वास्तव में चीन दुनियां में किसी का है ?

चीन का इतिहास दुनियां जानती है । वह कभी भी भरोसेमंद साबित नहीं हुआ है । फिर दुनिया चीन पर किस आधार पर भरोसा कर ले । आज चीन की दुनियां में क्या स्थिति है । यही " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब देखते हैं आये विचारों को : - 
यदि सियासती दृष्टि से कहा जाय तो हाँ । क्योंकि उसका जुड़ाव अपने देश के हित में है और आज जो राष्ट्र कमजोर पड़ रहे है उन्हें अपनी हमदर्दी से जीत कर उनका उपयोग अपने राष्ट्र के लिए कर रहा । चीन से अमेरिका ,भारत ,रूस को समस्या हो सकती है क्योंकि वह इस समय शक के घेरे में है लेकिन पाकिस्तान , भूटान और भारत के कुछ उपेक्षित क्षेत्रो का वह दाता बन कर अपना स्वार्थ सिद्ध कर सकता है ।
     यदि यथार्थ में जाया जाए तो इस दुनिया मे जन्मदाता भी अपने  सिद्ध नही होते । फिर चीन तो एक विशाल देश है । यदि वह मित्रता , मानवता , भलमनसाहत के चक्कर  में पड़ कर विश्व गुरु बनने की सोचेगा तो अपनी विशाल जनता को बेहतर जिंदगी कैसे देगा ? अपने  कारोबार का विस्तार कैसे करेगा ? उन्हें रहने के लिए घर और अन्न कहाँ से देगा ? शांतिप्रियता , अध्यात्मवाद ,आयुर्वेद , वसुधैवकुटुम्बकम ,योग जैसे चमत्कारी क्षेत्रों के सहारे विश्वगुरु बनने के लिए भारत ही पर्याप्त है ।
- सुशीला जोशी
मुजफ्फरनगर - उत्तर प्रदेश
      जिस देश का अपने स्वार्थ के सिवाय कुछ न हो। वह किसी का हो ही नहीं सकता। जिसका उसे दण्ड देने का समय भी आ चुका है।
      हालांकि पाकिस्तान उसे अपना मानने की भूल कर रहा है और इसी भूल के उकसावे में नेपाल भारत की दशकों पुरानी मित्रता को दांव पर लगा रहा है। जिस पर वह शीघ्र ही पछताएगा।
      भारत को भी चीन के शत्रु एवं अपने परम मित्र देश रूस से चर्चा करनी चाहिए। चूंकि शत्रु का शत्रु मित्र होता है। जिसके लिए समाचार भी आ रहे हैं कि भारत के रक्षा मंत्री रूस यात्रा पर जाने की योजना बना रहे हैं। जो सराहनीय कदम है। यूं भी भारत ने चीन के साथ युद्ध लड़ने एवं उसे छठी का दूध याद दिलाने का मन बना ही लिया है। जिसके लिए अलग भारी बजट भी सेना को दे दिया है। ताकि सेना आत्मनिर्भर हो सके।
      उल्लेखनीय है कि सशक्त सेना और आत्मनिर्भर भारत का नेतृत्व लोकप्रिय माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी जी के हाथों में सुरक्षित है। वह एक ओर चीन के कोरोन विषाणु को मात देे रहे हैं और दूसरी ओर चीन को चने चबवाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। जिससे भारतीय सैनिकों और नागरिकों का मनोबल बढ़ रहा है। जो युद्ध जीतने का मूल आधार होता है।
      सर्वविदित है कि चीनी सैनिकों के विश्वासघात के बावजूद हमारे निहत्थे सैनिकों ने वीरगति प्राप्त करते-करते अपने से दोगुने शत्रु चीनी सैनिकों को जमलोक भेज दिया था। जिसके फलस्वरूप विश्वभर में भारत और भारतीय सेना की जय-जयकार हुई है। उसी के फलस्वरूप भारत और भारतीय सेना का मनोबल ऊंचा है।
      दूसरी ओर चीन और चीनी सैनिकों की कायरता पर विश्व ने थूका है। चूंकि कोरोना विषाणु के कारण विश्वभर में हो रही मौतों के कारण पहले ही दुनियां चीन से दुखी है। जिससे स्पष्ट है कि चीन वास्तव में दुनियां में किसी का भी नहीं है।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
जो स्वार्थी लोग होते हैं और स्वार्थ के लिए सोचते हैं वह लोग कभी किसी के सगे नहीं होते हैं वह सिर्फ अपने स्वार्थ सिद्धि में ही लगे रहते हैं उन लोगों में मानवता का दृष्टिकोण रहता ही नहीं है वह सब तानाशाह रहते हैं और तानाशाही ही करना जानते हैं वैसे चीन हैं वह अपने गैजेट आप तो पूरी दुनिया में भेज देता है पर अपनी ही देश में किसी और के ऐप को घुसने नहीं देता वह सब फेसबुक को भी घुसने नहीं देता है और वह न्यूज़ भी अपनी बाहर नहीं आने देता है वह सिर्फ पूरे विश्व में राज करना चाहता है और तानाशाह बनना चाहता है इसी की बनने की होड़ में उसने सभी को महामारी प्रदान करती है ऐसे स्वार्थी लोग कभी किसी के सगे नहीं हो सकते और ना ही किसी के हो सकते हैं।
मैं अपनी लड़ाई खुद ही लड़नी पड़ती है।
- प्रीति मिश्रा 
जबलपुर-  मध्य प्रदेश
चीन ने जो कोरोना वायरस छोड़कर सम्पूर्ण मानव समुदाय को तबाह करने की साजिश से लगता है कि चीन किसी का नही है। यह सबको नष्ट करके विश्व में अकेले राज करना चाहता है साथ ही इसकी विचारधारा भी इसी प्रकार की है। अतः चीन अब अपने देश दोस्तो के साथ छल कर रहा है।यह चीन किसी का हो ही नही सकता इसने इसके पहले भी कई बार सबको मिटाने का प्रयास कर चुका है। किंतु सफल नही हो पाया। लेकिन इस पर किसी प्रकार का भरोसा करना मतलब अपने आपको धोखा देना है। चीन के तमाम चालो को देखकर यही लगता है और सही भी है कि चीन गद्दार के साथ धोखेबाज भी है और यह कभी किसी नही हो सकता।
- राम नारायण साहू "राज"
रायपुर - छत्तीसगढ़
वास्तव में चीन किसी का है इस प्रश्न को सोचते ही हंसी आना तो लाजमी है । दरसल चीन को केवल अपने व्यपार विस्तार से मतलब है । वह किसी का सगा नही है । चीन की मंशा केवल दुनिया को चीनी उत्पादों पर निर्भर करना है । जिसके लिए वह शुरू से ही प्रयासरत है । जो चीन पूरे विश्व को कोरोना जैसी लाइलाज बीमारी से ग्रसित कर , मारने पर उतारू हो सकता है , वह भला किसका सगा हो सकता है ।
दरसल चीन केवल व्यपार विस्तार कर सभी देशो में अपने प्रोडक्ट्स बेच कर विश्व चीनी सामानों पर निर्भर करना चाहता है । और आज बहुत हद तक चीन इस दिशा में कामयाब भी हुआ है परंतु चीनी सामानों की लत लगाने की आड़ में चीन ने अपनी सीमा से अड़े पड़ोसी देशो के क्षेत्रो पर कब्जा करना शुरू कर दिया । ऐसा देश भला किसका सगा हो सकता है । किसका नही !
- परीक्षीत गुप्ता 
बिजनौर - उत्तरप्रदेश
जो अपनों का ना हुआ वह दुनिया में किसी का नहीं हो सकता। याद कीजिए जून,1989 में चीन के थियानमेन स्क्वायर पर घटी घटना जहां केवल अपनी तानाशाही को बरकरार रखने के लिए चीनी पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी ने अपने ही हजारों आम नागरिकों की जान ले ली थी। 
जिस देश में लोकतंत्र की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जाती हैं, जो निरन्तर मानवतावादी कदमों का मखौल उड़ाता है और पूरी दुनिया पर राज करने की निकृष्ट मानसिकता रखता हो ऐसा देश दुनिया में किसी का नहीं हो सकता। पाकिस्तान, नेपाल जैसे देशों से चीन अपनत्व का भाव नहीं रखता बल्कि उनकी मदद करने के पीछे उन देशों को अपना गुलाम बनाने की मंशा रखता है और अपनी विस्तारवादी अतिक्रमण की सोच को अंजाम देना चाहता है। 
अपने पड़ोसी भारत के साथ 1962 का बेवजह थोपा गया युद्ध, समय-समय पर भारतीय सीमाओं का अतिक्रमण, तिब्बत को अपने कब्जे में रखना, हांगकांग के लोकतन्त्र को अपनी ताकत के बल पर दबाये रखना, कोरोना जैसी भयंकर महामारी में चीन की भूमिका और इस बीमारी के बचाव के लिए दुनिया को निम्न स्तरीय चिकित्सीय सामग्री (पीपीई किट, टेस्टिंग किट) आदि देना, अनेक बिन्दु हैं जो चीन के कुटिल एवं घटिया चरित्र को दर्शाते हैं।
ऐसे अमानवीय कुटिल चरित्र वाला चीन वास्तव में दुनिया में किसी का नहीं है।
- सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग'
देहरादून - उत्तराखण्ड
     चीन एक व्यापारिक देश हैं, वह व्यापार करना जानता हैं, व्यवहारिक, वास्तविकता की कमी हैं, वह किस समय धक्का दे, कहा नहीं जा सकता हैं। चीन समस्त वस्तुओं का पूर्ण रूपेण केन्द्र हैं, वह चाहता हैं, दुनिया उसी के इशारों पर चलें। अपने व्यापार के तहत, अपनी अर्थव्यवस्था तथा सैन व्यवस्था को  मजबूत कर लिया हैं। वर्तमान परिस्थितियों में निर्मित स्थितियों के लिए समस्त राष्ट्रों को एक नियंत्रित पहल करनी होगी। अपनी-अपनी नियंत्रित रेखा के परिप्रेक्ष्य में सीमित संसाधनों के बीच जीवन को पुनः जीवित अवस्था में पहुँचाना होगा। कोई भी राष्ट्र नहीं चाहता तीसरा विश्वयुद्ध शुरू हो, हमने इतिहास के पन्नों में दो युद्धों की घटनाक्रमों को पढ़ा। सिर्फ शक्ति प्रदर्शन हुआ हैं, मानवता की बलि चढ़ी हुई हैं, जिसे शहीद कहते हैं। 
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर'
     बालाघाट -  मध्यप्रदेश
 वास्तव में चीन दुनिया में किसी का है? यह कहा नहीं जा सकता । इस संसार में कोई किसी का दुश्मन है तो कोई किसी का मित्र। जो सही कार्य करते हैं उनके तो मित्र होते ही हैं लेकिन जो गलत कार्य करते हैं उनका मित्र नहीं होते ऐसा नहीं कहा जा सकता क्योंकि उनके विचार के भी लोग इस संसार में होते हैं। यह वक्त आने पर पता चलता है कि कौन सच्चाई की और कार्य कर रहा है और और कौन झूठ की कार्य कर रहा है इन्हीं कार्यों के आधार पर उस देश का मूल्यांकन किया जाता है वास्तव में चीन दुनिया में किसी का नहीं होना चाहिए अभी उन्होंने जो हरकत किया है उसे से यही निकल कर आता है लेकिन ऐसा बात नहीं है अंदर ही अंदर चीन के भी कोई होंगे जो अभी पता नहीं चल रहा है अवसर आने पर भी ऐसे लोग दिखाई पड़ते हैं बहुत लोग उनके खिलाफ में हैं यह बात आम जनता में प्रसारित है लेकिन अंदरूनी उनके भी होंगे यह भी पता नहीं चल रहा है तो ऐसा लगता है कि वास्तव में इस दुनिया में किसी का है कि नहीं जब कोई घटना होती है तो उसी समय कोई  विदेश अपने व्यवहार कार्य से रूबरू होता है तभी पता चलता है कि वह देश मानवीयता मैं  चलने वाला देश है ,कि अमानवीयता  की राह पर चलने वाला देश है। इसी के आधार पर लोग उससे बैर भाव रखते हैं या मित्रता अतः समय आने पर ही पता चलेगा कि वास्तव में चीन दुनिया में किसी का है कि नहीं।
 फिलहाल अभी देखने से यही पता चलता है सुशील अकेला पड़ा है लेकिन ऐसा नहीं है वक्त ही बताएगा कि चीन के साथ कौन-कौन देश सातथ देने वाले हैं अर्थात इनका संबंध किन-किन देशों से है।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
जहांँ तक इस बात का प्रश्न है कि क्या वास्तव में चीन किसी का है तो वर्तमान परिदृश्य में जो कुछ भी दृष्टिगोचर हो रहा है चीन वास्तव में किसी का भी नहीं है वह केवल सभी को अपने लाभ के लिए प्रयोग करना जानता है और अपनी सभी गतिविधियों को पूरी तरह से गुप्त रखता है जहां दुनिया के दूसरे तमाम देश व्हाट्सएप फेसबुक गूगल ट्विटर आदि का इस्तेमाल कर रहे हैं उसके लिए भी उसने अपने नागरिकों को इनके उपयोग की स्वतंत्र नहीं दी है बल्कि उनके विकल्प के रूप में अपने ही कुछ एप्प विकसित कर लिए है इसका स्पष्ट कारण यह भी है कि वह चाहता है कि उसकी जो भी कुछ गतिविधियां है उसके देश के विषय में जो भी जानकारियां हैं वह बिल्कुल गुप्त रहे और अपना एजेंडा गुप्त रूप से ही चलाना चाहता है इस प्रकार से पूरी तरह स्पष्ट हो जाता है कि वह किसी का नहीं है और सभी को अपने लाभ के लिए केवल इस्तेमाल करना जानता है उसके तमाम उत्पादों से दुनिया के बाजार पटे पड़े हैं और यह सभी उत्पाद गुणवत्ता विहीन हैं कछ को यदि छोड़ दिया जाए तो अब समय आ गया है सभी देशों को मिलकर उसके उत्पादों पर निर्भरता कम करनी चाहिए और ऐसे उत्पादों का निर्माण अपने ही देश में करना चाहिए जिससे कि उसके उत्पादों के आयात की आवश्यकता ही नहीं रहे ऐसा करके ही चीन को सबक सिखाया जा सकता है और उसकी नीतियों का जवाब दिया जा सकता है जो किसी का भी नहीं है.                           
- प्रमोद कुमार प्रेम 
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
चीन तो अपने नागरिकों का भी नही है। वो अपने देश वासियों को जिस तरह मारता है वो एक अलग उदाहरण है।वो किसी का सगा नही है। चाहे छात्र हों या नागरिक सबको मारा है इसने।बद्दुआ कितनी लेगा।कोई हिसाब है?
जीव जंतुओं की हत्याएं करता है पैशाचिक तरीके से।इंसान का मांस का व्यापार करता है।सारी दुनिया के पिशाच हैं ये।
प्रकृति का नाश इन्होंने कर दिया
जीव जंतु इन्होने नही छोड़े
मानव इन्होंने नहीं छोड़े
पर्यावरण इन्होंने नही छोड़ा
क्या छूटा है इनसे जिसका नाश ना किया हो।
पड़ोसी  देशों की जमीन इन्होंने नही छोड़ी
दूसरे देशों की अर्थव्यवस्था इन्होंने नही छोड़ी
ये किसके सगे हैं?
 - रोहन जैन
देहरादून - उत्तराखंड
दुनिया में चीन किसी का भी नही है। पाकिस्तान भी चीन के बोझ तले दबा हुआ है। चीन पाकिस्तान की जमीन अपने फायदे के लिए ले रखा है। दुनियाभर में कोरोना संक्रमण फलाने वाले चीन के खिलाफ अमेरिका,आस्ट्रेलिया,जापान, भारत सहित कई देश खड़े हैं।  भारत के साथ कब युद्ध छिड़ जाय कहा नही जा सकता। चीन द्वारा धोखे से हमले में भारत के कर्नल बी शान बाबू सहित 20 जवान शहीद हो गए। इस कायराना हरकत से देशभर में चीन के खिलाफ आक्रोश है। भारत सरकार, यहां के व्यापारी वर्ग से लेकर आम नागरिक तक चीन द्वारा निर्मित वस्तुओं का बहिष्कार करना शुरू कर दिया है। रेलवे द्वारा चीन को दिए गए टेंडर को रद्द कर दिया गया। 
चीन के इस करतूत पर अमेरिका, आस्ट्रेलिया, जापान सहित कई देश भारत के पक्ष में खड़े दिख रहे हैं। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र  मोदी ने दो टूक शब्दों में कह दिया है कि शहीदों का बलिदान व्यर्थ नही जाएगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तीनों सेनाओं को चीन से निपटने के लिए खुली छूट दे दिया है। सेना भी अलर्ट। मूड में है। चीन दुनियाभर से किसी का भी नही है। यह इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि उसने 23 देशों की जमीन व समुद्री सीमाओं पर अपना दावा जताता है। भले ही  उसकी सिमा 14 देशों से लगती हो। ला द्राँबे यूनिवर्सिटी की एशिया सुरक्षा रिपोर्ट ने चीन की इस हरकत का खुलासा किया है। चीन ने 41 लाख वर्ग किलोमीटर दूसरों की भूमि पर कब्जा जमाया है। 3488 वर्ग किलोमीटर वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर भारत से विवाद है। चीन की वन बेल्ट वन रोड से पूरे एशिया और यूरोप को जोड़ने की मुहिम थी जो अभी पूरी नही हो सकी है। चीन ने न केवल भारत से बल्कि दो दर्जन से भी अधिक देशों से दुश्मनी ले रखी है। अब इस स्थिति में चीन दुनिया मे किसी का हो सकता है यह दूर दूर तक मुमकिन नही दिख रहा है। 
- अंकिता सिन्हा साहित्यकार
जमशेदपुर - झारखंड
 दुनिया के अन्य देशों के साथ सीना जोरी करने में चीन सबसे आगे है| वह अपने देश के साथ लगने वाली सीमाओं को सदा से बढ़ाना चाहता है| आंकड़ों की सुने तो 59 देशों के लगभग 22000 किलोमीटर की सीमा चीन से लगती है और सारी दुनिया जानती है कि उन सब देशों के साथ चीन का विवाद चल रहा है| धमकी देने में चीन सबसे आगे है| बेशक उसने इन देशों के साथ कभी युद्ध नहीं किया
 चीन  कहता है कि  तजाकिस्तान पर उसका इसलिए हक है कि बहुत पहले चीन के राजा का उस पर शासन
था | 
 ऐसे ही वह अफगानिस्तान के विषय में भी कहता है और अफगानिस्तान के एक बड़े हिस्से पर अपना अधिकार जता रहा है| कहते हैं कि पाकिस्तान चीन का मित्र है और पाकिस्तान ने चीन के आगे घुटने टेक दिए हैं फिर भी पाकिस्तान की सीमा  को लेकर भी विवाद में है| भारत के साथ तो  डोकलाम विवाद तो चल ही रहा है|
 नेपाल को भी वह भारत के विरुद्ध भड़का रहा है|
 भूटान में तो वह बड़ी तीव्रता से अपनी सड़कों का निर्माण कर रहा है यहां तक कि उसने इंटरनेशनल बॉर्डर पर भी बंकर  बना दिए हैं| नेपाल ,म्यांमार  के क्षेत्रों पर भी अपना अधिकार जता रहा है| कहता है कभी वियतनाम पर भी चीन का राज था | इसके भी बड़े हिस्से पर अपनी दावेदारी दिखा रहा है| इसलिए वह आज भी उसे अपने अधीन मांगता है| उसने नॉर्थ कोरिया को भी नहीं छोड़ा| यूं तो  रूस  के साथ भी उसके संबंध अच्छे हैं फिर भी रूस के साथ लगती सीमा पर चीन अपना अधिकार जताता रहता है|
 उपरोक्त बातों से यह सिद्ध हो जाता है कि चीन का लक्ष्य केवल अपनी सीमाओं को बढ़ाना है| किसी भी देश के साथ उसके  मैत्रीपूर्ण संबंध नहीं है|
 अमेरिका भी चीन को सबके सम्मुख खलनायक बना कर प्रस्तुत कर रहा है| हाल ही में भारत ने चीन के साथ हुए सीमा विवाद को अपने मित्र देशों रूस और अमेरिका पर अपना भरोसा दिखाया है|
 आज की स्थिति में एक रूस  ही ऐसा देश है कि उस से चीन को सैनिक साजों सामान मिल रहा है| वे अब चीन को उच्चस्तरीय हथियार उपलब्ध करा रहा है| अतः यह बात स्पष्ट है कि आज के समय में रूस और चीन के संबंध अच्छे हैं लेकिन दूसरी ओर यह भी दिखाई देता है कि रूस चीन का साथ देकर अपनी छवि को खराब करना नहीं चाहेगा और रूस यह भी नहीं चाहता कि दोनों देशों के बीच में युद्ध हो हालांकि सन    1969 में रूस और चीन में युद्ध भी हो चुका है| इस युद्ध में रूस ने चीन को  परमाणु हमले की धमकी भी दी थी|
 वैसे तो चीन ने सब देशों को कोरोना का उपहार देकर अपने विरोध में कर ही लिया है | इसलिए यह कहा जा सकता है की प्रत्यक्ष रूप में चीन का कोई मित्र नहीं है| और किसी के मन में अब चीन के लिए कोई सद्भावना नहीं बची| फिर भी हमें आराम से बैठ नहीं जाना और किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहना है
 सब स्थितियों को देखते हुए यही कहा जा सकता है किस समय और स्थिति के अनुसार निर्णायक पल कौन सा होगा कुछ नहीं कहा जा सकता| चीन कितनी भी अच्छी बातें करें लेकिन भारत को  किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहना है|
-  चंद्रकांता अग्निहोत्री
पंचकूला - हरियाणा
वास्तव में कोरोना के बाद दुनिया के हर  देश को भरोसा उठ गया है। चीन की एक चाल थी अपने पड़ोसी देश को सस्ते में कर्ज दे कर अपने जाल में फंसा लेना इसमें पड़ोसी देश जैसे:-पाकिस्तान, नेपाल,श्रीलंका,भूटान, उसके बाद अपने फायदे का काम करता है जैसे एयर बेस,हाईवे,पेट्रोलियम, नेचुरल गैस,आवागमन का सुबिधा का दोहन।
भारत के साथ भी यही किया पहले व्यापार बढ़ाया। और 1959 मे स्लोगन दिया" भारत-चीन भाई भाई"। उसने देखा इस स्लोगन से भारतीय काफी प्रभावित हो गए हैं तब 1962 मे भारत के हजारों मिल जमीन अपने कब्जे में ले लिया।
उस समय हमारे देश के नेतृत्व करता शांत होकर स्वीकार कर लिए। उसके बाद अरुणाचल प्रदेश पर भी अपना दावा जताने लगा।
भारत- तिब्बत- चीन का अस्तित्व पर प्रश्न खड़ा कर दिया।
पूरी दुनिया से कोरोना वायरस के बारे में झूठ बोलते रहा यहां तकWHO को भी खबर नहीं किया।
इसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति चीन के खिलाफ आलोचना तेज कर दिए और साथ ही साथ दुनिया के हर देश के राष्ट्राध्यक्ष भी चीन के विरोध में आवाज उठाने लगे। तब शर्मिंदा होकर शांत है।
चीन के चाल से दुनिया बेहाल है:- क्योंकि चीन की नीति है अपना सामान सस्ते मूल्य में उपलब्ध करा कर आर्थिक दोहन करें जिससे हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत हो।WTO के सदस्य होने के नाते हर देश अनुमति प्रदान करते हैं।
चीन का सोच है पूरी दुनिया कोरोना महामारी मैं व्यस्त है।तब समय के नजाकत देखते हुए भारत से युद्ध करने के लिए विचार किया।
इन छः कारणों से भारत के साथ युद्ध करना चाहता है।
1)POK पर भारत का बढ़ता दबाव।
2) सीमा पर सड़क निर्माण।
3) लद्दाख के प्राकृतिक संसाधनों पर नजर।
4) चीन के राष्ट्रपति के लिए नाक का सवाल।
5) अंतरराष्ट्रीय कंपनियां चीन छोड़कर जाना जिससे आर्थिक नुकसान
6) भारतWHO के अध्यक्ष चुना जाना। इसको डर  बंधा हुआ है की भारत अब कोरोना के जांच में तेजी लायगी।
लेखक का विचार:- धोखेबाज चीन पर अब दुनिया के कोई देश भरोसा नहीं करेगा।
- विजेंयेद्र मोहन
बोकारो - झारखण्ड
वास्तव में चीन किसी का नही हैं। क्यों के वहा के संस्कार ही वैसे नही हैं उनहें केवल पाना आता है कमाना आता है अपनी तिव्र प्रगती अछ्छी लगती है अपने देश की सिमायें बढाना अछ्छा लगता हैं। सब कुछ केवल मेरा भला मेरी  हुकुमत दुनियाँ पर चले मेरे देश की सिमायें बढती रहे। यही वह सोच ओर संस्कार है जो चीन को किसी के भरौसे के लायक नही रखती चीन का आज अपने देश से लगे तमाम देशों से सिमा विवाद हैं ओर मैं तो कहता हु सिमा विवाद तो कही हैं ही नही यह तो महज चीन की सोची समझी चाल हैं वह हर देश के क्षेत्रो (भुभाग पर अपना दावा करता हैं थोड़ा ताकत वर हैं तो सोचता हैं डरा कर धमका कर श्रण देकर अन्य देशों को उलझाये रखो ओर सवयं मौज करो। यदी चीन की किसी देश के साथ निभ भी रही हैं तो वह कर्ज दार होते हैं। छोटे देश होते हैं।मैं तो कहता हुँ की वास्तव में चीन दुनियां में किसी का हैं ही नही। उसे अपना समझने की किसी देश को भुल भी नही करनी चाहियें।
- कुन्दन पाटिल
 देवास - मध्यप्रदेश
चीन वास्तव में किसी का नहीं। जो अपना ही नहीं हो सका, जिसने अपने ही नागरिकों को कोविड-19 वायरस अटैक का शिकार बनाने में कोताही नहीं बरती, वह किसी और का कैसे हो सकता है। इसने हमेशा विश्व को धोखा दिया है।
आर्थिक रूप से कमजोर देशों को कर्ज के रूप में धन देकर उन्हें अपने पक्ष में करने की नीति अपनाई। पूरे विश्व में अपना व्यापार फैलाते हुए आर्थिक रूप से समृद्धि बटोरी। धोखे की हद कि अखाद्य पदार्थों को खाद्य पदार्थ, सामग्री बनाकर विश्व भर के बाजारों में खपा दिया।भारत के दक्षिणी क्षेत्रों से प्लास्टिक के चावल की खबरें सामने आयी ही थी। अब इसने अमेरिका, ब्रिटेन,फ्रांस, आस्ट्रेलिया जैसी शक्तियों को भी धोखा दिया। चीन जब विश्व स्वास्थ्य संगठन को धोखा दे सकता है तो वह किसी को भी अपने लाभ के लिए धोखा देने में पीछे नहीं हटेगा। विश्वासघाती तो यह है ही। यह विश्व शांति,सुरक्षा की बात न समझता और न करता है उसे विश्व शांति सुरक्षा और मानवता से कोई सरोकार नहीं है। वर्तमान समय में विश्वव्यापी विरोध के बावजूद इसकी हरकतें बढ़ती जा रही है।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल' 
धामपुर - उत्तर प्रदेश
चीन कभी किसी का सगा हो ही नहीं सकता!भारत एक शांति प्रिय देश है लेकिन इस शांति में खलल डालने का काम चीन ने सदा किया है।आज भी अनेक जगहों पर चीन का सैनिक जमावड़ा कायम है।अब तो अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी चीन के खिलाफ आवाजें उठने लगी है। केवल भारत ही नहीं इनके पड़ोसी देशों के साथ चीन का रवैया गलत है। भूटान की सीमा डोकलाम में भी इसने अतिक्रमण करने की कोशिश की थी लेकिन भारत के दबाव में चीन को पीछे हटना पड़ा था।नेपाल सरकार आज अपने स्वार्थ के वजह से या चीन के बहकावे में आकर भारत के क्षेत्रों को अपना बता रहा है लेकिन चीन ने उसके भी उत्तरी क्षेत्रों का अतिक्रमण किया है। चीन ताइवान पर भी अपना दावा ठोकता है। अमेरिका भी इसकी दोहरी चाल पर नजर गड़ाए हुए है कि इसका अगला कदम क्या होगा? क्योंकि इसकी नीति कभी विश्वास योग्य नहीं रही। चीन कई द्वीपों पर भी अपना अधिकार बता रहा है और अपनी सेना को वहां जमा कर रखा है।इन सबके अलावा वियतनाम फिलीपीन जापान, ताइवान भी सदा से इसकी हरकतों पर आपत्ति जताई है।यही कारण है कि अंर्तराष्ट्रीय मंच पर भी इसका विरोध होता रहा है। लेकिन चीन अपनी ओछी हरकतों से बाज नहीं आता है सिक्किम, लद्दाख सीमा पर भी उसकी हरकतें आपत्तिजनक है।ये कभी किसी का सगा हो ही नहीं सकता। ये सिर्फ अपनी सोचता है।इसे ना मानवता की परवाह है और ना ही किसी देश की।
- रेणु झा
रांची - झारखंड
ये प्रश्न कि वास्तव में चीन दुनिया में किसी का है?घर का माहौल अच्छा हो तो हम पड़ोसी से भी अच्छा व्यवहार करते हैं।फिर उसी अच्छे व्यवहार को अपने दफ्तर और काम के सिलसिले में अन्य राज्यों अर्थात चीन के परिपेक्ष में दुनिया के अन्य देश,तक भी लेकर जाते हैं।यदि मामला घर का ही गड़बड़ हो तो हालत खस्ता या संतुलन हिला हुआ सा मिलता है।जिसका असर घर से लेकर शहर,देश और दुनिया तक जाहिर होता चला जाता है।
        वर्तमान में चीन के हालात कुछ ऐसे ही हैं।इन्हीं हालातों का परिचय वो पहले भी कई बार दे चुका है।जब भी उसका अंदरुनी मामला गड़बड़ाता है तो उनका ध्यान विकेंद्रित करने या भटकाने के लिए वो अपने ही घर से बाहर का रुख करता है।अर्थात अपने पड़ोसी मुल्कों के ऊपर या उनकी सीमाओं के ऊपर छेड़खानी करने लगता है।इससे उसके अपने देशवासियों का ध्यान बाहर की तरफ भटकने लगता है जो उसका लक्ष्य भी होता है।जिसके कारण अंदरुनी अव्यवस्था की रफ्तार कम हो जाती है और कुछ समय बाद पूरी तरह से शांत हो जाते हैं।
    अब ऐसे में चीन कैसे किसी का हो सकता है।क्योंकि उसकी नाराजगी या छेड़खानी केवल पड़ोसी मुल्कों तक ही सीमित नहीं रहती बल्कि विश्व के ताक़त वर देशों तक को अपनी नकारात्मक या यों कहें कि एक शैतान बालक की शैतानियों जैसी हरकतों से परेशान करता रहता है।जो उसकी अभी की हालत है वो खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे वाली है।अतः जो चीन अपना ही नहीं है तो वो दुनिया में किसी का कैसे हो सकता है।
- नरेश सिंह नयाल
देहरादून - उत्तराखंड
जिस तरह से  चीन ने कोरो ना वायरस कोविड-19 के संक्रमण से पूरी दुनिया में वैश्विक महामारी फैला कर मौत के तांडव का खेल रचा है।  उसे देख कर क्या कोई अ ब भी  यह  कह सकता है कि चीन दुनिया में किसी का है  ? नहीं बिल्कुल नहीं दुनिया के सभी देश चाइना को पहचान ही नहीं गए उसकी इस करतूत पर सभी देशों ने इसे अलग-थलग कर दिया है।
चीन और किसी देश का क्या होगा । उसने तो अपने देश को भी नहीं छोड़ा  ।
कोरोना वायरस को लैब में बनाकर  ,एक्सपेरिमेंट कर   बीमारी छिपाई   त था अपने देशवासियों की डेड बॉडी भी खफा गया।
 चीन के लिए तो हिंदी कहावत सटीक बैठती है कि  -
 बाप बड़ा ना भैया 
                  सबसे बड़ा रुपैया । चीन वास्तव में दुनिया में किसी का भी नहीं है  ।पाकिस्तान को वह  भी एक मोहरे के तौर पर  इस्तेमाल  कर रहा है । उसे तो  पाकिस्तान की जमीन यूज करने के लिए चाहिए ,अगर चीन  पाकिस्तान का होता तो  चीन में किसी भी मुसलमान को नमाज पढ़ने पर पाबंदी नहीं लगाता । मस्जिद नहीं तुडबाता ,  बुर्का पहनने पर पाबंदी  न लगाता ।
   अब सभी देशों के रुख का अंदाजा चीन को हो गया है । बचने के लिए वह जरूर कोई नाटक करेगा परंतु विश्व को उसकी किसी बात पर विश्वास नहीं करना चाहिए।
जैसे चाइना के सामान की कोई गारंटी  की बात नहीं ,
 वैसे ही चाइना भी  विश्वास करने योग्य कोई जात नहीं ।
 परमाणु युद्ध की आहट ,
चीन की बड़ी घबराहट ।
पुतिन से विश्वासघात  ,
चीन  का बड़ा आघात ।
दोस्ती     में   आई     दरार ,
चीन और रूस में आर पार ।
 चीन  के  एटॉम बम   फर्जी,
     जिनपिंग की पुतिन को अर्जी।
अतः अब तक के चीन के रवैये  से बच्चा -बच्चा भी कह सकता है कि चीन वास्तव में दुनिया में किसी का भी नहीं है ।
- रंजना हरित 
  बिजनौर  -  उत्तर प्रदेश
चीन ने दुनियाँ से 75दिन तक कोरोना वायरस को छिपाये रखा l विश्व को कोरोना महामारी और मौत बाँटने का एक मात्र गुनहगार चीन है जिसने दुनियाँ में 21500लोगों के लिए मौत की सौगात दी है l यह वही चीन है जिससे 198 देश त्राहि त्राहि कर रहें है l आज के प्रश्न का जवाब यही है कि चीन दुनियाँ में किसी का सगा नहीं है l मुझे यह कहने में तनिक भी संकोच नहीं कि चीन की खुरा पातों से आज पूरी दुनियाँ आहत है l l ऐसे में आज वक़्त आ गया है कि चीन के नापाक इरादों को सभी शांति प्रिय राष्ट्र एकजुट होकर ध्वस्त कर दें l इसका शुभारम्भ भी हो चुका है l अमेरिका, ब्राजील, भारत, दक्षिण कोरिया आदि ने चीन की घेराबंदी कर दी है l ये  देशों ने मिलकर चीन के व्यापार को तबाह कर देंगे l जो हमारा नहीं, हम किसी के नहीं l लेकिन भारत शांति प्रिय देश है जो विश्वकल्याण की भावना से ओतप्रोत हैं l लेकिन L. A. C. लद्दाख तनाव पर चीन नहीं माना तो जवाब देना भारत की मजबूरी होगी l 
           चलते चलते --
 अगर घुसे दुश्मन घाटी में, 
नामों निशां मिटा देंगे l 
सुन दहाड़ हिल उठे धरातल 
ऐसा सबक सिखा देंगे l
धोका देकर, झूंठ बोल आहत है किया दुनियाँ को... 
आँख उठाकर जो भी देखे, 
  ऐसे अरि के सिर से l 
  भारत माँ, श्रंगार करेंगे 
   अरि मुण्डों से फिर से l 
  हम दीवाने रुक न पाये 
   ग्रहण लगायें उनको...
- डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
                 आज सारी दुनिया में यह बात  स्पष्ट हो चुकी है कि सिर्फ अपनी बादशाहत के लिए चीन ने  दुनिया को मौत के मुंह में ढकेल दिया है। चीनी वायरस कोविड 19  से दुनिया बेहाल है ।ऐसी विषम परिस्थितियों में चीन अपने सामरिक हित साधने में हर जगह लगा हुआ है। जल, थल, नभ तीनों स्थानों पर अतिक्रमण करने का उसका सिद्धांत बन चुका है ।विश्व स्वास्थ्य संगठन को अपनी पाली में रखकर तथा अपनी  सामरिक शक्ति के सहारे पूरी दुनिया में अपना प्रभाव कायम करना चाहता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन को  अपने पाले में करके चीन  अपनी कोरोना वायरस की करतूतों को दुनिया से छुपा कर इस मुद्दे पर दुनिया का ध्यान भटकाना चाहता है। अपनी सामरिक शक्ति के सहारे भी उसने अपनी साम्राज्यवादी नीतियों को आगे बढाया है।  अपनी आर्थिक व सामरिक शक्ति से छोटे  तथा गरीब देशों पर अपना दबदबा कायम रखा है।  एशियान के सभी 10 देश वर्तमान समय में  चीन के किसी भी कृत्य को खुलकर चुनौती देने की स्थिति में नहीं है। उन्हें किसी न किसी रूप में चीन की गलत नीतियों तथा धूर्तता पूर्ण              करतूतों का सामना करना पड़ता है।अमेरिका को छोड़कर दुनिया के सभी देश चीन के खिलाफ खुलकर बोलने से बच रहे हैं । उधर दक्षिण चीन सागर से लगने वाली सभी समुद्री सीमाओं का अनाधिकृत उल्लंघन चीन की रणनीति का एक हिस्सा बन चुका  है ।वर्तमान समय में वहाँ  समुद्री मार्ग से गुजरने बाले देश  चीन की गलत नीतियों व दादागीरी  के कारण बहुत सी परेशानियों का सामना कर रहे हैं। लेकिन उसकी आर्थिक व सामरिक  स्थिति के कारण विरोध नहीं कर पा रहे हैं ।  चीन की हरकतों ,उसकी कुटिल नीतियों के कारण यह कहा जा सकता है कि वास्तव में चीन दुनिया में किसी का नहीं है ।वह  जो कुछ भी कर रहा है अपनी साम्राज्यवादी नीतियों व सुपर पावर बनने की हसरत के लिए कर रहा है ।
- डॉ अरविंद श्रीवास्तव 'असीम' 
दतिया - मध्य प्रदेश
’हिंदी चीनी भाई भाई’ जो बाद में जाकर पीठ में खंजर भांेकने जैसा साबित हुआ।  भारतीय संस्कृति इस प्रकार की रही है कि वह हरेक से भाईचारा रखना चाहती है और यही अपेक्षा करती है।  पर चीन की यह संस्कृति नहीं है। अति महत्वाकांक्षी चीनी शासकों ने हमेशा ही यह सिद्ध किया है।  चीन का यही रवैया विश्व के अन्य देशों के साथ भी है। उसे अपनी शक्ति पर इतना अधिक विश्वास है कि वह विश्व की बड़ी से बड़ी शक्ति को चुनौती देने की हिमाकत कर बैठा है।  उसने बहुत चालाकी से उत्तरी कोरिया से अपने संबंधों को मजबूत करने की दिशा में कदम उठाये तथा पाकिस्तान, नेपाल, बांगलादेश और श्रीलंका को अपने पक्ष में करने के लिए अनेक कदम उठा चुका है।  इस समय भारत और चीन विश्व की दो उभरती शक्तियां हैं।  चीन भारत को पछाड़ना चाहता है।  वह अमेरिका से भी आगे निकलना चाहता है।  उसकी इसी महत्वाकांक्षा ने उसकी चालों को दुनिया के सामने लाकर रख दिया है।  बेशक चीन विज्ञान और तकनीकी में बहुत अधिक प्रगति कर चुका है और दुनिया को अपने उत्पादनों से हैरत में डाल चुका है पर इसके पीछे उसकी कातिल मंशा भी किसी से छुपी नहीं है। 20 अक्तूबर 1962 को जब चीनी नेता माओत्से तुंुग ने पंचशील विचारधारा को ध्वस्त करते हुए भारत पर आक्रमण किया तो उस समय भारतीय शासन भी भौंचक्का रह गया था।  इस एकतरफे हमले में चीन विजयी हुआ था और हिन्दी चीनी भाई भाई की आड़ में खंजर भोंका गया था। महत्वाकांक्षी चीन कभी किसी का नहीं हो सकता। यदि आज वह पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका या उत्तरी कोरिया से अपने अच्छे संबंध दिखा रहा है तो वक्त आने पर वह उनका कट्टर प्रतिद्वंद्वी भी बन सकता है।  चीन के वर्तमान शासन ने जिस तरह से विश्व स्वास्थ्य संगठन में अपने दबाव का उपयोग किया वह जग जाहिर है जिसके कारण अमेरिका को सख्त कदम उठाना पड़ा। ऐसी अनेक बातें हैं जिनके आधार पर कहा जा सकता है कि वास्तव में चीन दुनिया में किसी का नहीं है।  
- सुदर्शन खन्ना
 दिल्ली
चीन के राष्ट्रपति  जिनपिंग की कपटी चाल किसी को समझ में नहीं आयी  है, लेकिन यह उसका महज भ्रम है। पांच मई, 2020 को जब भारत समेत दुनिया के ज्यादातर देश कोरोना वायरस के संक्रमण की दहशत से भयभीत थे, उसी दौरान चीन की पीपुल्स आर्मी के 200 से ज्यादा जवान पूर्वी लद्दाख स्थित पैंगोंग झील के पास भारतीय सैनिकों के आमने सामने हो गए। शायद चीनी सैनिकों को यह लग रहा था कि भारतीय सैनिक उनके सामने आने पर हमें  इग्नोर करेंगे और  लड़ेंगे  नहीं। 
भारतीय सैनिकों ने न केवल चीन के सैनिकों के साथ बात की बल्कि उन्हें  पीछे हटने के लिए कहा। इस पर वे चीनी सैनिक हटे नही ,  पूरी रात दोनों ही देशों के सैनिक आमने-सामने रहे, पर चूंकि चीनी सैनिकों ने योजनाबद्ध ढंग से यह झड़प आयोजित की थी, इसलिए उन्होंने पीछे से अपनी सप्लाई लाइन बढ़ा दी। इसलिए सुबह होते होते चीन के सैनिकों की संख्या काफी ज्यादा हो गई।   भारत के सैनिक एक इंच भी हटे  नहीं ।
गलवान घाटी में 15 जून 2020 की रात चीन की सोची समझी साजिश के बाद चीन की सेना गलवान नदी के पास अपने केम्प बनाकर गलवान पर कब्जा  करना चाहती थी , चीनी सेना वहाँ से हठी नहीं । 15 जून2020 की  रात   घात लगाए चीनी सैनिकों ने भारत चीन समझौते का उल्लंघन कर बिना हथियार के निहत्थे भारतीय सैनिको पर वार कर 20  जवानों को मार गिराया ।
यह साजिश धोखेबाज चीन को भारत मिट्टी  में मिला देगा । 
यह सब चीन की विस्तारवादी चाल की साजिश यही बताती है ऐसे दानवों वाला चीन दुनिया में किसी भी देश का नहीं है । चीन से सारे देशों का भरोसा उठ गया है
।उसने दुनिया कोरोना जैसी महामारी से बर्बादी दी है ।
 - डॉ मंजु गुप्ता
 मुंबई - महाराष्ट्र
निश्चित ही चीन दुनिया मे किसी का नही है ,यह निहायत चाल बाज है । सारी दुनिया से जलता है ये ।नेपाल को बेबकूफ बनाकर भारत के  खिलाफ हथियार की तरह इस्तेमाल करना चाहता है । भारत व अमेरिका से विशेष नफरत करता है । 
धोखेवाली प्रवत्ति इसकी पहले भी थी सन 1962 मे धोखा ही दिया था इसने  हमारे भारत को।
 अमेरिकी  राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने  चीन के खिलाफ पहले ही  मोर्चा खोला है  वह कोरोना की वजह से चीन से  नाराज है और इसके खिलाफ घेराबंदी की तैयारी कर रहे हैं ।दुनिया के ज्यादातर देश चीन को कोरोना का दोषी करार दे रहे हैं। अमेरिका  सहित और भी कई  देश चीन को घेरने की तैयारी  मे लगे है । विश्व के 62  देश  चीन खिलाफ हैं और मोर्चाबन्दी की तैयारी कर  रहे हैं। जिसके बाद ड्रैगन की मुसीबतें बढ़ने वाली है ।कोरोनावायरस की  वजह से  दुनियां मे तीन लाख से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं, लिहाजा उससे भी चीन की जवाबदेही तय करने की मांग कर रहे हैं ।जिसके बाद चीन पर शिकंजा कसने की शुरुआत हो गई है ,और भारत के साथ तो इसने एक सोची समझी रणनीति के तहत, साजिश के तहत धोखा किया है ।और यह भारत के साथ हमेशा से ही धोखा करता रहा है। कोरोनावायरस अलग  फैला दिया। हमारे ही देश का पैसा खाकर हमारे ही देश को बर्बाद करने पर तुला हुआ है ।हमारे सैनिकों को धोखे से मार दिया । इसका सारा रोजगार भारत में फैला हुआ है, जिस वजह से यह सम्भ्रान्त बन गया है ,और धीरे-धीरे पूरे विश्व पर कब्जा करना चाह रहा है ।
अब भारत को चाहिए कि पूरे विश्व को एकजुट करें एवं चीन से अपने सारे हिसाब चुकता कर ले।यही ठीक समय है चीन को सबक सिखाने का । 
मैंने एक  वीररस की कविता  की रचना चीन की जबाबदेही हेतु की है एवं राष्ट्र शक्ति का आवाह्न किया है  इस कविता के जरिये।
,वीरों, का ले अरि से हिसाब
,वीरों ,का ले अरि से हिसाब।
चीनी शोणित से खेल फाग ।
ऐ !राष्ट्र शक्ति अब जाग  जाग ।
ऐ!शक्ति पुँज अब   जाग जाग । 
रणचण्डी  तेरे  खड़ी  द्वार ।
दे  रक्तपात करती  पुकार ।
सीने मे  उसके लगी  आग ।
उठ हो सशक्त भय रहा भाग ।
है बैरी का करना मद मर्दन ।
ये सर्प कुचलने लायक फन ।
अरि शोणित से कर अभिनन्दन ।
ये  मातृ  भूमि  का है  वन्दन ।
कर खड्ग ग्रहण तू लगा आग ।
अब बहुत हो गया त्याग त्याग ।
वीरों  का ले  अरि से  हिसाब ।
चीनी शोणित से खेल  फाग ।
ऐ !राष्ट्र शक्ति अब जाग जाग ।
ऐ! शक्ति पुँज अब जाग जाग ।
- सुषमा दीक्षित शुक्ला
 लखनऊ - उत्तर प्रदेश
वास्तव में चीन किसी का भी सगा नहीं है बहुत बड़ा धुर्त देश है।यह सदैव अपने मित्र देशों को आर्थिक सहायता देकर बाद में ब्लेकमैल करता है। आजकल जब आपस में अपने सगे भाइयों के बीच नहीं बनता चलता है यह तो एक सम्पूर्ण देश है।भाई जरा सा समझदार हुआ नहीं कि मौके पर चौका मारता है और अलग रहने लगता है। ठीक वैसे ही चीन भी है अभी यह नेपाल और पाकिस्तान को अपने पाले में कर रखा है तो ये दोनों देश उछल कुद रहें हैं कभी सीमा विवाद को लेकर तो कभी आतंकवाद को लेकर। लेकिन सच जो होता है वह एक न एक दिन जरूर सामने आता है। चाहे नेता हो आम आदमी हो अथवा कोई देश जब गलती होगा तो आज नहीं तो कल
पता चल ही जाएगा। और चीन इस समय कुछ ज्यादा ही उछल कुद रहा है। वक्त आ गया है समय नजदीक है शीघ्र ही बीमारी का शर्तिया ईलाज किया जाएगा।
- भुवनेश्वर चौरसिया "भुनेश"
गुड़गांव - हरियाणा
वास्तव  में  देखा  जाए  तो  चीन  आस्तीन  का  सांप  है  ये  न  तो  कभी  किसी  का  था  और  न  भविष्य  में  किसी  का  होगा  ।  क्योंकि  ये  विश्वास  योग्य  नहीं  है  । 
      अभी  का  ताज़ा  उदाहरण  है  उसके  द्वारा  कोरोना  महामारी  को  पूरे  विश्व  में  फैलाना  ।  अनाधिकृत  चेष्टा  कर  हमारी  सीमा  पर  आक्रमण  करना  । 
       अगर  ये  किसी  का  होता  तो  सबसे  पहले  मिलजुल  कर  महामारी  से  निपटने  में  सहयोग  करता  लेकिन  इस  विकट  घड़ी  में  भी  उसे  स्वार्थ  नज़र  आ  रहा  है  । 
       ये  दुनिया  में  सिर्फ  अपना  वर्चस्व  कायम  करना  चाहता  है  चाहे  रास्ता  गलत  ही  क्यों  न  हो  । 
        आपातकाल  में  ही  मित्र  और  शत्रु  की  पहचान  होती  है   और  अब  पूरा  विश्व  जान  गया  है  कि  चीन  न  तो  दोस्ती  के  काबिल  है  और  न  ही  दोस्ती  के  अतः  विश्व  के  सभी  देशों  को  एकजुट  होकर  इसका  फन  कुचल  डालना  चाहिए  ताकि  ये  कभी  मुंह  उठाने  के  काबिल  भी  न  रहे  । 
       - बसन्ती पंवार 
       जोधपुर  - राजस्थान 

" मेरी दृष्टि में " चीन पर कोई विश्वास नहीं करता है । उस का विवाद काफी देशों के साथ चल रहा है । बेईमान की दृष्टि दुनिया पर रखता है । क्षेत्र के विस्तार वादी नीति के लिए बदनाम है । यही स्थिति चीन की दुनिया के सामने है 
                                                      - बीजेन्द्र जैमिनी
सम्मान पत्र 



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