हरीश कुमार 'अमित ' से साक्षात्कार

जन्म: 01 मार्च 1958 , दिल्ली
शिक्षा : बी कॉम; एम ए(हिंदी); व पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा

पुस्तकें प्रकाशित : -

अहसासों की परछाइयाँ (कविता संग्रह)
खौलते पानी का भँवर (कहानी संग्रह)
ज़ख़्म दिल के (ग़ज़ल संग्रह)
ज़िंदगी ज़िंदगी (लघुकथा संग्रह)
ईमानदारी का स्वाद (बाल कथा संग्रह)
दिल्ली से प्लूटो {बाल विज्ञान उपन्यास)
साधु और जादूगर (जादू-भरी कहानी)
गुब्बारे जी ( बाल कविता संग्रह)
चाबी वाला बन्दर ( बाल कविता संग्रह)
मम्मी पापा की लड़ाई ( बाल कविता संग्रह)
     इनके अतिरिक्त दो बाल उपन्यास 'ख़ुशियों की आहट' व 'मेगा 325' ऑनलाइन प्रकाशित।
    
पुरस्कार व सम्मान : - 

-  चिल्ड्रन्स बुक ट्रस्ट की बाल साहित्य लेखन प्रतियोगिता 1994, 2001, 2009 ब 2016 में कहानियाँ पुरस्कृत।
-  'किरचें' नाटक पर साहित्य कला परिषद(दिल्ली) का मोहन राकेश सम्मान - 1997 प्राप्त
-  'केक' कहानी पर किताबघर प्रकाशन का आर्य स्मृति साहित्य सम्मान - 2002 प्राप्त
- 'ईमानदारी का स्वाद' बाल कथा संग्रह की पांडुलिपि पर भारत सरकार का भारएन्दू हरिश्चंद्र पुरस्कार - 2006 प्राप्त
-  'ज़िंदगी ज़िंदगी' लघुकथा संग्रह की पांडुलिपि पर किताबघर प्रकाशन का आर्य स्मृति साहित्य सम्मान - 2018 प्राप्त
-  रचनाकार.ऑर्ग की नाटक लेखन प्रतियोगिता, 2020 में 'गोरखधंधा' नाटक पर द्वितीय पुरस्कार प्राप्त
       इनके अतिरिक्त अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त

विशेष : -

- 200 से अधिक रचनाओं का आकाशवाणी से प्रसारण - इनमें स्वयं के लिखे 02 नाटक तथा 05 उपन्यासों के नाट्य रूपांतर भी शामिल
- विभिन्न विधाओं के  28 संकलनों में  भी रचनाएँ संकलित।
- 1,000 से अधिक रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित।

पता : 304, एम एस 4, केंद्रीय विहार, सेक्टर 56, गुरुग्राम 122011 - हरियाणा

प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?

उत्तर : मेरे विचार में कथ्य और शिल्प।

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर : यूँ तो अनेक विद्वान लघुकथा के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, परन्तु प्रश्न  की सीमा को ध्यान में रखते हुए सर्वश्री सुकेश साहनी, रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु', अशोक भाटिया, कमल चोपड़ा व बीजेन्द्र जैमिनी का नाम लिया जा सकता है।

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर: मेरी दृष्टि में  उपयुक्त शीर्षक, समुचित  कथ्य व शिल्प तथा प्रभावोत्पादकता।

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर : फेसबुक, व्हाट्सएप्प, ब्लॉग एवं यूट्यूब।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर  :  एक ज़माना था जब कुछ पत्रिकाएँ लघुकथा को जगह देने से भी परहेज़ करती थीं  या फिर लघुकथा को 'फिलर' के तौर पर इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन अब ऐसी स्थिति नहीं रही। पत्रिकाओं के लघुकथा विशेषांक तो निकलते ही है, लघुकथा को समर्पित कई पत्रिकाएँ भी प्रकाशित हो रही हैं। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा विधा की स्थिति अत्यंत  महत्त्वपूर्ण व सुदृढ़ है।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर : लघुकथा की वर्तमान दशा काफ़ी हद तक सन्तोषजनक है।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर : हालाँकि स्नातक की डिग्री मैंने वाणिज्य विषय में प्राप्त की थी, किन्तु हिंदी और हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम के कारण मैंने  एम ए(हिंदी) व पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा भी किया। जहाँ तक मार्गदर्शक बनने की बात है, मैं स्वयं ही अभी तक सीखने की प्रक्रिया से गुज़र रहा हूँ। अभी ख़ुद मुझे बहुत कुछ सीखना है।

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर: लेखन में मेंरे परिवार की भूमिका काफ़ी महत्त्वपूर्ण  रही है। परिवार के सदस्यों ने अनेक तरह से मेरे दायित्वों को कम किया ताकि लिखने-पढ़ने के लिए मुझे ज़्यादा-से-ज़्यादा वक़्त मिल पाए। परिवार के सदस्यों के किर्या-कलापों और व्यवहार ने मुझे लिखने के लिए पर्याप्त कच्ची सामग्री भी प्रदान की।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर: लेखन का आजीविका से कोई संबंध नहीं रहा।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर : लघुकथा का भविष्य निश्चित तौर  पर और भी उज्ज्वल होगा।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर :  लघुकथा साहित्य से मुझे ज़िन्दगी को बेहतर तरीक़े से  समझने की दृष्टि प्राप्त हुई है। लघुकथाएँ लिखने से साहित्य जगत में थोड़ी-सी पहचान भी मिली है शायद।



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