कृष्णा प्रभाकर खाडिलकर स्मृति सम्मान - 2025

सच ही इतना कड़वा होता है। हर कोई सहन नहीं कर सकता है। सच से दूर भागते हैं। फिर भी सच का सामना करना ही पड़ेगा। ऐसा सच का स्वभाव माना गया है। यही कुछ जैमिनी अकादमी की चर्चा परिचर्चा का प्रमुख विषय है : -
      सच हमेशा सकारात्मक होता है। जबकि अफवाहें जो फैलती है वह अधिकांशत:  नकारात्मक बातें होती हैं। यह मानवीय प्रवृत्ति है कि अपने भय, निराशा, आशंका के कारण नकारात्मक चर्चा अधिक करता है। अफवाहें ऐसे ही लोगों द्वारा जन्म लेती और फैलाईं जाती हैं।यह कहना कि यह अपने आप फैलती है, मनमानी बात है। अपने आप नहीं, बल्कि फैलाईं जाती है। दूसरे को बदनाम करने के लिए।नीचा दिखाने के लिए।उसकी छवि बिगाड़ने के लिए। रही सच पर यकीन की बात तो सच तो सच ही है, कोई यकीन करें या न करें। हां अफवाह पर यकीन तुरंत कर उसे आगे बढ़ाने में हम सब जाने अनजाने अपना योगदान करते हैं। जबकि हमको मानवता के हित में सकारात्मक बातों को प्रसारित प्रचारित करना चाहिए।

- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'

धामपुर - उत्तर प्रदेश 

      सच पर जब झूठ की परत , चाशनी जैसे शब्दों से , चढ़ा दी जाए , तो ऐसी खबरों पर लोग तुरंत यकीन कर लेते हैं ! अफवाहों को फैलाना , अत्यंत सरल होता है , क्योंकि लोग इनपर तुरंत यकीन कर लेते हैं !! जैसे जैसे अफवाह फैलती है , वो सत्य से दूर होती जाती है क्योंकि हर व्यक्ति , अपनी व्यक्तिगत राय को भी , सत्य के रूप में, परोसता है , या फैलाता है !! जितने मुंह , उतनी बात  वो सत्य से कोसों दूर , अफवाह आग की तरह फैलती है !!  सत्य कड़वा होता है , इसलिए कोई आसानी से यकीन नहीं करता !! इसी तरह , सच को झूठ , व झूठ को सच , कर देते हैं लोग !! 

- नंदिता बाली 

सोलन -हिमाचल प्रदेश

      सच...सच ही होता है। बिना लाग-लपेटे के। जो है, वही।साधारण-सा, आडंबरहीन। अफवाहें , झूठी होती हैं।बनावटी होती हैं।असाधारण होती हैं। साज-शृंगार की हुई। ऐसी कि मन मोह ले। अफवाह को फैलाने वाले अक्सर सच के शत्रु होते हैं। इसलिए  अफवाह फैलाकर सच के मार्ग में बाधक बनते हैं और सच को कुचल देना चाहते हैं। इन नुमाइंदों की टोली इतनी सजग और फुर्तीली होती है कि बहुत ही चालाकी से अफवाह फैलाने में और न केवल फैलाने में बल्कि  समझाने में भी सफल हो जाती है कि सच मुँह ताकता रह जाता है। हालत यह हो जाती है कि सच पर कोई यकीन ही नहीं कर पाता। लेकिन यह भी सच है कि सच परेशान हो सकता है, पराजित नहीं। एक दिन जीत सच ही ही होती है। सत्यमेव जयते। 

- नरेन्द्र श्रीवास्तव

गाडरवारा - मध्यप्रदेश 

       सच पर कोई यकीन नही करता है क्योंकि झूठ सच अविश्वास का बोला बाला है! हर इंसान अपने को दूसरों से अच्छा साबित करने में अपनी सारी एनर्जी ,पूंजी लगा ,अविश्वास के वशीभूत हो स्वार्थी होकर अपने अंदर के विश्वास को खो क्षद्म झूठ दिखावा कर अपनी संयमिता सत्यता खो कर दिखावटी जिंदगी पर भरोसा कर अपने आनी वाली पीढ़ी को छलते किंकर्तव्यविमूढ़ हो अंधकार के माया जाल में फँस अपनी जिंदगी तबाह कर रहा है ! ऐसा इसलिए हो रहा है कि सच पर कोई यकीन नही करता है कि अफ़वाहे अपने आप फ़ैल जाती हैं, यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण और विचारणीय प्रश्न है सच अक्सर कमजोर है लोगों को इसे स्वीकार करने में समय लगता है।अफ़वाहें अक्सर भावनाओं और भय को उभारती हैं, तेजी से फैलती हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से अफ़वाहें तेजी से फैलती हैं।गप्पबाजी और अफवाहों का फैलना मानव स्वभाव क्रिया है उसकी पुष्टि करना आवश्यक है सकारात्मक संचार शिक्षा ईश्वर चंद्र विद्यासागर की तरह सोच रख शिक्षा के माध्यम से सच को फैलाया जा सकता है।भावनाऑं की अभिव्यक्ति में ही जीवन है ! सहेजना परखना इंसानी फितरत खुद्दारी होती है जो इंसान कभी नहीं चाहता हमेशा लाइट में रह गुणगान स्वयं का चाहता है !

- अनिता शरद झा

रायपुर - छत्तीसगढ़ 

      अगर सच और अफवाहों के विषय में बात करें तो यह सत्य है कि लोग  सच पर विश्वास करने के  अतिरिक्त अफवाओं पर यकीन ज्यादा करते हैं जिसका मुख्य कारण है कि अफवाहें लोगों की भावनाओं और मान्यताओं को छूती हैं और बिना किसी सबूत के भी आसानी से स्वीकार कर  ली जाती हैं यही आज की चर्चा का विषय है कि सच पर कोई यकीन क्यों नहीं करता जबकि अफवाहें अपने आप क्यों फैल जाती हैं,अगर सच की बात करें लोग सच पर यकीन कम इसलिए करते हैं की सच कडवा‌ होता है लेकिन अफवाहें‌ लोगों की भावनाओं और मान्ताओं को छूती हैं लेकिन सच‌ स्वीकार करना अक्सर मुश्किल होता है खासकर जब सच अप्रिय और दुखद हो इसके ‌साथ सच कभी कभी दर्दनाक भी होता है और इसका रास्ता मुश्किलों और कष्टों से भरा होता है और लोग वोही रास्ता चुनते हैं जो  आसान और बिना बाधा हो  यही नहीं जब लोग किसी भी प्रकार के सबूत के बिना किसी पर विश्वास कर लेते हैं तो अफवाहों को ही सच मान लेते हैं,यह सच‌‌ है अफवाहें धीरे से बोलने से भी फैल जाती हैं मगर सच  चिल्लाने से भी नहीं फैलता अन्त में यही कहुंगा की अफवाहें  लोगों की मान्यताओं, चिंताओं और आंशकाओं से जुड़ी होती हैं जिससे उन पर विश्वास कर लिया जाता है इसलिए लोग अक्सर सच पर विश्वास करने की वजाय अफवाओं पर यकीन ज्यादा करते हैं  इसके साथ साथ कुछ लोग  घृणा या बदले की भावना ‌से भी अफवाहें फैलाते हैं और लोग अच्छी बात पर इतना महत्व नहीं देते जितना बुरी बात को देते हैं और उनको  फैलाने में माहिर होते हैं।

- डॉ सुदर्शन कुमार  शर्मा

जम्मू -  जम्मू व कश्मीर 

     सच वह शब्द है जो बहुत हीं भड़काऊ है, घिनौना है, क्रोध को बुलावा देता है, इतना काला कि कितना हीं रगड़ो, परत उतरती हीं नहीं l इतना नंगा कि कितने भी कपड़े लपेटो, ढकता ही नहीं l इतना भारी कि कितना भी जोर लगाओ सतह तक लाने में महिनों, साल कभी कभी सदियाँ लग जाती है क्योकि उस समय वह अफवाहों का ऐसा शिकार हों जाता है कि विश्वास भी फीका पड़ जाता है l सत्य को मारने में अफवाहों की भूमिका बहुत बड़ी होतीं हैं l फाइले बंद हों जाती हैं और मृत्यु  जिन्दा हों जाती है l लेकिन जब सच की कड़वाहट तीखी हों जाती है तो मुर्दा भी जिन्दा हो जाता है और फाइले भी फिर से सक्रिय हों उठती है l सत्य फिर से उजला हो कर सामने आ खड़ा होता जाता है और सबका मुँह बंद कर देता है l हाँ, कुछ समय के लिए विलम्ब की परत में अवश्य लिपट जाता है l 

- सुशीला जोशी विद्योत्तमा

मुजफ्फरनगर - उत्तर प्रदेश 

     सच और अफवाहें दो सिक्के के पहलू रहते है। वास्तविक रूप में जब यथार्थ वादी घटना घटित हो जाती है, तब असहाय तौर पर विश्वास नहीं करते है, अनेकोंजनों से सच क्या है, पूछा जाता है। जबकि अफवाहें अपने आप फैल जाती है, इसकी सचता की ओर ध्यान नहीं जाता है। कई-कई तो अफवाहें फैलाने में माहिर होते है। जिसे हम कह सकते है, आदतन रोग है। कई बार तो इन अफवाहों के चक्कर में अनेकानेक घटनाचक्र घटेश्वर भी हो जाता है......? प्राय: समसामयिक, रचनात्मक, धार्मिकता, राजनैतिक अन्य क्षेत्रों में देखा जा सकता है.....

- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार "वीर"

             बालाघाट - मध्यप्रदेश

       सच पर कोई यकीन क्यों नहीं करता, जबकि अफवाहें अपने आप क्यों फैल जाती हैं... सही कहा गया है कि अफवाहें लोगों को सत्य की अपेक्षा ज्यादा आकर्षित करती हैं चूंकि सत्य हमेशा कड़वा होता है और  बात को सत्य साबित करने के लिए उसकी पुष्टि चाहता है जिसके लिए मेहनत करनी पड़ती है जबकि अफवाहें बेखौफ बिना पुष्टि के आग की तरह  फैल जाती है। इसमें आकर्षण इसलिए होता है क्योंकि यह एक सनसनीखेज और चौंकाने वाली खबर भी देता है जिसमें लोगों का भय, द्वेष एवं साथ ही अपना प्रभाव दिखाना भी छुपा होता है। अफवाहें किसी भरोसे की मोहताज ही नहीं रहती, वह तो लोगों की भावनाओं को लिए फैलती है....किंतु सच को यकीन दिलाने के लिए लोगों का भरोसा जीतना होता है। अक्सर लोग सच तभी मानते हैं जब उसके विचार सामने वाले से मिलते हैं अथवा यूं कह सकते हैं कि यदि हमें उस पर भरोसा है तो  उसकी कहीं बात मान्य है और यदि भरोसा नहीं करते तो उसकी  बातों को भी महत्व नहीं देते यानी उसके सच को भी सच नहीं मानते। किंतु सत्य तो अपनी जगह अडिग है..जैसे -:  प्रभु श्री राम का जन्म अयोध्या में हुआ..यह शत-प्रतिशत सत्य है ,किंतु इस सत्य की पुष्टि के लिए अनेक पापड़ बेले सनातनियों ने। सत्यमेव जयते। आज अयोध्या में राम मंदिर की स्थापना सत्य  की ही जीत है। सत्य सदा अडिग होता है वहीं अफवाह कमजोर और क्षणिक ....

 - चंद्रिका व्यास 

 मुंबई - महाराष्ट्र 

        सच पर कोई यकीन इसलिए नहीं करता है कि सत्य कड़वा होता है. जबकि अफवाह नमक मिर्च लगा हुआ होता है. कड़वा चीज़ सबसे हजम नहीं होता है. उसी तरह सच पर लोगों को विश्वास नहीं होता है. जबकि अफवाह जितना आगे बढ़ता है उतना स्वादिष्ट होता जाता है. हर जगह उसमें कुछ न कुछ मिलावट  होती रहती है. और आज लोगों को मिलावट खाने की आदत हो गई है.उसी अफवाह सुनने और सुनाने में लोगों को मजा आता है इसलिए अफवाह जल्द फैल जाती है. आज जमाना ऐसा हो गया है कि सबको अफवाह फैलाने में मजा आने लगा है. सब अफवाह फैलाकर टी आर पी  बटोरना चाहता है. इसलिए सच पर कोई यकीन नहीं करता.आज सच को बैसाखी की जरूरत हो गई है जबकि अफवाह के पर उग आते हैं इसलिए सब जगह तेजी से फैल जाता है. 

- दिनेश चंद्र प्रसाद " दीनेश "

कलकत्ता - प. बंगाल 

      सच हमेशा शान्त, संयमित और प्रमाणों के सहारे आगे बढ़ता है, इसलिए उसे स्वीकार होने में समय लगता है। इसके विपरीत, अफ़वाहें और भ्रांतियाँ भावनाओं को भड़काती हैं, इसलिए तेजी से फैल जाती हैं। लेकिन इतिहास साक्षी है कि अन्ततः जीत हमेशा सच की ही होती है। क्योंकि सच में स्थिरता है, आधार है और चरित्र है। कहने का अभिप्राय यह है कि “सच भले देर से सामने आए, पर जब आता है तो पूरी दुनिया को प्रकाशमान कर देता है। अफ़वाहें तेज़ भाग सकती हैं, लेकिन सच हमेशा दृढ़ होकर चलने वालों को विजय दिलाता है। इसलिए हमें असत्य के शोर से नहीं, अपने सत्य और सिद्धान्तों की शक्ति से आगे बढ़ना चाहिए। क्योंकि सच कभी हारता नहीं, न झुकता है, न मिटता है।” 

- डॉ इंदु भूषण बाली

ज्यौड़ियॉं (जम्मू) -जम्मू और कश्मीर

      एक तो सच कड़वा होता है इसलिए उस पर कोई यकीन नहीं करता जबकि अफवाहें रोचक होती हैं और फैलाने वाले को आनंद आता है, इसलिए अफवाहें अपने आप जल्दी फैल जाती हैं, जबकि सच पर कोई यकीन ही नहीं करता! दूसरे वास्तव में आजकल सच कम ही लोग बोलते हैं, इसलिए उनको विश्वास ही नहीं होता कि कोई सच बोल रहा है या बोल सकता है, जब कि अफवाहों में ऐसी कोई बात नहीं है! 

 - लीला तिवानी 

सम्प्रति -ऑस्ट्रेलिया

" मेरी दृष्टि में" झूठ के पांव नहीं होते हैं। इसलिए अपने आप फ़ैल जाता है। फिर भी झूठ तो झूठ होता है। इसलिए एक दिन तो झूठ बेनकाब होता ही है। जो अपमान स्थिति का सामना करता है। अतः झूठ का सहारा नहीं लेना चाहिए। 

              - बीजेन्द्र जैमिनी 

          (संचालन व संपादन)


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