क्या चीन के नापाक इरादों का जबाब देने का वक्त आ गया है ?

चीन कभी भी विश्वास पात्र नहीं रहा हैं । अभी हाल में , जो कार्य किया है । उस का जबाब भारत देगा । यह दुनियां भी जानती है । फिर भी चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आता है । यही " आज की चर्चा " प्रमुख विषय है । आये विचारों को भी देखते हैं : -
           चीन की छवि वर्तमान समय में एक धूर्त व मक्कार  राष्ट्र के रूप में पूरी दुनिया में फैली हुई है ।कोरोना संक्रमण के कारण चीन के खतरनाक इरादे दुनिया के सामने पूरी तरह से व्यक्त हो चुके हैं और सभी राष्ट्र लगभग यह तय कर चुके है कि चीन की भूमिका सारी दुनिया के लिए बहुत  खतरनाक है ।चीन अपनी चालबाजी व धूर्तता भरे इरादों से हर उन छोटे और  गरीब राष्ट्रों को अपने जाल में फंसाने में  लगा रहता है जो उससे कर्ज लेते हैं और उसके जाल में फंस जाते हैं।
               भारत के साथ भी चीन का टकराव आज से नहीं बल्कि 1959 से  तिब्बती विद्रोह के बाद शुरू हुआ  जब भारत ने दलाई लामा को शरण दी थी। सीमा पर हिंसक घटनाएं  हुई थी। उसके ठीक 3 वर्ष बाद सन्  1962 में फिर से सीमा विवाद एवं अन्य मुद्दों के कारण चीन के साथ हिंसक टकराव प्रारंभ हुआ था ।दोनों बार भारत के साथ चीन ने विश्वासघात किया था। भारत की नीति सदैव एक शांतिप्रिय राष्ट्र और दूसरे देशों की मदद करने वाले राष्ट्र के रूप में रही है ।इसके विपरीत चीन की छवि एक धूर्त और मक्कार राष्ट्र के रूप में रही है ।एक ओर वह भारत में व्यापार बढा कर इस देश से लाभ लेता है वहीं दूसरी ओर  हमारे दुश्मन देश पाकिस्तान की मदद करने  में, आतंकियों के बचाव करने में उसकी हरकतें   सामने आती रहती है। भारत जब आतंकवादियों के खिलाफ यूएनओ में अपनी बात रखता है तो वह हमारे  विरोध में खड़ा हो जाता है। इन सारी चीजों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि आज हम 1962 या 1959 की स्थिति में नहीं हैं हम दुनिया के एक बहुत ताकतवर राष्ट्र हैं  और ऐसी स्थिति में चीन के नापाक इरादों का जवाब देने में सक्षम हैं । यह वक्त  ना सिर्फ सैन्य रूप में बल्कि आर्थिक रुप में भी जबाब देने का  आ चुका है ।सबसे पहले हमें चीनी वस्तुओं को खरीदना ही बंद कर देना चाहिए इससे उसकी आर्थिक  हालत बिगड़ेगी और जो लाभ वह हमारे देश से लेता है; वह बंद हो जाएगा। इसके अलावा ताकत के बल पर भी हम उसे मुंहतोड़ जबाब  देने  में सक्षम हैं और वर्तमान समय में हमें उस के नापाक इरादों का जवाब देना चाहिए। 
 - डॉ अरविंद श्रीवास्तव 'असीम'
 दतिया - मध्य प्रदेश
क्या चीन के नकाब इरादों का जवाब देने का वक्त आ गया है?
 जी हां प्रकृति का नियम है , हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है।
 आज चेन्नई जो भारत के साथ व्यवहार किया है उस व्यवहार के बदले में उसे वैसा ही व्यवहार मिलना चाहिए अर्थात उसके कर्मों के अनुसार उसको प्रतिफल देना चाहिए। भारत को जवाब देने का वक्त आ गया है चीन जैसे गद्दार और मक्कार देश दूसरे देश का शोषण करके कभी नहीं विकास कर सकते चीन को अहंकार हो गया है अहंकार टूटता है विश्वास जुड़ता है हमारा भारत देश की संस्कृति है कि वह हर देश के साथ विश्वास और सम्मान के साथ जी पाए लेकिन चीन ऐसा गद्दार देश है जो भौतिक संसाधन की  प्रलोभन के चलते अपने वर्चस्व को गलत कार्य में लगा रहा है उसके पास आत्मज्ञान की कमी है उसे सिर्फ भौतिक वस्तु भी  सुझती है। भौतिक वस्तु के पीछे पूरी दुनिया में समस्या बढ़ा दी है वर्तमान में कोरोनावायरस फैलाकर अपने को दोषी दार बना लिया है जो देश दूसरे की सुख अमन चैन को स्वीकार नहीं कर पाता है और उसे बर्बाद करने पर तुला रहता है वह देश एक जन्म तो क्या सात जन्मों से सुखी नहीं रह  पाएगा।
 इनके साथ हमारा संबंध एक मानवतावादी संबंध था लेकिन उन्होंने हमारे भारत को अपने से कमजोर समझता है हमें लोगों ने उस सीन को विकसित करने में सहयोगी बनते हैं क्योंकि चीन का समान है हम भारतवासी खरीदते हैं हम यह नहीं समझ पाते हैं कि जिस  चीन का हम विकास कर रहे हैं वहीं चीन हमारा विकास में बाधा डालेगा। एक कहावत है "जो करे  धर्म उसका पटता है करम।" यही लोकोक्ति हमारे भारत के लिए ठीक बैठ रहा है अतः हमारे भारत को उस झूठे देश की विकास में नहीं बल्कि अपने देश के विकास के लिए कार्य करना है यह कार्य सरकार नहीं जनता कर सकती है अतः सभी जनता को सचेत हो जाना चाहिए कि हम अपने ही देश के विकास के लिए अपना ही स्वदेशी माल खरीदें विपत्ति के समय अपना ही देश काम आता है कोई दूसरा देश काम नहीं आता अतः हम अपने ही देश के विकास के लिए अपना मन तन धन को लगाकर हमारी भारत का वैभव बनाने में हम भागीदारी करें।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
जब-जब पाप का घड़ा भरा है तब तब श्रीकृष्ण ने सुदर्शन चक्र चलाया है।  शिशुपाल श्रीकृष्ण की बुआ का पुत्र था। शिशुपाल बहुत ही उद्दण्ड था और अनर्गल वार्तालाप करना व गालियां देना उसके चरित्र में शामिल था।  एक कथा के अनुसार शिशुपाल का वध श्रीकृष्ण द्वारा करना लिखा था। तब परेशान होकर भगवान श्री कृष्ण की बुआ ने उनसे वचन लिया कि वे शिशुपाल का वध नहीं करेंगे. पर शिशुपाल वध तो विधान द्वारा पूर्व निश्चित था। अतः ऐसा करने से श्रीकृष्ण मना तो नहीं कर सकते थे, परन्तु वे अपनी बुआ को भी दुखी भी नहीं करना चाहते थे, अतः उन्होंने वचन दिया कि वे शिशुपाल की सौ गालियां क्षमा कर देंगे, परन्तु 101वीं गाली पर वे उसे क्षमा नहीं करेंगे। काल चक्र चलता रहा और महाभारत काल में जब कुरु कुल में कौरवों और पांडवों के बीच महाराज पांडू के ज्येष्ठ पुत्र युधिष्ठिर को युवराज घोषित करने का निर्णय लिया गया, तो इस शुभ प्रसंग के लिए राजसूय यज्ञ आयोजित करने का निर्णय लिया गया. इस हेतु सभी रिश्तेदारों, राजाओं के साथ-साथ वासुदेव श्रीकृष्ण को भी आमंत्रित किया गया क्यांेकि महारानी कुंती उनकी बुआ थी तथा शिशुपाल भी इस यज्ञ में शामिल हुआ। शिशुपाल कौरवों एवं पांडवांे का भी भाई था। इस तरह एक बार फिर भगवान श्री कृष्ण और शिशुपाल का आमना-सामना हुआ। शिशुपाल भगवान श्रीकृष्ण से अत्यधिक रुष्ट था, जिसका कारण था भगवान श्रीकृष्ण का राजकुमारी रुक्मणी के साथ विवाह। शिशुपाल ने इसे भगवान श्री कृष्ण द्वारा किया गया अपना अपमान समझा और भगवान श्री कृष्ण को अपना भाई न समझ कर शत्रु मान बैठा। महाभारत में राजकुमार युधिष्ठिर के युवराज्याभिषेक के समय शिशुपाल से भगवान श्री कृष्ण का सम्मान देखा न गया और क्रोध से उसने भगवान श्री कृष्ण को अपमानित करना प्रारंभ कर दिया। शिशुपाल भगवान श्री  कृष्ण को अपशब्द कहे जा रहा था, उनका अपमान किये जा रहा था, परन्तु भगवान श्री कृष्ण उनकी बुआ एवं शिशुपाल की माता को दिए वचन के कारण बंधे थे, अतः वे अपमान सह रहे थे और जैसे ही शिशुपाल ने सौ अपशब्द पूर्ण किये और 101वां अपशब्द कहा, भगवान श्री कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र का आह्वान किया और शिशुपाल का वध कर दिया. इस प्रकार भगवान श्री कृष्ण ने शिशुपाल का वध किया।  चीन भी इसी प्रकार नापाक हरकतें कर रहा है और अब चीन पर सुदर्शन चक्र से प्रहार कर चीन के नापाक इरादों का जवाब देने का वक्त आ गया है 
 - सुदर्शन खन्ना 
दिल्ली
तिरंगे में लिपटी शहादत को यूं ही नजरअंदाज नहीं किया जा सकता ।शहीदों की आत्मा हम लोगों का नमन तभी स्वीकार करेगी   जब उनकी पवित्र शहादत का बदला ले लिया जाए।
 वाकई चीन के नापाक इरादों को जवाब देने का वक्त आ गया है चीन  की नापाक  घिनौनी धोखेबाजी हालिया घटना से जाहिर हो चुकी है, जिससे हम सभी भारतीयों के दिलों में आग धधक रही है ।
एल,ए,सी पर 21 भारतीय जवानों की शहादत से पूरा देश गहरे सदमे में है ।भारतीय लोग अत्यंत दुखी हैं ।मैं समझती हूं मोमबत्तियां जलाकर वीरों के बलिदान को नमन करने से क्या होगा, क्या वह ये नमन यूं ही स्वीकार कर लेगें उन्होंने हम लोगों के लिए अपनी जान दे दी । जब तक कि उनकी शहादत का बदला ना लिया जाए  श्रद्धांजलि अधूरी है ।
हां गुस्से में चीन के सामान का जो सामूहिक बहिष्कार सड़कों पर होली जलाकर किया जा रहा है यह सर्वथा उचित है ।आखिर चीन की धोखेबाजी को क्यों बर्दाश्त किया जाए ।अब आर-पार की लड़ाई का वक्त आ गया। हम भारतवासी आदिकाल से ही, पहले किसी शत्रु राज्य पर आक्रमण नहीं करते हैं ,यही हम भारतीयों का प्राचीन काल से इतिहास रहा है ।मगर शुरुआत शत्रु पक्ष से हो गई है तो उसका मुंहतोड़ जवाब देते हैं, यही हमारे भारत की परंपरा रही है ।
अब इस लड़ाई का भी खात्मा भारत को ही करना होगा। अब बर्दाश्त नहीं करना है ।बहुत हो गया हमारे वीर जवान हम सब के बेटे थे, भाई थे। उनकी मौत को यूं ही व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए।
 हमारे देश से पैसे कमाकर चीन हम लोगों के लिए ही हथियार बनाता रहा है ।अब चीनी सामान का बहिष्कार कर उनकी अर्थव्यवस्था को धूल चटा देना है।
 सीमा पर खड़े हमारे सैनिक हमारा नेतृत्व कर रहे हैं ,रक्षा कर रहे हैं ।अब सभी देशवासी उनके साथ हैं  वह वहां अकेले नहीं है । अगर जरूरत पड़ी तो देश का हर नागरिक युद्ध में उतरने को तैयार रहेगा ।हम लोग तो धन से, तन से, शस्त्रों से और मनोबल से हर तरह से ही अब सक्षम हैं ।किसी अन्य राष्ट्र की सहायता की भी जरूरत नहीं ।वैसे तो चीन से किया गया  कोरोना अटैक  भी इसकी  ही   एक नापाक हरकत   थी, जिससे ये पहले ही पूरे विश्व की नजर से गिर हुआ है और जिसके  कारण पूरे विश्व की नफरत का शिकार है एवं अलग-थलग पड़ा है ।भारत के साथ  अन्य कई देश कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं ,अमेरिका, जापान ,ताइवान आदि ।
 चीन का  तो इतिहास ही धोखे का है ,इसने 1962 में हिंदी चीनी भाई-भाई का नारा लगाकर धोखे से भारत पर आक्रमण किया था। लेकिन नतीजा क्या हुआ ,इसको पराजय का मुंह देखना पड़ा । अब चीन को गोली की बोली में जवाब देना चाहिए इसके लिए हम सभी भारतीय तैयार हैं ।
- सुषमा दिक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
हां चीन के नापाक इरादों को अब सबक सिखाने का वक्त आ गया है हमारे देश की सीमा में वह हमेशा घुस आता है और हमारी सीमाओं को अपना बताता है , इसी तरह उसने तिब्बत पर कब्जा कर लिया था। सिक्किम में और नॉर्थ ईस्ट में भी व जब देखो जब कब्जा करता रहता है पाकिस्तान की मदद से उसने अंडमान निकोबार आइलैंड के उधर भी द्वीप को भी खरीद लिया है वह भारत में जब देखो जब अपने सैनिकों को भेजता रहता है। अभी 15 तारीख को भी उसने ले में सैनिकों को मारा और जबरन घाटी में कब्जा कर लिया वह जब देखो जब लड़ाई करता रहता है महामारी इतनी परी पूरे विश्व में भेजकर भी उसको अक्ल नहीं आई वह झगड़ा करने के लिए जब देखो जब उतारू रहता है सहने की भी एक सीमा होती है। उसको सबक सिखाना चाहिए।सरकार कार्यवाही करें जो कुछ भी करें पर हम सभी नागरिकों को चाहिए कि चीनी सामान और अपने मोबाइल जिनी जिनी एप को निकाल देना चाहिए चीन के सामान की वजह से उसका विकास में हमें सहायक होते हैं उसका कोई सामान हमें नहीं खरीदना चाहिए स्वदेशी सामान खरीदना चाहिए उसके व्यापार को यदि हमें बंद कर देंगे सामान हम लोग नहीं खरीदेंगे तो वह अपने आप ही तबाह हो जाएगा पूरे विश्व में को तो हम नहीं मना सकते कि उसका सामान ना खरीदें या व्यापार ना करें पर हम सभी भारतवासियों को चाहिए कि स्वदेशी सामानों को बढ़ावा दें और अपने देश के किसान उद्योगपति मजदूरों आदि व्यक्तियों की मदद करें इससे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे और हमारी आर्थिक अर्थव्यवस्था भी सुधरेगी।
एक बार पुनः आप सभी से यह कहना चाहती हूं कि स्वदेशी सामान खरीदें अपनाएं *स्वस्थ रहें मस्त रहें।*
- प्रीति मिश्रा 
जबलपुर - मध्य प्रदेश
 वैश्विक महामारी के इस दौर में जब पूरी दुनिया कोरोनावायरस  से लड़ रही है तब चीन और पाकिस्तान भारत की सरहदों पर अपने नापाक नाकाम कोशिशें  कर  रहे हैं| यह दोनों दुश्मन एक तरह की रणनीति अपनाकर भारत को घेर लेना चाहते हैं| इनके अच्छे होने की उम्मीद तो कतई नहीं की जा सकती |सच तो यह है कि यह किसी न किसी तरह भारत को   हानि पहुंचाना चाहते हैं|
 दोनों देशों की सीमा पर चीन ने घुसपैठ करने की कोशिश की  और दोनों ओर के सैनिकों के बीच मुठभेड़ हुई| अब यह टकराव बहुत गंभीर रूप ले चुका है| होना भी चाहिए |पूरा  राष्ट्र बहुत गुस्से में है और चाहता है कि चीन को इस टकराव का उत्तर  शीघ्रतातिशीघ्र  मिले| इस संदर्भ में पूरा राष्ट्र एक है और सबके मन में एक ही प्रश्न है कि चीन को किस प्रकार उत्तर दिया जाए|
 भारत डोकलाम सीमा विवाद के बाद हुई उसकी हरकतों पर तनिक भी भरोसा नहीं कर  सकता|  भारत के मैत्री पूर्ण व्यवहार  को चीन भारत की कमजोरी समझता है|भारत ने सदा सबके साथ मैत्रीपूर्ण रवैया ही अपनाया है  |वैसे तो  डोकलाम में उसे भारत की शक्ति का परिचय मिल गया था|
 आज की स्थिति का अवलोकन किया जाए तो दुनिया को कोरोनावायरस देने वाला चीन समस्त मानव जाति के लिए कलंकित हो चुका है| कहना पड़ेगा कि भारत को ऐसे पड़ोसी देश मिले जिन्होंने भारत को कभी चैन से बैठने नहीं दिया |अब अगर व्यापारिक दृष्टि से देखा जाए  तो भारत और चीन के बीच लगभग 100 अरब रुपए का सालाना व्यापारिक संबंध है| लेकिन अब भारत को चाहिए उसकी औकात अच्छी तरह से बता दे हालांकि वह जानता है कि वह भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक हिस्सेदार है |बेशक इससे भारत को भी हानि हो सकती है| देखा जाए तो चीन लाभ की स्थिति में है फिर भी वह भारत के प्रति कतई कृतज्ञ नहीं |भारत को चाहिए कि चीन से आने वाले  सामान पर कटौती करें| चोर बाजारी से आ रहे चीन के सामान को पूरी तरह बंद कर दे |तांकि  वह आर्थिक रूप से कमजोर पड़ जाए|
 इसका एक और पहलू भी है कि भारत को भी चीन पर अपनी निर्भरता कम करनी होगी भारत को भी बड़ी कंपनियों को अपने यहां निवेश करने के लिए निमंत्रण देना होगा| कहने का अभिप्राय यह कि चीन पर हर तरफ से  आक्रमण करना होगा |  एक तो चीन से आयात तीव्रता से कम कर दिया जाए |दूसरा जो कंपनियां चीन से अपना निवेश बाहर लेकर जा रही हैं उन्हें भारत में बुलाया जाए |
 सुपर पावर बनने का स्वप्न देखने वाला चीन  वास्तव में बहुत कमजोर है| कोरोना के कारण वह दुनिया से कट गया है| इसलिए वह युद्ध का खतरा नहीं उठा सकता| अगर चीन की सेना की बात करें तो भीतर से वह भी कमजोर है| वैसे तो चीन की सेना संख्या के हिसाब से सबसे बड़ी सेना है लेकिन चीनी सेना से जुड़ी एक रिपोर्ट से पता चला है कि उसके 20% सैनिक युद्ध के लिए बिल्कुल फिट नहीं है|
भारत को चाहिए अन्य देशों के साथ मिलकर चीन को सुरक्षा परिषद से बाहर करने का प्रयास करें|
 चीन के संबंध अमेरिका के साथ भी  खराब हो चुके हैं| इसलिए भी चीन बुरी तरह से बौखला गया है| चीन के धोखे का जवाब तो दे ही दिया गया था| लेकिन यह तय है कि भारत की सरकार चुप बैठने वाली नहीं है भारत ने तो साफ तौर पर यह कह दिया है कि वह कभी युद्ध की पहल नहीं करेगा |लेकिन इनके द्वारा दिए गए धोखे को भी सहन नहीं करेगा|
 पीएम मोदी जी ने कहा है कि चीनी सेना के साथ हुई झड़प में शहीद हुए सैनिकों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा| उन्होंने आगे कहा  कि भारत की अखंडता सर्वोच्च है इसकी रक्षा हर कीमत पर की जाएगी शांति को लेकर मोदी जी ने फिर कहा कि भारत शांति चाहता है लेकिन उसे उकसाया जाने पर हर हाल में यथोचित उत्तर देने के लिए सक्षम भी है|
 चीन की इस हरकत पर भारत ने साफ-साफ कह दिया है कि इस बार चीन को करारा जवाब दिया जाएगा सभी देश चीन से  क्षुब्ध हैं | चीन को यह बताने का वक्त आ गया है  कि यह1962 वाला भारत नहीं है  इस बार सीमा सीमा पर भारतीय सेना चीBनी सेना को करारा जवाब देगी ही लेकिन साथ ही सागर से लेकर आकाश तक चीन को अच्छा सबक सिखाएगी|
- चन्द्रकान्ता अग्निहोत्री
पंचकूला - हरियाणा
चीन की बढ़ती हिमाकते देखते हुए ये साफ है कि अब चीन को मुंहतोड़ जवाब देने का वक़्त आ गया है पर ये ओर भी चिंतन ओर मनन का समय है कि चीन को माकूल जवाब तो दिया जाए परंतु किस तरह ? दरसल किसी भी देश का युद्ध मे उतर जाना ही कोई समझदारी की बात नही होती । क्योंकि एक युद्ध का मतलब उस देश का सैकड़ो साल पीछे पहुंच जाना होता है । देश मे महंगाई अपने चरम पर होती है और देश मे भुखमरी व्याप्त हो जाती है । लाखो जाने जाती है सौ अलग । शायद यही वजह है कि अभी तक बार बार दोनो देशो की सेनाओं के कमांडरो की लगातार मीटिंग चल रही है ।
वहीं किसी भी देश को बिना युद्ध के ओर तरीको से भी परास्त किया जा सकता है , जैसे उनसे आने वाली चीजो पर  शुल्क बढ़कर अथवा उक्त देश के सामानो का बहिष्कार कर भी उन्हें तगड़ा झटका दिया जा सकता है ।
परंतु यधपि इन सब चीजो के बाद भी यदि चीन हमारे सैनिकों की पीठ पर वार करता नजर आता है , फिर तो उसका एक मात्र यही इलाज है कि चीन को उसी की भाषा मे जवाब दिया जाए ताकि उसकी अकल ठिकाने आ सके । वैश्विक महामारी बने कोरोना पर चारो तरफ से घिरा चीन युद्ध की कल्पना भी कैसे कर सकता है ये सोचनीय है , ये केवल ओर केवल चीन की घबराहट है । परंतु जो भी हो अब ऐसी हिमाकत भारत बर्दाश्त नही करेगा ये तो साफ है । जिसके लिए भारतीय फौज और भारतीय सरकार मजबूती के साथ खड़े नजर आ रहे है । वहीं भारत की जनता का चाइनीज सामानों का बहिष्कार व चाइनीज ऐप्स का बहिष्कार भी अहम योगदान देता साबित हो रहा है , जो भारतीय जवानों व सरकार को चीन के खीलाफ एकजुटता का संदेश देता नजर आता है । इस मुद्दे पर विपक्ष को भी अहम भूमिका में नजर आना चाहिए , जिन्हें सरकार को सवालो से घेरने के बजाय उनके कंधे से कंधा मिलाना चाहिए । ताकि विश्व ये याद रख सके और भारत का उदाहरण दे सके कि देश की आन बान ओर शान पर जब भी कोई बात आये तो भारत मे राजनीति नही बल्कि राष्ट्रनीति अपनाई जाती है ।
- परीक्षीत गुप्ता
बिजनौर - उत्तरप्रदेश
"हिन्दी-चीनी, भाई-भाई" आश्चर्य! कि इस वाक्य की रचना क्यों हुई होगी? धिक्कार है! इस वाक्य पर क्योंकि इसकी रचना से पहले से ही चीन की नीचता को भारत अच्छी तरह से पहचानता था। दूसरी बात जिस चीन में लोकतांत्रिक मूल्यों की परवाह न की जाती हो उससे क्या मानवीय मूल्यों की अपेक्षा की जा सकती है? 
भारत वह देश है जहां की मिट्टी में लोकतांत्रिक और मानवीय मूल्यों के संस्कार रचे-बसे है, इसीलिए हम चीन जैसे नीच देश से भी सम्बन्ध बनाये रखते हैं। जबकि चीन द्वारा विश्व पटल पर निरन्तर भारत को कमजोर करने के प्रयास, 1962 का युद्ध, माओवादी को सहयोग और समर्थन, आतंकवाद की जड़ पाकिस्तान को शह देना, उत्तर कोरिया जैसे तानाशाही देश से दोस्ती, कोरोना की आग में पूरे विश्व को झोंक देना जैसे अनेकों अपराधिक कार्य चीन की निकृष्ट मानसिकता को समझने के लिए पर्याप्त हैं।
और अब गलवान घाटी में चीन द्वारा एक सुनियोजित कायरतापूर्ण कृत्य कर हमारे वीर सैनिकों की शहादत के उपरान्त यह आवश्यक हो गया है कि अब चीन के नापाक इरादों का जवाब देने का वक्त आ गया है। मैं समझता हूं कि विश्व में भारत की निरन्तर सशक्त होती स्थिति से इस समय चीन भारत को कमजोर करने के लिए नीचता की हद तक जा सकता है और जब दुश्मन चीन जैसा कुटिल हो तो केवल प्रत्युत्तर नहीं, पहले वार करना ही आवश्यक कदम है। यह निश्चित है कि यदि हम अपने नम्र स्वभाव के कारण आंख मूंदकर बैठे रहे तो ड्रैगन भारतीय बाघ को निगल जायेगा। इसलिए भारत सरकार और सेना को अपनी शक्तियों के प्रयोग से और भारतीय जनता को चीनी सामानों का बहिष्कार कर चीन को माकूल जवाब देकर चीन को उसकी औकात बताने का समय आ गया है। 
- सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग'
देहरादून - उत्तराखण्ड
चीन महत्वकांक्षी और अविश्वसनीय देश है ,जब -जब भारत की तरफ से उसे मीठी बोली मिली जबाब में उसने गोली दी ।दूसरे देश की जमीन को हड़पने की कोशिश करना उसकी फितरत है ।लद्दाख में गलवन घाटी का खूनी संघर्ष इस बात का प्रमाण है ।लेकिन भारत की एक इंच धरती भी वह नहीं ले सकता ।हमारी सेनायें युद्ध के लिए तैयार हैं । अब वक्त आ गया है कि हम हर मोर्चे पर चीनियों का वहिष्कार करें ।उसकी विस्तारवादी नीति को दुनिया के सामने बेनकाब करें    । चीन को अपनी सैन्य ताकत पर जो घमंड है उसे तोड़ने  के लिए पूरा देश तैयार है ।विश्व  को कोरोना जैसी बिमारी देकर वह दुनिया पर राज करने के सपने देख रहा है अब बहुत सह लिया ,समय है  भारत भी उसके नापाक इरादों का जबाब दे , भय के बिना प्रीत नही होती ।
- कमला अग्रवाल
गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश
     भारतीय सीमा नियंत्रण चीनी घुसपैठ पूर्व से ही चला आ रहा हैं। 1962 की लड़ाई, फिर समझोता वादी  नियति के तहत 58 वर्ष का लम्बा सफर में भी कितने उतार-चढ़ाव   देखने को मिले। अगर उसी समय तटस्थ रुप से कार्यवाहियॉ की जाती तो, स्थितियां और कुछ होती। असल में हमारे द्वारा ही वस्तुओं की खरीददारी जरुरत से ज्यादा की जाने लगी थी, जिसके परिपेक्ष्य में निरंतर अर्थव्यवस्था में शक्तिशाली होते जा रहा था, साथ ही सैन व्यवस्था में भी? जिसके परिवेश में हम निश्चित थे, किसी भी तरह की युद्ध नीतियों का सामना नहीं करना पड़ेगा। हमारा ध्यान मात्र  पाकिस्तानी, कश्मीरी समस्या की ओर ही केन्द्रित था। यह तो अच्छा हुआ, स्थितियां शीघ्र नियंत्रित हो गई और भारत सभी वस्तुओं का निर्यात करने लगा, अर्थव्यवस्था तथा सैन व्यवस्था में मजबूती के साथ उभरकर सामने आया। दूसरी ओर चीन गुप्त ढ़ंग से कोरोना महामारी के माध्यम से अहसास जनों को नष्ट करने के फिराक में था, बिना सैनिकों से ही भारत पर कब्जा करने वाला था। यह तो अच्छा हुआ कोरोना महामारी के समय पूर्व तटस्थ रुप हर मुसीबत का सामना करते हुए, काफ़ी हद तक परिस्थितियों को नियंत्रित करने में सफलता की ओर अग्रसर हैं। इन सब से बौखलाकर चीन ने युद्ध नीतियों को अपनाया और चुपचाप ढ़ंग से अपनी तैयारियां शुरू कर दी। चीन को सोचना चाहिए था, कि वर्तमान परिदृष्य में विश्व कोरोना महामारी के विनाशकारी संकटों से गुजर रहा हैं। अगर सभी राष्ट्रों का ध्यान कोरोना महामारी बीमारियों की दवाईयों की ओर ध्यानाकर्षण होता तो एकता का सुखद संदेश जाता, इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों नाम अंकित होता। किन्तु ऐसा कुछ नहीं हुआ और सैनिक छावनी बन चुकी, जिसके तहत असहाय सैनिकों के प्राण निछावर हो गये। अभी तो शुरुवात हुई हैं। पूर्व में अमेरिका ने दोनों पक्षों की समझौता वादी नीति अपनाया, किंतु चीन ने तीसरे का हस्तक्षेप स्वीकार नहीं किया, इधर चीन ने युद्ध नहीं होगा, आश्वस्त किया और दोहरी मानसिकता की नीति अपनाते हुए, जो कार्यवाही की हैं, सभी ने भर्त्सना की हैं। अब समय आ गया हैं, तटस्थ रुप से एक पक्षीय कार्यवाही करने का ताकि दुबारा चीन सोचने पर मजबूर हो जायें। चीनी-हिन्दी भाई-भाई का यह नारा, अब नारा नहीं रहा, एक नारा ही रह गया। अब ऐसा होना चाहिए, चीन हमारी समस्या नहीं, भारत चीन की समस्या हैं। समय आ चुका हैं  एकता का संदेश देने का?
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर'
बालाघाट - मध्यप्रदेश
चीन की चाल बाजिया मनगढ़ंत आरोप लगाना और बदनीयति किसी से छिपी नहीं है यह उसका पुराना काम है पड़ोसी क्षेत्रों पर अपना अधिकार जताने की खराब नियत उसकी शुरू से रही कोरोना ने उसकी पोल दुनिया के सामने खोल कर रख दी है भारत के साथ सीमा पर होने वाला विवाद इसकी ताजा कड़ी है परंतु चीन भूल रहा है कि वर्तमान भारत पहले जैसा भरत नहीं है और यह है कि यदि वह नहीं माना तो उसे इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी अब समय आ गया है कि उसे उसी की भाषा में न केवल सरहद पर बल्कि भारत की जनता को उसके उत्पादों का बहिष्कार करते हुए जवाब देना चाहिए वह आर्थिक रूप से अपने आप को बहुत सफल मान रहा है और इसी कारण उसका अहम बहुत बढ़ गया है तथा कारण ही युद्ध करने पर उतारू है उसकी इस खराब मानसिकता का जवाब भारत को अब उसी की भाषा में देना होगा.            - प्रमोद कुमार प्रेम 
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
आत्मनिर्भरता के लिए चीन की यह हरकत आग में घी का काम कर रही है। देश को मजबूती दे रही है। आज कई दशकों से चीन ने जो चक्रव्यूह रचाया था उसका इरादा अब पूरी दुनिया के सामने साफ हो गया है।
अफसोस है कि हमारे जवानों को इस चक्रव्यूह में फंस कर अपनी शहादत देनी पड़ी। अब और नहीं, जब हमारे जवान मरेंगे तो अपनी जमीन पर झंडा गाड़ कर हीं हटेंगे। सारा देश चीन के विरोध में उठ खड़ा है। आज इनसाफ़ करने का वक्त आ गया है।
 भारत की बार-बार दी गई चेतावनी को अनसुना करने की उसकी हिम्मत ही खतरे की घंटी थी। भारत ने बात-चीत के लिए पहल की थी , लेकिन इस दौर में वह हमारी जमीन से एक इञ्च भी पीछे नहीं हटा । कहा भी गया है - "विनाश काले विपरीत बुद्धि"।
इस कोरोना काल में एक साथ बैठ कर उसका समाधान नहीं खोज कर यह जंग के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। अपने को शक्तिशाली समझने की गलती कर रहा है। अमेरिका के दवाब को कम करने की कोशिश कर रहा है। 
 कोरोना के लिए अमेरिकी सरकार उसे अपने घेरे में ले रही है। विश्व बाजार में उसकी पकड़ ढीली पड़ चुकी है। अपनी गिरती शाख से वह तिलमिला रहा है। इसलिए उसने भारत को ललकार कर पहली गलती कर दी है। इसी जगह पर इसे रोकना अत्यावश्यक है। सीमा रेखा से बाहर निकाल कर ही दम लेना है। समूचा भारत उबल रहा है। सच्चाइयों को सबने स्वीकारा है। सस्ती चीजें बेच कर हमारा पैसा ले जा रहा था और उसी से हथियार जमा किया । सभी की आँखें खुल चुकी हैं। अब सामना करना होगा और अपनी ताकत दिखानी होगी।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
बीस भारतीय जवानों की शहादत को बेकार नहीं जाने।देंगे , हमें चीन को सबक सिखाना होगा , बुधवार को लोग एक ओर जहां गम में डूबे रहे वहीं दूसरी ओर सभी के दिलों में चीन के खिलाफ आग धधकती रही। मोमबत्तियां जलाकर लोगों ने वीर जवानों की शहादत को सलाम किया। चीनी सामान की होली जलाकर चीन के खिलाफ अपने गुस्से का इजहार किया। हर किसी की जुबां पर केवल एक ही बात थी कि भारत अब देर न करे, बल्कि चीन पर हमला बोले। वक्त आर-पार की लड़ाई का आ गया है। शुरुआत चीन की ओर से हुई है, जबकि अब इस लड़ाई का खात्मा भारत को करना चाहिए।
आखिर कब तक हम चीन की नापाक हरकतों को बर्दाश्त करते आएंगे। एक न एक दिन तो हमें आरपार की लड़ाई लड़नी होगी, फिर अभी क्यों नहीं? जी हां, चीन पर हमला बोलने का यही सबसे सटीक समय है। वीर जवानों की मौत का हमें तत्काल बदला लेना चाहिए। 
हमारे ही पैसों का चीन हमारे खिलाफ ही इस्तेमाल कर रहा है। हमें चीनी सामान का बहिष्कार करना ही होगा उसकी अर्थव्यवस्था की रीढ़ तोड़नी होगी। धोखेबाज मक्कार , अपने आप पटरी पर आ जाएगा। सीमा पर सेना अकेले नहीं है, उसके पीछे पूरा देश खड़ा हुआ है। भारत थी जनता खडी है ! ।
भारतीय जवानों की शहादत से देश के हर नागरिक को खून खौल रहा है। सभी चाहते हैं कि चीन को करारा जवाब दिया जाए। सरकार को देर नहीं करनी चाहिए और सेना को खुली छूट देनी चाहिए। हमारी सेना हर जवान की शहादत का माकूल जवाब देने में सक्षम है।
कोरोना वायरस का संक्रमण फैलाने की वजह से चीन आज पूरी दुनिया में अलग-थलग पड़ गया है। भारत के पास अमेरिका, जापान, ताइवान जैसे बड़े देशों का साथ है। चीन को नेस्तनाबूद करने का यही सबसे सटीक समय है। सेना हमला बोले, पूरा देश साथ है। 
चीन का इतिहास धोखेबाजी से भरा पड़ा है। 1962 में हिंदी - चीन भाई - भाई का नारा देकर चीन ने भारत पर हमला बोला था और इस बार बातचीत जारी रखते हुए सैनिकों पर हमला किया है। धोखेबाज दुश्मन को उसी की भाषा में जवाब दिया जाना चाहिए। 
हमारी ही बदौलत चीन इतना ताकतवर हो गया है। यदि शुरू से ही हम चीनी सामान को नहीं अपनाते, तो आज ये हालात नहीं होते। चीन की इस नापाक हरकत का जवाब उसी की भाषा में देना होगा। यही सबसे अच्छा मौका है।
हमें बदला लेना ही चाहिए
यह मोका है पहल हमने नही उन्होने की है । 
मेरी ललकार 
बीस सपूत चढ़ गये मातृभूमि की रक्षा में 
प्राणों की दे दी आहूती लड़ते लड़ते !!
समझौते की चर्चा में फँसाया 
धोखा देकर गला काटा !
माफ़ी नहीं मिलेगी इन ग़द्दारों को 
बोटी बोटी काटो !!
सोलह दिन की बेटी आज अनाथ हुई है !
मात पिता का हाल पुरा है , रो रो आँसू सूखे!!
पत्नियों का छूटा श्रृगार , कोने में पडी रो रही चूड़ी बिंदी काजल , आलता , चुन्नरी!!
लाखो  सपने थे उन आंखों में 
उनका कर्ज  चुकाना होगा !!
चीन के ग़द्दारों को उनकी भाषा में ही सबक़ सिखाना होगा !
चीन के हर सामान का वहिष्कार करना होगा !!
हमारे पैसे से राज करे , हम पर ही गुर्रायें !
इस नमक हराम को धूल चाटनी होगी !!
आंखों में दहशत का मंजर दिखाना होगा !!
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
चीन के नापाक इरादों को जवाब देने का वक़्त हमेशा से आया पड़ा था।लेकिन दुर्बल प्रधानमंत्री नेहरू जी की शर्मनाक दब्बू नीतियों के कारण आज ये बीमारी कैंसर का रूप धारण कर चुकी है। हमारी पूर्ववर्ती सरकारों ने जो कायराना रुख अपनाया उसकी वजह से देश के दुश्मनों के हौसले काफी बढ़ गए हैं।
चाहे अक्साई चिन खो देने का मसला हो या कंधार विमान अपहरण कांड हमेशा हमने दब्बूपन से ही काम लिया।लेकिन अब समय आ गया है कि हम सबको अपने यशस्वी प्रधानमंत्री के साथ खड़े हो और इसको भाजपा और चीन की लड़ाई ना मान कर भारत और चीन का विवाद माने।
एक और महत्वपूर्ण बात जो मैं कहना चाहूंगा वो ये है कि अब हम पूरी ईमानदारी से चीनी प्रोडक्ट्स का बहिष्कार आरम्भ कर दें। वरना ये सब खोखला और समय की बर्बादी ही सिद्ध होगी।सोशल मीडिया पर हम कितनी ही गाली क्यों न दे दे क्या फर्क पड़ता है!यह लेख लिखने का क्या मतपब है अगर मेरे मोबाइल में चीनी apps हैं। शुरुआत हो चुकी है सब लोग पूरे देश मे चीनी प्रोडक्ट्स का विरोध कर रहे हैं।इसके साथ ही एक और महत्वपूर्ण बात कहना चाहूंगा कि देशी कंपनियों को भी अपना स्टैण्डर्ड ऊपर उठाना पड़ेगा।केवल चीन विरोध के नाम पर अपने घटिया प्रोडक्ट्स देश वासियों की जेब मे सरका कर उनकी जेब नही काटना है।अगर देश वासी चीन विरोध में एक जुट हो गए हैं सरकार भी चीनी निवेश पर रोक लगा रही है तो भारतीय कंपनियों की भी जिम्मेदारी बनती है कि वो अपना स्टैण्डर्ड अच्छा करें और देश के सामने चीनी माल का एक अच्छा विकल्प प्रस्तुत करें। जय हिंद
- रोहन जैन
देहरादून - उत्तराखंड
गलवान घाटी में बुधवार को चीन ने जिस तरह से भारतीय सेना के जवानों पर कायरता पूर्वक हमला किया। यह चीन की सोची समझी रणनीति का हिस्सा है। चीन के इस हमले से भारत के कर्नल बी संतोष बाबू सहित 20 जवान शहीद हो गए। हालांकि जबावी हमले में चीन के भी 43 सैनिक मारे गए। भारत के 20 जवानों की शहादत पर पूरे देश मे चीन के खिलाफ आक्रोश है। कोरोना संक्रमण फैलाने वाले चीन के नापाक इरादों का जवाब देने का वक्त आ गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साफ तौर पर कहा है कि भारत पड़ोसियों से शांति चाहता है लेकिन उकसाने से मुहतोड़ जवाब देंगे। मोदी ने कहा कि देश के जांबजों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। देश की सुरक्षा करने से हमें कोई नहि रोक सकता। इसे लेकर किसी को भी भ्रम या संदेह नहीं होना चाहिए। चीन के इस हरकत से भारत की तीनों सेनाओं को अलर्ट कर दिया गया है। चीन के संघर्ष के बाद भारत के पक्ष में दुनियाभर से आवाजे उठ रही है। चीन के नक्शे में दिखनेवाले ताइवान और हॉंगकॉंग के लोगों ने भी भारत का समर्थन किया है। उधर अमेरिका व ब्रिटेन भी मामले पर नजर रखे हुए हैं। चीन को यह समझ लेना चाहिए कि यह 1962 वाला भारत नहीं है। आज भारत की स्थिति ऐसी है कि वह किसी भी महाशक्ति का मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम है। 
चीनी वस्तुओं का बहिष्कार शुरू
चीन का बहुत ही बड़ा बाजार भारत है। इस घटना से देशवासियों ने चीनी वस्तुओं का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। उधर भारतीय सेना व चीन की सेना में लद्दाख के गलवान घाटी में संघर्ष का असर कारोबार पर भी दिखना शुरू हो गया है। कोलकाता शहर के आयातकों ने चीन से आयात किए जाने वाले समान को फिलहाल रोक दिया है। 16 %हिस्सा चीनी वस्तुओं का भारतीय आयात हिस्सेदारी में है। भारत के कारोबारी व लोग चीनी वस्तुओं का बहिष्कार कर दे तो चीन की अर्थव्यवस्था 
को भारी नुकशान होगा।
- अंकिता सिन्हा साहित्यकार
जमशेदपुर - झारखंड
ए प्रश्न थोड़ा सा अंतरराष्ट्रीय है।चीन या मेरे देश के पड़ोसी को समझना होगा भारत एक शांतिप्रिय देश है, और अपना रिश्ता सभी पड़ोसी देशों से, के साथ मधुर संबंध रखना चाहता है। यह हमारे देश के नेतृत्व करता का विचार है। हम लोग का सोच है की कोई आंख दिखाएगा तो मैं भी,ऑख में आंख डालकर देखूंगा।अब हम इतने समर्थय है की अगर सामने वाला नहीं  संभला तो हम उसकी आंख निकाल देंगे।
यही हुआ14-15 जुन के रात मे लद्दाख के गलवान मैं चीन के सैनिक हमारे सैनिक को उकसाया तो नतीजा यह हुआ हमारे 20 जवान शहीद हुए और उनके 45 जवान शहीद हुए जिसमें एक  दो अधिकारी भी थे। हमारे शहीद जवान में से एक झारखंड का लाल भी है,नाम * गणेश* उसकी मां  " सूवदा हंसदा की आवाज:- आंख से उमडते आंसुओं के बीच बोली * गणेश* मेरा दूध का लाज रख ली। 20 शहीदों पर पूरे देश को गर्व रहेगा वह दुश्मन को मारते- मारते शहीद हुए हैं।
चीनी देखकर बौखला गया और अपने न्यूज़ चैनल से यह संदेश दे रहा है कि हमारे साथ पाकिस्तान और नेपाल भी है भारत को चेतावनी दे रहा है।
हमारे पीएम ने चेतावनी दिए हैं चीन को की भारत का नेतृत्व करता बदल चुका है पहले के नेतृत्वकर्ता ऑख झुका कर तुम लोग का बात मानते थे अब ऐसा नहीं है अब हम पूरे तरह से मजबूत है। तुम संभल जाओ।
पीएम 19 तारीख को एक सर्वदलीय बैठक बुलाए हैं सबका विश्वास लेकर चीन को सबक सिखाने का। नेतृत्वकर्ता को पूरा विश्वास है चीन सरहद पर कुछ भी उल्टा पुल्टा नहीं कर पाएंगे।
हम अपने पूरे पड़ोसी देश के साथ मधुर संबंध रखकर कामयाब होंगे
हमारे नेतृत्व करता एक साथ सभी पड़ोसी देश को साधने की कोशिश कर रहे हैं पाकिस्तान नेपाल श्रीलंका सब के साथ मधुर संबंध बनाएंगे।
लेखक का विचार:- पाकिस्तान ने तंग किया तो उसे उलट कर सबक सिखाएं। चीन अगर सीमा पर उलट-पुलट करेंगे तो उनको भी सबक सिखाएंगे। समय आ गया है सबक सिखाने के लिए।
- विजयेंद्र मोहन
बोकारो - झारखण्ड
इस चर्चा को प्रारम्भ करने से पूर्व ही और सर्वप्रथम मेरे देश की सैन्य सेनाओं तथा उनके परिवारजनों को सादर नमन करूंगा।हम बड़े भावुक हो जाते हैं या यों कहूंगा कि अपना आपा खो बैठते हैं।जब भी कुछ हलचल शरहदों पर होती है तो मेरे भारत और भारतवासियों का खून खौल जाता है।इससे भी ऊपर देशभक्ति का पवित्र लावा ज्वालामुखी बन कर निकलने लगता है।परंतु कितना,कब तक और कहां तक इस पर बात नहीं होती।बात होती है तो सिर्फ अभी,आज और बल्कि चलो सब चलते हैं तुरन्त ही।फिर वो सीमा मतभेद चाहे चीन के साथ हों या ऊपर उत्तर में कश्मीर के पार पाकिस्तान के साथ।खून खौलने लगता है।
        अब वास्तविकता क्या है।क्या ये एक ही दिन लड़ते हैं या हमारा सैनिक एक ही दिन शहीद कहलाता है।या दुश्मन को चने चबवाता है।तो सही वक़्त क्या है और कब है यह विषय बहुत ही चिन्तन मनन करने योग्य है।हम क्या केवल कुछ समय के लिए भावनाओं में बहकर सोशियल मीडिया के नुमाइंदे तो नहीं बन जाते।अलग अलग प्लैटफॉर्म्स पर विभिन्न तरीकों से हो हल्ला और जैसे ही कुछ दिन बीत गए तो फिर अगले ज्वालामुखी का इंतज़ार करने लगते है।
       अगर चीन के नापाक इरादों को जवाब देने के वक़्त की बात करें तो ऊपर के कथना नुसार हां।पर अगर बात गहराई में जाकर करें तो हकीकत कुछ और ही होती है।सही में वक़्त की तलाश या फिर उचित वक़्त की बात करें तो हमें शान्ति के समय सोच विचार कर अपने राष्ट्र की विदेशी या अन्तर्राष्ट्रीय पॉलिसीज को इतना मजबूत और सजग बनाना होगा कि पड़ोसी मुल्क आँख तक ना उठा सके।अपनी सेना के संसाधनों को इतना मजबूत करना होगा और उनको दिए गए निर्देशों में ऐसी तब्दीली लानी होगी कि नापाक इरादे रखने वालों को तुरन्त ही मुंहतोड़ जवाब दे सके।हथियार हाथ में रखकर गोली चलाने के लिए दिल्ली में बैठे आकाओं के हुक्म का इंतजार ना करना पड़े।वरना हमारी सैन्य शक्ति इस समय विश्व की शातिर और उम्दा सेनाओं में से एक है।
        इसलिए जब इरादे नापाक हों तो उसका तुरंत मुंहतोड़ जवाब देने के लिए हमारी सेना को किसी के आदेश का इंतजार ना करना पड़े बल्कि अपना पराक्रम तुरन्त पेश कर दे। अंततः यही कहूंगा अपने देश वासियों से कि सोसियल मीडिया के बाहर है देश की असल स्थिति और देश का असली वीर सैनिक।जवाब देने का सही वक़्त आ गया है पर कब देना है इसका अब भी इंतजार है।इसलिए राष्ट्र को ऊंचा उठाओ तथा सैनिकों के हाथ खोलो तो सही वक़्त और सटीक जवाब देना जानता है भारत का शूरवीर सैनिक।
- नरेश सिंह नयाल
देहरादून - उत्तराखंड
बात पड़ोसी देश की हो और चिन पाकिस्तान या बंगालादेश की न हो यह हो नही सकता हमें ऐसे पड़ोसीयों पर कभी भरोसा नही करना चाहिये बात चिन की हो रही है तो बता दु की चिन की विश्वनीयता विश्व में कही नही हैं ओर यह हमारा विश्वास उसकी हरकतो से ओर मजबुत होता रहा हैं चिन के तमाम पड़ोसी देश चिन की कारस्थानी की वजह से काफी परेशान हैं चिन का अपने पड़ोसी देशों से सिमा सहित तमाम विवाद चल रहे हैं हमने (भारत) ने जब जब चिन पर भरोसा किया उसने हमारी पिठ पर खंजर मारा हैं चिन के इरादें कभी पाक हो ही नही सकते यह उसके संस्कारों मे ही नही हैं अतः हमे चिन से हमेशा सावधानी बरतनी चाहिये क्यो की जब तक उसका मतलब रहता हैं वह अछ्छे से पेस आता हैं ओर मतलब निकल जाने पर वह अपना असली रूप दिखाता हैं अतः हमें एक नीति बनानी होगी जीसके तहत कभी भी चिन पर हम भरोसा नही करेंगे ओर आज तो हमे चिन को हर भाषा में जवाब देना होगा हर भाषा से मेरा तात्पर्य आर्थिक सामाजीक लेन देन सभी तत्काल बन कर देने चाहिये ओर जब भी जरूरत हो केवल अपने लाभ का सोधा होना चाहिये।अब की बार वह जवाब देना है की दोबारा वह हमारे रास्ते में रोड़ा डालने की सोचने की गुसताकी न कर सके।
- कुन्दन पाटिल 
देवास - मध्यप्रदेश
चीन के नापाक इरादों का मुंहतोड़ जबाव ही तो है यह ,20 के बदले 43 को मार डाला गया ।चीन के खिलाफ भारत ही नहीं समूचे विश्व में माहौल बना हुआ है। कोरोना,कोविड-19 बीमारी चीन की ही देन है संसार को। अब भारतीय सीमा में घुसपैठ कर सैनिकों पर हमले की चाल। ये चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा,नेपाल को अप्रत्यक्ष रुप से सहयोग कर भारत के खिलाफ खड़ा कर रहा है। सीमा पर हुई खूनी सैनिक कार्रवाई के बाद भारत सरकार ने चौकसी बढ़ा दी है। गलवन घाटी की घटना के बाद देश में चीन के विरोध में सोशल मीडिया पर क्रांति आ गयी है। चाइनीज प्रोडक्टस और मोबाइल एप्स के वहिष्कार करने का अभूतपूर्व दौर चला है। चीन की किसी भी कार्रवाई का मुंहतोड़ जवाब देने की चेतावनी बहुत अच्छे शब्दों में देते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा ही है कि भारत किसी को उकसाता नहीं,मगर हम अपने देश की संप्रभुता और अखंडता से कोई समझौता भी नहीं करेंगे।इन सब परिस्थितियों में स्पष्ट है कि चीन को मुंहतोड़ जवाब देने में कोताही नहीं बरती जा रही,और न ही बरती जाएगी।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
चीन ने हमारे भारत के सैनिकों को मार कर अच्छा नहीं किया | रात्री को सोते हुए हमारे सैनिकों  पर उन्होने वार किया है |उसका जवाब हमें जरूर देना चाहिए जो हमारी मातृभूमि के लिए शहीद हो गए| उनके लिए मैं इतना ही कहूंगी कि 
जली हुई राख नहीं
 हम तो दीपक है 
जो मिट गए वतन पर 
और जला गए रोशनी 
आपके दिलों में लेने को बदला 
दिखा गए तुम्हें दिशा 
              उन सभी सैनिकों का बदला अगर हमें लेना है तो जो चीन ने जो किया है ईट का जवाब पत्थर से जरूर देना होगा |हर बार अगर हम शांति की राह पर चलते रहे तो और भी देश हमारी इस चुप्पी और शांति का फायदा उठाएंगे|  हमारे सैनिक इस तरह मातृभूमि पर आहुति देते रहेंगे हमें उन सैनिकों के विद्रोह का बदला जरूर लेना चाहिए| चीन की नीच हरकत का जवाब जरूर देना होगा |उन्होंने जो क्रूरता हमारे शहीदों पर की है उनके शरीर पर डंडे पत्थर और बहुत ही गहरे जख्म दिये हैं  |उन जख्मों को लेप लगाकर शांत नहीं होना है बल्कि उसका बदला लेना है |
   हम हाथ बांधे ही बैठे रहे तो यह नहीं होगा | हमारे शहीदों का बदला लेना बहुत जरूरी है आपस में बातचीत करके तनाव बढ़ाने की बात हमें नहीं करनी |उनसे हर तरह की  खरीद फरोख्त भी बंद करनी
बल्कि हमारे शहीदों को नमन करते हुए उनके शहादत को नहीं भूलते हुए चीन को हमें करारा जवाब जरूर देना चाहिए यह  मेरी राय से उचित है सरकार को इस पर फैसला जरूर करना चाहिए|
           बदला लेना होगा हमको
           बार बार नही सहना हमको
           नीच हरकत से बाज आओ
           दम  तेरे अन्दर सामने आ जाओ |
- दीपा परिहार
जोधपुर - राजस्थान
चीन के नापाक इरादों को जवाब देने का बक्त अब आ गया है । क्योंकि लद्दाख की गलवान में हुई हमारे भारतीय शहीदों की कुर्बानी का बदला लेने के लिए अब हर घर घर में चर्चा है ।
वैसे तो चीन पहले से ही हमारा दुश्मन रहा है तथा भारत के खिलाफ पाकिस्तान की  कुटिल चालों और आतंकवाद को बढ़ावा देने में चीन का अप्रत्यक्ष रूप से बहुत बड़ा हाथ रहा है ।
और अब कोरोना वायरस का संक्रमण   पूरे विश्व में लाकर इसने अपनी औकात बताई भी है ।
कोरोना वायरस के संक्रमण से सब परेशान हैं  घर से निकलना - बाहर से घर जाना । खतरे से खाली नहीं है ।
उसके बाद अब हमारे शहीदों को श्रद्धांजलि घर का हर बच्चा बच्चा दे रहा है ।
हम बॉर्डर पर जाकर तो युद्ध नहीं सकते परंतु चीनी माल न खरीदकर त की था राष्ट्र की मदद कर सकते हैं  ।
अतः  चाइना के माल का  ,सामान का सभी को बाई काट करना चाहिए  । 
तथा सरकार को भी चीनी उत्पादों के समतुल्य बनाने वाली भारतीय कंपनियों को टैक्स से छूट मिलनी चाहिए ।यही बहुत सी बातें हैं चीन के नापाक इरादों को जवाब देने की ।
सभी भारतीयो ने जब से सभी स्वदेशी उत्पादों को खरीद कर चीनी उत्पादों का बहिष्कार कर ,- मेक इन इंडिया को बढ़ावा दिया है । 
भारतीय सामान - हमाराअभिमान 
अब सरकार को भी सेना  को छूट दे देनी चाहिए  । 
किसी देश के नापाक इरादों को जवाब देने के लिए हमें उसकी शक्ति का भी मालूम होना चाहिए।
 भारत के पास मिसाइल -03
 चीन के पास  DF-21,PE-31 
भारत के पास  लड़ाकू विमान   
   =270
 चीन के पास लड़ाकू विमान- =157 
भारत के पास सैनिक=2.25 लाख
चीन के पास= 6. 37 ह जार  ।
 दूसरा  - देशवासी चाहते हैं कि युद्ध न हो क्योंकि इसमें ह मारे सैनिकों का भी नुकसान होगा।चीन के खिलाफ  -
 सैन्य विकल्प    - बालाकोट जैसा हमला करें ।
 हमें भी सरकार और सेना का मनोबल बढ़ाना चाहिए ।सरकार और सेना जो कुछ करती है वह अपने हिसाब से ठीक ही करती है - डि ग्री  तापमान पर वहां पर सेना कैसे  हमारी सुरक्षा करती है 
            आज देश की बच्चे बच्चे की जुबान पर है कि हम चीनी सामान खरीद कर देशद्रोही नहीं बनना चाहते। अब से सभी  चीनी सामान का बहिष्कार कर देश के आर्थिक सहयोग में सहयोग करेंगे   
     चीन के खिलाफ जहर तो उसी दिन घुल गया था जिस दिन देश में करोना संक्रमण की बीमारी ने दस्तक दी थी  । तभी सब ने मान लिया था की चीन से ज्यादा निम्न हरकत और कोई देश कर ही नहीं सकता । 
अब चीन को जवाब नहीं दिया तो कभी नहीं ।
यही वक्त है कि चीन के  विषैले फन को  कु च ला  जाए ।
- रंजना हरित     
 बिजनौर - उत्तर प्रदेश
जो हरकत चीन ने गलवान घाटी में बुधवार को की है उसका मुहतोड़ जवाब देना तो बनता ही है । चीन ने धोखे से हमारे एक कर्नल और बीस फौजियों की जो धोखे से हत्या कर के देश की पीठ में छुरा घोंपा है इस कायराना हरकत का बदला तो लिया ही जाना चहिये ।1962 में भारत चीन युध में भी चीन ने हमसे धोखा किया और अब जबकि एक ओर चीन द्वारा भारत की हडपी जमीन को छोड़ने के लिये सैनिक और राजनायिक स्तर पर बार्तायें जारी थी ऐसे में चीनी सैनिकों की ये धोखेवाज हरकत क्षमा योग्य नहीं है ।
इस दुस्साहस का बदला हमारी फौजों को लेना ही चहिये ।।
- सुरेन्द्र मिन्हास
 बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
  लद्दाख के गलवान वैली में जिस तरह चीनी सैनिकों की धूर्तता के कारण मुठभेड़ में हमारे 20 जवान शहीद हो गए वह कोई मामूली झड़प नहीं थी, बल्कि एक हमला था। हमारी सरकार को चाहिए कि कड़ा एक्शन ले और कठोर से कठोर कदम उठाए ताकि छोटा से छोटा नेपाल देश हो या चीन जैसा शक्तिशाली देश अपनी नापाक हरकतों से बाज आए।
   भारतीय सैनिक को भी स्वतंत्र प्रभार से कार्य करने की अनुमति मिलनी चाहिए ताकि तुरंत दुश्मन को जवाब दे सकें। जो सैनिक शहीद हुए हैं उनकी शहादत का बदला लिया जाए और दुश्मन देश के मन में यह डर बैठे कि हिंदुस्तान की तरफ आंख उठाकर भी न देख सके।
    वर्तमान समय में कोरोना वायरस से दोनों देश त्रस्त हैं। अभी दोनों देशों को अपने नागरिकों के हित का भी ध्यान रखना सर्वोपरि है। ऐसा भी मैसेज न जाए कि दोनों देशों की सरकारें जनता के ध्यान को भटकाने के लिए नए मामले को तूल दे रही है। 
    अगर बातचीत से समस्या का समाधान न हो तो कड़े कदम उठाने की अति आवश्यकता है। चीन के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय गठबंधन बनाकर दबाव डाला जाए कि अपने हरकतों से बाज आए। युद्ध समस्या का निवारण नहीं होता। दोनों देशों की जान माल की हानि होती है। आर्थिक स्थिति भी बदहाल हो जाती है। अभी वर्तमान में यूं ही स्थितियां ठीक नहीं है। कोई नहीं चाहेगा कि युद्ध जैसे हालात से त्राहि-त्राहि मचे। अन्य दूसरे मार्गो को बंद कर, 
 उनके साथ साझा व्यापार-संबंधों को बंद कर, चीन को पहले से दिए गए ठेका को रद्द कर, उनके सामानों को बायकॉट कर तथा अंतरराष्ट्रीय दबाव डलवाकर हम अपने तरफ से कड़ी चेतावनी दे सकते हैं। अगर अंतत: लातों का भूत बातों से नहीं मानता तब अंतिम फैसला सैनिक कार्रवाई होनी चाहिए। सरकार को जनता का भी पूर्ण समर्थन मिलेगा।
                        - सुनीता रानी राठौर
                         ग्रेटर नोएडा -उत्तर प्रदेश
चीन की अवसरवादी नीतियों को कौन नहीं जानता। आज पूरा विश्व चीन के खिलाफ खड़ा है।चीन के कोरोना वायरस ने पहले ही समूचे विश्व के पीठ में छुरा घोंपने का काम किया है। जिसके असहनीय पीड़ा को पूरा विश्व झेल रहा है। बेगुनाह मारे जा रहे हैं। और चीन बेशर्मी से नापाक चाले चल रहा है। उसे पूरी दुनिया से सिर्फ और सिर्फ धिधकारा जा रहा है। और वह विश्व पटल पर अकेला होता जा रहा है।अमेरिका और भारत की दोस्ती भी उसे बहुत खल रही है। सब कुछ जानते हुए भीअभी तक भारत ने कभी कोई बयानबाज़ी नहीं की थी। और हमेशा अपने पड़ोसी देशों से अच्छे संबंध की कामना की।जिससे भारत की छवि और अधिक निखरी है। जिसके फलस्वरूप ड्रैगन बुरी तरह से जल भुन गया है।और उसने गलवान घाटी में अपनी गतिविधियां बढ़ा दी। जब भारतीय सेना की एक टुकड़ी उन्हें पीछे हटने के निहत्थी बातचीत के लिए पहुँची तो चीनी सैनिकों ने सोची समझी चल के तहत उन पर पत्थर बरसाए और नुकीले, कांटेदार डंडे से वार किया, जिसमें हमारे 20 जवान शहीद हो गए। अब वीरो की शहादत का बदला लेने का वक्त आ गया है और इसका असर पूरे भारत मे चीन के विरुद्ध जंग छिड़ गई है। लोग चीनी सामान का बहिष्कार कर रहे हैं। चीनी सामान जलाया जा रहा है। आज देश के 130 करोड़ लोग चीन से लोहा लेने को तैयार है। और चीन से अब बातचीत का दौर खत्म होने का समय आ गया है। और भारत चीन को हर तरह से पटखनी देने की रणनीति तय कर रहा है। अंत में यही कहूंगी...
*वीर जवानों की शहादत यूँ खाली न जाएगी*
*देश के कोने कोने अब एक ही आवाज़ आएगी*
*दोस्ती के नाम पर बहुत खंजर घोंपे है पीठ में*
*आषाढ़ में ही चीनी होलिका दहन हो जाएगी।*
- सीमा मोंगा
रोहिणी - दिल्ली
चीन के नापाक मंसूबों के चलते अधिकांश देश आहत हैं, इससे भारत भी अछूता नहीं है l सभी की मनोभावना यही है कि चीन के नापाक इरादों का जवाब देने का उपयुक्त समय आ गया है जो चालबाजी से बाज आ जाये वो चीन ही क्या?  कोरोना कोविड में चीन की पोल दुनिया में खुल चुकी है ऐसे में भी चीन बॉर्डर पर नापाक खेल खेलने लगा है l चीन को शुरुआत में झटका देने के लिए कड़े आर्थिक फैसले लेने के साथ चीनी प्रोजेक्ट्स को रद्द किया जाना आवश्यक है l आज L. A. C. पर टकराव की स्थिति है l फौज की तैनाती बढा दी गई है तथा भारतीय सेना करारा जवाब देने की स्थिति में है l लेकिन तनाव ज्यादा है l गलवान घाटी को चीन अपना बता रहा है l माननीय प्रधानमंत्री जी की घोषणा "छेड़ोगे तो छोड़ेंगे नहीं "सेना का मनोबल आत्मविश्वास बढा रहा है l चीन दुनियाँ की फैक्ट्री है तो भारत बन सकता है दुनियाँ का ऑफिस l चीनी सेना द्वारा किसी भी संभावित घुसपैठ को रोकने के लिए सेना को हाई एलर्ट पर रखा गया है l 
             चलते चलते --
आधी अधूरी ही सही मगर जिंदगी की हर बात लिख जाऊंगा l 
गलवान और लद्दाख की बात मत करना वरना तुम्हारी औकात लिख जाऊंगा ll
- डॉ. छाया शर्मा
अजेमर - राजस्थान
      गंभीर विषय है और गंभीर विषय पर गंभीरता से विचार करना उत्तम होता है। उसके बाद ही निर्णय लेना चाहिए। क्योंकि चीन सोच-समझ कर हर चाल चल रहा है। कोरोना विषाणु भी निस्संदेह उसकी नापाक चालों में से एक चाल है।  
      उल्लेखनीय है कि कोरोना फैलाने से पहले ही वह पाकिस्तान को भारत के विरुद्ध उकसा रहा था। विश्व स्वास्थ्य संगठन पर भी उस घनचक्कर ने चक्कर चला कर अपने पक्ष में कर लिया था। जिस पर अमेरिका भी खिसयानी बिल्ली खंभा नोचे वाली कहावत चरितार्थ कर रहा है।
      उसके बाद सदियों से मित्रता निभा रहे एक मात्र हिंदु राष्ट्र नेपाल को भी चीन ने भारत के विरुद्ध उकसाया है। यही नहीं धोखे से हमारे वीर साहसी सैनिकों को शहीद कर दिया। यह बात अलग है कि पिछली टुकड़ी ने समय रहते चीनी सैनिकों को भारी क्षति पहुंचाई और उसके 40 से भी अधिक सैनिकों को मार कर अपने साथियों का वीरता से बदला लिया। जिस पर माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी जी ने शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा है कि वह शत्रु को मारते-मारते मरे हैं।जिस पर राष्ट्र सदैव गर्व करेगा।
      हालांकि हमारे माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी जी ने चीन से हर सम्भव मैत्री सम्बन्ध बनाए। मगर धोखेबाज द्वारा धोखा देना उसकी नियति बन चुका है। जो दण्डित करने योग्य है।
      वह कोरोना विषाणु से अपने-आप को विश्व शक्ति मनवाना चाहता है। अन्यथा जिसके घर में बीमारी फैली हो वह दूसरों के घरों में पत्थर नहीं मारता।
      वह निस्संदेह युद्ध चाहता है। ताकि विश्व का ध्यान कोरोना से हट कर युद्ध पर केंद्रित हो जाए। रूस हमारा पुराना मित्र देश है। जिससे चर्चा की जा सकती है। राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी दलों से वार्ता कर चीन को दण्ड स्वरूप उससे व्यापारिक संबंध तुरंत तोड़ने की आवश्यकता है। जिसके लिए देशभर में रोष प्रदर्शन भी किया जा रहा है।
      युद्ध भले ही अंतिम विकल्प है। किंतु यदि सब विकल्प समाप्त हो जाएं तो शांति एवं समृद्धि के लिए युद्ध अति आवश्यक हो जाता है। जिसके लिए भारत भारतीय और भारतीयता आत्मनिर्भरता एवं स्वाभिमान के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर करने के लिए मौके की ताक में और प्रधानमंत्री जी के संकेत की प्रतीक्षा में चीनियों को पानी में घोलकर पीने को तैयार बैठे हैं।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
भारतीय परंपरा सदा से विश्व के साथ अहिंसा ,  अमन ,  प्रेम , मैत्री जैसे उदात्त मूल्यों की रही  है । इसलिए हमारे देश के प्रधानमंत्री मोदी जी ने चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग को झूला झूला के गलबहियाँ ली थी । उसी गद्दार जिनपिंग के इशारे से चीनी सेना  ने  भारतीय सैनिकों को धोखे से मार भारत माँ पर हमला किया है  ।
चीन की नापाक हरकतों , विस्तारवादी नीति ने  45 साल बाद एक बार फिर भारत के साथ कपट,छल  किया है।चीन ने सीमा विवाद  कर  गलवान घाटी  पर अपना अधिकार जता रहा है ।  तारीख 15 जून 2020 , सोमवार की अँधेरी रात में लद्दाख की गलावन घाटी में भारतीय सेना के जवान कर्नल संतोष  बाबू के संग चीनी सेना को कैंप से निकलने की बात कहने गए थे । तभी चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों  पर डंडे , तारों , पत्थरों , कील लगे डंडों से  हमला कर दिया। इस हमले में भारत के एक कमांडिंग अधिकारी सहित 20 सैनिक शहीद हो गए और कई सैनिक घायल भी  हो गए । चीन की सेना ने  मुठभेड़ में  भारतीय सेना के कुछ जवानों को बर्फीली   गलवान नदी  में गिरा दिया । चीन की इस
गद्दारी   से  भारवासियों मे जीससे की आग धधक रही  है। भारत ने चीन के हमले की निंदा की और सरकार से मुंहतोड़ जबाव देने की मांग की। 
चीन के सामानों को बहिष्कार में सड़कों  पर चीनी समान  आग जला के रोष प्रकट किया । सरकार को चीन के   साथ सभी व्यापारिक , आर्थिक , राजनैतिक  रिश्तो को तोड़  देना चाहिए। 
देश की जनता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ है ।
ऐसे समय भारत सरकार को चीन से बदला लेना होगा ।
- डॉ मंजु गुप्ता
 मुंबई - महाराष्ट्र
     चीन एक ऐसा देश है जिस पर कभी भी विश्वास नहीं किया जा सकता। अपनी अति महत्वाकांक्षा को येन केन प्रकारेण पूरा करने के लिए यह कुछ भी चाल सकता है। १९६२ में भी युद्ध में चीन ने भारत को धोखा दिया। कोरोना पूरे विश्व में फैला दिया। वैक्सीन को उजागर नहीं कर रहा है।
        चीन भारत को १९६२ वाला भारत मानने की बहुत बड़ी गलती कर रहा है।
आर्थिक क्षेत्र में अपना झंडा फहराने के लिए नीच हरकतें करने पर उतारू है।
        अब समय आ गया है कि चीन को मुँहतोड़ जवाब दिया जाए। सरकार तो अपने योजनाबद्ध तरीके से काम कर ही रही है, पर भारत देश के नागरिकों का भी यह कर्तव्य बनता है कि वह सस्ते सामान लेने की अपनी आदत और स्वभाव को बदले और चीनी सामान का बहिष्कार करे। अपने घरों से चीनी सामान को निकाल फेंकें। अपने देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए देश में बनी स्वदेशी चीजों के उपयोग करने और खरीदने की आदत डालें। जिस चीन ने कोरोना महामारी फैला कर लोगों को मृत्यु की ओर धकेला है उस चीन की आर्थिक दृष्टि से टाँग तोड़ कर इसके मनोबल को तोड़ना आवश्यक है।
- डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून - उत्तराखंड
बिल्कुल चीन के नापाक इरादों का जवाब देने का वक्त निश्चित रूप से आ गया है। चुकी चीन अपनी ओछी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है इसलिए दुश्मन देश को जवाब देने का वक्त आ गया है। अभी एक दो दिन पहले ही पहले तीन फिर दस जवान शहीद हुए। समय समय पर पाकिस्तान भी ऐसी ओछी हरकतें करता रहता है। चीन को लग रहा है कि यह भारत अब भी उन्नीस सौ इकहत्तर और बासठ वाला भारत नहीं है। यदि अब युद्ध होता है तो इक्कीसवीं सदी का भारत मुंह तोड़ जवाब देगा।चीन की हरकत कुत्तों जैसी है। पहले मांगता है रोटी दे दो उसके बाद यदि मिल जाता है तब भी छीनना चाहता है।सुना है यह छद्म युद्ध लद्दाख में चीनी सैनिकों के अंदर घुसने की वजह से हुआ। चीनी सेना को मुंहतोड़ जवाब दिया भारतीय जवानों ने। अब यदि पुनः युद्ध हुआ तो निश्चित रूप से भारतीय सेना की ओर से चीन को मुंहतोड़ जवाब मिलेगा। हम भारतीय जनमानस का यह कर्तव्य बनता है कि हमलोग देश के साथ खड़े रहें।चीन अब कुछ नहीं बिगाड़ सकता है।
- भुवनेश्वर चौरसिया "भुनेश"
गुड़गांव -  हरियाणा
चीन पूरे विश्व को अपनी मुट्ठी में  रखना चाहता है! आज कोरोना जैसी महामारी उसी की देन है! आर्थिक तौर पर सभी को कमजोर कर स्वयं सशक्त हो सुपर पावर बनना चाहता है किंतु उसकी यह मंशा कभी पूरी नहीं  होगी! 
चीन एक ऐसा देश है जिसका कभी विश्वास नही किया जा सकता है!
1962में हमने एक बार धोखा खाया है किंतु अब नहीं! गलवान में  चीन की गद्दारी से उबल रहा है देश !गलवान में शहीद हुए सैनिकों के एक एक बलिदान का हिसाब  लेना है जो उसने धोखे से ली! सम्भलना तो हमें  बहुत पहले से ही जाना था उसकी गतिविधियां या यों कहो उसके नापाक इरादे अरूणाचल प्रदेश पर जब उसने बुरी नजर डाली थी! चीन प्रथम छोटे छोटे देश को कूटनीति के जरिये अपने झांसे में लेता है कर्ज देकर तत्पश्चात अमुक वर्ष तक लीज़ पर जमीन लेकर अपना उद्योग चालू कर धीरे धीरे पैर फैला लेता है पाकिस्तान, तिब्बत श्री लंका में  भी उसने पैर फैलाया  है! 
!आज उसने जो गद्दारी की है उसका भुगतान तो देना होगा और वह वक्त अब आ गया है! 
चीन विश्व की फैक्टरी बन गया है! 
हमे अपनी मेनिफेक्चरिंग इक्वालिटी बढ़नी होगी! गैंग साइकिल संकल्प होना जरूरी है हमें स्वदेशी हमें स्वदेशी सामान का उपयोग करना होगा बाहर से चीन का सामान का बहिष्कार करना होगा वही देश मजबूत होता है जिसकी अर्थव्यवस्था मजबूत होती है! चीनी सामान पर रोक लगाना होगा आज कोई भी सामान हो उसमे एक पार्ट तो चाइना का होता है! 
हमें  इस नाग के फन को स्वावलंबी बन उसके आर्थिक मार देनी होगी चूंकि वही देश मजबूत होता है जिसकी अर्थव्यवस्था मजबूत होती है! 
फिलहाल तो इस ड्रेन से हमारे जवान का हिसाब लेना है! छोडेंगे नहीं !कहते हैं न पाप का घडा फूटता ही है और वह वक्त अब आ गया है! 
   - चंद्रिका व्यास
 मुंबई - महाराष्ट्र
हिंदी चीनी भाई-भाई नारा1962में लगाया गया था।परिणाम स्वरूप चीन ने हमारे साथ धोखा किया और हमारे देश पर हमला किया।
   उस समय हमसे चीन मुंह की खाने के बाद भी, वह हमारी सरहदों को निरंतर हड़पने और अपने फायदे के लिए उपयोग करने का प्रयास करता रहा है। 
   हम शांति और अमन के लिए पूरे विश्व में जाने जाते हैं। शायद इसलिए चीन हमें कमजोर और कायर समझता है।वह सैन्य गतिविधियों और दादागिरी से लद्दाख जो कि हमारा है उसे हड़पना चाहता है।
   परिणाम 15जून को चीन ने हमारे 20फौजी जवानों को क्रूर तरीके से, धोखे से मार दिया है। जबकि भारतीय सेना के रणबांकुरे उसे हमारी सीमा से जाने कह रहे थे। 
   चीन का इरादा स्पष्ट है।वह वर्तमान समय में जो हर देश कोरोना वायरस से प्रभावित है,उससे निपटने की व्यवस्था कर रही है। चीन ने अपना रक्षा बजट 13,68लाख करोड़ रूपये बढ़ाया है।
   स्पष्ट है कि वह बजट अपने देश की सैन्य शक्तियों का विस्तार करने में व्यय करेगा। जबकि चीन ने ही दुनिया को 2019 में कोरोना वायरस की सौगात दी है। 
   चीन के नापाक इरादों को नेस्तनाबूत करने का वक्त आ गया है। हमें निम्नलिखित रूप से और मजबूती से चीन को जवाब देना होगा--
1/_भारतीय जो चीन का उत्पाद खरीदते हैं उसे पूर्णतया नकारना होगा और स्वदेशी को अपनाना होगा।
2/_चीन के साथ हमें मित्रता की उम्मीद त्यागनी होगी।वह शत्रु है शत्रु यह मानना होगा।
3/_हमारे निकटवर्ती देश नेपाल,भूटान ,वगैरह जिसका इस्तेमाल वह हमारे विरूध करता है, उस पर नियंत्रण करना होगा।
4/_हमें हमारी सैन्य शक्ति व युद्ध के उपकरण बढ़ाने होंगे।हर भारतीय देश की रक्षा हेतु अपना सहयोग देवें। वह भी दलगत राजनीति से ऊपर उठकर। 
5/_सबसे बड़ी बात हमें करनी होगी। हमें हमारी आत्मनिर्भरता की सोच को विस्तार देना।
   अगर हम चीनी प्रोडक्ट को खरीदना बंद करेंगे तो चीन वैसे भी अधमरा हो जायेगा। तभी हम चीन को उचित सबक सीखा पायेंगे।
   जय हिन्द, जय हिंद की सेना। ।
डॉ मधुकर राव लारोकर 
  नागपुर - महाराष्ट्र
"मुंह में राम बगल में छुरी" ये फितरत तो सदियों से चीन की रही हीं है ।  हिंदी _चीनी भाई भाई का नारा चाऊ एन लाई ने   १९६१ में लगाया था और १९६२ में तुरंत भारत पर  चीन द्वारा चढ़ाई भी की गई ,यानि कि यह इनका पुराना इतिहास हीं रहा है।आज पुनः एक बार चीन लगातार हर तरह की साज़िश रचता जा रहा है ।पहले कोरोनावायरस का और अब ये कब्जा और घुसपैठ करने की नाकाम साजिश एक बार चीन फिर शुरू कर रहा है । सहनशीलता की जब सीमा समाप्त हो जाएगी तो निश्चित रूप से चीन के नापाक इरादों का मुंहतोड़ जवाब दिया जायेगा हीं ।अब बार्डर पर पहले जैसी शांति नहीं है दोनों तरफ के सैनिक तैयार हैं हीं । लेकिन हमारा देश सदियों से शांति का प्रतीक रहा है । इसलिए युद्ध की पहल खुद नहीं करना चाहता है लेकिन जरा भी चीन कुछ इस बार शुरू करेगा तो भारत भी चुपचाप नहीं बैठेगा ।ईंट का जवाब पत्थर से देना हीं होगा ।हम सब भी चीन निर्मित वस्तुओं का पूर्णतः बहिष्कार करें इसकी भी आवश्यकता है अब।
- डॉ पूनम देवा
पटना -  बिहार
जी हां चीन के नापाक इरादों का जबाव देने का वक्त आ गया है। इसके नित बढ़ते नापाक इरादों को हम नजर अंदाज इसलिए कर रहे थे कि युद्ध की स्थिति पैदा न हो जाए लेकिन इसने इसे हमारी कमजोरी माना।तभी तो एक तरफ ये वार्ता का प्रस्ताव रखा और दूसरी तरफ हमारे सेना पर हमला करता है। चीन का चरित्र सदा से दोहरी नीति की है। पहले भी इसने लद्दाख क्षेत्र की बहुत सी जमीन का अधिग्रहण किया है। हमारे दुश्मन देश पाकिस्तान की बड़ी तत्परता से मदद करता है।व्यपार हमारे देश में, मुनाफा भारत से कमाता है और हमला भी हमारे सैनिकों पर करता है।अब वक्त आ गया है चीन के सामानों का बहिष्कार किया जाय।इस बार तो इसने हद ही कर दिया नेपाल देश की सरकार से मिलकर वहां के नक्से में भारत के कई इलाकों को वहां का हिस्सा बताया।
इसके नापाक इरादों का उदाहरण आज पूरा विश्व कोरोनावायरस महामारी के रूप में भुगत रहा है। निर्दोष लोगों को तड़प कर मरने को मजबूर किया है।ये लातों के भूत हैं बातों से नहीं मानेंगे। आज-कल इस महामारी के दौर में भी मानवता की दुर्दशा इसे नजर नहीं आती।हर ओर मौत का तांडव हो रहा है और बॉर्डर पर ये अपने सेना तैनात कर दिया।इसे रत्ति भर शर्म नहीं आई। इससे बड़ा और क्या उदाहरण होगा?1962 से लेकर जब जब युद्ध हुआ इसे मुंह की खानी पड़ी तब भी ये अपने ओछी हरकतों से बाज नहीं आ रहा। हमारे देश की सुख-शांति इसे बर्दाश्त नहीं हो रही,बार बार पीठ पर खंजर घोपता है। इसने अपने देश में मीडिया,गुगल, फेसबुक,व्हाटसप सभी को प्रतिबंधित किया है। कहीं से भी कोई क्रूरता लीक ना हो जाए। वहां की जनता को बोलने के पहले सोचना पड़ता है। इसका विश्वास कभी कभी नहीं किया जा सकता।वक्त आ गया है कि हमारी सेना इसे करारा जवाब दे और इसके नापाक इरादों को नेस्तनाबूद करे वरना ये हमारे देश के सुख-शांति में विष घोलता रहेगा और देश की सीमाओं पर सेंध लगाता रहेगा। करारा जवाब यानी युद्ध ही चीन का एक बेहतर इलाज है।
- रेणु झा
 रांची -झारखंड

" मेरी दृष्टि मे " चीन को जबाब देना , वक्त की मांग बन गया है । सैनिकों को पुरी तैयारी के साथ जबाब देना का वक्त आ गयाहैं । बाकी भविष्य के गर्भ में क्या हैं । यह कोई नहीं जानता है ।
                               - बीजेन्द्र जैमिनी
सम्मान पत्र




Comments

  1. चीन भारत के सम्बन्ध इतने खराब नहीं थेकि चीन भारत पर हमला करे|अब हमे चीन को माफ नहीं करना चाहिए|हर बार वो घात करे हमे प्रतिउतर देना पडेगा |हमे चीनी वस्तुओ का बहिष्कार कर स्वदेशी अपनाना चाहिए |
    शहीदों को नमन करते हुए मै कहूगी |
    तेरा जवाब हम जरूर देगे
    अब समझौता नहीं करेगे
    आजा रणभूमि में लडने को
    ईट का जवाब पत्थर से देगे

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

वृद्धाश्रमों की आवश्यकता क्यों हो रही हैं ?

हिन्दी के प्रमुख लघुकथाकार ( ई - लघुकथा संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी

लघुकथा - 2023 ( ई - लघुकथा संकलन )