अनिल शूर आज़ाद से साक्षात्कार

जन्म : 26 जून 1965 , रेवाड़ी - हरियाणा
माता जी : श्रीमती पुष्पा शूर
पिता जी : श्री सुखदेवराज शूर
शिक्षा : एम.ए. ( इतिहास , हिन्दी ) , एम.एड , एल एल बी ,  पत्रकारिता एवं जनसंचार में स्नातकोत्तर
सम्प्रति : दिल्ली शिक्षा निदेशालय के तहत इतिहास के लेक्चरार

विधा : लघुकथा , कविता , व्यग्य , कहानी आदि लेखन

एंकल प्रकशित पुस्तकें :-
लघुकथा : सरहद के इस ओर , क्रान्ति मर गया , मेरी प्रिय लघुकथाएं , लघुकथाएं सबरंग 
अन्य : मेरी सात कहानियां , मेरे प्रिय हास्य व्यंग्य , पत्थर पर खुदे नाम , रोटी के लिए जिद मत कर , हृदय राग , अपना सौर परिवार , आपदा प्रबंधन एक परिचय , मेरा लेखन तथा जीवन आदि

सम्पादित प्रकाशित पुस्तकें : -
लघुकथा : दूसरी पहल , शिक्षा जगत की लघुकथाएँ , हरियाणा की लघुकथाएँ , दिल्ली की लघुकथाएँ , राजस्थान की लघुकथाएँ , मध्यप्रदेश की लघुकथाएँ , नई सदी की लघुकथाएँ , देश - विदेश से लघुवादी लघुकथाएं आदि

विशेष प्रकाशित पुस्तकें : -
लघुकथाकार अनिल शूर आजाद ( सम्पादक : इन्दु वर्मा )
अनिल शूर आजाद : प्रतिनिधि लघुकथाएं ( सम्पादक : इन्दु वर्मा )
अनिल शूर आजाद की कृतियां : एक अवलोकन ( रेखा पूनिया ' स्नेहल ' )

अनिल शूर आज़ाद दीआं चौनवियां मिन्नी कहानियां ( पंजाबी अनुवाद )

सम्मान : -
हरियाणा प्रदेश साहित्य सम्मेलन , सिरसा - हरियाणा द्वारा रमेशचंद्र शालिहास स्मृति साहित्य सम्मान
युवा साहित्य मण्डल , गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश द्वारा श्रेष्ठ सम्पादक सम्मान
दिल्ली साहित्य समाज द्वारा साहित्य गौरव सम्मान
स्वतंत्र लेखक मंच , दिल्ली द्वारा विशेष रचनाकार सम्मान

साहित्य सभा कैथल द्वारा सम्मान

पता : -
ए जी - 1 / 33 बी , विकासपुरी , दिल्ली - 110018

प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है?
उत्तर : मेरी दृष्टि में वह 'कथातत्व' सर्वाधिक महत्वपूर्ण है जिसके गिर्द लघुकथा बुनी जाती है। इसे प्रगतिशील एवं सकारात्मक होना चाहिए।

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओ जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर : किसी के लिए भी सदैव पटल पर बने रहना, या एक जैसी भूमिका में रहना संभव नहीं हो सकता। वर्ष 1965-70 से जारी आधुनिक हिंदी लघुकथा की यात्रा में विभिन्न समयों में  सैंकड़ों कलमकारों ने अपने-अपने ढंग से योगदान दिया है। आप सहित, अभी भी कम से कम 35-40 लोग तो अवश्य परिदृश्य में हैं जो चार दशकों से सतत योगदान कर ही रहे हैं। इनमें बस किन्हीं पांच का नाम गिनाना बाकियों के प्रति नाइंसाफी होगी।

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन-कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर : एक कथाविधा के नाते 'लघुकथा' के मापदंड फिलहाल वही हैं जो कहानी के। लेकिन इसमें बड़ी दिक्कत लघुकथा का आकार भी है। एक पुस्तक में यदि दस कहानियां आती हैं तो इतने पृष्ठों में 75-80 लघुकथाएं आराम से आ जाती हैं। इनमें एकएक लघुकथा का शास्त्रीय विवेचन बेहद कठिन हो जाता है। स्थान की कमी भी इसमें आड़े आती है। अतः प्रायः कुछ लघुकथाओं के कथ्य का विश्लेषण कर तथा लघुकथाओं के शीर्षक गिनवाकर काम चलाया जा रहा है। अतः देरसवेर हमें इसके अलग मापदंड बनाने ही होंगे।

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन-कौन से प्लेटफार्म बहुत ही महत्वपूर्ण हैं ?
उत्तर :  जैसा कि पहले भी संकेत किया कोई भी विधा किसी एक या किन्हीं 5-7 व्यक्तियों की बपौती नहीं हो सकती। एक समय में सैंकड़ों रचनाकार अपने-अपने तरीके से योगदान करते हैं, तब कहीं जाकर विधागत पहचान स्थापित होती है। इसमें दशकों का समय तथा श्रम लगता है।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है?
उत्तर : बहुत सधे कदमों से लघुकथा विधा आगे बढ़ रही है। नित्य नई तथा श्रेष्ठ पुस्तकें, विशेषांक आदि सामने आ रहे हैं। विश्वविद्यालयों में शोध हो रहे हैं। बड़े पुरस्कारों हेतु बकायदा इसे कंसीडर किया जाने लगा है। इस सबके मद्देनज़र विधा के उज्ज्वल भविष्य के प्रति मैं पूरी तरह आश्वस्त हूं।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप संतुष्ट हैं?
उत्तर : जी बिल्कुल। एक समय कुछ व्यक्तियों के समूह द्वारा इसे बंधक बना लेने के प्रयास अवश्य हुए। मगर अब वह इतिहास की बात हो चुकी! लघुकथा की कमान अब युवा पीढ़ी के सुरक्षित हाथों में है। मुझे आशा है नई पीढ़ी उस पूर्वाग्रही दौर को फिर से लौटने नहीं देगी।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं?
उत्तर : एक मध्यमवर्गीय सुशिक्षित परिवार एवं ग्रामीण पृष्ठभूमि से हूं। कुछ विद्वजन का मत है कि इसका अक्स मेरे लेखन पर सहज दिखाई भी पड़ता है।

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है?
उत्तर : मेरी धर्मपत्नी श्रीमती इंदु वर्मा स्वयं एक लेखिका भी हैं। अतः यह मेरे लिए बहुत सुविधाजनक स्थिति है। मुझे परिवार से सदैव पूर्ण सहयोग मिलता रहा है। बल्कि मेरी प्रायः सभी रचनाओं की प्रथम श्रोता व समीक्षक  इंदुजी ही होती हैं।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में, आपके लेखन की क्या स्थिति है?
उत्तर : यद्यपि आजीविका के लिए मैंने अध्यापन को अपनाया है। लेकिन लेखन भी एक तरह, मेरे लिए आत्मा का भोजन है। अतः बहुत जरूरी है।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा?
उत्तर : जैसा कि उत्तर क्रमांक पांच में भी कहा - लघुकथा का भविष्य एकदम उज्ज्वल है। आने वाला कल लघुकथा का ही होना तय है।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है?
उत्तर : गत चालीस वर्षों में चार एकल एवं आठ संपादित लघुकथा पुस्तकें, पत्रिकाएं तथा दर्जनाधिक महत्वपूर्ण आलेख लिखने तथा देश की प्रथम 'लघुकथा शोधपीठ की स्थापना' के चलते नाम मुख्यतः लघुकथा से ही जुड़ गया है। इसने राष्ट्रव्यापी पहचान के अतिरिक्त हजारों पाठकों-लेखकों का बेशकीमती स्नेह-आशीर्वाद भी मुझे दिलाया है। इस सबके लिए विधा का आजीवन ऋणी रहूंगा।


मित्रों !
             जय हिन्दी ! जय भारत !
            
" इनसे मिलिए " में आपसे ग्यारह प्रश्नों के उत्तर की उम्मीद  है । जो लघुकथा साहित्य से सम्बंधित हैं । जो इस प्रकार हैं : -
प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?

प्रश्नों के जबाब मोबाइल या कम्प्यूटर पर लिखा कर भेजना चाहिए । कोई फाईल या फोटों नहीं होना चाहिए ।  जबाब के साथ " जीवन परिचय व अपना फोटो " भी सिर्फ WhatsApp पर ही भेजें ।

                      बीजेन्द्र जैमिनी
          भारतीय लघुकथा विकास मंच
                  पानीपत - हरियाणा
    WhatsApp मोबाइल - 9355003609
       bijendergemini.blogspot.com


Comments

Popular posts from this blog

वृद्धाश्रमों की आवश्यकता क्यों हो रही हैं ?

हिन्दी के प्रमुख लघुकथाकार ( ई - लघुकथा संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी

लघुकथा - 2023 ( ई - लघुकथा संकलन )