क्या सही वक्त और सही अवसर पर ही कामयाबी मिलती है ?

सही वक्त और सही अवसर पर ही तो भाग्य का खेल नज़र आता है । भाग्य का साथ ही तो कामयाबी दिलाती है । कहते हैं कि वक्त सबसे बड़ा बलवान होता है । यही इस की वास्तविकता है । और यहीं ही " आज की चर्चा " का विषय भी है । देखते हैं आये विचारों को : -
समय पाय फल होत है, समय पाय झरि जाय 
रहिमन मूलहिं सींचिबौ ,फूले फलै अघाय ।।
हर काम समय आने पर ही होता है ।जल्दी करने से काम बनता नहीं बल्कि बिगड़ता ही है ।बालक का जन्म हो, वृक्ष में फल हो, सब परिपक्व होने पर ही जन्म लेता है या फल देता है ।यह प्रकृति का नियम है ।अधूरे काम से या अधूरे ज्ञान से कभी कामयाबी नहीं मिलती ।धोखे से प्राप्त कामयाबी कभी स्थिर नहीं रहती ।जब व्यक्ति ज्ञान लेकर उसमें गुणवान बनता है तो लोग उसे स्वतः पहचानने लगते हैं ।उसकी मेहनत ही उसे कामयाबी तक पहुँचाती है।उसे धैर्य और संयम रखना ही पड़ता है ।सही वक्त और सही अवसर , काम करने वालों को कामयाबी अवश्य मिलती है ।
- सुशीला शर्मा
जयपुर - राजस्थान
बिल्कुल सच बात है सोलह आने सच। उचित समय आने पर ही किया हुआ कार्य फलित होता है। उदाहरण के लिए हम विद्यार्थी जीवन को ही ले लेते हैं।विद्या अर्जन करने का योग्य समय व्यक्ति का बचपन ही होता है जिसमें उसका चरित्र निर्माण होता है वह समय व खेलने में और फैशन में लगा दे और पढ़ाई ना करें अनुशासन में ना रहे तो एक बार उसकी आयु निकल जाने , जो तके बाद क्या हुआ 1 से लेकर 12वीं तक की पढ़ाई कर सकता है।विद्यार्थी को अनुशासन में रहकर अपने जीवन का महत्वपूर्ण वस्तु पाठ पढ़ने होते हैं। अपना चतुर्मुखी विकास करना होता है विद्यार्थी जीवन ही भविष्य की नींव होती है, एक अच्छी नींव ही अच्छे भवन का निर्माण करती है। समय का सदुपयोग समय पर नहीं करते वह जिंदगी भर रोते ही रहते हैं सख्ती से अनुशासन का अनुसरण करते हैं वह अपने जीवन में सफल रहते हैं हमारे समाज में अनेक महापुरुषों के चरित्र को हम देख सकते हैं जैसे महात्मा गांधी मदर टेरेसा जवाहरलाल नेहरू जयप्रकाश नारायण जिन्होंने एक-एक क्षण का लेखा-जोखा रखा और उनका भरपूर सदुपयोग करके महान बने। नेहरु जी ने नारा दिया था "आराम हराम है। इसीलिए दार्शनिक संत आदि तुरंत बड़े से बड़े काम मनो योग से करने का आदेश देते हैं। आज का काम कल पर मत छोड़िए बहाना से डालना मूर्खता है दृष्टि वर्तमान पर रखो उसका भरपूर प्रयोग करो यही कर्म योगी की निशानी है अच्छे कर्म के फल स्वता ही मिल जाते हैं सूरज, चंद्रमा पृथ्वी सारा ब्रह्मांड समय से बंधा हुआ है सभी शक्तियां पूर्ण तरह से मर्यादित और अनुशासित हैं समय के अनुसार चलती है समय के अनुसार सब गतिविधियां होती हैं सारी ऋतु दिन-रात सब कुछ समय के अनुसार ही आता है समय के सदुपयोग के और दुरुपयोग के अनेक उदाहरण हमारे साहित्य में भरे पड़े हैं समय की कसौटी में जो व्यक्ति खरा नहीं उतरता वह अपने जीवन में व्यर्थ और निरर्थक रहता है वह भी कुछ महान और सार्थक उपयोगी काम कभी नहीं कर सकते तभी विद्वानों ने कहा है : -
"काल करे सो आज कर,
आज करे सो अब ।
पल में परलय होईगी ,
बहुरि करेगा कब।।"
- प्रीति मिश्रा 
जबलपुर - मध्यप्रदेश
 शतप्रतिशत सच्च है सही वक्त और अवसर का हमें लाभ लेना आना चाहिये ।, अवसर चूक गये तो लम्बा इंतज़ार ....
कामयाबी का महान वृक्ष उन छोटे-छोटे दिखने वाले गुणों में छिपा होता है, जिनकी हम अक्सर उपेक्षा करते हैं। वे हमें इसलिए भी निरर्थक लगते हैं, क्योंकि बचपन से हम उनके बारे में सुनते आ रहे हैं लेकिन अचरज तो तब होता है, जब हम इस पुराने बेकार से दिखने वाले चिराग को घिसते हैं और कामयाबी का जिन्न आ खडा होता है।और हम पहचान नहीं पाते , आया हुआ अवसर चला जाता है हम हाथ मलते रह जाते है । सही समय और सही अवसर पर काम करने से मनुष्य को सफलता मिलती है, इसलिए वक्त और अवसर के महत्व को समझें. कई बार हम सोचते रहते है और असमंजस की स्थिति में रह जाता है और उसके हाथ से मौका निकल जाता है. एक बार यदि मौका चला जाए तो दोबारा वह लौट कर नहीं आता. भाग्य उदय का समय जब आये तो मन का कहा मानें और अवसर को पहचानें. सही समय पर सही निर्णय ही कामयाबी की पहली सिढी है । सही समय पर किया गया काम आपको कामयाबी के साथ मान प्रतिष्ठा भी दिलाता है । 
जीवन में सफलता का पैमाना सभी के लिए अलग-अलग हो सकता है लेकिन एक बात सभी चाहते हैं कि दुनिया उन्हें सफल होते हुए देखे। सफलता सभी युवाओं के लिए आज नशा बन चुकी है। सफलता के लिए आज का युवा भारत बहुत मेहनत भी कर रहा है। सभी पढ़-लिखकर नई ऊँचाइयों को छूना चाहते है ं, शिखर पर पहुँचना चाहते हैं। 
सफलता के लिए सभी के पास अवसर की समानता भले ही न हो लेकिन समय सभी के पास बराबर का है और वह है आपके चौबीस घंटे। चाहे कोई कितना भी सफल हो या असफल यह बात सभी पर लागू होती है कि उनके पास केवल चौबीस घंटे ही होते हैं। सफल व्यक्ति अपने चौबीस घंटों को ठीक से इस्तेमाल करता है और असफल व्यक्ति इन्हीं चौबीस घंटों में अपना ज्यादातर समय बर्बाद कर देता है या अपने समय पर पूरा नियंत्रण नहीं रख पाता है। आप किसी भी सफल व्यक्ति को देखि ए, उसकी दिनचर्या निश्चित रूप से नियंत्रित व सधी हुई होती है। वह समय का मैनेजमेंट कुछ इस तरह से करता है कि वह सफलता की सीढ़ी अवश्य ही चढ़ने में कामयाब हो जाता है। असफल व्यक्ति ज्यादातर ईर्ष्य ा, तना व, खराब स्वास्थ् य, अनर्गल प्रलाप से ग्रसित होता है व असफलता के बारे में ज्यादा चर्चा करता है। हर असफल व्यक्ति के पास अपनी असफलता के लिए पर्याप्त एवं ठोस कारण मौजूद होते हैं जिसमें अवसर की कम ी, प्रतिकूल स्थिति एवं घरेलू परेशानियाँ प्रमुख कारण होते हैं। जबकि सफल व्यक्ति के पास प्रतिकूलस्थिति की कमी नहीं होती और वह धैर्य से उसका सामना करके स्थिति को अनुकूल बनाने में सफल हो जाता है। सभी के अपने-अपने लक्ष्य एवं अपने उद्देश्य होते हैं। अपने लक्ष्यों के प्रति समर्पण रखना एवं उसकी प्राप्ति के लिए लगातार सही दिशा में कार्य करते रहना बहुत ही मुश्किल होता है। इसलिए आप देखेंगे कि बहुत-से लोग जीवन में जो बनना चाहते थ े, बन नहीं सके। इस मामले में सतर्कता एवं समझदारी की आवश्यकता होती है। लक्ष्य बनाने से पहले अपनी क्षमताओं का आकलन करना बहुत जरूरी है।
आँकलन केसाथ  साथ समय का सदुपयोग और अवसर का लाभ उठाना आना चाहिऐ ।आप को कामयाब होने से कोई रोक नहीं पायेगा 
- अश्विनी पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
जिसजिसने समय को पहचाना  और अवसर जाने नहीं दिया ।वही सफलता के शिखर पर पहुँचा।यह  सनातन से सिद्ध होता आया है और आज भी सच है ।इसके विपरीत यही कहा जाएगा कि अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गयी खेत।अतः किसी को भी सही वक्त और सही अवसर को हाथ से नहीं जाने देना चाहिए ।अन्यथा कामयाबी दिवा स्वप्न ही रह जायेगी ।
- शशांक मिश्र भारती 
शाहजहांपुर - उत्तर प्रदेश
कहते हैं वक्त बदलते देर नहीं लगती ; बस सच्चे मन से प्रयास करते रहो । सही समय पर  जो लोग उचित निर्णय करते हैं उन्हें शीघ्र ही लाभ मिलता है ।
आछे दिन पाछे गए, गुरु सो किया न हेत ।
अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गयी खेत ।।
एक सच्चे गुरु की शरण में जाने पर अवश्य ही उचित अवसर का लाभ उनके शिष्यों को मिलता है । अवसर हर पल हमें मिलते हैं बस आवश्यकता है उसे पहचान कर हासिल करने की । जो लोग निरन्तर सही दिशा में प्रयास करते हैं वे उचित समय आने पर  सफल होते हैं ।
- छाया सक्सेना प्रभु
जबलपुर - मध्यप्रदेश
जी हाँ बिल्कुल सही वक्त और सही अवसर से ही कामयाबी मिलती है बस जरुरत है हमें अवसर को हाथ से जाने नही देंना चाहिऐ । सही समय और सही अवसर पर काम करने से मनुष्य को सफलता मिलती है, इसलिए वक्त और अवसर के महत्व को समझें. कई बार मनुष्य उधेड़बुन और असमंजस की स्थिति में रह जाता है और उसके हाथ से मौका चूक जाता है. एक बार यदि मौका चूक जाए तो दोबारा वह लौट कर नहीं आता. भाग्य का कहा मानें और अवसर को 
जाने न दे । हम सभी के जीवन में कई अहम मौके आते हैं, जिनका फायदा उठाकर हममें से कई लोग आगे बढ़ जाते हैं। मगर ऐसा सभी के साथ नहीं होता है। यहां यह ध्यान रखना जरूरी है कि ऐसा नहीं है कि अवसर सिर्फ कुछ लोगों को ही मिलता है और बाकियों को नहीं। अवसर सभी को मिलता है, चाहे वो अमीर हो या गरीब, छोटा हो या बड़ा। जिसमें उसे पहचानने की काबीलियत होती है, वही शख्स अपनी तकदीर बदलने में कामयाब हो पाता है। इसलिए जरूरी है मौकों की पहचान करना और उसका सही तरीके से इस्तेमाल करना। इन दो बातों को जिसने समझ लिया उसे जीवन में कभी हार का मुंह नहीं देखना पड़ता है। सफलता के लिए सिर्फ काबीलियत काफी नहीं होती है, बल्कि अवसर और उसे पहचानने की ताकत भी बेहद जरूरी है मौके के लिए इंतजार करना और उसके लिए समय बरबाद करना समझदारी नहीं होती है। मौका आपको कब मिलेगा, यह आज नहीं जानते हैं, मगर आप उसके लिए तैयारी तो कर ही सकते हैं। मौका आने पर आप उसके लिए काम करना शुरू करेंगे, तब तक तो कोई और उसका फायदा उठा चुका होगा। इसलिए हर मौके के लिए हर समय खुद को तैयार रखें। अवसर को पहचानना भी अपने आप में एक कला है। इसके लिए अपनी आंखें और कान हर समय खुले रखने चाहिए। कारोबारी या प्रोफेशनल तौर पर कहें तो खुद पर बेवजह की रोकटोक नहीं लगानी चाहिए। तभी हम अवसरों का समय पर और पूरा लाभ उठा सकते हैं। तभी हम सही वक्त व अवसर का लाभ ले जीवन में सफलता हासिल कर पायेंगे । 
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
कामयाबी का रिश्ता मेहनत और लगन से किए गए  कार्य से है |प्रत्येक कामयाब व्यक्ति बुद्धि विवेक से सफलता प्राप्त करता है|वह हमेशा वक्त का पाबंद और उचित अवसर देखकर सीखने को प्रयत्नशील रहता है|अगर दृढ़ इच्छाशक्ति से कार्य किये जाए तो वक्त से पहले भी कामयाबी मिल जाती है|
कहते हैं ना वक्त किसी के लिए नहीं रूकता |यदि आप वक्त की अहमियत समझेंगे तो वक्त भी आपकी अहमियत समझेगा |योजनाबद्ध तरीक़े से किए गए कार्य मनुष्य को कामयाबी के शिखर तक पहुँचाने में मदद करता है |
                                         - सविता गुप्ता 
                                         राँची -झारखंड
यह कहना गलत नहीं,सही ही होगा। कामयाबी के लिये अवसर तो चाहिए ही होगा और वही सही वक्त भी होगा जब आप अपनी पूरी काबलियत लगाने और दिखलाने के लिए तैयार और तत्पर रहेंगे। इसके लिए यह बेहद जरूरी और महत्वपूर्ण होगा कि आप इसके लिए हर प्रकार से समर्थ और सजग रहें याने कि  संबंधित विषय की संपूर्ण जानकारी ,सभी विकल्पों सहित सूक्ष्मता से करते हुए, उसकी परख के लिए समय-समय पर  अभ्यास भी करते रहना चाहिए ताकि अभ्यास के साथ-साथ अनुभव भी मिलता रहे और परिपक्वता भी विकसित होती रहे। यही नहीं, यदि इसमें कभी कामयाब नहीं भी हो पाते हैं तो निराश और हताश नहीं होना है बल्कि अपनी खामियों और कमियों को पहचान कर उन्हें दूर करना है। सूक्षम ज्ञान, सही मार्गदर्शन ,सच्ची लगन,सदैव उत्साहित ,धैर्य और दृढ़ संकल्प के साथ, सतत अभ्यास एक दिन जरूर कामयाबी देगा, यह सत्य और निश्चित है। बस,सही वक्त और सही अवसर की प्रतीक्षा करें।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
कामयाबी का रसपान सही वक्त और सही अवसर पर ही होते है।समय अवसर बन हर मानव की जिंदगी एक बार अवश्य दरवाजा खटखटाता है।पर पहचानने की कला आनी चाहिए,।
जिसने वक्त को पहचानने में   होशियारी दिखलाई सफलता उसके कदम चूमती है।समय आने पर ही फल मिलते हैं,समय सुनियोजित होता है । सभी जगह समय का महत्व है
समय पूरा होने पर ही जन्म और मृत्यु होती है।फल फूल भी समय पूरा होने पर ही फलते और खिलते हैं।
समय से बड़ा दूसरा कोई शिक्षक न ही  होसकता है।
समय के कितने रुप है समय वक्त बनकर शिक्षा देता है समय काल बनकर दुःख देता है समय टाइम बनकर अनुशासन का नियम सिखाता है। समय अवसर बनकर सफलता का रसपान कराता है 
- डाँ .कुमकुम वेदसेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
 जब सफलता में समय और अवसर  जुड़ जाते हैं, तो यह सीधे-सीधे प्रारब्ध की ओर इशारा करते हैं ;  क्योंकि समय और अवसर तो भाग्य से ही उपलब्ध होते हैं । समय पुनः लौट कर नहीं आता ; और अवसर जिंदगी में कभी-कभी ही मिलता है । इसलिए कहा जाता है, कि समय और मौके को हाथ से न जाने दिया जाए । यह बात सत्य है, कि सही वक्त और सही अवसर, प्रारब्ध से ही मिलते हैं । पर सफलता केवल समय और अवसर के अनुकूल हो जाने मात्र से ही प्राप्त नहीं होती ; अपितु सफलता प्राप्त करने के लिए कर्म का निष्पादन भी बहुत जरूरी है । प्रारब्ध भी तभी फलीभूत होता है जब उसमें कर्म भी शामिल हो । और ऐसा न होने की स्थिति में अकर्मण्यता आती है।  रामचरित मानस में तुलसीदास ने कहा है कि -
*कर्म प्रधान विश्व रचि राखा,*
*जो जस करहिं सो ,तस फल चाखा।*
संपूर्ण गीता का सार भी यही है -
*कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन् ।।*
(फल की इच्छा का त्याग करते हुए कर्म कर ) उचित समय और अवसर  आने पर स्वतः ही उसका फल मिल जाएगा । कुरुक्षेत्र में अवसर आने पर ही भगवान कृष्ण ने अर्जुन को उपदेश देते हुए युद्ध के लिए प्रेरित किया । यदि अर्जुन, कुशल योद्धा न होता और युद्ध कर्म न करता, तो अवसर और समय की मौजूदगी भी उसे सफलता नहीं  दिला सकती थी । 
अवसर और समय शोर मचा कर नहीं आते। समय और अवसर का लाभ भी तभी उठाया जा सकता है जब पूर्व
में ही, श्रम का अभ्यास और कार्य में  निपुणता हासिल कर ली हो । कर्म के अभाव में, अवसर और समय का अच्छा दौर भी, हाथ से निकल जाता है । चुनावों के समय हम देखते हैं, कि सभी दलों को समान अवसर मिलता है; किंतु जिस दल ने चुनाव जीतने हेतु, सही दिशा में रणनीति बना कर उस कार्य किया है ; उसे ही सफलता मिलती है । सफलता हेतु कर्म की बिसात को तो बहुत पहले से ही बिछाना पड़ता है ; किन्तु, 
एक विचारधारा यह भी कहती है, कि प्रयास भी तभी सार्थक होगा जब    समय और अवसर अनुकूल होंगे । पौधा वृक्ष बनने के बाद, ॠतुकाल आने पर स्वतः ही फल देता है और जब वह फल से लदा हो, तभी पत्थर मारने का श्रम सार्थक होगा । क्योंकि उचित अवसर आने पर किया गया प्रयास ही सफलता दिलाता है । दोनों ही विचारधारा के अनुसार सफलता हेतु , समय,अवसर और कर्म महत्वपूर्ण हैं ।  
कुल मिलाकर कहा जा सकता है, कि कामयाबी तभी मिल सकती है,  जब सही समय और सही अवसर के साथ ही, उसमें उचित कर्म भी शामिल हो ।
- वंदना दुबे,
 धार - मध्य प्रदेश
कहा  जाता  है--" समय  से  पहले  और  भाग्य  से  ज्यादा  किसी  को  कुछ  नहीं  मिलता  ।"  हम  चलें  या  न  चलें,  कुछ   करें  या  न  करें  वक्त  अपनी  रफ्तार  से  बिना  रुके  चलता  ही  रहता  है ।  कई  बार  अवसर  भी  हमारे  सामने  होते  हैं,  जिसका  सदुपयोग  कर  कुछ  लोग  कामयाबी  हासिल  कर  लेते  हैं  और  कुछ  सिर्फ  सोचते  ही  रह  जाते  हैं  ।  उनके  हाथों  से  वक्त  और  अवसर  दोनों  ही  मुट्ठी  में  बंद  रेत  की  तरह  फिसल  जाते  हैं  । वक्त  के  साथ  चलते  हुए  अथवा  वक्त  से  भी  आगे  निकलने  का  प्रयास  करते  हुए   अपने  लक्ष्य  को  परिश्रम, मेहनत,  लगन  और  आत्मविश्वास  के  साथ  कामयाबी  के  लिए  जो  स्वयं  अवसर  जुटाते  हैं,  वही  सफल   होते  हैं  । 
        - बसन्ती पंवार 
            जोधपुर - राजस्थान 
क्या सही वक्त , सही अवसर पर कामयाबी मिलती है ।
जी हाँ सही वक्त , सही अवसर पर कामयाबी मिलती है ।
कितने लोग अवसर को पहचान के उसका लाभ उठा के विकास के पथ पर अग्रसर हो जाते हैं । जो व्यक्ति इस अवसर को पहचानते नहीं । आलसी होने की आदत से कल पर इस मौके को छोड़ देता है । तो भाग्य हाथ पर हाथ धरे बैठा रहेगा । यूँ भी कह सकते हैं कि इसे अवसर पहचाने की ताकत नहीं है । मानव को सही समय और मौके के महत्त्व को समझना चाहिए । अगर उसने मौके का फायदा नहीं उठाया । हाँ , नहीं कि उलझन में शंकाग्रस्त रहा तो मौका हाथ से निकल जाता है । सफलता उससे दूर हो जाती है ।उक्ति भी अवसर मित्र बनके  एक बार तुम्हारा दरवाजा खटखटाने आता है । जिसने  इस मौके का  लाभ ले लिया ।सफलता उसके कदमों को चूमती है । इसी संदर्भ में कहानी भी यही बात कहती है ।
एक बार एक ग्राहक किताबों की दुकान पर गया । उसे किताब पसंद आ गयी । ग्राहक ने दुकानदार से किताब का मूल्य पूछा । तो दुकानदार ने 20 रुपये बताया । 
ग्राहक मोल तौल करने लगा । तब दुकानदार ने 15 रुपये कर दिया ।  फिर भी ग्राहक सन्तुष्ट नहीं हुआ । फिर भी कीमत कम करने की जिद करने लगा । दुकानदार ने उसे मनाही कर दी । ग्राहक दूसरी दुकान पर गया । दूसरे दुकानदार ने  वही किताब 25 रुपये की बतायी और एक भी रुपया कम नहीं करने की बात कही ।सुनकर ग्राहक पहली दुकान पर आया । दुकानदार से कहा , वही किताब 15 रुपये में दे दो । तब दुकानदार बोला , नहीं अब मैं यह किताब नहीं बेचूँगा ।
तो ग्राहक दुकानदार से बोला , क्यों ?
तब दुकानदार ने बोला तुमने अवसर और वक्त दोनों को गंवाया है । इसलिए अवसर को पहचानों ।  अवसर का लाभ लो । यह किताब भी तब तुम्हारी हो जाती और  वक्त तुम्हारे साथ चलता । तुमने सब कुछ किताब ,  अवसर , समय   गंवा  दिया । असफलता ही अब तुम्हारे साथ है । हमें वक्त और अवसर को महत्त्व देना चाहिए । सच में ग्राहक  दुकानदार से सबक सीख के  दुखी मन से खाली हाथ घर वापिस आ गया ।
तभी कहा है अब पछताय क्या होत , जब चिड़िया चुग गयी खेत । एक प्रसंग इसी बात को सार्थक करता है 
मोहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज चौहान की आँखें निकाल के   उसे अँधा कर दिया था । तभी गौरी ने  तीरंदाजी  का खेल आयोजित कराया । पृथ्वीराज ने उस खेल में शामिल होने की बात कही ।  गौरी ने कहा , तुम तो अँधे हो  । तुम कैसे तिरंदाजी  कर सकते हो  ?  तब पृथ्वीराज का कवि मित्र चन्द्रवरदाई ने गौरी को पृथ्वीराज का  राजा होने   का वृतांत  सुनाया तो  गौरी सहमत हो गया । तब उनका मित्र कवि  चन्द्रवरदाई ने पृथ्वीराज को कविता के माध्यम  से प्रेरित  कर के गौरी के दरबार में  ले गया । चन्द्रवरदाई ने कविता पढ़ी वैसे  ही पृथ्वीराज ने तीर गौरी के सीने में छोड़ दिया । क्रूर  गौरी की आँखें सदा के लिए बंद हो गयी और  संसार से  विदा हो गया ।पृथ्वीराज  चौहान ने अपना बदला सही वक्त , सही अवसर पर ले के सफलता हासिल की 
कविता इस तरह है ।
   चार  बाँस चौबीस गज , अंगुल अष्ट प्रमाण ,
  ता ऊपर सुल्तान है , मत चुके चौहान ।
 सही अवसर और सही वक्त को  हमने पहचान लिया तो हमारी आत्मा की दिव्य ऊर्जा की बैटरी चार्ज होने लगती है । हमें कामयाबी का रास्ता दिखाती है । हमारे बानक उसी दिशा में काम करने लगते हैं । हमारी सफ़लता की यही कुँजी है ।  अवसर और वक्त को जिसने समझ लिया सफलता का मर्म मानव जान लेता है । जीवन में उजाला प्रकाशित हो जाता है ।मानव जीवन की उन्नति के लिए इसे पहचाना जरूरी है । कहा भी  जो सोएगा ,  वह खोएगा । जो जागेगा , वह पावेगा ।
अंत में दोहा में मैं कहती हूँ :-
सही समय अवसर सही , जान लेय इंसान ।
खुले भाग्य का दर तभी , मिले सफल स्थान ।
- डॉ मंजु गुप्ता 
मुम्बई  - महाराष्ट्र
वक्त =समय, अवसर= मौका। वक्त और अवसर दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। वक्त सदैव द्रुतगति से सीधे-सीधे सैकेंड, मिनट, घंटे, दिन, महीने, साल की दिशा में चलता हुआ अपना रास्ता तय करता है। जिसका सीधा प्रभाव मनुष्य के जीवन पर पड़ता है। जीवन भी विभिन्न अवस्थाओं के साथ बचपन, जवानी, बुढ़ापा तक का वक्त गुजार देता है। इन सभी अवस्थाओं में अवसर भी उसके साथ जुड़े होते हैं; जिनको उसी अवस्था में पूरी संचेतना के साथ बिना किसी चूक के किया जाए; तो सफलता अवश्यंभावी रहती है ।जिसके लिए व्यक्ति में समय की कीमत, तदनुरूप योजनाओं के प्रति सतर्कता और उनका क्रियान्वयन आवश्यक है। इनके उचित तालमेल में जो माहिर होते हैं: सफलता उनके चरण चूमती है। अन्यथा समय किसी की प्रतीक्षा नहीं करता; उसे तो बढ़ते ही जाना है। धन, पद वैभव, समृद्धि, खुशी प्राप्त करनी है; तो सही समय पर और प्राप्त अवसरों को व्यर्थ की मौज- मस्ती और आलस्य में ना गवां दें।
  " तीसरी कसम" में गीतकार *शैलेंद्र* जी ने सही फरमाया है
-" लड़कपन देख कर रोया,   जवानी नींद भर सोया
 बुढ़ापा देख कर रोया"। 
   अतः समय और अवसर के प्रति सतर्कता के लिए कबीर की यह पंक्तियां निसंदेह शत प्रतिशत सभी के लिए सार्थक और ऊर्जावान हैं।
 "काल्ह करे सो, आज कर आज करे सो अब ।
 पल में प्रलय होएगी बहुरि करेगो  कब"।। 
- डॉॅ.रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
हां ! इस बात से मैं सहमत हूं जिस प्रकार बीता हुआ समय वापस नहीं आता उसी प्रकार बीता हुआ अवसर भी वापस नहीं आता ! संसार में सभी व्यक्ति महत्वाकांक्षी होते हैं ! कोई छोटा बनकर जीना नहीं चाहता! अपनी आकांक्षाओं को आकार देने के लिए मौके यानी अवसर की तलाश में रहते हैं हमें यदि उचित अवसर मिलता है तो बिना समय गवाए लपक लेना चाहिए ! ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जिसे भाग्य ने एक अच्छा स्वर्णिम मौका ना दिया हो ! हां ना के चक्कर में पड़कर उचित समय पर निर्णय ना लेकर मौके का स्वागत नहीं कर पाते यूं कहें अवसर छोड़ देते हैं तो वह लाभ कोई दूसरा उठा लेता है! वह कहते हैं ना---" समय निर्मम है"वह किसी की प्रतीक्षा नहीं करता है समय ही तो वह कुंजी है जो हमें अवसर प्रदान करती है! उदाहरण के लिए यदि परीक्षा में पढ़ाई कम करने की वजह से पर्चे ठीक ना गए हो किंतु अचानक किसी कारण से घोषणा होती है कि पर्चे पुनः लिए जाएंगे या परीक्षा फिर से होगी ,हताश ना होयें सुनहरा अवसर एवं समय दोनों मिले हैं ! विश्वास के साथ और समय की महत्ता को ध्यान में रखते हुए तैयारी करें अवश्य सफलता मिलेगी वरना कल कर लूंगा कह समय गवांने से असफलता ही हाथ लगेगी और सभी कहेंगे --- "अब पछताए क्या होत जब चिड़िया चुग गई खेत" 
अंत में कहूंगी अवसरवादी को कोई भी कार्य "काल करे सो आज कर आज करे सो अब "को चरितार्थ कर समय की महत्ता को समझे!
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
सही वक्त और सही अवसर पर ही कामयाबी मिलती है l निःसंदेह मानव जीवन में ऐसा ही होता है l जन्म से मृत्यु पर्यन्त जीवन में अनेक प्रकार के सौभाग्य आते हैं और इन्हीं अवसरों के लिए मानव अपने आप को सराहता है तथा भाग्यशाली मानता है l मेरी दृष्टि में मनुष्य के लिएसबसे बड़ा सौभाग्य केवल मात्र यही है कि वह समय को पहिचान पाए l हम समय को कब पहिचान पाएंगे ?हम समय को उसी अवस्था में पहिचान पाएंगे ,जब हमारे जीवन में ऊंचे सिद्दांतो एवं आदर्शो को धारण करने कि क्षमता का विकास होगा l इतिहास साक्षी है इस बात का -
1.सुग्रीव का मामूली नौकर (वानर -राज )गत्यात्मक ऊर्जा के उपासक बने l समय को पहिचाना ,देखिये -भगवान श्री राम के वन प्रवास के दौरान माता सीता की खोज के समय पर महत्वपूर्ण शक्ति के साथ कंधा मिलाने की क्या कामयाबी मिली l हनुमान जी पहाड़ उठाने लगे ,समुद्र लांघने लगे ,लंका में रावण और उसके सवा दो लाख राक्षसों को ललकारने लगे क्योंकि अध्यात्म तो उनके जीवन में आ गया और सही समय पर उन्होंने श्री राम के साथ कंधा मिलाया l सोचिए ,यदि समय और अवसर निकल जाता और सीता माता का पता लग जाने के बाद हनुमान श्री राम की सेवा में जाते तो  क्या उन्हें यह अवसर और कामयाबी मिलती l 
2.केवट ne अवसर और समय को पहिचाना कि प्रभु को पार जाने के liye नाव की आवश्यकता है और उसने जो चाहा ,श्री राम ने वैसाही किया l
3.यों तो गिद्दों का मरना कोई बड़ी बात नहीं लेकिन पक्षीराज जटायु ने समय और अवसर को पहिचाना कि माता सीता को हमारी आवश्यकता है ,भिड़ गया शक्तिशाली रावण से और बलिदान दिया अपने प्राणों का श्री राम के चरणों में l प्रभु इतनेअविभूत हुए कि अपनी अश्रु धारा से उसका अभिषेक किया l आप समय पर अवसरों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलेंगे तो न केवल कामयाबी को प्राप्त करेंगे अपितु सत्यम -शिवं -सुंदरम का दर्शन आपके जीवन में निःसन्देहहोगा l देखिए ,राधा (भोलीभाली गांव की गँवारन )ने कृष्ण केसाथ कंधे से कंधा मिलाया और कामयाबी kya मिली ,परिणाम देखिए ,आज राधा पहले और कृष्ण बाद में -कान्हा की पटरानी हो गई l 
वक्त को जिसने न पहिचाना ,
उसे मिटना पड़ा है l 
बच गया तलवार se तो क्या ,फूलों से कटना पड़ा है ll 
समय व अवसर को पहिचान कर हम अपने कर्म क्षेत्र में प्रवृत होते हैं तो इस देव दुर्लभ मानव देह के द्वारा चारों प्रकार केपुरुषार्थ प्राप्त करने में कामयाब होंगे और प्राप्त कामयाबी से चार प्रकार के ऋण -मात्र ऋण ,पितृ ऋण ,गुरु ऋण ,ऋषि ऋण को किंचित मात्र चुका पाने में समर्थ होंगे l वैसे इन ऋणों को सात जन्मों में भी नहीं चुका सकते l
- डाँ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
जी हाँ...सही वक्त और सही अवसर पर ही कामयाबी मिलती है और उसे ही मिलती है जो निष्काम भाव से सतत अपने कर्मपथ पर चलता रहता है, श्रम करना नहीं छोड़ता, अपने ज्ञान को नित नया बनाते हुए उसे परिमार्जित करता रहता है, हर परिस्थिति, हर चुनौती से लड़ता है, हर सही अवसर का सदुपयोग करता है, किसी के कहने-सुनने से प्रभावित नहीं होता और सबसे बड़ी बात....अपना आत्मविश्वास कभी नहीं खोता। ऐसे व्यक्ति को सही वक्त और सही समय पर कामयाबी मिलती है। सही समय पर सही निर्णय लेने की क्षमता भी इसमें अपनी भूमिका निभाती है। सबको जीवन में एक बराबर समय मिलता है, उसका सही उपयोग भी सही समय पर कामयाबी दिलवाता है। कल का काम आज करें और आज का अभी...तो कोई भी व्यक्ति सही वक्त और सही अवसर पर कामयाबी पाने में सफल रहता है।
- डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून -  उत्तराखंड
 वर्तमान विचारधारा और हमारे पूर्वजों के अनुसार सही वक्त और सही अवसर पर ही कामयाबी मिलती है ऐसा कहा जाता है। लेकिन वास्तव में देखा जाए तो सही वक्त और सही अवसर हर पल हर क्षण  रहता ही है। इस सही अवसर को  पहचान कर वक्त रहते ही अपने कार्य  व्यवहार को सही कर लेने से कामयाबी मिलती है। समझदारी के साथ कोई भी कार्य करते हैं तो अवश्य हमारा लक्ष्य पूर्ण होता है और हमे कामयाबी मिलती है। अतः कहा जा सकता है , सही वक्त और सही अवसर का सदुपयोग करें ,जिंदगी में कामयाबी मिलती है।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
सही वक्त और सही अवसर , ये दोनों कब आएंगे किसी को पता नहीं होता । जब काम हो जाये वही सही अवसर होता है। आप कदम बढ़ाते जाओ , समय कामयाबी देगा ।जिस तरह साल भर सींचने पर भी फल समय पर ही मिलता है , उसी तरह दृढ़ता के साथ काम करते जाना है। नाकामयाबी से निराश नहीं होना है । कर्मवीर उन्हें ही कहा गया है जो बाधाओं से घबड़ाते नहीं हैं । आज चले हैं तो मंजिल पर पहुंचेंगे ही ।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
   सही वक्त और सही अवसर की प्रतीक्षा में जो बैठे रहते हैं।वह कभी कामयाब अर्थात  सफल नहीं होते।बल्कि वह कामयाब होते हैं,जो वक्त और अवसर की ताक में प्रयास करते रहते हैं।उन्हीं प्रयासों से कामयाबी मिलती है।यही सत्य है।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
हां,,यह सही कहा गया है । ऊपरवाले ने  हर चीज का समय निर्धारित किया है ,ना समय से पहले ना समय के बाद। जो होना है वह भी निश्चित ही है इसे हम और आप नहीं बदल सकते हैं । व्यक्ति सिर्फ प्रयास कर सकता है जो ,उसके हाथ में है, परन्तु कामयाबी या नाकामयाब होना यह तो हमें ऊपरवाले की हीं मेहरबानी से प्राप्त होती है । कहा गया है कि, सबका एक खास वक्त निर्धारित होता है और उसी के अनुसार हमें हमारा कर्म फल प्राप्त होता है। इसलिए हमें सिर्फ और सिर्फ अपने हिसाब से कार्य और प्रयास करने की जरूरत है बाकी जब सही अवसर होगा उसी वक्त हमें हमारे कार्यानुसार कामयाबी हासिल होगी  हीं ,ऐसा मेरा भी  विचार  है । 
- डॉ पूनम देवा
पटना - बिहार
जी हां!मेहनत और ईमानदारी से अपना काम करते रहें तो वक्त भी आपके इंतज़ार में रहता है। सही अवसर या मौका जीवन में बार बार नहीं आता।उसे पहचानना पड़ता है और उसका फायदा उठाना मनुष्य के अपने हाथ में है।जो हाथ आया हुआ मौका गंवा देते हैं वे बड़ी गलती करते हैं उन्हें कहा जाता है कि "सामने परोसी हुई थाली सरका दी"
सही वक्त और अवसर की तलाश तो रोजमर्रा के व्यवहार में भी रहती है। जैसे घर में कोई दुखद समाचार उससे संबंधित खास सदस्य को देना हो तो हम थोड़ा सही समय का इंतजार करते हैं कि तुरंत बाहर से आए हैं तो न दें या उन्हें भोजन करने के बाद धीरे-धीरे उन्हें बताया जाए।उसी तरह बच्चों को कुछ खास डिमांड पापा से करनी हो तो अच्छे मूड का इंतज़ार करते हैं यह भी तो अच्छे वक्त की प्रतीक्षा है। अतः सही वक्त और सही अवसर पर ही कामयाबी मिलती है
- डॉ सुरिन्दर कौर नीलम
रांची - झारखंड

" मेरी दृष्टि में " सही वक्त और सही अवसर ,  एक ही सिक्के के दो पहलू है । जो साथ - साथ चलते है । यही इस की खसियत है । परन्तु कामयाबी का मूल मन्त्र है । 
                                                   - बीजेन्द्र जैमिनी



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