क्या चीन ने भारत में विदेशी निवेश को रोकने के लिए युद्ध जैसे हालत बना रखें हैं ?

भारत जिससे तरह से विकास की गति बढा रहा है । इससे चीन के कान खड़ें हो गये हैं । चीन के सामने का विरोध भी बेचैनी को बढा रहा है । इसलिए चीन युद्ध जैसी स्थिति दिखाने का प्रयास कर रहा है । जिससे भारत में विदेशी निवेश ना हो सके । यही " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी  धमक बनाए रखने वाले चीन की यह भी मंशा हो सकती है कि इस तनाव को बनाए रखने से भारत में विदेशी निवेशक निवेश न करें। जिससे भारत का विकास प्रभावित हो। वर्तमान हालात में जबकि अमेरिका भी चीन के प्रति विरोध दर्ज करा रहा है, और भारत को अपना सहयोगी व मार्गदर्शक 
मान रहा है, चीन का भारत के प्रति तनावपूर्ण माहौल का रवैया उसकी घोर निराशा को दर्शा रहा है। विश्व के विभिन्न देशों की यात्राएं कर हमारे प्रधानमंत्री जी ने जो छवि भारत की बनाई उससे विश्वमंच पर भारत का रुतबा बढ़ा है। यहां विदेशी निवेश होने से भारत में चीनी सामान की बिक्री प्रभावित होगी। इससे चीन को आर्थिक नुकसान तो होगा ही। इस नुकसान का आकलन करके, चीन द्वारा भारतीय सीमा पर तनाव पूर्ण माहौल पैदा करना उसकी गहरी चाल हो सकता है। भारत में चीनी उत्पादों के जबरदस्त विरोध ने उसकी बौखलाहट को बढ़ा दिया है।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
चीन ने वैश्विक बाजार में अपनी पहुँच अंदर तक बना ली है। हर देश के बाजार चीन के सामानों से भरे पड़े हैं। इन के द्वारा चीन ने अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत बना लिया है। 
अब रूस का साथ चीन को और भी मजबूती दे रहा है। जिससे वह अपने वर्चस्व को विश्व में स्थापित करने की कोशिश कर रहा है। लेकिन कोविद-19 के बाद हर देश आत्मनिर्भर होने की चेष्टा कर रहे हैं। खास कर भारत ने अपनी नीति बदली है और खुद में रोजगार उत्पन्न कर, नए उद्योग लगा कर चीन से प्रतिस्पर्धा करने के लिए प्रयत्नरत है।
 हर नजर भारत पर टिकी है ।इसकी गतिविधियों के परिणाम का बारीकी से अवलोकन कर रही हैं। चीन के लिए यह बहुत बड़ा खतरा है। उसकी आर्थिक नींव ही हिलाने की साजिश दिख रही है। इसलिए वह अपने इन खुराफातों से अन्य देशों को दहशत में डालना चाहता है। हमारा अनुमान है कि भारत को आर्थिक रूप से तबाह करने की उसकी यह परिकल्पना है, जो निश्चित रूप से फलीभूत नहीं होगी। 
 चीन के नापाक विचार कभी पूरे नहीं होंगे चाहे हमें कितने भी बलिदान देने पड़ें। अब उसकी चालबाजी सभी की समझ में आ गई है।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
चीन की यह बौखलाहट विश्व परिदृश्य पर भारत के बढ़ते रसूख को लेकर है। चीन को बखूबी ज्ञात है, यदि भारत को सीमा विवाद में नही उलझाया गया। तो वह दिन दूर नही, जब भारत चीन को पटखनी देकर एशिया में महाशक्ति बनने की महागाथा लिख सकता है।
चीन की 14 ट्रिलियन डॉलर की भीमकाय इकोनॉमी को पछाड़ते हुए भारत ने जब रवांडा को महज दो सौ गायों का अनुदान देकर विश्व पटल पर वाहवाही बटोरी थी। साथ में कूटनीतिक तौर पर तमाम देशों के साथ चाहे अफ्रीका महाद्वीप हो यूरोप। सब जगह भारत विश्वसनीय एवं सम्मानित वर्चस्व कायम करता जा रहा है।
परमाणु शस्त्रों की बात हो या अंतरिक्ष में विस्तार और दबिश की, भारत के कदम सभी स्थानों पर बहुत ही मजबूती से पड़ रहे है। अब मंगलयान की सफल प्रक्षेपण को ही के लीजिये। सबसे कम लागत में अपने अल्प सीमित संसाधनों के बावजूद भी बनाने से लेकर प्रक्षेपण तक में स्वदेशी उपकरणों का ही प्रयोग किया। और सफल भी रहा। चीन भारत के आत्मामनोबल, ऊर्जा, और संस्थागत चरित्र से भली भाँति परिचित है। भारत के बढ़ते कदम उसके विश्वविजयी विस्तारवादी चरित्र पर अंकुश लगा सकते है। इसलिए लदाख से लेकर अरुणांचल प्रदेश तक कि लंबी सीमा में भारत को उलझाए रखकर विकास के चरण को बाधित करना चाहता है।
क्योंकि चीन की जमीन की भूख, उसके सम्राज्यवादी विचारधारा का पोषक है। प्रतयेक देश को सहज आर्थिक ऋण मुहैया कराकर लीज पर ली हुयी उनकी जमीन हड़पने की मंसा उसकी साफ है कि बिना रक्त बहाए इनकी जमीनों को बखूबी हथिया सकता है। और सामरिक दृष्टि से महत्पूर्ण उस जमीन का उपयोग भविष्य में अपने सुरक्षा हेतु कर सकता है।
- प्रतिमा त्रिपाठी
राँची -  झारखण्ड
भारत में चीनी सामान को रोकने के लिए हम जनता ओं के बारे में जागरूकता आ गई है और हमें हम लोगों ने अपने स्वदेशी सामान को ज्यादा बढ़ावा दिया इसे चीन बौखला गया होगा और भारत की सीमाओं पर हमला कर रहा है लेकिन हमारे भारतीय सैनिक ईट का जवाब पत्थर से दे रहे हैं। अमेरिका भी भारत का साथ दे रहा है युद्ध स्तर पर हमें चीनी सामान का विरोध करना चाहिए।आपको जानकारी हो तो चीन अपने देश में किसी का सामान नहीं आने देता है वह हर चीज अपना चीनी फैलाता है चीनी मीडिया अपनी खबरें बाहर नहीं आने देती फेसबुक का भी तो ढूंढ लिया है इसीलिए वहां के नागरिकों तक बाहरी खबर नहीं पहुंचती है और उनकी खबरें हम तक नहीं आती हैं।
उसका सामान जब कभी नहीं बिकी तो उसकी अपनी औकात व्यवस्था की जाएगी और उससे या अकल आ जाएगी कि सबके साथ मिल जुल कर रहना चाहिए दुश्मनी नहीं करना चाहिए।
जियो और जीने दो के सिद्धांत को अपनाना चाहिए ।
- प्रीति मिश्रा 
जबलपुर - मध्य प्रदेश
जिस प्रकार अमेरिका ने भारत मे निवेश कर व्यापार करने की प्रबल इच्छा जनहित की है, उससे चीन के पेट मे दर्द होना लाजमी है । वहीं चीन से अमेरिका की बड़ी कम्पनियों ने अपना हाथ खींचते हुए वहां से अपना प्लांट तक हटाने की कवायदे शुरू कर दी है । जिनका इरादा इस समय भारत के उत्तरप्रदेश राज्य में अपना प्लांट लगाकर निवेश करना है । जो भारत मे न केवल बेरोजगारी को दूर करता प्रतीत होगा बल्कि अमेरिका से मजबूत रिश्तों के लिए भी कारगर सिद्ध होगा ।
कोरोना वायरस की वजह से विश्व भर में फजीहत बना चीन लगातार उस पर लगने वाले प्रतिबंधों , छीनते व्यापार व उस पर पड़ रही आर्थिक मार के कारण ही बिलबिलाया हुआ है । यही वजह है कि वह स्वयम को मजबूत व स्वस्थ दिखाने के लिए उसकी सीमा के चारो ओर पड़ने वाले देशों के सामने बार बार गुलाटियां मारकर दिखा रहा है । परंतु विश्व अब चीन की मंशा समझ चुके है , सभी देश खासकर पड़ोसी मुल्क , सुपरपावर और यहाँ तक कि चीन का खास मित्र रूस भी चीन कितने पानी है , अब ये जान गया है । बस यही वजह है कि बढ़ते व्यापार , व आर्थिक संकट को देखते हुए ही चीन ये उछलकूद कर रहा है ।
- परीक्षीत गुप्ता
बिजनौर - उत्तरप्रदेश
चीन एक ऐसा देश है जो एशिया के साथ-साथ विश्व में अपने साम्राज्य के दुःस्वप्न देखता है। इसके लिए वह निकृष्टता की श्रेणी के सभी उपायों को अपना सकता है।  वर्तमान में भारत में निवेश करने के लिए विदेशी निवेशक आकर्षित हो रहे हैं और विश्व में भारत की एक सम्मानित छवि बनती जा रही है इसीलिए विश्व में भारत की मजबूत होती स्थिति से चीन बहुत परेशान है।
युद्ध किसी भी देश की आन्तरिक शान्ति को भंग करता है, युद्ध के समय देश का विकास अवरुद्ध हो जाता है और विदेशी निवेश प्रभावित होता है। इन्हीं सब बातों के मद्देनजर चीन बेवजह भारतीय सीमा पर ऐसे कार्य कर रहा है जिससे विश्व को यह महसूस हो कि भारत में अशांति है और इस समय निवेश करना सही नहीं है। निष्कर्षत: यह कहा जा सकता है कि अपनी कुटिल विस्तारवादी नीति तथा विश्व में भारत की मजबूत होती स्थिति और विदेशी निवेशकों के आकर्षण को समाप्त करने के लिए ही चीन ने युद्ध जैसे हालात बना रखे हैं।
- सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग'
देहरादून - उत्तराखण्ड
चीन क्या कर रहा हैं क्या करेगा हम कुछ नही कह सकते उनका सबसे बढा उदेश्य अपनी देश की सिमायें बढाना अपने व्यापार को बढाना ओर दुनियां में अपना वर्चश्वय कायम करना उसका मुख्य उदेश्य नजर आता हैं। ओर उसके लिये वह सब कुछ कर सकता हैं जो हम कल्पना नही कर सकते हैं।ओर चीन इस प्रकार का दूष्ट देश हैं जो अपने पढोसी देश को हर प्रकार से अपना गुलाम बनाकर रखना चाहता हैं।इसके लिये चीन कर्ज देता हैं विकाश योजनायें चलाता हैं अपनी शक्ती का रोब दिखाकर ओर मद्दत का विश्वास दिलाकर अन्य पढोसी देशो को लढवाता हैं। यह सब उसकी नीतियों का एक हिस्सा हैं। अभी रूस के बाद भारत ही ऐसा पढोसी देश हैं जो विकास की ओर बढ रहा हैं ओर प्रमुख बाजार भी हैं। ओर भारत अपने ढंग से अपनी बिसाद बिछा रहा हैं यही कारन हैं की चीन भारत पर युद्ध जैसें हालात बनाकर भारत की विकाश गती धिमी करना चाहता हैं उसे महाशक्ती के रूप मे उभर से रोकना चाहता हैं इन सब के लिये चीन भारत के खिलाप किसी भी स्थती तक जा सकता हैं। हमे सावधान रहने की जरूरत हैं।
- कुन्दन पाटिल
 देवास - मध्यप्रदेश
1947 में दिल्ली के रिलेशंस कांफ्रेंस में तिब्बत और चीन दोनों स्वतंत्र रुप से शामिल हुए  थे । चीन की नीति विस्तार वादी शुरु से थी ।धोखे से उसने तिब्बत पर कब्जा कर लिया ।उसने पंचशील के सिद्धान्तों की भी मर्यादा न रखी ।गुजरते हुए वक्त से चीन को यह समझ आ रहा है कि हिन्दुस्तान में इसी तरह प्रगति होती रही तो वह चीन से भी आगे निकल जायेगा ।
 इसके विपरीत ,विश्व को कोरोना जैसी भंयकर बिमारी देकर वह सब की नजरों में मौका परस्त देश बन गया है ,अधिक जनसंख्या और सरकार की पारदर्शी नीतियों के कारण बहुत से देश भारत में निवेश करना चाहते हैं ।कोरोना की वजह से आई आर्थिक मंदी से भी हमारी सरकार निपटने नें सक्षमता दिखा रही है ।चीन की मनसा  हमारी अर्थ व्यवस्था को अस्त -व्यस्त करना है ।
इन दिनों यूरोप के कई देशों से भारत से खरीदारी के लिए पूछ- ताछ आ रही है ।अगर ये कम्पनियां हमारे देश से निर्यात करने लगीं तो  चीन को आर्थिक नुकसान होने वाला है ।चीन से लोगों का विश्वास डगमगा रहा है ।जापान तो कोविड -19की वजह से चीन से काफी नाखुश है उसने तो अपनी कंपनियों को वहाँ से निकलने को कह दिया है । चीन भारत मे युद्ध जैसा माहौल बना कर अस्थिरता पैदा करना चाहता है ।लेकिन सरकार की परिपक्व 
नीतियों की वजह से वह  सफल नहीं हो पायेगा ।
- कमला अग्रवाल
गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश
     भारत-चीन विवाद पूर्व से चला आ रहा हैं। वह पूर्णतया अपना व्यापार तटस्थ भाव से स्थापित कर, एक शक्तिशाली व्यापार का केन्द्र बिन्दु बनना चाहता हैं। दोनों पक्षों में कुछ दिनों से चली आ रही अब विवाद की स्थिति निर्मित हो गई हैं, अब पूर्णतः युद्धों में परिवर्तित हो गया हैं। भारत न चाहते हुए भी युद्ध स्तर पर घेराव किया गया हैं, लेकिन चीन युद्ध करने पूरी तैयारी से आगे बढ़ कर खड़ा हो गया हैं। चीन का व्यापार भारत में छा चुका हैं,  प्रत्यक्ष वस्तुओं की    होलियाँ जलाई जा रही हैं, अप्रत्यक्ष वस्तुओं की होलियाँ जलाई जाना शेष हैं। जिस दिन अप्रत्यक्ष वस्तुओं की होलियाँ पूर्णतः जल गई, उस दिन चीन व्यापार में ध्वस्त हो जायेगा। इसलिए चीन ने सोच समझकर, आक्रमक रुप से कार्यवाही कर रहा हैं, ताकि भारत मजबूर हो जायें और युद्ध से हट जायें, वह जानता हैं, भारत बिखराव की स्थिति में हैं, उसके अप्रत्यक्ष सामग्रियों को अभी भी स्वागत किया जा रहा हैं। चीन की कूटनीति के सहारे ही अपनी इच्छानुसार कदम उठाने तत्परता के साथ आगे बढ़ रहा हैं?
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर'
   बालाघाट - मध्यप्रदेश
 चीन की हालात खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे की तरह हो रही है जब बिल्ली  की मकसद पूरी नहीं होती है तो खंभा कौन होती है सेम इसी तरह चीन की हालत है चीन की मकसद पूरा नहीं होने से चीन अपने आसपास के देशों को समस्या खड़ा कर रहा है किसी को समस्या में डालना और अपने सुख सुविधा का कल्पना करना यह धूर्त लोगों की काम है यह मूर्ख लोगों की काम है उसकी मूर्खता कभी-कभी उसे ह्रास की ओर ले जाता है  और उसे तबाह करके छोड़ता है इसी तरह वर्तमान में स्थिति चीन की बनी हुई है चीन हमेशा शोषण नीति अपनाता है और दूसरों की आर्थिक को अपने विकास का वजह बना लेता है यही उसकी शोषण मानसिकता और विस्तार वादी विचारधारा चीनी की बर्बादी का राह दिखा रहा है किसी निर्दोष को तंग करना वह अपना कर्तव्य समझता है जबकि वह खुद दोषी दार होता है चीन अपने ही पैर में अपना कुल्हाड़ी मार रहा है भारत की ताकत को नहीं समझ पाया है भारत के पास समाज की ताकत और भौतिक ताकत दोनों की मुकाबला चीन कभी नहीं कर पाएगा थोथा चना बाजे घना की तरह वह वर्तमान में कार्य कर रहा है जितनी उसकी औकात नहीं है उससे ज्यादा औकात दिखा रहा है अब उसकी औकात थोड़े ही दिन में दिखने वाली है कि उसकी नाल आएगी आदतें उसे कहां तक ले जाएगी युद्ध करने से कोई हासिल नहीं होता किसी को मारने से कोई समस्या सुलझ नहीं जाती समझने से ही समस्या सुलझा जाती है अपने ही धन का सदुपयोग करने से ही आदमी संतुष्टि होता है पराया धन का शोषण करके अपना वर्चस्व बना लेना यह कायरों का काम होता है कार्य व्यक्ति कभी वर्चस्व नहीं बना सकता चीन अभी तक अपनी भोजन के बारे में नहीं पहचाना है तो वर्चस्व बनाने की बात करता है धिक्कार है ऐसी मानसिकता वाले देश को यहां मानवता की कोई अहमियत नहीं है चीन युद्ध करें और नाना प्रकार का प्रताड़ित करने का योजना बना ले लेकिन हर उसके नालायकी का मुकाबला भारत अवश्य देगी। वाह कितना भी युद्ध का षड्यंत्र रचे आप उसकी षड्यंत्र और युद्ध चीज भारत को कोई परवाह नहीं है बल्कि उसे ऐसा सबक सिखाएगा कि चीन कभी आंख उठाकर भारत की ओर नहीं देख पाएगा चीन देशद्रोही नहीं विश्व द्रोही ही नहीं प्रकृति द्रोही में अग्रगण्य है। ऐसा देश कभी भी मानसिक और प्राकृतिक सुख नहीं पाएगा।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
क्या चीन ने भारत में विदेशी निवेश रोकने के लिए युद्ध जैसे हालात बना रखे हैं जहाँ तक इस बात का प्रश्न है तो यह बात पूरी तरह से ठीक ही है क्योंकि कोरोना संक्रमण के फैलने का पूरा दोस्त संपूर्ण विश्व चीन पर ही लगा रहा है और यही कारण है की दुनिया भर की कंपनियां चीन को छोड़कर भारत में अपनी फैक्ट्रियां लगाना चाहती हैं और चीन इस कदम से बौखला गया है इसे अपने अस्तित्व के संकट के तौर पर देख रहा है कंपनियों के चीन से भारत आने की शुरुआत जर्मनी की फुटवियर कंपनी कासाएवर्ज गंभ के आने से हो गई है वान वेल्क्स ब्रांड से फुटवियर बनाने वाली इस कंपनी ने भारत में आरंभिक निवेश 110 करोड रुपए कर दिया है यह चीन में सालाना लगभग 3000000 फुट वियर का उत्पादन कर रही थी यह उत्पादन अब उत्तर प्रदेश में लगाई गई यूनिट के द्वारा किया जाएगा इसके अतिरिक्त कम से कम 300 मोबाइल कंपनियां इलेक्ट्रॉनिक्स मेडिकल डिवाइसेज टेक्सटाइल लेदर तथा ऑटो पार्ट्स और सिंथेटिक फैब्रिक सहित कई क्षेत्रों के अपने  550 उत्पादों के लिए भारत में उत्पादन इकाई लगाने के लिए भारत  सरकार के संपर्क में हैं इस प्रकार कंपनियों के चीन को छोड़कर भारत में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाने की सूचना के बाद चीन बुरी तरह बौखला गया है और चीन की कम्युनिस्ट सरकार के माउथपीस चाइनीज डेली ग्लोबल टाइम्स ने बोखलाते हुए कई आलेख लिखे हैं दरअसल चीन को यह बात पूरी तरह से समझ में आ गई है कि दुनिया में अगर कोई उसे टक्कर दे सकता है तो वह भारत ही है यही वजह है कि भारत को संघर्ष में उलझा कर चीन भारत में विदेशी निवेश को रोक देना चाहता है जिससे आर्थिक स्थित संकट में पडने से बचा रहे और उसके उत्पाद बाजार मे बने रहें व आर्थिक रूप से वह लाभ लेता रहे यही कारण है कि वह भारत को युद्ध में उलझाकर विदेशी निवेश भारत मे बझने को रोकना चाहता है.....!
- प्रमोद कुमार प्रेम 
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
यह सर्व विदित है की कोई भी पड़ोसी अपने पास के पड़ोसी को अपना नुकसान सह कर उसे आगे बढ़ते हुए नहीं देखना चाहता है। ह्यूमन नेचर है। इसी प्रकार चीन भी अपने पड़ोसी देश भारत में विदेशी निवेश को रोकने के लिए युद्ध ऐसा हालत बना दिया है।
भारत के नए FDI नियमों से बौखलाया चीनWTO के सिद्धांतों का दिया हवाला। उनके अधिकारी ने कहा कि भारत नई नीतिG-20 समूह में निवेश के लिए स्वतंत्र, निष्पक्ष,गैर भेदभाव पूर्ण और पारदर्शी वातावरण के लिए आम सहमति के भी खिलाफ है।
कोरोना महामारी से विदेशी निवेश चीन से लौटने का मन बना लिया है अब भारत तथा अन्य देश की ओर रुख करने लगा है। इस कारण चीन बौखला गया है उसने भारत के साथ सीमा विवाद उठाकर भारत को उलझा रहा है, अशांत कर रहा है, चुकी विदेशी निवेश भारत की ओर रुख न करें।
चीनी का सिद्धांत है *जंग की सबसे बेहतरीन कला है कि बिना लड़े हुए  ही दुश्मन को परास्त कर दो*।
इसलिए भारत के सीमा पर मौजूदा विवाद की शुरुआत अप्रैल के तीसरे हफ्ते से ही शुरू कर दिया।  LOC  गलवान घाटी,अक्साई चीन, काला पानी,लिपुलेख, नियंत्रण रेखा है जिनका जिक्र अमूमन पड़ोसी देश ,भारत के साथ भारत चीन ,भारत -नेपाल,भारत-पाकिस्तान, सीमा विवाद के साथ अक्सर उठाता है।
जिस जगह झड़प हुई है भारत- चीन के बीच की वास्तविक नियंत्रण रेखा के नाम से जाना जाता है।
भारत के मजबूत स्थिति को देखते हुए चीनी बौखला कर चीनी वायुसेना के असामान्य गतिविधि भारतीय IAF ने भी एयर पेट्रोल बढ़ाया।
लेखक का विचार:- चीन हर मोर्चे पर भारत से टकराव बढ़ा रहा है लैकिन इससे उसी को हानि होना है। पूरे विश्व भारत के साथ है।
- विजयेंद्र मोहन
बोकारो - झारखंड
यह बिल्कुल सही है कि चीन ने भारत में विदेशी निवेश को रोकने के लिए युद्ध जैसे हालात बना रखे हैं मगर महत्वाकांक्षी घमंडी चीन यह भूल रहा है कि 2020 का भारत विश्व की मजबूत शक्तियों में से एक है और उसे हाथ लगाना किसी बर्र के छत्ते में हाथ डालने से कम नहीं है।  सम्पूर्ण विश्व को कोरोना से प्रभावित करने वाले चीन से जब विदेशी कम्पनियों से अपने टैंट उखाड़ने शुरू किए तो चीन तिलमिला गया।  उसकी नीतियों ने विदेशी कम्पनियों को सोचने पर न केवल मजबूर किया अपितु अन्तिम निर्णय लेने पर भी मजबूर कर दिया।  भारत की उदारवादी नीतियों ने जब विदेशी कम्पनियों को आकर्षित करना शुरू किया तब चीन के घमंड का रावण घबरा उठा और उसने भारत में विदेशी निवेश को रोकने के लिए युद्ध जैसे हालात बनाने शुरू कर दिये ताकि विदेशी कम्पनियां भारत में कदम जमाने से पूर्व दो बार सोचें।  पर चीन अपने आप को स्मार्ट समझने की भूल कर रहा है। वह भूल रहा है कि जिस जमीन पर उसका रावण आक्रमण की योजना का डर दिखा रहा है वह भारत भूमि श्रीराम की है।  वह भरसक कोशिश कर रहा है कि नेपाल और पाकिस्तान के रास्ते भारत पर आक्रमण की सुगबुगाहट कर विदेशी कम्पनियों के भारत की ओर बढ़ते कदम रोक दे पर उसकी इन हरकतों के पीछे की मंशा सब जानते हैं और इससे प्रभावित नहीं होने वाले।  
- सुदर्शन खन्ना 
 दिल्ली
चीन बुरी तरह बौखलाया हुआ है. कोरोना वायरस फैलाने के लिए पूरी दुनिया उसे गुनहगार मान रही है. लेकिन वह अपनी गलती मानने की बजाए भारतीय सीमा पर जमावड़ा बढ़ा रहा है. ताजा समाचार मिलने तक चीन ने भारतीय सीमा के नजदीक नगरी गुंशा एयरबेस के पास अपने अत्याधुनिक फायटर जेट की तैनाती शुरु कर दी है. 
यही नहीं चीन ने अपने नागरिकों को भारत छोड़ने के लिए एडवायजरी भी जारी की है. जो कि चीन की तरफ से किसी दुस्साहसिक कदम का संकेत दे रहा है. दरअसल पिछले कुछ सालों में भारत का कद पूरी दुनिया में बढ़ता जा रहा है, वहीं चीन बुरी तरह बदनाम होता जा रहा है. भारतीय सीमा पर चीन की इस बढ़ती आक्रामकता के पीछे 5 प्रमुख कारण है. 
1.चीन की बौखलाहट का पहला कारण पोक 
पर भारत का बढ़ता दबाव है
भारत ने जम्मू कश्मीर से पाकिस्तान परस्त आतंकियों का लगभग सफाया कर दिया है और गुलाम कश्मीर को हासिल करने के लिए दबाव बढ़ा दिया है. वैसे तो ये पाकिस्तान और चीन दोनों की परेशानी का बड़ा कारण है. लेकिन यदि भारत गुलाम कश्मीर को पाकिस्तान से छुडाकर अपने साथ शामिल कर लेता है तो पाकिस्तान से भी ज्यादा दिक्कत चीन को होने वाली हैं.
भारत ने पिछले दिनों चीन से जुड़ी लद्दाख और अरुणाचल की सीमा पर तेजी से सड़कें बनानी शुरु कर दी हैं. बेहद विषम परिस्थितियों में भी बॉर्डर रोड आर्गेनाइजेशन जैसी भारतीय संस्थाओं ने बहुत कम समय में सैन्य दृष्टि से महत्वपूर्ण सड़कों के निर्माण का काम पूरा कर लिया है. पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारतीय सेना ने अपनी ताकत मजबूत कर ली है.
इसके बाद से चीन बौखलाया हुआ है. भारत के निर्माण को रोकने के लिए ही चीनी सैनिक पांच मई को भारतीय क्षेत्र में घुस आए थे. तब भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हाथापाई भी हुई. इसके बाद चीनी हेलीकॉप्टरों के भी भारतीय सीमा में घुसने की खबर आई. परिणाम स्वरुप भारतीय सेना ने अपने सैनिकों की संख्या बढ़ा दी. इससे चीन परेशान हो उठा चीन ने इस बार भारत से संघर्ष की शुरुआत लद्दाख से की है. पहले चीन की निगाहें अरुणाचल प्रदेश की तरफ होती थीं. लेकिन इस बार चीन ने लद्दाख को झगड़ा बढ़ाने के लिए चुना है. क्योंकि लद्दाख की पहाड़ियों में यूरेनियम और सोने का अकूत भंडार छिपा हुआ है. 
लद्दाख के पर्वतों में यूरेनियम, ग्रेनाइट, सोने और रेअर अर्थ जैसी बहुमूल्‍य धातुएं भरी पड़ी हैं. चीन की सेना ने लद्दाख के जिस गैलवान इलाके के पास अपने टेंट गाड़ रखे हैं. उसके ठीक बगल में स्थित गोगरा पोस्‍ट के पास 'गोल्‍डेन माउंटेन' है. यहां सोने समेत कई बहुमूल्‍य धातुएं छिपी हुई हैं. लद्दाख के कई इलाकों में उच्‍च गुणवत्‍ता वाले यूरेनियम के भंडार मिले हैं. इससे न केवल परमाणु बिजली बनाई जा सकती है, बल्कि परमाणु बम भी बनाए जा सकते हैं.
अमेरिका को नीचा दिखाना और  सदियों पुराने सिल्क रुट को जिंदा करके चीन के लिए निष्कंटक पेट्रोलियम हासिल करने का रास्ता तैयार करना चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के लिए इज्जत का सवाल है.
कोरोना संक्रमण फैलने का दोषी पूरी दुनिया चीन को मान रही है. यही वजह है कि दुनिया भर की कंपनियां चीन छोड़कर भारत में अपनी फैक्ट्रियां लगाना चाहती हैं. चीन इसे अपने अस्तित्व के संकट के तौर पर देख रहा है.
अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के चीन से भारत आने की शुरुआत जर्मनी की फुटवियर कंपनी 'कासा एवर्ज़ गंभ' के साथ हो चुकी है. वॉन वेल्क्स ब्रांड से फुटवियर बनाने वाली ये कंपनी भारत में शुरुआती 110 करोड़ का निवेश कर रही है. ये कंपनी चीन में सालाना 30 लाख फुटवियर का उत्पादन कर रही थी. जो कि अब उत्तर प्रदेश में लगाई गई यूनिट से किया जाएगा. 
सूत्रों के मुताबिक कम से कम 300 कंपनियां मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, मेडिकल डिवाइसेज, टेक्सटाइल्स, लेदर, ऑटो पार्ट्स और सिंथेटिक फैब्रिक्स सहित कई क्षेत्रों के 550 प्रोडक्ट के लिए भारत में फैक्ट्रियां लगाने के लिए सरकार के संपर्क में हैं. 
कई कंपनियों के चीन छोड़ भारत में मैन्यफैक्चरिंग यूनिट लगाने की खबर आने के बाद चीन  भड़क गया है. चीन की कम्युनिस्ट सरकार के माउथपीस  चाइनीज डेली ग्लोबल टाइम्स ने बौखलाते हुए कई आलेख लिखे हैं. 
ये भी एक बड़ी वजह है कि चीन भारत को संघर्ष में उलझाकर अपने यहां के उद्योगों को भारत जाने से रोकना चाहता है. 
लेकिन चीन ये भूल चुका है कि ये 1962 का भारत नहीं है. यहां नरेन्द्र मोदी की मजबूत सरकार है. जो किसी तरह की विदेशी साजिश को नाकाम करने की क्षमता रखती है. 
- डॉ अलका पाण्डेय 
मुम्बई - महाराष्ट्र
लद्दाख के गलवान घाटी में चीन के हमले से शाहिद हुए भारत के कर्नल सहित 20 जवानों के कारण दोनों ही देश के बीच युद्ध जैसी स्थिति है। इसके साथ ही चीन द्वारा कोरोना संक्रमण फैलाकर दुनिया को तबाह करने का आरोप अमेरिका से लेकर कई देश कर रहे हैं इतना ही नही कोरोना जैसी महामारी फैलाने के कारण चीन से अमेरिका, भारत, जापान, आस्ट्रेलिया जैसे दर्जनों देश अपने कारोबार को समेटना शुरू कर दिए हैं। इस स्थिति में भारत मे विदेशी निवेश बढ़ाने की प्रबल संभावना दिख रही है। भारत मे विदेशी निवेश न हो इसको लेकर चीन युद्ध जैसे हालात बना रखा है। भारत चीन के बीच युद्ध की स्थिति उत्पन्न होने का एक बड़ा कारण यह भी है। क्योंकि दुनिया के देश यदि चीन से अपने कारोबार को समेटकर भारत मे पूंजी निवेश करते है तो उसकी आर्थिक स्थिति कमजोर होगी और उसके दुश्मन देश मजबूत बनेगा। कई देशों ने भारत मे कारोबार को शुरू करने के लिए पूंजी निवेश के लिए सक्रियता दिखाई है। इसके अलावे चीन और भारत के बीच युद्ध जैसी स्थिति बनने का महत्वपूर्ण कारण सीमा विवाद भी है, जिसके कारण दोनों ही देश की ओर से तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए सीमा पर सेना की तैनाती कर दी गई है। कारण की चीन ने सिर्फ भारत का ही नही बल्कि 23 दर्शो की जमीन व समुद्री इलाको पर बुरी नजर रखता है, जबकि उसके सीमा में 14 देश पड़ते हैं। यह दोनों ही कारण है जिससे चीन व भारत के बीच युद्ध की स्थिति बनी हुई है।
- अंकिता सिन्हा साहित्यकार
जमशेदपुर - झारखंड
पूरा विश्व कोविड-19 से संक्रमित है इस संक्रमण की शुरुआत चीन जैसे देश से ही हुई है इसलिए पूरा विश्व वर्तमान समय में चीन के विरोध में खड़ा है लेकिन चीन की अपनी विस्तार वादी साम्राज्य के नीति को लेकर भारत के लद्दाख और हिमाचल प्रदेश पर अपना विस्तार बनाने का प्रयास कर रहा है।
विश्व के सभी देशों द्वारा चीन की निंदा की जा रही है और उसके द्वारा उत्पादित वस्तुओं का बहिष्कार करने का मन बना लिया है जिससे चीन को एक खतरा उत्पन्न हो गया है यही कारण है कि वाह भारत के इन दोनों राज्य में अपने विस्तार के प्रस्ताव को पूरा करने के लिए प्रशील है या भारतीय भारतीय सैनिकों का ध्यान उस ओर करना चाहता है ताकि जो मूल नीति है उसे लोग भूल जाएं जहां तक समाचार पत्रों एवं दूरदर्शन के समाचारों द्वारा यह स्पष्ट है कि विश्व के करीब-करीब 200 से 300 कंपनियां भारत में निवेश करने के लिए तैयार हैं यह कंपनियां पूर्व में चीन में ही मनु फैक्चरिंग करते थे अब यह सभी अपना बिजनेस वहां से शिफ्ट कर भारत लाने के विचार में हो गए हैं जिसके कारण चीन में हलचल पैदा हो गई है
उसकी आर्थिक नींव कमजोर होता दिख रहा है इसलिए वाह हताश होकर आक्रमक प्रविष्टियों की ओर बढ़ चला है भारत उसके नापाक इरादे को कभी भी स फलीभूत नहीं होने देगा विश्व का हर देश आज आत्मनिर्भर होने का संदेश अपने नागरिकों को दे रहा है और प्रयत्नशील भी है अस्पष्ट है अगर हर देश आत्मनिर्भर हो जाता है तो चीन की मनमानी चीनी कमजोर देश कहलायेगा
  यही कारण है कि लद्दाख और हिमाचल प्रदेश पर भारत द्वारा जो सड़क निर्माण किया जा रहा है उसके विरोध में चीन युद्ध का मन बना रहा है हो सकता है चीन की यह मंशा है की तीसरी विश्वयुद्ध शुरू कर अपनी प्रभुता बनाए रखें
पर यह मात्र कोरी कल्पना ही रह जाएगी भारत या अन्य देश इसे कभी भी साकार होने नहीं देगा
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
चीन भारत में विदेशी निवेश को रोकने के लिए युद्ध जैसे हालात पैदा कर रहा है इसके अलावा और भी कई कारण हैं जिसकी वजह से चीन जला हुआ है एवं बुरी तरह बौखला  हुआ है। कोरोनावायरस  फैलाने के लिए पूरी दुनिया चीन को गुनहगार मान रही है लेकिन वह अपनी गलती मानने की बजाय भारतीय सीमा पर जमावड़ा बढ़ा रहा है । चीन ने भारतीय सीमा के पास नजदीक नगरी गुंशा एयर बस के पास अपने अत्याधुनिक फाइटर जेट की तैनाती शुरू कर दी है।
 दरअसल चीन जानता है कि दुनिया में अगर उसे कोई टक्कर दे सकता है तो वह भारत है यही वजह है कि चीन चिढ़ कर युद्ध जैसे हालात बना रहा है ।
विदेशी कंपनियों के एग्जिट से वह घबरा गया है यह एक बड़ी वजह है कि चीन भारत को संघर्ष में उलझा कर अपने यहां के उद्योगों को भारत जाने से रोकना चाहता है ,लेकिन चीन भूल चुका है कि यह 1962 का भारत नहीं है।
 अंतरराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा चीन को त्याग देने से चीन बुरी तरह बौखलाया है बेचैन है ।
दुनिया चीन को कोरोना संक्रमण का दोषी मानते हुए चीन से पूरी दुनिया नाराज है और दुनिया भर की कंपनियां चीन छोड़कर भारत में अपनी फैक्ट्रियां लगाना चाहती हैं इसी से  चीन इसे अपने अस्तित्व के संकट के तौर पर देख रहा है ।
अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के चीन से भारत आने की शुरुआत जर्मनी की फुटवियर कंपनी कासा एवर्ज गम के साथ हो चुकी है ।वान वेलक्स  ब्रांड से  फुटवियर बनाने वाली कंपनी भारत में शुरुआती 110 करोड़ के निवेश कर रही है यह कंपनी चीन को सालाना 3000000 फुटवियर का उत्पादन कर रही थी जो उत्तर प्रदेश में लगाई गई यूनिट से किया जाएगा ।
कम से कम 300  कम्पनियां मोबाइल , इलेक्ट्रॉनिकस ,मेडिकल डिवाइसेज ,टेक्सटाइल्स ,लेदर,सिंथेटिक फैब्रिक्स , ऑटो पार्ट्स सहित कई क्षेत्रों के 550 प्रोडक्ट के लिए भारत में फैक्ट्रियां लगाने के लिए सरकार के संपर्क में है।
 कई कंपनियों द्वारा चीन छोड़कर भारत में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाने की खबर आने के बाद चीन भड़क गया है ,और यही बड़ी वजह है कि वह युद्ध जैसे हालात पैदा कर रहा है।
- सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
चीन ने भारत में विदेशी निवेश को रोकने के लिए युद्ध जैसे हालात के लिए तमाम प्रयास कर चुका है और कर भी रहा है। किंतु अब पुराना भारत नही रहा। सक्षम और संपन्न भारत से लड़ने के लिए चीन की औकात नही है। भारत चाहे तो चंद मिनटों में ही चीन के अर्थव्यवस्था को नष्ट कर प्रथम युद्ध यू ही जीत सकता है। ये बात चीन भी जानता है लेकिन चीन घमंड में इतना चूर है ही सच से परे हो गया। लेकिन चीन के चाल को कामयाब होने से पहले नष्ठ करने की औकात हम भी रखते है ।
- राम नारायण साहू "राज"
रायपुर - छत्तीसगढ़
       चीन को जो खुजली 1962 में हुई थी। 2020 आते-आते उसके विषाणुओं की संख्या इतनी बढ़ गई है कि उसका उपचार आवश्यक हो गया है। उल्लेखनीय है कि 1962 में भारत ने शांति का संदेश देते हुए सेना को उसके जितना महत्व नहीं दिया था। किंतु 1962 के सबक से ही 1965 में पाकिस्तान को सबक सिखाया था। फिर 1971 में पाकिस्तान को दो भागों में तकसीम करते हुए बंगलादेश को जन्म दिया था।
      सर्वविदित है कि हमारी सेना चीन से अधिक साहसी पराक्रमी और शक्तिशाली है। जिसका परिचय चीन और चीनी सैनिकों को अभी-अभी गलवान घाटी में मिला है।
      यही नहीं चीन जहां विश्व में अलग-थलग पड़ चुका है वहीं भारत की विदेश नीति विश्व विख्यात हुई है। अंतरराष्ट्रीय ख्याति भी प्राप्त हुई है। माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी जी और अमरीका के राष्ट्रपति की मित्रता के चर्चे चारों ओर हैं।
      जबकि चीन तो पहले ही तिब्बत के कारण भारत से रुष्ठ है। जो भारत के माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा विदेश यात्राओं से घबराया हुआ भी है। जिससे चीन के पेट का दर्द बढ़ना स्वाभाविक है। चूंकि भारत की अंतरराष्ट्रीय मित्रता बढ़ने से विदेशी निवेश भी बढ़ेगा। जिससे भारत की आर्थिक स्थिति सशक्त होगी जो चीन जैसा दुष्ट पड़ोसी कभी नहीं चाहता। यही कारण है कि उसने भारत के साथ युद्ध जैसे हालात बना रखे हैं।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
चीन भारत में विदेशी निवेशकों को रोकने के लिए यदि युद्ध जैसे हालात बनाएं भी है तो क्या ?भारत की बाज की नजर है वह सभी तरफ से अपनी सुरक्षा भी कर सकता है और दुश्मन को पछाड़ भी सकता है !भारत की सैन्य शक्ति जल थल वायु चहुँ ओर से तगड़ी है !
पूरे विश्व में कोविड-19 जैसी महामारी चाइना से आई है यह सभी जानते हैं अमेरिका जो सुपर पावर है आज अपने आर्थिक व्यवस्था पर पड़ी मार और इस महामारी से आक्रोश में आ गया है ! आज समस्त विश्व चाइना के खिलाफ है!
चीन ने वैश्विक बाजार में अपनी पकड़ मजबूत बनाई है समस्त विश्व में उनका सामान बिकता है अमेरिका से ही 200 -300 कम्पनियां है! चीन में सभी देशों ने अपना निवेश किया है !आज कोरोना वायरस चीन की देन है विश्व की आर्थिक स्तर का ग्राफ डाउन कर दिया है! चीन स्वयं शहंशाह बन कर सभी को अपनी उंगलियों पर नचाने की कोशिश कर रहा है छोटे-छोटे देशों को अपने में समाहित करने की कोशिश किंतु इस समय उसने भारत से पंगा लिया है जो 62 वाला भारत नहीं है 2020 का वज्रकाय बन चुका है! भारत ने पहले तो उसके सैन्य पर प्रहार किया और अब समस्त विश्व से आर्थिक प्रहार--- अमेरिका में चीन की कंपनियों पर प्रतिबंध संभव है ! अमेरिका में शेयर मार्केट में चीन के शेयर कोई नहीं खरीदेगा आज की स्थिति में भारत में मोदी जी के आत्मनिर्भरता की बात को ट्रंप ने भी सराहा है! सभी देश आत्मनिर्भरता को अपना रहे हैं मोदी का आत्मनिर्भर भारत सपना ही नहीं जिम्मेदारी भी है दुनिया भर में मेड इन चाइना बंद करने का अभियान जोरों पर है भारत की जनसंख्या और उसकी पारदर्शिता को देखते हुए चाइना से बाहर की कंपनियां भारत में निवेश करने की सोच रही है यह चीन की आर्थिक स्थिति को बहुत बड़ा धक्का है अतः हारा हुआ जुआरी अथवा चोट खाया  घायल शेर ज्यादा दहाड़ता है क्योंकि उसे मालूम है कि अब हार निश्चित है!
चीन की कूटनीति सभी के अधिकार को हड़पना की है! आखिर कब तक? कहते हैं न पाप का घडा एक न एक दिन तो फूटता ही है! 
यह मोदी जी का शासन काल है यहां दाल नहीं गलने वाली! 
- चंद्रिका व्यास
 मुंबई - महाराष्ट्र
हां,कुछ ऐसी हीं नापाक मंशा से चीन अपनी हर तरह के दांव-पेंच लगा रहा है । पाकिस्तान, हमारा पड़ोसी राज्य तो शुरू से हीं विरोधी रहा है और अब चीन की शह से नेपाल हमारा पड़ोसी राज्य भी उल्टे-सीधे हरकतें कर रहा है, जबकि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था । चीन खुद को सुपर पावर दिखाने के चक्कर में हर ऐसे देश को किसी ना किसी तरह से नुकसान करने में लगातार लगा हुआ है । पहले चीन ने सारे विश्व में कोरोना वायरस फैलाने जैसा घृणित काम किया ।अभी सारा विश्व उससे जूझ रहा है । ऐसे में लगातार चीन ऐसा माहोल बना रहा है कि हमारा देश कमजोर पड़ जाए । लेकिन आज हमारा देश भारत संबल और सामर्थ्य पूर्ण है १९६२ वाली बात नहीं है ।यह भी चीन जान रहा है इसलिए भारत को कमजोर करने हेतु विदेशी निवेश को रोकने में लगा हुआ है ।गलवन लद्दाख, में घटित दुर्भाग्य पूर्ण घटना में चीन को मुंह की खानी पड़ी। इसलिए चीन हर वो कोशिश कर रहा है जिससे सुपर पावर भारत को नीचा दिखा  सके । लेकिन हमारे प्रधानमंत्री अपने अथक परिश्रम से अपनी हर रणनीति से पूरी तरह लगे हुए हैं और इसी का प्रतिफल है चीन की बोखलाहट ।हम सब का भी सहयोग अभी अतिआवश्यक है जो हम कर सकते हैं चीनी सामान का बहिष्कार कर ।हमारा यह छोटा सा  योगदान काफी बड़ा और अच्छा परिणाम देगा ।
- डॉ पूनम देवा
पटना - बिहार

" मेरी दृष्टि में " भारत बहुत बड़ा बाजार है  । चीन नहीं चाहेगा कि भारत उत्पादन के क्षेत्र में चीन से आगे आऐं ।इसलिए चीन युद्ध जैसी स्थिति दिखा कर भारत को उभरने नहीं देना चाहता है ।
                                         - बीजेन्द्र जैमिनी
सम्मान पत्र 





Comments



  1. 'भारत बहुत बड़ा बाज़ार है वह नहीं चाहता भारत उत्पादन के क्षेत्र में उससे आगे निकले ..।' जी हां बीजेंद्र जी! आपने सही कहा।
    चीनी वस्तुओं के बहिष्कार से जब आर्थिक मंदी आ गई अब वह बौखला गया है। सभी को मालूम है कि इसी कारण से चीन युद्ध जैसे हालात बनाए हुए है। सीमा पर आकर खड़ा हो गया है चीन.. और हिंदुस्तान की जमीन पर क्लेम कर रहा है। चीन षड्यंत्रकारी है। 6 जून को और 22 जून को जो फैसला हुआ था चीन ने कहा था वापिस जाने के लिए पर नहीं गया। दगाबाजी करता है चीन। बॉर्डर पर निर्माण कर रहा है।
    हमारा भारत कभी पहल नहीं करता न ही युद्ध में और ना ही जमीन में। वह किसी की जमीन नहीं हथिआता।
    भारत शांति प्रिय देश है। वह हमेशा दूसरे देशों से अच्छे संबंध बनाकर रखना चाहता है परंतु काले मन की काली करतूतों को कौन समझे। भारत जो करता है सिर्फ अपने बचाव के लिए ही करता है।
    चीन ने 1962 में भी दगा दिया पहले बात करता है दोस्ती की.. नारे लगाता है 'हिंदी चीनी भाई भाई' और फिर पीठ में छुरा घोंप दिया लड़ाई कर दी। कई हजारों किलोमीटर जमीन हड़प ली हमारी.. हमारी जगह पर कब्जा कर लिया। तिब्बत पर कब्जा कर रखा है। हाँगकांग में लोगों पर अत्याचार कर रहा है।
    कुल मिलाकर इसके जो युद्ध के विचार हैं सब धराशाई हो जाएंगे। हमारे भारत के प्रधानमंत्री बहुत सूझवान और समझदार हैं। इनकी कूटनीति ज्यादा देर नहीं चलेगी।
    भारतीय संस्कृति के रक्षक श्री राम जी हमारा साथ देंगे। भारत का बाल भी बाँका नहीं हो सकता हमारी जीत होगी।
    ********
    संतोष गर्ग, मोहाली (चंडीगढ़)✍️

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