डॉ राजकुमार निजात से साक्षात्कार

जन्म तिथि : 1अप्रैल 1953.
जन्म स्थान : सिरसा  ( हरियाणा )
माता-पिता : श्रीमती विद्या देवी,वैद्य बीरबल दास .
पत्नी श्रीमती रेशमा देवी
दो पुत्र : रजनीश कुमार , रविराज सिंह तथा चार पौत्र- पौत्रियां
शिक्षा : एम. ए. ( हिंदी )

प्रकाशित साहित्य  : -

दस लघुकथा-संग्रह प्रकाशित सहित 1000 से अधिक लघुकथाओं का प्रणयन - लेखन : --
1  कटा हुआ सूरज ,
2  बीस दिन ,
3  अदालत चुप थी ,
4  उमंग उड़ान और परिन्दे ,
5  नन्ही ओस के कारनामे ,
6  दिव्यांग जगत की 101 लघुकथाएं ,
7  माँ पर केंद्रित 101 लघुकथाएं , 
8  आसपास की लघुकथाएं ,
9  चित चिंतन और चरित्र ,
10  अम्मा फ़िर नहीं लौटी

  सात काव्य-संग्रह  : -
 
1  अब तुम रहने दो
2  मृत्यु की खोज में
3  तुम अवतार नहीं थे
4  नदी को तलाश है
5  युग से युग तक
6  रास्ते इंतजार नहीं करते
7  पीले गुलाबों वाला घर

दो कहानी-संग्रह  : -

1  सलवटें
2  अचानक

एक उपन्यास : -
 
1  साये अपने - अपने( दो संस्करण प्रकाशित 1985 , 2020 ) .

  तीन व्यंग्य-संग्रह  : -
 
1  तक् धिना धिन
2  पत्नी की खरी - खरी
3  गलत पते पर

  तीन ग़ज़ल-संग्रह :- 
 
1  तपी हुई ज़मीन
2  पत्थर में आंख
3  रोशनी दा सफर  ( पंजाबी में )

  एक आलेख-संग्रह  : -
 
1  तू भी हो जा रब

एक सूक्ति-संग्रह  : -

1  सूक्तियां मेरा अनुभव संसार

  पाँच बाल साहित्य की पुस्तकें  : -
 
1  मेरा देश भारत
2  बँटे अगर तो मिट जाओगे
3  खट्टे हैं अंगूर तुम्हारे
4  जीवन से संघर्ष बड़ा है
5  शिक्षाप्रद ,ज्ञानवर्धक ,रोचक बालकथाएँ

  एक आलोचना  : -
 
1  मधुकांत का नाट्य संसार

  एक गीत संग्रह  : -
1  निर्जन तट पर

  दो चालीसा पुस्तिका ( बेटी चालीसा व दिव्यांग चालीसा )
बेटी चालीसा पुस्तिका की 13000 प्रतियां प्रकाशित और वितरित तथा " दिव्यांग चालीसा " की 5000 प्रतियाँ प्रकाशित और वितरित  तथा
  एक  "मां महिमा" पुस्तिका की 5000  प्रतियाँ  प्रकाशित व निशुल्क वितरित ....
सहित विभिन्न विधाओं में अब तक 36 पुस्तकें प्रकाशित .

मान-सम्मान : ---
1  नई दिल्ली में आयोजित सहस्राब्दी विश्व हिंदी सम्मेलन द्वारा " राष्ट्रीय हिंदी सेवी सहस्राब्दी सम्मान -- 2000 " ,
2  गुजरात हिंदी विद्यापीठ अहमदाबाद द्वारा " " हिंदी गरिमा सम्मान -- 1994 " ,
3  हिंदी साहित्य सम्मेलन , प्रयाग ( इलाहाबाद ) द्वारा " साहित्य महोपाध्याय सम्मान -- 2003 " ,
4  दलित साहित्य अकादमी नई  दिल्ली द्वारा 1992 में प्रशस्ति पत्र ,
5  विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ द्वारा विद्यावाचस्पति एवं विद्यासागर की मानद उपाधि सम्मान सहित देश की विभिन्न 40 से अधिक संस्थाओं द्वारा समय-समय पर सम्मानित  .
6  हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा वर्ष सन 1918 के लिए "श्री बाबू बालमुकुंद गुप्त सम्मान " (सम्मान राशि 2 लाख रुपये ) सन 2021 में घोषित.

विशेष उल्लेख : 
- विश्व काव्य-संकलन में रचनाएं तथा शताधिक संकलनों में कहानी , लघुकथा , ग़ज़ल , गीत , दोहा , सूक्तियाँ ,व्यंग्य , साक्षात्कार , बालकथा , बाल-लघुकथा , आलेख , आलोचना आदि प्रकाशित .
-  गद्य व पद्य के व्यंग्य स्तंभों के नियमित लेखक .
-  तमिलनाडु बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन के दसवीं कक्षा के हिंदी पाठ्यक्रम में लघुकथा " उपेक्षित " शीर्षक से सम्मिलित .
-  राजकुमार निजात के रचना कर्म पर विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा छह एम.फिल. व छह पी-एच .डी. के शोध कार्य संपन्न व  दो अन्य पर शोध कार्य जारी .
-  आलेख-संग्रह " तू भी हो जा रब " का डॉ. प्रधुम्न भल्ला द्वारा हिन्दी से अंग्रेजी अनुवाद .
-  डॉ दर्शन सिंह द्वारा "मां पर केंद्रीय 101 लघुकथाएं" लघुकथा-संग्रह का हिंदी से पंजाबी में अनुवाद. ( पुस्तक प्रकाशनाधीन )
-   माँ पर केंद्रित 101 लघुकथाएँ लघुकथा-संग्रह का हिंदी से मलयालम भाषा में अनुवाद ,पुस्तक प्रकाशनाधीन
-   अध्यक्ष : समग्र सेवा संस्थान ,सिरसा  ( हरियाणा )
-   पूर्व सदस्य हरियाणा साहित्य अकादमी पंचकूला

पता : मकान नं. 5 7 ,  गली नंबर -1 , हरि विष्णु कॉलोनी , कंगनपुर रोड , सिरसा --125055 हरियाणा 

प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 

उत्तर - लघुकथा का शिल्प यदि सुंदर है तो लघुकथा बाकी तत्वों को समेट लेगी । लघुकथा में लेखन व भाषा में कसाव का होना बड़ा जरूरी है और शिल्पगत दृष्टि से हम लघुकथा के कसाव का सुंदर ढंग से अनुसरण कर सकते हैं ।


प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पाँच नाम बताओं जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उत्तर - सतीशराज पुष्करणा , बलराम अग्रवाल , डा.कमल चोपड़ा   विक्रम सोनी ( इंदौर से )और  प्रो अशोक भाटिया ।


प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 

उत्तर -  लघुकथा की समीक्षा के लिए इन मानदंडों को आधारभूत तौर पर देखना चाहिए : --

     1 -- लघुकथा को लघुकथा की कसौटी पर पूरी तरह परखना चाहिए ।

     2 -- लघुकथा की मारक क्षमता कैसी है कितनी है ?

     3 -- भाषा व शब्दों की मितव्यता पर कितना ध्यान दिया गया है ?

     4 -- लघुकथा का संदेश अर्थात इस का कथ्य क्या है ? लेखक आखिर क्या कहना चाहता है यह स्पष्ट होना चाहिए । यदि कथ्य स्पष्ट और प्रभावशाली है तो लघुकथा भी स्वयं में प्रभावशाली है ।

     5 -- लघुकथा किसी कहानी का प्रारूप नहीं होनी चाहिए ।

    6 - लघुकथा में पठनीयता की रोचकता होनी चाहिए ।

    7 -- यह देखना चाहिए कि लघुकथा में संवादों की गंभीरता व अनावश्यक दर्शनवाद से बचा गया है । लघुकथा की भाषा स्पष्ट है ?

    8 -- देखना चाहिए कि क्या लघुकथा बिना किसी भूमिका के शुरू की गई है ?

    9 -- लघुकथा में कथा को उसके उद्देश्य के अनुरूप लिखा गया है ?

   10-- लघुकथा के संवाद तात्त्विक की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होते हैं । अत: यह देखना चाहिए कि लेखक ने संवाद शैली पर कितना ध्यान दिया गया है ? यदि संवाद शैली आकर्षक है , उद्देश्यपूर्ण है तो लघुकथा भी उसके अनुरूप ही होगी ।

     11 -- यह भी सूक्ष्म दृष्टि से देखना होगा कि लेखक द्वारा लघुकथा में चुटकुले बाजी से बचा गया है ?


प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है ? 

उत्तर  -  सर्वप्रथम एक अच्छा प्रकाशक ही लघुकथा को अच्छे पाठकों से , अधिक से अधिक पाठकों से , विद्वान पाठकों से जोड़ सकता है ।

      लघुकथा की सार्थक व सारगर्भित समीक्षा के लिए निष्पक्ष समीक्षा मीडिया का होना बहुत जरूरी है । यदि समीक्षक ईमानदारी से लघुकथा की समीक्षा करता है तो वह लघुकथा के लिए एक सशक्त मीडिया साबित हो सकता है । 

       पत्र - पत्रिकाएं में लघुकथा की समीक्षा के लिए एक सशक्त व आधारभूत मीडिया है ।

      फेसबुक व अन्य सभी डिजिटल मीडिया इसके लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं ? जितने अधिक डिजिटल मीडिया पर लघुकथा आएगी लघुकथा का प्रचार के साथ-साथ उतना ही पाठकों से सीधा जुड़ाव होगा ।


प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?

उत्तर - यूँ तो लघुकथा को निष्पक्ष व समर्पण भाव के साथ नई पीढ़ी के लोग बहुत संरक्षण दे रहे हैं , उसके विकास के लिए ग्रुप्स में बंधकर काम कर रहे हैं फिर भी लघुकथा की स्थिति इस दृष्टि से चिंताजनक है कि लघुकथा का विकास भिन्न-भिन्न खेमों में व्यक्तिगत दृष्टि से काम हो रहा है । साहित्य के स्वास्थ्य के लिए यह अलग अलग खेमेबंदिया लघुकथा का नुकसान कर रही हैं । खेमों में बैठे अपने अपने लोगों को प्रोत्साहन देने के लिए कमजोर लघुकथाओं का संरक्षण भी हो रहा है । छोटी-बड़ी पत्र-पत्रिकाएं काफी हैं लेकिन बड़े व्यवसायिक स्तर पर लघुकथा की कोई भी संतोषजनक व विश्वसनीय पत्रिका लघुकथा का वर्तमान परिवेश नहीं दे पाया है  । जिस प्रकार कहानी , कविता , नाटक ,संगीत ,व्यंग्य आदि विभिन्न विधाओं की अनेकानेक व्यवसायिक पत्रिकाएं काम कर रही हैं उस प्रकार लघुकथा की साहित्यिक पत्रिकाएं नहीं हैं । यह स्थिति चिंताजनक है । हमें ज्यादा से ज्यादा पाठकों को लघुकथा से जोड़ना होगा ताकि लघुकथा को व्यावसायिक स्तर पर लाया जा सके और इसके लिए एक या एक से अधिक सर्वमान्य व्यवसायिक पत्रिकाओं का प्रकाशन शुरू किया जा सके ।


प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?

उत्तर -  विकास की दृष्टि से लघुकथा की वर्तमान स्थिति संतोषजनक कही जा सकती है । लघुकथा - संग्रह व लघुकथा -  संकलन के साथ-साथ लघुकथा की समीक्षा व मानदंड को पत्र पत्रिकाओं मैं स्थान दिया जा रहा है जिससे अनेक स्तरों पर बड़ी गंभीरता के साथ लघुकथा में काम हो रहा है । शोध पुस्तकें लिखी जा रही हैं व अनेक विश्वविद्यालयों से लघुकथा पर शोध भी किए जा रहे हैं । लघुकथा के विकास की स्थिति का समय समय पर मूल्यांकन किया जाना चाहिए ताकि निष्कर्ष रूप से लघुकथा की वर्तमान स्थिति से हम सभी अवगत हो सकें ।


प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं बतायें ? किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?

उत्तर - यह प्रश्न महत्वपूर्ण नहीं है की कौन लेखक किस पृष्ठभूमि से आया है ? लेखक का लघुकथा के प्रति समन्वय का भाव ही लघुकथा लेखक की पृष्ठभूमि है । मैंने संपादन के स्तर पर अभी तक 8 लघुकथा संकलनों का , पुस्तकों का संपादन किया है । एक मार्गदर्शक के रुप में मैं समझता हूँ मेरी भूमिका संतोषजनक है । इसके अतिरिक्त लघुकथा लेखन में मैंने 10 लघुकथा संग्रहों के रूप में अभी तक 1000 से अधिक लघुकथाएं लिखी हैं और मेरा लेखन निरंतर जारी है । अभी अन्य दो लघुकथा - संग्रह प्रकाशक को भेजने के लिए तैयार हैं । लेखन व संपादन दोनों मंचों से मैंने संतोषजनक काम किया है व नौवें दशक में दो अखिल भारतीय लघुकथा सम्मेलन के आयोजन भी किए हैं ।


प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 

उत्तर - मेरे लेखन में मेरे परिवार की भूमिका इस दृष्टि से संतोषजनक है कि वह मेरे लेखन में किसी भी तरह से दखल नहीं करते व मुझे मौन भाव से लिखने के लिए प्रेरित करते रहते हैं ।


प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?

उत्तर -  मैं हरियाणा सरकार के लोकल ऑडिट विभाग से रेजिडेंट ऑडिट ऑफीसर के पद से गत 10 वर्ष पूर्व रिटायर हुआ हूँ ।अतः लेखन की दृष्टि से मेरी स्थिति पूरी तरह से संतोषजनक है और मैं चिंताओं से मुक्त होकर लिखता हूँ । साथ - साथ मैं पारिवारिक जिम्मेदारियां भी पूरी करता हूँ ।


प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?

उत्तर -  जिस प्रकार समर्पण भाव तथा पूरी जिम्मेदारी के साथ वर्तमान समय ने नई व पुरानी पीढ़ी के लोग मिल-जुल कर निरंतर लेखन , संपादन , वार्ता , पठन-पाठन ,कार्यशाला , चर्चा - परिचर्चा लघुकथा सम्मेलन, प्रकाशन आदि प्लेटफॉर्म के माध्यम से काम कर रहे हैं उस आधार पर मैं पूरे निष्कर्ष व आत्मविश्वास के साथ कह सकता हूँ कि लघुकथा का भविष्य बहुत ही अच्छा है व उत्तरोत्तर विकासशील है । यदि इसी प्रकार लघुकथा में विभिन्न आयामों के अंतर्गत निरंतर निष्पक्ष व समर्पण भाव के साथ कार्य होता रहा तो मैं समझता हूँ लघुकथा हिंदी की सभी कथा विधाओं को छोड़कर आगे निकल जाएगी व भविष्य में यह और भी ज्यादा एक लोकप्रिय विधा होगी । यह अपने आप में लघुकथा का एक स्वर्ण काल कहा जा सकता है ।


प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?

उत्तर -  लघुकथा साहित्य से मुझे मानसिक संतुष्टि ,आत्मीय संतोष , दिली प्रसन्नता , साहित्यिक ज्ञान के साथ-साथ मानवीय संबंधों व भाईचारे का अथाह खजाना प्राप्त हुआ है । यह ऐसी अनमोल उपलब्धियां हैं जिन्हें पैसा देकर नहीं खरीदा जा सकता । साहित्य मानवीय समाज के लिए उसका आईना बनकर मार्गदर्शन करता है व उसे अच्छे व बुरे में भेद करना सिखाता है । यह समाज में व्याप्त विसंगतियों पर प्रहार करता है ,मानवीय मूल्यों की व्याख्या करता है तथा समाज के प्रति हमारे दायित्वों के लिए हमें और ज्यादा प्रेरित करता है । साहित्य हर काल में उस काल का सच्चा इतिहासकार है  । जैसा साहित्य होगा भविष्य में इतिहास की भूमिका उसी साहित्य की पृष्ठभूमि के आधार पर लिखी जाएगी । 

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