दर्शना जैन से साक्षात्कार

जन्म तिथि : 2 जून 1977
माता का नाम : श्रीमती सरोज जैन
पिता का नाम - श्री प्रवीण जैन

शिक्षण- बी. काम, कम्प्यूटर डिप्लोमा 

विधा- मुख्य लघुकथा, कविता, लेख आदि

विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं जैसे मधुरिमा, नायिका, परिवार, अक्षरा, विभोम स्वर,में लेख कथाएँ आदि का प्रकाशन, 
साहित्य संवाद खंडवा की नियमित सदस्य जिसमें प्रति सप्ताह एक कहानी भेजने के साथ समय-समय पर लघुकथाओं का वाचन व पुस्तकों की समीक्षा। अब तक करीब दो सौ लघुकथाएं लिख चुकी है व सब लोगों के आग्रह से पुस्तक प्रकाशन के प्रयास जारी हैं। 

विभिन्न संस्थाओं द्वारा सम्मान - 
इनरव्हील क्लब खंडवा, इनरव्हील मंडल मप्र, भारतीय लघुकथा विकास मंच  पानीपत - हरियाणा , जे.सी.आई. क्लब, लघुकथा शोध केंद्र भोपाल, जैमिनी अकादमी पानीपत , जैन सोशल ग्रुप खंडवा, जैन संघटना आदि द्वारा समय-समय पर सम्मानित होती रही है। आकाशवाणी खंडवा पर भी वार्ता व लघुकथाओं का वाचन कर चुकीं है व शहर की एकमात्र दिव्यांग लघुकथाकार है। 

जीवन - 
चौदह वर्ष की उम्र में एक अॉपरेशन के बाद व्हीलचेयर पर आ गयी लेकिन उसने इसे अपनी नियति मानकर समतापूर्वक स्वीकार कर लिया। उसके हौसले बुलंद है, वह इसे अपने मम्मी पापा विशेषत: अपनी मम्मी से मिली प्रेरणा मानती है। घर पर कई सालों से बच्चों को पढ़ा रही है।

पता : -
खण्डवा - मध्यप्रदेश
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 
उत्तर -  कथावस्तु, शैली और प्रभाविकता

प्रश्न न. 2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - आ. कांता रॉय जी , आ. कृष्णा शर्मा जी, आ. बीजेन्द्र जैमिनी जी, आ. सतीश राठी जी, आ. विजय जोशी जी

प्रश्न न. 3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 
उत्तर - लघुकथा की समीक्षा ये मापदंड सामने रखते हुए की जानी चाहिये -  लघुकथा का स्तर क्या है, वह क्या संदेश छोड़ती है, भाषा व शब्द संयत हैं या नहीं, अनावश्यक विस्तार तो नहीं है और पंच लाइन का भी ध्यान रखा गया हो।

प्रश्न न. 4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - व्हाट्सएप, फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब जैसे प्लेटफार्म है और फेसबुक पर 'लघुकथा के परिंदे' जैसे समूह भी लघुकथा को सही दिशा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - एक समय था जब उपन्यास, कहानियाँ, नाटक, एकांकी आदि पढ़े जाते थे। ये विधाएँ महत्वपूर्ण थीं व रहेंगी लेकिन इन सबके बीच लघुकथा का सशक्ता से उभरना आज के साहित्यिक परिवेश को मजबूती प्रदान करता है।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - वर्तमान में लघुकथा लेखकों की बाढ़ सी आ गयी है। इनमें से कई अच्छा लिख रहे हैं, कुछ जरूर लघुकथा के मापदंडों पर खरे न उतर रहे हो लेकिन उन्हें सही मार्गदर्शन मिलें तो सुधार की पूरी गुंजाइश है।

प्रश्न न. 7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर -  मैं मध्यप्रदेश के खंडवा शहर से हूँ। मुझे कहानी, लघुकथा पढ़ने का शौक है।  जब मैंने लघुकथा लिखने का प्रयास प्रारंभ किया तो आ. गोविंद गुंजन जी ने मुझे बहुत प्रोत्साहित किया और लघुकथा शोध केन्द्र भोपाल, साहित्य संवाद समूह खंडवा से जोड़ा। व्हील चेयर पर होने से गोष्ठी, संगोष्ठियों में जाना कम हो पाता है परंतु फिर भी साहित्य संवाद समूह के सभी सदस्यों विशेषत: गुंजन जी, गोविन्द शर्मा जी और राजश्री शर्मा जी का सटीक मार्गदर्शन बराबर मिलता रहता है।

प्रश्न न. 8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 
उत्तर - मेरे लघुकथा लेखन में मेरे परिवार की बड़ी भूमिका है। मेरी मम्मी (श्रीमती सरोज जैन) बहुत अच्छा लिखती हैं, उनके आलेख पत्रिकाओं में छपते  रहते हैं। लेखन के क्षेत्र में यदि मैं उन्हें अपना गुरू कहूँ तो यह कदापि गलत नहीं होगा। वे मेरी लघुकथा को ध्यान से पढ़ती हैं, उसे तराशती हैं और लघुकथा के एकदम सही नहीं हो जाने तक वे संतुष्ट नहीं होती।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - मेरे लेखन का आजीविका से कोई लेनादेना नहीं है, मैं तो बस अपनी संतुष्टि व खुशी के लिये लिखती हूँ।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 
उत्तर - आज समयाभाव की वजह से लोगों की बड़े उपन्यास, लंबी कहानियाँ पढ़ने में दिलचस्पी नहीं रह गयी है। आजकल लघुकथाओं के प्रति लोगों का रूझान अधिक है। पहले वाचनालय से कहानी संग्रह लाकर पढ़ते थे, लघुकथा का नाम ज्यादा सुनने में नहीं आता था परंतु अब तो कई लघुकथा संग्रह प्रकाशित होने लगे हैं, लोग इन्हें पढ़ने में रूचि भी ले रहे हैं।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - लघुकथा साहित्य से मुझे हुई प्राप्ति को शब्दों में बयां करना मुश्किल है। जब से मैंने लघुकथा लिखना शुरू किया । मेरे विचारों को नयी और सही दिशा मिली।  मेरा मन जो मनोग्रंथियों में बहुत उलझा रहता था । वह शनैः शनैः उन ग्रंथियों से मुक्त होकर शांति का अनुभव करने लगा।

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