मृणाल आशुतोष से साक्षात्कार

जन्मतिथि : 27 अगस्त 1981
जन्म स्थान : एरौत (महाकवि स्वर्गीय आरसी प्रसाद सिंह की पुण्य भूमि),समस्तीपुर - बिहार
शिक्षा : एम बी ए (मार्केटिंग) एम डी यूनिवर्सिटी रोहतक, एम ए(इतिहास) इग्नू यूनिवर्सिटी।
भाषा : हिंदी, मैथिली

विधा : लघुकथा, कविता, कहानी, समीक्षा, आलेख, संस्मरण आदि।

पुस्तक: -

सेतु : कथ्य से तत्व तक ( लघुकथा संकलन ) - सम्पादन

साझा पुस्तकें : -

जीवन की प्रथम लघुकथा ( ई - लघुकथा संकलन ) -2019
मां ( ई - लघुकथा संकलन ) -2019
लोकतंत्र का चुनाव ( ई - लघुकथा संकलन ) -2019

सम्मान/पुरस्कार: -

- सीहोर साहित्य सम्मान (काव्य-खंड)2021 ।
- कथादेश लघुकथा प्रतियोगिता 2020 में प्रथम दस में चयनित।
- प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था लेख्य मंजुषा(पटना) द्वारा 2019 में लघुकथा सम्मान।
- लघुकथा कलश समीक्षा प्रतियोगिता 2019 में प्रथम स्थान।

विशेष : -

- मार्च 2017 से लेखन प्रारम्भ
- आकाशवाणी, बोल हरियाणा और बोलता साहित्य से लघुकथा व कविता का प्रसारण।
- अनेक पत्र-पत्रिकाओं एवं स्तरीय संकलन में लघुकथा, कविता, समीक्षा का प्रकाशन।
- किस्सा कोताह(हिन्दी) और समय संकेत(मैथिली) में सम्पादन कार्य में सहयोग।
- पलाश:नगर प्रतिनिधि(समस्तीपुर)।
- साहित्य सम्वेद समूह के माध्यम से साहित्यिक उन्नयन में सहयोग
- क्या लघुकथा को शब्दों की सीमा में बाधा जा सकता है ? ( ई- परिचर्चा ) में शामिल

पता : मृणाल आशुतोष द्वारा- श्री तृप्ति नारायण झा
ग्राम+पोस्ट- एरौत ,भाया-रोसड़ा
जिला-समस्तीपुर (बिहार) पिन-848210

प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?

उत्तर - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण है कथ्य। कथ्य का सम्प्रेषण सही से होना चाहिए। लेखक क्या कहना चाहता है? क्या वह सही से पाठक से पहुँच पा रहा है?

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओ,  जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - संख्या पाँच तक सीमित कर आपने इस प्रश्न को दुरूह बना दिया है। सर्वश्री सुकेश साहनी, मधुदीप गुप्ता, उमेश महादोषी, कांता राय आदि बढ़िया कार्य कर रहे हैं। कुछ और नाम भी इसमें जोड़े जाने लायक हैं। आप ( बीजेन्द्र जैमिनी ) भी अपने कार्य से प्रभावित कर रहे हैं।

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - समीक्षा अर्थात सम्यक इच्छा। इसकी  सार्थकता के लिए आवश्यक है कि समीक्षा में ये गुण हों:-
1.पुर्वाग्रह मुक्तता
2.वस्तुनिष्ठता
3.प्रासङ्गिकता
4.सोद्देश्यता
5.निजता और
6.सहज,सरल ,  सारगर्भित , सम्प्रेषणीयता।

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म महत्वपूर्ण हैं? 
उत्तर - लघुकथा डॉट कॉम, ओपन बुक्स ऑनलाइन' और 'लघुकथा वार्ता' जैसे ब्लॉग, कई साहित्यिक समूह जैसे लघुकथा के परिंदे, साहित्य संवेद, नया लेखन नया दस्तखत, लघुकथा गागर में सागर, लघुकथा सफर सम्वेदनाओं का, फलक, लेख्य मंजूषा आदि।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की स्थिति अच्छी है मगर मात्रा, गुणवत्ता पर बुरी तरह हावी हो रही है। अच्छी लघुकथा ढूंढ़ना मुश्किल साबित हो रहा है। गम्भीर लघुकथाकारों को इस पर ध्यान देने की सख्त जरूरत है।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - सन्तुष्ट तो कभी नहीं हो सकूँगा। खुश भी हूँ और थोड़ा चिंतित भी। जिस प्रकार से लघुकथा का फलक विस्तृत हो रहा है, उससे प्रसन्न हूँ मगर जिस तरह से सोशल साइट्स और समाचार पत्रों में गुणवत्तापूर्ण लघुकथा की संख्या कम होती जा रही है, उससे चिंतित भी हूँ। कई संकलन/संग्रह में दो-चार अच्छी लघुकथायें भी नहीं मिल पाती। पुस्तक आने से पहले उनका उचित चयन और संपादन होना चाहिए। वरिष्ठ, विज्ञजनों से सहयोग लिया जाय पर पुस्तक जब सार्वजनिक हो तो बेहतर रूप में आये।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं और बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मेरे पिताजी सेवानिवृत्त शिक्षक हैं। मेरे गाँव में सुप्रसिद्ध कवि हुए हैं आरसी प्रसाद सिंह। उन दोनों का मुझ पर प्रभाव है। मार्गदर्शक शब्द मुझे उचित नहीं लगता। जो भी जानकारी मेरे पास है, वह सबसे साझा कर लेता हूँ। साहित्य सम्बन्धी कार्य या किसी रचना पर सहयोग हेतु कोई भी सम्पर्क करता है तो वह निराश नहीं हो, इसका हरसम्भव प्रयत्न करता हूँ।

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? मेरे
उत्तर - पिताजी कवि हैं, चाचाजी कवि थे पर लेखन के प्रारंभ में इन दोनों की कोई भूमिका नहीं रही। लेखन के लगभग आठ महीने बाद जब किसी स्तरीय पत्रिका में रचना छपी तब पिताजी को पता चला तो वह बहुत खुश हुए। उसके बाद पिताजी से यथासम्भव सहयोग मिलता रहा। चूँकि घर पर रहना कम होता है तो सहयोग भी कम ही मिल पाता है। हाँ, नैतिक समर्थन और आशीर्वाद माँ-पिताजी से हमेशा मिलता रहा। कनियाँ भी सहयोग करती हैं।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आजीविका में लेखन की कोई भूमिका नहीं है। कभी कभार कुछ पैसे आ जाते हैं पर उससे बहुत अधिक तो खर्च ही हो जाते हैं।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - लघुकथा का भविष्य उज्ज्वल है, मगर इसके लिए हम लघुकथाकारों को सतत गम्भीरतापूर्वक कार्य करते रहना होगा। अगर हाथ पर हाथ धरे बैठ गए तो भविष्य के अंधकारमय होने की आशंका है।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - एक युवा साहित्यकार के रूप में पहचान मिली। मेरे लेखन का प्रारंभ लघुकथा विधा से ही हुआ था। अनेक मित्र भी लघुकथा साहित्य से मिले। वरिष्ठजनों का आशीष मिलता रहा है। सबसे महत्वपूर्ण आत्मसंतुष्टि मिली। कुछ अलग करने का जज़्बा मिला।



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