प्रो डॉ दिवाकर दिनेश गौड़ से साक्षात्कार

जन्म दिन - ५ मई १९६७
जन्म स्थान- बांदीकुई जंक्शन - राजस्थान
शैक्षणिक योग्यता-  Bsc ; M.A English and Hindi) ; MPhil (E.L.T); PhD ( English); Diploma in French; P.G.C.T.E.; L.L.B ; Vidya Vachaspati (double): Vidya Sagar

सम्प्रति - शेठ पी टी कला एवम् विज्ञान स्नातकोत्तर महाविद्यालय  गोधरा (गुजरात)में स्नातको्तर अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष एवं एसोसिएट प्रोफेसर

प्रकाशित पुस्तकें : -

1 कुछ क्षण अपने - प्रथम काव्य संग्रह 1995

2 A Comprehensive English Grammar - 2002

3 जीवन तो बहता जाता है - खंड काव्य  2004 

4 दर्द जब हद से - प्रथम ग़ज़ल संग्रह  2008

5 गीत सुनो तुम मीत - प्रथम गीत संग्रह  2015

6 गज़ल गुच्छ - द्वितीय गज़ल संग्रह  2016

7 गीत तर्पण - द्वितीय गीत संग्रह 2017

8 चुटकी भर हास्य - प्रथम हास्य व्यंग संग्रह 2017

9 कविता सागर - द्वितीय काव्य संग्रह 2018

10 A Comprehensive English Grammar for Success  2018

11 मन उपवन में सांझ गुलाबी - तृतीय गज़ल संग्रह 2019

12 कुछ क्षण अपने - काव्य संग्रह द्वितीय आवृति 2019

13 हास्य फुहार - द्वितीय हास्य व्यंग संग्रह 2020

14 जीवन तो बहता जाता है - खंड काव्य द्वितीय आवृति 2020

15 पंच - पुष्प - तृतीय काव्य संग्रह 2021

सम्मान- पुरस्कार प्राप्त -
1.  मेरे हास्य व्यंग संग्रह चुटकी भर हास्य को गुजरात साहित्य अकादमी, गांधीनगर गुजरात का 5000 रुपए का पुरस्कार प्राप्त हुआ । इसी संग्रह को बिसौली, बदायूं उत्तर प्रदेश से 1100 रुपए का पुरस्कार प्राप्त हुआ।
2. जैमिनी अकादमी द्वारा हिन्दी दिवस पर गोधरा - रत्न सम्मान - 2020
3. जैमिनी अकादमी द्वारा 2020 के एक सौ एक साहित्यकार में 2020 - रत्न सम्मान
4. जैमिनी अकादमी द्वारा विश्व कविता दिवस सम्मान 2021
5. भारतीय लघुकथा विकास मंच  द्वारा वरिष्ठ लघुकथाकार सरेश शर्मा स्मृति लघुकथा सम्मान -2021
    आदि  साहित्य, समाज सेवा एवम् शिक्षा के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय एवम् राज्य स्तार  के लगभग साढ़े तीन सौ (350) सम्मान एवम् पुरस्कार प्राप्त हुए हैं ।

विशेष -
1.आकाशवाणी , टेलीविजन  कलाकार एवम् यू ट्यूब पर अनेक प्रवचन उपलब्ध।
2. लगभग 650 से भी अधिक अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय काव्य संकलनों , पत्रिकाओं वगैरह में रचनाएं प्रकाशित ।

पता - जी- ५, जगदम्बे निवास, आनंद नगर सोसायटी, साइंस कॉलेज के पीछे, गोधरा (गुजरात)३८९००१

प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?  

उत्तर - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व है इसकी तीव्रता और गागर में सागर समा लेने की इसकी योग्यता ।


प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उत्तर - मेरे विचार से ये पांच नाम हैं

  श्री विनय कुमार मिश्रा, पदम गोधा , विनिता राहुरिकर , रामेश्वरम काम्बोज  , सुकेश साहनी 

  


प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 

उत्तर -  लघुकथा की समीक्षा का आधार उसकी संप्रेक्षण कला और विचारों की तीव्रता में होता है । कम से कम शब्दों में लघुकथाकार ऐसा कुछ कह जाए कि दिमाग में बत्ती सुलग जाए यही लघुकथा और लघुकथाकार की सफलता है।


प्रश्न न.4 -  लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उत्तर - वॉट्सएप, फेसबुक, ट्विटर वगैरह । और भी हो सकते है जो मुझे ज्ञात नहीं हैं।


प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?

उत्तर - लघुकथा की बहुत अच्छी स्थिति है क्योंकि अब समय का अभाव है और सोशल मीडिया का दौर है। जीवन की विषमताएं बढ़ती ही जा रहीं हैं और इन विषमताओं को कम से कम शब्दों में बयां करती लघुकथाएं अब लोगों द्वारा खूब पढ़ी जा रहीं और सराही जा रहीं हैं।


प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?

उत्तर - काफी हद तक संतोष है । अभी तो इसका श्रेष्ठ आना बाकी है।


प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?

उत्तर -  मेरे घर में पढ़ने का ठीक-ठाक शौक लगभग सभी को है । हम सभी तीनों भाई और चारों बहिनें साहित्य के विद्यार्थी रहे और सभी पढ़ लिख कर सरकारी/ गैरसरकारी नौकरियां कर रहें हैं । हमारे परिवार और कुटुंब में कभी किसी को साहित्य की रचना करने का कोई शौक कभी भी नहीं रहा । मैने मेरी पढ़ाई घोर आर्थिक संकट के बीच पूरी की । तभी से मेरी यह मन में ख्वाइश थी कि नौकरी लगने के बाद हिंदी साहित्य में ही कुछ सृजन करूंगा।  सन 1990 में मैं महाविद्यालय में अंग्रेजी भाषा और साहित्य का व्याख्याता बनने में सफल रहा और उसके बाद से मैंने अपने आप को हिंदी साहित्य लेखन हेतु समर्पित कर दिया जिससे मुझे काफ़ी संतोष है। मैं एक हिंदी भाषी राज्य राजस्थान में जन्म लेकर एक अहिंदीभाषी राज्य गुजरात के एक बहुत छोटे और अपेक्षाकृत पिछड़े क्षेत्र गोधरा में रह और नौकरी करते हुए अपनी मातृभाषा हिंदी की यथासंभव सेवा कर रहा हूं और मेरी अभी तक सोलह पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। 

 यहीं गुजरात में रह कर मैने अनेक प्रकार के साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित किए हैं । इन कार्यक्रमों से प्रेरणा प्राप्त कर हमारे अनेक विद्यार्थी अब हिंदी में रचनाएं लिख रहें हैं और अनेक पत्रिकाओं में उनकी रचनाएं छप भी रही हैं ।


प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 

उत्तर - मेरे लेखन में मेरे परिवार की भूमिका अत्यधिक सकारात्मक रही है । मेरी धर्मपत्नी प्रो डॉ अनसुया जी यहीं मेरे साथ महाविद्यालय में अर्थशास्त्र विषय की प्रोफेसर हैं और मूल रुप से वे गुजराती भाषी हैं । मगर उन्होंने मेरे लेखन के इस शौक को हमेशा सराहा है और मुझे प्रोत्साहित किया है । मेरी अनेक पुस्तकों के शीर्षक मैंने उनकी और मेरी बेटी,  जो कि एक एम बी बी एस डॉक्टर है , की सलाह पर ही रखे हैं। मेरी बेटी डॉ इशाना और पुत्र पुरंजन , जो कि एक कंप्यूटर इंजीनियर है , हमेशा मुझे लिखने हेतु नए नए आइडिया देने में सहयोग करते हैं। 


प्रश्न न. 9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?

उत्तर - मैं एक अनुदानित स्नातकोत्तर महाविद्यालय में अंग्रेजी भाषा और साहित्य का प्रोफेसर हूं और इस प्रकार एक विदेशी भाषा अंग्रेजी पढ़ाना मेरी आजीविका है जिससे मुझे जीवन यापन हेतु तनख्वाह मिल जाती है । अपनी मातृभाषा हिंदी में लेखन मेरा शौक है जिससे मुझे आत्मसंतोष मिलता है ।


प्रश्न न. 10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 

उत्तर - लघुकथा का भविष्य अत्यधिक उज्ज्वल होगा और समय के साथ इसमें नए नए संशोधन किए जाएंगे।


प्रश्न न. 11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?

उत्तर - ज्यादातर संतोष प्राप्त हुआ है और एक मर्तबा अंबाला की महाराज कृष्णदेव अकादमी से मुझे एक लघुकथा पर एक सौ रुपए का पुरस्कार भी प्राप्त हुआ है। मेरा एक लघुकथा संग्रह तैयार है और निकट भविष्य में इसको छपवाने की इच्छा है।


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