अमलप्रवा दास स्मृति सम्मान - 2025

          जीवन में भरोसा बहुत जरूरी है। बिना भरोसे के किसी के साथ जुड़ना असम्भव है। जीवन यात्रा में बहुत से ऐसे लोगों से सामना होता है। जो जीवन को बहुत कुछ दे जाते हैं। ऐसे लोगों पर भरोसा किया जा सकता है। बाकि जीवन में बहुत कुछ होता रहता है। यही कुछ जैमिनी अकादमी की चर्चा परिचर्चा का प्रमुख विषय है :- 
        जुड़ने से तात्पर्य संबंध रखने से है यह बात ठीक है कि यदि हम किसी व्यक्ति की विशेषताओं,महानता , सुसंस्कारिता से प्रभावित होकर उससे जुड़ना चाहते हैं तो हमें सबसे पहले उसके आचार- विचार, व्यवहार पर दृष्टिपात करना होगा। सब कुछ ठीक लगने पर ही उससे जुड़ाव  के लिए उस पर भरोसा रखना होगा। यदि अपनी जीवन- शैली उस व्यक्ति से फर्क है तो अपने में बदलाव करके उसके साथ सामंजस्य बनाते हुए पूर्ण रूप से उसे अपनाते हुए उसपर विश्वास यानि भरोसा तो रखना ही पड़ेगा तभी यह जुड़ाव टिकाऊ है अन्यथा टूटन की स्थिति तो आती है और यदि इस जुड़ाव में स्वयं के द्वारा अथवा किसी अन्य दूसरे व्यक्ति के द्वारा गलतफहमी पैदा कर दी गई तो फिर वह जुड़ाव हमेशा हमेशा के लिए संबंधों को तोड़ता हुआ एक दूसरे को हमेशा के लिए ही विलग कर देता है। देखा जाए  तो  सुघर जीवन जीने का यह फलदायी सूत्र भी है । आध्यात्मिक, पारिवारिक, सामाजिक, राजनीतिक सभी क्षेत्रों में यह सूत्र पूर्णतः  प्रभावकारी फलदायक होता है।

 - डाॅ.रेखा सक्सेना

मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश 

       भरोसा ऐसा सशक्त माध्यम है जो संबंधों को निभाता तो है ही, प्रगाढ़ और मधुर भी करता है। हरेक का कोई न कोई एक ऐसा अपना तो होता ही है, जो उसका खास होता है, जिससे वह अंतर्मन से जुड़ा होता है। ऐसे में उसका जो साथ निभाने में सहायक होता है  वह भरोसा होता है। भरोसा यानी कोई बंधन नहीं, कोई भेदभाव नहीं, कोई लुक्का-छिप्पी नहीं। सब कुछ खुली किताब की तरह। और फिर जिसे यह निभाना आ गया तो फिर कहना ही क्या। मिसाल बन जाता है। इस भरोसे में इतनी सामर्थ्य होती है कि वह जीवन की सारी मुश्किलों को आसान कर देता है। यह भरोसा हिम्मत और हौसला बनाए रखने वाला होता है। एकाकीपन, निराशा और हताशा से बचाता है। इसलिए तो कहा गया है कि जुड़ने के लिए सिर्फ एक भरोसा चाहिए। लेकिन जैसा कि हरेक के दो पहलू होते हैं। इसी तरह भरोसा का दूसरा पहलू यह है कि जब यह टूटता है तो तूफान ला देता है। सब कुछ तहस-नहस कर देता है। झकझोर कर रख देता है। जैसे शेष कुछ रहा नहीं। लेकिन...लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि यह गलतफहमी की वजह से भी होता है। यानी हकीकत कुछ और होती है अर्थात वह सच नहीं होता जो मान लिया जाता है, समझ लिया जाता है। यह स्थिति और भी दुखद और त्रासदी भरी होती है। इसमें बाद में पछतावा ही रह  जाता है। सार यह कि भरोसा, संबंधो के लिए बेहद मूल्यवान है, इसे ईमानदारी से निभाना आना चाहिए। इस निर्वहन में हमें ऐसी स्थिति से भी बचना चाहिए जो गलतफहमी पैदा कर सकती हैं। 

- नरेन्द्र श्रीवास्तव

गाडरवारा - मध्यप्रदेश 

      जुड़ने के लिए सिर्फ एक भरोसा चाहिए !आत्मीयता से जुड़ने के लिए रिश्तों में प्यार स्नेह भरोसा होना चाहिए! समय की कमी नही हैं ! आप दोनों हाथ जोड़ नमस्कार कर, आप पैर छू कर भी अपने से बड़ों का सम्मान कर आशीर्वाद प्राप्त करें ये आपके विश्वास चाहता को बढ़ा अपने पन से परिपूर्ण करते है ! क्या हाथों को जोड़ कर भी अभिवादन नमस्ते करने की गरिमापूर्ण अभिव्यक्ति विदेशी भी हमारी संस्कृति सभ्यता अपनाते बिना किसी जान पहचान के अभिवादन करते है। किसी प्रकार की भ्रांतियाँ नही पालते जिसे हम जानते नही उसे कैसे नमस्कार करे ! ये बाते आज के दौर में जब नारी ही पुरषों से कंधे कंधा मिला की परिस्थितियों का सामना करते आगे बढ़ रही है।ये बातें पुरूषों को घर रह कर समझ आई । नारी का हाथ बटाने लगे हैं ! भेद भाव अंतर मिटा रहे हैं  सोचते है एक ग़लत फ़हमी हो विश्वास तोड़ने में सहायक होती हैं ।पर्यावरण में ताजगी का एहसास किसान ,श्रमिक अपने घर लौट सुकून का अनुभव क़र  अपनी ही माटी से जुड़े रहना चाहता हैं । मितव्यता की सीख से आगे बढ़ाना चाहता हैं  । पिछड़ने के लिए एक ग़लत फ़हमी ही काफ़ी होती है 

- अनिता शरद झा

रायपुर - छत्तीसगढ़ 

     जब हम किसी से मिलते है, एक अजनबी रहते है। रिश्ते नाते दारों  पर जितना भरोसा नहीं करते, उतना जुड़ने वालों पर भरोसा करते है। जिसे हम अपनी छोटी-छोटी बातें बताकर विश्वास जरूर करते है। जिसे दोस्ती कहते है। विश्वास, आत्मविश्वास में जब एक गलतफहमी आती है, तो पिछड़ने के लिए कुछ बाकी नहीं रहता। पश्चात्ताप जब होता है, जब हमनें अपनी पूर्व में छोटी-छोटी बातें बताकर अपने आपको पंगू बना लिया होता है। जीवन में पचाने की भी शक्ति होनी चाहिए, कई-कई तो बहुत सी बाते पचा लेते है, सामने वालें को पता भी नहीं चलता है।

- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार "वीर"

बालाघाट - मध्यप्रदेश

       एक आश्वासन , एक नेक कृत्य , एक अच्छी बात , जब मन को छू जाती है , तो व्यक्ति को भरोसा हो जाता है ! फिर वह सोचता है , कि अब व्यक्ति ऐसा है  , तौ आगे चलकर भी वैसा ही होगा , जैसा प्रतीत हो रहा है ! एक छोटी सी गलतफहमी ही काफी होती है , विश्वास तोड़ने के लिए !! इतना आहत हो जाता है इंसान , की वह , अपनी गलतफहमी को , सत्य की कसौटी पर परखने का प्रयास भी नहीं करता !! गलतफहमी के भ्रमजाल से निकलने का प्रयास ही नहीं करता , और अपने करीबी रिश्तों को को देता है !! हमें किसी निर्णय पर पहुंचने से पहले ,तथ्यों की जांच पड़ताल के लेनी चाहिए , ताकि अप्रिय स्थिति से बचा जा सके !!

- नंदिता बाली 

सोलन - हिमाचल प्रदेश

    किसी के भी साथ जुड़ने के लिए एक भरोसा ही काफी होता है. चाहे वह कोई व्यक्ति हो या कोई संस्था हो  कोई भी उससे जुड़ता है तो वह भरोसा कर के ही जुड़ता है.सबसे बड़ी बात आदमी को किसी न किसी के ऊपर तो भरोसा करना ही पड़ता है. ये बात भी सही है कि पिछड़ने के लिए एक गलत फहमी ही  काफी होता है. हमारी भूल समझ के कारण ही गलतफहमी हो जाती है और हम पिछड़ जाते हैं. क्षेत्र चाहे कोई भी हो. गलतफहमी पिछड़न का मूल कारण होता है. 

- दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश "

कलकत्ता - प. बंगाल 

      प्रभु से जुड़ने के लिए सिर्फ एक भरोसे की ही आवश्यकता होती है. इसी तरह अगर मन प्रेम, आत्मीयता, सहृदयता, सहयोगपरक भावना से सराबोर हो तो सिर्फ एक भरोसा ही काफी है जुड़ने के लिए. भरोसा होगा तो ही हम किसी की अच्छाइयों, गुणों, स्वभाव से प्रेरित हो सकेंगे, वरना बुराइयों, अवगुणों आदि से प्रेरित होकर न  हम उसका भला कर सकेंगे, न अपना! भरोसा ही जुड़ने का सशक्त माध्यम है.  इसके विपरीत बिछड़ने के लिए एक गलतफहमी ही काफी होती है, क्योंकि कभी-कभी भरोसेमंद ही विश्वासघात कर बैठते हैं. गलतफहमी का अर्थ ही है गलत धारणा. कभी-कभी अनजाने में ही हम गलत धारणा से गलतफहमी कर बैठते हैं, जिससे बिछड़ने में एक पल भी नहीं लगता! भरोसा तोड़ने से पहले गलतफहमी की संभावना पर विचार करना आवश्यक होता है. कभी किसी के बहकावे में आकर गलतफहमी का शिकार होकर भरोसा न तोड़ने में ही समझदारी है. गलतफहमी को गलतफहमी ही रहने दो, भरोसे के भरोसा!

- लीला तिवानी 

सम्प्रति -ऑस्ट्रेलिया

      विश्वास का मूल आधार ज्ञान, विज्ञान और प्रज्ञान ही निर्णायक तत्व होते हैं। क्योंकि जीवन में जुड़ाव केवल साधन या संसाधन से नहीं, बल्कि विश्वास की ऊष्मा से होता है। जब एक व्यक्ति दूसरे पर भरोसा करता है, तब न केवल हाथ मिलते हैं बल्कि हृदय भी मिलते हैं, और हृदयों की तरंगों से ही समाज, संगठन या राष्ट्र की वास्तविक शक्ति बनता है। किन्तु जहाँ विश्वास के स्थान पर भ्रम अथवा भ्रांतियां ले लेती है, वहाँ रिश्ते, उद्देश्य और संघर्ष की दिशा सब भटक जाती हैं। अतः हमें सदैव सत्य, संवाद और सहानुभूति को प्राथमिकता देनी चाहिए। क्योंकि जो व्यक्ति विश्वास से जुड़ता है वह समाज को जोड़ता है और जो भ्रान्तियों से पिछड़ता है वह राष्ट्र की एकता को तोड़ता है। इसलिए प्रायः एकता और अखंडता को बनाए रखें। 

- डॉ. इंदु भूषण बाली

ज्यौड़ियॉं (जम्मू) - जम्मू और कश्मीर

      "भरोसा और गलतफ़हमी – रिश्तों की डोर के दो छोर" मानव जीवन का आधार ही संबंध हैं, और संबंधों का आधार है भरोसा। एक बार विश्वास की डोर जुड़ जाए तो अजनबी भी अपनों से बढ़कर लगते हैं। वहीं, जब यह डोर किसी छोटी-सी गलतफ़हमी से उलझती है, तो वर्षों पुरानी नज़दीकियाँ भी क्षणभर में बिखर जाती हैं। भरोसा वह भाव है जो हृदय से उपजता है और मन को स्थिरता देता है। यह संबंधों में पारदर्शिता और अपनापन लाता है। जिस रिश्ते में भरोसा है, वहाँ संवाद की कमी भी गलतफ़हमी नहीं बनने देती। किन्तु जब मन में शंका का बीज पड़ता है, तो वह धीरे-धीरे अविश्वास का वृक्ष बन जाता है। “जो सुनी-सुनाई बातों पर भरोसा कर ले, वह सच्चे संबंधों को खो देता है।”गलतफ़हमी अक्सर तब जन्म लेती है जब संवाद रुक जाते हैं, अहम बढ़ जाता है, या मन में पूर्वाग्रह आ जाता है। भरोसा हमें आगे बढ़ाता है, जबकि गलतफ़हमी हमें पीछे धकेल देती है। रिश्ते की डोर को संभाले रखने के लिए “भरोसा” सबसे बड़ी पूँजी है। गलतफ़हमी मिटाई जा सकती है, पर भरोसा टूट जाए तो उसे जोड़ना कठिन है। अतः हमें हर संबंध में संवाद, सहानुभूति और विश्वास को प्राथमिकता देनी चाहिए। “भरोसे की एक डोर जोड़ लेती है जीवन भर, और गलतफ़हमी की एक छाया कर देती है दूरी अनंत।"

 - डाॅ. छाया शर्मा

 अजमेर -राजस्थान

      कहा गया है 'विश्वास फलदायकं' यही तो मनोबल को बढ़ाता है। भरोसा ही तो हमें किसी से जुड़ने और आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है और यदि भ्रम, गलतफहमी हो तो फिर जुड़ाव टूट जाता है,विकास बाधित होना स्वाभाविक है। ईश्वर को किसी ने देखा नहीं लेकिन विश्वास ही तो है जो उसके अस्तित्व को बनाए हुए हैं और यह विश्वास हमारे अस्तित्व को शक्ति देता है।यह भरोसा हमारा मनोबल बढ़ाता है। यह भरोसा ही तो जुड़ने में सहायक होता है।जब कहीं गलतफहमी हो जाती है तो अच्छा खासा परिवार भी टूट जाता है। इसलिए गलतफहमी हो तो बातचीत कर स्थिति स्पष्ट कर लेना आवश्यक होता है। वैसे यह भी जरूरी है कि हम विश्वास करें, लेकिन अंधविश्वास नहीं। अंधविश्वास, गलतफहमी का ही दूसरा नाम मान लीजिए। इसलिए कभी भी , कहीं भी गलतफहमी से बचें।

- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'

धामपुर - उत्तर प्रदेश 

      इंसान कभी किसी के साथ उसकी अच्छाइयों, गुणों, स्वभाव से प्रेरित होकर जुड़ता है।यह जुड़ाव प्रेम, आत्मीयता, सहृदयता या फिर कहना चाहिए सहयोगपरक भावना से संंलग्नित होता है। हमें उस पर भरोसा होता है कि हमें जरूरत के समय वो साथ देगा,दुख के समय हमारे करीब रहकर संबल देगा। हमें मददगार बनकर सहयोग करेगा।कभी आर्थिक सहायता की आवश्यकता पड़े तो सहर्ष तैयार हो जायेगा।हमारा हाथ जायेगा। यह भरोसा जुड़ने का सशक्त माध्यम है।कभी हम उस  इंसान की आदतों, चाल-चलन, श्रेषठ गुणों से प्रभावित होकर संबंध बनाते हैं।जुड़ते हैं। उसके ऊपर विश्वास करते हैं। विश्वास कायम रखकर हम जीवन जीते हैं। संबंधों को आयाम देते हैं। दूसरी ओर पिछड़ने के लिए एक गलतफहमी ही काफी होती है।हम जिसके ऊपर विश्वास करते हैं,वो विश्वास पर खरा नहीं उतरता पीठ पीछे हमारे ही चुरा भोंकता है।हमारे पीठ पीछे बुराईयां करता है।हमारा अहित चाहता है।मुख में राम बगल में छुरी चलाता है। ऐसे लोगों से पिछड़ने की एक गलतफहमी ही काफी होती है। सामने मीठा- मीठा बोलकर हितैषी बनता है।पीठ पीछे निंदा करता,अहित चाहता है।यही गुण हमें गलतफहमी का शिकार बनाकर संबंधों में दरार पैदा करता है। जिससे संबंध टूटते हैं अंत में जुड़ाव के स्थान पर पिछड़ने की स्थिति निर्मित होती है। अंत में मैं यह कहना चाहूंगी कि भरोसा करके जुड़ते हैं और भरोसा बरकरार रखना चाहिए।किसी भी प्रकार की गलतफहमी मन: मस्तिष्क में पनपने नहीं देना चाहिए।

- डॉ. माधुरी त्रिपाठी 

रायगढ़ - छत्तीसगढ़

       अक्सर देखा गया है कि जुड़ने के लिए सिर्फ एक भरोसे की जरूरत होती है क्योंकि मन अगर प्रेम सहृदयता तथा सहयोगपरक भावना‌ से भरा हो तो सिर्फ एक भरोसा ही काफी है जुड़ने के लिए तो आईये आज की चर्चा इसी बात पर करते हैं कि जुड़ने के लिए एक भरोसा‌ चाहिए और बिछुडने के लिए एक गलतफहमी ही काफी है,  मेरा मानना है कि भरोसे से ही हम किसी की अच्छाईयों,गुणों और स्वभाव से प्रेरित होते हैं  और यही बातें जुड़ने के सशक्त माध्यम हैं इसके विपरीत बिछुडने के लिए एक गलतफहमी ही काफी होती है क्योंकि कभी कभी भरोसेमन्द भी विश्वासघात कर देते हैं जिससे बिछुडने  में एक पल भी नहीं लगता,अक्सर देखा गया है कि गलतफहमी और भरोसे की कमी से दुनिया बिछुडती  है क्योंकि भरोसा किसी व्यक्ति की स्थिति सच्चाई और क्षमता  या समर्थन पर एक दृढ़ विश्वास है यह एक ऐसी भावना है जो हमें दुसरों पर निर्भर होने के लिए प्रेरित करती है,यही नहीं भरोसा ही रिश्तों में आत्मविश्वास और प्यार की भावना पैदा करता है जिसके लिए ईमानदारी, अपने शब्दों में सच्चाई तथा कार्यों में पारदर्शिता जरूरी होती है क्योंकि भरोसा ज्यादातर झूठ बोलने,धोखा देने,वादे तोड़ने ‌जैसी‌ कमियों  के कारण टूटता है इसके साथ साथ जब  हम एक दुसरे के प्रति अपनी जिम्मेदारियों से मुकर जाते हैं तथा अस्पष्ट व्यवहार दिखाते हैं तो अक्सर भरोसा‌ टूट जाता है,अन्त में यही कहुंगा कि भरोसे पर दुनिया खड़ी है,इसे अगर हम निभा नहीं सकते तो झूठे रिश्ते जोड़ने से कुछ नहीं होता आखिर सच्चाई ‌सामने आ ही जाती है जिससे  गहरे से‌‌ गहरे संबध भी टूट कर बिखर‌ जाते हैं इसलिए इंसानियत इसी में है कि अपने भरोसे को बनाये रखें और कभी ऐसी  बात न करें जिससे भरोसेमंद का‌ दिल टूट कर बिखर जाए और आपसी संबंध कभी‌ न जुड़ने पांए।

- डॉ सुदर्शन कुमार शर्मा

जम्मू - जम्मू व कश्मीर 

        हमारे यहां पहाड़ी बोली में एक कहावत बोली जाती है "बहमां रा  कोई इलाज नीं हूंन्दा" । अर्थात गलतफहमी का कोई इलाज नहीं होता। सामाजिक जीवन रूपी गाड़ी में विश्वास या दूसरे शब्दों में कहें, भरोसा बहुत जरूरी है। अन्यथा यह गाड़ी, इनके बिना डिरेल हो जाती है। सरकार हो, परिवार हो या कोई अन्य सरोकार हो। सबमें भरोसा ही तो वह प्रक्रिया है, जिससे इसमें घनिष्ठता आती है। रिश्ते जीवंत बनते व रहते हैं। बिना मित्रता के भी जीवन नहीं चलता। कोई ना कोई ऐसा मित्र होना जरूरी है। जिसके साथ हम अपनी निजी बातें, दिल की बातें शेयर कर सकें। दुर्भाग्यवश कहीं, मित्रता पर से भरोसा उठ जाए। तो समझो दोनों का जीवन, जीना दुभर हो जाए। क्योंकि ये दोनों, वह सब जानते हैं। जो एक दुश्मन दूसरे दुश्मन को गिराने के लिए या उससे बदला लेने के लिए जानना चाहता है। इसलिए जीवन में कोई भी संबंध हो, चाहे वह पति-पत्नी का हो या कोई अन्य, सब में विश्वास और भरोसा ही वे पहिये हैं। जिनके सहारे, उनकी जीवन रूपी गाड़ी, सही ढंग से आगे बढ़ती है। यदि यह नहीं तो समझो कुछ नहीं। आज की परिचर्चा का यह संदर्भ की जुड़ने के लिए सिर्फ एक भरोसा चाहिए और पिछड़ने के लिए एक गलतफहमी ही काफी है, बिल्कुल कटु सत्य है।

- डॉ. रवीन्द्र कुमार ठाकुर

बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश

" मेरी दृष्टि में " पिछड़ने के पीछे बहुत दर्दनाक कहानी होती है। जो एक गलतफहमी का शिकार होती है। समय रहते गलतफहमी को दूर करने का प्रयास करना चाहिए। तभी समाधान उचित समय पर हो जाता है। समय निकलने के बाद समाधान दूर होता चला जाता है। 

                - बीजेन्द्र जैमिनी 

           (संचालन व संपादन)

Comments

  1. आदरणीय जैमिनी अकादमी ,
    मैं आज अपने आपको अत्यंत सौभाग्यशाली मानती हूँ कि मुझे “अमलप्रवा दास सम्मान – 2025” से अलंकृत किया गया। इस सम्मान के माध्यम से न केवल मेरे कार्यों का सम्मान हुआ है, बल्कि यह उस विचारधारा की स्वीकृति भी है, जिसे अमलप्रवा दास जी ने अपने जीवन से साकार किया — गाँधीवादी जीवनमूल्य, नारीशक्ति, शिक्षा और समाजसेवा की निष्ठा।
    उनके नाम से जुड़ा यह सम्मान मेरे लिए प्रेरणा का स्रोत है।
    वे एक ऐसी विभूति थीं जिन्होंने सेवा को साधना और सत्य को जीवन का आधार माना। उनके नाम से जुड़ा यह सम्मान, मेरे लिए प्रेरणा का अमृत है। मैं जैमिनी अकादमी की अत्यंत आभारी हूँ कि उन्होंने मेरे प्रयासों को इस योग्य समझा।यह सम्मान मेरे लिए एक दायित्व भी है — कि आगे की राह में मैं उसी निष्ठा, सादगी और सामाजिक चेतना के साथ कार्य करती रहूँ, जैसा कि अमलप्रवा दास जी ने हमें सिखाया। मैं जैमिनी अकादमी का हृदय से धन्यवाद करती हूँ, जिन्होंने । आभारी हूँ,मेरे लेखन को यह पहचान दी और इस क्षण को मेरे लिए अविस्मरणीय बना दिया।यह सम्मान मेरे लिए गौरव के साथ-साथ एक नया उत्तरदायित्व भी है कि मैं अपने लेखन और कर्म दोनों में उन मूल्यों को जीवित रखूँ, जिनके लिए अमलप्रवा दास जी जानी जाती हैं। सादर धन्यवाद एवं कोटिशः आभार।
    - डॉ. छाया शर्मा
    अमलप्रवा दास सम्मान – 2025 प्राप्तकर्ता
    (WhatsApp से साभार)

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

लघुकथा - 2024 (लघुकथा संकलन) - सम्पादक ; बीजेन्द्र जैमिनी

हिन्दी के प्रमुख लघुकथाकार ( ई - लघुकथा संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी

दुनियां के सामने जन्मदिन