अशोक वर्मा से साक्षात्कार

जन्म : 04 अप्रैल 1951, गांव कयामपुर , ज़िला बागपत -  उत्तर प्रदेश
शिक्षा : स्नातकोत्तर ( समाजशास्त्र )

प्रकाशित पुस्तकें : -

खाते बोलते हैं ( लघुकथा संग्रह )
चिंगारी तथा अन्य लघुकथाएं ( लघुकथा संग्रह )
आशा किरण ( उपन्यास )
किसलिए ( उपन्यास )
चाचाजी नमस्ते ( उपन्यास )
मैं अभी मौजूद हूं ( ग़ज़ल संग्रह )
ग़ज़ल बोलती है ( ग़ज़ल संग्रह )
मेरी चुनिन्दा ग़ज़लें ( ग़ज़ल संग्रह )
मुक्ति ( नाटक )

संपादित पुस्तकें : -

अनकहे कथ्य ( लघुकथा संग्रह)
पड़ाव और पड़ताल - खंड 10 ( लघुकथा संग्रह)
अपनी अपनी यात्रा ( कहानी संग्रह)
मांझी के मतले और मक्ते(ग़ज़ल संग्रह)

विशेष : -

- लघुकथा लेखन  सन 1978 से
- पहली लघुकथा  "गुल्लक"   इंदौर की चर्चित पत्रिका " वीणा' में प्रकाशित
- लघुकथा और ग़ज़ल में एक जाना-माना नाम
- आकाशवाणी व दूरदर्शन से अनेक रचनाएँ प्रसारित
- कुछ लघुकथाओं का पंजाबी, गुजराती, मलयालम एवं अंग्रेज़ी में अनुवाद
- अनेकों संस्थाओं  द्वारा सम्मानित।

सम्पर्क :110, लाजवन्ती गार्डन, नई दिल्ली - 110046

प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे प्रमुख तत्व कौन सा है?

उत्तर - कथ्य लघुकथा का प्रमुख तत्व है। साथ ही इसकी प्रस्तुति में विशेष बनावट और कसावट बेहद ज़रूरी है।


प्रश्न न. 2 - समकालीन लघुकथा में कोई पांच नाम बताओ, जिनकी भूमिका बहुत ही महवपूर्ण है?

उत्तर - अनेक लेखक पत्रिकाएं, विशेषांक व गोष्ठियों के माध्यम से इसके विकास में लगे हैं। विगत वर्षों में पड़ाव और पड़ताल श्रृंखला द्वारा बड़ा काम हुआ है।  अनेक राज्यो और शहरों के लेखको की लघुकथाओं को ई बुक्स के माध्यम से स्वयं आपका काम प्रशंसनीय है।


प्रश्न न.3 - लघुकथा के कौन कौन से समीक्षा बिन्दु होने चाहिएं?

उत्तर - रचना के समग्र पहलुओं को खंगाला जाए और गहरी पड़ताल हो, यही समीक्षक का धर्म है।


प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन कौन से प्लेटफॉर्म  की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है ?

उत्तर - वर्ष 2000 के बाद लेखकों की नई  पीढ़ी  ने सोशल मीडिया में अहम भूमिका निभाई है।


प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है?

उत्तर - बड़ी संख्या में लघुकथाएं लिखी जा रही हैं। कहना चाहूंगा कि इसकी गुणवत्ता पर धयान दिया जाना  चाहिए। यह लेखक और विधा के सम्मान के हित में होगा।


प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से  क्या आप संतुष्ट हैं?

उत्तर - एक ओर जहां सशक्त लघुकथाएं हैं तो कमज़ोर और लचर भी  दीख जाती हैं। घटना को रचना बनाने के लिए कौशल की ज़रूरत होती है। फिर भी स्थिति आश्वस्त करती है।


प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार की पृष्ठभूमि से आये हैं? बताएं किस प्रकार  के मार्ग दर्शक बन पाए हैं?

उत्तर - मैं ग्रामीण और शहरी दोनों परिवेश से जुड़ा रहा हूँ। आठवें दशक से ही गोष्ठियों के माध्यम से नए  लेखकों को मंच प्रदान करके विधा से जोड़ा है।


प्रश्न न.8 -   आपके लेखन में आपके परिवार की भूमिका क्या है?

उत्तर - लेखन के दौरान मेरे परिवार का  मुझे अपेक्षित सहयोग मिलता रहा है।


प्रश्न न.9 - आपकी आजीविका में आपके लेखन की क्या स्थिति है?

उत्तर - आजीविका के लिए 40 वर्षों तक सरकारी सेवा में रहा। लेखन से पारिश्रमिक के तौर पर जो मिला, उसे पुस्तकों आदि में व्यय किया है।


प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा?

उत्तर - लघुकथा का भविष्य निःसंदेह अच्छा होगा। अनेक उत्कृष्ट लघुकथाएं आने वाले समय मे  दस्तक देंगी । मुझे पूर्ण विश्वास है।


प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है?

उत्तर - लघुकथा लेखन से जहां संतुष्टि मिली है वहां लोगों का प्यार और सम्मान भी मिला है। मेरी लघुकथा " खाते बोलते हैं " की कालजयी लघुकथा के रुप मे चर्चा की जाती है। यही मेरे जीवन  की पूंजी है।

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