कृष्ण मनु से साक्षात्कार

  जन्मतिथि : 04 जून 1953
जन्म स्थान : गया - बिहार
शिक्षा : यान्त्रिक अभियन्त्रण में डिप्लोमा
लेखन विधा: लघुकथा, कहानी,व्यंग्य, कविता

प्रकाशित पुस्तकें :-

1.पांचवां सत्यवादी(प्रकाशन-1997, प्रकाशक- राज पब्लिशिंग हाउस, दिल्ली, लघुकथा संग्रह)
2. मुट्ठी में आक्रोश (लघुकथा संग्रह प्रकाशन- 2020, प्रकाशक- विश्व साहित्य परिषद, दिल्ली)
3.कोहरा छंटने के बाद(प्रकाशन-1997, प्रकाशक- पूनम प्रकाशन दिल्ली , कहानी संग्रह)
4. आसपास के लोग(कहानी संग्रह, प्रकाशन-2019, प्रकाशक-विश्व साहित्य परिषद, दिल्ली),
5.बीरू की बीरता, प्रीति की वापसी और बीसवीं सदी का गदहा तीन बाल कहानियों का संग्रह, प्रकाशन-2004, प्रकाशक-बाल साहित्य प्रकाशन, दिल्ली
6. कृष्ण मनु: व्यक्तित्व एवं कृतित्व आशीष कंधवे के संपादन में ,प्रकाशक- विश्व हिंदी साहित्य परिषद, दिल्ली, प्रकाशन-2013

सांझा संकलन : -

जीवन की प्रथम लघुकथा ( ई - लघुकथा संकलन ) - 2019
मां ( ई - लघुकथा संकलन ) - 2019
लोकतंत्र का चुनाव ( ई - लघुकथा संकलन ) - 2019
लघुकथा - 2019 ( ई - लघुकथा संकलन ) - 2019
कोरोना वायरस का लॉकडाउन ( ई - लघुकथा संकलन ) - 2020
झारखंड के प्रमुख लघुकथाकार ( ई - लघुकथा संकलन ) - 2021
             सहित कई साझा संकलनों में शामिल

सम्पादन : -

स्वतिपथ लघु पत्रिका और लघुकथा संकलन हम हैं यहाँ हैं का मेरे द्वारा संपादन। मेरे अतिथि सम्पादन में परिंदे पत्रिका, दिल्ली का लघुकथा विशेषांक प्रकाशित।

सम्मान: -

- कोरोना योद्धा रत्न सम्मान
- 2020 - रत्न सम्मान ( एक सौ एक साहित्यकार )
      सहित विभिन्न साहित्यिक संस्थानों द्वारा 7 बार सम्मानित।

पता: शिवधाम, पोद्दार हार्डवेयर स्टोर के पीछे , कतरास रोड, मटकुरिया , धनबाद-826001 (झारखंड)

प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है
?
उत्तर - कथ्य। किसी भी विधा की सार्थकता उसका कथ्य है। रचनाकार लिखता ही इसलिए है कि वह कुछ कहना चाहता है। अगर कहन ही प्रभावित नहीं करता तो फिर रचना चाहे जिस विधा में लिखी जाए, व्यर्थ है।

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - मैं उन सभी लघुकथाकारों की भूमिका महत्वपूर्ण मानता हूँ जिन्होंने चाहे जिस रूप में हो, लघुकथा विधा को समृद्ध किया है। किसी खास नामों का चुनाव मेरे लिए असंभव है।

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - मैं समीक्षक नहीं हूँ। मापदंड से भी मैं अनभिज्ञ हूँ। लेकिन एक लघुकथा लेखक के नाते इतना कह सकता हूँ कि लघुकथा का आरंभ और अंत महत्वपूर्ण होता है। विषय चयन में नवीनता हो, कथ्य ऐसा हो जिससे पाठक उद्वेलित हो जाये। मैं भाषा, शिल्प की चर्चा यहां नहीं कर रहा क्योंकि यह साहित्य के किसी भी विधा के स्तरीयता के मापदंड हैं।

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - मेरी नजर में तो सब साधारण ही हैं।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - कभी अच्छी थी लेकिन आजकल लचर लघुकथाओं  की अधिकता के कारण स्तिथि से मैं संतुष्ट नहीं हूँ।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - नहीं।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मेरे पिता किसान थे। मेरा बचपन व किशोरावस्था ग्रामीण परिवेश में बिता। मेरे पिता एवं चाचा कम पढ़े-लिखे थे लेकिन पढ़ने के शौकीन थे। तरह तरह की किताबें घरपर रहती थीं। पहले उन किताबों को मैं पढ़ता था फिर लिखने में रुचि लेने लगा।

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - परिवार के सभी सदस्यों का सहयोग रहा। आज भी है। मेरी पत्नी , मेरे पुत्र सभी साहित्य में रुचि रखने वाले हैं। मेरे लेखन में परिवार के सदस्यों का संबल है।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - मैं सेवा निवृत्त हूँ। पहले भी मेरे आजीविका और लेखन में कोई सम्बन्ध नहीं था। दोनों अलग-अलग चीजें थीं।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - आजकल जैसी लघुकथाएँ लिखी जा रहीं हैं। जिन्हें देखते हुए मैं विशेष आशान्वित नहीं हूँ। लघुकथा में जैसा तेवर होना चाहिए, वह नहीं है। दरअसल लघुकथा को कहानी से भिन्न इसके तेवर, तीक्ष्णता, विसंगतियों के प्रति मुखर आक्रोश ही बनाते हैं लेकिन आजकल की लघुकथाओं में ऐसा नहीं है। वर्षों कोशिश के बावजूद आज भी लघुकथा और कहानी में फर्क करना मुश्किल हो रहा है।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - सवाल अस्पष्ट है। मान-सम्मान से अधिक साहित्य में क्या मिलता है? मुझे भी मिला।



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