्रयास नहीं कर पा रहे होंगे ऐसे में हमें अपनी तरक्की के लिए अपने तरीके में बदलाव करना ही होगा. वैसे भी बदलाव प्रकृति का नियम है. मौसम बदलते हैं, दिन रात बदलते हैं, सुख-दुःख, सफलता-असफलता भी आने-जाने हैं. इसलिए बदलाव करने से डरना नहीं चाहिए. बदलाव के लिए हम किसी से सलाह भी ले सकते हैं और अपने मन में मंथन भी कर सकते हैं. तरक्की के लिए सही योजना और आवश्यक कार्यांवयन अत्यंत आवश्यक हैं, आवश्यकता पड़ने पर बदलाव करने में संकोच नहीं करना चाहिए.
- लीला तिवानी
सम्प्रति - ऑस्ट्रेलिया
वास्तव में, विकास और प्रगति के मार्ग पर चलने के लिए परिवर्तन अनिवार्य है। परिवर्तन केवल पर्यावरण, समाज या तकनीक में ही नहीं होता, बल्कि यह हमारे व्यक्तिगत जीवन और मानसिकता में भी आवश्यक है। प्रकृति का नियम यही है कि सब कुछ लगातार गतिशील रहता है जैसे नदी का प्रवाह, ऋतुओं का परिवर्तन, दिन और रात का चक्र और इसी परिवर्तनशीलता में जीवन की सुंदरता और प्रगति निहित है। क्योंकि जब हम परिवर्तन को सकारात्मक दृष्टिकोण से अपनाते हैं, तो यह हमारे व्यक्तित्व, समाज और राष्ट्र के विकास में नए अवसर और उन्नति के मार्ग खोलता है। परिवर्तन हमें नवीन विचारों, नयी तकनीकों और सुधारों को अपनाने की प्रेरणा देता है। इसके बिना प्रगति असम्भव है, क्योंकि स्थिरता अक्सर जड़ता और पिछड़ापन लेकर आती है अतः परिवर्तन को भय के रूप में नहीं, बल्कि विकास और सुधार का अवसर मानकर हमें आगे बढ़ना चाहिए। यही दृष्टिकोण हमें व्यक्तिगत सफलता, सामाजिक समृद्धि और राष्ट्रीय उन्नति की ओर ले जाता है।
- डॉ. इंदु भूषण बाली
ज्यौड़ियॉं (जम्मू) - जम्मू और कश्मीर
तरक्की के लिए बदलाव ज़रूरी है—क्योंकि बदलाव प्रकृति का नियम हैमनुष्य का जीवन हो, समाज हो या प्रकृति—हर स्तर पर एक सत्य अटल है: बदलाव ही विकास का आधार है।यदि परिवर्तन रुक जाए, तो प्रगति भी थम जाती है। प्रकृति स्वयं परिवर्तन का प्रतीक है। ऋतुएँ बदलती हैं—ग्रीष्म, वर्षा, शरद, शीत और वसंत। बीज बदलता है—अंकुर, पौधा, वृक्ष और फिर फल बनकर लौटता है।नदी बदलती है—धारा, प्रवाह और दिशा। यदि प्रकृति स्थिर हो जाए, तो जीवन ही समाप्त हो जाए। व्यक्ति का विकास परिवर्तन से ही संभव है। हम जन्म से लेकर वृद्धावस्था तक लगातार बदलते हैं। सोच, व्यवहार, अनुभव—सब समय के साथ रूपांतरित होते हैं। जो व्यक्ति नया सीखने से डरता है, वह धीरे-धीरे अवसरों से दूर हो जाता है। समाज परिवर्तन से ही तरक्की करता है। यदि समाज पुराने ढर्रे पर ही चलता रहता,तो आज न शिक्षा होती, न विज्ञान, न टेक्नोलॉजी, न महिलाओं की भागीदारी, न लोकतंत्र। परिवर्तन ने ही समाज को आगे बढ़ाया है।बदलाव का विरोध—रुकावट नहीं, स्वाभाविक प्रवृत्ति है। हर युग में कुछ लोग परिवर्तन का विरोध करते हैं। लेकिन सच यही है कि नदी विरोध करके नहीं, बहकर अपना मार्ग बनाती है। इसी तरह तरक्की भी साहस और नए विचारों से आगे बढ़ती है।परिवर्तन का अर्थ यह नहीं कि परंपरा का त्याग कर दिया जाए। बल्कि आवश्यकता है—जहाँ परंपरा बाधा बने, वहाँ बदलाव;जहाँ परंपरा मूल्य दे, वहाँ संरक्षण।बदलाव केवल तरक्की की शर्त नहीं, बल्कि जीवन का श्वास है। जो बदलता है, वही खिलता है; जो ठहरता है, वह मुरझा जाता है। इसलिए बदलाव को स्वीकारना ही नहीं, उसका नेतृत्व करना ही आज के युग की सबसे बड़ी आवश्यकता है।
- डाॅ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
तरक्की के लिए बदलाव की जरूरत होती ही है जब तक कुछ बदलाव नहीं होगा तब तक तरक्की संभव नहीं और बदलाव प्रकृति का नियम है। प्रकृति में पल-पल बदलाव होते रहते हैं। बीज से अंकुरण बनना,फिर पौधा,पौधे से पेड़,फिर कली,फूल,फल सबकुछ तो बदलाव से ही संभव होता है। बदलाव नहीं तो तरक्की हो ही नहीं सकती। इस संबंध में राम, कृष्ण, विवेकानन्द,दयानंद, शंकराचार्य, महात्मा गांधी आदि अनेक उदाहरण है।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
तरक्की यानी उन्नति अर्थात उन्नत दशा को प्राप्त करना । इसके लिए बदलाव यानि परिवर्तन आवश्यक है । मानव जीवन में व्यक्तिगत,राजनीति और सामाजिक सभी स्थितियों में परिवर्तन समय की मांग होती है। फलस्वरुप यह बदलाव सुखद होता है यथा-- एक पौधा बीज से पौधा बनने की स्थिति को प्राप्त होता हुआ तरक्की करते हुए फलदायी वृक्ष बन जाता हैजो सभी के लिए उपयोगी होता है ।इसी प्रकार बचपन तरक्की करता युवावस्था और क्रमशः प्रौढ़ावस्था को पहुंचता है जहां व्यक्ति आचार विचार व्यवहार में पूर्णता को प्राप्त होता है ।व्यक्ति ,प्राणी, प्रकृति सभी की शारीरिक मानसिक स्थिति में बदलाव होता है यही प्रकृति का वास्तविक नियम है ।
- डॉ. रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
" मेरी दृष्टि में " प्राकृतिक का मूल स्वभाव परिवर्तन होता है। जिससे तरक्की के रास्ते निकलते हैं। यही प्राकृतिक का चमत्कार है । जो इंसान सहित सभी जीवों के लिए तरक्की के रास्ते का निर्माण करता है।
Comments
Post a Comment