सलिल चौधरी स्मृति सम्मान - 2025
जो दूसरों के जीवन में उजाला करते हैं, दूसरों की भलाई,मदद करते हैं। उन्हें आत्मिक शांति मिलती है।मन को सुकून मिलता है। परमार्थ की भावना से हमेशा दुआएं मिलती है। मददगार बनकर हम किसी निशक्त, जरूरतमंद की मदद करते हैं तो उसका जीवन आसान होता है।काम पूर्ण होने से मन में खुशियां रहती है। दूसरों का घर दीप से आलोकित कर हम उजाला करते हैं तब हमारी उम्दा सोच हमारे जीवन में भी उजियारा फैलाती है।निराशा,दुख का अंधेरा किसी के जीवन से दूर करते हैं तो सुखद अनुभूति का एहसास होता है।कभी कुछ हम नेक कार्य करें तो आशा और फल की बात न सोचें। आत्मविश्वास प्रबल हो जो करें परहित के लिए समर्पण भाव रखकर करें। इससे ईश्वर ही कर्म का आकलन करेंगे।वहीं फल देंगे प्रदाता भगवान है। इंसान नहीं , इंसान कर्मी है।उसका काम कर्म करना जो अच्छा कर्म करेगा उसे अच्छा फल मिलेगा।कहते हैं न बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से होय।यह सत्य पर आधारित है अक्षरशः सत्य है।हम दूसरों के जीवन में उजाला करते हैं तो उस समय हमारी सोच उजाली होती है।मन पावन निर्मल होता है।इसी निर्मलता से ही उजाला होता है।यह उजाला चहुंओर आलोकित होता है। जहां अंधेरा का नामोनिशान नहीं रहता। हमको जीवन में उजाला ही उजाला नजर आता है। अंधेरा स्वयंमेव छंंट जाता है।
- डॉ. माधुरी त्रिपाठी
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
जो मानव दूसरों के जीवन में उजाला करते हैं, उनके जीवन में कभी अंधेरा नहीं होता है। क्योंकि वह व्यक्ति स्वयं को समर्पित कर देते हैं और न्याय, मानवता और राष्ट्रहित के प्रकाश के लिए मार्ग में आने वाला हर अंधकार उसके ही उजाले से पराजित हो जाता है। ऐसे लोग न केवल अपने लिए, बल्कि उन असंख्य व्यक्तियों के लिए भी आशा बनते हैं जिनके जीवन में प्रकाश की आवश्यकता होती है। उल्लेखनीय है कि उनका हर कदम, हर शब्द, हर साहसिक निर्णय समाज को दिशा देता है और राष्ट्र की आत्मा को सशक्त करता है। वर्णननीय यह भी है कि दूसरों के अधिकारों और सम्मान के लिए आवाज उठाने वाले कभी अकेले नहीं होते हैं क्योंकि उनका प्रकाश स्वयं इतिहास का सहयात्री बन जाता है। कहने का अभिप्राय यह है कि ऐसे लोग स्वयं भी उच्चतम नैतिक प्रकाश में खड़े होते हैं और यह प्रकाश कभी मद्धिम नहीं पड़ता।
- डॉ. इंदु भूषण बाली
ज्यौड़ियॉं (जम्मू) -जम्मू और कश्मीर
अपने जीवन में तो सभी उजाला करते हैं, बात तो तब है जब दूसरों के जीवन में उजाला किया जाये! सूरज को ही देखिए, वह सारी सृष्टि को उजाला देता है और खुद कभी अंधकार में नहीं होता. जहाँ होता है रोशन होता है और रोशनी ही फैलाता है. इसी तरह दूसरों के जीवन में उजाला करने वाले के जीवन में कभी अंधेरा नहीं होता. कर भला तो हो भला. 'भला' शब्द का उल्टा 'लाभ' होता है. देर-सवेर 'भला' करने वाले का 'लाभ' ही होता है. दूसरों के जीवन में उजाला करना ही सबसे उत्तम और लाभकारी कार्य होता है. हाँ, भला करना हो या दूसरों के जीवन में उजाला करना निश्छल-निष्काम होना चाहिए. दुर्भावना से किया हुआ न तो भला लाभ देता है, न दूसरों के जीवन में उजाला करने वाले के जीवन में हमेशा उजाला होता है! अपने जीवन में हमेशा उजाला चाहने वाले को सदैव दूसरों के जीवन में उजाला करते रहना चाहिए.
- लीला तिवानी
सम्प्रति - ऑस्ट्रेलिया
हमेंशा हम अपने बारे में सोचते है, दूसरों के बारे भी अच्छा सोचना चाहिए, जिससे हमारे राहों में जो रुकावटे होती है, अपने आप समस्या हल होती जाती है, मुसीबतों का जीवन है, राह कठिन जरुर है, मुश्किल करना अपने ऊपर निर्भर करता है। यह सच जौ दूसरों के जीवन में उजाला करते हैं, उन के जीवन में कभी अंधेरा नहीं होता है। समझ का फैर है....
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार "वीर"
बालाघाट - मध्यप्रदेश
कर्मों पर ही आधारित है हमारा जीवन ! जो लोग अच्छे कर्म करते हैं , जरूरतमंद की सहायता करते हैं , सहयोग करते हैं , निश्चय ही उनका जीवन उज्वल होता है ! इसका ये अर्थ नहीं कि उन्हें किसी मुसीबत का सामना नहीं करना पड़ता , वे यदि फंसते हैं किसी विकट स्थिति में, तो वहां से निकल भी जाते हैं !! ऐसा इसलिए होता है , क्योंकि भगवान भी ऐसे नेक कर्मों वाले व्यक्तियों की , सहायता करते हैं !! कारण बनो किसी की राह रोशन करने की , अंधेरों में तौ सदा से घिरा ही रहता है इंसान !!
- नंदिता बाली
सोलन - हिमाचल प्रदेश
जो दूसरों के जीवन में उजाला करते हैं, उन के जीवन में कभी अंधेरा नहीं होता है... विषय प्रेरणादायक और सही है...जो दूसरों को खुश कर खुश होते हैं, दूसरों की खुशी को ही अपनी खुशी समझते हैं , ऐसी सकारात्मक सोच रखने वाले जिसके प्रकाश से हर माहौल में उजाला प्रसरित होता है ,उसके जीवन में कभी अंधेरा नहीं आता। दूसरे के जीवन को हम रौशन कर आनंद देते हैं, तभी हमारा जीवन सार्थक है। ईश्वर प्रदत्त यह जीवन पृथ्वी में हमें मिला है तो ऐसा कार्य करें कि जीवन सार्थक हो चाहे कितनी भी मुश्किल आए हमें अपनी सकारात्मक सोच के साथ अंधेरे में रौशनी बिखेरते रहना है चूंकि हर अंधेरे के बाद उजाला होता ही है....।
- चंद्रिका व्यास
मुंबई - महाराष्ट्र
यह कथन—“जो दूसरों के जीवन में उजाला करते हैं, उनके जीवन में कभी अंधेरा नहीं होता।”—पहली नज़र में एक आदर्श सत्य जैसा लगता है, लेकिन इसकी गहराई तब खुलती है जब हम जीवन के वास्तविक अनुभवों को इसके साथ जोड़कर देखते हैं। सच तो यह है कि उजाला बाँटने वाले लोग भी कठिनाइयों, अकेलेपन और अपने निजी अंधेरों से गुजरते हैं; फर्क सिर्फ इतना होता है कि वे इन अंधेरों को अपने भीतर ठहरने नहीं देते। उनके भीतर एक ऐसी आंतरिक रोशनी होती है, जो दूसरों की मदद करते-करते और मजबूत हो जाती है। वे जानते हैं कि किसी का हाथ थामने से अपने ही दिल का बोझ हल्का होता है, और किसी के चेहरे पर मुस्कान लाने से अपनी आत्मा में प्रकाश जुड़ जाता है। इसलिए ऐसे लोग चाहे टूटते हों, थकते हों या संघर्षों से घिरें हों—फिर भी उनका मन एक दीपक की तरह जलता रहता है। शायद इसी वजह से उनके जीवन का अंधेरा कभी स्थायी नहीं बन पाता। वे अंधेरे से मुक्त नहीं होते, पर अंधेरे को अपने भीतर बसने भी नहीं देते। यही उनकी सबसे बड़ी ताकत है—और यही उनका असली उजाला।
- डाॅ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
हाँ! ये बात सत्य है कि जो दूसरे के जीवन में उजाला करते हैं उन के जीवन में कभी अंधेरा नहीं होता है.देहात में पहलें सोने के लिए खाट होता था अभी भी है. जिसे चारपाई कहते हैं. उसमें एक तरफ से बुनाई की जाती हैं तो दूसरी तरफ अपने आप बुनाई हो जाती है. ठीक उसी तरह हम दूसरे का घर उजाला करते हैं तो हमारे जीवन में कभी भी अंधेरा नहीं होता है. क्योंकि उजाला सब समय हमारे साथ रहता है. जब हम किसी भोजन से या वस्त्र से मदद करते हैं तो हमें एक आंतरिक खुशी मिलती है. और जिसे आंतरिक खुशी मिलती है उसके जीवन में कभी भी अंधेरा नहीं हो सकता.
- दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश "
कलकत्ता - प. बंगाल
यह बात सच है कि जब व्यक्ति दूसरे के लिए जीवन में उजाला करता है तो उसके जीवन में भी अंधेरा नहीं होता जैसे सूरज सबके जीवन में उजाला करता है और उसकी महत्वपूर्ण अनिवार्य उपस्थिति के लाभ को अनुभव कर लोग उसे अर्ध्य देकर सूर्य उपासना भी करते हैं और फिर सूर्य देव भी महत्व समझने वाले का सूर्य ग्रह प्रबल कर उसके जीवन में यश मान सम्मान में वृद्धि भी करते हैं। इसी प्रकार व्यवहार जगत में मनुष्य को एक दूसरे मनुष्य की सहायता और उसकी यथा संभव आवश्यकता पूर्ति करके उसको अंधकारमय जीवन से निकालकर उसके जीवन को रोशन करना चाहिए क्योंकि फिर भगवान भी स्वयं ऐसे व्यक्ति के सुकर्मों से प्रभावित होकर उसे सुफल प्रदान करते हैं। भगवान स्वयं, किसी न किसी रूप में उसके समक्ष उपस्थित होकर उसके जीवन के हर क्षेत्र को रोशन कर देते हैं। यदि कोई व्यक्ति अभावग्रस्त होकर भी जीवन में आगे बढ़ रहा है तो दूसरे व्यक्ति को उसे कभी भी हतोत्साहित नहीं करना चाहिए बल्कि अपनी और से यथासंभव तन मन धन से सहायता और प्रोत्साहित कर उसके जीवन में प्रेरणादायक संबल बनना चाहिए।
- डॉ. रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
कर भला हो भला एक परखी हुई कहावत है क्योंकि इतिहास साक्षी है कि जिस किसी ने भी किसी की भलाई के लिए कदम उठाया उसे भला ही फल मिला कहने का भाव भलाई करना या नेकी व ईमानदारी के साथ किसी का साथ देना फलदायक ही सिद्ध होता है,तो आज इसी बात की चर्चा को आगे बढ़ाने का प्रयास करते हैं कि जो दुसरों के जीवन में उजाला करते हैं उनके जीवन में कभी अंधेरा नहीं होता ,मेरा मानना है कि जो लोग दुसरों के जीवन में खुशी और रोशनी लाते हैं उन्हें हमेशा आंतरिक शांति और खुशी मिलती है क्योंकि दुसरों की मदद करने से जीवन में साकारात्मका आती है जो जीवन की कठिनाइयाों से लड़ने में मदद करती है तथा संतुष्टि देती है जिससे आंतरिक शांति मिलती है,यह मत भूलें की दुसरों का भला करने से एक सकारात्मक चक्र बनता है जो हमारे जीवन को बेहतर बनाता है और जीवन की चुनौतियों को बेहतर बनाने में कारागार सिद्ध होता है,अन्त में यही कहुंगा की अगर हम जीवन में अपने लिए उजाला चाहते हैं तो हमें खुद का दिया जला कर दुसरों को भी रोशन करना होगा ताकि दुसरे भी आपसे रोशनी पाकर अपना अंधेरा दूर कर सकें यही इंसानियत है और इंसान का फर्ज भी है जिसको जो भी डयूटी मिली है वो उसको ईमानदारी के साथ निभाकर दुसरों की भलाई कर सके चाहे गुरू हो,अध्यापिक हो या कोई अन्य कार्य से जुड़ा हो जब एक बार भलाई की राह पकड़ कर चले तो हर इंसान का भला हो सकता है और यही इंसानियत कहती है और इसी में भलाई है और यही सबसे बड़ी पूजा भी है तभी तो कहा है भलाई करने वाले भलाई किया जा ,भलाई के बदले भलाई लिए जा।
- डॉ सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू व कश्मीर
जो दूसरों के जीवन उजाला करते है दूसरों को प्रेरणा और प्रोत्साहन देना जानते है ! वही दूसरों के जीवन में उजाला कर सकते है! कुंठा अपराध भावना से ग्रसित नही होने देते , उनके द्वारा छोटे कार्य जिसने मितव्यता पूर्वक उपलब्धि हासिल करते !वो उनके लक्ष्य तक पहुचाने में सहयोगी एहसान मंद होते है एहसान फ़रामोश नही होते उनके सुंदर विचार जो हमें दूसरों की मदद करने और उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए प्रेरित करते है। सुख समृद्ध बनाए रखते है !सहानुभूति और समझ दूसरों के प्रति सहानुभूति समझ उनके जीवन में उजाला करते हैं आंतरिक शांति और संतुष्टि मिलती है।उनके जीवन में कभी अंधेरा नही होता है के जीवन में उजाला करने से हमें आंतरिक शांति और संतुष्टि मिलती है। दूसरों के जीवन में उजाला करने से हमारे संबंध सकारात्मक और मजबूत होते हैं।दूसरों के जीवन में उजाला करने से हमारा व्यक्तिगत विकास होता है और हम अधिक संवेदनशील और सहानुभूतिपूर्ण बनते हैं।
- अनिता शरद झा
रायपुर - छत्तीसगढ़
जीवन यूँ ही खाने-पीने और सोने-जागने के लिए ही नहीं है। जीवन का मूल मंत्र है, जन हित के कार्य और जन सेवा भी करना। जीवन अकेले से नहीं चलता। जीने के लिए अन्य जरूरतों के लिए दूसरों की जरूरत पड़ती ही है। इसके साथ ही माता-पिता जिनसे जन्म मिला है। उनके लिए भी जो फर्ज बनते हैं, उन्हें निभाना होता है। यानी जीवन में दायित्वों का निष्ठा से निभाना ही सफल और सार्थक जीवन होता है।इन्हीं दायित्व में फर्ज भी निहित है और नैतिकता भी। वास्तव में यही कर्म हैं। जिनके निभाने, न निभाने में हमारे सुख-दुख भी निर्धारित होते हैं और जन्म भी तय होता है। यानी कर्म का प्रतिरूप ही प्रतिफल होता है।इससे स्पष्ट है कि हमारे अच्छे कर्म, अच्छे परिणाम देंगे। सुख देने वाले होंगे और इसके विपरीत हमारे दुष्कर्म हमें बुरे परिणाम देंगे । दुख देने वाले होंगे। साहित्यिक भाषा में समझें तो अच्छे कर्म अर्थात हमेशा दूसरों की मदद करने वालों के जीवन में कभी अँधेरा नहीं होता।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
हम दिन-रात कोई न कोई कार्य करते रहते है, वही कर्म हमारा वर्तमान व भविष्य बनाता है। हमारे द्वारा किया प्रत्येक अच्छा कार्य कई गुना होकर हमारे पास लौटता है बेशक़ वह कोई आशीर्वचन ही क्यों ना हो। और दूसरों के जीवन में उजाला करना अर्थात उसे आशा देना। इससे अच्छा कर्म कोई हो ही नहीं सकता। क्योंकि जहाँ आशा होगी वहाँ कठिनाइयों से लड़ने की ताक़त ख़ुद-ब- ख़ुद आ जाएगी। ब्रह्मांड हमारी आवाज़, हमारी सोच नहीं हमारी तरंगों को पहचानता है। दूसरों का भला करने वाला, दूसरो के जीवन में उजाला करने वाला, सकारात्मक तरंगों को फैलाने वाला कभी स्वयं नकारात्मकता अर्थात अंधेरे में नहीं बैठा रह सकता । दूसरों के जीवन में उजाला करने वाले के स्वयं के जीवन में उजाला ही उजाला हो जाता है। क्योंकि वह जिसे भी ख़ुशी, आशा, उजाला व जीत देता है वह स्वयं भी उसके साथ ख़ुश होता है, आशा पूर्ण व जीत जाता है।उसकी प्रसन्न्ता उसके उजाले का कभी कोई अंत होता ही नही।
- रेनू चौहान
नई दिल्ली
" मेरी दृष्टि में " जो इंसान दूसरों के जीवन से अंधेरा दूर करते हैं। उन के जीवन में अंधेरा कभी नहीं आता है। ऐसा सभी नहीं कर पाते हैं। इसलिए जीवन में सार्थक प्रयास बहुत जरूरी है। तभी जीवन से अंधेरा दूर होता है।
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