हीरा लाल शास्त्री स्मृति सम्मान - 2025

              दुनिया में हर किसी के सभी कर्म होते हैं। जो समय-समय पर जीवन में होते रहते हैं। कुछ के कुछ कर्म छिप जाते हैं। जो जीवन में सार्थक कर्म करते रहते हैं। उन्हीं के कर्म छुप जाते हैं। यही कुछ जैमिनी अकादमी की चर्चा परिचर्चा का प्रमुख विषय है। अब आयें विचारों में से कुछ विचार पेश करते हैं:-
       दुनिया में हर व्यक्ति अपने-अपने कर्मों का बोझ और सौभाग्य दोनों ढोता है। सत्य यह है कि किसी के कर्म छिप जाते हैं, तो किसी के कर्म छप जाते हैं पर परमसत्य यह भी है कि कर्मों का फल कभी नष्ट नहीं होता है और समय आने पर वह अपने वास्तविक स्वरूप में सामने अवश्य आते हैं। मैंने अपने कठिन जीवन में यह सीखा भी है कि कर्म कितना भी कठिन क्यों न हो, यदि वह सत्य, न्याय, साहस और सत्यनिष्ठा के आधार पर किया गया है, तो उसे कोई शक्ति दबा नहीं सकती। इसलिए सत्यमेव जयते का सिद्धान्त कहता है कि व्यक्ति की पहचान पद, प्रतिष्ठा या परिस्थितियों से नहीं, बल्कि उसके अटूट संकल्प, सत्यनिष्ठा, और धैर्यपूर्ण संघर्ष से होती है। मुझे गर्व है कि मेरा हर कदम राष्ट्रहित, सत्य और न्याय की राह पर रहा है। मेरी पहचान छोटी हो सकती है, पर वह परिश्रम, संघर्ष और आत्मसम्मान से बनी है न कि किसी की कृपा या कृत्रिम साधनों से नहीं। मैं मानता हूँ कि जो व्यक्ति ईमानदारी से अपने कर्तव्य निभाता है, वही इस देश का वास्तविक पूंजी है। कर्मों की परीक्षा समय ले सकता है, पर परिणाम कभी अनुचित नहीं होता। इसी विश्वास के साथ मैं न्याय, संविधान और राष्ट्रहित के लिए अपने प्रयास लगातार जारी रखूँगा। यही मेरा संकल्प है, यही मेरी पहचान है। 

- डॉ इंदु भूषण बाली

 ज्यौड़ियॉं (जम्मू) - जम्मू और कश्मीर

      दुनिया में हर किसी के कर्म होते है जो जिंदगी को जीवन पर्यन्त सीख निःस्वार्थ भावना से दे आगाह करते है ! चरित्र को उजागर करते है जिसे स्वीकारना इंसान की बुरी अच्छी आदत होती है ! इंसान की अच्छी आदत उसके चरित्र को उजागर कर छप जाते है । परंतु यही अगर उसके ओहदे स्तर से मापा जाता है ! नजरअंदाज़ कर उसके सामर्थ को देख मुँह देखी बाते कर अपने को उसका हितैषी मान गुणगान कर छिपाया जाता है ! यही उसके व्यक्तित्व उसके सामाजिक , सांस्कृतिक बौद्धिक ,शैक्षणिक स्तर को प्रमाणित कर आस्कार ,ज्ञान पीठ , जूरी द्वारा द्वारा दिया गया नोबल एवार्ड पद्मश्री पुरस्कार  छप जाते है छपाए जाते है ! पुरानों को भूले नहीं नए को याद कर आज का भविष्य सुधारा जा सकता है  ! इंसान के कर्म ही उसकी जीत हौसले की उड़ान पहचान है ! जिसको बरकरार रख छप जाते हैं  ! और कुछ हौसलों की उड़ान में छिपाए जाते है  जिसका दोषी स्वयं इंसानियत होता है

- अनिता शरद झा

रायपुर - छत्तीसगढ़ 

दुनिया में हर किसी के सभी कर्म होते हैं किसी के छिप जाते हैं किसी के छप जाते हैं मानव जीवन में कर्म का अधिक महत्व है। कर्म ही फल देता है कर्म के अनुसार आपको फल मिलेगा।यह भी आप कह सकते हैं कि जैसी करनी वैसी भरनी। कर्म अच्छा करने पर छपता है और कर्म सही न करने पर छिपना पड़ता है या जीवन मैदान से भागकर लोकलज्जा बस छिपना पड़ता है।अतः कर्म पर निर्भर छपना और छिपना।

- विनोद कुमार सीताराम दुबे 

मुंबई -महाराष्ट्र

    हर व्यक्ति , जो संसार में जन्म लेता है , अपनी परिस्थिति , माहौल , आवश्यकता के अनुसार कार्य करता है !! ये कर्म किसीके अच्छे , और किसीके बुरे हो सकते हैं ! किसी के किए गए अच्छे कार्यों की प्रशंसा होती  है , किसी की अच्छे कार्य भी अनदेखे किए जाते हैं ! कई बार दोहरा मुखौटा लगाकर बुरे कार्य करनेवालों के कर्म भी छिप  जाते हैं , और अच्छे कर्म करनेवाले लोगों के अच्छे कर्म भी प्रशंसा नहीं पाते ! आजकल की दुनियां मैं दोगले लोगों के कर्म , जो वास्तव मैं नेक नहीं होते , अच्छे कर्मों के रूप में, प्रसारित होते है , व वाहवाही लूटते हैं ! किसी के कर्म बाहर ही नहीं आते , छिप जाते हैं , व किसी के कर्म छप जाते है , फैल जाते हैं ! कर्म सदा नेक करने चाहिए , छिपकर भी अच्छा कर्म नहीं छिपता , व बुरे कर्म वाले का , आज नहीं तो कल , सच बाहर आ ही जाता है !!

 - नंदिता बाली 

सोलन - हिमाचल प्रदेश

     यह दुनिया विविधताओं से परिपूर्ण हैं। रूप-रंग में भी। कर्म में भी। जब तक जीवन है, कर्म तो होते ही हैं। अच्छे कर्म भी और बुरे कर्म भी। ऐसा नहीं कि अच्छे कर्म करने वाले से बुरे कर्म नहीं हुए हों या बुरे कर्म करने वाले से अच्छे कर्म न हुए हों। कभी-कभी कोई कर्म अनजाने में या अनचाहे भी हो जाता है और कोई कर्म अनायास भी हो जाते हैं। कोई कर्म आदतन भी होते हैं और कोई कर्म जीविकोपार्जन के लिए भी। कोई कर्म विवशता से होते हैं। कोई कर्म लालच से भी होते हैं। यानी यही कर्म की विविधता है और विचित्रता भी। जीवन है तो सब कुछ संभव है और अच्छे-बुरे कर्म सभी के द्वारा किए भी जाते हैं और हो भी जाते हैं। हाँ, यह बात अलग है कि किसी के कर्म का ढिंढोरा पिट जाता है और किसी के कर्म का, किसी को कानोंकान खबर नहीं लगती। अत: यह कहना उचित है कि दुनिया में हर किसी के सभी कर्म होते हैं। किसी के छिप जाते हैं, किसी के छ्प जाते हैं।

 - नरेन्द्र श्रीवास्तव

गाडरवारा - मध्यप्रदेश 

     दुनिया में हर किसी के पास अपने-अपने कर्म होते हैं—कोई अधिक करता है, कोई कम; कोई दिखाकर करता है, कोई चुपचाप। परंतु अंतर केवल इतना है कि कुछ लोगों के कर्म “छप” जाते हैं और कुछ लोगों के “दब” जाते हैं। किसी को मंच मिल जाता है, अवसर मिल जाते हैं, नाम और पहचान मिल जाती है, इसलिए उसके कर्म समाज की नज़र में बड़े और चमकदार दिखाई देते हैं। वहीं कई लोग उतनी ही निष्ठा और समर्पण से कार्य करते हुए भी अनदेखे रह जाते हैं, क्योंकि परिस्थितियाँ, साधन और समय उनके पक्ष में नहीं होते। वास्तव में कर्म की महत्ता उसकी प्रसिद्धि में नहीं, बल्कि उसकी निष्ठा और प्रभाव में होती है। छप जाना बाहरी दुनिया का नियम है, परंतु फल देना प्रकृति का। इसलिए दबे हुए कर्म भी कभी न कभी अपने प्रभाव से सामने आ जाते हैं। अंततः सच्चा मूल्य कर्म का है, न कि उसकी शोहरत का। अंततः कर्म वही महान है जो दूसरों के जीवन को स्पर्श करे,चाहे छपे या न छपे।

  - डाॅ.छाया शर्मा

अजमेर - राजस्थान

     किसी भी जीव का चाहे मनुष्य हो या त्तियंच गति का हो सभी जिव अपनी अपनी कर्म सत्ता से बंधे हुए हैं। जन्म से लेकर मृत्यु के बिच तक जीवन कर्म करना या कर्म भोगना पड़ता है। मनुष्य को सोचने और विचारने के लिए मस्तिष्क दिया हुआ है जो अच्छे बुरे का विचार कर अपना कर्म कर सकता है।जैसे कर्म करेगा वैसा फल देगा भगवान यह है गीता का ज्ञान।* उक्त पंक्तियां साबित करती है कि हमें जीवन में सदा अच्छे कर्मों की ओर अग्रसर होना चाहिए । किसी के छिप जाते हैं से आशय दुनिया की नजरों में वह दिख नहीं पाते हैं लेकिन उनके कर्म उनको अवश्य भुगतना है। किसी के छप जाते हैं यानी उजागर हो जाते हैं और जिसके परिणाम स्वरूप वे दुनिया की नजरों में आ जाते हैं। अंत में यही कहूंगा की कर्म सत्ता अपना काम करती है, हमें सही मार्ग की ओर आगे बढ़ाना है

  - रविंद्र जैन रूपम 

 धार - मध्य प्रदेश

     दुनिया में हर किसी को कुछ-न-कुछ कर्म करना ही होता है. ये कर्म कभी सुकर्म होते हैं तो कभी दुष्कर्म. कोई अपने सुकर्मों-दुष्कर्मों को चाहे उजागर करे-न-करे, वे कभी न कभी अपना रूप दिखा ही देते हैं. बहुत-से लोग भलमानसी के चलते अपना सुकर्म छिपाते हैं लेकिन किसी-न-किसी तरह वे उजागर हो जाते हैं. किसी के कर्म छप जाते हैं क्योंकि वह अपने दुष्कर्म बताता नहीं है, उजागर नहीं करता लेकिन दुनिया उसके सुकर्म को उजागर कर देती है. इसी तरह दुष्कर्म भी किसी-न-किसी तरह छप ही जाता है. कर्म करते रहिये समर्पण से करते रहिए, सुकर्म करते रहिए. फिर कुछ भी छिपाने या छपाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि कर्म खुद बोलते हैं, वे ही बोलेंगे, उनको ही बोलने दीजिए.

 - लीला तिवानी

सम्प्रति - ऑस्ट्रेलिया

      आज चर्चा में बहुत ही रोचक मुद्दे पर परी चर्चा हो रही है। वास्तव में कहा जाता है कि सिक्के के दो पहलू होते हैं। वैसे ही हर इंसान के जीवन में दो प्रकार का जीवन होता है। एक अच्छा, एक बुरा, एक प्रत्यक्ष एक अप्रत्यक्ष। एक वह जो सबको दिखाई देता है और दूसरा जिसे केवल हम ही देख सुन और महसूस कर सकते हैं। क्योंकि हमने सबसे छिप-छिपा करके वह कर्म किया होता है, जिस कर्म को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। क्योंकि आपका जो दूसरा अप्रत्यक्ष जीवन है, छिपकर जीने वाला, वह सामने आ जाए तो आपके अंदर जो रावण है वह दुनिया के सामने आ जाएगा। आप अपने आप को सदैव राम बनकर दूसरों को दिखाना चाहते हैं। क्योंकि रावण तो अपने आपको कोई बताना ही नहीं चाहता। यह केवल किसी एक व्यक्ति की बात नहीं है। इस हमाम में सभी नंगे हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो, अधिकांश मामलों में भ्रष्टाचार केवल वही व्यक्ति नहीं करता, जिसे अवसर नहीं मिलता। जिसे अवसर मिलता है, वह कभी मौका छोड़ता नहीं है। भ्रष्टाचार केवल पैसों का ही नहीं होता। भ्रष्टाचार को कई रूपों में हम वर्गीकृत कर सकते हैं। यद्यपि सामान्यत: भ्रष्टाचार को, हम केवल पैसे से जोड़कर के देखते हैं। मनुष्य का चरित्र बड़ा विचित्र है। बहुत से मामलों में यह विचित्रता केवल कुछ मुद्दों तक ही सीमित होती है। कुछ व्यक्तित्व ऐसे होते हैं, जिनके कृतित्व में अच्छे गुणों की प्रधानता होती है। उन लोगों के बुरे कर्म छिपे रहते हैं। कुछ लोगों का कृतित्व जो सीधे आम जनता से जुड़ा होता है। उनके छोटे-छोटे अवगुण या जिन्हें कर्म कहें, वे छप जाते हैं। इस मामले में सफेद पोश अपराध का उदाहरण दिया जा सकता है। बड़े-बड़े लोग पर्दे के पीछे अपने संसाधनों के बलबूते पर अपने कर्मों को छुपा जाते हैं। छोटे स्तर पर काम करने वाले, जिनका पाला सीधा जनता से पड़ा होता है, जो बुरे कर्मों को बड़े लोगों के लिए करते हैं। वही छपकर बलि का बकरा बनते है। इसलिए कह सकते हैं कि दुनियां में हर किसी के सभी प्रकार के कर्म होते हैं, किसी के छिप जाते हैं और किसी के छप जाते हैं।

-  डॉ. रवीन्द्र कुमार ठाकुर

  बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश 

      हर किसी के सभी कर्म होते हैं,किसी के छुप जाते हैं किसी के छप जाते हैं।यानि सभी  एक से कर्म करते हैं।यह बात आंशिक सत्य हो सकती है पूर्ण सत्य नहीं क्योंकि सब के सामान्य कर्म  एक जैसे होते हैं जिन्हें हम नित्य कर्म कह सकते हैं। लेकिन इनमें भी भिन्नता होती है।रही बात छिपने और छपने की तो, सामान्य कर्म नहीं छपते कभी भी। छपते विशिष्ट कर्म ही है यह अलग बात है कि वह विशिष्ट कर्म नकारात्मक है या सकारात्मक।विध्वंसक है या सृजनात्मक। तो यह सुनिश्चित है कि छपने वाले कर्म सामान्य से अलग हटकर ही होते हैं। 

- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'

धामपुर - उत्तर प्रदेश 

       यह प्रकृति का अटल सत्य है कि हम कर्मों से बच नहीं सकते और उनके परिणाम हरेक को भोगने पड़ते हैं  यह भी सत्य है  की कोई भी पूरी तरह से निर्दोष नहीं है सभी के जीवन में कुछ ऐसा होता है जो दुसरों से छिपा होता  जो केवल कर्ता ही जानता है या ईश्वर ही तो आईये आज का रूख कर्मों की तरफ ले चलते हैं जैसा की आज की चर्चा का विषय है की दुनिया  में हर किसी के सभी कर्म होते हैं किसी के छिप जाते हैं और किसी के छप जाते हैं मेरा मानना है कि अच्छे या बुरे कर्म हर कोई करता है  यह अलग बात है कि किसी के उजागर हो जाते हैं और किसी के छिपे रहते हैं  कहने का भाव किसी के राज गुप्त रहते हैं  लेकिन किसी के सामने आ जाते हैं या‌ सार्वजानिक हो जाते हैं और सभी को पता चल जाते हैं क्योंकि कर्मों के मुताबिक फल मिलता है और कर्म ही जीवन की दिशा तय करते हैं  उनके परिणाम अलग अलग तरह से‌ सामने आने लगते हैं  मगर यह बात अलग है की‌ किसी को बुराई करते देख कर भी बुरा नहीं कहते बात जब किसी गरीब की या असहाय की हो‌ तो उसको सभी उछालने का प्रयास करते हैं इसके‌ साथ साथ इस बात‌ से भी इंकार नहीं किया जा सकता की कुछ  कर्मों का फल गुप्त रहता है और भविष्य में मिलतहै ऐसे कर्म पूरी तरह से निजी होते हैं और दुसरों को दिखाई नहीं देते क्योंकि कुछ लोग गुप्त दान या गुप्त मदद करते हैं लेकिन शोर नहीं करते और कुछ लोग करते कम हैं और सुनाते ज्यादा हैं या‌ ढिंढोरा पीटते हैं या अखबारों बगैरा में छिपा देते हैं ताकि उनका नाम  सभी जानें लेकिन बहुत कम लोग  अपने कर्मों को तन और मन से करते हैं लेकिन उनको सामने नहीं आने देते उनको खुद ही उनका  फल मिलता है उनको आपने गुण या कर्मों को उजागर करने की जरूरत नहीं होती ऐसे लोगों के गुण ‌छिपे रहते हैं, अन्त में यही कहुंगा कि कुछ लोगों के गुणों में ईमानदारी, दया,करूणा, विनम्रता और दुसरों के प्रति सम्मान शामिल होता है ऐसे लोग कम बोलने वाले अंतमूर्खी तथा आत्मविश्वास रखने वाले होते हैं जिन के गुण खुद व खुद उजागर होते हैं ‌ ऐसे लोगों के छिपे हुए गुण कुछ समय के बाद नजर आते हैं जबकि कुछ लोग करते कम हैं और दिखाते ज्यादा हैं  ऐसे लोगों के गुण छपते हैं लेकिन छिप भी जल्दी जाते हैं।

- डॉ सुदर्शन कुमार शर्मा

जम्मू - जम्मू व कश्मीर 


     इस दुनिया में जितने भी लोग धरती पर आते हैं सब कर्म करने ही आते हैं. परंतु सबका कर्म एक जैसा नहीं होता है. कुछ कर्म ऐसे होते हैं जो सभी को करने पड़ते हैं. वहीं कर्म जब कोई मशहूर व्यक्ति करता है चाहे वह किसी भी क्षेत्र का हो तो उसके कर्म छप जाते है पर वही कर्म कोई साधारण व्यक्ति करता है उसका कोई नहीं जानता. राजनेता, फिल्मी जगत, खेल इत्यादि क्षेत्र के लोग कोई भी कर्म करते हैं वह टीवी पेपर में आजाता है. यहाँ तक कि उन्हें सर्दी या खांसी भी होती हैं तो पेपर में छप जाता है. और साधारण आदमी मर भी जाता है तो पड़ोस वालों को भी पता नहीं चलता है. इसलिये ये बात सत्य प्रतीत होता है कि दुनिया मे हर किसी के सभी कर्म होते हैं पर किसी के छप जाते और बहुतों के छिप जाते हैं. 

- दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश "

कलकत्ता - प. बंगाल 

      जीवन में कर्मता,कर्मकांड प्रभावित जरुर करता है। उसी  क्रमानुसार शैलियाँ आत्मविश्वास को दृढ़तापूर्वक करने अपनी इन्द्रियों को जाग्रत करती है। मन चंचलेश है, उसके तीव्रतम को रोकथाम करना असंभव प्रतीत होता है। मन ही भविष्य तय करता है। इसलिए दुनिया में हर किसी के सभी कर्म होते हैं, किसी के छिप जाते है किसी के छ्प जाते हैं। कर्म की पाठशाला घर से प्रारंभ होती है, दिनचर्या में हम अत्यधिक विश्वास करते है, सब कुछ अपने बारे में बता देते है। यही नुकसान ज्यादातर होता है। बिना बतायें करते है, तो सब कुछ छिप जाता है, जो हमने कर्म किया था...?अगर हम बताकर करेंगे तो  इधर-उधर सब छ्प जाता है, इसे प्रचार-प्रसार का केन्द्र बिन्दू बना लेते है......

- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार "वीर"

           बालाघाट - मध्यप्रदेश

    दुनिया में सभी व्यक्ति लगभग सभी कार्य करते हैं।किसी के कर्म सामाजिक, वैयक्तिक, पारिवारिक रूप से जनोपयोगी होते हैं तो वे कार्य प्रकाशित हो जाते हैं।प्रकाशित कार्य से दूसरों को मार्गदर्शन भी प्राप्त हो जाता है और वे प्रसिद्ध है जाते हैं। इसी तरह जो व्यक्ति स्वार्थ,लोभ, मोह का सहारा लेकर अपना उल्लू सीधा करते हैं,उनके नकारात्मक कार्य उनके रसूख से,प्रभाव के कारण छिपे भी जाते हैं। परन्तु सत्य छिपे भी तो कब तक।कभी न कभी ऐसे कार्य उजागर जरूर होते हैं। ऐसे नकारात्मक कार्य से बदनामी होती है और कर्ता अपना मुंह छिपाकर नैपथ्य में गुम हो जाता है।

- डॉ.मधुकर राव लारोकर

नागपुर - महाराष्ट्र

     दुनिया में हर इंसान कर्म करते हैं।अपने अनुसार कार्य कर अपनी पहचान और नाम कमाना चाहते।सब अपने _अपने क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते।किसी के कार्य छिप जाते हैं,उनका नाम नहीं होता है।जो इंसान अच्छे कार्य करते हैं,उनके नाम छप जाते हैं अर्थात् उन्हें प्रसिद्धि मिल जाती है।इसलिए हमें हमेशा अच्छे कर्म करने चाहिए।ईश्वर ने हमें पृथ्वी पर अच्छे कर्म करने के लिए भेजा है।अतः हमें हर स्थिति में अच्छे कार्य कर समाज का कल्याण करना चाहिए।

 - दुर्गेश मोहन 

बिहटा, पटना - बिहार

" मेरी दृष्टि में" सभी के कर्म एक से नहीं होते हैं। जिसके परिणाम एक से हौनै का कोई मतलब नहीं है। फिर भी हम सब बराबरी का प्रयास करते रहते हैं। जो किसी भी तरह से उचित नहीं है। ऐसा कर्म का परिणाम माना जाता है। 

               - बीजेन्द्र जैमिनी 

  ‌       ( संचालन व संपादन)

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