विरेंदर ' वीर ' मेहता से साक्षात्कार

जन्म : 10 दिसंबर 1967 , शाहदरा - दिल्ली
शिक्षा : स्नातक
सम्प्रति : एक निजी कंपनी में कनिष्ठ प्रबंधक

लेखन विधा : लघुकथा, कहानी, आलेख, समीक्षा

प्रकाशित संग्रह :-

एक लघु संग्रह 'दिन अभी ढला नहीं' (2021,जन लघुकथा साहित्य समूह, नवीन शाहदरा दिल्ली द्वारा)

भागीदारी के स्तर पर कुछ प्रमुख संकलन :-
'बूँद बूँद सागर’ 2016,
‘अपने अपने क्षितिज’ 2017,
‘लघुकथा अनवरत सत्र 2’ 2017,
‘सपने बुनते हुये’ 2017,
‘भाषा सहोदरी लघुकथा’ 2017,
'स्त्री–पुरुषों की संबंधों की लघुकथाएं’ 2018,
‘नई सदी की धमक’ 2018,
'लघुकथा मंजूषा’ 2019,
‘समकालीन लघुकथा का सौंदर्यशस्त्र’ 2019

लघुकथा -2019 ( ई- लघुकथा संकलन )

जीवन की प्रथम लघुकथा ( ई- लघुकथा संकलन ) - 2019

साहित्य क्षेत्र में पुरस्कार / सम्मान :-
पहचान समूह  द्वारा आयोजित ‘अखिल भारतीय शकुन्तला कपूर स्मृति लघुकथा’ प्रतियोगिता (२०१६) में प्रथम स्थान।
हरियाणा प्रादेशिक लघुकथ मंच द्वारा आयोजित लघुकथा प्रतियोगिता (२०१७) में ‘लघुकथा स्वर्ण सम्मान’।
मातृभारती डॉट कॉम  द्वारा आयोजित कहानी प्रतियोगिता (२०१८) ‘जेम्स ऑफ इंडिया’ में प्रथम विजेता। 
प्रणेता साहित्य संस्थान एवं के बी एस प्रकाशन द्वारा आयोजित “श्रीमति एवं श्री खुशहाल सिंह पयाल स्मृति सम्मान” 2018 (कहानी प्रतियोगिता) और 2019 (लघुकथा प्रतियोगिता) में प्रथम विजेता।

जैमिनी अकादमी द्वारा 24 वी अखिल भारतीय लघुकथा प्रतियोगिता - 2018 में सात्वना पुरस्कार

पता :
एफ - 62 , फ्लैट नं - 8 , गली नं - 7, मंगल बाजार के पास , लक्ष्मी नगर , दिल्ली - 110092

 प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर - निःसन्देह लघुकथा में कथ्य ही सबसे महत्वपूर्ण तत्व है, क्योंकि एक सशक्त कथ्य का केंद्रीय भाव ही लघुकथा को सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभाता है, बाकी सभी 'चीजें' को तो श्रृंगार के तौर पर देखा जा सकता है जो किसी भी लघुकथा की साज-सज्जा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - श्री सुकेश साहनी, उमेश महादोषी , बीजेन्द्र जैमिनी और भगीरथ परिहार के साथ कांता रॉय ! ये वो नाम है जिनकी समकालीन लघुकथा में भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। 

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 
उत्तर - प्रभावी कथ्य, भाषा का चुनाव, लेखन शैली और रचना की कसावट पर एक समीक्षक द्वारा अवश्य गौर किया जाना चाहिए। 

प्रश्न न.4 -  लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - वैसे तो सोशल मीडिया में फेसबुक समूह भी एक बड़ा प्लेटफ़ॉर्म बन चुका है, लेकिन मैं इनकी अपेक्षा 'ओपन बुक्स ऑनलाइन' जैसे मंच और 'लघुकथा वार्ता' जैसे ब्लॉगस को लघुकथा साहित्य के भविष्य के लिए अधिक महत्वपूर्ण मानता हूं।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - मुझे लगता है आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा एक ऐसे पायदान पर खड़ी है, जहां पर इसकी चर्चा ने भविष्य के प्रति बहुत अधिक आशाएं जगा दी हैं, और हमारी आज की पीढ़ी उन आशाओं को पूरा करने के लिए तत्परता से प्रयासरत है। रास्ता अभी लंबा है।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - शायद नहीं ! मैंने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि भले ही बीते दशक में लघुकथा ने बहुत लोकप्रियता 
अर्जित की है, लेकिन शायद हम विधा में गुणवत्ता के स्तर पर उतना सर्वश्रेष्ठ योगदान नहीं कर पाए हैं; जितना हमारे वरिष्ठजनों ने दिया है।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मैं सामान्य वर्ग और मध्यम शैक्षिक पृष्ठभूमि से हूँ और हमेशा इस बात का प्रयास करता हूँ कि पठन-पाठन के स्तर पर सीखने-सिखाने की प्रक्रिया का हिस्सा बन सकूं। 

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 
उत्तर - यदि प्रत्यक्ष में देखा जाए, तो मेरे लेखन में मेरे परिवार की भूमिका न के बराबर है। लेकिन अप्रत्यक्ष में उनके द्वारा दिया गया समय और सहयोग काफी मायने रखता है। 

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - बतौर आजीविका लेखन को पर्याय मानने वालों की संख्या हमेशा नगण्य ही रही है। मेरी आजीविका और लेखन दोनों की स्थिति इस संदर्भ में पूरी तरह विपरीत धुरी पर हैं।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 
उत्तर - लघुकथा का भविष्य उज्ज्वल है और आने वाले वर्षों में कहानी का पर्याय यही विधा बनेगी, ऐसा मुझे लगता है। भले ही सोशल मीडिया पर इसका दायरा निकट भविष्य में सीमित होता दिखाई दे रहा है।

प्रश्न न.11 -  लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - लघुकथा में एक पुख़्ता पहचान और विधा के समृद्ध अतीत काल की जानकारी सहित विधा की बारीकियां सीखने को मिली। और ये मेरे लिए बहुत मायने रखता है।

Comments

Popular posts from this blog

वृद्धाश्रमों की आवश्यकता क्यों हो रही हैं ?

हिन्दी के प्रमुख लघुकथाकार ( ई - लघुकथा संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी

लघुकथा - 2023 ( ई - लघुकथा संकलन )