कोठमंगलम सुब्बू स्मृति सम्मान - 2025
जिंदगी को सही मायने में परिभाषित करता हुआ , ये विषय यथार्थपूर्ण है , की हर सुबह वो हर नया दिन एक नया अवसर होता है , उन कार्यों को पूर्ण करने का , जिन्हें हम किसी भी कारण से, पूर्ण नहीं कर पाए थे !! यदि हम हर दिन को एक नया मौका मानकर , अपनी सोच को सार्थक रखें , व अपने प्रयासों में नया यत्न करें , तौ निश्चय ही , हमें अपने लक्ष्य की प्राप्ति होगी !! आज जो करना चाहा , वो कर लिया , व हर शाम को यदि कुछ और करने की चाहत रखे इंसान , तौ शीघ्र ही वह अपनी मंजिल तक पहुंच सकता है !! यदि हर नए दिन को , नया अवसर मानकर कर्म किया जाए , सफलता अवश्य मिलेगी !!
- नंदिता बाली
सोलन - हिमाचल प्रदेश
मनुष्य जब सुबह उठता है तो हर रोज कुछ न कुछ नया करने का होता है जिसे हम नया अवसर कहते हैं. सुबह जो कुछ भी होगा वह नया ही होगा. इस अवसर पर हमें कुछ नया ही करना चाहिए जिसमें जो कुछ भी हो वह नया हो. किसी भी अवसर को व्यर्थ में नहीं जाने देना चाहिए. दिन भर जो करते हैं वहीं शाम को हमारा एक कर्म हो जाता है कि मैंने आज एक नया काम किया है. सफल पुरुष व महिला वही कहलाते हैं जो अवसर का भरपूर लाभ उठाते हैं. और रोज एक नया कर्म उनके साथ जुड़ जाता है.
- दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश "
कलकत्ता - प. बंगाल
प्रतिदिन सुबह नया सूरज निकलता है, नया विश्वास साथ रहता है, नया उजास लाता है साथ लाता है, नई ऊर्जा कए साथ एक नया अवसर भी! इस अवसर को सार्थक करने के लिए मुस्कुराते-मुस्कुराते सुनियोजित सुकर्म करते रहिए. क्योंकि हर शाम एक नया कर्म साथ होता है. अगर वह कर्म शुद्ध और सुनियोजित है तो वही कर्म हमारा भविष्य बनाता है और हमारे जन्म-जीवन को भी सार्थक करता है. अपना जीवन सार्थक करने के लिए हर सुबह को एक नया अवसर मान कर नए-नए सुकर्म करते रहिए ताकि, हर शाम आपकी सुखों और सुकर्मों से सराबोर होकर नई ऊर्जा देने में सक्षम हो सके.
- लीला तिवानी
सम्प्रति - ऑस्ट्रेलिया
सच,हर सुबह एक नयी किरन के आता है नया अवसर।अवसर स्व आकलन का,अवसर स्वावलंबन का,अवसर सुधार का,अवसर परिवर्तन का,अवसर प्रगति का,अवसर उन्नति का, अपना संभावनाओं का।यानि अवसरों का पिटारा होता है हमारे लिए।अब यह निर्भर हम पर रहता है कि हम उस अवसर का कितना सदुपयोग कर पाते हैं। अपनी ही एक कविता की पंक्ति याद आती है - 'पल पल अवसर मिलता बदल बदल वेश है,जीवन में अनगिन संभावनाएं शेष हैं।'यह संभावनाएं ही साकार करने के अवसर होते हैं बहुत से, जो हर सुबह मिलते हैं और दिन छिपने तक हर शाम कोई न कोई नया कर्म हमारे साथ होता है।यह कर्म ही निर्धारित करता है कि हम अवसर चूक गये या उससे लाभान्वित होने की ओर हमने कदम बढ़ा दिया है।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
जीवन का प्रत्येक दिन अपने भीतर नूतन संभावनाएँ छिपाए रहता है। जैसे ही सूर्य उदित होता है, यह संकेत देता है कि हमें एक और अवसर प्राप्त हुआ है—कुछ नया सीखने, अच्छा करने और स्वयं को सुधारने का। सुबह केवल समय का आरंभ नहीं, बल्कि मनोभावों का भी पुनर्जन्म है। वहीँ शाम हमारे दिन भर के कर्मों का दर्पण बनकर सामने आती है। जो कार्य हम करते हैं, वे हमारे व्यक्तित्व की छाप बन जाते हैं और धीरे-धीरे हमारा भविष्य निर्धारित करते हैं। इसलिए यह समझना आवश्यक है कि अवसर और कर्म एक-दूसरे के पूरक हैं—अवसर दिशा देता है और कर्म मंज़िल। यदि अवसर का सदुपयोग किया जाए तो शाम संतोष से भर सकती है, और यदि हमने कर्म में कोताही बरती तो यही शाम हमें आत्ममंथन का कारण भी देती है। अतः जीवन की प्रत्येक सुबह को स्वागत योग्य और प्रत्येक शाम को चिंतन योग्य बना लेना ही जीवन की सच्ची प्रगति का मार्ग है।
- डाॅ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
सुबह केवल सूर्योदय नहीं, बल्कि सम्भावनाओं का उद्घोष है। यह वह क्षण है जब प्रकृति हमें बताती है कि अन्धकार चाहे कितना भी गहरा क्यों न हो, प्रकाश लौट आता है। हर सुबह हमें यह अवसर देती है कि हम अपने जीवन, विचार और कर्म को पुनः सजाएँ, सँवारें और नई दिशा दें। जबकि हर शाम केवल सूर्यास्त नहीं, बल्कि कर्मफल का दर्पण है। जो कुछ हमने दिनभर बोया, शाम उसे प्रतिबिंबित करती है। शाम साक्षी होती है हमारे श्रम, हमारी निष्ठा, हमारे संकल्प और हमारे प्रयत्नों की। वह यह कहती है कि — “दिन का अंत नहीं, बल्कि अनुभवों का संचय है।” अतः, सुबह अवसर देती है और शाम उसका परिणाम दर्शाती है। अर्थात सुबह आशा है और शाम आत्ममंथन। कहने का अभिप्राय यह है कि सुबह प्रेरणा है और शाम संतोष है। अतः जो व्यक्ति हर सुबह को आरम्भ और हर शाम को आत्मनिरीक्षण का समय मानता है, वही जीवन का सच्चा साधक होता है। उक्त आत्मनिरीक्षण यह सन्देश देता है कि हर सुबह हमें प्रातः उठकर कुछ करने का संकल्प लेना चाहिए कि आज मैं कुछ अच्छा करूँगा।” और प्रत्येक शाम को सोते समय अनुभव करूंगा कि “मैंने आज कुछ अच्छा किया।” यही सफलता, संतोष और शांति का मूल सूत्र है।
- डॉ. इंदु भूषण बाली
ज्यौड़ियॉ (जम्मू) - जम्मू और कश्मीर
यह सच है कि प्रतिदिन जब हम सोकर उठते हैं तो सूर्य उदय की सुन्दर गतिशील आभा लिए नयी उम्मीद जगाती इक नई सुबह हमें एक नया मौका देती है यह समय ही वह सुनहरा अवसर होता है जिसमें हम अपने जीवन के निर्धारित लक्ष्यों को ऊर्जावान होकर सुबह से शाम तक पूरा कर सकते हैं। कभी-कभी किसी कार्य का लक्ष्य एक दिन में पूरा नहीं होता । कई दिन , महीने और कभी-कभी जीवन की शाम तक हो जाती है उसे पूरा करने में ।परंतु व्यक्ति में लगन और मौके को समझने की यदि नजाकत है तो वह अपने विचारे हुए कार्य को उत्साह से संपन्न करता हुआ निश्चित रूप से एक दिन सफलता की बुलंदियों को प्राप्त कर लेता है। जीवन क्षणभंगुर और नाशवान है। अतः समझदार वही है जो हर सुबह निरंतर समय को व्यवस्थित करके कर्म करता है और शाम होने तक अपनी उस कार्य को पूरा कर लेता है। कहा भी गया है जो जागे सो पावे , जो सोवे सो खोवे।
- डाॅ.रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
प्रातःकाल जब आंखें खोली दोनों हथेली में देखा स्मरण, दोनों पैर पृथ्वी पर रखने पूर्व दोनों हथेली को पृथ्वी पर स्पर्श कर स्मरण किया, तदोपरान्त नियमित दिनचर्या प्रारंभ होती है। हम चाहते है, आज का काम आज ही हो जाए, कल के लिए कुछ न रहे, नया जन सम्पर्क नया कुछ करने का मन, कोशिश यही रहती है,नया अवसर प्राप्त कुछ आज कर दिखाए। दिन भर जो किया हर शाम एक नया कर्म साथ होता है। दिन में हमारे हस्ते अगर कुछ घटित हो जाए तो पाश्चात्य अवश्य करना चाहिए, इससे कर्म घटता नहीं बल्कि अपनी आत्मा में एक सुखद संचार होता है, ताकि सामने वाला अपने प्रति प्रभावित हो और उसके कर्म का फल हमें भी प्राप्त हो। जैसा कर्म करोगें वैसा फल भी मिलेगा, यह कटु सत्य है, दुसरे की आत्मा दुखाकर काम करना, उसे हृदयाघात ठेस पहुंचाना कर्म नहीं कहा जा सकता। सोच से सोच बदलती है, हम प्रतिदिन पूजा-पाठ जरुर करते है, परन्तु एक गलती हो जाए, जीवन में दाग़ जरुर लग जाता है। कभी-कभी दिन भर नया अवसर होता है। लेकिन अचानक संध्याकाल कुछ अपने अपनों से ऐसा हो जाता है, तो वह शाम को अकर्म कह सकते है। हमें प्रतिदिन अच्छें कर्म को साथ लेकर चलना चाहिए, तभी अद्भुत आनंद की अनुभूति हो सकती है। फिर रात सोने के पूर्व हथेली देखकर सोइए, जो दिन भर बिता याद कीजिए, क्षमा मांगिए, धन्यवाद दीजिए। कल नयी सुबह सुखद हो प्रार्थना कीजिए....
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार "वीर"
बालाघाट - मध्यप्रदेश
प्रतिदिन सुबह एक नया अवसर होता है, हर शाम एक नया कर्म होता है.... यथाकथित सत्य है... भोर होते ही रवि की मखमली किरणों संग सारा जगत एक नये दिन की शुरुआत करता है। पक्षी भी नई उड़ान लिए पूरे विश्वास के साथ क्षितिज को चूमने का हर संभव प्रयास करते हैं। मानव अपने सकारात्मक सोच के साथ किसी भी कार्य की शुरुआत पूर्ण आत्म-विश्वास के साथ करता है कि उसके द्वारा किया हुआ कार्य सफल ही होगा। सुबह की शुरुआत हम प्रभु का नाम लेकर एवं सद्भावनाएं लिए शुरु करते हैं, दिन मंगलमय होने की कामना करते हैं, सब को खुशी देते हुए निर्मल मन से काम की शुरुआत करते हैं तो काम हमारी सोच से भी ज्यादा, अच्छे से पूर्ण होता है। दिनभर की हमारी मेहनत का फल शाम को हमें दिखाई पड़ता है। और यही कर्म हमें शाम को सुख के रूप में दिखाई देता है।
- चंद्रिका व्यास
मुंबई - महाराष्ट्र
अक्सर देखा गया है कि ज्यादातर लोग बीते हुए कल को याद करके अपने भविष्य के प्रति चिन्तित होते रहते हैं लेकिन वो यह नहीं जानते की आने वाली सुबह हमारे लिए नया अवसर ले कर आयेगी जो शाम तक हमें अपने कर्मों का फल जरूर देकर जायेगी तो आईये आज की चर्चा इसी बात पर करते हैं कि प्रतिदिन सुबह एक नया अवसर होता है और हर शाम एक नया कर्म साथ होता है,मेरा मानना है कि दिन की शुरूआत अगर अच्छी सोच और अच्छे विचारों से हो तो पूरा दिन खुशनुमा बन जाता है क्योंकि सुबह का समय जीवन की सबसे खूबसूरत घड़ी होती है जिससे हम नए अवसर और नई उम्मीदें लेकर बीते हुए कल की परेशानियों, को भूलकर आगे बढ़ने की प्रेरणा पाते हैं, यह सत्य है कि हर सुबह एक नया अवसर लेकर आती है जो हमें नई शुरूआत करने और बीते हुए कल की गलतियों को भूलने और सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ने का मौका देती है और दिन के अंतिम पल में यानि शाम को जो अवसर हम को मिले थे उनको सही दिशा में पूरा करके अपने कर्मों का फल देकर जाती है, यही नहीं सुबह एक कोरी स्लेट की तरह होती है जो हमें पिछले दिन की असफलताओं को छोड़ कर नई उम्मीद के साथ आगे बढ़ने का मौका देती है इसलिए सुबह मिले अवसरों का उपयोग हमें कड़ी मेहनत और सही कर्मों से करना चाहिए ताकि हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकें और सफलता की और बढ सकें,अन्त में यही कहुंगा की गुजरा हुआ कल भले ही मुश्किल रहा हो लेकिन आज की सुबह की कोशिश बेहतर होनी चाहिए ताकि हम अपनी मनचाही जिंदगी के करीब पहुंच सकें जिससे हम शाम को नये कर्मों का लुत्फ ले सकें यही हर दिन की खूबसूरती कहती है जो हमें नया कर्म देकर जाती है कहने का भाव हर दिन हमें एक मौका मिलता है खुद को फिर से स्थापित करने का और ध्यान को केंद्रित करके आगे बढ़ने का जिसे हम खो देते हैं और अपने कर्मों का फल हासिल नहीं कर पाते इसलिए हमें अच्छे विचारों व अच्छे कर्मों के साथ दिन की शुरूआत करनी चाहिए जिससे कार्यों में सफलता और मन में शांति बनी रहे और हर सुबह का अवसर हमें हर शाम को नया कर्म प्रदान कर सके।
- डॉ सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू व कश्मीर
हर सुबह नयी आशा की किरणों के साथ आती है,एक नया अवसर हम सबको प्रदान करती है,एक नयी ऊर्जा का हम सबमें संचार करती है।उस नयी ऊर्जा के साथ हम सबको अपने कर्म करने चाहिए। निश्चय ही यह स्वर्णिम ऊर्जा शाम तक एक सुंदर कर्म में परिवर्तित हो जाती है। आवश्यकता है तो हमें समझने की। जिसके भी मन में आलस्यता ने अपना घर बना लिया है, उसके पास अनेकों बहाने और निद्रा के अतिरिक्त कुछ नहीं होता। ईश्वर कभी किसी के साथ पक्षपात नहीं करतें।वह हर किसी को हर दिन एक नया अवसर देते हैं,अब हम इसे शाम तक सुंदर कर्म में बदले या नहीं,यह हमारी मर्जी होती है।
- वर्तिका अग्रवाल 'वरदा'
वाराणसी - उत्तर प्रदेश
प्रतिदिन एक नई सुबह, एक नया दिन और ज़िंदगी को मिलता है एक नया कोरा पृष्ठ कुछ नया लिखने के लिए। उस पृष्ठ को हम कैसे भरते हैं यह हम पर निर्भर करता है। हम कर्म योगी हैं। हर दिन हमें एक मंच मिलता है अपना कर्म, अपनी भूमिका निभाने के लिए ।हर रोज़ न जाने कितने लोग स्वर्ग सिधारते हैं , कितने अस्पताल में भर्ती होते हैं और कितने हमारे जैसे ख़ुशकिस्मत एक नयी सुबह का चेहरा देखते हैं। एक नया अवसर पाते हैं कुछ अच्छा कर्म करने के लिए। और फिर दिन के अंत तक हमारे साथ होता है हमारे दिन का लेखा-जोखा, हमारी कर्मों का हिसाब जो शाम का इंतज़ार नहीं करता अपितु हमारे साथ साथ चलता रहता है। अपने कर्मों द्वारा ना केवल हम अपनी दिन को अच्छा, संतुष्टिदायक, सुखद व मूल्यवान बना सकते हैं अपितु पुराने नकारात्मक कर्मों का प्रभाव भी कम कर सकते हैं। अर्थात हर सुबह एक नया अवसर होता है हर शाम हमारे साथ होता है हमारा कर्म जो हमारे वर्तमान के साथ हमारे भविष्य को भी संवारता है ।
- रेनू चौहान
नई दिल्ली
मानव कर्मवीर हैं भोर में उठता है ,नित्य कर्म करता है। उसके पास एक नया अवसर होता है।कुछ नये आयाम सृजित करने का,नये कीर्तिमान स्थापित करने का भरसक प्रयास करता है।काम कौन फलीभूत करने का स्वर्णिम अवसर उसके लिए बहुमूल्य धरोहर साबित होता है।इस अवसर को सही काम में लगाना या ग़लत काम में लगाना उसके ऊपर निर्भर करता है।सुबह की पहली किरण जीवन में उजाला भर देती है।तम को दूर कर उजियारा फैलाती हैं।मानव अवसर की ताकत में रहता,उसका सदुपयोग करता है।जो उसके प्रगति का द्योतक साबित होता है।उसी प्रकार हर शाम एक नया कर्म साथ होता है।अवसर पाकर हम कर्म करते हैं। कर्म हमारे जीवन में कितने उपयोगी है यह हम भली-भांति जानते हैं तदनुसार कार्ययोजना तैयार करते हैं। संसाधन जुटाकर अपनी बुद्धि, ज्ञान का प्रयोग करते हैं। कार्य की गुणवत्ता हमारी मेहनत पर निर्भर करती है।सही मेहनत,सही लगन,दृढ़ संकल्प ये ही कार्य को सफलता प्रदान करते हैं। अंत में, मैं कहना चाहूंगी कि हर एक सबेरा हमें नया अवसर देता है,हर शाम एक नया कर्म नियत समय में संपादित करने का स्वर्णिम अवसर प्रदान करता है।समय बलवान है,अवसर को न खोने दें सही काम में लगाकर जीवन सफल बनाएं।
- डॉ. माधुरी त्रिपाठी
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
" मेरी दृष्टि में " इंसान प्रतिदिन कुछ ना कुछ अवश्य करता है। जो जीवन की रूपरेखा तैयार करता है। जिसे जीवन की परिभाषा कहते हैं। सुबह शाम का कर्म ही इंसान का भाग्य बदल देता है। फिर भी इंसान अपने जीवन को सार्थक बहुत कम बना पाते हैं।
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