डॉ वन्दना गुप्ता से साक्षात्कार

जन्म : 13 जनवरी 1964, उज्जैन (मध्यप्रदेश)
शिक्षा : एम. एससी., एम. फिल., पीएच. डी. (गणित)
सम्प्रति : प्राध्यापक (गणित)
शासकीय कालिदास कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय, उज्जैन - मध्यप्रदेश

अपनी कलम से...

    मैं गणित जैसे दुरूह विषय की विद्यार्थी एवं प्राध्यापिका रही हूँ। अंकों में उलझते हुए भी शब्दों से खेलते हुए सुकून की तलाश हमेशा रही है। लेखन, खालीपन में शौक के रूप में और किसी की पीड़ा से व्यथित हो मजबूरी के रूप में उभरा है। बचपन से ही मनोभावों को डायरी के पन्नों में छुपाने की आदत रही है, कविताओं के रूप में.. प्रकृति से राग और अपनों से अनुराग के कुछ पल, मानवीय संवेदनाओं में डूबा मन कभी खुश होता, कभी उदास.. कभी प्रेम में डूबा तो कभी अलगाव की पीड़ा से बेचैन.. जिंदगी के कई पहलुओं को नजदीक से जाना तो कुछ आज तक अनछुए ही रहे.. जीवन की संगति और विसंगति से उपजी रचनाओं में खुशी, उदासी, प्रेम, पर्व, अलगाव, संस्कार और अपनत्व जैसे जिंदगी के रंग भरने का प्रयास रहता है... !

पुस्तकें : -

1. काव्य संग्रह 'खुद की तलाश में'  
2. कथा संग्रह 'बर्फ में दबी आग' 

साझा संकलन : -

4. साझा लघुकथा संकलन 'समय की दस्तक'
5. साझा काव्य संग्रह 'वृक्ष लगाओ वृक्ष बचाओ'
6. साझा संकलन 'कोरोना काल में साहित्य'
7. साझा संकलन 'नमन माता-पिता'
8. साझा संकलन 'ज़िन्दगी ज़िंदाबाद'
9. साझा संकलन 'महिला दिवस : एक अभिव्यक्ति'
10. लघुकथा संकलन 'अनाथ जीवन का दर्द' में लघुकथा प्रकाशित
11. जीवन की प्रथम लघुकथा ( ई - लघुकथा संकलन ) - 2019
12. नारी के विभिन्न रूप ( ई - लघुकथा संकलन ) - 2019
13. लघुकथा - 2019 ( ई - लघुकथा संकलन ) 
14. कोरोना वायरस का लॉकडाउन ( ई - लघुकथा संकलन ) - 2020 

सम्मान : - 

1. शर्मा 'नवीन' जयंती समारोह में मध्यप्रदेश साहित्य परिषद द्वारा काव्यपाठ हेतु पुरस्कृत।
 2.पिट्सबर्ग से ऑनलाइन प्रकाशित अंतरराष्ट्रीय द्वैभाषिक पत्रिका सेतु द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय काव्य प्रतियोगिता 2016 में प्रथम पुरस्कार से सम्मानित होने का गौरव प्राप्त हुआ है।
3. विभिन्न साहित्यिक समूहों में साहित्यिक पुरस्कार प्राप्त हुए हैं
4. अखिल भारतीय स्तर पर साहित्य सारथी सम्मान 2018।
5. मातृभाषा उन्नयन सम्मान 2019।
6. अंतरा शब्दशक्ति सम्मान 2019।
7. लघुकथा श्री सम्मान 2019।
8. 'रत्नावली के रत्न' सम्मान - 8 मार्च 2020
9. वृक्ष सखा सम्मान 2020
10. कोरोना योद्धा रत्न सम्मान 2020
11. लघुकथा दिवस रत्न सम्मान - 2020
12. गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर सम्मान - 2020

विशेष : -

-  नायिका-नईदुनिया, मधुरिमा-दैनिक भास्कर, अहा! जिंदगी, किस्सा कोताह, पलाश, लघुकथा कलश, प्रखर गूँज सहित्यनामा, नारी शोभा, उर्वशी, अविराम साहित्यिकी आदि में लघुकथाएं, कविता और कहानी प्रकाशित।
-  विभिन्न ऑनलाइन पत्रिकाएँ.. पुरवाई, मंजूषा, साहित्य अर्पण, शब्द प्रवाह, युवा प्रवर्तक, सेतु उत्कर्ष साहित्य पोर्टल, कंट्री ऑफ इंडिया इत्यादि में रचनाएँ प्रकाशित। 
- ऑनलाइन पोर्टल मातृभारती तथा प्रतिलिपि पर अनेक कहानियाँ प्रकाशित।
-  ऑनलाइन पोर्टल मातृभारती पर एक उपन्यास 'कभी अलविदा न कहना' और एक साझा उपन्यास 'देह की दहलीज़ पर' किश्तवार प्रकाशित।

पता : 22, निर्माण नगर, दशहरा मैदान, उज्जैन - मध्यप्रदेश
प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 
उत्तर - जिस तरह पंचतत्व से शरीर बनता है, किसी एक तत्व की अनुपस्थिति जीवन को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है, उसी तरह से लघुकथा में पंचतत्व महत्वपूर्ण हैं... कथ्य, कथानक, शैली, शिल्प और शीर्षक... सभी का अपना महत्व है। इन्हीं से लघुकथा मुक्कमल होती है। 

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओ ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - मैंने सर्वप्रथम परिंदे समूह से जुड़कर लघुकथा लेखन में कदम रखा। तत्पश्चात नया लेखन नए दस्तखत समूह से जुड़ी और प्रभाकर बंधुओं से मार्गदर्शन मिला। यदि समकालीन लघुकथा साहित्य में महत्वपूर्ण भूमिका निर्वहन की बात हो तो मेरे जेहन में जो नाम उभर रहे हैं... वे हैं... पहला योगराज जी प्रभाकर, दूसरा बलराम जी अग्रवाल, तीसरा मधुदीप जी गुप्ता, चौथा कांता रॉय जी और पाँचवें स्थान पर आप ( बीजेन्द्र जैमिनी ) सहित अनेक मूर्धन्य लघुकथाकार शामिल हैं, जो वर्तमान में लघुकथा साहित्य के प्रति समर्पण भाव से अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश में हैं। यहाँ विशेष रूप से जिक्र करना चाहूँगी आदरणीय रवि यादव जी का, जिन्होंने अपनी दमदार आवाज़ से 'बोल हरियाणा' के माध्यम से लघुकथा और लघुकथाकार को एक महती पहचान दिलाई है।

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 
उत्तर - किसी भी रचना का सृजन तीन बिंदुओं से होकर परिपक्व होता है... वे हैं... भाव, विचार और कल्पना... इनके उचित संयोजन से रचित रचना, पाठक के मानस को स्पर्श करती है। लेखक और पाठक के बीच समीक्षक जरूरी कड़ी है। लघुकथा का कथ्य सीमित होकर भी उसका सारतत्व असीमित होता है। किसी रचना की समीक्षा इसी तत्व को विस्तारित कर पाठक के सम्मुख प्रस्तुत करती है। मेरे विचार से समग्र रूप से समीक्षा की जाए तो रचना के शीर्षक से लेकर उसके संदेश तक जाने में कथ्य, कथानक, शब्द शैली, पंच लाइन और मारक क्षमता के साथ  समाज पर प्रभाव भी देखा जाना चाहिए। व्यापक स्तर पर लघुकथा का पोस्टमार्टम कर उसके उद्देश्य तक पहुंचना ही समीक्षा की कसौटी है।

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - आज सोशल मीडिया प्रचार प्रसार का सशक्त माध्यम बन चुका है। लघुकथा को आम जन तक पहुंचाने में विभिन्न प्लेटफॉर्म यथा- फेसबुक, व्हाट्सएप्प, ब्लॉग्स, यू ट्यूब, वेबसाइट्स और अब  ज़ूम, गूगल मीट आदि के माध्यम से आयोजित ऑनलाइन गोष्ठियाँ भी महत्वपूर्ण रोल अदा कर रही हैं। सोशल मीडिया को साहित्य के प्रचार-प्रसार में संचार क्रान्ति का अग्रदूत कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आज कमोबेश हर व्यक्ति भौतिकता की अंधी दौड़ में व्यस्त है। मानस खुराक के लिए सुकून के कुछ पल तलाशने, किताबों की दुनिया में विचरने का सीमित समय है। लघुकथा लघु होते हुए भी दीर्घ प्रभाव छोड़ती है। पुस्तकों में फिलर के स्थान को काफी पीछे छोड़ अब लघुकथा की पुस्तकें लोकप्रियता की ओर अग्रसर हैं। इस प्रकार लघुकथा की साहित्यिक परिवेश में आज काफी मजबूत स्थिति कही जा सकती है।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - संतुष्टि, प्रगति में बाधक होती है। लघुकथा की वर्तमान स्थिति से मैं खुश हूँ, लेकिन इसे अभी काफी लंबा सफर तय करना है अपना मुकाम पाने के लिए।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मैं मध्यमवर्गीय और परम्परावादी परिवार की बेटी हूँ, जहाँ नैतिक मूल्यों की प्रमुखता रही और साहित्यिक तथा पौराणिक पुस्तकों की प्रचुरता। मेरे पिताजी पहले शिक्षक रहे और बाद में बीमा व्यवसाय से जुड़े। उन्हें लिखने पढ़ने का शौक था। अतः साहित्यिक अभिरुचि मुझे विरासत में मिली है। मार्गदर्शक के रूप में खुद को कभी देखा ही नहीं, हाँ लेकिन साहित्यिक विमर्श में अपने विचार हर प्लेटफॉर्म पर प्रमुखता से रखे हैं। मैं अभी भी साहित्य की विद्यार्थी ही हूँ।

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 
उत्तर - मेरे लेखन में परिवार की महती भूमिका है। मैंने अपनी ज़िंदगी में पहला स्थान परिवार को, दूसरा नौकरी को और तीसरा लेखन को दिया है। मुझे खुशी है कि अब बच्चों के लगभग सेटल हो जाने के बाद मैं लेखन में सक्रिय हूँ। मैंने 2018 से ही लघुकथा लेखन शुरू किया है। जब परिवार को जरूरत थी, मैंने अपना समय दिया, अब मेरी जरूरत के समय वे उनका समय मुझे देते हैं। परिवार से प्रोत्साहन और शाबाशी दोनों मिलने पर खुशी होती है। परिवार मेरे उत्साह और ऊर्जा का केंद्र बिंदु है।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आजीविका में लेखन की स्थिति वैसे तो शून्य है, लेकिन जब 1985 में पहली कविता दैनिक भास्कर में प्रकाशित हुई थी, फिर 1986 में मध्यप्रदेश साहित्य परिषद के मंच पर काव्यपाठ के पारिश्रमिक स्वरूप रु. 50+50 की धनराशि मिली, वह मेरी अमूल्य पूँजी है। आज जब विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन स्वरूप मानदेय मिलता है, या कोई पुरस्कार राशि, तो वेतन की तुलना में नगण्य होने पर भी मेरे लिए अमूल्य है।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 
उत्तर - लघुकथा का भविष्य निःसन्देह उज्ज्वल है। हमारे वरिष्ठ लघुकथाकारों का इस विधा के प्रति समर्पण और नवोदितों को मार्गदर्शन इसका भविष्य तय कर रहा है। पाठ्यपुस्तकों में लघुकथा का समावेश होना विधा के प्रति शिक्षाविदों की स्वीकार्यता को इंगित कर रहा है। इस मायने में हम नवोदितों की पीढ़ी को अपनी जिम्मेदारी बखूबी निर्वहन करनी चाहिए।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - लघुकथा साहित्य से मुझे मेरी पहचान प्राप्त हुई है। मैं एक नौकरीपेशा होने के बावजूद अपने खोल में सिमटी थी, आज देश विदेश तक मेरे मित्रगण हैं। मेरे पति को उनके गणितीय शोध हेतु देश विदेश तक ख्याति मिली है, वे मुझे मेरे निकम्मेपन पर उलाहना देते थे। आज वे ही मेरा परिचय करवाते हुए सगर्व कहते हैं... मिलिए मेरी श्रीमतीजी से... प्रोफेसर बाय प्रोफेशन एंड राइटर बाय पैशन। सच कहूँ तो लेखन ने मेरी ज़िन्दगी ही बदल दी।

Comments

  1. Wow! वंदना दी! कितना सटीक और सारगर्भित उत्तर दिया आपने हर प्रश्न का, संतुलित! बधाई हो! 🌹🌹👌👌

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  2. दीदी आप पर हम सभी को बहुत गर्व है।
    इतने सारगर्भित उत्तरों की अपेक्षा आपसे थी हमें ।💐

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  3. लघुकथा के प्रत्येक पक्ष को बहुत अच्छी तरह अपने उत्तर में सम्मिलित किया आपने।
    बधाई आपको।

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  4. एकदम सही तरीके से आपने बताया

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  5. Excellent Writing.Great Personality. Keep it up mam.All the best.

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