सरला मेहता से साक्षात्कार

जन्म दिनांक:-20 दिसंबर 1945
शिक्षा:- स्नाकोत्तर अंग्रेजी व बी एड
संप्रति:- सेवानिवृत शिक्षिका निजी विद्यालय
लेखन:-हिंदी अंग्रेजी व मालवी भाषाओं में गद्य पद्य की अधिकतर विधाएँ

प्रकाशित पुस्तकें:-

संजोई कहानियाँ
ठूठ से झांकती कोपलें (काव्य संग्रह)

विशेष : -

- वामा मंच, जलधारा समूह, अखण्ड सन्डे, साहित्य  अर्पण आदि साहित्यिक समूहों की सक्रिय सदस्या 
- आभासी पटलों पर भागीदारी करती 

पता : 94, गणेशपुरी खजराना , इंदौर - मध्यप्रदेश

प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व है कथानक या प्लॉट। जैसे भवन निर्माण में बगैर प्लॉट के आगे का ढाँचा तैयार नहीं हो सकता है। कथानक आत्मा है व शिल्प शरीर है। आसपास की घटनाओं, अनुभवों व विभिन्न क्षेत्रों में व्याप्त विसंगतियों की कोख से लघुकथा जन्म लेती है।

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - समकालीन लघुकथा साहित्य के पाँच नाम मेरे मतानुसार हैं अनिल माकरिया जी,  मधु जैन जी, कांता रॉय जी, पवन जैन जी। और आप ( बीजेन्द्र जैमिनी ) तो हैं ही।

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - लघुकथा की समीक्षा के मापदंड निम्नानुसार हैं : -
* लघुकथा यानी गागर में सागर। 
*दूरबीनी दृष्टि से देखी किसी एक घटना या विलक्षण पल को लेकर लघुकथा लिखी जाती है, एक से अधिक नहीं।
उसमें संवेदनाएँ हो जिन्हें रचनाशीलता द्वारा विशेष पुट दिया गया हो।
* विषय प्रासंगिक हो जो समाज का सच उजागर कर सके। पुराने विषय पर भी नए तरीके से लिखा जाए।
*शिल्प व शैली से कथ्य का तानाबाना बुना जाता है। भाषा समृद्ध हो किन्तु   सरल सहज व स्वाभाविक हो, समुचित शब्द संयोजन के साथ।
*सँवादों द्वारा उत्कृष्ट सम्प्रेषण हो। संवाद छोटे सारगर्भित होकर पात्रों के चरित्र चित्रण में भी सहायक हो।
*कथा का उद्देश्य अंत में पता चलना चाहिए।
*शीर्षक लघुकथा का अभिन्न अंग है जिसे देखकर ही कथा पढ़ने की व्यग्रता हो। किन्तु ऐसा नहीं कि कथा आरंभ में ही समझ आ जाए। उत्सुकता बनी रहना चाहिए।
*काल दोष से बचने के लिए फ्लेशबेक का सहारा लेना अति उत्तम हैं। इकहरा कथानक एक ही समय मे घटित हो।
* अंत ततैया के डंक जैसा हो, कुछ अनकहा, ऐसा प्रश्न चिन्ह जो सोचने को मजबूर कर दे। हाँजी, भाले की नोक सा।
*संदेश के बिना लघुकथा अधूरी है।
*अंतर्द्वंद हो पर लेखकीय प्रवेश ना हो।

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - सोशल मीडिया के जमाने में लेखन को एक नई दिशा मिली है। लघुकथा के परिंदे में साठ हज़ार के करीब परिन्दे हैं। साहित्य सम्पदा भी लघुकथा के लिए ही बना है। अन्य समूह जहाँ सभी विधाएँ स्वीकार की जाती हैं,,,
साहित्य संवेद, साहित्य अर्पण, जलधारा, साहित्य आरिणी, कहानियाँ जो दिल को छू जाए, शुभ संकल्प आदि। और आपके ( भारतीय लघुकथा विकास मंच ) समूह की जितनी तारीफ़ करूँ, कम है। आप अपनी निस्वार्थ सेवाओं से सबको उत्साहित कर रहे हैं। सबकी लघुकथाओं को प्लेटफार्म दे रहे हैं। साधुवाद !

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा लेखन चरमोत्कर्ष पर है। आज की आपाधापी में उपन्यास कहानी पढ़ने का समय किसी के पास नहीं है। बहुत लेखन हो रहा है गद्य की इस विधा में।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - कुछ हद तक मैं सन्तुष्ट हूँ। किन्तु कई लघुकथाकार ऐसे भी हैं जो बस लिख रहे हैं, छोटी कहानी के रूप में। 
सारे तत्वों का गहन अध्ययन व प्रसिद्ध लेखकों की लघुकथाएँ पढ़ना जरूरी है।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मैं ठेठ गाँव के परिवेश से हूँ। लेखन में मुझे अपने पिता से प्रेरणा मिली। एम ए अंग्रेजी में किन्तु लिखती हूँ हिंदी व मालवी में भी। हाँ ! लघुकथा लिखना मैंने दो साल पहले प्रारम्भ किया। अभी भी सीख ही रही हूँ।

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - चूँकि मैं आज़ादी से एक साल बड़ी व शिक्षिका पद से सेवानिवृत हूँ, और कुछ काम नहीं है। बहू बेटे घर सम्भालते हैं। बस समय का सदुपयोग लेखन में करती हूँ।

प्रश्न न. 9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - जी स्वान्तःसुखाय

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - लघुकथा का भविष्य अति उज्जवल है। कई शोध हो रहे हैं इस दिशा में।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - लघुकथा साहित्य से मुझे आत्मसंतोष मिला है।

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