मधुलिका सिन्हा से साक्षात्कार

जन्म तिथि : ०६ अक्टूबर १९५८
जन्म स्थान : राँची- झारखंड
पिता : श्री ललिता प्रसाद
माता :श्रीमती लक्ष्मिनी देवी
पति : श्री विनय कुमार सिन्हा
शिक्षा : राँची विश्वविद्यालय से मानव विज्ञान में स्नातकोत्तर
राँची विश्वविद्यालय से एल. एल. बी.

पुस्तक : -

काव्यांजलि और नमामि गंगे नामक
दो पुस्तकों में लेखन सहभागिता
एक लघुकथा संग्रह प्रकाशन की प्रक्रिया में।
आदरणीय श्री बीजेन्द्र जैमिनी जी की ई-लघुकथा संकलन हिंदी के प्रमुख लघुकथाकार में प्रकाशित।
कई साहित्यिक मंच  पर  रचनाएँ प्रकाशित।

सम्मान : -

- यशपाल साहित्य सम्मान
- समग्र साहित्य लेखन मंच पर दो पद्य रचना में द्वितीय और तृतीय पुरस्कार और सम्मानपत्र।
- प्रतिलिपि के मंच पर गद्य और पद्य दोनों विधाओं में दसियों पुरस्कार और ई-सर्टिफिकेट

विशेष : -
- १९७७ से १९८९ तक-स्थानीय और राष्ट्रीय पत्र -पत्रिकाओं में लेख , परिचर्चा , कहानी और कविताएँ नियमित प्रकाशित।
- आकाशवाणी राँची से आलेख और कहानियाँ प्रसारित।
१९८२ से१९८५ तक आकाशवाणी राँची में कैजुअल अनाउंसर। इसके बाद कुछ व्यक्तीगत कारणों से साहित्य से दूर रही।
२०१९ से लेखन की पुनः शुरुआत

पता :  फ्लैट संख्या-एफ -३, कल्लोल ,सामबेय आबासन,
ए एल/१/एफ/१,ए एल-३७,
मार्ग संख्या-१६ , एक्शन एरिया १ए, न्यू टाउन,
कोलकाता-७००१५६ प. बंगाल

प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन
सा है ?
उत्तर : लघुकथा में कथ्य ही सबसे महत्वपूर्ण होता है। फिर कथा की कसावट और अंतिम निर्णायक पंक्ति जी लघुकथा में छिपे सन्देश को अपनी तीक्ष्ण शब्दों से व्यक्त करती है।

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - यूँ तो अनेकों प्रबुद्ध साहित्यकार इस क्षेत्र में कार्यरत हैं लेकिन जिन्होंने मुझे इस ओर प्रेरित और प्रभावित किया वो हैं ! आदरणीया श्रीमती कांता रॉय जी ,आदरणीय श्री बीजेन्द्र जैमिनी जी ,आदरणीय श्री सुकेश साहनी जी , आदरणीया डॉ. नीना छिब्बर जी और आदरणीय श्री अशोक भाटिया जी

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - वैसे समीक्षा की बात करना अभी मेरे लिए उचित न हो फिर भी अपनी बात रखना चाहूँगी।  लघुकथा में कथानक के साथ लेखन में तीखी धार हो। शीर्षक पूरी लघुकथा का सार बतलाए और लघुकथा में छिपे सन्देश पर विचार कर की गई समीक्षा ही उचित होगी।

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - फेसबुक, वाट्सएप, यू ट्यूब, और साहित्यिक मंच जैसे भारतीय लघुकथा विकास मंच, लघुकथा के परिंदे, प्रतिलिपि और कई साहित्यिक मंच की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आज के साहित्यिक परिवेश में, साहित्य के अन्य विधाओं के बीच लघुकथा अपना स्थान बनाने में सफल हुआ है।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - पूर्ण संतुष्टि तो नहीं कह सकती पर इतना अवश्य है कि जिस प्रकार साहित्य में लघुकथा अपनी पहचान बना प्रगति के पथ पर अग्रसर है और अनेकों प्रबुद्ध साहित्यकार इस दिशा में जो संघर्ष और मेहनत कर रहे हैं वह अतुलनीय है। लघुकथा गागर में सागर की अनुभूति करवाती है। आज समयाभाव के कारण लंबी कहनियाँ पढ़ना लोगों के लिए सम्भव नहीं हो पाता। ऐसे में लघुकथा अपने चीते से कलेवर में बड़ी बात कह स पाठकों को आनन्द देती है। आने वाले समय में यह हर विधा को पीछे छोड़ने की ताकत रखता है।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मैं एक मध्यवर्गीय, उच्च शिक्षित परिवार से हूँ।
जहाँ तक मार्गदर्शक बनने का सवाल है तो परिवार में हमेशा, हर विषय पर और जहाँ ज़रूरत हो एक सशक्त विचार रखती रही हूँ।

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - मेरे पिता अपने जीवनकाल में लेखक के रूप में साहित्य से जुड़े रहे। तो लेखन विरासत के रूप में मिली। घर में हमेशा पठन-पाठन का माहौल मिला। घर में ही पिताजी की संग्रहित हज़ारों किताबें पढ़ने को मिली और स्वतः ही स्कूली दिनों से ही लिखने की छिटपुट शुरुआत हो गई थी। अभी भी सभी का सहयोग मिलता है। यहाँ तक कि मैंने अपने बेटे अभिनव अंकित और बेटी अर्पिता अंकित की ज़िद की वजह से ही दोबारा लिखने की शुरुआत कर सकी।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - मैं अभी ऐसे मुकाम पर नहीं हूँ जहाँ लेखन को आजीविका के रूप में देख सकूँ।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - निसन्देह उज्ज्वल। लघुकथा गागर में सागर की अनुभूति करवाती है। आज समयाभाव के कारण लंबी कहनियाँ पढ़ना लोगों के लिए सम्भव नहीं हो पाता। ऐसे में लघुकथा अपने छोटे से कलेवर में बड़ी बात कह  पाठकों को आनन्द देती है। साथ ही साहित्य प्रेमियों को ज्ञानवृद्धि करवाती है। आने वाले समय में लघुकथा हर विधा को पीछे छोड़ने की ताकत रखता है।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - साहित्य एक आत्मिक सन्तोष देता है मुझे। बहुत से साहित्यकारों को पढ़ने का मौका मिला। बहुत सालों के साहित्यिक बनवास के बाद जब मैंने लेखन आरम्भ किया तो ऐसा लग जैसे स्वयं को ढूंढने की कोशिश में पहला कदम रखा है।


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