उदय राज सिंह स्मृति सम्मान - 2025

        अच्छे वक्त हर किसी को मिलता है। परन्तु उस अच्छे वक्त का आनंद नहीं उठा पाते हैं। यह सोचने का विषय है। जिन की सोच अच्छी होती है। वह अक्सर आगे बढ़ते नज़र आते हैं। फिर भी अच्छी सोच के बावजूद भी विफलता हाथ लगती है।‌ यही कुछ जैमिनी अकादमी की चर्चा परिचर्चा का प्रमुख विषय है। आयें विचारों में से कुछ विचार पेश करते हैं :-
     यह सच है कि बुरे वक्त से गुजरने पर हमें अनुभव और उससे पार होने की ताकत मिलती है एवं अच्छे समय आने पर हमें बुरे दिन याद भी आते हैं परंतु जरूरी नहीं है कि खुशी के पल में भी हम बीते हुए दुख को याद करते रहें। जिस खुशी को प्राप्त करने के लिए इतने दुख के पापड़ बेले हैं तो अब उसका आनंद उठाओ ना.... वर्तमान में जो खुशी मिल रही है उसका लुत्फ उठाओ। हमारी आने वाली खुशी में दुख का साया क्यों पड़ने दें। जिस खुशी को पाने के लिए तुमने परिश्रम और संघर्ष किया है तो उससे मिले मीठे फल का आनंद लो। वर्तमान में मिली खुशी के लिए भूत को कम से कम उस समय तो भूला देना चाहिए जब वह अपने द्वारा बोए गए फल का मीठा स्वाद ले रहा हो नहीं  तो स्वाद कसैला हो जाता है।

 - चंद्रिका व्यास 

 मुंबई - महाराष्ट्र 

        सच्चे अर्थों में बुद्धिमत्ता केवल अच्छे समय का उत्सव मनाने में नहीं, बल्कि बुरे समय से मिली सीख को जनकल्याण में रूपांतरित करने में निहित है। जो व्यक्ति अपने कठिन अनुभवों को विस्मृत करने के बजाय उन्हें समाज के सुधार हेतु प्रेरणा बनाता है, वही सच्चा ज्ञानी और कर्मयोगी कहलाता है। वर्तमान समय में वही मनुष्य श्रेष्ठ है जो अपने दुःखों को दूसरों के सुख का आधार बना सके, क्योंकि वही करुणा, संवेदना और मानवता का वास्तविक रूप है। संक्षेप में कहूॅं तो “बुरे वक्त को भूलना नहीं बल्कि उसे रूपांतरित करना ही सच्चे बुद्धिमान की पहचान है।” 

 - डॉ. इंदु भूषण बाली

ज्यौड़ियॉं (जम्मू) - जम्मू और कश्मीर

      अच्छे वक्त का आनंद लेने के लिए बुरे वक्त को भूलना आवश्यक माना जा सकता है लेकिन कभी कभी यह बहुत ही कठिन कार्य होता है। जैसे --घर में कोई भी उत्सव होता है तो माता-पिता का गुजर जाना या कुछ और ऐसे ही पूर्व में हुई अप्रिय अनहोनी का उत्सव से जुड़ा होना। तो ऐसे में स्वाभाविक रूप से उत्सव तो हम मनाते हैं लेकिन उनकी यादें और दृश्य हमारे मानस पटल पर अनायास स्वभाविक ही उभर आते हैं और जिससे एक क्षण के लिए भावुक होकर अश्रु ढुलक ही  जाते  हैं। समय की चाल बड़ी गति मान परिवर्तनशील होती है। कभी सुखद कभी दुखद। हर मनुष्य  भूत वर्तमान और भविष्य तीनों में ही जीवन जीता हैं जबकि प्राथमिकता में हम सबको सुखमय आनंददायक जीवन जीने के लिए पाश्चात्य को भुलाना अनिवार्य हो जाता है यदि हम भूलेंगे नहीं तो हम अच्छे वक्त का आनंद नहीं ले पाएंगे ।सूत्र तो यही होना चाहिए वर्तमान में अच्छे वक़्त का आनंद लो । 

 - डाॅ.रेखा सक्सेना

मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश 

     जीवन में अच्छे वक्त का आनन्द लेने के लिए भी आता जरूर है, बस का सदुपयोग करना अपने ऊपर निर्भर करता है, बुरा वक्त भी आता है, उसे भूलना भी अति आवश्यक प्रतीत होता है। अगर हम बूरे वक्त में घटित घटनाचक्र पर ध्यान देते हुए, जीवन यापन करते है, तो हमारा ही समय बर्बाद होगा ही, बिता कल तो वापस आ भी नहीं सकता। मायामय जीवन में कुछ वक्त ऐसा भी आता है, जिसे भुलाया भी नहीं जा सकता है, लेकिन परिस्थितिजन्य ऐसा भी परिदृश्य सामने आता है, जिसके परिप्रेक्ष्य में आनन्दमय पल हो ही जाता है। एक घटना तो हो ही नहीं सकती, विभिन्न प्रकार की घटनाऐं भी पल-पल में जन्म लेती जाती है, इसे किस परिवेश में करना है, आत्मिकता है.....

 - आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार "वीर"

 बालाघाट - मध्यप्रदेश

       अच्छे वक्त का आनंद लेने के लिए बुरे वक्त को भूलना आवश्यक होता है .... ये एक वांछित , आदर्श स्थिति है ! वास्तविकता इससे भिन्न होती है ! अच्छे वक्त के बावजूद , बुरा वक्त भुलाना बहुत कठिन होता है !! रह रह के पुरानी यादें आती है , क्योंकि उन यादों के कई मर्मस्पर्शी पल , मस्तिष्क में केंद्रित होते हैं , व छा जाते हैं !! अच्छे वक्त का आनंद लेने के लिए , जहां तक हो सके , हमें अतीत से निकलकर, वर्तमान के खुशी के पल जी लेने चाहिए क्योंकि बीते हुए पल , लौटकर नहीं आते !! 

 - नंदिता बाली 

सोलन - हिमाचल प्रदेश

       कहा भी गया है,'बीति तांहि बिसार दे, आगे की सुधि लेव।' जो बीत गया, सो बीत गया। अच्छा था या बुरा क्या फर्क पड़ता है? वैसे भी मानव मस्तिष्क कुछ ऐसा है कि उससे अनेक बातें स्वत: ही विस्मृत हो जाती है। अब रही बात अच्छे वक्त के आनंद की तो वक्त का अच्छा या बुरा होना हमारी मानसिकता और मनोस्थिति पर निर्भर करता है एक व्यक्ति को किसी का नुक़सान देखकर ही आनंद आता है।चोर को चोरी करके ही आनंद मिलता है।चुगलखोर को चुगली करके ही आनंद मिलता है।किसी को सब सुविधाएं भी आनंदित नहीं कर पाते और किसी को जरा सा सुख ही अनिर्वचनीय आनंद देता है। हां इतना जरुर है कि बुरे वक्त को भूलना आनंद में वृद्धि तो करता ही है।

- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'

धामपुर - उत्तर प्रदेश 

        जीवन सुख और दुःख, उतार और चढ़ाव, लाभ और हानि—इन दोनों के बीच चलता है। यदि मन हर समय अतीत के दुखों से चिपका रहे, तो वर्तमान की सुंदरता दिखाई ही नहीं देती। इसलिए जीवन में बुरा समय मिटाया नहीं जाता, बल्कि समझकर पार किया जाता है। बुरा समय भी शिक्षक है। “भूलना” नहीं, “मुक्त होना” आवश्यक है। अतीत को पूरी तरह भूलना संभव नहीं।पर बँधे रहना बोझ है। हर समय स्थायी नहीं होता। सुख और दुःख दोनों गतिशील हैं। इस समझ से जीवन में संतुलन आता है। जैसे वर्षा के बाद ही इंद्रधनुष दिखाई देता है। अँधियारी रात के बाद ही सूरज का प्रकाश सुहावना लगता है। उसी प्रकार कठिन समय के बाद अच्छे दिनों का आनंद अधिक गहरा हो जाता है।अच्छे वक्त का आनंद लेने के लिए बुरे समय को मिटाना नहीं— उसकी पकड़ से स्वयं को मुक्त करना आवश्यक है। जब मन अतीत की पीड़ा को छोड़ देता है,तभी वर्तमान में आनंद का दीपक जलता है।

 - डाॅ.छाया शर्मा

 अजमेर - राजस्थान

        बिल्कुल सही बात अच्छे वक़्त का आनंद लेने के लिए बुरे वक्त को भूलना आवश्यक होता है. अच्छे वक्त में भी यदि हम बुरे वक़्त के दिनों को याद करते रहें तो अच्छे वक़्त के दिनों के आनंद का आनंद नहीं ले पायेंगे.बुरे वक़्त के घटना को याद करने मे ही समय बीत जाएगा. जैसे दिन में रात के अंधेरे को याद करने के लिए हम आंख बंद कर ले तो न दिन का आनंद ले पाएंगे रात का आमद लेले का कोई सवाल ही नहीं पैदा होता है. इसलिए बुरे वक़्त को हमेशा भूलना ही उचित होता है. कड़वे चीज़ को याद कर मीठे चीज़ के स्वाद को भी कड़वा बनाना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं. 

 - दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश "

कलकत्ता - प. बंगाल 

     जीवन में अच्छे और बुरे दोनों ही दौर से इंसान को गुजरना पड़ता है।अच्छे वक्त का भरपूर आनंद लेना चाहिए। ईश्वर को शुक्रिया अदा करनी चाहिए, क्योंकि ये आनन्द हमारे नेक कर्मों का ही फल है।जो हमें आनन्द का रसास्वादन कराता है। समय बहुत बलवान होता है।जो सामने मिला है,उस स्वर्णिम पर का आनंद लें। जीवन को एक जिंदादिल इंसान की तरह पल- पल को खुशी के साथ जीयेंं। क्षणभंगुर काया है,जौओ पर भर में पानी के बुलबुले की भांति लुप्त हो जायेगा। मन में मलाल  न रहे। बुरे वक्त को भूलना आवश्यक होता है।हमारे समक्ष बुरा वक्त आया, हमने उसका सामना किया।झेला । कष्ट पाते। निराशा पूर्वक हमने जीवन के उस बुरे वक्त के थपेड़े की मार सही । अपने आप में यह अनुभव भी किया कि कहीं न कहीं ये  हमारे बुरे कर्म का फल है जौं हम भोग रहे हैं।जब बुरे वक्त गुजर गये तो जो वक्त वर्तमान में सुख का मिला है उसे आनन्द के साथ उपभोग करना चाहिए। कभी भी बीते लम्हों को याद करके  मन को दुखी नहीं करना चाहिए। बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधि लेही। वक्त बहुत कीमती है,जो जागा हो पाया,जो सोया वो खोया। सुख-दुख का सागर है ये दुनिया,हम मानव है जिंदगी में अच्छे-बुरे वक्त का साया आता है चला जाता है।बस धैर्य व संयम, निपटने की क्षमता,जज्बा और जुनून होना चाहिए। वक्त कभी अच्छा हो या बुरा ये हमें बतलाकर कभी नहीं आता।

- डॉ. माधुरी त्रिपाठी 

 रायगढ़ - छत्तीसगढ़ 

    जीवन सदैव एक समान नहीं होता।कभी सुख तो कभी दुख आते-जाते रहते हैं। कभी आनंद के पल होते हैं तो कभी पीड़ा के और कभी विषाद के भी।  हमें सिखाया यही जाता है कि हम आनंद में अहंकारी न बनें और दुख या कष्ट में हिम्मत न हारें। क्योंकि दिन के बाद रात और रात के बाद दिन होता ही है। इन सब के अलावा जीवन के साथ एक और भाव विशेष रूप में जुड़ा होता है वह है स्मृतियां। ये हमारे जीवन में सदैव साथ में रहती हैं और मौका मिलते ही हमें अपने आगोश में ले लेती हैं और तब हम मधुर स्मृतियों में आनंदित हो उठते हैं या कभी दुख भरी स्मृतियों से बैचेन हो जाते हैं और यह बैचेनी हमें झकझोर कर रख देती है। बड़ी मुश्किल से फिर उबरना हो पाता है। इन भावों को देखते हुए हमें यह भी सिखाया गया है कि अच्छे वक्त का आनंद लेना चाहिए और बुरे वक्त को भूलना चाहिए।। ऐसा हमारी सेहत के लिए आवश्यक होता है। आनंद से हमारे में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता हैं और दुख से हमारे में नकारात्मक ऊर्जा का संचार हो जाता है। यह नकारात्मक ऊर्जा हमारे स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह होती है। सार यह कि हम बुरे वक्त को भूलें और अच्छे वक को ही याद करें। यही हमारे लिए हितकर होगा।

- नरेन्द्र श्रीवास्तव

गाडरवारा - मध्यप्रदेश 

       जिंदगी के सफर में  कभी सुख तो कभी दुख का आना संभव है  लेकिन  कई बार हम अपने अच्छे वक्त में  भी पुरानी यादों को गले लगा कर अपने  आनंद का पूरा लुत्फ नहीं उठा सकते जबकि हमें अच्छे वक्त में जीवन का एक एक पल पूरी मौज मस्ती से निभाना आना चाहिए तो आईये आज की चर्चा  को आगे  बढ़ाने का प्रयास करते हैं कि अच्छे वक्त का आनंद लेने  के लिए बुरे वक्त को भूलना जरूरी होता है,यह अटूट सत्य है कि अच्छे वक्त का आनंद तभी संभव है जब हम बुरे वक्त से सीख लेकर  अच्छे वक्त को ज्यादा उज्ज्वल बना कर  जिंदगी का पूरा आनंद लेते रहें क्योंकि दुख के बाद सुख  जब आता‌‌ है‌ तो इंसान को बुरे वक्त को भूलना  चाहिए ताकि जो अच्छे दिन उसको मिले हैं  उसमें खुशी‌  के पल निकाल‌ कर आनंदमय तरीके से अपनी जिंदगी को और अच्छा बनाने के लिए प्रयास करे जो कुछ उसने बुरे वक्त  में खोया था उसको पाने का भरपूर प्रयास करे चाहे  भाईचारे की बात हो या रिश्तों का‌ मिलना बिछुडना उन सब के साथ मिलजुल कर अपने खोये हुए सपनों को  फिर से पाने का पूरा‌ संभव प्रयास करना चाहिए,हमें अपने वर्तमान पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए और भविष्य की और देखना चाहिए न कि बुरे वक्त का याद करके  वर्तमान का  आनंद भी  ख़राब कर देना चाहिए,हमें सकारात्मक सोच‌अपनाने की आवश्यकता होनी चाहिए ताकि आने वाला समय और भी आनंद लेकर आये,हमें नये अनुभव अपना कर कुछ समय अपने प्रियजनों के साथ बिताना चाहिए,और अपनी खुशियों को बांटने का प्रयास करना चाहिए तथा खूब हंसी खुशी के पल बिता कर अपनी सेहत को चार चांद लगाने का प्रयास करना चाहिए और पूरानी यादों को कुछ पल तक भूल जाने का प्रयास करना चाहिए ताकि हमें जिंदगी के  लुत्फ के पल नेई ऊर्जा  प्रदान कर सकेंऔर हम अपने भविष्य को और  उज्ज्वल बना सकें, बुरे वक्त की सीख हमें कुछ नई चीजें सिखा कर मजबूत बनाती है जिससे हमें धैर्य और आत्म नियंत्रण में मदद मिलती है,जिससे भविष्य को संभारने में  मदद मिल  सकती है,अन्त में यही कहुंगा कि  अच्छे पल जब भी मिलें उन्हें भरपूर आनंद‌ से गुजारें और बुरे वक्त ‌की‌ सीख से उन्हें और संभारने का प्रयास करें ताकि हमारा भविष्य और उज्ज्वल बन सके।

- डॉ सुदर्शन कुमार शर्मा

जम्मू - जम्मू व कश्मीर 

" मेरी दृष्टि में " बुरे वक्त को भूलना चाहिए। जो भूल नहीं पाते हैं। वह उसी जंगल जाल में फंसे रहते हैं और अच्छे समय को भी बर्बाद कर देते हैं। इसलिए बुरे वक्त को भूलना आवश्य चाहिए। यह जीवन के संघर्ष को बहुत कम कर देता है। ऐसा अवश्य होता है। 

               - बीजेन्द्र जैमिनी 

           (संचालन व संपादन)

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