अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत : हत्या है या आत्महत्या ?

फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या बहुत कुछ बोलती है । परन्तु सुनने वाला शायद कोई मिले । खानापूर्ति के लिए सब कुछ होगा । यहीं सब कुछ होता आया है । वास्तव में ये हत्या है । जो आत्महत्या के लिए मजबूर किया गया है । यहीं " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
युवा अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत हत्या है या आत्महत्या। निष्पक्ष जांच के बिना कुछ भी कहना उचित नहीं होगा। 
  यह भी हकीकत है कि एक उभरता सितारा अचानक मौत को गले लगा ले तो हर व्यक्ति उसकी आत्महत्या को शक के नजर से ही देखता है। उनके परिजनों के द्वारा भी आशंका जताई जा रही है कि उनकी हत्या हुई है। जबकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत लटकने से दम घुटने के कारण बताया जा रहा है। फिर भी संदेह के निराकरण हेतु सुशांत का विसरा रासायनिक विश्लेषण के लिए भेजा गया है। फॉरेंसिक साइंस सर्विसेज के निदेशक को जल्द रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है।
    मानसिक यातना के कारण की गई आत्महत्या को भी मानवीय आधार पर हत्या की संज्ञा दी जाती है। इसी के मद्देनजर बिहार के कई नेता और पूर्व राज्यपाल ने भी सीबीआई जांच कराने की मांग की है। फिल्मी हस्तियों के द्वारा भी यह बात सामने आ रही है कि फिल्मी दुनिया के बहुजाल नेपोटिज्म की वजह से कुछ महीनों से वे डिप्रेशन के शिकार थे शायद इस वजह से उन्होंने ऐसा कदम उठाया। फिल्म जगत के गुटबंदी के खिलाफ चहूंओर जनाक्रोश है। पुलिस भी जांच कर रही है कि कहीं सुशांत बॉलीवुड के खेमेबाजी के शिकार तो नहीं बन गए।
    सात फिल्में मिली थी जिसमें एन-केन-प्रकारेण उनसे छह छीन ली गई थी। यशराज फिल्मस से सुशांत के साथ हुए कांट्रेक्ट की कॉपी भी मांगी गई है। उन सभी परिस्थितियों की जांच की जा रही है जिनके कारण युवा अभिनेता को आत्महत्या करनी पड़ी। 
 यदि उपर्युक्त तथ्य सही साबित होते हैं तब नि: संदेह उनकी आत्महत्या  हत्या मानी जायेगी। 
 मानसिक यातना देने वाला भी गुनाहगार होता है और उसे सजा भी मिलनी चाहिए। हम सभी न्याय की उम्मीद लगाए बैठे हैं। 
                  - सुनीता रानी राठौर 
                     ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश
 फिल्मी जगत के उभरते युवा मसूर अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की  मैप हत्या या आत्महत्या है यह जांच रिपोर्ट से ही पता चलेगा लेकिन लोग जगत में इनकी हत्या में प्रश्नों का अंबारा लगा है। जैसा भी  हो जिस कारण से हत्या हुई है यह एक जघन्य अपराध कहा जा सकता है। मनुष्य को भूतकाल के पीड़ा, वर्तमान से विरोध और भविष्य की चिंता खाए जा रहा है। सुशांत राजपूत के उभरते छवि फिल्मी दुनिया वालों को नहीं भाया एंड केन प्रकारेण से मानसिक तनाव देकर उन्हें हत्या के लिए गाया गया होगा और किस फिल्मी दुनिया के चक्रव्यू को समझ ना पाया और अपने ही की है लीला समाप्त कर डाला ऐसा उस आने वाला व्यक्ति को है था कि इसकी उभरती सभी से हमको हानि हो सकती है अर्थात वह भय के कारण ही शायद सुशांत को  अवसाद तक पहुंचाने में कामयाब रहा। जैसा भी हो मुझे ऐसा नहीं करना था हर आत्मा जीने के उद्देश्य से शरीर यात्रा पड़ता है जो जिंदगी जीने का तरीका कला के रूप में अपनाया था उसे त्याग कोई और दूसरा जीने का तरीका अपना लेता लेकिन उसे हत्या किसी भी स्थिति में नहीं करना था जब तक मनुष्य को हद तक जिंदगी जीने का पता नहीं होता उसका यही हश्र होता है दबाव और प्रभाव में आकर अपने को अपमानित से बचाने के लिए चयन के जिंदगी को समाप्त कर लेते हैं अतः मनुष्य को बचपन से ही वास्तविक जिंदगी जीने की शिक्षा संस्कार देने की जरूरत है अगर संस्कारी होता सुशांत तो कदापि ऐसा नहीं करता वह सोच विचार करके अपनी रास्ता अलग कर लेता संस्कारी शिक्षा ना होने के कारण ही आज सुशांत जिंदगी को नहीं समझ पाया और इस वालों के चक्रव्यूह में आकर अपने को ही बचाने में कामयाब ना हो सका। इस संसार में दो तरह के लोग देखने को मिलते हैं एक वह लोग जो दूसरों की सुखी से सुखी होकर उसका सहयोग करता है और दूसरा दूसरों की सुखी को देखकर क्या करता है और उसे नष्ट करने की कोशिश करता है। यही स्थिति सुशांत के साथ हुआ। आगे मैं यही कहना चाहेंगे कि हम दुनिया के लोग किसी को कुछ भी कह देते हैं लेकिन अपनी योग्यता के साथ ही जीना होता है दुख और सुख अपने ही कर्मों का फल होता है दूसरों को दोषी देना यह हमारी नासमझी होती है अतः हर व्यक्ति को समझदारी के साथ जीना है वर्तमान की मांग है अगर समझदार होता सुशांत तो आज अपने को बचा लेता दबाव और प्रभाव के चपेट में आकर अवनी की है लीला समाप्त करना पड़ता।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
      अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की 'हत्या' हुई या उन्होंने आत्महत्या की यह जांच का गंभीर विषय
 है? जिसकी जांच पुलिस कर रही है और सीबीआई जांच की मांग भी की जा रही है।
     सत्य यह है कि उनकी मृत्यु हो चुकी है। जो दम घुटने के कारण हुई थी। जिसका खुलासा पोस्टमार्टम रिपोर्ट से सामने आया था। यही जांच का गंभीर आधार है कि उन्हें गला घोंटने के उपरांत लटकाया या उन्होंने किसी कारणवश अपने-आप का गला घोंटा या उन्हें किसी ने उकसाया था या किसी प्रताड़ना के कारण उन्होंने आत्महत्या कर ली थी। कुछ भी हो सकता है। क्योंकि उनकी मृत्यु का कोई साक्षी नहीं है।
      उल्लेखनीय है कि हत्या से आत्महत्या अधिक घातक होती है। चूंकि ईश्वर द्वारा दिया गया सुंदर जीवन कोई यूंही गंवाना नहीं चाहता। संविधान भी क्रूरतम से क्रूरतम अपराधी को ही फांसी लगाता है। फिर कोई अपने हाथों से अपने-आप को फांसी क्यों लगाएगा?
    उपरोक्त प्रश्नचिंह गंभीर जांच की मांग करते हैं। चूंकि प्रश्न स्वाभाविक हैं कि कहीं उन्हें क्रूरतम से क्रूरतम पीड़ा-प्रताड़ना तो नहीं दी जा रही थी? कहीं असहनीय उत्पीड़न उनकी आत्महत्या का मुख्य कारण तो नहीं है? ऐसे असंख्य प्रश्न मस्तिष्क में उभरते हैं। जिनके उत्तर गंभीर जांचकर्ता ही दे सकते हैं।
      अतः यदि सामाज के कला क्षेत्रों, सेन्य बलों एवं किसान इत्यादि की आगामी आत्महत्याओं को रोकना है।तो भी अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत 'हत्या या आत्महत्या' पर से पर्दा हटाने के लिए सीबीआई जांच अत्यंत आवश्यक एवं अनिवार्य है।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
सुशान्त सिंह राजपूत एक उभरते  हुए फिल्मी कलाकार थे ।उनकी कभी किसी से दुश्मनी की खबर नहीं आयी ।इधर उनके हिस्से की कई फिल्में छिन गई ,कई मशहूर होने में असफल हो गई ।जिसकी वजह से वे डिप्रेशन का शिकार हो गए थे ।खबरों के मुताबिक सुशान्त ने डिप्रेशन की दवा लेनी भी बंद कर दी थी ।मेरा मानना है कि अवसाद से घिर कर उन्होंने आत्महत्या जैसा कदम उठाया ।ऊपर उठने के बाद नीचे गिर कर संभलना सुशान्त के लिए मुश्किल हो गया ।परिवार की दूरी ,मित्रों की कमी और दुःख न बाँटने वाले स्वभाव ने उन्हें छोभ से भर दिया ।
- कमला अग्रवाल
गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश
दिल को द्रवित करने वाला विषय है! आमतौर पर देखा गया है कि एक ही क्षेत्र में काम करने वाले सद्धर  व्यक्ति को यदि उसे कोई दूसरा मात दे रहा है अथवा उसकी कुर्सी हिलने लगी है, उसके शान पर बट्टा लग रहा है तो वह यह सहन नही कर पाता और वह दूसरे को प्रताणित करता है अपनी सत्ता,  धाक बनाए रखने के लिए चाहे उसे किसी हद्द तक भी जाना पड़े! 
यह तो सदियों से होता आ रहा है! देवलोक में इंद्र भी करते थे! किंतु विजय उसे ही मिलती है जो धैर्य और संयमता  से काम लेता है! सुशांत सिंह के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है! साइन की हुई सारी फिल्में उनसे वापस ले ली गई  जिससे वे डिप्रेशन में  आ गए !यह मीडिया का कहना है! बाकी अवसाद में  आ जाने पर प्रथम उसे अकेला नहीं छोड़ना चाहिए!  डाक्टर की दवा के साथ काउन्सलिंग बेहद जरुरी है! 
मनोबल तगड़ा होना चाहिए! 
अपनी समस्या, तकलीफ मित्र, माता पिता अथवा कोई खास हो उससे शेयर तो अवश्य करना चाहिए  !
पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के अनुसार मृत्यु गले में  फांसी लगाने से श्वास नली के दबने से श्वास का न ले पाना! 
देखा जाए तो हत्या के लिए उकसाने वाला तो हत्यारा है ही किंतु आत्महत्या करने वाला भी अपने आप में स्वयं की जान का तो हत्यारा है साथ ही पीछे रोते, कलपते परिवार को दुख में  छोड़ जाता है! 
डिप्रेशन एक बीमारी है जो जेनेटिक भी होती है और स्थिति परिस्थिति के अनुसार भी आता है! 
जो भी हो किंतु सुशांत सिंह 34 साल का उभरता सितारा( जिसने चंद्रलोक में भी बुकिंग की थी सत्यता की पुष्टि नहीं है )के जाने से  सभी दुखी हैं! जाने वाला सारे भेद अपने साथ ले गया है किंतु फिर भीआत्महत्या और हत्या की निष्पक्ष जांच तो होनी चाहिए !
- चन्द्रिका व्यास 
मुम्बई - महाराष्ट्र
विगत दिनों फिल्मी परदे के चमकते सितारे सुशांत सिंह राजपूत की असामयिक मृत्यु से पूरे देश को बड़ा झटका लगा है। अभिनेता के फैंस एवं अन्य लोग भी इस बात को नहीं भूल पा रहे हैं किससे सुशांत ने ऐसा कैसे कर लिया ।
एक होनहार शख्स और बेहतरीन अभिनेता जो जिंदगी को जिंदादिली से जीता था उसने अपनी जिंदगी कैसे खत्म कर ली। अभिनेता के प्रशंसकों के अलावा फिल्म इंडस्ट्री में भी शोक की लहर दौड़ गई थी ।
फिल्म इंडस्ट्री में भाई भतीजावाद की बहुतायत जोरों पर रही है उसी का परिणाम यह होता है कि फिल्म इंडस्ट्री में बाहर से आए ज्यादातर अभिनेता अभिनेत्री अपने उत्कृष्ट अभिनय क्षमता के बावजूद धूल चाट जाते हैं ,और असफलता तथा गुमनामी के अंदर में या तो खो जाते हैं या अपना रास्ता ही बदल देते हैं या फिर आत्मघात को गले लगाते हैं।
 अभिनेता सुशांत सिंह की हत्या हुई या आत्महत्या यह तो बता पाना अभी मुमकिन नही यह तो सघन जांच का विषय है । जब तक की पूरी जांच न हो जाए कुछ नही कहा जा सकता ।
 पुलिस अपना कार्य कर रही है, जब तक मामला पूरी तरह पारदर्शी ना हो जाए तब तक अभी यह नहीं कहा जा सकता कि उन्होंने आत्महत्या की या उनका मर्डर कर दिया गया, लेकिन यह बात तो सच है सुशांत अपने पीछे कई अनसुलझे सवाल छोड़ गए हैं ।कई लोग आशंका जता रहे हैं कि उन्हें टॉर्चर किया गया जिसकी वजह से उन्होंने यह कदम उठाया।
 सुशांत की खुदकुशी से प्रभावित एक फिल्म निर्माता विजय शेखर गुप्ता उन पर एक फिल्म बना रहे हैं जिस फिल्म का नाम है suicide or murder?
कुछ लोगों का मानना है सुशांत के सामने कुछ बुरा हुआ उस लड़के को मजबूर किया गया आत्महत्या करने के लिए।वहाँ के लोगों ने कुल मिलाकर इतना उसे सताया, उसका बहिष्कार किया जिससे उसने मृत्यु को गले लगा लिया।उसका  सोशल बॉयकॉट किया गया, एक के बाद एक लगातार कई फिल्मों से उनको निकाला गया ।
बालीवुड में भेदभाव किया जा रहा है । बाहरी लोगों का काम छीना जाता है और उनके साथ ऐसा व्यवहार किया जाता है कि उनका हौसला ही टूट जाए, जबकि  फिल्म इंडस्ट्री  पर जितना हक़ के  फिल्मी परिवारों  का है उतना ही अन्य बाहर से आए लोगों का है ।वहां का पक्षपाती व्यवहार कुछ काबिल लोगों को  असफलता के रूप में भुगतना पड़ता है ।वह काफी पीछे छूट जाते हैं ।कितने लोग अपने साथ की कहानियां बताते रहते हैं ।यह दर्द लोगों के अंदर भरा पड़ा है ।
फिलहाल देश मे लोग  होनहार अभिनेता सुशांत की मृत्यु से आक्रोशित हैं शोसल मीडिया पर भी लोग भड़के हुए हैं  और क्यों न हो वो हमारे देश का एक होनहार बेटा था उम्दा कलाकार था ।
शुशांत को न्याय दिलाने की मुहिम चलायी जा रही है जो कि जरूरी है ।
Cbi द्वारा इस घटना की जांच होनी चाहिए ।
उन कारणों की जांच होनी चाहिए जिनके  कारण युवा अभिनेता को आत्महत्या जैसा कदम उठाना पड़ा ।
फिलहाल अभी धैर्य रखने का वक्त है  क्योंकि सत्य कभी परास्त नही हुआ  और न ही छुपा है ।
सुशांत को भी न्याय अवश्य मिलेगा 
- सुषमा दीक्षित शुक्ला
मुम्बई - महाराष्ट्र
पिछ्ले दिनों फिल्म स्टार अभिनेता सुशाँत सिंह राजपूत की मौत पर देश का हर युवा वा बुद्धिजीवी दुखी और हैरान है ।
एक युवा कभी भी बिना कारण मौत को गले नहीं लगा सकता ।छन छन के ये खबरें भी निकली कि इस प्रतिभावान हीरो को अपने केरियर को संवारने के रास्ते में चुनिन्दा बडे कलाकारों ने कांटे बिछा रखे थे । ये युवा कड़ी मेहनत के बाद भी कुछ नहीं कर पा रहा था । हताश निराश हो कर उसने एह कदम उठाया या उसे किसी ने मार कर इसे आत्म हत्या का स्वरुप दे दिया । ये तो छानबीन का विषय है ।
हम यही कह सकते है कि इस मौत की निष्पक्ष जांच होनी चहिये और अपराधियों को कठोर सजा मिलनी चहिये ।चाहे वो अपराधी कितना भी प्रभावशाली क्यूं ना हो ।।
   -  सुरेन्द्र मिन्हास
 बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
सुशांत सिंह राजपूत अभिनेता थे।  पर वे फिर भी दादागिरी से परेशान हो गए। सभी आत्महत्या करेंगे और जीवन को देंगे तो यह दुनिया कैसे चलेगी।आज के युवा में यही सबसे बड़ी कमी है कि वह जरा सी परेशानी से परेशान होकर डिप्रेशन   में चला जाता है।हमें अपनी बात एक दूसरे के साथ शेयर करनी चाहिए अपने परिवार में मां को तो जरूर सब कुछ बताना चाहिए क्योंकि बातों को अपने मन से  निकाल देने पर थोड़ा डिप्रेशन कम हो जाता है हमको किताब पढ़नी चाहिए या गाने सुनने चाहिए ऐसा सब करने से दुख कम हो जाता है। आज के युवा को हमें मानसिक तौर से मजबूत बनाना चाहिए क्योंकि जीवन एक संघर्ष है रोज सुबह उठते ही हमें संघर्ष करना पड़ता है इस महामारी के दौर पर लाखों लोगों की नौकरी जा रही है रोजी रोटी की चिंता है इसमें यह सब होना । आत्महत्या करना तो ठीक नहीं है। मां को चाहिए कि अपने बच्चे को सही गलत का ध्यान दें और बचपन से ही उसको यह सिखाएं कि यह दुनिया में हर तरह के लोग रहते हैं इनसे हमें लड़ना और संघर्ष करना पड़ेगा जीवन में मुसीबत ए तो बहुत आएंगे उसका डटकर मुकाबला करना है और बच्चे को डांट और मार दोनों से भी संभालना चाहिए आजकल के बच्चे मां बाप के ज्यादा लाड प्यार के कारण ही बिगड़ रहे हैं हमें अपना जीवन को समुद्र की तरह रखना चाहिए सारा कचरा बाहर फेंक देना चाहिए अच्छी चीजों को ही सुनना और मन में रखना चाहिए क्योंकि विचार थोड़े समय के लिए ही नकारात्मक या डिप्रेशन के आते हैं थोड़ी देर के बाद सब ठीक हो जाता है जीवन बहुत अनमोल है इसे हारना नष्ट नहीं करना चाहिए ऐसा करके जो सामने वाला हमारी हत्या करना चाह रहा है या हमें मानसिक तकलीफ देना सारा है उसको कभी सफल नहीं होने देना चाहिए बल्कि जी कर उसके खिलाफ जंग लड़नी चाहिए।
*जियो और जीने दो*
- प्रीति मिश्रा
 जबलपुर -  मध्य प्रदेश
अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत हत्या है या आत्महत्या इसका स्पष्ट नही है।लेकिन आत्महत्या के लिए प्रेरित करने वालों की कमी नही है। बर्षो से मुंबई जैसी जगह में फिल्मी इंडस्ट्री में धाक जमाये बैठे तमाम अभिनेता और अभिनेत्री नए लोगो को इतनी आसानी से जमने नही देते है। अपने से ऊपर किसी की तरक्की करने नही देते है ।और जो करता है उसे छोड़ते भी नही है।  नए जोश के साथ फिल्मी इंडस्ट्री में जगह बनाने वाले सुशांत तमाम बड़े अभिनेताओं के लिए किरकिरी बन गए थे।इसलिए आत्महत्या जैसे तरीके को अपनाकर मानसिक प्रताड़ित करना जैसी अनेक चीजे से परेशान करना भी एक रास्ता था। इंसान अपनी हर बात किसी से कहता नही किन्तु खुद घुटता रहता है। और जब कोई रास्ता नही बचता तब वह आत्महत्या जैसे कदम उठाता है। इसके पहले भी कई अभिनेता और अभिनेत्रियों की मौत अजीब तरीक़े से हुई है।यह बात सब जानते है।किंतु बोलने की हिम्मत करने कम लोग ही रहते है। इन तमाम बातों से स्पष्ट है को आत्महत्या के लिए शायद कोई न कोई मजबूर किया होगा।
- राम नारायण साहू "राज"
रायपुर - छत्तीसगढ़
अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत एक हपत्या ही है जो भले ही प्रत्यक्ष रूप में न कि गई हो । अप्रत्यक्ष रूप में मौत के लिए उकसाना भी हत्या की श्रेणी में ही आता है । जिसके लिए भारतीय कानून में दंड निहित है । बॉलीवुड के अभिनेताओं , फ़िल्म निर्माताओ की पहुँच बड़े पुलिस अफसरों व राजनैतिक गलियारों तक होने के कारण ही आज तक बॉलीवुड में हुई सैकड़ो मौतों का खुलासा न हो सका । यही वजह है कि बॉलीवुड में हुई किसी भी मौत का आज तक खुलासा नही हो सका ।
फ़िल्म इंडस्ट्री में एक तबके के लोगो ने एक खासी पकड़ बनाई हुई है , उन्ही के कहने मात्र से किसी को भी फ़िल्म में रखा व निकाला तक जा सकता है । यही वजह है कि नए कलाकार न ही तो उभर पाते है और न ही अपनी मंजिल तक पहुंच पाते है । जिसके चलते उन्हें डिप्रेशन का शिकार होना पड़ता है । और यही वजह है कि आज लगातार बॉलीवुड में फ़िल्म कम जीवन लीलाए ज्यादा समाप्त हो रही है । जिनका कोई कारण न पुलिस को हाथ आता है और न आम लोगो को । परंतु अब सियासत पर रोक लगाने की आवश्यकता है । ताकि यह मौत का नंगा नाच बंद हो सके । ये अप्रत्यक्ष हत्याए बन्द हो सकें ।।
- परीक्षीत गुप्ता
बिजनौर - उत्तरप्रदेश
सुशांत सिंह राजपूत की मौत कई सवाल छोड़ गयी है। उनमें से एक सवाल आज की परिचर्चा का विषय है। पोस्टमार्टम की रिपोर्ट बताती है कि यह आत्महत्या है। परन्तु सोशल मीडिया की खबरों से यह आत्महत्या रूपी हत्या प्रतीत हो रही है। मेरे विचार विशुद्ध रूप से सोशल मीडिया से प्राप्त खबरों पर आधारित हैं। इसी आधार पर मैं कह सकता हूं कि किसी का भी मानसिक शोषण करके उसे आत्महत्या के लिए उकसाने का कार्य अप्रत्यक्ष रूप से हत्या के समान ही है। बालीवुड में गैर फिल्मी क्षेत्र से आये हुए प्रतिभावान कलाकारों को किस तरह समाप्त किया जाता है, यह सुशांत की मौत से स्पष्ट हो रहा है। एक लाॅबी ने, केवल अपने स्वार्थों के कारण ही नहीं बल्कि अपने अंहकार और इस मानसिकता से कि कोई गैर फिल्मी परिवार से आया अभिनेता अपनी प्रतिभा से उस लाॅबी के कलाकारों से आगे कैसे बढ़ सकता है, अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की अप्रत्यक्ष रूप से हत्या की है।
- सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग' 
देहरादून - उत्तराखण्ड
     भारतीय कला में एक उभरता हुआ, कलाकार युवा आकर्षित सुशांत था, अब शांत हो चुका। जिसने छोटे पर्दे से अपनी कलाओं को पथ-पदर्शित करने उपरान्त फिल्म उद्योग में पहचान बनाकर सभी को आश्चर्यचकित कर दिया था। धोनी, पी.के.तथा अनेकों फिल्मों में अलग ही अद्भुत प्रर्दशन किया। पटना की धरती पर अवतरित, जाति राजपूत होने के नाते समाज को भी गौरवान्वित किया था। फिल्म पदमावती की पट कथा का स्वयं विरोध प्रदर्शित कर चर्चित हुए थे, जिसे अनादर का सामना करते हुए अपने उपनाम "राजपूत" को विलोपित करना पड़ा था। जहाँ फिल्म उद्योग में उनके विरोध की कहानी का अध्याय वही से प्रारंभ हो चुका था, जिसका परिणाम वर्तमान में देखने को मिला। सुशांत को निर्माता, निर्देशक हर तरह की फिल्मों में अलग-अलग अभिनय के साथ प्रस्तुत किये जा रहे थे। जिसके कारण पीढ़ियों से चली आ रही कला अदाओं द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से विरोधाभास पैदा कर, मानसिक  रूप से परेशान किया जा रहा था। 6 माहों के अंतरालों से पूर्णतया अपने आपको कमरे में कैद लिया था, जिसने अपनी मानसिकता की झलकियां किसी के सामने पथ-पदर्शित भी नहीं किया। समूचा राज अपने हृदय में लेकर, पहली छोड़ गया।  सुशांत की युवा महिलाओं से दोस्तियां हस्ति यों से भी थी। अभी हत्या और आत्महत्या पर मंथन किया जा रहा हैं। स्वयं "राजपूत" समाज और परिवार की जिम्मेदारियों को भली भांति समझता था, जिसने बचपन से परिस्थितियों का आचमन पीते हुए, युवा अवस्था में प्रवेश किया था, परिवर्तित परिस्थितियों को समझता था। इसी पर आधारित पथ कथाओं में अभिनय कर, आश्चर्यचकित कर दिया था और वर्तमान परिदृश्य में आत्महत्या का पंसग प्रत्यक्ष रूप से हो नहीं सकता?
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर'
   बालाघाट - मध्यप्रदेश
अभिनेता सुशांन्त सिंह राजपूत की मौत हत्या या आत्महत्या जहाँ तक यह प्रश्न है तो जिस प्रकार की जानकारी अभी तक मिल रही है इसके सुनियोजित हत्या होने से पूरी तरह इनकार नही किया जा सकता फिल्मी दुनिया में जो कुछ भी बहुत सारा आकर्षण दिखता और जैसा दिखाया जाता वह मिथ्या और आभासी ही है बाहर से आये कलाकारो के साथ भेदभाव चरम पर है और जो कुछ अति प्रतिभाशाली जन्मजात एक्टर अपने दम पर पहचान बना लेते है तो उनमें से अधिकतर का हश्र कुछ ऐसा ही होता है कुछ नाम लिये जा सकते है जो इस कुचक्र से बच निकले परन्तु जब सोनूनिगम और गोविन्दा सरीखे लोग कुछ कह रहे है तो उनकी बातों को नकारा नही जा सकता सलमान करन जौहर शाहरूख आदि के नाम लिये जा रहे है जिन्होंने सुशान्त की परेशानियाँ बढाई दाल में कुछ तो काला है भले ही पूरी दाल काली न हो......! 
- प्रमोद कुमार प्रेम 
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः अर्थात् इस आत्मा को शस्त्र नहीं काट सकते, इसको आग नहीं जला सकती, इसको जल नहीं गला सकता और वायु नहीं सुखा सकती है। 34 वर्षीय मशहूर अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने मुंबई में अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या जैसा कदम उठाया। मीडिया में बताया जा रहा है कि पिछले कुछ समय से वह अवसाद से गुजर रहे थे और अवसाद नियन्त्रण से बाहर होने के कारण आत्महत्या कर अपनी जीवनलीला ही समाप्त कर ली।  उभरते नौजवान कलाकार का निधन अपूरणीय क्षति है। शोक की लहर है। अनेक सवाल उठ खड़े हुए हैं। उसके जाने के बाद आरोप-प्रत्यारोप जारी हैं। मामले की तहकीकात की जा रही है।  संबंद्ध परिजनों व मित्रों से पूछताछ की जा रही है। ज्यादा विस्तार में न जाते हुए यही कहा जा सकता है कि सुशांत और अवसादों के बीच के द्वंद्व में अवसाद भारी पड़े और उन्होंने सुशांत की हत्या करने के लिए सुशांत को आत्महत्या के लिए उकसाया और अन्ततः सफल हुए। सुशांत सिंह ने अंत समय में जिस रास्ते का चुनाव किया वह रास्ता सही नहीं था, वे अच्छे अभिनेता थे लेकिन युवाओं के हीरो नहीं बन पाए।  - - - सुदर्शन खन्ना
दिल्ली
सुशांत सिंह की मौत ने सब को झकझोर के रँख दिया है । फिल्म इंडस्ट्री में तो दादा गीरी शुरु से चलती आ रही नये कलाकारों को बहुत परेशान करते है ! अब तो बहुत ही गुटबाजी हो रही है । 
आत्महत्या हो या हत्या या जघन्य अपराध है! आत्नहत्या करने खो मजबूर करने वाले लोग , हत्यारे ही कहलायेंगे उनको सजा होनी चाहिए ..
अपने अंहकार खूबसूरत तुष्टिकरण थे लिए लोगो खो परेशान करना स्वार्थ सिद्धि करना मैं था हूं वर्चस्व रहे यह सब आदमी से गलत काम करवाता है , आत्महत्या भी कारण द्वारा हत्या ही है यह मेरा मानना है ! 
न किया है या आत्महत्या तक ले जाने की कोशिश की है , वो लोग मानव कहलाने लायक नही है 
सुशांत सिंह के मामा ने कहा, हमें नहीं लगता कि उसने आत्महत्या की, पुलिस को इस मामले की जांच करनी चाहिए. उसकी मौत के पीछे कोई साजिश लगती है. उनकी हत्या की गई है. मामा यह बात पटना में सुशांत के निवास के बाहर कही है !
।इस बीच सोशल मीडिया पर यह कहा जा रहा था कि सुशांत की हत्या करने के बाद दरवाजा बाहर से बंद किया गया था। इस मामले में पुलिस ने सुशांत के उस कमरे की चाबी बनाने वाले के बयान भी दर्ज किए हैं।
अपने बयानों से सुर्खियों में रहने वाली अभिनेत्री पायल रोहतगी ने कहा कि सुशांत सिंह ने खुदकुशी नहीं की है उनका मर्डर हुआ है। रोहतगी ने अपने आधिकारिक इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक वीडियो जारी कर कहा कि सुशांत सिंह राजपूत की मौत आत्महत्या नहीं बल्कि मर्डर है। उन्होंने अपने वीडियो में खुलासा किया कि सुशांत सिंह राजपूत जिस डॉक्टर से अपने डिप्रेशन का इलाज करवा रहे थे, वह सभी को डिप्रेशन में रहने की ही दवा देते 
हत्या या आत्महत्या कुछ भी हो कोई यू ही आत्महत्या नहीं करता  जिसने भी परेशा
सुशांत सिंह राजपूत की खुदकुशी का मामला बिहार में अब जोर पकड़ता जा रहा है। देश के अलग-अलग हिस्सों में बॉलीवुड हस्तियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं तो वहीं सोशल मीडिया पर भी इसे लेक लोग आक्रोशित हैं। सुशांत सिंह राजपूत की हत्या हुई थी आत्महत्या, इसे लेकर लोग उन्हें न्याय दिलाने दिलाने के लिए मुहिम चला रहे हैं तो वहीं बिहार में अब इस मामले में कई राजनेताओं और अभिनेताओं ने आगे बढ़कर सीबीआइ से इस घटना की जांच कराने की मांग की है।
मेरी कविता 
क्यो हारे ....
कोई इस तरह अधुरी जिंदगी जीता है।
अपने हाथो अपना गला घोंटता है !!
तुम्हारी कामयाबी के झंडे गड रहे थे !
इतिहास रचने जा रहे थे वो डर गये घबरा गये !!
गम को बयां करते दोस्तों से बात करते !
मुश्किलो से कैसे घबरा गये, मौत को मात देते !!
तुम को राजपूत थे कैसे मैदान से हटगये !
रण भूमि से हटना कायरता है तुम कायर नहीं थे !!
 तुम पर्दे के हिरो हजारों दिलों में बसते थे !
क्या होगा उनका , छोड़ो पर तुम्हारे सपनों था क्या ?
अपना ही सोचना , पीछे रह जायेगे उनका क्या !
तुम मुक्त हो गयो पर हजारों कोरोता छोड़ गयें ।।
तुमने तो तय किया फर्श से अर्श तक का सफर 
आसमान पर पहुंचकर , अपनाया मौत का सफर !!
आखिर क्यों क्या थी।मजबूरी 
कौन देगा इन प्रश्नों का उत्तर !
सुशांत तुम शांत रहते पर खामौश क्यो हुए।!
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
सुशांत सिंह राजपूत की मौत हत्या है या आत्महत्या यह चर्चा का विषय बना हुआ है। देश के सामने राजपूत की मौत पर बवाल मचा हुआ है। कंगना राणावत से लेकर कई कलाकारों ने सुशांत सिंह राजपूत की मौत की सीबीआई जांच की मांग की है। राजपूत के परसंसको की ओर से बिहार के मुजफ्फरपुर, पूर्णिया, पटना, झारखंड के जमशेदपुर की अदालतों में राजपूत की मौत का जिम्मेदार फ़िल्म जगत के नामी कलाकार सलमान खान, शाहरुख खान, आलिया भट, सोनम कपूर, फ़िल्म निर्माता करन जौहर के खिलाफ शिकायतवाढ दर्ज कराया गया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि इन्हीं कलाकारों ने सुशांत सिंह राजपूत को कई सार्वजनिक मंचों पर उपहास उड़ाया था। बेइज्जत किया था। क्योंकि सुशांत सिंह राजपूत फिल्मजगत में किसी बड़ी हस्ती वालों से संबंध नही रखते थे। राजपूत ही नही बल्कि दूसरे राज्यों से आने वाले कलाकारों को मुंबई के दबंग कलाकार जल्दी आगे बढ़ने का मौका नही देते। उनमें से ही खान ग्रुप भी शामिल है। सुशांत सिंह राजपूत की मौत पर भी कई सवाल उठ रहे हैं।  उसके गले मे जो निशान मिले है। वह संदेह पैदा कर रहे हैं क्योंकि फांसी लगने पर दाग कंठ के उपर होने चाहिए जो कंठ से नीचे है। बाए हाथ मे चोट के निशान है। और भी कई सवाल उठ रहे हैं। आत्महत्या की कोई वजह नहीं दिख रही है। यदि वो मानसिक तनाव में थे तब उन्होंने अपने परिवार वालों से कुछ भी क्यों नही बताया। अपने साथी कलाकारों को भी कुछ नही बताया। पढ़ाई में भी राजपूत देशभर में टॉप रैंक लाये थे। यदि राजपूत ने आत्महत्या भी की है तो आत्महत्या के लिए उन्हें उस्काने वाले कौन कौन है। वो भी दोषी कहलाएंगे। वही दूसरी तरफ केरल के मुख्यमंत्री ने खुलासा किया है कि वहाँ बढ़ पीड़ितों के लिए सुशांत सिंह राजपूत ने सवा करोड़ रुपए का सहयोग राशि दिया था जिसका जिक्र तक नही किया। और ना ही किसी न्यूज में आया और ना ही सोशल मीडिया में। उन्हें चर्चा में रहना भी ठीक नही लगता था। बिहार के पूर्णिया  जिला के रहनेवाले सुशांत सिंह राजपूत ने बहुत ही कम समय मे महानगरी मुंबई में लोकप्रियता हासिल की। उसे मुंबई के बड़ी हस्तियों पचा पाना मुश्किल हो रहा था। मात्र तीन साल में सुशांत ने टीवी सीरियल के जी चैनल पर प्रसारित पवित्र रिश्ता में जबरदस्त भूमिका निभाया। इसके बाद सुशांत ने फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया, जिसमे धौनी पर बनी फ़िल्म में सफलता हासिल किया। इसके बाद छिछोरे, काईपोछे भी हिट फिल्म हुई। सुशांत ने कई हिट फिल्में दी।
- अंकिता सिन्हा साहित्यकार
जमशेदपुर -  झारखंड
विषय बहुत ह्रदय स्पर्शी है सुशांत सिंह राजपूत बिहार में विशेषकर पटना जिले का एक उभरता हुआ कामयाब अभिनेता रहा।
पवित्र रिश्ता टीवी सीरियल से उसकी छवि उभर कर पब्लिक के बीच आती रही और वह एक प्रशंसनीय व्यक्तित्व का सिरमौर बनता चला गया। उसके द्वारा बहुत अच्छी अच्छी फिल्में बनी है बहुत ही सफल एक्टर रहा जिस मूवी में उसने एक्टिंग किया वाह लाजवाब रहा जिसके कारण सफलता का परचम लहराता जा रहा था किसी की ऊंचाई देखकर यह गिर्द के लोगों को यह हजम नहीं हो रहा था फिल्मी दुनिया केपी कुछ ऐसे दादागिरी नामक ग्रुप है जो बड़े बुद्धिमता से इन के कामों को सर आते हुए इनके पैर को छोटा करने में लगे रहे सामने आकर सराहना करते थे और चूहे की तरह इनके पर उतरने लगे किसी भी इंसान के हाथ की रोटी अगर छीन लीजिएगा तो उसे बौखलाहट होगी उसके द्वारा साइन किया हुआ साथ फिल्म को डायरेक्टर ने विद्रोह कर लिया फिर भी वह इंसान खबर आया नहीं वह अपनी लड़ाई लड़ता रहा लेकिन इसके अतिरिक्त भी उसे मानसिक रूप से बड़े-बड़े पार्टी में बुलाकर उसे तिरस्कार करना अवहेलना करना उसके व्यक्तित्व को बर्दाश्त नहीं हो पाया और सुशांत सिंह राजपूत धीरे-धीरे मानसिक रूप से अस्वस्थ रहने लगे और डिप्रेशन में चले गए डिप्रेशन एक ऐसी बीमारी है जिसको इंसान स्वीकार नहीं करता है कि मैं डिप्रेशन में हूं और बहुतों से शेयर नहीं करना चाहता है यह बहुत बड़ी गलतफहमी हर इंसान के दिमाग में है यहां पर तो सुशांत सिंह राजपूत डिप्रेशन के लिए मानसिक चिकित्सक सेल चिकित्सा करवा रहे थे पर साथ ही साथ उन्हें काउंसलिंग की भी आवश्यकता थी इस बात को लोग नहीं समझ पाते हैं काउंसलिंग अपने आप में मानसिक रोग की एक दवा है
पारिवारिक काउंसलिंग प्रशिक्षित काउंसलर द्वारा किया गया काउंसलिंग सभी गलतफहमी को दूर करता है विशाल अवसाद को कम कर देता है पर यदि यह नहीं हो सका तो कहीं ना कहीं कुछ मुश्किलें रही हैं सुशांत सिंह राजपूत की हत्या या आत्महत्या है इस विषय को तय करना हमारे और अन्य लोग के बस की बात नहीं है चुकी इसमें बहुत सूक्ष्म बातों पर प्रकाश डालना है और वह सरकारी विभाग ही कर सकती है आम आदमी नहीं अगर इस विषय को यूं कहा जाए कि आत्महत्या के लिए उन्हें प्रेरित किया गया उन्हें उकसाया गया उनकी एक सेक्रेटरी 1 सप्ताह पहले आत्महत्या कर ली थी न्यू से यह पता चलता है कि आत्महत्या के पहले वह इस विषय पर बहुत चर्चा करते थे तो कहीं ना कहीं मानसिक रूप से बहुत प्रताड़ना मिली हुई थी जिसको इन्होंने ईशु बनाकर नकारात्मकता की ओर चले गए दो तरह की घटनाएं इस तरह से होती हैं या तो जींस के कारण या तो परिस्थिति के प्रति कमजोर इंसान जब हो जाता है तो इस तरह के कदम उठा लेता है यह मनोवैज्ञानिक विश्लेषण है हमारे ख्याल से जींस में था या नहीं कहा नहीं जा सकता है पर मनोवैज्ञानिक तौर पर वह बहुत ज्यादा नकारात्मक विचारों से जूझ रहे थे उससे अपने आप को बाहर निकालने में असमर्थ हो रहे थे उनके इर्द-गिर्द रहने वाले जो भी थे वह भी बार-बार वैसी घटनाओं को याद दिला करके उन्हें और नकारात्मक परिस्थिति में धकेल रहे थे और यह फिल्मी दुनिया की बहुत बड़ी साजिश रही क्यों भरते हुए सितारों को फल डालो ताकि उनका वर्चस्व बना रहे इसलिए फिल्मी दुनिया के डायरेक्टर या अन्य जो भी दादागिरी लॉबी के अभिनेता हैं उनको तो भारतीय नागरिकों के द्वारा सबक मिलना चाहिए उनके विरोध में खड़ा रहना आवाज उठाना हम सभी का परम कर्तव्य है ऐसी बात नहीं है कि ऐसी घटना सिर्फ सुशांत सिंह राजपूत के साथ ही हुई है छोटे कस्बे छोटे जिले से आए हुए बहुत सारे ऐसे अभिनेता हैं जो उभरने लगते हैं तो उनको फिर खींच लिया जाता है इस घटना के बाद फिल्म इंडस्ट्री के बहुत सारे लोग अपना अपना बयान दे रहे हैं और वह सुशांत सिंह राजपूत के समर्थन में है कि वह आत्महत्या नहीं पर बस उन्हें हत्या की गई है सिर्फ गला घोटना ही हत्या नहीं है मानसिक रूप से अगर किसी को आप पंगु बना देते हैं तो विवाह हत्या ही कहलाता है इसलिए यह हत्या ही माना जाए तो ज्यादा उचित होगा
- कुमकुम वेदसेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत या आत्महत्या की सही-सही जानकारी न्यूज़ चैनल और समाचार पत्रों से ही अवगत हुआ है कि आत्महत्या किए हैं। 
मुख्य पोस्टमार्टम रिपोर्ट जो बांद्रा पुलिस को दिया गया है उसमें कहा गया है की सुशांत की मौत दम घुटने से हुई है ।उनके शरीर पर कोई संघर्ष के निशान नहीं है। सुशांत के मौत लटकने से दम घुटने के कारण हुई है।सुशांत के शरीर पर किसी बाहरी चोट के निशान नहीं है नाखून भी साफ है। इसके बावजूद बांद्रा पुलिस ने बिसरा रासायनिक विश्लेषण को के लिए भेजा दिया है अभी तक जांच रिपोर्ट नहीं आया है। रिपोर्ट आने पर साफ-साफ पता चलेगा।
लेकिन परिजनों द्वारा उनकी हत्या की आशंका जताई जा रही है। जिसके कारण पुलिस गहरी तरह से छानबीन कर रही है, साथ-साथ उनके नजदीकी लोगों से पूछताछ कर रही है। ताकि कोई सुराग मिले।
पूर्व अभिनेत्री और आज के भाजपा सांसद रूपा गांगुली सीबीआई जांच की मांग की है।
सोशल मीडिया में सुशांत का एक इंटरव्यू वायरल हो रहा है 2 फिल्म के चक्कर में12 फिल्म हाथ से निकल गया।
लेखक का विचार:- जब तक हर तरह से जांच पूरी नहीं होगी यह प्रश्न का उत्तर गर्भ में ही रहेगा। इतना जल्द निर्णय लेना उचित भी नहीं है। वेट एंड वॉच का सिद्धांत अपनाएं।
- विजयेंद्र मोहन
बोकारो - झारखण्ड
हत्या  और  आत्महत्या  में  बहुत  अंतर  है  । स्वाभाविक  मौत  तो  निश्चित  है  ही  क्योंकि  जिसने  जन्म  लिया  है  उसे  तो  एक  दिन  यह  संसार  छोड़ना  ही  पड़ेगा  लेकिन  हत्या  अथवा  आत्महत्या  अपने  पीछे  कई  प्रश्न  छोड़  जाती  है  जिनका  वास्तविक  उत्तर  तो  वही  जानता  है  कि  उसके  साथ  क्या  घटित  हुआ  ।  यह  भी  कह  सकते  हैं  कि  ऊपर  वाला  जाने  । 
      जो  साक्ष्य  जुटाए  जाते  हैं  और  उनका  जो  निष्कर्ष  निकलता  है,  उसी  को  हत्या  है  अथवा  आत्महत्या  मान  लिया  जाता  है  । 
       हत्या  और  आत्महत्या  दोनों  ही  जघन्य  अपराध  है  ।  इन  दोनों  के  कई  कारण  होते  हैं  । 
       वर्तमान  समय  में  सहनशक्ति  तथा  धैर्य  बहुत  अधिक  कमी  है  ।  क्रोध, आवेश  और  अति  संवेदनशीलता  के  कारण  व्यक्ति  आत्महत्या  जैसा  कदम  उठाते  हैं  । 
       संस्कारों  की  कमी  तथा  मीडिया, संचार  के  साधन  भी  इसके  जिम्मेदार  हैं  । 
      ह्रदयहीन  होना,  दया, संवेदनाएं  आदि  मानवीय  गुणों  का  हत्यारों  में  अभाव  होता  है   इसलिए  ऐसा  कदम  उठाते  हुए  उन्हें  उनका  मन  कचोटता   नहीं  । 
       अभिनेता  सुशांत  सिंह  की  मौत  हत्या  है  अथवा  आत्महत्या  यह  साक्ष्य  ही  सिद्ध  कर  सकतें  हैं  । 
       हत्या  अथवा  आत्महत्या  करने  वाले  ऐसा  कदम  उठाने  से  पहले   अपने  घर-परिवार  वालों  के  विषय  में  अवश्य  सोच  लें  क्योंकि  वो  न  तो  जी  पाते  हैं  न  मर  पाते  ।  किसी  को  जिंदा  लाश  न  बनाएं  । 
- बसन्ती  पंवार 
   जोधपुर  -  राजस्थान 
अपन तो सुनी सुनाई बात पर विश्ववास नही करते हैं पर लेखकों के पार तो सुना सुनाया लिखा पढा ही होता हैं अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के विषय में अब क्या कहें ? जीतना पढा सुना देखा समाचार सिरियलो में उससे तो नही लगता की सुशांत आत्महत्या कर सकते हैं मिलन सार हंसमुख सेवा भावी व्यक्ती का यु हमारे बिच से चला जाना खलता हैं। कही गरीब ने सेल्फी लेने की बात कही तो सुशांत तुरन्त त्यार हो गयें। बताया गया की अपने नौकरो को भी लाॅकडाउन का भी पेमेंट दिया था आखरी दिन अपने रिश्तेदारों से भी बात की थी पर कोई ऐसा विषय सामने नही आया की सुशांत आत्महत्या कर सकते हैं।किसी को विश्वास नही हैं।अतः यह कोई साजिस भी हो सक्ती हैं ओर हत्या भी तो क्यो न दुध का दुध ओर पानी का पानी कर दिया जाय ओर सी बि आई जाच कराली जाय। ओर सत्य को सामने लाया जाय।
- कुन्दन पाटिल
 देवास - मध्यप्रदेश
सुशांत सिंह की मौत को मीडिया में जितनी चर्चा मिली उतनी शायद किसी अन्य अभिनेता की मौत को नहीं मिली। कारण एक उभरते सितारे का असमय ही गुम हो जाना। प्रथमदृष्टया यह आत्महत्या थी,और अब फाइनल पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी दम घुटना ही मौत का कारण बताया जा रहा है। इससे यह आत्महत्या ही कहीं जा रही है।  हां, हो सकता है आत्महत्या के लिए प्रेरित करने वाले उसके लिए मजबूर करने वाले कुछ षड्यंत्रकारी, माफिया टाइप लोग हों। लेकिन इसे डायरेक्ट हत्या नहीं माना जा सकता। एक उभरता हुआ सितारा जिसे लोगों के दिलों तक पहुंचने में बहुत ही कम समय लगा था, उसकी सफलता बहुत से सितारों के लिए परेशानी का सबब बन रही थी ? हम मीडिया में आई खबरों को भी नजरअंदाज नहीं कर सकते इस बीच सोनू निगम,मुकेश खन्ना, गोविंदा जैसे बड़े स्टारों ने बॉलीवुड की हकीकत को बयान किया और उसमें अपरोक्ष रूप से माफिया राज की चर्चा की। इतना तो निश्चित है कि सुशांत सिंह के आत्महत्या के पीछे वही कारक हो सकते हैं। लेकिन इसे हत्या नहीं, आत्महत्या ही कहां जाएगा जैसा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी कहा गया है।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत एक होनहार, प्रतिभावान कलाकार,एक मध्यमवर्गीय परिवार का बेटा का जाना अति दुखदाई है। उनके पिता का दुख शब्दों में नहीं कहा जा सकता है। ये आत्महत्या थी या आत्महत्या इन दोनो तथ्यों पर पुलिस जांच कर रही है। और सभी चाहते हैं कि जांच निष्पक्ष हो। हमारे पर्दे पर का वो धौनी था। सभी को रूला गया उनका मुस्कुराता मासूम चेहरा। कलाकारों की हत्या खासकर बाहरी कलाकारों की हत्या सीनेमा जगत में पहली बार नहीं है। लेकिन सुशांत सिंह की मौत ने लोगों को जागरूक किया है वॉलिवुड के प्रति जिन्होंने इसे अपने कब्जे में रखा है,सीनेजगत का क्रूर सच काला चेहरा। चकाचौंध नगरी की स्याह रात को उजागर किया है। लोगों ने भी सुशांत के लिए अपनी सजगता दिखाई है।
लेकिन सवाल ये है कि हर क्षेत्र में महारथ हासिल करने बाला सुशांत ने आत्महत्या की ये किसी के गले नहीं उतर रहा है।ऊच्च विचारों और सकारात्मकता से लबालब व्यक्तित्व के धनी ने ये क़दम क्यों उठाया। अपनी सांसें बंद करना कोई आसान काम नहीं है  । आखिरकार वो क्या वजह थी कि खुद की जान ले ली। इसके पीछे बहुत से लोगों का हाथ है। पुराने कलाकार,नये कलाकारों को मंच पर बुलाकर उसका मनोबल गिराते हैं उन्हें सभी के सामने जलील करके,उनका मजाक उड़ा कर। कहीं न कहीं उनकी मंशा होती है नवोदित कलाकारों को आगे न बढ़ने देने की, साथ ही भाई भतीजावाद तो है ही। फिर भी नवोदित कलाकार इसे झेल जाएं तो उसके काम को छीन लेना,ऐसी स्थिति पैदा करना की मरने पर मजबूर हो जाय। सुशांत की मौत भी एक सुनियोजित प्लान का हिस्सा था बिना कातिल और हथियार के उसे मरने को मजबूर किया गया।माना की वो तनाव में था और एकांत में तो क्या यही समाधान है। मैं सभी युवा पीढ़ी से कहना चाहतीं हूं की,अगर एक दरवाजा बंद हो तो कई खुले मिलेंगे।आगे बढ़कर तो देखें। जिंदगी है तो सब है।ये जिंदगी किसी एक अपने की नहीं है इनसे जुड़े परिवार के सभी सदस्यों का खासकर माता पिता का जिनकी दुनिया अपने बच्चों के इर्द-गिर्द ही घूमती है। कोई समस्या है तो अपनों से बातचीत कीजिए,मन हल्का होगा। अपनों के विचार से समाधान भी हो जाएगा।"जिसे पिता को कन्धा देना चाहिए वो पिता के कान्धे पर इससे दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति किसी पिता के लिए क्या हो सकता है। बेटा के चिता की आग ठंडी हो जाती है लेकिन माता पिता के मन मस्तिष्क में वो आग ताउम्र जलती रहती है।
- रेणु झा
रांची - झारखंड
सुशांत सिंह राजपूत की मौत दिखाई तो दे रहा आत्महत्या दरसअल ये हत्या हैं। नेपोटिजम की तहत हत्या हुई हैं। एक पिछड़े राज्य के छोटे से शहर का लड़का कुछ ही दिनों में फ़िल्म इंडस्ट्री में अपने एक्टिंग से एक अच्छा मुकाम हासिल कर लिया था। जो कि फ़िल्म इंडस्ट्री के माफिया सहन नही कर पा रहे थे। सात फ़िल्म एक साजिश के तहत छीन जाने के कारण सुशांत सिंह मानसिक रूप से बीमार हो गए और डिप्रेशन में चले गये। 
सुशांत सिंह को ये बातें अपने परिवार और आम पब्लिक में रखना चाहिए था । उन्होंने ये बातें खुद तक सीमित रखे और डॉक्टर से ईलाज करवाते रहे। कोई भी समस्या का समाधान अपनो से शेयर करने से हल हो जाता हैं। दुनिया मे समस्या है तो उसका समाधान भी हैं। सुशांत सिंह आत्महत्या नही करना चाहिए था। वो अंदर से टूट गए थे तभी तो कायरता वाली कदम उठा लिए। कंगना रानावत आज भी हिम्मत नहीं हारी और डटकर फ़िल्म माफिया से  मुकाबला कर रही हैं। यही काम सुशांत सिंह को भी करना चाहिए था। भगवान का दिया हुआ जीवन बड़ी अनमोल हैं इसे इंसान को कभी खत्म ही करना चाहिए, बल्कि जीवन की हर परिस्थितियों में धैर्य से मुकाबला करना चाहिए।
- प्रेमलता सिंह
पटना - बिहार
जब किसी के जीने की चाहत की हत्या की जाती है, तब वह आत्महत्या करता है ।यह सवाल उठना जरूरी भी है कि कोई व्यक्ति जो जीवन से भरपूर हो, सफलता की बुलंदियों को छू रहा हो, मिलनसार हो ,हंसमुख हो, जिसकी आयु कम हो वह क्यों आत्महत्या यानी स्वयं की हत्या करेगा?
   सुशांत सिंह एक अत्यंत मेधावी छात्र थे। वे अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई अधूरी छोड़कर अभिनय के क्षेत्र में कूद पड़े। शुरुआत उन्होंने दूरदर्शन से किया और अत्यंत लोकप्रिय अभिनेता बने। वे अत्यंत महत्वाकांक्षी एवं आत्मविश्वास से परिपूर्ण थे। जब उनकी दूरदर्शन पर आने वाली सीरियल "पवित्र रिश्ता" बुलंदियों को छू रहा था, तब उन्होंने उसे छोड़कर फिल्मों में पदार्पण किया। यहाँ भी उन्होंने बहुत ही कम वक्त में सफलता के झंडे गाड़ दिये। उनकी फिल्में चल रही थी तथा उनके पास काम की कमी नहीं थी। फिर क्या हुआ जो उन्होंने आत्महत्या कर लिया । अब सवाल यह उठता है कि इतने कम समय में बड़े बड़े स्टारों  के बीच अपनी पहचान बनाने वाले सुशांत सिंह ने आखिर क्यों इतनी कम उम्र में आत्महत्या कर ली? क्या फिल्मी जगत में उनके साथ भेदभाव की जा रही थी ,उनकी उपेक्षा की जा रही थी,या वे ऐसी साजिश के शिकार हुए कि उनकी जीने की चाहत समाप्त हो गई और उन्होंने आत्महत्या कर लिया । किसी के मनोबल तोड़ना ,किसी की महत्वाकांक्षा की हत्या करना, यह सब उसकी जीने की चाहत की हत्या करता है ।अतः निःसंदेह हम कह सकते हैं कि यह आत्महत्या नहीं,एक हत्या है।
             -  रंजना वर्मा "उन्मुक्त "
रांची - झारखण्ड
एक प्रतिभाशाली उभरते हुए अभिनेता के मौत की खबर ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। खबर की सच्चाई पर विश्वास करना भी कठिन प्रतीत हो रहा है। किन्तु सच्चाई तो यही है कि सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु हो चुकी है। अब ये मौत हत्या है या आत्महत्या इस गुत्थी को सुलझाना भी उतना ही कठिन है जितना इस खबर पर विश्वास करना। एक अत्यंत ही प्रतिभाशाली या यूँ कहें कि चहुँमुखी प्रतिभ के धनी और विवेकशील इंसान से इस प्रकार के कदम उठाने की उम्मीद तो बिलकुल भी नहीं की जा सकती है। उस पर से सारी परिस्थितियाँ जो भी हमने देखी सुनी हैं यही बताती हैं कि ये आत्महत्या नहीं हो सकती। किन्तु साक्ष्य और गवाह के अनुसार ये एक आत्महत्या ही है। अब प्रश्न ये उठता है कि सुशांत सिंह जैसे ख्याति प्राप्त और समृद्ध इंसान को आखिरकार ऐसा कदम उठाने की क्या आवश्यकता पड़ गई? ऐसी कौन सी परिस्थितियाँ थीं जिसने उसे अपनी जीवन लीला समाप्त करने के लिए विवश कर दिया। जिस किसी के भी व्यवहार ने उसे इस कृत्य के लिए विवश या प्रेरित किया वो निश्चित तौर पर दोषी है और उसे सुशांत सिंह के हत्यारा के रूप में ही देखा जायगा। किसी के मौत के उपरांत यदि किसी को हत्यारा माना जाए तो ये बात तो पक्की ही है कि वो मौत आत्महत्या नहीं बल्कि हत्या की श्रेणी में ही आएगा।
- रूणा रश्मि "दीप्त"
राँची , झारखंड
आज के समय का यह एक ज्वलंत  मुद्दा  है' हत्या या आत्महत्या' ? यह जो भी रहा हो इसका दोनों रुप बड़ा हीं विद्रुप है ।सच तो ये है कि मरने वाले सुशांत सिंह जी अपने साथ हीं सारी गुत्थियों को उलझा कर दूसरी दुनिया में चले गए। नाम कितना सुन्दर मां बाप_ ने रखा था , सु _ शांत लेकिन खैर। कुछ दिनों तक  अखबार और न्यूज की सुर्खियों में रहने के बाद यह भी अन्य पिछले सारे ऐसे विवादित घटनाओं की तरह हीं ठंडे बस्ते में चला जाएगा। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार तो यह आत्महत्या का हीं मामला है अब इसके पीछे कारण जो भी रहा हो ।बेचारे बुजुर्ग पिता के लिए सारी जिंदगी रोते रहने की व्यथा दे गये।इतनी पढ़ाई-लिखाई सब व्यर्थ गयी जब जीवन के इस छोटे से जंग से वो हार मान गये।अभी काफी लम्बी जिंदगी थी उनकी। इतनी जल्दी हार मान कर इतना ग़लत क़दम उठाना बहुत दुखदाई रहा। जिंदगी तो दुःख_ सुख, उतार_ चढ़ाव ,हर समय  हर किसी के लिए यही जिंदगी और जीवन का मतलब होता हीं है, लेकिन आजकल यह एक टेरेंड बनता जा रहा है लोग छोटी सी बात पर भी ऐसा भयानक क़दम उठा लेते हैं ।आजकल बच्चे, बुढ़े और जवान कोई भी वर्ग इससे अछूता नहीं है। मुझे नहीं मालूम कि व्यक्ति आजकल इतना अधीर क्यूं होता जा रहा है ? सहनशीलता शून्य होती जा रही है ,आजकल के लोगों में और तभी इतना ग़लत क़दम परिणामस्वरूप देखने को मिल रहें हैं।पहले आत्महत्या जैसी वारदात बहुत विरले ही सुनने को मिलती थी लेकिन  आजकल यह घटना  बहुतायात होने लगी है जो काफ़ी चिंतनीय है।एक समय अमिताभ बच्चन जी भी लगातार फ्लाप होते जा रहे थे तो क्या? अभिषेक बच्चन इतना अच्छा बैक_ अप मिलने के बावजूद नहीं चल पाए तो क्या ? आज तक, दिव्या भारती, बालिका बधू सीरियल की प्रत्युषा बनर्जी नायिकाओं की गुत्थी उलझी हीं रह गई। हां ये सही है कि जो भी हुआ हो बेहद कारूणिक और दुःखदायी है।
- डॉ पूनम देवा
पटना -  बिहार

" मेरी दृष्टि में " आत्महत्या कोई भी इंसान नहीं करना चाहता है परन्तु होती है । ऐसा क्यों ?  जीवन में बहुत से उतार - चढाओ आते हैं । इन उतार - चढाओ के पीछे कौन होता है । यहीं प्रश्न " आज की चर्चा " का वास्तविक मुद्दा है । सुशांत सिंह राजपूत के अतिरिक्त इस केस में कोई ना कोई  भूमिका अवश्य निभा रहा था ।
                                           - बीजेन्द्र जैमिनी 
सम्मान पत्र 


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