चीन की कमर तोडऩे के लिए दुनियां में चीनी सामान का विरोध जरूरी है ?

चीन ने दुनियां को परेशान कर रखा है । अब समय आ गया है कि चीन को उसी की भाषा में समझाया जाऐ । इन सब से पहले चीन की अर्थव्यवस्था को तोडा जाना चाहिए । तभी उसकी कमर तोड़ी जा सकती है । यहीं " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है ।अब आये विचारों को भी देखते हैं :-
जरुरी ही नहीं, बहुत-बहुत जरुरी है चीनी सामान का विरोध। इसे जब आर्थिक नुकसान झेलना पड़ेगा,तब अक्ल ठिकाने आ जाएगी। यह अपनी दादागिरी विश्व भर में चलाना चाहता है। सारी अर्थव्यवस्था कब्जाना चाहता है। कोई ऐसा क्षेत्र नहीं जिसमें चाइनीज प्रोडक्टस की दखल नहीं।अभी इसने कोविड-19 जैसी महामारी विश्व को दी थी,अब भारत को आंख दिखाते हुए सैनिक पर हमला कर रहा है।सारा विश्व इसकी हरकतों से परेशान हैं। इसका आर्थिक वहिष्कार करके इसे वित्तीय रुप से कमजोर कर करारी टक्कर दी जाए। इसकी शुरुआत हो भी गयी है।सरकारी स्तर पर भारतीय रेलवे ने सिंग्नलिंग और टेलीकम्युनिकेशन के लिए चीन के साथ हुए करार को खत्म कर दिया है।जगह जगह चीनी सामान का विरोध हो रहा है,पुतले जलाए जा रहे हैं।उसका सामान न खरीदने के संकल्प लिए जा रहे हैं। एक अभूतपूर्व चाइना विरोधी माहौल विश्व में बन रहा है। इस समय चीनी प्रोडक्ट्स को न खरीदने का संकल्प और उसका अनुपालन चीन की कमर तोड़ने के लिए बहुत जरूरी है।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
प्रश्न कुछ हास्यास्पद-सा है । जहाँ तक हमारे देश भारत की बात है, जिसकी आबादी  130 करोड़ है, जिसमें से लगभग 60 करोड़ जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे जीवन जी रही है, और जहाँ तक गरीबों की बात है यदि उसे चीनी सामान सस्ती दर में प्राप्त होता है तो वह उसे क्यों नहीं खरीदेंगे ? गरीब ही क्यों , समाज का हर तबका, सस्ती दर पर मोबाइल , लेपटाॅप, टीवी तथा चीन की और भी कई वस्तुएँ खुशी-खुशी खरीद रहा है और आगे भी खरीदता रहेगा। 
कुछ लोगों द्वारा चीनी वस्तुओं  के बहिष्कार की बात की जा रही है। क्या वे लोग बहिष्कार स्वरूप अपने महंगे मोबाइल और लैपटॉप फेंक देंगे ? कदापि नहीं। 
जब तक देश में हर वस्तु का निर्माण, चीन की तरह कम कीमत पर नहीं होने लगेगा , तब तक तो यह असंभव है। 
 सामान्य जन को चीनी वस्तुओं के बहिष्कार का ज्ञान देकर, उन्हें उकसाने वाली सरकार ने स्वयं अभी दो दिन पहले ही मेरठ दिल्ली ट्रेन ट्रेक का ठेका चीनी कंपनी को केवल इसलिए दिया कि वह सस्ते में यह कार्य पूर्ण करके दे रही है। 
वास्तव में यदि चीन की कमर तोड़ना है तो अपने ही देश में उच्च गुणवत्ता वाली सस्ती वस्तुओं के निर्माण हेतु कारखाने, फैक्ट्रियाँ खोलना चाहिए  ताकि लोगों को रोजगार मिले, हाथ में मुद्रा आने से उनकी क्रयशक्ति बढे और देश के गुणवत्ता पूर्ण सस्ते सामान की देश में तो अधिकाधिक बिक्री हो ही उसके निर्यात द्वारा विदेशी पूंजी भी प्राप्त हो जिससे देश की अर्थव्यवस्था में सुधार हो। 
यद्यपि यह इतना शीघ्र और इतना आसान नहीं है क्योंकि अर्थशास्त्र के नियम के अनुसार जिस देश में, जो वस्तु सहज और सस्ती उपलब्ध होती है उस देश से विनिमय किया जाता है। 
किसी वस्तु के निर्माण में उसके पार्ट्स उन देशों से आयात किये जाते हैं जहाँ वह सस्ते मिलते हैं और तभी किसी वस्तु की कीमत निर्धारित होती है। 
अतः यह कहना कि- "चीनी उत्पाद न खरीद कर उसकी कमर तोड़ी जा सकती है।"
अभी दूर की कौड़ी है  ।
- वंदना दुबे 
 धार  - मध्यप्रदेश
बिल्कुल ये विषय अति गंभीर है कि चीन की कमर तोड़ने के लिए अब चीनी समान का बहिष्कार करना अतिआवश्यक हो गया है । आज चीन के प्रोडक्ट्स का दुनिया भर की मार्केट पर कब्जा कर लेना ही चीन की ताकत है कि आज चीन अमेरिका जैसे सुपर पॉवर देश को भी आंखे दिखाने से नही घबराता है । आज भारत के साथ हुए विश्वासघात में मारे गये सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए प्रत्येक भारतवासी को ये प्रण लेना चाहिए कि मैं आज के बाद किसी भी चाइनीज समान को अपनी जिंदगी में जगह नही दूंगा । आर्थिक तौर पर कमर टूटते ही  चीन के तेवर बदल जाएंगे । जिसका संदेश दुनिया भर में जायेगा और फिर कई देशों में चाइनीज सामानों का बड़े स्तर पर बहिष्कार होना लाजमी है । क्योंकि चीन के रिश्ते न केवल भारत बल्कि अन्य देशों से भी अच्छे नही है । जो सब इसी रणनीति पर शायद काम कर भी रहे हों । बस अब हम लोगो को अपने प्रण के प्रति प्रतिबद्ध होकर वीरों को श्रद्धांजलि अर्पित करनी है । 
 - परीक्षीत गुप्ता
बिजनौर - उत्तरप्रदेश
दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक चीन दुनिया के बाजारों में छाया हुआ है। भारत में भी लगभग 40 करोड़ उपभोक्ताओं के साथ चीन अपनी गहरी पैठ बनाये हुए है।जबकि यह सर्वविदित है कि चीन की सामग्री अत्यन्त निम्न स्तर की है और इसके टिकाऊ होने की कोई गारन्टी नहीं है। चीन की और भारतीय सामग्री की तुलना करें तो यही कहा जा सकता है कि-"सस्ता रोये बार-बार, मंहगा रोये एक बार"।
सामग्री के स्तर से भी अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि चीन की दुनिया पर राज करने की बढ़ती हुई कुटिल महत्वाकांक्षा को कुचलना बहुत आवश्यक है और इसके लिए चीन की अर्थव्यवस्था को कमजोर करना ही एकमात्र उपाय है। अपने पैसे की ताकत से ही चीन, नेपाल और पाकिस्तान जैसे सरीखे देशों को अपना गुलाम बनाकर भारत के विरूद्ध प्रयोग कर रहा है। भविष्य में भी चीन अपनी नापाक हरकतों से बाज़ आने वाला नहीं है इसलिए निश्चित रूप से अब वह समय आ गया है जब चीन की कमर तोड़ी जाये और इस कार्य के लिए दुनिया में चीनी सामान का विरोध करना अत्यावश्यक हो गया है। चीनी सामानों के विरोध की यह प्रक्रिया भारत में तो शुरू हो गयी है, दुनिया भी चीन की मंशा और कुटिलता को समझ गयी है और जैसा पता चल रहा है कि चीन दुनिया में अलग-थलग पड़ता जा रहा है। अनेक विरोधाभासों के बावजूद भारतीय विपरीत समय में एक होने वाले लोग हैं इसीलिए मेरा विश्वास है कि भारतीय ही सबसे पहले चीन की कमर तोड़ेंगे। 
- सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग' 
देहरादून - उत्तराखण्ड
जब कभी कोई अत्याचार करे, उसे कभी नहीं सहना चाहिए क्योंकि अत्याचार करने वाले से अधिक गलत अत्याचार सहने वाला होता है उसी प्रकार आज चीन सुपर पावर बनने की लालसा में सही गलत भूल चुका है चीन का नायक खलनायक बन चुका है 
उसके सोचने समझनेकी ताकत को दीमक चाट चुकी है । चीन भूल गया है कि जिस देश पर शासन करने की कोशिश कर रहा हूं उसी देश से चीन की रोजी रोटी चलती है इसलिए अब चीन को अपनी औकात दिखानी होगी और चीनी सामान का प्रयोग पूर्णतः खत्म करना होगा और अपने देश को आत्मनिर्भर बनाना होगा ।
1 सबसे पहले घर पर बैठ कर विरोध प्रारंभ कर सकते हैं जो मोबाइल लेकर बैठे है उसमें से चीनी ऐप हटा दिजिए।
2   घर पर तीज त्योहारों के अवसर पर घर को सजाने हेतू प्रयोग में आने वाली लाइटें,या अन्य वस्तुएं का बहिष्कार करें
3  चाईनीज बर्तन जिन्हें हम रसोईघर में प्रयोग करना अपना
हाई स्टेटस समझते हैं उनको
बन्द कर देना होगा।
4  चाईनीज कपड़ों  का बहिष्कार
करना होगा।
5  चाईनीज खिलोने जो बहुत महंगे आते हैं और हम बच्चों को लेकर देते भी है वो बन्द कर देना होगा।
 ऐसे कई तरीके हैं जो हम घर पर रहकर ही अपने देश की आत्मनिर्भरता को बलशाली बना सकते हैं और घर पर बैठ कर दुश्मन को हरा सकते हैं।
हाथों की ताकत पहचानों
आत्मनिर्भर देश बनालो
सोंधी-सोंधी माटी से
घर आंगन अपना महका लो
दौ सौ साठ करोड़
हाथ में हाथ डलेंगे
घेरा होगा सुरक्षा का
दुश्मन पानी भरेंगे।
- ज्योति वधवा"रंजना"
बीकानेर - राजस्थान
     भारतीय व्यवस्थाओं में चीनी वस्तुओं का निर्यात अधिकांशतः मात्रा में होते आया हैं, जिसका परिणाम यह हुआ कि चीन बेफिक्र होकर चीनी वस्तुओं को भारत में भेज कर, भारतीय जीवन को पूर्णतः प्रेरणादायक बना चुका था, हर कोई चीनी वस्तुओं का ही गुणगान करते हुए दिखाई देता था।  जिसके परिपेक्ष्य में चीन की अर्थव्यवस्था मजबूत होती जा रही थी। जब भारत शनैः-शनैः उन्हीं वस्तुओं उत्पादन करने लगा, तब चीन सतर्क हो गया और तभी से भारत को आत्मसात करने की रणनीति शुभारंभ कर दिया था। अगर भारत पूर्व से ही चीनी वस्तुओं की ओर ध्यानाकर्षण नहीं रहता तो वर्तमान परिदृश्य में भारत की विचारधारा, विशेष योगदान होता। आज युद्ध की स्थिति नहीं बनती तथा युवा सैनिक शहीद नहीं होते।  जिस तरह से स्वतंत्रता प्राप्ति हेतु युवाओं की अनौखी भूमिकाएं थी, उसी तरह से, अब समय आ गया हैं, युवा पीढ़ियों को ही आगे आकर पूर्णतः चीनी वस्तुओं का पूर्ण रूपेण विरोध करते हुए, चीनी वस्तुओं का हमेशा के लिए नष्ट करना होगा, तभी जाकर चीन पंगु बनेगा? भविष्य में आंख उठाकर भी नहीं देखेगा। तटस्थ निर्णय लेने की आवश्यकता प्रतीत होती हैं?
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर'
    बालाघाट - मध्यप्रदेश
भारतीय सीमा  लद्दाख में हमारे भारतीय जवान शहीद हो गये देश आघात हुआ चीन ने धोखे से बार किया।
चीन को सबक सिखाना होगा । लेकिन हमे वीरो की शहादत का बदला लेना है चीन मे बने माल का बहिष्कार करना है देश दुखी है माँओ ने इकलौते लाल खो दिये चीनी माल का बहिष्कार करना है इन माँ ओ के बेटो की कुर्बानी की कीमत चीन को चुकानी होगी चीन के बने समान न खरीद कर हम वीरो को सच्ची श्रद्धाजली दे सकते है। चीनी समान का विरोध जरूरी है देश जगरूक हो रहा है संदेश फैला रहे हैैचीनी माल का बहिष्कार करो जगह जगह पुतले जलाये जा २हे है। विरोधी नारे ये संदेश दे रहे हैै चीनी माल का विरोध कर रहे है सरकार को ठोस कदम उठाने होगे चीन का प्रचार प्रसार सब बंद आयत पर रोक  देश की खातिर विरोध जरूर है फिर से खंजर ना घोपे दुश्मन ।
- नीमा शर्मा हंसमुख.
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
चीन की  कुत्सित नीति खराब मनोदशा और दूसरों पर अनाधिकार दोषारोपण करने की आदत बहुत पुरानी है यह सारी दुनियाँ जानती है यह बिल्कुल सही बात है की चीन की कमर तोड़ने के लिए पूरी दुनिया के देशों को एक साथ मिलकर उसके उत्पादों का बहिष्कार कर देना चाहिए अब समय आ गया है यह कार्य जितना जल्दी हो जाए उतना ही अच्छा है परंतु चीन की पैठ इतनी गहरी है की दैनिक जीवन के उपयोग की बहुत सारी वस्तुएं सभी प्रयोग कर रहे हैं और कुछ क्षेत्रों में उसका बहुत ही अधिक दखल है जैसे एक सामान्य उदाहरण के रूप में इलेक्ट्रॉनिक्स में उसके कुछ ब्रांड बहुत ही स्थापित है और सस्ते भी उसके उत्पादों को बहिष्कृत करके हम उसे आर्थिक रूप से बहुत कमजोर कर सकते हैं लेकिन यह तभी संभव है जब इन उत्पादों का विकल्प हमारे पास मौजूद हो इसके लिए देश में ही ऐसी वस्तुओं का निर्माण करना होगा तभी यह संभव हो सकता है परंतु ऐसा करना है  असंभव भी नहीं है हां इसमें कुछ वक्त अवश्य लग सकता है परंतु यह सुनियोजित तरीके से किया जा सकता है और यदि ऐसा करने में हम सफल होते हैं तो चीन को सबक सिखाने के लिए इससे अच्छा दूसरा कोई उपाय नहीं हो सकता इससे ने हमारे सैनिक सीमा  पर सुरक्षित रहेंगे आर्थिक रूप से चीन की कमर टूट जाने के बाद वह इस तरह  की  बद नियति नहीं कर सकेगा अब समय आ गया है कि चीन के उत्पादों का बहिष्कार करके उसे आर्थिक रूप से कमजोर बना दिया जाना चाहिए जिससे आने वाले समय में वह इस तरह की कार्यवाही न कर सके और ऐसा दुस्साहस न दिखा सके.           
-  प्रमोद कुमार प्रेम
 नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
बिल्कुल चजरुरत है, पहले कोरोनावायरस से विश्विक महामारी से लाखो लोगो को।मौत और दहशत फैलाई लाखो घरों को।भुखमरी के कगार पर ला खड़ा किया , 
अब धोखे से सिमा पर हमारे जवानों पर हमला ...
सीमा पर चीन की हरकत के बाद देशवासियों में उबाल है। आम आदमी हो, बड़े व्यापारी हो अथवा उद्योगपति सभी का कहना है कि भारत चीन को मुंहतोड़ जवाब दे। चीनी सामान का पूरी तरह से बहिष्कार कर देना चाहिए। आर्थिक मार पड़ेगी तो चीन बिलबिला उठेगा।
चीनी उत्पाद का हमें आज से ही बहिष्कार कर देना चाहिए। चीन को आर्थिक मार मारना तो बेहद जरूरी है। भारत में चीन का बड़ा बाजार है। आर्थिक मार पड़ेगी तो चीन की अकल खुद ब खुद ठिकाने आ जाएगी।
प्रत्येक भारतीय के लिए अब एकजुट होने का समय है। चीन को जितना कड़ा हो सके उतना कड़ा जवाब हमें देना है। चीनी सामान का बहिष्कार आज से ही करें।
सिर्फ स्वदेशी को ही अपनाया जाए।स्वदेशी अपनाओ देश मजबूत बनाओ ...
हमारा बहुत बड़ा देश है। किसी चीज की कमी नहीं है। सरकार साथ दे ताकि हर वस्तु देश में ही बनाई जा सके। हर भारतीय स्वदेशी अपनाएगा तो देश के उद्योगों को लाभ मिलेगा।
चीन एक धोखेबाज देश है। चीन को मजा चखाने का समय आ गया है। सीमा पर जवान चीन को मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं तथा देश के भीतर हम भारतीयों को एकजुट होकर चीनी सामान का बहिष्कार कर चीन को आर्थिक मार मारने की जरूरत है।
चीन एक बहुत बड़ी मोबाइल मार्केट चला रहा है। चीनी मोबाइल व इलेक्ट्रोनिक सामान का हमें पूर्णत: बहिष्कार करना होगा। ऑनलाइन भी इसकी वस्तुएं बिकनी नहीं चाहिए। भारत में चीन का बाजार खत्म हो जाएगा तो चीन भी खत्म हो जाएगा।
हमें अपने वीर सैनिकों की शहादत का बदला लेने के लिए आज से ही चीनी सामान का बहिष्कार कर देना चाहिए क्योंकि चीन जिस थाली में खा रहा है उसी में छेद करने की कोशिश कर रहा है। चीन को आर्थिक रूप से कमजोर करने के लिए हमें स्वदेशी वस्तुओं को अपनाना चाहिए।
चीन अपने उत्पादन का सबसे बड़ा भारतीय बाजार में ही बेचता है। चीन की रीढ़ तोड़ने का समय आ गया है। चीन को आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचाकर ही हम उसे कमजोर कर सकते हैं। कमजोर चीन कभी भारत की तरफ आंख नहीं उठा सकेगा।
चीन की हरकत अब माफी के लायक नहीं है। हर स्तर पर चीन को सबक सिखाने की जरूरत है। हम देश के भीतर रहकर भी सैनिकों की भांति चीन को मुंहतोड़ जवाब दे सकते हैं।
चीन की सबसे बड़ी ताकत उसका व्यापार है और हमें उसकी ताकत को ही खत्म करना है। चीन के व्यापार को भारत से पूरी तरह खत्म कर दिया जाए। चीन के खिलाफ विश्वभर में विरोध का माहौल है। चीन को सबक सिखाने का यह बेहतरीन समय है।
यही मौका है भारत स्वदेशी उत्पादनों से देश को आर्थिक मजबूती देने का आज भारत में बहुत जरूरत है काम की यदि लघउयौग को सरकार।बढ़ावा दे तो स्वदेशी सामानों से बाजार में उपलब्धता रहे , क्वालिटी अच्छी मिले तो , दाम सही हो तो , सब आज स्वदेशी अपनायेगे ।। 
आज सरकार को इस और पहल करनी चाहिए कारखाने लगाने के लिऐ प्रोत्शाहित करे लोन सब्सिडी जैसी व्यवस्थाओ को अमल में अधिक से अधिक लाने व देश को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने में हम सबने योगदान देना आज से ही शुरु कर देना चाहिए ! 
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
चीन ने जिस तरह कोरोना संक्रमण फैलाकर पूरी दुनियां को तबाह करने का जो दुसाहस किया है, उसमें सबसे अधिक जान माल का अमेरिका को नुकसान हुआ है। 
पाकिस्तान को छोड़ पूरा विश्व  चीन के विरोध में खड़ा है। अब समय आ गया है कि चीन को सबक सिखलाने के लिए उसका कमर को तोड़ा जाय। इसके लिए दुनियां में चीनी समान का विरोध जरूरी है। इसकी शुरुआत भारत में शुरू हो गई है, क्योंकि चीन ने पिछले बुधवार को लद्दाख के गलवान घाटी में भारतीय सेना पर हमला किया, जिससे कर्नल बी संतोष बाबू सहित 20 जवान शहीद हो गए। इस हमले से देश मे चीन के खिलाफ आक्रोश है। अमेरिका, जापान सहित कई देश चीन से अपना कारोबार को समेटना शुरू कर दिए हैं। अमेरिका तो शुरू से कह रहा है कि कोरोना संक्रमण का जीवाणु को चीन ने ही अपने यहाँ तैयार कर पूरी दुनिया मे फैलाया है। भारत ने गलवान घाटी में चीन की हिमाकत का जवाब देने के लिए आर्थिक मोर्चे पर धेरेबन्दी शुरू कर दी है। इसके तहत रेलवे ने गुरुवार को चीनी कंपनी का 471 करोड़ रुपये का करार को रद्द कर दिया है। वहीं कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने पांच सौ चीनी उत्पादों के बहिष्कार की सूची जारी कर दी है। रेलवे ने बीजिंग नेशनल रेलवे रिसर्च एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट को वर्ष 2016 में कानपुर के दीनदयाल उपाध्याय नगर सेक्शन पर 417 किलोमीटर में सिग्गलिंग व दूरसंचार का काम दिया था, पर चार साल में 20 प्रतिशत ही काम हुआ। इस कारण से ठेका को रद्द कर दिया गया। 
इससे पहले दूरसंचार विभिन्न ने फैसला किया था कि बीएसएनएल के 4 जी उपकरणों को अपग्रेड करने में चीनी समान का प्रयोग नहीं होगा। इसके साथ ही केंद्रीय उपभोक्ता एवं खाद्य मंत्री राम विलास पासवान ने भी सचिवों को निर्देश दिया है कि चीन निर्मित सामानों को नहीं खरीदा जाय। भारत मे विरोध और गुस्से को देखते हुए चीनी कंपनी ओप्पो ने भारत मे दो मोबाइल फोन की ऑनलाइन लॉन्चिंग टाल दी है। साथ ही हस्तियों को चीन निर्मित सामानों का प्रचार नहीं करने को कहा गया है। भारत मे व्यापारियों और आम लोगों ने चीन निर्मित सामानों का बहिष्कार शुरू कर दिया है।
दादागिरी दिखाने वाला चीन चौतरफा घिरा
दुनियाभर में दादागिरी दिखाने वाला चीन चौतरफा घिरता जा रहा है। ताइवान में पिछले 10 दिनों में चीन के लड़ाकू विमान
पांच बार ताइवान के वायु क्षेत्र में घुसे। ताइवान के राष्ट्रपति साई इंग वेन ने कहा कि जरूरत पड़ी तो अमेरिका व दूसरे देशों से मदद लेंगे। हॉंगकॉंग में भी चीन का दांव उल्टा पड़ा। आस्ट्रेलिया भी आक्रामक है। चीन के बढ़ते दुसाहस को देखते हुए अमेरिका, आस्ट्रेलिया, जापान और भारत ने क्वेड एस्ट्रेटजिक शुरू की। जी - 7 समिट में भारत भी शामिल होगा। ब्रिटेन 5 जी ढांचे में हुवावेई की भागीदारी पर पुनर्विचार करेगा। इस तरह से पूरी दुनिया चीन को उसकी औकात बताने को तैयार है। चीनी समान का बहिष्कार से चीन आर्थिक रूप से दिवालिया हो जाएगा वो दिन अब दूर नही है।
- अंकिता सिन्हा साहित्यकार
जमशेदपुर - झारखंड
कभी भी अत्याचार को नहीं देना चाहिए अत्याचार सहने वाला करने वाले से ज्यादा अपराधी होता है भगवान ने भी गीता में यही उपदेश दिया है की अत्याचारी को सजा और दंड तो जरूर ही मिलना चाहिए इसी तरह चीन ने पूरे विश्व में अति मचा के रखी है तभी करो ना वायरस की महामारी को दे दिया है और अपने सामान सस्ते बेच बेचकर सभी को बर्बाद कर दिया है हमें उसका चाइनीस नूडल खाना-पीना का बहिष्कार करना चाहिए और चाइनीस सामान मोबाइल आदि एप् भी उसका प्रयोग नहीं करना चाहिए।उसको सबक सिखाने का यही सही तरीका है कि सभी नागरिकों को यह प्रण लेना चाहिए कि हम स्वदेशी सामान का ही इस्तेमाल करेंगे और ऐसा सामान नहीं खरीदेंगे तो अपने आप उसकी कमर टूट जाएगी और उसे अपने किए का दंड मिलेगा। जैसे को तैसा सबक सिखाना चाहिए। एकता में बहुत शक्ति होती है यदि हम सभी भारतवासी एक हो जाएंगे और उसके सामान का विरोध कर देंगे बिकेगा ही नहीं दुकान में व्यापारी लाना ही छोड़ देंगे तो अपने आप ही उसकी अर्थव्यवस्था टूट जाएगी।
स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा दें स्वस्थ रहें अपना ध्यान दें।
- प्रीति मिश्रा 
जबलपुर - मध्य प्रदेश
        चुनौतियों में युद्ध सबसे बड़ी चुनौती होती है। जिसके परिणाम भी चुनौतीपूर्ण होते हैं। जिन्हें हम इतिहास के पन्नों में पढ़ सकते हैं और अपने धर्मग्रंथों पर आधारित धारावाहिक रामायण व महाभारत में देख भी सकते हैं। जो हमें सिखाते हैं कि 'युद्ध' युद्ध ही होते हैं।
    विचारणीय है कि भले ही युद्ध में मौतों का तांडव होता है। रक्त की नदियां बहती हैं। आर्थिक हानि शत प्रतिशत होती है। फिर भी युद्ध के नियम होते हैं। जिन्हें दोनों ओर से तय किया जाता है और उसके उपरांत उन नियमों का पालन आवश्यक हो जाता है।
      किन्तु सर्वविदित है कि भारत का पड़ोसी देश चीन नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए युद्ध की ओर अग्रसर हो रहा है। उसने भारत के दूसरे पड़ोसी देशों को भी अपने पक्ष में खड़ा कर लिया है। वह जानबूझ कर विश्व पर युद्ध थोप रहा है। जो विश्व के तृतीय युद्ध का संकेत है। 
       ध्यानमग्न होकर विचार करें तो चीन तृतीय विश्व युद्ध को अपने जैविक शस्त्र 'कोरोना विषाणु' द्वारा पहले ही थोप चुका है। उसने पूरे विश्व के मानव को संकट में धकेलने का क्रूरतम से क्रूरतम अपराध किया है। जिसका उसे कड़े से कड़ा दण्ड देना आवश्यक एवं अनिवार्य है।
     जिसके लिए हमें विश्व पटल पर अपना सम्पूर्ण पक्ष दृढ़ता से रखना चाहिए। चीन के उस पार रूस एवं अन्य भुक्तभोगी देशों से पारदर्शी वार्ता करनी चाहिए। अमेरिका के विचारों का दर्पण भी साफ और स्पष्ट होना चाहिए। ताकि बौद्ध धर्म के अनुयाई चीन को याद रहे कि सम्राट अशोक जीत कर भी उस समय हार गया था। जब उसे एक नारी ने यह ज्ञात करवाया कि कलिंगा युद्ध में वह अपने पिता, पति और पुत्र की शहादत दे चुकी है और अब उसके पास खोने और जीने के लिए कोई लक्ष्य शेष नहीं है। तब सम्राट अशोक ने युद्ध से तौबा कर बौद्धधर्म को अपनाया था। 
     उसे यह भी बताना अति आवश्यक है कि वह भारतीय नारियां आज भी अपने पिता, पति एवं पुत्र की शहादत पर गर्व करने में सक्षम हैं और अपनी क्षमता का परिचय भी दे रही हैं।
   अतः चीन को हर प्रकार से हानि पहुंचाने की व्यवस्था सुनिश्चित करने के गंभीर प्रयास करने चाहिए। उनके अगामी उपकरणों का बहिष्कार करना चाहिए। ताकि उसे भारत भारतीय और भारतीयता का ज्ञान हो सके और आत्मनिर्भर भारत को भविष्य में हलका लेने का दुस्साहस न कर सके। यूं भी भारतीय वीर साहसी एवं पराक्रमी सैनिकों ने उसे उसी वक्त मार कर अपना तिरंगा झंडा ऊंचा कर दिया था। जिसके फलस्वरूप विश्वभर में 'चीन और चीनी' अपनी कायरता पर मूंह छिपा रहे हैं।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
लगता है जैसे चीन का घमंड बढ़ता ही जा रहा है। एक अलग किस्म की स्वार्थी सोच रखकर अड़ियल टट्टू बनकर रौब दिखाने की गलतफहमी में है। नैतिकता ,मर्यादा, नियम-कानून जैसे सबकुछ भूल गया है। चीन को लेकर विश्व स्तर पर विमर्श की आवश्यकता है और समुची दुनिया में चीनी सामान का विरोध बहुत जरूरी है। हम ही नहीं पूरा विश्व उसकी हरकतों से परेशान है। हमारी भी नैतिक जिम्मेदारी है कि हम सब एक होकर शीर्ष नेतृत्व के अनुसार अपना एकमत हो सहयोग करें और चीन को लेकर जो भी दिशा-निर्देश मिलते हैं, उनका निष्ठा और दृढ़ता से पालन करें। जैसे कोरोना हमने एकता का परिचय दिया, वैसे ही चीन को लेकर भी समग्रता और समर्पित भावना से शासन का साथ दें और सेना का मनोबल बढ़ावें। 
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
चीन  के साथ कारोबारी रिश्तो को सरकार और अर्थव्यवस्था की कामयाबी के रूप में पेश किया जाता है। लेकिन जब कभी दोनों देशों में विवाद होता है तब उसके सामान को जलाया जाता है और विरोध होता है।
मेरे पास कुछ डांटा है उससे यह बताने की कोशिश कर रहे है:- 2011 मैं भारत में विदेशी निवेश करने वाले देश में चीन 35 वॉ स्थान पर था,2014 मे 28 मॉ स्थान पर आ गया और 2016 मे 17 मॉ स्थान पर आ गया है। इस तरह निरंतर आगे की ओर बढ़ रहा है और जल्दी ही विदेश निवेश  मे10 देशों के अंदर शामिल हो जाएगा। उनका कहना है, यह मेरा अपने विदेश निवेश का मात्र O.5℅ भारत में निवेश करते हैं।
इस बार सैनिकों की शहादत पर पूरे देश में गुस्सा है और लोग उनके निमित्त सामान का बहिष्कार करने का मन बना लिए हैं। साथ साथ देशवासियों ने भी सरकार से अपील की है आप जितने तरह के कॉन्ट्रैक्ट किए हुए हैं सबको निरस्त करे।
सरकार और देशवासियों चिंतन को कार्य रूप में बदला जाएगा तो सुनिश्चित चीन के आर्थिक कमर तोड़ने मैं कामयाब होंगे। हमारे युवाओं का खून खौल रहा है,इसी बीच स्वदेशी जागरण मंच से आवाहन किया गया है की चीन के सामान को बहिष्कार करें उसी तरह या उस से अच्छा क्वालिटी का हर वस्तु उसी मूल्य पर बाजार में उपलब्ध हो जाएंगे।
यह हमारे युवाओं का आत्मविश्वास है तो यह आत्मनिर्भर का पहली कड़ी है।
देशवासियों ने इस बार कहा है हम लोग1959 से देख रहे चीन को उसके मक्कारी धोखेबाजी उसके नियत में कूट-कूट कर भरी हुई है। हम लोग नेहरू के गलती के सजा भोग रहे हैं।
लेकिन अब समय आ गया है जनता जागरूक होकर  सरकार से अनुरोध कर रहे है,आप भी सभी प्रकार के कॉन्ट्रैक्ट रद्द करें। ताकि चीन के आर्थिक कमर टूट जाए।
 देशवासियों ने अपील कर रहे हैं अपने प्रधान सेवक से विश्व में यह संदेश दे मेरी  जनता और मेरी सरकार चीन को आर्थिक रूप से बहिष्कार कर रहे है ताकि उसकी आर्थिक कमर टूट जाए और आप लोग भी मेरा साथ दें,चीन को सबक सिखाने के लिए।
लेखक का विचार;- देशवासियों और सरकार की  इच्छाशक्ति होने पर निश्चित रूप से चीन के कमर टूट जाएगी। जिससे पड़ोसी देश भी संभल जाएंगे। मोदी सरकार अपनी बात की विश्व में डंका बजा कर मुहिम छेड़े।देश उनके साथ है।
- विजेंयेद्र मोहन 
बोकारो - झारखंड
प्रश्न केवल भारत का नहीं है ,प्रश्न पूरे विश्व समुदाय का है ।किसी भी देश की रीढ़ वहाँ की आर्थिक दशा होती है ।आर्थिक सम्पन्नता से ही कोई भी देश सामर्थवान और शक्तिशाली होता है ।आज चीन की बनी चीजें पूरे विश्व में फैली हैं ।खाने -पीने के सामानसे लेकर ,खिलौने ,घरके सजावटी सामान ,इस्तेमाल मेंआने वाली क्राक्ररी टेक्नलाजी तक पर चीन का अच्छा खासा दबदबा है ।अधिक उत्पादन के कारण ये सस्ते होते हैं और हर वर्ग के पहुँच में रहते हैं ।अतः चीनी वस्तुओं काफैलाव  पूरे विश्व मेम हो गया है ।आर्थिक दृष्टि से समृद्ध हो कर चीन अंहकारी हो गया है ।हरेक देश  पर अपना दबदबा कायम करना चाहता है ।छोटे देशों को मदद करके उनकी जमीने भी हथिया रहा है ।हम भारतीय उसकी दादागिरी नहीं बरदाश कर सकते ।पूरे विश्व को अब चीनी वस्तु का वहिष्कार करना होगा ।सबके एक साथ खड़े होने पर इसको आर्थिक क्षति  तो पहुँचेगी  ही ।भारत देश मर्यादा का पालन करता है ।बीस जवानों की शहादत बचनबद्धता का नतीजा है ।विश्व शांति के लिए  चीन के वस्तुओं का वहिष्कार आवश्यक हो गया है ।अंग्रेजों के समय भी क्रांति का बिगुल बहिष्कार से ही बजा था ।
- कमला अग्रवाल
गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश
चीन की कमर तोड़ने के लिए जरूरी है कि चाइना का कोई भी सामान भारतवासी न खरीदें ।
    चीन की साम्राज्यवादी सोच को भ्रष्ट करने में अब  सातो देश मिलकर चीन का व्यापार तवाह करेंगे । और अब कोरोना की महामारी के बाद चीन ने जो नापाक हरकत की है , हमारे भारतीय सैनिक को पर हमला करके  उन शहीदो का  बलिदान खाली नहीं जाएगा ।
हमारे शहीदों को श्रद्धांजलि अब हर घर का बच्चा -बच्चा दे रहा है बॉर्डर पर जाकर युद्ध तो नहीं कर सकते परंतु चीनी माल ने खरीद कर राष्ट्र की मदद करने में सभी सहयोग कर रहे हैं । 
चाइना का माल सभी बाईकाट कर रहे हैं क्योंकि प्रतिशोध लेने का और अपनी सफलता को प्रदर्शित करने का इससे बेहतर तरीका और कुछ नहीं हो सकता है । 
आर्थिक बार में चीन ने भारत में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से एक व्यापक स्तर पर प्र सार किया ।
चीन ने अपना  75%  आयात  बढ़ाया था यानी भारत 75% वस्तुएं चीन से  मंगाता था ।और भारत  25%निर्यात करता था।
                भारत के अंदर  चीन ने कम मूल्य पर बेकार वस्तुएं बेचकर भारतीय ग्राफ को अपनी और आकर्षित किया ।और अब कोरोना की  महामारी से अर्थव्यवस्था पर हावी होना चाहता था । जब से कोरोना की बीमारी पूरे विश्व में महामारी का रूप दिया है तभी से अधिकांश व्यक्तियों ने  चाइना का सामान खरीदना बंद कर दिया है ।     
वर्तमान में भी सर्वे के अनुसार अधिकांश मोबाइल आदि की  मांग शून्य  गई है। कुछ ने अपना चाइना का सामान खरीदना तो दूर पहला खरीदा सामान भी तोड़ दिया है। अब चारों खाने  ही चित होगा चीन की साम्राज्यवादी सोच का परिणाम ।
रॉकेट से नहीं,  
        पॉकेट से हारेगा चीन ।
आत्मनिर्भर बने भारत ,
          और चीन दीन हीन ।
जरूरी है देश का सम्मान,
      न कि चाइना का सामान 
भारतीय सामान ,
                हमारा अभिमान ।  बनेगा आत्म निर्भर ,
                   मेरा  देश महान । जय जवान -जय किसान,
                     मेरा हिंदुस्तान ।
- रंजना हरित     
          बिजनौर - उत्तर प्रदेश
प्रथम तो मैं अपने शहीद हुए वीर सैनिकों को नमन करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं  कहते हैं ना विनाश काले विपरीत बुद्धि! चीन की बुद्धि भी अब विनाश की ओर जा रही है! चीन आर्थिक और टेक्निकल दृष्टि से बहुत आगे यानीकि विश्व में अमेरिका के बाद उसका नंबर आता है! आज सुपरपावर अमरीका का स्थान पाने की होड़ में उसने समस्त विश्व को ही कोरोना महामारी से ग्रसित कर वैश्विक  अर्थव्यवस्था को हिला कर रख दिया है ! यह उसकी प्रिप्लानिंग थी ! कोई इतना कैसे गिर सकता है आज उसने भारत के साथ जो गद्दारी की है उसका भुगतान तो उसे देना होगा! 
चीन विश्व की फैक्टरी बन गया है! 
प्रथम तो उसपर हथोडे़ से ऐसी जगह घाव देना है जिससे उसकी कमर ही टूट जाए यानी आर्थिक तौर से टूट जाए और वह है उसके सामान का बहिष्कार! यह तभी हो सकता है जब हम आत्मनिर्भर बन स्वयं के सामान की निकासी करें! स्वदेशी सामान का उपयोग करें! हमें अपनी मेनिफेक्चरिंग इक्वालिटी बढा़नी होगी! चीन ने सब जगह अपनी कंपनियां खड़ी की है किसी भी चीज में उसका एक पार्टस तो होता है किंतु उसे भी हम उखाड़ फेंकेगे फिलहाल क्राकरी, लाइट, कपड़े आदि आदि बहुत सी चीजे हैं जिनका बहिष्कार करें! हमें दृढसंकल्प होना है! भारत तो उसे मारेगा ही किंतु यदि सभी देश कोरोना के दर्द को जिसे चीन ने दिया है याद कर उसके सामान का बहिष्कार कर ,उसे आर्थिक मार देनी होगी चूंकि वही देश मजबूत होता है जिसकी अर्थव्यवस्था मजबूत होती है  !
 अतं में कहूंगी चीन को हम अपनी तरफ से अपने तरीके से तो सबक देंगे ही किंतु पूरे देश को इसके सामान का बहिष्कार कर इसे कंगाल बना फन को कुचलने की जरुरत है! यह ऐसा विश्वास घाती सांप है जो कभी भी कोरोना से भी विषैला जहर उगल सकता है! 
- चंद्रिका व्यास
 मुंबई - महाराष्ट्र
भारत के संयम को लगातार चीन कमजोरी मानने की भूल कर रहा है अगर वह सोचता है कि भारत 1962 वाला है तो ऐसा सोचना उसकी भारी भूल होगी l भारत उसके लिए वह पूरी तरह तैयार 
है l पहला कदम वो उठाएगा लेकिन आखिरी भारत का होगा और हर वार का होगा पलटवार l 
               भारत को चक्रव्यूह बनाकर उसे घेरना होगा l हमारा लक्ष्य लद्दाख में सैन्य शक्क्ति भेजना ही नहीं अपितु काफी आगे तक होगा l जिसके अंग है -
सामाजिक निर्णय, आर्थिक दृष्टिकोण और कूटनीति l चीनी सामान का विरोध भी इसी आर्थिक गतिविधियों का एक अंग है l आज हर भारतीय आक्रोश में है चीनी सामान की होली जला रहा है l करोड़ों के चीनी प्रोजरक्ट्स सरकार रद्द कर रही है l अमेरिका का आक्रोश और भारत के विरोध में खड़े चीन का क्या अंजाम होगा यह समय बतायेगा l चीन को कूटनीतिक रूप से घेरना है l चीन ने ताईबान की आजादी का अतिक्रमण कर रखा है लेकिन दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है, इसी कूटनीति के तहत भारत ने ताईबान का समर्थन करते हुए वहाँ की नई राष्ट्रपति साइना को बधाई देकर समर्थन किया और चीन तिलमिला गया, उधर हांकांग में भी चीन के खिलाफ आक्रोश है l भारत ने हांकांग में लोकतान्त्रिक मूल्यों का समर्थन किया है l चीन को आर्थिक मोर्चे पर फेल करने की शुरुआत उस दिन शुरू कर दी गई जब मोदी जी ने कहा कि भारत को आँख दिखाने का काम जो भी करेगा उसे नरमी से नहीं निपटा जायेगा l इसमें किसी को शक नहीं होना चाहिए और आत्मनिर्भर का नारा दे दिया l शास्त्रों में लिखा है -"येषा पंथा "-यही रास्ता है l आत्मनिर्भर भारत चीन की कमर तोड़ने का मूल मंत्र है l आज चीन की एक हजार कम्पनियां, फैक्ट्रियाँ भारत में लगाने को तैयार है और इसी माहौल में दुनियाँ की वैश्विक दोस्ती की वजह से भारत की ताकत बढ़ रही है l 
ज्यादा मत उड़ो चीन, कहीं खिसक न जाये जमीन l 
अबकी बार --चीन से आर पार ll 
               चलते चलते ---
साँच को आँच नहीं कहते पीर
फकीर l 
मगर आज साँच नहीं न कोई चीन का ज़मीर ll
- डॉ.छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
    
                    यह दुनिया में  स्पष्ट हो चुका है कि चीन के अनुचित व्यापार तरीकों के कारण  अधिकांश देश उसके मकड़जाल में फंस चुके हैं। इसका व्यापारिक जाल पूरी दुनिया में फैला हुआ है और विशेष रूप से गरीब देशों में उसका यह जाल बहुत खतरनाक साबित हो रहा है। कई देश उसके उच्च  ब्याज दर बाले  कर्ज में फंसे हुए हैं और बहुत बड़े व्यापारिक घाटे को सहन करते हैं। भारत के नजरिए से अगर देखा जाए तो 2019 में भारत और चीन का व्यापार 92.68 अरब डालर का था। इसमें उसका भारत के लिए निर्यात बहुत अधिक है । भारत बहुत  बड़ी मात्रा में आयात करता है और इसके कारण  भारत का व्यापार घाटा 58.04 अरब डालर का था ।यदि भारत चीन के साथ अपना कारोबार सीमित करता है या कुछ हद तक समाप्त करता है तो चीन को प्रतिवर्ष करीब 5•7 लाख करोड़ रुपये  का नुकसान हो सकता है। चीनी सामान का आयात रोकने या  विरोध करने से उसकी कमर निश्चय ही टूट जाएगी ।यह आज के हालात को देखते हुए तथा उसकी अनुचित और छलपूर्ण  नीतियों को देखते हुए बहुत आवश्यक है ।धन्यवाद ।
- अरविंद श्रीवास्तव 'असीम'
 दतिया - मध्य प्रदेश
चीन की कमर तोड़ने के लिए दुनिया में चीनी सामानों का विरोध के साथ चीनी सामानों का उपयोग हमे घरेलू स्तर पर  भी बंद करना होगा। किसी भी प्रकार का चीनी समान नही खरीदने का प्रण लेना होगा और खासकर भारत में चीनी सामानों पर प्रतिबंधित करना पड़ेगा। साथ ही सभी इंटरनेट के द्वारा चलने वाले एप्पलीकेशन को भी  पूर्ण रूप से बंद करना होगा। विश्व स्तर पर भी  चीनी सामानों का उपयोग यदि बंद हो जाये तो चीन की कमर क्या हड्डी पसली भी गायब हो जाएगी। मानव हित के लिए हमेशा से ही दुश्मन का काम कर रहे चीन का खात्मा करने का यही तरीका है। इसको कभी सीधी भाषा समझ नही आती। यह एक बिच्छू के समान है इसे मारने में ही भला है। छुप छुप कर वार करना इसकी पुरानी आदत है। हमारे देश के नौजवान आज इसकी वजह से शहीद हुए है।इनकी शहादत बेकार नही जानी चाहिए। इसका जबाब हमे इनको मारने के साथ साथ इनके अर्थव्यवस्था को भी खत्म करना जरूरी है। भारत को दुस्साहस दिखाने वाले चीन के हर चीनी समान का विरोध कर प्रतिबंध कर कमर तोड़ना अति आवश्यक है।
- राम नारायण साहू "राज"
रायपुर - छत्तीसगढ़
 चीनी की कमर तोड़ने के लिए दुनिया में चीनी सामान का विरोध जरूरी है क्योंकि चीन आकर्षक संबंध बनाकर लोगों को प्रलोभन दिखाकर पैसा कमा रहा है और उन्हीं लोग जो उसके विकास के लिए  सहयोगी है उन्हीं को दुश्मन बना बैठा है ऐसे मक्कार चीनी सामान करो जरूर विरोध करने चाहिए अपने ही देश में बने हुए सामान का इस्तेमाल करना चाहिए जो देश हमारे लिए कभी सुखी नहीं देख सकता उस देश से हमें क्या लेना देना अतः अपने ही देश के प्रति इमानदारी के साथ अपने देश के विकास के लिए सहयोग करना जरूरी है वह वक्त आ गया है हम अपने ही देश की तमाम का उपयोग करें और अपने ही देश के विकास में सहयोगी बने ताकि हमें आत्मनिर्भर होकर अपने ही देश की उन्नति में आप बताएं हम किसी की पर आश्रित ना रहे पराजित जिंदगी धीरे-धीरे तबाह कर देती है सिर्फ वह लुटाना जानती है  दिल से सहयोग करना नहीं आता बाद में धोखाधड़ी करता है ऐसे देश की सम्मान को पता ही नहीं लेना चाहिए विरोध करना चाहिए। और इस सम्मान के लिए औरों को भी जागृत करना चाहिए। और अपने ही देश में है सुख शांति के साथ उत्पादन करें और वस्तु का निर्माण करें और उसका उपयोग करें और एक दूसरे का सहयोग करते हुए खुशी-खुशी जीने का प्रयास करे।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
चीनी सामान का बहिष्कार ऐसे समय में बहुत जरूरी है। लेकिन यह आदत इतनी जल्दी नहीं जाने वाला।कारण है चीनी सामानों का सस्ता और सर्व सुलभ होना। भारतीय सामान बहुत महंगा होता है।अतएव गरीब लोगों के पहुंच से बाहर है। इसलिए गरीब लोग चीनी सामान अधिक खरीदते हैं जैसे चाइनीज मोबाइल, घड़ी, टार्च इत्यादि। जो की अधिकतर ग्रामीण की जरूरत होती है। अमीरों के घर में चीजें आपको ब्रांडेड मिलेगी। छोटा-सा उदाहरण प्लास्टिक से बने बर्तन अमीर गरीब सब खरीदते हैं। बहिष्कार करना वाजिब है लेकिन इन आदतों से छुटकारा के लिए अपने ही देश में सस्ते सामान का उत्पादन किया जाए तब संभव है। आप कोई भी चीज उठाकर देखिए जो इलेक्ट्रॉनिक उपकरण हो कोई न कोई पार्ट चाइनीज होगा ही कितनी चीजों को फेंकोगे। जो व्यक्ति सस्ती चीजों का आदि हो चुका है उसके लिए छोड़ना बहुत मुश्किल काम है। फिर भी आइए मिलकर सपथ लें। आगे से चाइनीज लड़ियां,दिवार घड़ी, पतंग के मांझे तथा अन्य चीन से आयातित सामानों का बहिष्कार करें।
जय हिन्द जय भारत
- भुवनेश्वर चौरसिया "भुनेश"
गुड़गांव - हरियाणा
जी बिल्कुल अपने वीर सैनिकों की शहादत का बदला लेने के लिए चीन के सामान का बहिष्कार तुरंत करना जरूरी है। चीन ने जिस थाली में खाया उसी में छेद किया, यही उसकी फितरत है ,इसलिए हमें सुई से लेकर हवाई जहाज तक चीन के हर सामान का बहिष्कार कर देना चाहिए। क्योंकि पानी अब सिर के ऊपर से गुजर चुका है ।चीन के सबसे बड़ी ताकत उसका व्यापार है ।चीनी सामान का हमें आज से बहिष्कार करना चाहिए ।चीन की अर्थव्यवस्था को कुचलने का इससे अच्छा कोई तरीका ही नहीं है ,क्योंकि चीन इसी के लायक है। चीन को आर्थिक मौत देना जरूरी हो गया है, तभी चीन की अकल ठिकाने आएगी ,जब भूखे मरेंगे। भारतीयों को एकजुट होकर चीन का हर तरह से विरोध करना चाहिए ।हम भारतीयों ने चीन को इतना संभ्रांत बना दिया कि उसके पर निकल आए ,अब पर काटने की जरूरत है ।समय आ गया है कि चीनी सामान का तुरंत बहिष्कार कर दिया जाए एवं स्वदेशी ही अपनाया जाए। व्यापारियों की संस्था सी ए आई टी ने बॉलीवुड सेलेब्स से अपील की है कि वह चीन के ब्रांड का ऐड और प्रमोशन कतई ना करें, अपने वीर जवानों की शहादत को याद रखें।
 स्वदेशी अपनाने से देश में रोजगार पैदा  होंगे जिससे बेरोजगारी खत्म होगी ।देश के उद्योगों को लाभ मिलेगा ।जब चीन को भारत का बाजार नहीं मिला तो वह निश्चित तौर पर बर्बाद हो जाएगा ।भारत सरकार को चीन के सामान के आयात पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए ,तुरंत चीन के होश ठिकाने आ जाएंगे। चीन का सामान वहीं पड़ा पड़ा सड़ जाएगा ,तो चीन भारत से क्षमा याचना करने दौड़ता आएगा। नहीं तो  बर्बाद होगा।
 ऑनलाइन उद्योगों को भी बिल्कुल बंद कर देना चाहिए ,जो चाइना से सामान आते हैं  उनका आयात ही रोक दिया जाए। दुकानदारों को चाहिए कि चीनी सामान लेना बंद कर दें ग्राहकों को चाहिए कि दुकानदार से पूछे  कि चीनी सामान तो नहीं है  वह नहीं चाहिए ,इस प्रकार से चीनी के सामान का आज से ही पूर्णतया बहिष्कार करें ,स्वदेशी अपनाएं ,यही सच्ची देशभक्ति है। यही समय की मांग है ।यही  शहीद वीरों को श्रद्धांजलि  भी है।
 - सुषमा दिक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
किसी भी देश की अर्थव्यवस्था उसके व्यापार और उद्योग पर काफी हद तक निर्भर करती है। हमारे देश का ये दुर्भाग्य है कि आज हर घर में कोई ना कोई समान चीन निर्मित होगा हीं ,अर्थात चीन ने हमारे देश के बाजारों में अपनी लुभावनी और सस्ती समानों का ढेर लगाए हुए है। लेकिन आज मोजूदा हालात को देखते हुए अब हमें अति सचेत होने की आवश्यकता है।चीन की आर्थिक स्थिति को कमजोर करने का ये एक बहुत अच्छा तरीका है चीनी सामानों का पूर्णतः बहिष्कार किया जाना।आज हमारे देश को भी "लोकल से गलोबल" बनने की बहुत जरूरत है ऐसी अपील हमारे प्रधानमंत्री जी ने भी सब से की है । इससे हमारा देश भी मजबूत और आत्मनिर्भर बनने में सक्षम होगा। लोगों को इसके कारण रोजगार भी मिलेगा और देश भी संबल होगा। चीन के कारण हमारा पड़ोसी नेपाल भी उल्टी हरकतें कर रहा है , पाकिस्तान तो हैं हीं। आज के हालात के लिए चीनी सामान का विरोध और बहिष्कार पूरी दुनिया करने लगे तो यह एक बहुत कारगार क़दम होगा चीन की कमर तोड़ने के लिए ।अब हिंदी चीनी भाई_ भाई के बदले चीन को बाय _बाय करना हीं होगा ।
- डॉ पूनम देवा
पटना -  बिहार
आज का हमारा विषय है ‘ चीन की कमर तोड़ने के लिए क्या दुनिया में चीनी सामान का विरोध जरूरी है?’ चीन की कमर तोड़ने के लिए दुनिया में चीनी सामान का विरोध जरूरी है।  यह मात्र भावनात्मक नहीं हो अपितु व्यवहार में लाया जाना चाहिए।  किसी भी देश की आर्थिक स्थिति उसकी रीढ़ की हड्डी होती है।  यदि रीढ़ पर गहरी चोट की जाए तो पूरा तंत्र पंगु हो सकता है।  निवर्तमान दिनों में चीन ने विश्व बाजार पर अपना वर्चस्व जमाया।  सस्ते दामों में निर्यात कर अन्य देशों के स्थानीय निर्माताओं की रीढ़ पर चोट की जिससे स्थानीय निर्माता बरबाद हो गये और अन्ततः उन्होंने चीन की प्रभुत्ता को स्वीकार कर चीनी सामान का आयात शुरू किया जिसे नागरिकों ने हाथों-हाथ लिया।  इससे निर्माता और व्यापारी भी खुश हुए और नागरिक भी। आर्थिक रूप से चीन मजबूत होता गया। बड़ी बड़ी कम्पनियों ने चीन में अपनी उत्पादन प्रक्रिया आरम्भ की। ऐसा होने से देखते ही देखते विश्व के विकासशील देशों में स्थानीय उत्पादन बुरी तरह से प्रभावित हुआ।  चीन से चले कोरोना वायरस ने विश्व के नागरिकों की कमर तोड़ कर रख दी हालांकि इससे चीन स्वयं भी प्रभावित हुआ परन्तु जल्दी ही उभर कर उसने ऐसी स्थिति का पूरा फायदा उठाते हुए अन्य देशों में फिर से अपना सामान बेचना शुरू किया।  कोरोना की मार झेल रहे अन्य देशों के यहां उत्पादन बन्द पड़े थे और चीन ने इसका फायदा उठाना शुरू किया। चीन की छाती में उफनती लालसा ने यह संदेश देना शुरू कर दिया कि अन्य देश चाह कर भी उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकते हैं।  उसे अपनी उत्पादन शक्ति और सस्ते उत्पादों पर गुमान है।  इसी गुमान को तोड़ा जाना चाहिए।  उदाहरण के तौर पर यदि दो प्रतिद्वंद्वी व्यापारी स्पर्धा में उतर जाते हैं तो वही सफल होता है जिसके ग्राहक बने रहें और दूसरे को मैदान छोड़ कर भागना पड़ता है।  चीन के साथ यही करना होगा और उसे मैदान से भगाने के लिए उसके यहां बने सामान से मुंह मोड़ना होगा। हमारे देश में भी इस समय चीनी सामान विरोधी लहर चल रही है। इस विषय में हम यह कर सकते हैं कि भविष्य में चीनी सामान न खरीदें और जो खरीद चुके हैं उसे नष्ट कर अपनी अर्थव्यवस्था को चोट न पहुंचायें।  पर यह सुनिश्चित करें कि भविष्य में चीनी सामान नहीं खरीदेंगे। चीनी सामान का विरोध करने के लिए बाकी देश संगठित होकर व्यापार संधियां बनाकर इस विरोध को पूरी तरह से अंजाम दे सकते हैं।  और ऐसा करना चीन की कमर तोड़ सकता है। यदि समूचा विश्व ऐसा करने लगेगा तो चीन की रीढ़ की हड्डी चोटिल तो क्या टूट ही जायेगी और वह घुटने टेकने को मजबूर होगा।  हाल ही में चीन ने कोविड-19 अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार प्रदर्शनी भी लगाई और विश्व को व्यापार के लिए आमंत्रित किया। नापाक चीन के इस मंसूबे पर पानी फेर दिया जाना चाहिए। अतः निष्कर्ष यह निकलता है कि चीन की कमर तोड़ने के लिए दुनिया में चीनी सामान का विरोध जरूरी है।  
- सुदर्शन खन्ना
दिल्ली
चीन  की  कमर  तोड़ने  के  लिए  दुनिया  में  चीनी  सामान  का  विरोध  तो  जरूरी  है  ही  इसके  साथ  ही  साम, दाम, दण्ड, भेद  आदि  सभी  दांवपेंच  आवश्यक  है  ।  आज  देश  को  चाणक्य  नीति  पर  चलना  भी  जरूरी  है  । 
      जो  सामान  हम  चीन  से  आयात  करते  हैं, जरूरी  है  कि   वह  सभी  सामग्री  हमारे  देश  में  बनें  और  सस्ती  दरों  पर  लोगों  को  मुहैया  कराई  जाए । इसके  लिए  तीव्र  गति  से  प्रयास  किए  जाएं  ।  यह  प्रयास  जहां  लोगों  को  रोजगार  उपलब्ध  कराएगा  वहीं  आत्मनिर्भरता  भी  बढ़ेगी ।  लोगों  में  आत्मविश्वास  बढ़ेगा ।
       चीनी  सामान  का  मीडिया  व  संचार  साधनों  के  माध्यम  से  जो  प्रचार-प्रसार  होता  है  उस  पर  तुरंत  प्रभाव  से  रोक  लगा  देना  समीचीन  होगा  । 
        स्वदेशी  उत्पादों  का  प्रचार-प्रसार  ही  हो  साथ  इसके  प्रति  लोगों  को  जागरूक  किया  जाए  ।  
       लोगों  को  भी  स्वेच्छा  से  चीनी  उत्पादों  का  बहिष्कार  करते  हुए  स्वदेशी  को  महत्व  देना  होगा  । 
       संगठन  में  ही  शक्ति  है  अतः  चीन  गलत  हरकतों  का  मिल  कर  मुकाबला  करना  होगा  ।  संसार  के  अन्य  देशों  को  भी  एकजुट  होकर  इस  पर  दबाव  बनाना  होगा  । 
      आर्थिक  दृष्टि  से  चीन  को  कमजोर  बनाने  का  एकमात्र  उपाय  यही  है  कि  दुनिया  के  अन्य  देश  भी  चीनी  सामान  का  विरोध  करें  । 
        - बसन्ती पंवार 
        जोधपुर - राजस्थान 
हर देश की अपनी आर्थिक आत्मनिर्भरता की योजना होती हैं ओर हर देश अपने यहा का वस्तुऐं बाहर के देशो में भेज कर खुब लाभ कमाना चाहता हैं अपने देश को आर्थिक समर्धी प्रदान करना चाहता हैं पर चीन ने इस क्षैत्र में बहुत कुछ नया किया उसने पहले अन्य देशो के बाजार को पहचाना ओर फिर वहा की जरूरत के हिसाब से सस्ता माल बनाया ओर बेचा मुल्य में अन्तर बहुत ज्यादा होने से हर इन्सान चीन की बनी वस्तुयें खरीदने लगा ओर लगभग लगभग दुनियाँ के कई देशों मे चीन के वस्तुओं का वर्चश्व कायम हो गया।वस्तुऐं बहुत सस्ती थी तो इन्सान उसे आसानी से खरीद लेता था ओर सामान इतना घटिया था की उसकी कोई ग्यारन्टी नही थी हम खुश थे हमें सस्था मिल रहा है चीन खुश था की उसका माल धड़ाके से बिक रहा था हम इस सस्ते के चकर में भुल गये की वह हमें महंगा पढ रहा हैं बार बार खराब होना फिर नया खरीदना चीन की तो बस चल नीकली हैं चिन ने दुनिया भर में जो माल बेचा उससे चीन में नव रोजगार का सृजन हुवा ओर जो पैसा कमाया उससे हथियारो के निर्माण पर खर्च करता रहा आज वह अमेरीका ओर रूस के बाद तिसरा सबसे शक्ती शाली देश हैं यही उसका अंहकार भी हैं ओर वह नम्बर वन बनने के लिये कुछ भी कर गुजरने को त्यार हैं कोरोना वायरस भी चिन की ही दुनिया को देन बताई जा रही है इस सनकी देश को यदी समय रहते नही रोका गया तो यह पुरी दुनिया को युध्द की आग मे धकेल देगा अतः चीन की अब कमर तोड़ने का वक्त आ गया है उसके पाप का घड़ा भर चुका है ओर इस बार सभी देशो ने मिल कर उसे वो मार मारनी है की वह कभी उठ न पाये ध्यान रखना है चीन की नीव बहुत घहरी है कई देशो को उसने अरबो खरबो का श्रण दे रखा है अब सभी देश मिल कर चीन की वस्तुओं का बहिस्कार हर अपने यहा चीन का सामान बिकने पर पुर्ण रूप से प्रतिबन्ध लगाये ओर सभी तरह के आर्थिक राजनैतिक सम्बंध तोड़ ले न कुछ देना न कुछ लेना उसे अपने हाल पर छोड़ दे उसका परित्याग कर दे।तब कही जाकर चीन को कुछ समझ आये तो आये।
- कुन्दन पाटिल 
देवास - मध्यप्रदेश
आज चीन और भारत के संबंध बिगड़े हुए है,सीमा पर हमारी सेना ने कई जवानों को खो दिया है।ऐसे में हर तरफ चीनी सामानों का बहिष्कार की मांग उठ रही है और ये सही भी है,पर इस बात पर अमल कर पाना बहुत कठिन है।चीन से आने वाली चीजों की अपेक्षा भारत मे उत्पादित चीजें काफी महंगी होती हैं यही कारण है कि हर बाजार पर चीन के उत्पादों का राज है।अगर हमें चीन के माल का बहिष्कार करने है तो पहले हमें स्वदेशी मालों को कम मूल्य पर उपलब्ध कराना होगा।जहां तक चीन का कमर तोड़ने की बात है तो सही है कि उसके अर्थव्यवस्था ध्वस्त करने ज़रूरी है और हमें इसके लिए हर मुमकिन कदम उठाना होगा
                   - संगीता सहाय
                    राँची -  झारखंड


" मेरी दृष्टि में "  चीनी अर्थव्यवस्था  का पुरी दुनियां में विरोध होना चाहिए ।चीनी उत्पादन का दुनियां में जगह - जगह उत्पादन होना चाहिए । जिससे चीनी उत्पादन की मांग को खत्म किया जा सके । यही इस का वास्तविक हल है ।
              - बीजेन्द्र जैमिनी
सम्मान पत्र


Comments

  1. प्रतिदिन की भांति आज भी एक से बढ़कर एक बेहतरीन विचार सामिल किए गए। सभी प्रकाशित रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं साथ ही संपादक जी के आह्वान पर आइए एकजूट होकर चीनी सामानों का बहिष्कार करें।

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

वृद्धाश्रमों की आवश्यकता क्यों हो रही हैं ?

हिन्दी के प्रमुख लघुकथाकार ( ई - लघुकथा संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी

लघुकथा - 2023 ( ई - लघुकथा संकलन )