क्या भारत की चीन से मुकाबले की तैयारी शुरू हो गई है ?

भारत के बीस जवान शहीद हुए है । देश शान्त नहीं बैठ सकता है । चीन बार - बार आँखें दिखा रहा है । ऐसे में भारत मुकाबले की तैयारी करने के अतिरिक्त कुछ बाकी  नहीं है । यहीं " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
लगातर चीन एल ए सी पर जिस प्रकार सेना बढ़ाने और हेलीपैड बनाने तथा साथ ही साथ मिसाइलों को तैनात कर लगातार युद्धाभ्यास कर रहा है , इतना तो साफ है कि चीन कहि से कही तक भी शांति नही चाहता है । चीन न केवल इस समय भारत की सीमाओं पर अवैध कब्जा करने को तैयार है बल्कि वियतनाम , पाकिस्तान व नेपाल के कितने ही ठिकानों को अपने नक्शे में शामिल कर चुका है । जिसकी चिंता विश्वस्तर पर होना लाजमी है ।
वहीं भारत को उभरता देख मन ही मन कुंठित होने वाला चीन का राष्ट्रपति शीजिनपिंग अमेरिका व रूस से अच्छे रिश्ते व व्यापारिक समझौते होते देख और खुद को पिछड़ता महसूस कर ही युद्ध के हालात बनाये हुए है । ऐसे समय मे जब से अमेरिका ने चीन पर प्रतिबंधों की बौछार कर दी है तब चीन की आर्थिक स्थिति डाबडोल हो गई है । ऐसे में चीन में भुखमरी छा जा लाजमी है । जिसकी चिंता चीन के राष्ट्रपति को शायद खाये जा रही है । खुद अपने ही देश मे घिरने के बजाय चीनी राष्ट्रपति शायद युद्ध से अपने देशवासियों की सोच को अलग ही दिशा देना चाहता है । ऐसा भी हो सकता है कि
 चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शायद यह कहावत ज्यादा ही सुनी हो कि खुद मरो तो दो- चार को ले मरो , शायद इसीलिए भी चीन युद्ध चाहता है ।
- परीक्षीत गुप्ता
बिजनौर -  उत्तरप्रदेश
भारत एक शान्तिप्रिय देश है इसीलिए भारत कभी भी अपने पड़ोसी देशों के लिए परेशानी का कारण नहीं बना। परन्तु चीन और पाकिस्तान समय-समय पर भारत को चुनौती देते रहते हैं, जिसका करारा जवाब भी भारतीय सेना के जाबांजों की ओर से उन्हें दिया जाता रहा है।
गलवान घाटी में चीन की घृणित और कायरतापूर्ण हरकत के बाद यह महसूस हो रहा था कि चीन आगामी दिनों में जरूर अपने विषैले पंजों को भारत की सीमाओं की ओर बढ़ाएगा। विगत दो-तीन दिनों से प्राप्त समाचारों के अनुसार लेह-लद्दाख में जिस प्रकार चीन ने अपनी सेनाओं को खड़ा किया है, उससे स्पष्ट है कि चीन की मंशा ठीक नहीं है और वह युद्ध जैसी परिस्थितियां उत्पन्न कर रहा है।
चीन की किसी भी हरकत का जवाब देने के लिए भारत ने भी अपनी तैयारियां कर ली हैं। भारतीय सेना भी अपने साजो-सामान के साथ चीन के सामने अपने पूरे हौसले से मुस्तैद हो चुकी है और किसी भी मुकाबले के लिए तैयार है। 
सच्चाई यही है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन जिस तरह अपनी सैन्य शक्ति का प्रदर्शन कर रहा है और भारत भी प्रत्युत्तर के लिए पूरी तरह से तैयार है, उससे यही प्रतीत होता है कि भारत की चीन से मुकाबले की तैयारी शुरू हो गयी है। 
- सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग' 
देहरादून - उत्तराखण्ड
आज जो देश की परिस्थिति है वो ऐसी है कि हमारे देश पर चारों और  विपत्तियों ने धावा बोल रखा है वो महामारी कोरोना हो या टिट्डी दल हो और उस पर चीन की गन्दी सोच, भारत के हिस्सों को हड़पने की परन्तु वो यह भूल गया है कि आज से एक सौ बीस साल पूर्व भी हमारे राजस्थान के तत्कालीन महाराजा गंगा सिंह स्वंय गंगारिसाला के जवानों के साथ कूच किया और चीन को धूल चटाई थी फिर  आज तो भारत हर क्षेत्र में सक्षम है । तो चीन कितना भी कोशिश कर ले उससे धोखे बाजी का बदला लेने हेतु भारत तैयार था और तैयार है
हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी ने चीन से मित्रता निभाई और चीन ‌हमें ही हरा कर सुपर पावर बनना चाहता है । गलवान के धोखे से भारत का दिल छलनी छलनी हो गया जब हमने हमारे बीस जवान खो दिए भारत मां अपना दूध माफ कर सकती है परन्तु अपने सपूतों ‌का खून माफ कभी नहीं करेगी ।  
 अतः भारत दोस्तों पर जान न्यौछावर करता है।
परन्तु दुश्मन की जान लेने से भी नहीं चूकता।
- ज्योति वधवा "रंजना"
बीकानेर - राजस्थान
     भारत-चीन लड़ाईयां अंतिम चरणों में विभाजित हो चुकी। अमेरिका की मध्यस्थता स्वीकार नहीं किया हैं। व्यावसायिक नुकसान दोनों पक्षों को होगा। पाकिस्तान ने चीन की मदद से बनाएं 4 एयरपोर्ट,  350 बंकर। राजस्थान के जैसलमेर जिले से लगी अंतर्राष्ट्रीय सीमा के उस पार पाकिस्तान में कराएं जा रहे, सामरिक निर्माण भारतीय खुफिया एजेंसियों के लिए चिंता का विषय हैं। जैसा कि जैसलमेर जिले के ठीक सामने पाकिस्तान के सीमा क्षेत्र में चीन की कम्पनियां पिछले कई वर्षों से तेल-गैस 
खोज के काम में तत्पर हैं और सुरक्षा गार्ड तैनात हैं, इन परिस्थितियों के कारण पाकिस्तान के भी हौसले बुलंद हैं। इधर चीन ने भी युद्ध स्तर पर अपनी सैन्य बलों को तैनात कर दिया हैं। उधर अमरीका डटकर  भारत के साथ खड़ा हो गया हैं। साथ ही सैन्य व्यवस्था को चीन के आस-पास अपने अड्डों पर तैनात करने का फैसला लिया हैं। सम्पूर्ण स्थितियों का आंकलन किया जायें तो भारत दम खम के साथ चीन पर चढ़ाई कर सकता हैं?
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर'
  बालाघाट - मध्यप्रदेश
चीन की हठधर्मिता झूठ वादाखिलाफी स्वार्थपरता और बार-बार कुछ ना कुछ ऐसा करना जो विश्वासघात ही है युद्ध के हालात को जन्म दे रहा है ऐसे में यह आवश्यक हो गया है कि भारत भी पूरी तरह से तैयार रहे है जिस तरह से चीन सीमा पर अपनी तैयारी कर रहा है यह आवश्यक हो गया है कि भारत को भी हर स्थिति के लिए तैयार रहना होगा और जो भी कुछ सीमा पर हो रहा है यह उसी का परिणाम है और जरूरी भी है क्योंकि भारत कोई कमजोर देश नहीं है और ना ही किसी प्रकार से युद्ध या किसी और अन्य संघर्ष की पहल करने में विश्वास करता है परंतु अपनी संप्रभुता और स्वतंत्रता व सीमाओं की सुरक्षा बहुत आवश्यक है और यह सब देखते हुए यर्याप्त तैयारी बेहद जरूरी है तथा भारत यही कर रहा है जिससे किसी भी हालात में चीन को मुँह तोड जबाब दिया सके...........! 
-  प्रमोद कुमार प्रेम
 नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
आज भारत पर भारी संकट हर तरफ मंडरा रहा है , 
कोरोनावायरस एक तरफ टिड्डी का आंतरिक , बारिस का कहर।और अब चीन की धोखाधडी , चालबाजी , 
चीन की।यही गंदी व नाकारात्मक सोच चीन को ले डूबेगी । 
ख़बर है कि चीन ने पूर्वी लद्दाख़ की पैंगोंग त्सो झील में अपनी गश्ती नौकाओं की तैनाती बढ़ा दी है. दो हफ्ते पहले इसी झील के नज़दीक भारतीय और चीनी सैनिकों में झड़प भी हुई थी. ये इलाक़ा लद्दाख़ में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास है.
इससे पहले भी ख़बर आई थी कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों देश अपने सैनिकों की मौजूदगी बढ़ा रहे हैं.भारत ने कहा था कि अक्साई चीन में स्थिति गालवन घाटी के किनारे चीनी सेना के कुछ टेंट देखे गए हैं. इसके बाद भारत ने भी वहां फ़ौज की तैनाती बढ़ा दी है. वहीं, चीन का आरोप है कि भारत गालवन घाटी के पास रक्षा संबंधी ग़ैर-क़ानूनी निर्माण कर रहा है.सबसे पहले तो आप ये जान लीजिए कि भारत चीन के साथ 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है . ये सीमा जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुज़रती है. ये तीन सेक्टरों में बंटी हुई है - पश्चिमी सेक्टर यानी जम्मू-कश्मीर, मिडिल सेक्टर यानी हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड और पूर्वी सेक्टर यानी सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश.
हालांकि दोनों देशों के बीच अबतक पूरी तरह से सीमांकन नहीं हुआ है. क्योंकि कई इलाक़ों को लेकर दोनों के बीच सीमा विवाद है. भारत पश्चिमी सेक्टर में अक्साई चीन पर अपना दावा करता है, जो फ़िलहाल हलचीन के नियंत्रण में है. भारत के साथ 1962 के युद्ध के दौरान चीन ने इस पूरे इलाक़े पर क़ब्ज़ा कर लिया था. वहीं पूर्वी सेक्टर में चीन अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा करता है. चीन कहता है कि ये दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है. चीन तिब्बत और अरुणाचल प्रदेश के बीच की मैकमोहन रेखा को भी नहीं मानता है. वो कहता है कि 1914 में जब ब्रिटिश भारत और तिब्बत के प्रतिनिधियों ने ये समझौता किया था, तब वो वहां मौजूद नहीं था. उसका कहना है कि तिब्बत उसका हिस्सा रहा है इसलिए वो ख़ुद कोई फ़ैसला नहीं ले सकता. दरअसल 1914 में तिब्बत एक स्वतंत्र लेकिन कमज़ोर मुल्क था. लेकिन चीन ने तिब्बत को कभी स्वतंत्र मुल्क नहीं माना. 1950 में चीन ने तिब्बत को पूरी तरह से अपने क़ब्ज़े में ले लिया. चीन के सैनिक लद्दाख में पेंगांग झील के फिंगर 4 तक आ गए थे, जहां भारतीय सैनिकों के साथ उनका टकराव हुआ था. भारत का दावा फिंगर 8 तक है, जहां भारतीय सैनिक गश्त के लिए जाते थे. अब तक भारत और चीन के सैनिक पेंगोंग झील के फिंगर 4 के पास आमने सामने थे. अब यहां से चीन के सैनिक कुछ किलोमीटर पीछे हटे हैं. जिस तरह से चीन का उग्र रवैया दिख रहा था, उसमें कोई उम्मीद नहीं कर रहा था कि इतनी जल्दी दोनों देशों के सैनिक टकराव की स्थिति से पीछे हट जाएंगे, लेकिन ऐसा हुआ है और ये भारत की ताकत को दिखाता है. 
चीन पर दबाव एक सत्य है, और इसी सत्य की मजबूरी में उसने लद्दाख की अपनी पोजीशन से पीछे हटने का फैसला किया. चीन को दबाव में लाने वाली ये बात, सरकार और सेना पर भरोसे को और भी मजबूत करती है. लेकिन हमारे यहां कुछ ऐसे लोग हैं, जो अपनी नेतागीरी के चक्कर में चीन के सामने देश के मनोबल को कमजोर करने में लगे हैं. 
पर भारत आज कमजोर नही है  पूरी तैयारी से चीन को सबक सिखाने को तैयार है
- डॉ अलका पाण्डेय
 मुम्बई - महाराष्ट्र
भारतीय सेना चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार है। भारत ने चीन से मुकाबले की तैयारी शुरू कर दी है। एलएसी पर सेनाएं जवाबी करवाई को लेकर पूरी तरह तैयार है। भारत ने पूर्वी लद्दाख में चीनी लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर दिखवे के बाद अपने उन्नत व त्वरित जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल को तैनात कर दिया है। सेना के अवकाशप्राप्त लेफ्टिनेंट जनरल राजेन्द्र सिंह  का कहना है कि दुश्मन के ख़तरा महसूस होने पर ऐसा मूवमेंट होता है। लद्दाख के एलएसी पर भी स्थिति तनावपूर्ण है। इसलिए सैन्यबलों की तैयारी का हिस्सा है। पिछले एक पखवाड़े में चीनी वायुसेना के सुखोई 30, एस्ट्रेटजिक  बॉम्बर्स एलएसी के पीछे 10 किलोमीटर तक के एरिया में उड़ान भरते देखा गया था। इसके बाद भारत ने भी एयर डिफेंस सिस्टम को तैनात कर दिया। बताया जाता है कि वायु व थल सेना किसी भी खतरे से निपटने को लेकर तैयार है। इसमें सुरक्षा बलों की अतिरिक्त  तैनाती, अभ्यास, वायुसेना की तैनाती, निगरानी व दुश्मन के किसी भी हमले को विफल करने के उपाय शामिल है। बताया जाता है कि चीन ने एलएसी के आस पास कई जगहों पर हेलीपैडबनाये हैं। साथ ही सैन्यबलों की बढ़ोतरी चीन ने की है। भारत ने भी चीन को मुंहतोड़ जबाव देने के
लिए तैयार है। वहीं दुसरी तरफ 
चीन की कुटिलता का जवाब देने के लिए भारत वैश्विक मंचो 
पर उसे बख्शने को तैयार नही है। भारत एक तरफ चीन की सीमा पर तनाव पैदा करने की
कोशिश करने का कूटनीतिक स्तर पर जवाब दे रहा है। वही कोरोना मामले पर भारत  नजर रखे हुए है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की जांच के तरीके को लेकर भी भारत सवाल उठा रहा है। भारत चीन को हर मोर्चे पर घेरने की तैयारी कर रहा है। भारत का यदि चीन के साथ युद्ध होता है तो चीन को बहुत ही भयावहता स्थिति से गुजरना होगा। क्योंकि भारत दुनिया के किसी भी महाशक्तिसाली देश को करारा जवाब देने की ताकत रखता है।
- अंकिता सिन्हा साहित्यकार
जमशेदपुर - झारखंड
हा! लगता यही हैं चीन अपने नापाक इरादों को अन्जाम देने के लिये कुछ भी कर सकता हैं ओर कर भी रहा हैं भारत चीन की हजारों किलोमीटर लम्बी सिमा पर हर दिन नई जगहो पर नया मोर्चा खोल कर बैठ जाता हैं उसका सिधा मकसद भारत को अस्थिर करना ओर विकाश योजनाओं से ध्यान भटकानास रहा हैं ओर इस बिच अपना मकसद पुरे करते रहना हैं कभी सिमा विवाद बढाना  कभी व्यापार के मध्य नजर नित्य नये कारनामे करना ओर जब भारत चीन को हर मोर्चे पर मुंह तोड़ जवाब देने को त्तपर दिखे तो  समझोतो की बात करना अपने कारनामो को छुपाना ओर भारत के उठाये गये कदमो को गलत करार देना।इनसब से तन्ग आकर ही आज भारत चीन को उसी की भाषा में दुगोने वैग से जवाब दे रहा है अतः चीन को अब अछ्छा नही लग यहा हैं चीन को भी जल्द से जल्द समझ लेना चाहिये की यह मोदी का नया भारत हैं। रह सवाल का कारगर उत्तर दाने को त्यार हैं।
- कुन्दन पाटिल 
देवास - मध्यप्रदेश
भारत की चीन से, मुकाबले की तैयारियां,चल ही रही हैं। यह मुकाबला केवल सीमा पर ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कूटनीतिक राजनीति और व्यापार के क्षेत्र में भी है। सीमा पर तो चीन को मुंहतोड़ जवाब दिया ही जा रहा है। वहां पर पर्याप्त सैनिक बल और साजो सामान पहुंचाया जा रहा है। सीमा पर चल रहे निर्माण कार्य की गति भी बढ़ा दी गई है। प्रधानमंत्री द्वारा देश में बुलाई गई सर्वदलीय बैठक भी इस बात का संकेत है कि मुकाबले के लिए जोरदार तैयारियां  हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीन के विरुद्ध बना माहौल, भारत के पक्ष को बल दे रहा है। महाशक्ति अमेरिका भी चीन के विरोध में है।
इसके पहले शायद ही कभी चीन का इतना जबरदस्त विरोध हुआ हो। व्यापारिक स्तर पर चीन के साथ भारत ने कई करार रद्द किये है।यह सभी इस बात का संकेत है कि अब भारत मुकाबले का मन बना चुका है। किसी भी स्थिति से निपटने के लिए भारत की तैयारियों में कमी नहीं है।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
‌धामपुर -उत्तर प्रदेश
1962 के बाद चीन नहीं बदला भारत बदल गया है । नाथुला में चीन , भारत की फौजें बेहद करीब पेट्रोलिंग करती थी । सिक्किम में घुसना चीन को मंहगा लगा था । 1967 में चीन ने नाथुला दर्रे में मशीनगन से भारतीय सेना पर  गोली चला दी । भारत की सेना ने चीन के सैनिकों पर गोलियाँ चला दी । चीन , भारत के  जवान मारे गए थे । 5 साल में भारत की सूरत बदल गयी । भारत के वीरों ने नाथयला दर्रे पर चीनियों बंकरों पर निशाना बनाना शुरू किया ।3 दिन 3 रात नुरन्तर गोलियाँ चलती रही । भारत की सेना ने चीन की सेना को परास्त किया । इस भीषण लड़ाई में भारत के 70 सैनिक शाहिद हुए ।
1967 में चीन सिक्किम घुस गया । चीनी सैनिक 
भारत के महावीरों ने उसे वहाँ भी परास्त किया ।
इससे चीन ने सबक नहीं लिया । गलवान में। खूनी खेल के चालबाज चीन भारत को आँख दिखा रहा है ।
  भारत की तैयारी चीन से युद्ध करने  पूरी है लेकिन भारत कूटनीति से चीन को गीदड़ की मौत आती है तो शहर की ओर भागता है ।चीन का भी यही हाल है । चीन दोसरे देशों की जमीनों को हड़फ के विस्तारवादी चाल को बढ़ावा देता है । लाइन ऑफ कंट्रोल पर अपनी गुस्ताखी दिखाने के लिए भारत का  जल थल नभ की सेना तैयार है ।
लद्दाख में चीन अपनी फ़ौज बढ़ता जा रहा है ।चीन सबके लिए खतरा है। अमेरिका ने चीन को चेतवानी दी
है । चीन के खिलाफ भारत ने सैन्य तैयारी पूरी कर ली है ।चीन भारत से नहीं लड़ेगा अगर युद्ध किया तो चीन चौतरफ़ा से घिरा है । चीन भारत से लड़ेगा  तो भारत की घेराबंदी उसकी सेना को दफन कर देगी । चार महादेश चीन को परास्त करने के लिए भारत के साथ खड़ी है ।भारत के पास  50 वारशिप्स है । भारतीय नोसेना की पूरी तैयारी है । समुद्र में चीन की साजिश  को भारत नेस्तनाबूद करेगा । चीन के 14 पड़ोसियों के साथ संबन्ध अच्छे नहीं है । 23  देशों से चीन का विवाद है । मकाऊ , हांकाकांग पर चीन ने कब्जा किया । 
चीन ने अगर भारत से युद्ध किया तो उसका बचना मुश्किल है । 
- डॉ मंजु गुप्ता
 मुंबई - महाराष्ट्र
      मुकाबले की तैयारी तो गलवान घाटी में चीन द्वारा विश्वासघात के समय से ही शुरू हो चुकी है। किंतु भारत अपनी जीत सुनिश्चित करने हेतु शीघ्रता नहीं करना चाहता। जिसके लिए भारत अपने मित्र देशों को भी ठोक-बजा कर परखने में लगा हुआ है। जिसके अंतर्गत आधुनिक हथियारों के लिए रक्षा मंत्री ने अभी-अभी रूस की यात्रा कर चीन सहित विश्व को संदेश भी दिया है कि हमें कम आंकने की भूल मत करना।
      सर्वविदित है कि वर्तमान सरकार शत्रु द्वारा एक गाल पर थप्पड़ मारने पर दूसरा गाल आगे करने के स्थान पर ईंट का जवाब पत्थर से देने में विश्वास रखती है। जिसके लिए वह माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी जी के नेतृत्व में सक्षम भी है।
      उल्लेखनीय है आज भी उन्होंनेे मन की बात में सीमाओं की सुरक्षा के लिए शहीदों के संकल्प को दोहराते हुए स्पष्ट कहा है कि हम मित्रता निभाना जानते हैं और यदि कोई शत्रुता भाव से  हमारी मातृभूमि को टेढ़ी दृष्टि से देखने का दुस्साहस करेगा, तो उसकी आंखें फोड़ दी जाएंगी। उन्होंने ने राष्ट्र को आत्मनिर्भर बनाने और शहीदों की शहादत को व्यर्थ नहीं जाने का संकल्प भी दोहराया।
      जिसका सीधा अर्थ है कि भारत भारतीयों की भारतीयता को मुकाबले के लिए शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से तैयार कर रहा है। उसी श्रृंखला में सेना को अलग से करोड़ों रुपए का विशेष बजट देकर सैनिकों के मनोबल को बढ़ाना भी उसी ओर संकेत कर रहा है। जिससे सिद्ध हो रहा है कि भारत की चीन से मुकाबले की तैयारी शुरू हो चुकी है।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
क्या भारत की चीन से मुकाबले की तैयारी हो गई है?
  भारत की चीन से मुकाबले की तैयारी शुरू हो गई है भारत किसी भी स्थिति में चीन से पीछे नहीं हटे गा मुकाबले की जबरदस्त तैयारी हो गई है चीन जैसे मक्कार और गद्दारों जैसे देश को नहीं बख्शा जाएगा चीन भारत काहे नहीं पूरे विश्व का देशद्रोही देश है इसका खुराफाती दिमाग इसे  ह्रास की ओर ले जाएगा।
 भारत की  चीन की मक्कारी दिमाग को अच्छी तरह जान चुका है अतः  चीन की मुकाबले की तैयारी नहीं हर पल चीन से लड़ने के लिए तैयार है इसी तैयारी नहीं पूरी तैयारी  है। साथ-साथ हमारे देश को आगे बढ़ाने के लिए अपने विकास पर भी ध्यान देना है लड़ने वाले लड़ेंगे उनका मनोबल जनता बढ़ाएगी और जो जनता लड़ने में भाग नहीं लेंगे वे अपने देश की विकास के लिए कार्य करना होगा लड़ने से क्षति होती है इस क्षति की पूर्ति अन्य लोग करेंगे तभी भारत की व्यवस्था बनेगी अतः अगर कोई देश हमसे आंख उठाकर देखता है तो उसकी जरूर मुकाबला करना चाहिए और उसकी कूटनीति से अवगत होकर के उसके आने वाली समस्या को माफ कर अपने रणनीति बनाना चाहिए और देश का विकास और उत्थान कैसे हो इस पर भी चिंतन करने की आवश्यकता है तभी हम समस्या से निजात हो सकते हैं अभी तो भारत सभी तरफ से समस्या से घिरा हुआ है फिर भी हमें मायूस नहीं होना है धैर्य की आवश्यकता है धैर्य के साथ ही रे धीरे हमें समस्या को समझाते हुए आगे बढ़ना है तभी हम अपने देश के  विकास कर पाएंगे।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
भारत हमेशा से ही चौकन्ना रहा है।  भारतीय सेना ने किसी को बेवजह छेड़ा नहीं है पर यदि कोई धोखे से हमला करे तो उसे छोड़ा भी नहीं है।  वर्तमान भारत की सेना सशक्त है और अपने आप में पूर्ण सक्षम है।  चीन जैसा पड़ोसी देश यदि भारत की ओर बुरी नीयत से देखेगा और अपनी महत्वाकांक्षाओं के चलते द्वंद्व की स्थिति बनायेगा तो वह भारत को कमतर नहीं आंके।  चीन भारतीय सेना के जवानों को अंगड़ाई लेने का मौका न ही दे तो उसके हित में अच्छा है।  भारतीय सेना को चुनौती देने से पूर्व सौ बार सोच ले।  चैदह से भी अधिक देशों की सीमाओं से घिरा चीन जिनमें एकाध को छोड़कर कोई भी चीन के साथ नहीं है तो चीन को यह बेवकूफी भरी हरकत नहीं करनी चाहिए।  ऐसा कर वह शेर की मांद में हाथ डालने का दुःस्वप्न देख रहा है।  उसका एक भी ऐसा कदम उसे ले डूबेगा।  चीन की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि वह तरफ से घिरा है और इस घुटन भरी स्थिति से बाहर निकलने के लिए वह कुछ पड़ोसी देशों को लालच के जाल में फंसा रहा है।  नेपाल जैसे देश उसके जाल में अभी तो फंसते हुए नजर आते हैं पर जल्दी ही नेपाल सरकार यह चाल समझ लेगी।  लुब्बो-लुबाब यह है कि भारत चीन से मुकाबले के लिए हमेशा ही तैयार है पर यह तो भारतीय संस्कृति का कमाल है कि भारतीय सैनिक धैर्य रखे हुए हैं पर चीन की किसी भी उल्टी हरकत पर उसे मुंहतोड़ जवाब देने के लिए सदैव तत्पर हैं। जय हिन्द। 
- सुदर्शन खन्ना
दिल्ली
पूरे विश्व को यह जानकारी है की भारत एक शांति प्रिय देश है। अगर कोई भी पड़ोसी देश आक्रमण करता है तो उसी की भाषा में कठोर  रूप में जवाब देने के लिए तैयार रहता है भारतीय सैनिक ।
अभी जो माहौल बना हुआ है।  भारत पूर्ण रूप से तैयार है,चीन को कठोर रूप से जवाब देने के लिए तैयार बैठा है। जब भी सामने वाले बिगुल बजाय तो हमारे भारतीय सैनिक मकबूल जवाब देने को तैयार हैं। 
सूत्रों के मुताबिक अमेरिका के सैन्य तैनाती के फैसले से डरा चीन।
LAC पर चीन अपने सैनिकों की संख्या में भारी इजाफा करता जा रहा है। भारत के साथ उच्च स्तरीय बातचीत भी शुरू कर दिया है। लेकिन भारत भी अपने सैनिकों की तैयारी करना शुरू कर दिया है ।उच्च स्तर पर  चर्चा के बाद फैसला लिया गया गया है। LAC के पास 5 मई से गतिरोध जारी है। जब तक कोई हल नहीं निकलता है भारतीय सैनिक भी वहां डटे रहेंगे। जानकार सूत्रों से स्पष्ट हो गया है कि चीन के दबाव नीति पर भी चर्चा हुआ है।जिसके बाद तय किया गया कि भारत भी अपने सैनिक और तरह-तरह के मशीनों के साथ को बढ़ाएे। ताकि चीन के तरफ से संभावित आक्रमण के माकूल जवाब दिया जा सके।
भारत का स्टैंड भी बिल्कुल स्पष्ट है कि भारतीय सैनिक अपनी तरफ से कोई ऐसा कुछ नहीं करेंगे जिससे तनाव बढ़े। इतना जरूर है कि भारत किसी दबाव में आकर अपने इलाके पर अपना दावा नहीं छोड़ेंगे।
चीन को यह डर सताने लगा है कि अगर हिंद प्रशांत में भारत-अमेरिका मिल जाए तो उसकी मुश्किल बढ़ जाएगी उसका कहना है:- भारत अमेरिका के साथ ना जाए क्योंकि कूटनीतिक स्वतंत्रता पसंद करता है।
लेखक का विचार:- एशिया में चीन के बढ़ते वर्चस्व को रोकने के लिए भारत हर  मौके पर अमेरिका भारत के साथ खड़ा है। क्योंकि चीन इस समय पूरी दुनिया में अमेरिका की प्रभुता को चुनौती देने को आमदा  है।
- विजयेंद्र मोहन 
बोकारो - झारखंड
यह सर्वविदित है कि चीन अपनी चालबाज़ी से बाज़ नहीं आता। चीन बहुत ही शातिर मुल्क है।कोरोना जैसे जैविक हथियार से उसने समूचे विश्व में त्राहि त्राहि मचा रखी है। जिसने लाखो लोगो को जान ले ली है और अभी ये सिलसिला खत्म नहीं हुआ है।पूरा विश्व इसकी चपेट में है। चीन ने बिना एक भी गोली चलाए, पूरी दुनिया में लाशों के ढ़ेर लगा दिए है।चीन की इस हिमाकत के बारे में बड़े से बड़े देश के खुफिया विभाग को भनक भी नहीं लगी और चीन ने अपना काम बड़े सुनियोजित तरीके से अपने घर पर बैठे बैठे ही कर दिया। क्योंकि चीन पीठ में छुरा घोंपने में माहिर हैं।पहले दोस्ती का हाथ बढ़कर उनसे व्यापार करता है। और फिर उनकी अर्थव्यवस्था को भी  घुन की तरह खा जाता है। इस पर उसका लालच कम नहीं होता और वहाँ की जमीन पर कब्ज़ा जमा लेता है। इसका हाल फिलहाल का उदाहरण नेपाल,है। और भारत, तिब्बत, ताइवान और दक्षिणी चीन सागर पर हुई उसकी शर्मनाक करतूतों से पता चलता है।
चीन को शायद 1962 का भारत ही याद है। वह आज के भारत की ताकत का नमूना गलवान घाटी में उसके मारे गए सैनिकों की हालत देखकर समझ सकता है। लेकिन  वह शर्म और अफसोस के कारण यह सब बता भी नहीं पा रहा है।
लेकिन भारत अब पूरी तरह से तैयार है चीन को सबक सिखाने के लिए। भारतीय थल सेना, वायु सेना सभी पूरी तरह अलर्ट मॉड पर है। चीन की एक गलती भी अब उसे भारी पड़ सकती है। चीन से व्यापार पहले ही खत्म होने की कगार पर है। चीन पर शिकंजा अब पूरी तरह कसा जा चुका है। अब भारत चीन के मुकाबले बहुत ही मज़बूत स्थिति में है।
- सीमा मोंगा
रोहिणी - दिल्ली
सीमा पर लगातार तनाव बना रहे चीन का भारत ने डटकर मुकाबला करने की तैयारी शुरू कर दी है चीन के हर सवाल का जवाब देने के लिए भारत तैयार है, एवं चीन की हर पैंतरेबाजी को नाकाम बनाया जाएगा ।
हमारी भारतीय सीमा पर जो निर्माण कार्य चल रहा है वह सेना के निर्देशानुसार यूं ही चलता रहेगा ।भारत चीन की वास्तविक नियंत्रण रेखा जो कि एलएसी कहलाती है ,उस पर चीनी सैनिकों की गतिविधियां जारी हैं ।
चीनी सैन्य बल को नाकामी ही हाथ आएगी ।
मौजूदा स्थिति के अनुसार भारतीय सीमा पर हालात बिगड़े हुए हैं। गलवान घाटी पर दोनों देशों की सैन्य शक्तियों के बीच तनातनी तो चल ही रही है ,जिसमें  तनाव में लगातार इजाफा हो रहा है ।भारत ने कहा कि वह पीछे हटने वाला नहीं। भारतीय क्षेत्र की लद्दाख सीमा पर सड़कें व आधारभूत ढांचे के निर्माण कार्य को रोकने के मकसद से ही चीनी सेना ने सीमा का अतिक्रमण की बढ़ाई है ।मगर हमारा निर्माण कार्य जारी रहेगा।
 2017 में डोकलाम में भारत-चीन के बीच सैनिकों की सीमा पर हुई भिड़ंत के सबसे तनावपूर्ण दौर के बाद लद्दाख सीमा क्षेत्र में चीनी सैनिकों का भारतीय सीमा क्षेत्र में अतिक्रमण सबसे गंभीर मसला बनता जा रहा है ।अतः भारतीय लोग जवाबी कदम उठाने से अब नहीं  हिचकेंगे ।
 भारत ,चीन द्वारा सीमा विवाद को लेकर दबाव बनाने की चीनी रणनीति का दाँव भली-भांति समझ चुका है ।अतः भारतीय सेना मजबूती से डटी हुई है ।
चीन ने पूरे क्षेत्र पर अपना दावा किया है ।
उधर  चिनफिंग भी अपनी युद्ध की तैयारी बढ़ा रहा है ।उसने अपनी सेना को तैयार रहने के निर्देश दिए हैं, एवं अपने देशवासियों को भी भारत का मुकाबला करने की  हिदायत दी है।
जिनफिंग के इस चुनौती पूर्ण स्मम्बोधन से तनाव मे और भी इजाफा हुआ है ।
अतः युद्ध का माहौल लगातार बनता जा रहा है ।
मेरा एक स्वरचित गीत नीचे दिया है जो हम भारतीयों की देशभक्ति एवं आंतरिक शक्ति का उद्बोधक है,,,
ये मातृ भूमि का वन्दन है 
ये मातृभूमि का वंदन है अभिनंदन है । 
हम  सब तेरे रखवाले  मां,
ये माँ बच्चों का बंधन है।
 ये मातृभूमि का वन्दन है अभिनन्दन है ।
तेरी  आन न जाने पाये ,
तुझपे जान लुटा देंगे ।
तेरे चरणों में लाकर के ,
शत्रू शीश झुका देंगे ।
ये मातृभूमि का वन्दन  है अभिनंदन है ।
हम  सब तेरे रखवाले मां,
 ये मां बच्चों का बंधन है ।
चंदन जैसी तेरी ममता ,
 है रखनी  तेरी शान हमें ।
अगर जरूरत पड़ी वक्त पर,
 न्योछावर है  प्रान  तुम्हें  ।
ये मातृभूमि का वन्दन  है अभिनंदन है।
 हम सब तेरे रखवाले ,
मां ये मां बच्चों का बंधन है ।
मां तेरा क्रंदन असहनीय ,
ऐ! मातृभूमि तू प्यारी है ।
हम तेरे प्यारे बालक हैं,
 तू हम सब की फुलवारी है ।
ये मातृभूमि का वंदन है अभिनंदन है ।
हम सब तेरे रखवाले मां  ,
ये माँ बच्चों का बंधन है ।
- सुषमा दिक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश


" मेरी दृष्टि में " भारत शान्ति प्रिय देशा है। विदेशी आकर्मण से कई टूकडें हो चुके है । परन्तु अब किसी कीमत पर कोई टूकडें नहीं होने चाहिए । इसके लिए मुकाबले की तैयारी शुरू हो चुकी हैं ।
                                                      - बीजेन्द्र जैमिनी
सम्मान पत्र 

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