विजय कुमार से साक्षात्कार

जन्म : 30 मार्च 1974
पिता : श्री रतन लाल
माता : श्रीमती पार्वती देवी
शिक्षा : बी.ए. आनर्स (प्रभाकर),कहानी-लेखन महाविद्यालय, अम्बाला छावनी से लेखन व पत्रकारिता के कोर्स।

विधाएं : लघुकथा, सम-सामयिक लेख व अन्य।
अभिरुचियाँ : पर्यटन,फोटोग्राफी, मित्रता, अध्ययन-मनन, क्रिकेट, नेक कार्यों में रूचि।

सम्प्रति : सह-संपादक हिंदी पत्रिका ‘शुभ तारिका’  (मासिक),  अम्बाला छावनी
व्यवस्थापक/प्रबंधक, ‘कहानी-लेखन महाविद्यालय’, अम्बाला छावनी

प्रकाशित पुस्तक : -
जन्मदिन (लघुकथा संग्रह)

साझा संकलन : -

जीवन की प्रथम लघुकथा ( ई- लघुकथा संकलन ) - 2019

लघुकथा - 2019 ( ई- लघुकथा संकलन ) 

सम्पादन : -
1. शुभ तारिका (मासिक), सह-संपादक
2. हिंदी अकादमी, शिलांग (मेघालय) से प्रकाशित होने वाली की वार्षिक पत्रिका ‘पूर्वोत्तर वार्ता’ स्मारिका का प्रबंध संपादक
  
सम्मान : -

- हिमालय और हिन्दुस्तान फाउंडेशन, ऋषिकेश (उत्तराखंड) द्वारा पत्रकारिता एवं लेखन में उत्कृष्ट कार्यों के लिए सम्मान- 2010
- पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी, शिलांग (मेघालय) द्वारा ‘केशरदेव गिनिया देवी बजाज स्मृति सम्मान-2013
- श्री जीवनराम मुंगीदेवी गोयनका स्मृति सम्मान-2015
- अनूप बजाज युवा लेखक सम्मान-2018
- प्रोग्रेसिव फाउंडेशन’ की ओर से स्मृति चिन्ह
- भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ, उ.प्र. की जिला सहारनपुर इकाई द्वारा आयोजित जिला सम्मलेन
एवं संगोष्ठी के अवसर पर सम्मान-2014
- सखी साहित्य परिवार, गुवाहटी (असम) की ओर से साहित्य के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए सम्मान।
- भारतीय लघुकथा विकास मंच, पानीपत (हरियाणा) द्वारा माधवराव सप्रे की जयंती के अवसर पर लघुकथा दिवस रत्न सम्मान-2020
- वरिष्ठ लघुकथाकार उर्मिला कौल की स्मृति में लघुकथा उत्सव पर 'उर्मिला कौल स्मृति लघुकथा रत्न सम्मान-2020 से सम्मानित।

विशेष : -

- देश की प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं एवं ई-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित।
- प्रसारण: आकाशवाणी शिलांग (मेघालय) से रचनायें प्रसारित।
- हिंदी साहित्यक प्रेरक संस्था, जींद (रजि.), हरियाणा, संस्कार भारती, जींद, हरियाणा द्वारा ‘हिंदी दिवस’ 14 सितम्बर, 2020 के अवसर पर ‘लघुकथा लेखन एवं वाचन प्रतियोगिता’ में लघुकथा वाचन हेतु ‘प्रतिभागी प्रमाण-पत्र’।
-  पश्चिम बंगाल राज्य द्वारा तीसरी कक्षा पाठ्यक्रम हेतु लघुकथाएं स्वीकृत।
-  विभिन्न लघुकथाओं का अंग्रेजी, मराठी एवं बँगला में अनुवाद।
- विकिपीडिया पर वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियन द ग्रेट खली (दलीप सिंह राणा) पर एक लेख ‘महाबली खली
  ने मचाई खलबली’।
  -  हिंदी साहित्य सम्मलेन, प्रयाग के 65वें अधिवेशन : विश्वभारती, शान्तिनिकेतन (पश्चिम बंग), दिनांक: 16-18 मार्च, 2013 में सक्रिय रूप से भाग लिया।

पता :103-सी, अशोक नगर (नजदीक शिव मंदिर), अम्बाला छावनी–133001(हरियाणा)

प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर : लघुकथा सरल, स्पष्ट और समझ में आने वाली होनी चाहिए। आप जो भी कहना चाहते हैं वह पाठक को समझ में आने वाला हो। लघुकथा का 'लघु' होना बेहद जरुरी है।

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर : यह कठिन प्रश्न है क्योंकि आज कई बड़े साहित्यकार हैं जो लघुकथाएं लिख रहे हैं। किन्हीं दो, चार-पाँच का नाम गिनाना अन्यों का अपमान होगा।

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर : लघुकथा में अभी भी वही पुराने विषय लिए जा रहे हैं जैसे पुलिस, दहेज, मंत्री आदि पर ही केंद्रित होती हैं और इनमें भी केवल बुराई ही दिखाई जाती है। समीक्षक को लेखक को यह समझाना आवश्यक है कि आज सकारात्मक सोच की रचनाओं की आवश्यकता है। नए विषय लें और कोशिश करें कि उनका अंत सकारात्मक हो यानी लघुकथा पढ़ने के बाद पाठक को यह लगना चाहिए कि उसने आज कुछ नया पढ़ा या सीखा।

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर : आज पत्र-पत्रिकाओं की बजाय व्हाट्सएप और फेसबुक लघुकथा साहित्य के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण प्लेटफार्म हैं। इन्हीं की वजह से लघुकथा आज इतनी तेजी से प्रसिद्धि पा रही है। इसके अलावा आजकल व्हाट्सएप पर बहुत से ऐसे ग्रुप भी चल रहे हैं जो लघुकथाओं को प्राथमिकता देते हैं।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर : आजकल लघुकथाएं थोक के हिसाब से लिखी जा रही हैं। हां, यह जरूर है कि इनमें से बहुत कम ही स्तरीय होती हैं। आजकल लघुकथा संग्रह, लघुकथा संकलन बहुतायत में निकल रहे हैं किंतु इनमें भी स्तरीय रचनाओं का अभाव ही रहता है। स्तरीय लघुकथाएं लिखने की आवश्यकता है।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर : देखिये, इंसान कभी भी, किसी भी चीज से संतुष्ट नहीं होता। ऐसा ही वर्तमान में लघुथा की स्थिति को लेकर है। इस समय खूब लघुकथाएं लिखी जा रही हैं, यह संतुष्टि की बात है किंतु वर्तमान में बहुत से लेखक ऐसे भी हैं जो लघुकथाकार न होते हुए भी जबरन लघुकथा लिख रहे हैं जोकि लघुकथा नहीं बन पाती। मेरा उनसे आग्रह है कि वह केवल अपनी उसी विधा पर लिखें जिन पर उनका अधिकार है।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर : मेरा जन्म बिल्कुल साधारण परिवार में हुआ। परिवार में कोई भी साहित्यकार नहीं है। हां, इतना अवश्य है कि आसपास का वातावरण मुझे लेखन के लिए नए नजरिए से सोचने को मजबूर करता है।

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर : मेरे लेखन में परिवार का पूरा सहयोग रहता है। वह कभी भी मेरे लेखन में बाधा नहीं बनते बल्कि मुझे लेखन के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर : मेरी आजीविका में लेखन का बहुत बड़ा योगदान है क्योंकि मैं जिस व्यवसाय से जुड़ा हुआ हूं उसमें लेखन ही सिखाया जाता है। मैं इस समय अंबाला छावनी से पिछले 49 वर्षों से निकलने वाली मासिक पत्रिका ' शुभ तारिका का सह-संपादक हूं। पत्रिका में लघुकथाओं को विशेष स्थान दिया जाता है, साथ ही 'कहानी-लेखन महाविद्यालय' के व्यवस्थापक/प्रबंधक भी हूं। 'कहानी लेखन महाविद्यालय' से पत्राचार द्वारा लेखन के कोर्स (कहानी कला, लेख व फीचर लेखन पटकथा लेखन, पत्रकारिता और संपादन, पत्रिका संचालन आदि) चलाए जा रहे हैं। 'कहानी लेखन महाविद्यालय' एवं पत्रिका 'शुभ तारिका' से जुड़ने के बाद डॉ. महाराज कृष्ण जैन एवं श्रीमती उर्मि कृष्ण के सान्निध्य में रहकर ही मेरे लेखन में गति आई है। इससे मेरी आजीविका और लेखन दोनों ही गतिमान है।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर : मेरी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य उज्ज्वल है क्योंकि जिस तेजी से लघुकथा लेखक पढ़ रहे हैं और लघुकथाएं लिखी जा रही हैं, उसे देखते हुए लघुकथा का भविष्य उज्ज्वल ही कहा जाएगा।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर : लघुकथा साहित्य से देश-विदेश में मुझे मान-सम्मान, यश हासिल हुआ । साहित्य जगत में मैं एक जाना पहचाना नाम भी हो गया हूं। आर्थिक लाभ तो हुआ ही।



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