नरेन्द्र श्रीवास्तव से साक्षात्कार

जन्म : 01जुलाई 1955 , सीरेगाँव ( नरसिंहपुर ) मध्यप्रदेश
शिक्षा : विज्ञान स्नातक
सम्प्रति : विघुत विभाग से सेवानिवृत्त

प्रकाशित पुस्तकें : -

इतने लोगों में ( लघुकथा संग्रह ) - 2006
ऐसा भी ... ( लघुकथा संग्रह ) - 2015
    इनके अतिरिक्त विभिन्न विधाओं की 17 पुस्तकें

सम्मान एवं पुरस्कार :-

1. म.प्र.साहित्य अकादमी, भोपाल द्वारा बाल कविता संग्रह के लिए " ज़हूर बख़्श पुरस्कार - 2015 "
2. म.प्र.तुलसी साहित्य अकादमी, भोपाल द्वारा " तुलसी साहित्य सम्मान - 2017 "
3.जैमिनी अकादमी पानीपत (हरियाणा) द्वारा " म.प्र.रत्न - 2015 "
4.मंजिल ग्रुप साहित्यिक मंच,दिल्ली द्वारा " लाल बहादुर शास्त्री रत्न सम्मान "
5. हिन्दुस्तानी भाषा अकादमी, नई दिल्ली द्वारा " हिन्दुस्तानी भाषा काव्य प्रतिभा सम्मान "
6. श्री गोविंद हिन्दी साहित्य समिति, मुरादाबाद, उ.प्र. द्वारा " हिन्दी भाषा रत्न सम्मान "
7. सलिला संस्थान सलूम्बर, राजस्थान द्वारा " स्वतंत्रता सैनानी श्री औंकार लाल शास्त्री स्मृति पुरस्कार "
8.शब्द प्रवाह मंच, उज्जैन द्वारा व्यंग्य कृति 'लाइन में आइए ' को प्रथम पुरस्कार
9. हिन्दी सेवा समिति, जबलपुर द्वारा "साहित्य शिरोमणि सम्मान"
10. अखिल भारतीय हाइकु मंच,छत्तीसगढ़ द्वारा " हाइक मंजुषा रत्न सम्मान-2017 "
11. म.प्र.लघुकथाकार परिषद जबलपुर द्वारा " स्व.बाबूलाल उपाध्याय स्मृति कथा सम्मान "
          आदि अनेक सम्मान एवं पुरस्कार।

पता : पलोटनगंज , गाडरवारा , जिला : नरसिंहपुर - 487551 - मध्यप्रदेश

प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर - मेरे अनुसार कथानक महत्वपूर्ण तत्व है, जिस पर पूरी लघुकथा तैयार होती है।

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - समकालीन लघुकथा साहित्य में जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है, इस7 संबंध में यूँ तो अनेक नाम हैं जो समर्पित भावना से तन,मन,धन से सतत सेवा-साधना में जुटे हुए हैं, उनमें से जिन्हें मैं व्यक्ति गत रूप से जानता हूं वो हैं : -
1. पानीपत - हरियाणा के आदरणीय बीजेन्द्र जैमिनी जी,
2.बरेली - उत्तर प्रदेश के आदरणीय सुकेश साहनी जी, 3.प्रयागराज (इलाहाबाद) के आदरणीय डॉ.गोकुलेश्वर कुमार द्विवेदी जी,
4.जबलपुर - मध्यप्रदेश के आदरणीय कुँवर प्रेमिल जी, 5.अजमेर - राजस्थान के  डॉ.अखिलेश पालरिया जी,  इन सभी का  लघुकथा को लेकर विशेष अंक का सतत संपादन, समय-समय पर प्रतियोगिताओं का आयोजन और लघुकथाकारों का सम्मान आदि महत्वपूर्ण कार्य के रूप में  अनवरत योगदान दिया जा रहा है। जो प्रशंसनीय है, वंदनीय है।

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - समीक्षा के लिए उचित शीर्षक का चुनाव, प्रेरक कथ्य, सरस भाषा शैली, पात्रों के अनुरूप भाषा- संवाद, लघुकथा की शब्द सीमा आदि बिंदुओं पर निष्पक्षता से अपनी राय रखी जाना उचित और महत्त्वपूर्ण होगा।

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर -  व्हाट्सएप ऐसे सरल और सशक्त सामाजिक माध्यम हैं जो पाठकों के लिए सहज एवं त्वरित उपलब्ध होते हैं।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर-  मेरे अनुसार हास्य-व्यंग्य के बाद पाठकों द्वारा पसंद की जाने  वाली द्वितीय प्राथमिकता होती हैं , लघुकथाएं।
अतः रचनाकारों के लिए लघुकथा लेखन, अपनी अनुभूतियों को अभिव्यक्त करने का सहज और सरल माध्यम बनता जा रहा है। सुखद पहलू यह भी है कि पाठकों द्वारा लघुकथाओं को पसंद भी किया जा रहा है। इस आधार पर यह कहना उचित होगा कि  लघुकथाएं, साहित्यिक परिवेश में सामाजिक उत्थान के लिए महत्वपूर्ण सशक्त माध्यम तो हैं ही, बल्कि सक्षम भी हैं।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - संतुष्ट तो हैं फिर भी लघुकथा लेखन में अभी अनेक महत्वपूर्ण बिंदुओं पर संयम बरतने की अत्यंत आवश्यकता है। कभी- कभी ऐसा देखने में आता है कि  लघुकथा अपने उद्देश्य से भटक गई है। शीर्षक का चुनाव ठीक नहीं किया गया है।  भाषा शैली एवं संवाद पात्रों के अनुरूप नहीं है।
इस कारण से कभी-कभी लघुकथाकार की अच्छी बन सकने वाली लघुकथा भी इन महत्त्वपूर्ण बिंदुओं पर गंभीरता से  अमल न करने के कारण, शीघ्र प्रस्तुति के लिए  उतावलेपन की वजह से लघुकथा के स्वरूप और उद्देश्य को अस्पष्ट, अपूर्ण व असफल बना देती है। अतः लघुकथा को लिखने के बाद उस पर स्वयं के द्वारा चिंतन और मंथन अवश्य किया जाना चाहिए। इसके बाद फिर अपने साहित्यिक मित्रों से विमर्श कर लेना चाहिए और फिर उनके सुझावों पर विचारकर, उचित और वांछित सुधार कर लेने से अच्छी लघुकथा तैयार की जा सकती है।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मैं मध्यम परिवार से हूं और मेरे परिवार में मुझे लेखन विरासत में नहीं मिला है। आज जो भी है , वह ईश्वर की अनुकंपा और माता-पिता का आशीर्वाद है। मैं अपनेआप को किसी को मार्गदर्शन देने के योग्य नहीं मानता हूं। कभी कभार कोई जब मुझसे मार्गदर्शन चाहता है तो मैं उन्हें यही सुझाव देता हूं कि लेखन में उतावलेपन से बचें। रचना लिखने के बाद मंथन करें। अपनों से सुझाव लेकर,  वांछित संशोधित कर रचना को रुचिकर और सार्थक बनावें।

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - मैं भाग्यशाली हूं कि मेरे लेखन में परिवार की ओर से मुझे सदैव प्रोत्साहन ही मिला है और कभी किसी भी रूप में नकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली। इसकी एक वजह यह भी रही है कि मैंने भी अपने पारिवारिक दायित्वों को प्राथमिकता और शुचिता से निभाया है।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - मेरे लेखन से मेरी आजीविका को कोई मदद कभी नहीं मिली और न ही मैंने अपेक्षा की और न ही प्रयास। हाँ, अपने लेखन को जरूर अपनी आजीविका से सशक्त बनाया है। पुस्तकों का प्रकाशन और प्रसारण का व्यय आजीविका के कोष से ही पूरा किया है। मेरी पुस्तकों का वितरण  मैंने सदैव ही निशुल्क किया है।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - मैं लघुकथा को लेकर पूर्णतः आशान्वित हूं और मैं ऐसा मानता हूं कि लघुकथा का भविष्य बहुत ही उज्जवल है और शनैः शैनः पाठकों के लिए रुचिकर बनता जा रहा है। यह कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगा कि लघुकथा लेखन , समाज में जागरूकता लाने के लिए प्रमुख माध्यमों में से एक सरल और सरस  महत्वपूर्ण माध्यम है। भविष्य में समाज और शिक्षा जगत में इसकी उपयोगिता और महत्ता दिनोंदिन बढ़ेगी, निखरेगी।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - मुझे खुशी है कि मेरी लघुकथाओं को पसंद किया जाता है। जैमिनी अकादमी,पानीपत ,हरियाणा द्वारा मेरे लघुकथा संग्रह ' ऐसा भी...' को मध्यप्रदेश रत्न-2015 और म.प्र.लघुकथाकार परिषद जबलपुर द्वारा 'स्व.बाबूलाल उपाध्याय स्मृति कथा सम्मान ' प्राप्त हुआ है। इससे मेरा उत्साहवर्धन हुआ है। जिससे मुझे सामाजिक विशेषताओं, कमियों, खामियों को समझने का सामर्थ्य प्राप्त हुआ है और मैं अपने लेखन को सशक्त बनाने की ओर निरतंर अग्रसर  होता जा रहा हूं।


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