भारत को चीन के खिलाफ दुनियां में मोर्चा तैयार करना चाहिए ?

चीन की हरकतें दुनियां जानती है । कोरोना वायरस का जिम्मेदार भी चीन ही है । ऐसे में चीन के खिलाफ बहुत देश हैं । भारत को सबको एकत्रित कर के मोर्चा बनना चाहिए । तभी चीन के खिलाफ सफलता की सभावना बहुत अधिक सो सकती है । यही " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
     आज तक के इतिहास में भारत  जैसे देश से कुछ हो पाया है ? जब भी किसी वर्ग या समुदाय ने  अपनी आवाज उठाई , तो उसे अंजाम तक पहुँचाया  और भारत  अपनी  शांतिप्रियता का डंका पीटता रहा । उसे डंके की आवाज में कब उसके हिस्से कट कट के ईरान ,अफगानिस्तान ,बलूचिस्तान  पाकिस्तान , भूटान , नेपाल, पोक ,  बंगला देश बन गए भारत को पता ही नही लगा । भारत की जनता रट्टू तोतों की तरह  नारो में डूबी रही और नये नये डेढ़ बनते चले गए ।।
     क्या आप सोचते है कि भारत चीन जैसे विशाल और आधुनिक तकनीक से भरपूर देश का मुकाबला कर पायेगा ? भारत को भौगोलिक स्तिथि इतनी विकट व पेचीदा और असुविधाओं से  लैस है कि  चाह करके भी भारत किसी भे देश का मुकाबला नही कर पायेगा । 
     चीन ने  जरा सी छेड़छाड़  का एक ट्रेलर मात्र दिखाया और भारत चारो खाने चित हो गया । अब सिर्फ चेहरे पर खिसियाहट है और मन मे झल्लाहट । 
     कल प्रधानमंत्री जी का भाषण सुना ।उनके अनुसार चीन ने न तो भारत मे घुसपैठ की न उसने एक इंच जमीन ली , न उसके अधिकार में आधी इंच भारत की जमीन है -तो फिर रोष ,अफसोस किस बात का ? जवान शहीद हुए है सो उनकी नियति ही यही है । उनके परिवारों के  मुँह में नोट ,जमीन ,घर के पेपर्स ठूस दिये जायेंगे और सब  कुछ  ठीकठाक हो जाएगा ।
     फिर भारत  को चीन के खिलाफ दुनिया मे क्यो अपने यहाँ भी कोई मोर्चा खोलने की जरूरत नही है ।।
- सुशीला जोशी
मुजफ्फरनगर - उत्तर प्रदेश
  भारत को इनके खिलाफ दुनिया में मोर्चा तैयार कर युद्ध करने से समाधान मिल जाती है तो जरूर करना चाहिए और अगर यह समाधान का रास्ता नहीं है तो चीन से संबंध विच्छेद कर स्वंम के विकास के लिए आगे बढ़ना चाहिए क्योंकि हर देश सुख शांति के साथ जीना चाहता है और सुख शांति भौतिक और बौद्धिक विकास से ही संभव है अतः इन विकास को किस तरह क्रियान्वयन किया जाए इस पर ध्यान देना चाहिए जो व्यक्ति गलत करता है उसके पीछे अपने उर्जा को क्यों लगाना चाहिए?
 ऊर्जा गलती के लिए नहीं मिली है  ऊर्जा सुख शांति के अर्थ में बना है अतः जो हमारे भारत के पास ज्ञान स्वरूप में उर्जा विद्यमान है उस उर्जा को सत मार्ग अर्थात अपने विकास में लगाना चाहिए ना की लड़ने झगड़ने में चीन को कहीं ना कहीं से सबक जरूर मिलेगी क्योंकि जो गलत करता है उसकी गलती की सजा आज नहीं तो कल प्रकृति जरूर देती है अतः चीनी के पीछे पड़ने के बजाय हम अपने विकास पर ध्यान दें और ऐसे मक्कार देशों से अपना संबंध विच्छेद कर दें यही बुद्धिमानी है और किस तरह से अपने देश में लोगों को जागृत कर अमन चैन और शशान के साथ जी पाएं इस पर विचार करें। एक तो पहले से ही समस्या है करुणा से कैसे निजात पाएं एक समस्या का समाधान नहीं हुआ है और दूसरे समस्या मोर लेने के बजाय शांति ढंग से किस तरह समस्या का समाधान की जाए इस पर विचार करना चाहिए यही वर्तमान समय की मांग है। इस कार्य में केवल सरकार ही नहीं पूरे समाज के लोगों को अपनी सहभागिता ईमानदारी के साथ करने की आवश्यकता है यही हमारी भारतीय संस्कृति है।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
भारत को चीन के खिलाफ दुनिया में मोर्चा तैयार करना चाहिए 
भारत ने मोर्चा तैयार करना या नहीं या अलग बात है परन्तु हमें 
स्वंयम का विकास व स्वदेशी व आत्मनिर्भर होने पर जरुर पहल करनी चाहिए ! 
चीन से लडने से उच्छा है हम अपनी उन्नति। करे स्वालम्बी बने , 
चीन को दो बातें अच्छी तरह से समझ लेनी चाहिए - पहली ये कि जो गरजते हैं वो अक्सर बरसते नहीं हैं, और दूसरी अधिक महत्वपूर्ण बात ये कि जो खामोश रहते हैं वही अक्सर भारी पड़ते हैं. भारत ने कहा कुछ नहीं है पर कर सब कुछ डालेगा. बेहतर हो कि चीन ये भी अच्छी तरह से समझ ले कि आज नेहरू का 1962 वाला भारत नहीं बल्कि मोदी का 2020 का भारतवर्ष है उसके सामने.
कोरोना कॉन्सपिरेसी के मुजरिम चीन के बेनकाब हो जाने के बाद जो सबसे ज्यादा ज़रूरी आवश्यकता थी अब उस पर कार्य हुआ है.  चोरी की चोरी ऊपर से सीना जोरी वाले बेशर्म देश चीन को अब सब अलग-अलग चुनौती नहीं देंगे, अब उसके खिलाफ एक अलायंस तैयार किया गया है जो चीन का हिसाब करेगा. चीन के दुश्मन इस गठबंधन का नाम रखा गया है - आईपैक अर्थात इंटर-पार्लामेंटरी अलायंस ऑन चाइना (IPAC) जिसमें अमेरिका, जर्मनी, ब्रिटेन, जापान, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, स्वीडन, नॉर्वे और यूरोप की संसद के सदस्य शामिल चीन विरोधी इस ज़रूरी गठबंधन में दुनिया के ताकतवर आठ देश शामिल हुए हैं. अब तक खुल कर सामने नहीं आये ये देश अब साफ़ तौर पर चीन के खिलाफ खड़े हुए हैं. इन देशों ने चीन को व्यापार, सुरक्षा और मानवाधिकारों के लिए दुनिया का सबसे बड़ा खतरा करार दिया है. 
मूल रूप से तीन कारणों से ये आठ देश चीन के खिलाफ साथ आये हैं और ये कारण हैं कोरोना वायरस, साउथ चाइना सी और हॉन्ग-कॉन्ग. इतना ही नहीं भारत की लद्दाख सीमा पर चल रही चीनी धृष्टता पर भी इन देशों की बराबर नज़र बनी हुई है. ज़ाहिर है भारत ने अभी कहा कुछ नहीं पर शत्रु के खिलाफ खड़े भारत के मित्रों का भारत समर्थन करने से कभी चूकेगा नहीं.
चीन को अब सम्हल जाना चाहिए क्योंकि इन आठ देशों ने, जिनमें अभी भारत शामिल नहीं हुआ है, चीन को दुनिया का तिहरा बड़ा खतरा बताया है. इस आठ देशों के चीन-विरोधी गठबंधन ने साफ़ साफ़ कहा है कि चीन की उपस्थिति वैश्विक व्यापार, वैश्विक सुरक्षा और मानवाधिकारों के लिए बड़ा खतरा है.
धारा 370 हटाने और लद्दाख से जम्मू-कश्मीर को अलग करने से भी चीन को मिर्ची लगी. हालांकि, चीन ने तत्काल कोई कारवाई नहीं की थी लेकिन चीन के आधिकारिक मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने उसी समय भारत के इस कदम का भरपूर विरोध किया था. ऐसे में इस बात के कयास लगाए जाने लगे थे कि चीन का अगला कदम क्या होगा?
भारत का दुनिया में बढ़ता दबदबा और अमेरिका (और आस्ट्रेलिया) जैसे देशों से बढ़ती नजदिकियां चीन को कतई ना भा रही हैं. चीन को ऐसा लगता है कि भारत अमेरिका के साथ मिलकर चीन को घेरना चाहता है. यही वजह है कि चीन एक तरफ पाकिस्तान को भारत के खिलाफ उकसा रहा है और दूसरी तरफ से खुद भारत को घेरने की तैयारी कर रहा है.
चीन को उसकी गलतियों व धोंखाधडी करने का सबक।तो देना चाहिए , 
परन्तु अब हमें हमारी आंतरिक।मजबूती  पर ँध्यान देना चाहिए 
हम जब मजबूत होंगे हर तरह से तो कोई हमारी तरफ आंख नही उठा पायेगा । 
- डॉ अलका पाण्डेय
 मुम्बई - महाराष्ट्र
चीन ने लद्दाख के गलवान घाटी में जिस कायरता से भारतीय सेना पर हमला किया,उसमें कर्नल सहित 20 सैनिक शाहिद हो गए। इस हमले के बाद देश मे चीन के खिलाफ बहुत ही आक्रोश है। भारत मे चीनी सामानों का बहिष्कार शुरू कर दिया है। इसके साथ ही भारत ने चीन के खिलाफ मोर्चा तैयार करना शुरू कर दिया है। कोरोना संक्रमण फैलाने से विश्व के कई देश चीन के खिलाफ पहले से ही हैं। इस पर भारत पर हमला करने के बाद कई देश भारत के समर्थन में आ गए हैं। चीन की हरकतों से अमेरिका, आस्ट्रेलिया जैसे कई देशों का नैतिक समर्थन मिल रहा है। भारत लगातार अपने मित्र देशों के संपर्क में है। अमेरिका, आस्ट्रेलिया ने खुलकर चीन की नीति की आलोचना की है। जबकि कई देश स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। भारत के पक्ष में वैश्विक स्तर पर कूटनीतिक समर्थन चीन पर दबाव बनाएगा। हालांकि चीन अपनी नीति में सुधार करेगा यह समझना गलत होगा। बल्कि चीन इसकी वजह से और भी आक्रमकता दिखाने की कोशिश कर सकता है। क्योंकि वह दुनियां में अपनी ताकत का संदेश देना चाहता है। भारत को अपने आधारभूत ढांचे में भी तेजी लाने का सही समय है। भारत ने चीन धोखेबाजी के बाद कई स्तरों पर कूटनीतिक की योजना बनाई है। भारत ने ताइवान से अपने सांस्कृतिक के साथ वहाँ के लोगों के साथ संपर्क के स्तर पर सहयोग बढ़ाएगा। भारत वैश्विक स्तर पर मंचों पर भी चीन को बेनकाब करने की मुहिम चलाएगा। चीन की दुश्मनी सिर्फ भारत से ही नहीं है। चीन ने 23 देशों की सीमा पर बुरी नजर गड़ाई है भले ही उसको सीमा 14 देशों से लगती है। चीन 23 देशों की जमीन व समुद्री सीमाओं पर अपना दावा जताता है। ला ट्रॉबे यूनिवर्सिटी की एशिया सुरक्षा रिपोर्ट ने चीन की इस हरकत का खुलासा किया है। चीन ने 41 लाख वर्ग किलोमीटर दूसरों की भूमि पर कब्जा जमाया है। 3488 वर्ग किलोमीटर वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर भारत से चीन का मतभेद है। चीन की वन बेल्ट वन रोड से पूरे एशिया और यूरोपबको जोड़ने की मुहिम थी, जो अभी तक पूरी नहीं हो सकी है। चीन भारत का ही नही बल्कि विश्व के दो दर्जन से भी अधिक देशों से दुश्मनी ले रखा है। इस परिस्थिति में दुनियाभर के कई देश भारत के समर्थन में खड़े हैं।
- अंकिता सिन्हा साहित्यकार
जमशेदपुर -  झारखंड
मानवीय प्रवृति है कि हम हमेशा पार देखते हैं क्योंकि वार यानि इस तरफ तो हम स्वयं खड़े होते हैं।आज भारत और चीन के बीच सीमा पर को तनाव चल रहा है उस पर भी मीडिया या सरकार की दृष्टि से देखें तो कुछ ऐसा ही है।साथ ही भारतीय जनसंख्या की तरफ से भी।तो अब बचा कौन।वो है हमारा शूरवीर फौजी या सैनिक।वो जिस जगह है वहां पर तनाव भी है,वो सीमा भी है और वो चीन भी है जिसके संग खींचातानी चल रही है।इसलिए जरूरी है कि हम उसके परिपेक्ष में सोचें और सरकार भी उनके साथ या उनके परिवारजनों के सन्दर्भ में निर्णय ले।फिर चाहे वो घरेलू हों या अन्तर्राष्ट्रीय।
         अब यदि देखें कि भारत को चीन के खिलाफ दुनिया में मोर्चा तैयार करना चाहिए?तो मेरा उत्तर हां होगा।परंतु उससे पूर्व हमें अपने स्तर पर पूरी तैयारी कर लेनी चाहिए ताकि जिनके संग मिलकर हम मोर्चा तैयार करने जाएंगे उन देशों को भी हमारी सैन्य शक्ति का पूर्वाभास हो जाना चाहिए।ऎसे में उनके लिए भी ना करना जरा मुश्किल ही होगा।बशर्ते हम अपना रुख चीन के खिलाफ पहले ही दर्सा दें या कहें कि स्पष्ट कर दें।तभी जाकर अन्य मुल्क भी चीन के खिलाफ हमारे राष्ट्र संग खड़े नजर आएंगे।अगर हमें हमारी तैयारी के साथ अन्तर्राष्ट्रीय संग साथ मिलता है तो फिर संयुक्त राष्ट्र संघ के भी तरफ से विरोध नहीं खेलना पड़ेगा।
        हम भारतीय अपना मोर्चा खोल लें अपनी सेना और उनके परिजनों को सहयोग करने के लिए तथा सरकार अपना दृष्टिकोण जरा सा बदले फैसले ले,सैनिकों को कुछ अधिकार सीमा पर दे तथा सैनिक जो तैयार बैठे हैं अपने कदम बढ़ाएं।किसी फरमान का शहीद होने तक इंतजार ना करना पड़े।
     इस प्रकार से हम यह कह सकते हैं कि भारत को चीन के खिलाफ दुनिया में मोर्चा तैयार करना चाहिए।निश्चित रूप से करना चाहिए।
- नरेश सिंह नयाल
देहरादून - उत्तराखंड
जो बुरा है वह हमेशा ही बुरा रहेगा वह कितना भी अच्छा बन जाए एक ना एक दिन उसका चेहरा दुनिया के सामने आएगा यही चीन के साथ हुआ वह भारत का हमेशा विरोध करता रहा और कब्जा करता रहा उसने ऐसी महामारी आ देती है कि उसकी नियत पूरे विश्व को समझ आ गई है।यह हमारे देश के लिए बहुत अच्छा हुआ अब हमें यह चाहिए कि हम उसका सामान ना खरीदें स्वदेशी सामानों को ही अपनाएं और पूरे विश्व में यही जानते हैं कि सभी लोग अपने अपने देशों का सामान को अपनाएं।महामारी के दौरान भी हमारे आयुर्वेदिक तरीके के कारण ही पूरे विश्व में इलाज सभी का संभव हो सका है इसके लिए विश्व हमारे मानवतावादी दृष्टिकोण का आदर करेगा और सभी लोग हमारा साथ देंगे क्योंकि सच्चाई का साथ सभी देते हैं
- प्रीति मिश्रा 
जबलपुर - मध्य प्रदेश
भारत को चीन के खिलाफ दुनिया में मोर्चा तैयार करने में देर नही करना चाहिए। अन्यथा चीन अपनी नई चाल चल सकता है  और इसका परिणाम भी बहुत बुरा हो सकता है। अतः अब समय  नही बचा ,विश्व कल्याण के लिए चीन जैसे देश की तबाही होना अति आवश्यक हो गया है। विश्व के तमाम देशों को एक होकर चीन जैसे नापाक इरादा और मानव तबाही की ख्वाहिश रखने वाले को एकजुट होकर समाप्त करना चाहिए। चीन किसी का नही हो सकता यह विश्व संकट है। धीरे धीरे करके यह सभी देशों को तबाह करने की कोशिश करेगा। अतः मोर्चा के साथ साथ युद्ध की घोषणा भी शीघ्र कर देना चाहिए। 
- राम नारायण साहू "राज"
रायपुर - छत्तीसगढ़
ये बिल्कुल सही बात है कि जिस प्रकार की आज चीन की सोच हो गई है और जिस प्रकार के कृत्यों को आज चीन अंजाम दे रहा है वो न केवल एक देश विशेष के लिए बल्कि पूरे विश्व को ले डूबने वाले कारनामे है , जिनका अंजाम पूरा विश्व कोरोना के चलते आज भुगत भी रहा है । वही पूरी दुनिया को संकट में डालने वाले चीन की हिमाकते यही नही ठहर रही है बल्कि अब वह अपना सीमा विस्तार करने में लगा है , जिसके चलते वह वेवजह अपनी सीमाओं से लगने वाले अन्य देशों के क्षेत्रों को अपना बताकर जबर्दस्ती उनपर कब्जा करना चाहता है । चीन की ये हरकते न केवल विश्व मे अशांति फैला रही है बल्कि आज इसी चीन की वजह से पूरी दुनिया तनाव का माहौल बना हुआ है ।
चीन की अकल ठिकाने लेन के लिए भारत को चाणक्य नीति अपने की जरूरत है । अर्थात दुश्मन की कमजोर नश पर लगातार वार करते हुए ही अब परलोक भेजने का वक्त आ गया है । दरसल कोरोना वायरस के समूचे विश्व मे फैलने का कारण आज सभी देश चीन को मानते है । जिसके लिए चीन को हर तरीके से दोषी ठहराया जा चुका है और अमेरिका तो चीन के खिलाफ अपने पास सबूत होने तक का दम भरता है । जो चीन को घेरने के लिए भारत के पास गोल्डन चांस है । इसी कोरोना महामारी से हुए नुकसान व गई जानो के नुकसान के लिए भारत को ( अमेरिका , इटली , फ्रांस , ब्रिटेन , स्पेन , जापान , ब्राजील , रूस , पेरू , जर्मनी ) आदि मुख्य देशों को अपनी ओर करने की आवश्यकता है । जिसके लिए कोरोना महामारी के मुद्दे पर लगातार इन देशों से वार्ता करना आवश्यक है । इसी वार्ता से दुनिया भर में चीन की घेराबंदी हो सकेगी ।
इस समय सुपर पॉवर अमेरिका जैसे देश भी चीन से परेशान है ओर उसे सबक सिखाना चाहता है , वही ताइवान से भी चीन के रिश्ते ठीक नही है । जो भारत के लिए प्लस पॉइंट है । भारत सरकार को इसी दिशा में प्रयासरत रहते हुए इन इन मुद्दों को लगातार उठाते हुए विश्व पटल पर चीन के खिलाफ मोर्चा तैयार करने की आवश्यता है । ताकि चीन अपने ही जाल में स्वयम उलझता नजर आए और उसे उसके किये का दंड मिल सके  , जिससे फिर कोई देश विश्व के लिए कोई संकट पैदा न कर सके । 
- परीक्षीत गुप्ता
बिजनौर -  उत्तरप्रदेश
कहते हैं "लोहा जब गर्म हो तभी चोट करनी चाहिए"। दुनिया में चीन के प्रति इस समय व्यापक रोष व्याप्त है, इसलिए यही, सही समय है, जब दुनिया के देश एकजुट होकर चीन के खिलाफ मोर्चा खोल दें।  
गलवान घाटी में चीन की नापाक साजिशों से भरी हरकत की वजह से हमारे जवानों की शहादत ने भारत को उसके साथ अपने सम्बन्धों पर कठोर कदम उठाने के लिए विवश कर दिया है और अब चीन को सबक सिखाना आवश्यक हो गया है। 
परन्तु चीन अपनी विस्तारवादी नीति की निकृष्ट मंशा को आसानी से नहीं छोड़ेगा, इसके लिए दुनिया को एक होना पड़ेगा। इसके लिए भारत को चीन के कुटिल चेहरे के प्रति दुनिया को एकजुट करने का प्रयास करना होगा। 
कोरोना वायरस का अपराधी होने के कारण इस समय चीन के प्रति पहले से ही दुनिया के अधिकांश देशों में गुस्सा व्याप्त है। बस, इस गुस्से को नेतृत्व देने वाला कोई चाहिए। ऐसे समय में दुनिया के मन में उसकी कुटिलताओं के प्रति उत्पन्न रोष को धरातल पर उतारने के लिए भारत को हरसंभव प्रयास करने होंगे तभी चीन के खिलाफ दुनिया में मोर्चा तैयार होगा।
- सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग'
देहरादून - उत्तराखण्ड
आज दुख की घड़ी है हमारे जवान शहीद हो गये हमे पूरे देश के साथ मिलकर मोर्चा निकालना होगा जो शहीद हुए है वो शहीद हमारी रक्षा के लिए वोर्डर पर जाते है। उन माँ ओ से पुछो जिन्होने इकलौता लाल खो दिया जिन्होंने जिनका जवान बेटा शहीद हो गया छः महीने की बच्ची को ६ोड़कर  उन विधवा पत्नियों से  पुछो जो अभी ठीक से साथ रहकर एक दूसरे को जान भी ना पाये दुख होता है उनकी शहादत पर जिन्होंने अभी कुछ देखा नही था। आज पुरे देश को एकजुट होकर चीन का बहिष्कार करना चाहिए।
त्याग दो चीनी माल सभी को मिलकर मोर्चा निकालना होगा धोखे से मारा है वीरो को इस धोखे का बदला लेना होगा ।  हमारे वीर शहीदो की शहादत का बदला लेना है आर्थिक रूप से कमजोर करना है चीन की कमर तोड़नी है हमारी सरकार ठोस कदम उठाने की तैयारी कर रही है सभी सेना सर्तक है मन मे बदले की भावना लिये ।
हमारी पीठ में खंजर घोपा
निकाल दो उनके नाम का मोर्चा
हुई शहर गाँव गाँव चर्चा
चीन ने धोखे से मारा वीरो को
लड़ते रहे अंतिम सांस धारदार
हथियार से मारा वीरो को ॥
मत करो चर्चा निकालो मोर्चा।
- नीमा शर्मा  'हंसमुख '
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
आज चीन के खिलाफ सारे विश्व एकमत खड़ा है। मगर कोई भी चीन से आंख में आंख डालने की हिम्मत नहीं कर रहा।क्योकि सब जानते हैं कि चीन ने विश्व के समस्त देशों को व्यापार के माध्यम से कंट्रोल किया हुआ है। भारत के बाज़ारो में भी चीन के समान की बाढ़ आई हुई है।जिससे चीन को भारत से ही 8 बिलियन डॉलर का व्यापार मिलता है।इसके बावजूद भी चीन हमेशा से ही अवसरवादी और विस्तारवादी नीति का ही समर्थक है। इसके लिए वह दोस्ती और रिश्ते भी तक पर रख देता है।जिसका जीत जागता उदाहरण गलवान घाटी की घटना है जिसमें हमारे 20 जवान शहीद हुए हैं।
अब समय आ गया है की चीन को बेनकाब किया जाए। और उसके खिलाफ पूरे विश्व को चीन से व्यापार पर अंकुश लगाना होगा।
और भारत को विश्व पटल पर इस समस्या को पूरे प्रमाण के साथ रखना होगा और समस्त राष्ट्रों  में भी इसकी ज्योति प्रज्वलित करनी होगी। 
कोरोना और अब चीन का भारत के साथ विश्वासघात, उसकी उल्टी गिनती का समय शुरू हो गया है।
समय है भारत को UNO में अपने मत को सही ढंग से प्रस्तुत करने की और समस्त राष्ट्रों को अपने साथ लेने की ताकि ड्रैगन को लपटों से विश्व को बचाया जा सके।
गीता के श्लोक में समझाया गया है...
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् ।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥
अर्थात......... जब जब धर्म की हानि हुई है धरती पर पाप बढ़ा है तो उसे खत्म करने ईश्वर को धरती पर आना पड़ा है।
और आज समय आ गया है कि अधर्म का नाश हो और धर्म की स्थापना हो। 
जिसके लिए भारत पूरी आत्मनिष्ठा से तत्पर खड़ा है।।
- सीमा मोंगा
रोहिणी - दिल्ली
     भारत एक सम्पन्न, शांति प्रिय तथा  समझौता वादी देश हैं। समस्त प्रकार की समस्याओं का समाधान कर धीरे-धीरे लेकिन तटस्थ स्थितियों में स्थिर हैं। वर्तमान परिदृश्य में चारों ओर से घिरा हुआ हैं, चीन, नेपाल, पाकिस्तान,  बांग्लादेश, लंका,  बर्मा, अमेरिका आदि सभी मौके-बेमौके समस्या को गंभीर करने के फिराक में नजर आ रहे हैं, वे कब समस्याएं खड़ी कर दे, इसलिए भारत को वर्तमान परिस्थितियों को गंभीरता पूर्वक सोचना होगा और शिकारियों को वही पर खदेड़े रखना होगा। 1962 का समय पुनः याद करने की आवश्यकता नहीं, उस समय  एक तरफा  परिस्थितियां हुआ करती थी, आज सम्पूर्ण परिदृश्य बदल चुका हैं। 2020 में अनेकों विचारों का जन्म हो चुका हैं, किंतु विचारतंत्र ,लोकतंत्र, वाद्ययंत्र को एकजुट कर परिपक्व बना कर भारत को चीन के खिलाफ दुनियां में मोर्चा तैयार कर चीनी वस्तुओं का पूर्ण रूपेण परित्याग कर, उसकी सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था को शून्य करने की अत्यंत आवश्यकता हैं। यह युद्ध लड़ाई से नहीं अपितु शान्ति और एकता से जीत हासिल करनी होगी।  तभी चीन समस्या का समाधान होगा और समस्त प्रकार की वस्तुओं का भारत को उत्पादन करना होगा। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न प्रकार के कार्यों को सम्पादित कर रोजगार तथा अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की पहल करनी होगी। जिस तरह से पूर्व में अंग्रेजों ने भी व्यापार करने के उद्देश्य से प्रवेश द्वार बनाया था, जिसे ध्वस्त करने लम्बा सफर तय करना पड़ा था, पुनः ऐसी स्थितियां निर्मित नहीं हो?
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर'
  बालाघाट - मध्यप्रदेश
यह प्रश्न अंतरराष्ट्रीय सिद्धांतों पर है। अब भारत का शाख दुनिया में बहुत ऊपर चला गया है।
इसका परिणाम यह है कि दुनिया के सबसे बड़े सैन्य संगठन NATO चीन के हरकत पर नजर रखे हुए हैं।NATO ने भारत को भरोसा दिलाया है कि हम हर हालत में निपटने को तैयार हैं क्योंकि चीन विश्व शांति के लिए खतरा बना हुआ है।
भारत के शाख देखते हुए विकसित देश जैसे ब्रिटेन, अमेरिका,जापान,जर्मनी,इज़राइल और दुनिया के अन्य देश साथ देने का मंतव्य दे दिए हैं।
चीन ने जो हरकत गलवान में किया है उसके पीछे राज यह है की भारत अमेरिका के साथ ना दे। अमेरिका और चीन के बीच के रिश्ते सबसे खराब दौर में पहुंच चुके हैं। अमेरिका ने चीन के खिलाफ ऐसा स्पेशल प्लान बनाया है जिससे चीन के चारों खाने चित होना निश्चित है। चीन के खिलाफ उसे मिलिट्री,आर्थिक कूटनीतिक,भारत, ताइवान और वियतनाम के साथ सैन्य डील को बढ़ावा देना। सभी मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के वापस बुलाना। सैन्य ताकत को बढ़ाने के लिए 20 बिलियन अमेरिकी डॉलर की मदद।
लेखक का विचार:- अब भारत का शाख विश्व मैं एक ऊंचा स्थान पर आ गया है इसलिए सभी देश गोलबंद होकर एकजुट होकर भारत के साथ चीन के खिलाफ आने को तैयार बैठा हुआ है। इस समय कोरना महामारी के कारण विश्व में चीन,सभी के ऑख के किरकीरी बन गया है। उसे हर हालत में अपना अर्थव्यवस्था बचाने के लिए  विश्व के सामने झुकना पड़ेगा नहीं तो अलग-थलग हो जाएगा।
- विजेंयेद्र मोहन
बोकारो - झारखण्ड
जी हा! बिलकुल करना चाहिये भारत के खिलाप चीन हमेशा रहा हैं ओर पाकिस्तान का साथ देता रहा हैं आतंकवाद की हिमायत करता रहा हैं जीस के कारन भारत को काफी नुकसान झेलना पढा हैं ओर अब उसकी कारसथानी भी जग जाहिर हो गई हैं हमे भी अब चीन के खिलाप एक मजबूत ओर कारगर कदम की दरकार हैं एक दिर्घकालीन योजना पर काम होना चाहिये ओर जब तक चीन भारत की सम्पुर्ण भुमी हमारे कब्जे में न दे दे तब तक हमे मजबूती से मोर्चा बनाये रखना होगा दुनियाँ को संगठीत कर रखना होगा चीन को दबाये रखने के लिये दुनियाँ भर का मोर्चा ओर मजबूत खड़े रहना बहुत जरूरी हैं।
- कुन्दन पाटिल
देवास - मध्यप्रदेश
भारत को चीन के खिलाफ दुनिया में मोर्चा तैयार अवश्य करना चाहिए । चीन अब विश्वास करने योग्य  ही नहीं है ।
यह दुनिया के सारे देश समझ चुके हैं  । कि पहले कोरोना वायरस वैश्विक महामारी फैलाकर तथा  अब पूरी दुनिया में भारत की वाहवाही   से तिल  मिलाकर हमारे भारतीय सैनिकों पर हमला करके चीन ने अपनी और नीचता का परिचय दिया है ।
पश्चिमी देशों में अमेरिका  के अलावा खुलकर अगर कोई देश चीन का सामना कर रहा है तो उसका नाम है फ्रांस   । जोकि चीन की आलोचना खुलकर ही नहीं कर रहा बल्कि ताइवान के साथ डिफेंस  डील कर चीन को उसकी जगह भी दिखा रहा है जो कि  चीन के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं ।
चीन की साम्राज्यवादी सोच   को ध्वस्त करने की सातों देश ब्राजील ,भारत ,इजराइल ,दक्षिण कोरिया, अमेरिका ,फ्रांस , आदि चीन के व्यापार को तवाह करेंगे।
 अपने ही खो दें गड्ढे में गिरेगा चीन का गोरखधंधा और व्यापार भी मंदा हो होगा जोकि ड्रेगन पर कहर बनकर टूटेगा  ।
चीन को दिए हुए सभी कांट्रेक्ट रद्द कर देने चाहिए तथा सभी देशों को चीन की कंपनियों को अपने अपने देश से बाहर निकाल कर चीन से संबंध तोड़ देने चाहिए। 
चीन को चारों खाने चित करने के लिए पहले डब्ल्यूएचओ का भुगतान रोक देने पर चीन के तिल मिला उठा है ।
कहावत है  -
 चार दिन की चांदनी 
                     फिर अंधेरी रात।
अब चीन की नहीं रही 
    विश्वास करने योग्य कोई बात ।
- रंजना हरित              
बिजनौर - उत्तर प्रदेश
चीन विश्व शांति के लिए खतरा बन गया है l उस पर N. A. T. O. का यह बयान कि वह चीन पर नज़र रखेगा, यह उसका महत्वपूर्ण कदम है l चीन के खिलाफ दुनियाँ में मोर्चा तैयार होने की तरफ नाटो ने कहा -हर हालात से निपटने को तैयार है l U. S. के अनुसार भारत तो शांति प्रिय देश है l लेकिन न तो भारत आँख झुकाकर बात करेगा, न आँख उठाकर, भारत तो सीधा आँख से आँख मिलाकर ही बात करेगा l यद्यपि भारत चीन सीमा विवाद पर अमेरिका भी कूद पड़ा है l मध्यस्था करने के लिए, इस पर दोनों देशों को फैसला लेना
 है l 
चीन की खुरपातों से पूरी दुनियाँ आहत है l भारत में चीन के लिए सामरिक, कूटनीतिक, आर्थिक रणनीति बनाई है l सामरिक नीति में पूर्वी लद्दाख में सैनिक गतिविधियों को देखते हुए बिना इंतजार किये तुरंत सेना ख़डी कर दी है l वहीं अमेरिका भी चीन के प्रति आक्रोश में है l ताईबान, हाँककाँग आदि भी चीन के खिलाफ तैयार हो रहें हैं l 
            आत्मनिर्भर भारत का नारा आर्थिक क्षेत्र में घेरने की 
तैयारी मानी जाये तो कई फैक्ट्रियाँ, मेडिकल डिवाइस बनाने वाली कम्पनियां, मोबाईल निर्माता, कपड़ा निर्माता भारत में आकर अपने उद्योग धंधे लगाने को तैयार हैं l प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए बनाये गये भारत के नए नियमों से चीन ख़फ़ा और परेशान है l 
         कोरोना वायरस की उतपत्ति को लेकर अमेरिका व चीन में ठनी हुई है l इसकी जाँच का भारत ने भी समर्थन किया l आशय यह है कि चीन हर तरफ से अंतर्राष्ट्रीय दवाब झेल रहा है l लेकिन प्रश्न है कि चीन लद्दाख से पीछे हटेगा या नहीं?आज उच्चस्तरीय सैन्य अधिकारीयों की मीटिंग का क्या रास्ता निकलता है इसे देखना होगा l भारत की पहली शर्त होगी की अप्रैल 20की स्थिति में चीन आये लेकिन चीन कह रहा है आज सेना जहाँ है वहीं L. A. C. है l भारत तो शक्ति, संयम और समझदारी भी दिखा रहा है l 
        चीन ने तिब्बत पर 1950में कब्जा कर लिया l निर्वासित दलाईलामा भारत में निर्वासित जीवन बिता रहें हैं l चीन ऐसा निकृष्ट राष्ट्र है जो तिब्बत की स्वायत्ता की बात करके मुकर गया है वहीं भारत तिब्बत का समर्थन कर चीन पर कूटनीतिक दवाब भी बनाने का प्रयास कर रहा है l 
       रूस की ख़ामोशी भी चीन के लिए भारी चिंता बढ़ाये जा रही है l मोदी जी की पहल पर राष्ट्रपति पुत्तिम ने मदद का हाथ बढ़ाया l 
         अन्य कई तरीकों से दुनियाँ में भारत को चीन के खिलाफ मोर्चा तैयार करने की रणनीति पर कार्य करना चाहिए l इंसानियत पर जहाँ कोरोना का खतरा मंडरा रहा है वहीं चीन थर्ड वर्ड वार के लिए अपनी नीच हरकतों से बाज नहीं आ रहा है l 
.               चलते चलते ---
ख़ुदफरेबी का धुंधलका भी गनीमत है आज l 
जब दिल को बेबुनियाद उम्मीदों से बहला रहा है चीन आज ll
- डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
 आज पूरे हिंदुस्तान में एक ही चर्चा का विषय है।कि चाइना द्वारा घुसपैठ करके भारत के जवानों से मुठभेड़ कर भारतीय जवानों को मारा। जब-जब कोई बाहर के देश चाहे पाकिस्तान हो या चाइना ने भारत पर आक्रमण करता है।या सीमा पर घुसपैठ करता है। चाहे वह आतंकी संगठन हो या फिर चीन की सेना।आज  चीन की सेना ने हमारी सेना के जवानों को मारा है।जिससे कितने परिवार अनाथ हो गए।ऐसे में उन्हें मुंहतोड़ जवाब देना ही है। अब जब भारत को चाइना मुक्त करना है, तो वह बिलबिला कर अपनी नापाक हरकतें कर रहा है। उसने कोरना जैसी महामारी द्वारा सभी देशों की अर्थव्यवस्था को धराशाही कर अपना वर्चस्व बैठाने की ठान रहा है। उसने कोरोना को प्रत्येक देशों में फैलाया, जब उसे पता चला कि अब भारत चाइना की किसी भी उत्पादनों को नहीं खरीद रहा है। तथा जन-जन को जागरूक कर सारे चाइनीस ऐप को बंद करने का आव्हान कर रहे है।तो वह बौखला गया है, ऐसे में आज हर भारतीय नागरिक जागरुक हो चुका है। कुछ लोगो का जागरूक होना अभी बाकी है।हमें हर संभव चाइनीस उत्पादनों का तथा चाइनीज ऐप का बहिष्कार करना होगा। और इस मोर्चे में जन-जन को भागीदारी बनकर अपने भारत को चाइना के वस्तुओं से चाहे वह मेडिसिन हो इलेक्ट्रॉनिक को गिफ्ट आइटम हो टॉयज आदि सभी वस्तुओं का बहिष्कार कर चाइना के खिलाफ संपूर्ण दुनियां को  एक जुट होकर मोर्चा तैयार कर सभी भारतीयों को एकजुट होकर इस मोर्चे में भाग लेकर एक भारतीय होने का फर्ज निभाना है। सीमा पर जवान हमारी रक्षा करते हैं।तो क्या हमारा फर्ज नहीं बनता ,कि हम एक नागरिक होने के नाते अपने कर्तव्य को निभाकर देश तथा जवानों के साथ मिलकर इस क्रांति में भागीदार बने
     - वंदना पुणतांबेकर 
              इंदौर - मध्यप्रदेश
हाँं यह बिल्कुल सही बात है कि भारत को दुनिया में चीन के खिलाफ एक मोर्चा तैयार करना चाहिए ऐसा करने से चीन पर लगाम कसने में बहुत मदद मिलेगी और वर्तमान में कोरोना संकट के चलते हैं दुनिया के तमाम देशों में चीन के प्रति जिस तरह का माहौल बन रहा है उसे देखते हुए ऐसा करना मुश्किल भी नहीं होगा यदि भारत इसके लिए प्रयास करता है तो उसे सफलता अवश्य मिलेगी ऐसा करने से दूसरे देशों का दबाव ही चीन पर बढ़ेगा जिससे वह मनमानी नहीं कर पाएगा और उसका  उसका रवैया अवश्य ही परिवर्तित होगा विभिन्न देशों को यह भी चाहिए कि चीनी उत्पादों पर निर्भरता को धीरे धीरे कम करें ऐसा करने से वह आर्थिक रूप से कमजोर होगा और चीन को नियंत्रित करने में सहायता मिलेगी.                                  -  प्रमोद कुमार प्रेम 
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
भारत की राजनीति में अनेकों बदलाव आए हैं। इसने अन्य देशों से अपने सम्बन्धों में मजबूती लाई है। नए-नए तकनीकों का सहारा लिया है। लेकिन दुश्मनों पर पूरी तरह विश्वास करना भी नीति नहीं है। 
 यह चुँकि वर्चस्व की लड़ाई है और खास कर अभी हाल में चीन के राष्ट्रपति का भव्य स्वागत का कोई असर दुश्मनी पर नहीं पड़ा।उसने अपने पुराने तरीके को ही अपनाया। 'हिंदी-चीनी भाई-भाई' कहते हुए पीठ में छुरा घोंपा। 
  अब पुरी दुश्मनी के साथ जवाब देना है। इसके लिए वैश्विक वातावरण तैयार करना जरूरी है। खुद की धरती को भी मजबूत बना कर ही चीन की खिलाफत करनी है। दुश्मन को कमजोर कभी नहीं समझना है। हमेशा उसके चाल के तोड़ के साथ तैयार रहना है। 
आर-पार की लड़ाई अब आवश्यक हो गई है।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
चीन के खिलाफ तो दुनिया में मोर्चा स्वत: ही बन रहा है।उसकी नापाक हरकतें विश्व मंच पर उसको स्वयं अलग-थलग करने को काफी है। अघोषित रुप से भारत विश्व को नेतृत्व प्रदान कर रहा है। अमेरिका जैसी महाशक्ति भी इसकी ओर ताकती है। चीन की देन, कोविड-19 की रोकथाम में भारत के कदम और सहयोग की नीति ने उसे इस पोजिशन में पंहुचा दिया है कि विश्व के देशों ने इसके महत्व व नेतृत्व को स्वीकारा है। गलवन में सैनिक हमले का मुंहतोड़ जवाब भारत की ओर से दिया गया है। प्रधानमंत्री जी का स्पष्ट कथन कि हम अपनी संप्रभुता और अखंडता से समझौता नहीं करेंगे।
इस बात का संकेत है कि भारत कमजोर नहीं है। चीन के विरुद्ध विश्व भर में आवाज उठ रही है। यह स्वत: स्फूर्त विरोध, किसी सुनियोजित मोर्चे से अधिक प्रभावशाली है। इसके चलते विश्व भर में चीनी उत्पादों की बिक्री प्रभावित हो रही है। आर्थिक रुप से कमजोर होने पर वह विश्व के समक्ष खुद ही घुटने टेक देगा। भारत, अपने शत्रुओं से निपटने में सक्षम है।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
भारत को चीन के खिलाफ दुनिया में मोर्चा तैयार करना चाहिए या नहीं करना चाहिए.... इस विषय में मेरा यह सोचना है कि चीन किसी भी तरह विश्वसनीय नहीं है। वह कभी भी किसी को भी अपनी महत्वाकांक्षा की पूर्ति करने हेतु धोखा दे सकता है। उसकी मित्रता में भी उसका स्वार्थ ही निहित रहता है। चीन बोलता कुछ है और करता कुछ है... इसके कई प्रमाण सामने आ चुके हैं।
        अतः चीन को आर्थिक क्षेत्र में कमजोर करने के लिए चीनी सामानों का पूर्णतः बहिष्कार करके अपने स्वदेशी सामानों का उपयोग करना हमारा सबसे पहला कदम होना चाहिए।
           चीन से निपटने की अपनी पूरी तैयारी... साम, दाम, दंड, भेद... इन सभी दृष्टि से रखनी होगी। चीन को चालें चलने में महारत हासिल है। इसलिए उसकी सभी चालों के तोड़ भारत को अपने पास रखने होंगे। आवश्यकता पड़ी तो युद्ध भी करना होगा।
        भारत सुख-शांति से जीने और जीने देने में विश्वास रखता है, पर यदि इसे भंग करने की कोई भी देश मंशा रखता है तो वह उसे मुँहतोड़ जवाब देने में सक्षम है... यह बात चीन जितनी जल्दी समझ ले उतना ही अच्छा होगा।
डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून -  उत्तराखंड
विषय बहुत ही राजनीतिक है भारत को चीन के खिलाफ दुनिया में मोर्चा खोलना चाहिए कि नहीं इस विषय पर मेरा जहां तक यह विचार है कि नकारात्मक परिस्थितियों की और कम ध्यान लगाएं और सकारात्मक की ओर ज्यादा।
विश्व कई देशों का संग्रह है और इस संग्रह में सकारात्मक रूप से काम करना ज्यादा अच्छा है युद्ध से हर चीज नहीं जीता जा सकता है लेकिन युद्ध करना भी जरूरी है आर पार की लड़ाई होना भी आवश्यक है वर्तमान समय में तो सिर्फ चीन द्वारा निर्मित सामानों का जो भारत में उपयोग होता आ रहा है सिर्फ इतना ही बहिष्कार कर दिया जाएगा तो एक प्रकार का युद्ध ही कहलाएगा लेकिन साथ ही साथ भारत इस बात पर भी विशेष ध्यान दें अपने स्वदेशी चीजों का उत्पादन अधिक से अधिक किया जाए उसकी गुणवत्ता में शुद्धता और कीमत में भी तुलनात्मक तौर पर कम हो विकास की ओर ज्यादा ध्यान दें दूसरी ओर मोर्चा भी खोलते रहे लेकिन आर-पार की लड़ाई होना बहुत सराहनीय नहीं है ऐसा मेरा विचार है
भारत अपने आत्मनिर्भरता पर ज्यादा ध्यान दें वनस्पति की युद्ध से जहां तक हमारे अग्रणी नेता माननीय नरेंद्र मोदी जी का भी विचार और संदेश सुनने को मिलता है तो उससे यह स्पष्ट होता है की अपने देश में कला कौशल को विकसित किया जाए आत्मनिर्भर हर नागरिक बने हरगांव आत्मनिर्भर बने हर समाज आत्मनिर्भर बने बहुत सारी योजनाओं का भी उन्होंने संचालन किया है लेकिन मेरे विचार से जागरूकता कम है इस विषय पर जागरूकता को ध्यान में रखते हुए अगर राज्य शहर गांव कस्बे का सही यथोचित प्रोग्राम बनाया जाए तो धीरे-धीरे भारत के नागरिक सभी आत्मनिर्भर बन जाएंगे तूने अपने ही गांव में रोजगार की अवसर मिलेंगे और गांव भी विकसित होगा
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
डोकलाम की आग अब लद्दाख की गलवान घाटी में दहक रही है। धोखे से हमारे बीस सैनिकों के मारे जाने से देश में हर ओर चीन विरोधी लहर धधक रही है।और अब वक्त आ गया है कि भारत को चीन के खिलाफ मोर्चा तैयार करना चाहिए। दिनानुदिन चीन की हिमाकत बढ़ती ही जा रही है।इसका अनुकरण अब नेपाल भी करने लगा है। चीन सदा से भारत विरोधी रहा है कभी प्रत्यक्ष रूप से तो कभी परोक्ष रूप से।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत का अस्थाई रूप से सदस्य चुना जाना एक महत्त्वपूर्ण कूटनीतिक घटना है।इस सदस्यता के लिए मिला व्यापक समर्थन भारत के बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है। हालांकि चीन भी इसका स्थाई सदस्य है फिर भी भारत की भारत का कद हर देश में चीन से बढ़कर है।और हर शक्तिशाली देश भारत के साथ खड़ा होगा। अमेरिका,रूस, जापान तथा अन्य कई देश,भारत के एक इशारे का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि भारत अपनी ओर से पूर्णतया तैयारी में जुटा है।हानी चीन को ही है। चीन के साथ तीन हजार किलोमीटर की हमारी सीमा लगती है चीन के साथ हमारे विवाद बढ़ने की स्थिति में हमें कई पहलुओं पर विचार करना होगा।और हमें सोच समझकर फैसला लेने की आवश्यकता है। हमारा उनके साथ व्यापारिक रिश्ता है हमारी व्यपारिक कम्पनियों में उनका बड़ा निवेश है।हम कच्चे माल भी उनके यहां से मंगवाते हैं साथ ही इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, मोबाइल, लैपटॉप।हम दोनों देशों के बीच आर्थिक सम्बन्ध बहुत बड़ा मुद्दा है।और अगर दोनों देश के बीच सम्बन्ध खतम होता है तो स्वभाविक है कि आर्थिक रिश्ते भी समाप्त हो जाएंगे। इसमें भारत को नुकसान होगा। चीन की अर्थव्यवस्था हमसे बड़ी है।और इन सभी के लिए भारत को आत्मनिर्भर होना होगा। हालांकि भारत की ये विशेषता है बुरा वक्त हो या युद्ध का ये संगठित होकर मजबूती से खड़ा रहता है।हम शांति से अपना पक्ष मजबूत होकर हर हाल में रखना होगा।हमारी तैयारी भी पूरी है।ये वर्तमान भारत है, डटे रहेंगे लेकिन अपनी एक इंच जमीन भी नहीं देंगे।अब तक चीन ने बहुत कर ली है मनमानी। युद्ध किसी देश के हक में सही नहीं होता।कोई कदम उठाने से पहले हम उसके परिणाम का भी आंकलन करते हैं।भारत तैयार है अपने मोर्चा के साथ।  
- रेणु झा 
रांची - झारखंड
चीन की साम्राज्यवादी कृत्यों और पडौसीयों को धमकाने उनके क्षेत्रों को हड़पने की संकीर्ण सोच का जवाब देने का ये सही वक्त है । चीन इस वक्त भारत को चारों ओर से घेरने की निति पर काम कर रहा है ।
चीन के साथ पकिस्तान भी हमारा शत्रु है । उधर चीन नेपाल वा श्रीलंका को भी काबू कर चुका है । अब चीन बंग्ला देश को भी साधने के लिये अपने समान पर 90 प्रतिशत टैक्स छूट घोषित कर चुका है । तय है कि बंग्ला देश भी चीन के ही गुण गाए गा । यदि अब भारत चीन के खिलाफ मोर्चा खोलता है तो उसे भले ही अमेरिका,ब्रिटेन,फ्रांस,इटली,आस्ट्रेलिया इत्यादी देशों का साथ मिल जाये पर अपने पडौसीयों के साथ के बिना हम चीन पर हावी नहीं हो सकते । 
यदि अमेरिका ये मोर्चा खोले तभी दुनिया के अधिकांश देश चीन के विरूध खडे हो सकते है ।
भारत को इस समय चीन को ज्यादा ना घेरते हुए आक्साई चिन  को लेने के लिये गुरिल्ला युध्द कर के चुप हो जाना चहिये ।
इस पर यदि चीन हरकत करे तो अपना पूरे जोर से बचाव करना है ।।
-   सुरेन्द्र मिन्हास
 बिलासपुर- हिमाचल प्रदेश
      जी हां! भारत को चीन के खिलाफ दुनियां में मोर्चा तैयार करना अत्यंत महत्वपूर्ण विकल्प है। चूंकि वह हर हालत में युद्ध चाहता है। इसलिए हमें सावधानियां बरतनी पड़ेगी और अपनी बुद्धिमत्ता का परिचय देते हुए विश्व स्तरीय मोर्चा खोलना होगा।
      जैसे घायल सांप अथवा कुत्ता अधिक घातक हो जाता है। उसी प्रकार चीन भी घायल एवं पागल कुत्ते की भांति अत्यंत घातक हो चुका है।जिसे दुनियां के मोर्चे में उलझकर मारना ही बुद्धिमत्ता है।
      वर्तमान समय में कोरोना रूपी जो चक्रव्यूह चीन ने रचा हुआ है। उसे भेदने और पराजय करने के लिए भारत को चीन के खिलाफ दुनियां में मोर्चा तैयार कर उसमें उलझाए रखना श्रेष्ठतम से श्रेष्ठतम है।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
वर्तमान स्थिति का तकाज़ा है कि जिस तरह से चीन हरकतें कर रहा है और अपने साथ नेपाल, बांगलादेश और श्रीलंका को लुभावने लालच देकर अपनी ओर कर रहा है तो भारत को चीन के खिलाफ दुनिया में मोर्चा तैयार करना चाहिए।  विश्व की अनेक शक्तियां भारत के साथ हैं।  रूस पहले ही सहयोग के लिए हाथ बढ़ा चुका है। अमेरिका भी भारत का साथ देते हुए निगाह रखे हुए है।  अन्य कई देश जिनकी सीमाएं चीन से लगती हैं वे भारत का साथ देने को आतुर हैं।  चीन की चाल में नेपाल, बांगलादेश आ चुके हैं।  हालांकि नेपाल में दबी आवाज में नेपाल की वर्तमान नीतियों का विरोध हो रहा है और हो सकता है कि यह विरोध खुलकर सामने आये और सत्तारूढ़ पार्टी को अपनी नीतियों में परिवर्तन करना पड़े।  अपनी सीमाओं से लगते देशों को अपनी ओर आकर्षित करने में चीन की सीधी चाल यह है कि वह भारत पर दबाव बनाते हुए भारतीय सीमा में घुस सके।  परन्तु भारतीय सेनाएं चैकन्नी हैं और वे चीन की प्रत्येक हरकत पर निगाह रखे हुए हैं।  सेना की तीनों टुकड़ियों को सावधान कर दिया गया है। यदि चीन अपने साथ कुछ पड़ोसी देशों को मिलाता है तो भारत को भी ऐसा कदम उठाना चाहिए और चीन के खिलाफ दुनिया में मोर्चा तैयार करना चाहिए। 
 - सुदर्शन खन्ना
दिल्ली
भारत  को  चीन  के  खिलाफ  दुनिया  में  मोर्चा  तैयार  करना  होगा  ।  इसके  लिए  इसकी  मनःस्थिति.......इसकी  चालों ........ इसकी  करतूतों ........इसके  दोगलेपन  को  सर्वप्रथम  दुनिया  के  सामने  लाना  होगा  ।  इसका  असली  चेहरा  अभी  तक  पूर्णरूप  से  दुनिया  के  सामने  आया  नहीं  है  । 
       ये  हिन्दी  चीनी  भाई-भाई   कहकर  आस्तीन  का  सांप  बना  हुआ  है  ।  पूरी  दुनिया  को  समझना  होगा  कि  ये  भरोसे  के  काबिल  नहीं  है  । 
       दुनिया  के  दूसरे  देशों  को  भी  यह  समझना  होगा  कि आज  चीन  भारत  जैसे  शांतिप्रिय  देश  के  साथ  ऐसी  घिनौनी  हरकत  कर  रहा  तो  कल  उनके  साथ  भी  कर  सकता  है  । 
       अतः  दुनिया  के  सभी  देशों  को  मिलकर  चीन  जैसे  देश  का  बहिष्कार  करते  हुए  एक  साथ  मिलकर  अन्याय  के  विरुद्ध  कदम  बढ़ाने  चाहिए  । 
      क्या  हुआ  अगर  वहां  से  व्यापारिक  संबंध  नहीं  रहेंगे  तो .....हमारा  भारत  किसी  भी  क्षेत्र  में  कम  नहीं  है  ।  
       अपने  भुजबल......धनबल.......कूटनीति  से  ऐसा  सबक  सिखाया  जाना  चाहिए  कि  वह  दुबारा  भारत  की  ओर  आंख  उठाकर  भी  न  देख  सके  । 
     याद  रहे  कृष्ण  ने  गीता  का  उपदेश  किसी  कायर  को  नहीं  बल्कि  अर्जुन  जैसे  महारथी  को  दिया  था ।
      - बसन्ती पंवार 
       जोधपुर - राजस्थान 
इसमें कोई दो राय नहीं है कि आज भारत की राजनीति में बहुत बदलाव आया है अन्य देशों से संबंध भी अच्छे बनाएं एवं नई नई तकनीकी अपनाई है आज हमारी सैन्य शक्ति पावरफुल है जल थल वायु सेना सभी तरीके से हम सशक्त हैं!  कोई भी देश एक बार हमारी तरफ आंख उठाने के लिए विचार करेगा किंतु चीन दोगलाई कर या गद्दारी से हमारे सैनिकों को मारा है हम उसको जवाब जरूर देंगे किंतु यह राजनीति है यहां चाणक्य की कूटनीति ही काम आती है ! चीन ने कूटनीति चाल चली है हमने भी चूडियाँ नहीं पहनी है इट का जवाब पत्थर होगा किंतु उसी की चाल से उसे दोहरी मार देनी है फिलहाल तो हमें चीन के संपूर्ण बहिष्कार को जन आंदोलन बनाना है ! युद्ध को कूटनीति से जीतने की कोशिश करें !हमारे सैनिकों के शहादत से लोगों में चीन के लिए आक्रोश है चीन के सामान का बहिष्कार करें आत्मनिर्भर हो स्वदेशी सामान अपनाएं ! स्वदेशी सामान में छूट दे !
स्वदेशी भारत में बने सामान सस्ते दें!  तुरंत तोचीन की सभी चीजें बंद नहीं की जा सकती किंतु आहिस्ते आहिस्ते बंद हो जाएगी सभी देश मिलकर चीन पर हमला करें यानी सामान चीन से लेना बंद कर दे तो आर्थिक मार से वह तिलमिला जाएगा और उसकी कमर ही टूट जाएगी यह सब सभी देश मिलकर करे तो अवश्य संभव है !
भारत ने शुरुआत कर दी है चाणक्य की नीति अपनायें युद्ध की नीति गुप्त रखें !
कोरोना से मारने वाले हत्यारा को दंड तो मिलना ही चाहिए  !
फिलहाल हमे कोरोना से बचने के लिए एहतियात भी बरतना होगा! 
जोश में  होश नहीं  खोना है! 
- चंद्रिका व्यास
 मुंबई - महाराष्ट्र
भारत को चीन के खिलाफ जरूर मोर्चा खोलना चाहिए। वैसे जरूरत नहीं है सूचना क्रांति के दौर में हर वह समाचार चाहे वह गलत हो या सही हो स्वत: पहुंच जाता है। वैसे भी विश्व के कुछ गिने चुने मित्र देश को छोड़कर भारत के पक्ष में ही सभ खड़ा है चीन के पक्ष में सिर्फ पाकिस्तान और हाल फिलहाल भारत से कट्टी करते हुए नेपाल। शत्रु देश स्वत: ही अलग थलग पड़ा हुआ है जैसे पाकिस्तान ठीक वैसे ही चीन का दुश्मन देश घोषित करने की आवश्यकता ही नहीं है। चीन का कट्टर दुश्मन दुनिया के महाशक्ति माने जाने वाले देश अमेरिका भी है। अमेरिका भी पुरजोर विरोध प्रकट कर रहा है। जब इस देश से जुड़े धंधे का ताड़ जो विदेश से जुड़ा है यदि टूट गया तो ये देश स्वत: बर्बाद हो जाएगा। फिर कोई मोर्चा खोलने की आवश्यकता ही नहीं रहेगी। फिर भी एक बार अपने देश भारत को चीन के खिलाफ मोर्चा जरूर खोलना चाहिए। समर्थन है।
- भुवनेश्वर चौरसिया "भुनेश"
गुड़गांव -  हरियाणा
निश्चित ही भारत को चीन के खिलाफ दुनिया में मोर्चा तैयार करना चाहिए ताकि ड्रैगन अपने ही रचे चक्रव्यूह में स्वयं फंस जाए।
 अमेरिकी  राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने  चीन के खिलाफ पहले ही  मोर्चा खोला है  वह कोरोना की वजह से चीन से  नाराज है और इसके खिलाफ घेराबंदी की तैयारी कर रहे हैं ।दुनिया के ज्यादातर देश चीन को कोरोना का दोषी करार दे रहे हैं। अमेरिका  सहित और भी कई  देश चीन को घेरने की तैयारी  मे लगे है । विश्व के 62  देश  चीन खिलाफ हैं और मोर्चाबन्दी की तैयारी कर  रहे हैं। जिसके बाद ड्रैगन की मुसीबतें बढ़ने वाली है ।कोरोनावायरस की  वजह से  दुनियां मे तीन लाख से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं, लिहाजा उससे भी चीन की जवाबदेही तय करने की मांग कर रहे हैं ।जिसके बाद चीन पर शिकंजा कसने की शुरुआत हो गई है ,और भारत के साथ तो इसने एक सोची समझी रणनीति के तहत, साजिश के तहत धोखा किया है ।और यह भारत के साथ हमेशा से ही धोखा करता रहा है। कोरोनावायरस अलग  फैला दिया। हमारे ही देश का पैसा खाकर हमारे ही देश को बर्बाद करने पर तुला हुआ है ।हमारे सैनिकों को धोखे से मार दिया । इसका सारा रोजगार भारत में फैला हुआ है, जिस वजह से यह सम्भ्रान्त बन गया है ,और धीरे-धीरे पूरे विश्व पर कब्जा करना चाह रहा है ।
अब भारत को चाहिए कि पूरे विश्व को एकजुट करें एवं चीन से अपने सारे हिसाब चुकता कर ले।यही ठीक समय है चीन को सबक सिखाने का ।
 - सुषमा  दीक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
निश्चित रूप से आज की  पुरजोर मांग तो यही है, कि दुनिया में चीन के खिलाफ मोर्चा खोला जाए । 
पिछले डेढ़ महीने से देश के हर समाचार चैनल चीख-चीख कर कह रहे थे, कि चीन हमारे देश की सीमा तोड़ कर भीतर घुस आया है। हमारे बीस सैनिक चीन सीमा पर शहीद हो गए हैं । 
पर अफसोस भारत के प्रधानमंत्री ने चीन को क्लीन चिट देते हुए बयान जारी कर दिया कि चीन हमारी सीमा में आया ही नहीं ।
अब प्रधानमंत्री को सच माना जाए या उन न्यूज़ चैनलों को या सैनिकों की शहादत को ?

आखिर ये राजनीतिक पार्टियां निजी हित के लिए कब तक सैनिकों का बलिदान लेती रहेंगी । जब प्रधानमंत्री ने ही कह दिया कि चीन हमारी सीमा में नहीं आया, तो मुद्दा तो यहीं खत्म हो जाता है।
अब अंतर्राष्ट्रीय पटल पर,क्या आप और हम जैसे सामान्य नागरिकों के शोर शराबे से  चीन को सबक मिल जाएगा ?
  
यह तो सरकार और उसके रणनीतिकार निश्चित करेंगे । बीस शहीदों को खोने के बाद भी आखिर चीन के प्रति सरकार का इतना नरम रवैया क्यों ? चुनावी लाभ के लिए ऐसी स्थिति निर्मित करना, शहीदों का बलिदान करना और अंत में अपनी नाकामी छुपाने, शत्रु को गले लगा लेने का ट्रेंड अब खत्म होना चाहिए । 
जो मीडिया प्रधानमंत्री के बयान से आज झूठा साबित हो रहा है उसका एवं आम भारतीय नागरिकों का भी फर्ज है कि सरकार पर दबाव बनाए ताकि चीन के खिलाफ दुनिया में मोर्चा खोला जा सके  । क्योंकि अब भी हमारा खून न उबला तो देश में सैनिकों का बलिदान होता रहेगा और दूसरे  देश भारत की सीमा पर अधिकार बढ़ाते रहेंगे ।
- वंदना दुबे 
  धार - मध्यप्रदेश

" मेरी दृष्टि में "  चीन के कारण ही अगला विश्व युद्ध नज़र आ रहा है । जिस से दुनियां का अस्तित्व भी खतरे में पड़ सकता है । ऐसे में चीन का नामोनिशान तक मिट सकता है । दुनियां के सभी देश चीन की नीतियों से नराज है । इसलिए चीन के खिलाफ सभी एकत्रित हो सकते हैं ।
                                              - बीजेन्द्र जैमिनी
सम्मान पत्र




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