दिल्ली से मॉस्को तक में भारत - चीन तनाव दूर होगा ?

लद्दाख में भारत - चीन तनाव किसी से छुपा नहीं रहा है ।अब दुनियां की नजर दिल्ली से लेकर मॉस्को तक है सब देखने है कि भारत - चीन का तनाव कितना कम होता है । यही " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है ।अब देखते हैं आये विचारों को देखते हैं :-
      भारत में पूर्व से ही युद्ध नीतियाँ रही हैं, एक शक्तिशाली राजा युद्ध करके छोटे-छोटे राज्यों में आक्रमण करके महाराजा बनते गये। धीरे-धीरे अनेकों समुदायों विभिन्न जातियों विशेषों का आधिपत्य निरंतर रहा। जैसे-तैसे 1947 में आजादी हुई, लेकिन दो हिस्सों में विभाजित हो गया,  जिसका परिणाम आने वाली पीढ़ियां आचमन कर रही हैं। वही स्थिति 1962 में देखने को मिला। उसके बाद भारत-चीन का रिश्ता एक व्यापारिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होता गया और पूर्णरूपेण चीनी वस्तुओं पर आत्मनिर्भर हो गया और चीन की अर्थव्यवस्था मजबूत होती गई। अगर दूरगामी पहल पर विचार मंथन करें, तो दोनों राष्ट्रों को समझौता वादी नीति अपनानी होगी। अगर युद्ध होता हैं, तो दोनों पक्षों को नुकसान होगा। अभी भारत में युद्ध स्तर पर चीनी वस्तुओं की होलियाँ जलाई जा रही हैं, बहुत अच्छा कदम हैं, स्वागत योग हैं? अगर यही कदम चीनी वस्तुओं को खरीदने के पूर्व उठा लिया गया होता, तो चीन अर्थ व्यवस्था में पंगु हो चुका होता।  आज जिस वस्तुओं की होलियाँ जलाई जा रही हैं, इसमें भारत की  अर्थव्यवस्था का ही नुकसान हुआ हैं। चीन तो अपनी वस्तुओं को बेच चुका, उसका किसी भी तरह का नुकसान नहीं हुआ हैं, किन्तु अब समय आ गया हैं, चीनी वस्तुओं की खरीदारी आदि नहीं करें, उसे युद्ध नीतियों से नहीं अर्थव्यवस्था से निराधार बना होगा। भारत-चीन युद्ध से नहीं?  दिल्ली से मास्को तक में भारत-चीन तनाव दूर करने सुखद पहल करनी होगी?
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर'
     बालाघाट - मध्यप्रदेश
भारत और चीन कभी एक नहीं हो सकते क्योंकि लड़ाई के लिए हमेशा तैयार रहता है इसीलिए वह पाकिस्तान को हमेशा सपोर्ट करता रहता है और हमारे विरोधियों के साथ हमेशा रहता है उसकी नीति ही विस्तार वाद की है इसी तरह उसने तिब्बत को भी छीन लिया था हमारे साथ रूस हमारा पुराना मित्र है इसीलिए हमारे रक्षा मंत्री मास्को गए हैं क्योंकि चीन से लड़ने के लिए हमें रूसी हथियारों की बहुत जरूरत पड़ेगी सीमा पर वह कब्जा करना चाह रहा है वाले और लद्दाख की सीमा में वह कब्जा करना चाह रहा है और यहां सिक्किम पर भी लड़ाई कर रहा है वह हमें चारों तरफ से सीमाओं में खेलना चाह रहा है वह लोग एक तो वायरस के रूप में संपूर्ण विश्व को युद्ध स्तर पर खड़ा कर दिया है अब सब की अर्थव्यवस्था नुस्कान करके वह अपने आप को सर्वोच्च शक्तिशाली सिद्ध करने पर लगा हुआ है उसके इस इरादों को हम भारतीय कामयाब नहीं होने देंगे अब हमारा देश और देशवासी सशक्त और मजबूत हैं मुसीबत कितनी भी आई हो हम सब मिलकर मुकाबला करेंगे।
- प्रीति मिश्रा 
जबलपुर - मध्य प्रदेश
"विनाश काले विपरीत बुद्धि" यही स्थिति है, इस समय चीन की। एक तो पहले ही कोरोना वायरस की वजह से चीन दुनिया के निशाने पर आ गया है। दूसरी ओर उसने गलवान घाटी में बेवजह भारत से झड़प कर, अपने विषय में अमरीका और रूस जैसे शक्तिशाली देशों को बोलने का एक मौका दे दिया है।
मास्को (रूस) द्वारा भारत-चीन के मध्य हुए तनाव को कम करने की कोशिशें शुरू हो गयी हैं। रूस द्वारा जहां एक ओर ये कोशिशें भारत-रूस की मित्रता के कारण से शुरू की गयीं हैं वहीं विगत में मास्को और चीन के रिश्तों में भी दरारें आयी हैं। इसके अतिरिक्त भारत, चीन और रुस एक साथ कई समूहों के सदस्य हैं। इन समूहों की ताकत में कमी ना आये, इस कारण भी रूस इस तनाव को कम करने की कोशिश कर रहा है।
भारत-चीन के मध्य तनाव यदि वैश्विक स्तर तक पहुंचता है तो कोविड-19 महामारी के कारण पहले से ही जूझ रहे विश्व के समक्ष अनेक चुनौतियां उत्पन्न हो सकती हैं इसलिए भारत-चीन तनाव वैश्विक स्तर पर ना पहुंचे इसलिए भी रूस इस तनाव को समाप्त करने की कोशिश कर रहा है। 
यह तो भविष्य के गर्भ में है कि यह तनावपूर्ण स्थिति कब समाप्त होगी परन्तु वर्तमान में विश्व-पटल पर चीन के विरुद्ध बनी हुई स्थिति के मद्देनजर आशा की जा सकती है कि चीन अपनी हरकतों से बाज आयेगा और इस तनाव को समाप्त करने में मास्को की भूमिका रंग लायेगी। 
- सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग' 
देहरादून - उत्तराखण्ड
एक दोस्त जब मुसीबत में होता है तो दोस्त दूसरे दोस्त की मदद करता है नीति यही कहती है परन्तु चीन ने अपनी सोच दिखा दी कि किस प्रकार विपदा में ही उसे सुपर पावर बनना ‌है और पाकिस्तान व नेपाल को कूटनीति से अपने साथ मिला कर युद्ध करना चाहता है और अन्य देश यह नहीं समझते जो अच्छे देश भारत का नहीं हो सकता वो उनका क्या होगा एक ना एक दिन पाकिस्तान व नेपाल के शासक चीन के घर पानी भर रहे होंगे और हमारा भारत जैसा जन्म के वक्त था वैसा ही आज सहायक, मददगार, अहिंसा का पूजारी और हर स्थिति को शांति व वार्ता से समझोता करने में विश्वास रखता है। इसी विशेषता को साबित भी किया हमारे रक्षा मंत्री ने मास्को जाकर परन्तु चीन अपने नापाक इरादों से बाज नहीं आ रहा उसे तो लद्दाख, तिब्बत पर कब्जा करना है परन्तु वो भूल गया है कि
दूध मांगोगे खीर देगें
ज़मीन छिनोगे चीर देगें
यारों के यार है हम
दिलदारों के दिलदार हण
नापाक इरादों की गर्दन के लिए
तेज धार वाली तलवार है हम।
- ज्योति वधवा"रंजना"
बीकानेर - राजस्थान
भारत चीन तनाव अभी दूर दूर तक भी दूर होने की संभावना नहीं दिखती है और इसका कारण है केवल चीन की हठधर्मिता उसका अपना स्वार्थ अपना एकाधिकार चाहने की उसकी मंशा और उसमें कोई परिवर्तन होता नहीं दिखता ऐसा दुनिया के तमाम देश काफी समय से देख रहे हैं जब तक चीन की यह मनोदशा परिवर्तित नहीं होती तनाव कम  होगा इसकी संभावना बिल्कुल नहीं के बराबर ही है यह तनाव  विश्व युद्ध की आहट को हवा दे रहा है और इसका निराकरण बहुत आवश्यक है दरअसल चीन को यह आभास हो रहा है जो हकीकत नहीं है की आर्थिक दृष्टि से वह इस समय बहुत मजबूत है और दुनिया के तमाम देश उसके उत्पादों पर निर्भर हैं जब तक  उसकी इस सोच का स्थाई इलाज नहीं ढूंढा जाता यही हालात बने रहेंगे
- प्रमोद कुमार प्रेम
 नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
चीन ने हमेशा भारत के साथ दुश्मनी का रवैया अख्तियार किया है ! 
चीन अर्वस्था में विश्व में सबसे शक्तिशाली बनने के लिए 
क्या करेगा कहां नही जा सकता 
रूस भारत और चीन के बीच चरम पर पहुंचे तनाव को कम करने की कोशिशों में जुट गया है। मॉस्को पिछले दरवाजे से बातचीत के जरिए मुद्दे को सुलझाने की जुगत कर रहा है। हालांकि रूस के इन कोशिशों के पीछे कई अन्य अहम कारण भी हैं। हाल ही चीन पर रूस ने खुफिया जानकारी एकत्र करने का आरोप लगाया है। ऐसे में रूस अपने पुराने दोस्त भारत को लेकर ज्यादा ऐक्टिव हो गया है। बता दें कि लद्दाख में एक महीने से ज्यादा वक्त से भारत और चीन के बीच तनाव चल रहा है। गलवान घाटी में दोनों देशों की सेनाओं के बीच खूनी झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए। इस घटना में चीन के 40 सैनिक भी मारे गए हैं। 
मुद्दे को सुलझाने में जुटा रूस 
भारत और चीन दोनों से बेहतर रिश्तों का इस्तेमाल कर रूस इस तनाव को कम करवाना चाह रहा है। यही वजह है कि तनाव के बाद भी मॉस्को में विक्ट्री डे परेड के जरिए रूस भारत और चीन के साथ बैठक कर रहा है। हालांकि इसके पीछे कई और भी वजहें हैं। रूस इस वक्त रूस-भारत-चीन ,ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका और शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन का अध्यक्ष है। भारत और चीन इन तीनों समूहों के सदस्य हैं। मामले के जानकार लोगों ने इकनॉमिक टाइम्स को बताया कि ऐसे में मॉस्को का मानना है कि नई दिल्ली और पेइचिंग में तनाव के कारण ये समूह कमजोर हो सकते हैं। 
उन्होंने बताया कि रूस का मानना है कि इन समूहों के जरिए वैश्विक शक्ति संतुलन को बैलेंस बनाया जाए। रूस ने मंगलवार कोआर आई सी  )के विदेश मंत्रियों की बैठक आयोजित की है लेकिन यह भी साफ किया है कि इस त्रिपक्षीय बैठक का कोई अजेंडा नहीं है। दरअसल, रूस भारत और चीन विवाद को वैश्विक स्तर पर नहीं ले जाने देना चाहता है।
कोविड-19 महामारी ने न केवल स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न की है बल्कि उसके दूसरे विश्वयुद्ध में जीत के 75 साल पूरा होने के जश्न को भी फीका कर दिया है। यही नहीं उसे कई सम्मेलनों के आयोजन को टालना पड़ा है। रूस वर्ल्ड हेल्थ असेंबली रेजॉल्यूशन में कोरोना वायरस की उत्पत्ति की जांच की मांग करने वाले देशों में शामिल रहा है। 
हालांकि रूस के दखल के कुछ और भी अहम कारण हैं। ऐसी भी खबरें हैं कि रूस-चीन के बीच संबंधों में कुछ दरार आई हैं इसलिए मॉस्को भारत के साथ अपने रिश्ते और मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। कोविड-19 महामारी के फैलने से लेकर यूक्रेन को लेकर चीन के रुख से रूस के सत्तारूढ़ गलियारे में बेचैनी है और यही वजह है कि मॉस्को नई दिल्ली के साथ रिश्तों को तवज्जो दे रहा है। 
हम भारतीय तो हमेशा मुसीबत झेलते आये है , संघर्षों कर विजय पाना जानते है ! 
धोखा देना हमें नही आता हर ललकार का जवाब सीना ठोक कर देंगे 
- डॉ अलका पाण्डेय
 मुम्बई - महाराष्ट्र
      करने को क्या नहीं होता। प्रयासों से से ही सब कुछ होता है। सफलताएं भी कर्मों को ही नतमस्तक करती हैं।यह मैं नहीं बल्कि धार्मिक ग्रंथ गीता का उपदेश कहता है। जिसे युद्ध क्षेत्र में अर्जुन द्वारा सगे-संबंधियों का वध करने के भय से युद्ध से इंकार कर दिया था। तब श्रीकृष्ण जी ने गीता उपदेश के माध्यम से अर्जुन को युद्ध के लिए तैयार किया था।
      धरती को पापमुक्त करने के लिए युद्ध आवश्यक होता है। जिसके लिए अस्त्र-शस्त्र और शुभचिंतकों की परम आवश्यकता होती है। जिसके लिए योद्धा को प्रशिक्षण एवं प्रवीणता प्राप्त करने हेतु दूसरे मित्र योद्धाओं के पास जाना बुद्धिमत्ता की श्रेणी में आता है।
      चूंकि माॅस्को हमारे मित्र योद्धाओं का स्थान है। जो चित्त-परिचित और विश्वासपात्र भी है। जो मित्रता की कसौटी पर कई बार खरा उतर चुका है। जहां से हमें अस्त्रों-शस्त्रों के साथ-साथ युद्धकौशल एवं शुभकामनाएं भी प्राप्त होती हैं।
      अतः दिल्ली से माॅस्को तक की यात्रा के गंभीर प्रश्नचिन्ह 'युद्ध या शांति' के परिणाम कुछ भी निकलेंगे, परन्तु यह तय है कि भारत-चीन तनाव अवश्य समाप्त होगा।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
      करने को क्या नहीं होता। प्रयासों से से ही सब कुछ होता है। सफलताएं भी कर्मों को ही नतमस्तक करती हैं।यह मैं नहीं बल्कि धार्मिक ग्रंथ गीता का उपदेश कहता है। जिसे युद्ध क्षेत्र में अर्जुन द्वारा सगे-संबंधियों का वध करने के भय से युद्ध से इंकार कर दिया था। तब श्रीकृष्ण जी ने गीता उपदेश के माध्यम से अर्जुन को युद्ध के लिए तैयार किया था।
      धरती को पापमुक्त करने के लिए युद्ध आवश्यक होता है। जिसके लिए अस्त्र-शस्त्र और शुभचिंतकों की परम आवश्यकता होती है। जिसके लिए योद्धा को प्रशिक्षण एवं प्रवीणता प्राप्त करने हेतु दूसरे मित्र योद्धाओं के पास जाना बुद्धिमत्ता की श्रेणी में आता है।
      चूंकि माॅस्को हमारे मित्र योद्धाओं का स्थान है। जो चित्त-परिचित और विश्वासपात्र भी है। जो मित्रता की कसौटी पर कई बार खरा उतर चुका है। जहां से हमें अस्त्रों-शस्त्रों के साथ-साथ युद्धकौशल एवं शुभकामनाएं भी प्राप्त होती हैं।
      अतः दिल्ली से माॅस्को तक की यात्रा के गंभीर प्रश्नचिन्ह 'युद्ध या शांति' के परिणाम कुछ भी निकलेंगे, परन्तु यह तय है कि भारत-चीन तनाव अवश्य समाप्त होगा।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
विषय बहुत ही ज्वलंत और राजनीतिक है जहां तक मेरा विचार है की भारत और मास्को का सफर एक सकारात्मक उद्देश्य से किया जा रहा है हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का पहला कदम होता है सकारात्मक और सकारात्मक की छड़ी से ही हर नकारात्मक को हरा देते हैं उनकी इसी सोच के कारण आज वह विश्व स्तरीय सफल नेता के रूप में जाने जा रहे हैं।
वर्तमान में भारत और चीन का संबंध बहुत दुखदाई बना हुआ है एक कहावत है पीड़ा का हरण पीड़ा है चीन ने विश्व स्तरीय रूप में कोविड-19 के द्वारा जो युद्ध छेड़ कर दूसरे देशों को कमजोर बना रहा है वह इस बात को बिल्कुल ही भूल गया है की जिसके लिए इतना बड़ा प्रपंच उसने तैयार किया है तो क्या सामने वाला देश उसे यूं ही छोड़ देगा।
वर्तमान रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह तीन दिवसीय परेड में सम्मिलित होने मास्को गए हैं अब यह अनुमान लगाया जा रहा है यह जो विश्व स्तरीय युद्ध चीन के द्वारा बीमारी के रूप में चल रहा है उसका कोई ना कोई हल निकालना है रूस बहुत सारे चीजों में मजबूत है और भारत का सपोर्ट भी करता है
चीन में यह तनाव बना हुआ है की कहीं सभी देश आपस में मिलकर उसका विरोध में खड़े हो रहे हैं जिससे उसका स्थिति कमजोर पड़ जाएगा यह उसे समझ आ रहा है लेकिन वह समझना नहीं चाह रहा ऐसी परिस्थिति में भारत द्वारा उठाया गया कदम बहुत ही सराहनीय है
दिल्ली से मास्को तक का यह सफर भारत और चीन के बीच के तनाव का एक सकारात्मक समाधान अवश्य करेगा चाहे व विरोधियों सकारात्मक हो निर्यात किए हो या अन्य मुद्दे पर लिखी विरोध का प्रदर्शन तो निश्चित ही किया जाएगा हो सकता है युद्ध के रूप में भी हो चुकी चीन भारत की भूमि पर अपने सड़क निर्माण का कार्य कर रहा था इसी बीच दोनों देशों में जो युद्ध हुआ उसमें भारत के वीर सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए और चीन के बीच सैनिक कहीं ना कहीं हमारे प्रधानमंत्री इसका मजबूत समाधान लेकर ही आगे बढ़ेंगे अब भारत पीछे नहीं हटे गा यह नेहरू का जमाना नहीं है यह मोदी का तिरंगा है।
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
प्रश्न बहुत रोचक है, दिल्ली से मास्को तक मे भारत-चीन का समस्या दूर होगा। यह सर्वविदित है कोई भी समस्या आता है, तो समाधान भी लेकर आता है।
चीन का सोच इतना संकुचित है उसने सोचा1959-62  मैं नेहरू के साथ जो व्यवहार किया और हजारों मिल जमीन अपने कब्जे में कर लिया। उस समय हमारे देश के नेतृत्व करता "नेहरू"थे।उन्होने शांति पूर्वक कबूल कर लिए। 
लेकिन अब समय बदल चुकी है हमारे नेतृत्व कर्ता, नेता "मोदी जी" जनप्रिय नेता है साथ ही साथ अंतरराष्ट्रीय नेता के रूप में उभर रहे हैं।  अंतरराष्ट्रीय नेता उत्सुक है भारत के साथ देने के लिए। भारत के पुराने दोस्त रूस ने विक्ट्री डे  परेड मैं शामिल होने के लिए निमंत्रण भेजे हैं, उसे स्वीकार करते हुए हमारे रक्षा मंत्री तीन दिवसीय यात्रा पर गए हैं। मिलने के बाद, चीन से निपटने के लिए प्लानिंग करेंगे।जब की LAC पर तनाव है। सभी  जरूरी इंस्ट्रक्शन देख कर गए है।
भारत-चीन के बीच चल रहे तनाव को कम करने की कोशिश में जुटा रूस। रूस पिछले दरवाजा से बातचीत के जरिए मुद्दे को सुलझाने के प्रयास कर रहा है।
ब्राजील,रूस,भारत,चीन और दक्षिण अफ्रीका(BRICS) और शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन(SCO) अध्यक्ष है।
भारत और चीन इन तीनों समूह के सदस्य है। तीनों समूह के सदस्यों का मानना है तनाव के चलते समूह  कमजोर हो सकता है।
रूस का विचार है त्रिपक्षीय बैठक पर हल निकाला जाए इसे वैश्विक स्तर पर नहीं ले जाना है।
रूस के दखल का अहम कारण है,की  रूस -चीन के रिश्ते में दरार आई है।इसलिए रूस भारत के साथ और गहरे रिश्ते करना चाहता है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जी तीन दिवसीय मास्को यात्रा पर गए हैं मास्को से यहसब चीज मांग सकते हैं।
1) चीन से निपटने का प्लानिंग।
2) पिछले रक्षा सौदा का जल्द डिलीवरी:- हथियार, लड़ाकू विमान, टैंक,स्पेयर पार्ट्स सब हवाई रास्ता से भेजें।
लेखक का विचार:- दिल्ली मास्को प्लानिंग कामयाब होगा। हमारे भारतीय सेना अब मजबूत है  वह 1 इंच भी जमीन अपने मातृभूमि से अलग नहीं होने देगा। सरकार भी सेना को फ्री हैंड दिए हैं इससे हमारे सेना को मनोबल ऊंचा है। आदरणीय "मोदी जी" और निखर कर देश-विदेश के सामने आएंगे।
- विजेंयेद्र मोहन 
बोकारो - झारखण्ड
भारत चीन तनाव कागजों पर नेताओं के मुश्कुरातें चेहरो पर ही दिख सकता है।समझौता कर कुछ समय के लिये सब ठिक हम मान सकते हैं पर विवाद तो अपनी जगह पर ही रहने वाले हैं यह विवाद भी बहुत विवादित हैं क्या भारत चीन को अकुपाइट चीन ओर आक्साइज चीन खाली करने को कहेगा तो क्या वह कर देगा! नही न ! फिर हम कैसे मान ले की दिल्ली से मास्को तक सब ठिक हो रहा है। कुछ ठिक नही हैं। जब तक सिमा विवाद का कोई शान्ती पुर्ण हल नही निकलता शान्ती की सभी बाते बैकार ही साबित होने वाली हैं।
- कुन्दन पाटिल 
देवास - मध्यप्रदेश
भारत-चीन तनाव दूर होने का तो अब सवाल ही नहीं उठता। हाँ, शांति की बात की जा सकती है, लेकिन अपने हद के अंदर रह कर। कब्जे को छोड़ना होगा , वरना खून खराबा चलता रहेगा।
 रक्षा मंत्री का मॉस्को जाना बताता है कि भारत लड़ाई के लिए पूरी तरह से तैयार है। भले ही वैश्विक मंच पर सभी देश समझौता कराना चाहते हों। लेकिन भारत अब हर प्रहार का जवाब देगा। 40 चीनी सैनिकों की मौत ने उन्हें खामोश कर दिया है , किंतु अब हम सदा सतर्क रहेंगे ।हमारे प्रहरी चौकन्ने रहेंगे। 
मॉस्को के विक्ट्री परेड में दोनों देश शिरकत करेंगे। संभावना यही जताई जा रही है कि मध्यस्थता की कोशिश की जाऐगी। लेकिन फिर सवाल है कि किस कीमत पर? हम अब कुछ भी किसी के भी साथ बांटने को तैयार नहीं हैं।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
परिचर्चा ऐसे समय में हो रही है जब यह तनाव महज दो देशों के बीच न होकर विश्वव्यापी तनाव हो गया है। विशेषज्ञ तीसरे विश्व युद्ध की आशंकाएं जता रहे हैं। यह भी कह रहे हैं कि यह युद्ध सैनिक मोर्चे पर नहीं आर्थिक मोर्चे पर होगा। भारत चीन के बीच गलवन में सैनिक संघर्ष की घटना हो चुकी है। भारत के मुंहतोड़ जवाब और तीखी प्रतिक्रिया से चीन बिलबिलाया हुआ है। सीमा पर चल रहे सड़क भारत ने निर्माण कार्य में और तेजी ला दी है।चीनी उत्पादों का वहिष्कार और उसके साथ हुए करारों को रद्द करने का अभूतपूर्व अभियान चल रहा है। दिल्ली से मास्को तक जबरदस्त तनावपूर्ण माहौल है। मुझे लगता है कि वर्तमान वैश्विक परिस्थितियों में तनाव दूर तो  नहीं होगा। चीन जैसा शातिराना सोच वाला देश अब इसे बढ़ने नहीं देगा,कम करने की दिशा में प्रयास करेगा। अब हो सकता है चीन कुछ दिन बाद कोविड-19 की दवा या वैक्सीन की घोषणा कर दे और फिर विश्व के सभी देशों से दवा सप्लाई के नाम पर संबंध सामान्य करने की ओर कदम बढ़ाए। क्योंकि इस समय आर्थिक मोर्चे पर चीन को, इस तनाव के कारण भारी नुकसान हो रहा है। अब तनाव बढ़ने नहीं,थोड़ा कम होने की संभावना है।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
 दिल्ली से मास्को तक में भारत-चीन तनाव दूर तभी हो सकता है जब चीन अपनी गलती स्वीकार करेगा और गलती को सुधार करने के लिए तैयार होगा नहीं तो तनाव आक्रोश और भय और बढ़ते जाएगा क्योंकि तनाव वाला कार्य भाई और आक्रोश वाला कार्य शोषण वाला कार्य चीन ने मनमानी ढंग से किया है चीन को पता ही नहीं है कि इस संसार में उसका जीवनशैली जीने का क्या तरीका होना चाहिए चीन शोषण और  छिन झपट कर खाने वाला  गद्दारी और  मक्कार वाला देश बन गया है कोई भी दे दूसरों को दुख देकर सुखी नहीं हो सकता यह चीन का भूल है कब तक चीन यह  थोथी भौतिकवादी दुनिया में अपने वर्चस्व पर टीका रहेगा। एक न एक दिन उसका अहंकार टूटेगा और  ग्लानी की जिंदगी उसे जीना पड़ेगा। अब उसके मक्कार प्रवृत्ति है सब अवगत हो चुके हैं जिधर हो बुरी नजर उठाएगा उधर से कुठाराघात व्यवहार पाएगा तब समझ में आएगा कि उसने  इस संसार के प्रति क्या माजरा दिखाया है ऐसे गद्दार देश कभी भी सफल नहीं हो सकता  कायरता धमकी छीना झपटी कुछ समय के लिए होता है हरदम इसमें जिया नहीं जा सकता अतः चीन को सचेत हो जाना चाहिए यह वह और गलती ना करें और ऐसे ही हरकत करेगा तो उसका परिणाम उसको अवश्य भारत देगी भारत और चीन का तनाव और  गहराते जाएगा।  एक दिन  चीन बर्बाद की कगार पर होगा। इस  स्थिति  से यह कहा जा सकता है दिल्ली से मास्को तक में भारत और चीन तनाव दूर नहीं होगा समझदारी से ही तनाव ठीक हो सकता है नहीं तो फिलहाल संभव नहीं है।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
दुनियां में चीन एक ऐसा साम्राज्यवादी देश है जिस पर कभी ना विस्वास किया जा सकता है और ना ही वो विस्वास के काबिल है ।चीन के हरेक शासक का एक ही उद्देश्य रहा है कि अपने देश की सीमाओं का विस्तार किया जाये चाहे कैसे भी हो ।चीन के अपने अधिकांश पडौसीयों के साथ बहुत कटु रिश्ते हैं ।
छोटे पडोसियों को चीन अपना भारी सैन्य बल दिखा कर डराता है और आंखें दिखाता है ।हाल ही के भारत चीन सीमा विवाद में भारत ने जिस शैली में चीन को जवाब दिया है वैसा आज तक भारत की किसी भी सरकार ने नहीं दिया था । भले ही भारत ने अपने बीस अमूल्य सैनिकों का बलिदान दिया है लेकिन हमें नहीं भूलना चहिये कि इन वीर सैनिकों ने चीन के 150 के लगभग फौजियों को मौत के घाट उतारा है ।उधर रुस हमारा मित्र देश है यदि वो मध्यस्थता कर रहा है तो ये भारत के लिये अच्छी बात है ।
इस से चीन पर नकैल डालने में आसानी होगी और चीन की चालें दुनिया में जाहिर होंगी ।
दोनों देशों के मध्य तनाव भी कम होगा और चीन को भारत की धाक का भी पता चलेगा ।।
- सुरेन्द्र मिन्हास 
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
लद्दाख के L. A. C. पर भारत और चीन के बीच इस वक़्त जबरदस्त तनाव का माहौल है l 20जवानों की शहादत को नमन करता हुआ देश गुस्से से उबल रहा है कि दो शक्तिशाली देशों में तनाव बढ़ेगा या शांति बहाल होगी l भारत शांति चाहता है लेकिन उकसाने पर हर हाल में यथोचित जवाब देने me सक्षम है l उच्च स्तरीय सैनिकों की कोर कमांडर बैठक जिसका नेतृत्व हरेंद्र सिंह ने किया l वार्ता 11घंटे चली और जारी है l शांति प्रयास के लिए यह बैठक चीन के आग्रह पर हो रही है l 
अमेरिका ने स्पष्ट किया है कि अब दोनों देशों के मध्य वह मध्यस्ता नहीं करेगा l भारत जैसा चाहें करे l कोरोना काल के चलते बॉडर पर तनाव की स्थिति चीन ने बनाई, यह अत्यंत दुःखद है और विश्व के कई राष्ट्र इससे आहतभी  हैं l चीन के उकसावे पर पाकिस्तान भी अनर्गल बयानबाजी कर रहा है l ऐसे में आवश्यकता है चीन और पाकिस्तान को सबक सिखाया जाये l 
अमेरिका, रूस, जापान, वियतनाम आदि देश भी भारत का समर्थन कर रहें हैं ऐसे परिवेश में चीन शायद विवाद सुलझाने का प्रयास करे और ऐसा होता है तो दिल्ली से मास्को तक तनाव दूर होना संभव होगा, लेकिन चीन की भावनाएँ कुछ अलग करने की हैं l ऐसे में आज हिंदी चीनी भाई -भाई नहीं, हिंदी चीनी बाय -बाय का वक़्त आ गया है l चीन पाकिस्तान और नेपाल के दम पर
उछलकूद कर रहा है l तीनों मोर्चो पर भारत बढ़त बना लेता है तो चीन का पतन निश्चित है l 
          भारत और चीन में तीन बुनियादी फर्क हैं --
1.  भारत वसुधैव कुटुंबकम की भावना का पोषक है जबकि चीन सीमाओं का अतिक्रमण और अपना विस्तार चाहता है l 
2. भारत सबका साथ सबका विकास और प्रजातंत्र में विश्वास रखता है जबकि चीन मानता है कि लोकतंत्र खतरनाक है l 3. भारत मानता है सब स्वस्थ्य रहें, निरोगी रहें जबकि चीन चाहता है मैं दुनियाँ को कोरोना जैसा रोग और मौत बाँटूँ l 
चीन को उसके हिंसक चरित्र की सजा दुनियाँ में कई देश देने को तैयार हैं l तनाव दूर होगा या कटुता बढ़ेगी या युद्ध होगा, यह चिंतन, मनन और भविष्य के गर्त में हैं l 
         चलते चलते ---
 संयम का अर्थ घुट घुट कर जीना नहीं है, स्वस्थ्य पवन की तरह बहना है l  
 कभी कभी समय के फेर से मित्र शत्रु बन जाता है और शत्रु भी मित्र बन जाता है क्योंकि स्वार्थ बडा बलवान है l 
- डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
वर्तमान परिप्रेक्ष्य मंे यह मुद्दा उठना लाज़मी है।  इस समय लद्दाख में चीन ने अपनी महत्वाकांक्षाओं के चलते भारत के लिए तनाव की स्थिति पैदा की है।  विश्व शांति का पक्षधर भारत कमजोर नहीं है।  वह भी सक्रिय हो चुका है। आर्थिक और सामरिक तरीके से चीन पर दबाव बनाया जा रहा है।  चीन पर मानसिक तनाव बनाने के लिए भारत अपने पुराने दोस्त रूस से ऐंटी मिसाइल सिस्टम को शीघ्र ही पाने की कोशिशंे कर रहा है।  भारत ने रूस के साथ दो वर्ष पहले लगभग 5 अरब डॉलर वाला यह समझौता किया था। कोरोना वायरस से फैली बीमारी कोविड-19 के कारण इसकी आपूर्ति में देरी हो रही है।  फिलहाल भारत ने सेना को पूरी तरह से सावधान कर दिया है।  रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जी की रूस यात्रा बहुत ही अहम सिद्ध होने वाली है।  रूस द्वारा भारत का पक्ष लेने से चीन पर दबाव बनेगा जिसे वह प्रत्यक्ष रूप से स्वीकार तो नहीं करेगा पर उसका मनोबल प्रभावित होगा। इधर चीन को आर्थिक झटके दिये जा रहे हैं और अनेक ठेके रद्द किये जा रहे हैं।  भारत और रूस के मजबूत संबंधों के चलते पूर्वी लद्दाख में चीन अपनी नापाक हरकतों से बाज आने पर मजबूर होगा। कूटनीतिक और आर्थिक मोर्चे पर भी भारत जवाब देने की पूरी तैयारी कर रहा है। भारत और रूस के बीच ऐतिहासिक रिश्तों का प्रभाव भारत चीन के तनाव को काफी कम कर सकता है।  वर्तमान स्थिति में रूस के साथ रिश्तों में गर्मजोशी जरूरी है। ऐसी स्थिति में दिल्ली से मास्को तक में भारत चीन तनाव दूर होगा, इसकी पूर्ण संभावना है। - - सुदर्शन खन्ना
दिल्ली
किसी भी तनाव दूर करने का तरीका एकसाथ बैठना और  बात-चीत होता है । इससे आपसी मतभेद दूर होतें हैं ।यही सिलसीला राजनीति में भी है ।आज के दौर में चीन और भारत के बीच गलवान घाटी को लेकर काफी तनवपूर्ण स्थिती बनी हुई है ।रुस दोनों देशों का मित्र है  ।वह नहीं चाहता हैकि भारत और चीन आपस में युद्ध की स्थिती तक पहुँचें ।रुस में आयोजित विक्ट्री डे परेड में शिरकत करने हमारे रक्षा मंत्री गये हैं ।चीन के भी वरिष्ठ रक्षा अधिकारी माॅस्को पहुँचे हैं ।परेड में दोनों देशों के सैनिक हिस्सा लेंगे (भारत और चीन ) ।रुस, भारत और चीन के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक भी होगी ।
उम्मीद है गलवान घाटी पर तनाव दूर करने का रास्ता निकलेगा ।
- कमला अग्रवाल
गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश
                       
" मेरी दृष्टि में " भारत - चीन का तनाव कम करने लिए चीन को  ईमानदारी दिखानी होगी । तभी तनाव कम होने की दिशा में कार्य हो सकता है । वरन् विश्व युद्ध की सभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है ।
          - बीजेन्द्र जैमिनी
सम्मान पत्र 



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