सुदर्शन रत्नाकर से साक्षात्कार

जन्म : ग्यारह सितंबर 1942
जन्म स्थान : मोण्टगुमरी ( पाकिस्तान )
शिक्षा : एम.ए.हिन्दी , बी.एड्

प्रकाशित पुस्तकें :-

कहानी संग्रह :-

1.फूलों की सुगंध
2.दोष किस का था
3.बस, अब और नहीं
4.मैंने क्या बुरा किया है
5.नहीं, यह नहीं होगा
6.मैं नहीं जानती
7.कितने महायुद्ध
8.चुनिंदा कहानियाँ
9.अलकनंदा

माहिया एवं हाइकु संग्रह :-

10.तिरते बादल
11. मन पंछी- सा

ताँका संग्रह- 

12.हवा गाती है

लघुकथा संग्रह :-

13.साँझा दर्द

उपन्यास :-

14.क्या वृंदा लौट पाई!,
15.यादों के झरोखे

कविता संग्रह:- 

16.युग बदल रहा है
17.आसमान मेरा भी है
18.एक नदी एहसास की
19.उठो, आसमान छू लें

पुरस्कार : -

- हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा ‘महाकवि सूरदास आजीवन साहित्य साधना सम्मान -2019
- हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा ' श्रेष्ठ महिला रचनाकार'  से 2013 में सम्मानित।
- 'दोष किसका था' कहानी -संग्रह को श्रेष्ठ कृति पुरस्कार ।
- हरियाणा साहित्य अकादमी से  चार बार कहानियाँ पुरस्कृत ।
- शिक्षा के क्षेत्र में केन्द्रीय विद्यालय संगठन द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित
- दो दर्जन से अधिक देश की विभिन्न साहित्यिक संस्थानों द्वारा सम्मानित एवं पुरस्कृत।

विशेष : -

- पंजाबी, उर्दू, सिन्धी, अवधी, नेपाली ,गढ़वाली एवं अंग्रेज़ी में कुछ रचनाएँ अनूदित।
- वेब -साइट पर प्रकाशन:- अनुभूति, अभिव्यक्ति, साहित्य कुंज, त्रिवेणी, सहज साहित्य ,लघुकथा डॉट कॉम, हिन्दी हाइकु आदि।
- देश-विदेश की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित।
- दस देशों की विदेश यात्रा
- आकाशवाणी रोहतक, शिमला दिल्ली एवं अम्बर रेडियो स्टेशन यू.के से कविता, कहानी, वार्ता, चर्चाओं का प्रसारण।
- हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित  हरिगंधा पत्रिका के हाइकु विशेषांक का 2017 में सम्पादन
- कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से एम.फिल तथा पी.एच.डी की उपाधि हेतु छात्रों द्वारा शोध कार्य सम्पन्न।
- भाषा चंद्रिका स्वर संगम,‘भाषा मंजरी’पाठ्य पुस्तकों में रचनाएँ

पता : ई - 29 , नेहरू ग्राउण्ड , फरीदाबाद - 121001 हरियाणा

प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है?

उत्तर - लघुकथा में महत्वपूर्ण तत्व कथ्य है । यह वह केन्द्र बिन्दु होता है जिसके इर्द-गिर्द ताना -बाना बुना जाता है।

प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पाँच नाम बताओ जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - समकालीन हिन्दी लघुकथा साहित्य की यात्रा इतनी सुगम नहीं रही । कई बाधाएँ रास्ते में आई हैं। आरम्भ से आज तक सैंकड़ों लेखकों ने इस विधा को स्थापित करने और आगे बढ़ाने में अपना योगदान दिया है।सभी का अपना अपना महत्व रहा है। लेकिन कुछ नाम ऐसे हैं जिनके कारण इस विधा का गौरव बढ़ा है ,तथा इसे  लोकप्रिय बनाने में वे आज भी जुटे हुए हैं। उनमें से पाँच नाम बहुत कम हैं।शेष के प्रति नाइंसाफ़ी होगी ।फिर भी क्षमा के साथ  उत्तर दे रही हूँ : - सुकेश साहनी, रामेश्वर काम्बोज हिमांशु,  सतीश राज पुष्करणा, योगराज प्रभाकर, बलराम

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन-कौन से मापदंड होने चाहिए?
उत्तर - किसी भी अन्य विधा की समीक्षा की तरह लघुकथा की समीक्षा के भी कुछ माप दंड हैं।जिसके अनुसार उसका मूल्यांकन किया जा सकता है। जैसे : - कथानक, उसका आकार ,शिल्प,भाषा-शैली कैसी है ।कथा में निहित संदेश देने और समाज का मार्गदर्शन करने में समर्थ है कि नहीं। शीर्षक उद्देश्य के अनुरूप होना।  संप्रेषणीयता पाठकों को प्रभावित करने, चिंतन करने  की कितनी  क्षमता है।इसके साथ केवल प्रशंसा ही नहीं, कमियों की ओर भी इंगित किया जाना चाहिए ।

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन -कौन से प्लेटफ़ॉर्म की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है?
उत्तर - आज हज़ारों की संख्या में लघुकथाकार हैं ।उनमें से कुछ ऐसे  रचनाकार हैं जो इस विधा के विकास के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित हैं। उनके परिश्रम एवं लगन के परिणाम स्वरूप रचनाकारों को स्पेस मिला है उनकी रुचि बढ़ी है।तथा उनकी  संख्या में वृद्धि हुई है इसीलिए लघुकथा विकास की ओर अग्रसर है।  जो भी प्लेटफ़ॉर्म हैं सभी का काम सराहनीय है, अपना -अपना महत्व है । किस का नाम लें और किस का छोड़ें। केवल उदाहरण स्वरूप कुछ उदाहरण ।लघुकथा.कॉम  (स.सुकेश साहनी,रामेश्वर काम्बोज हिमांशु), लघुकथा कोश सं योगराज प्रभाकर , भारतीय लघुकथा विकास मंच ( बीजेन्द्र जैमिनी )
दृष्टि (अशोक जैन) , पड़ाव और पड़ताल ( मधुदीप गुप्ता ) ,सरंचना (कमल चोपड़ा ) , क्षितिज ( सतीश राठी ) अविराम साहित्यिकी (उमेश महादोशी )उदंती, हिन्दी चेतना आदि। इसके अतिरिक्त वटसऐप, फ़ेसबुक ब्लॉग, रेडियो, यूट्यूब आदि।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है?
उत्तर - आज के परिवेश में लघुकथा की स्थिति बहुत अच्छी है।लड़खड़ाती लघुकथा संघर्षों को झेलती शैशवावस्था से निकल कर यौवनावस्था में पहुँच गई है तथा वयस्क होकर आज लोकप्रियता की ऊँचाइयों को छू रही है।लघुकथाकारों की संख्या में वृद्धि हुई है। विकास हेतु कई मंच संलग्न हैं ।लघुकथा गोष्ठियों,प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा है । लघुकथा विशेषांक निकाले जाते हैं। अधिक से अधिक स्तरीय पुस्तकों का प्रकाशन हो रहा है। उन पर शोध कार्य सम्पन्न हो रहे हैं ,लघु फ़िल्में बन रही हैं।पुरस्कारों के लिए भी स्वीकृत किया जा रहा है।यही नहीं अब विश्व विद्यालयों के पाठ्यक्रमों में भी लघुकथाओं को स्थान दिया जा रहा है।लघुकथा के उज्ज्वल भविष्य के प्रति आशान्वित हूँ।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप संतुष्ट हैं?
उत्तर - नव लेखन का लघुकथा के विकास में महत्वपूर्ण योगदान है ।सोशल मीडिया के कारण  पाठकों की संख्या में वृद्धि हुई है। लघुकथा लोकप्रिय भी हो रही है।लेकिन गुणात्मक दृष्टि से स्तरीय एवं प्रभावी रचनाओं  का प्रतिशत कम है। नवीन,समसामयिक विषयों की भी कमी है ।बहुत सारे विषय अभी अछूते हैं।लघुकथा लेखन उतना आसान नहीं जितना समझा जाता है। बहुत कुछ केवल प्रकाशित होने के लिए लिखा जा रहा है।लेकिन स्थापित एवं नए लेखकों के उत्तम लेखन तथा उनके द्वारा लघुकथा के विकास के लिए किए जा रहे  प्रयासों से संतुष्ट हूँ।

प्रश्न न.7-आप किस प्रकार की पृष्ठभूमि से आए हैं? बतायें किस प्रकार के मार्ग दर्शक बन पाए हैं?
उत्तर - शिक्षित एवं उदारवादी विचारों वाले परिवार में जन्म हुआ।दादा और पिता जी साहित्य प्रेमी थे।उनका प्रभाव मुझ पर भी हुआ।हिन्दी साहित्य की शिक्षिका रही हूँ।बहुत कुछ लिख लेने के बाद भी लगता है अभी और सीखना है। अवसर मिलता है तो नव लेखकों को लघुकथा लेखन के लिेए प्रेरित करती हूँ और अच्छे लेखन के लिए सुझाव दे देती हूँ।

प्रश्न न.8 - आपके लेखन में आपके परिवार की क्या भूमिका है?
उत्तर - लेखन में मेरे परिवार से मुझे सदैव सहयोग मिला है।मैं सौभाग्यशाली रही हूँ  बचपन से ही मेरी लेखन प्रतिभा को देख कर पहले मेरे पिताजी एवं भाई प्रोत्साहित करते रहे  ,फिर विवाहोपरांत ससुराल भी साहित्यकारों का मिला।जिसके कारण मुझे सहयोग और प्रोत्साहन दोनों मिलते रहे हैं।

प्रश्न न. 9 - आपकी आजीविका में, आपके लेखन में क्या स्थिति है?
उत्तर - मैं शिक्षिका रही हूँ । लेखन मेरी आजीविका का साधन कभी नहीं रहा।मैं लिखती हूँ ताकि समाज को अपनी लेखनी के माध्यम से कुछ दे सकूँ। उसके बदले में पाठकों एवं साथियों का प्यार ,सम्मान मिलता है। हाँ, कभी-कभी पुरस्कारों की राशि मिल जाती है।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा?
उत्तर - लघुकथा पल्लवित होकर विकास की सीढ़ियाँ चढ़ रही है । ख़ूब लिखा जा रहा है।मैं लघुकथा के उज्ज्वल भविष्य के प्रति आशान्वित हूँ।

प्रश्न न.11 -  लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है?
उत्तर - मैं लिखती हूँ क्योंकि मुझे लिखना है, समाज को कुछ देना है, प्राप्ति की आशा कभी नहीं की कथाकार के रूप में पहचान मिली है, सम्मान मिला है । आत्म संतुष्टि मिली है।


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