डॉ. पूनम देवा से साक्षात्कार

जन्म तिथि- 28 दिसम्बर 
जन्म स्थान : गया - बिहार
शिक्षा : एम ए (हिन्दी ) पी एच डी
पति -श्री एच एन  देवा
भारतीय पुलिस सेवा (सेवानिवृत्त )

अभिरूचि: -
कहानी लेखन, लघुकथा,कविता,आलेख, संस्मरण इत्यादि। 
समान्य अभिरूचि--गाना सुनना,पाक कला,देश-विदेश भ्रमण, बागवानी,किताबे पढना, ड्राइविंग। साहित्यिक एवं सामाजिक गोष्ठी में सक्रियता।

प्रकाशित रचनाएं :-
साझा संग्रह, संरचना, सिटी फ्रटं, एवं विभिन्न पत्र पत्रिकाओं  में।

सम्मान : -
जैमिनी अकादमी द्वारा नेता सुभाष चंद्र बोस स्मृति सम्मान 2020 , गोस्वामी तुलसीदास सम्मान 2020, 
एक सौ एक साहित्यकार : 2020 रत्न सम्मान , 
 भारतीय लघुकथा विकास मंच द्वारा  माधवराव सप्रे की जयंति पर लघुकथा दिवस रत्न सम्मान 2020 
लेख्य मंजूषा, जागरण संगिनी क्लब (सावन सौन्दर्य  प्रतियोगिता,में द्वितीय) द्वारा विभिन्न प्रकार के सम्मान प्राप्त। अंताक्षरी में राज्य स्तरीय विजेता (द्वितीय स्थान )

अन्य : -
फिलहाल वर्चुअल संगोष्ठी में लगातार पठन- पाठन में सक्रियता ।डी डी बिहार के कार्यक्रम में आमंत्रित " एक मुठ्ठी धूप " में लाइव वार्ता। 
रेनबो संस्था में बच्चों के उत्थान हेतु समय- समय पर  सक्रिय योगदान।
 दृष्टिहीन बालिका विद्यालय में कुमरार में भी सक्रिय  योगदान। 

 पता : - 
श्री एच एन  देवा
ए/201 , एस बी रेसीडेंसी 
पिलर न0  -70 ,शेखपुरा  , पटना - 14 बिहार
प्रश्न न.१ - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तथ्य कौन सा है? 
उत्तर - शीर्षक, कथ्य और सकारात्मक संदेश मेरे विचार से।

प्रश्न न.२ - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताए ?  जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है? 
उत्तर -  वैसे तो बहुत सारे लोग हैं,  लेकिन  पाँच हीं नाम लिखना है तो,  डाॅ  सतीश राज पुषकरणा पितामह स्वरूप लघुकथा के,  बीजेन्द्र जैमिनी (आप) , मधुदीप गुप्ता, योगराज प्रभाकर,  डाॅ धुव्र कुमार।

प्रश्न न.३ - लघुकथा की  समीक्षा के कौन- कौन से मापदंड होने चाहिए? 
उत्तर - सरल, सहज, नयापन, शिल्प शैली का ताल-मेल सही होना, अंत में पढ़ कर वाह या सोचने पर बाध्य जो कर दे। सटीक शीर्षक अतिआवश्यक पहलू है।

प्रश्न न. ४ - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन- कौन  से प्लेटफार्म  बहुत ही महत्वपूर्ण है? 
उत्तर - फेसबुक,  वाटसअप एप, ब्लाग, ई पुस्तकें, भारतीय लघुकथा विकास मंच,  लघुकथा के परिन्दे, कथा दर्पण साहित्य मंच। 

प्रश्न न.५ - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है? 
उत्तर - बहुत आशाजनक है, निरन्तर विकास पथ पर है। इसलिए उम्मीद है आज से बेहतर कल होगा ही। 

प्रश्न न.६ - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप संतुष्ट हैं? 
उत्तर - निरन्तर सफलता के प्रदान पर  लघुकथा अग्रसर है, लेकिन अभी और भी ऊंचाईयों और बुलन्दियो पर लघुकथा  का परचम लहराना बाकी है। फिर भी पहले से बहुत बेहतर स्थिति में लघुकथा है इसलिए सन्तुष्ट  नहीं पर खुश अवश्य हूँ। 

पश्न न.७ - आप किस प्रकार के पृष्टभूमि से आए हैं? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं? 
उत्तर - मैं एक मध्यम वर्गीय परिवार से हूँ। मेरे पिता प्रशासनिक  विभाग में कार्यरत थे। हम सब पाँच  भाई- बहन  हैं। शिक्षा और लेखनी के बल पर हीं हमारा वर्ग निर्भर करता है। लिखने की रूचि बचपन से हीं थी लेकिन सारी जिम्मेवारी निभाते हुए समयाभाव रहा।  अब अपने इस शौक को मैं बखुबी निभाने की कोशिश में सतत प्रयासरत हूँ।  अच्छी लघुकथा में छिपे संदेश निश्चित रूप से मार्गदर्शक स्वरूप होते हैं। जिसके लिए मैं सजग हूँ। 

प्रश्न न.८ - आपके लेखन में ,आपके परिवार की भूमिका क्या है? 
उत्तर - किसी भी कार्य की सफलता का आधार उसका परिवार हीं होता है। मेरी शादी जल्दी हो गई थी। मेरे पतिदेव एक ( एक्स आई ए एस) बाद में पुलिस सेवा (आई पी एस) हैं।  मैंने शादी के बाद स्नातक, स्नातकोत्तर और पी0एच0 डी0 भी किया।  जिसका सारा श्रेय मेरे पतिदेव को जाता है। उन्होंने सदैव मेरी पढ़ने की इच्छा का मान रखा और मुझे सहयोग दिया। पढ़ाई का असर तो मेरी लेखनी  पर आना ही था। मेरी माँ मुझे डाक्टर बनाना चाहती थीं। माँ की आकस्मिक मृत्यु  बचपन में हीं हो गई थी। मैं डाक्टर (चिकित्सक) तो ना बन पाई,  लेकिन नाम के आगे डाक्टर की उपाधि लगना मुझे लगता है कि अपनी माँ  की इच्छा को कुछ हद तक साकार कर पाने में सफल रही।

पश्न न.९ - आप की आजीविका में, आपके लेखन की क्या स्थिति है?
उत्तर - मेरी आजीविका मेरी 'लेखनी ' तो नहीं है लेकिन इससे मिली संतुष्टि और खुशी अनमोल और अमूल्य है। पर हाॅ एक बार अखबार में छपी और बिहार दूरदर्शन पर मेरी लाइव प्रसारण से प्राप्त राशि  बहुत प्रिय है और आनन्दित करती है।

पश्न न.१० - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 
उत्तर - जब आज अच्छा है तो कल और भी अच्छा हीं होगा ऐसा मेरा विश्वास है। लघुकथा संक्षिप्त और संदेशातमक और लघु स्वरूप में होने के कारण काफी रोचक लगता है। आज समयाभाव के कारण इसका लघु स्वरूप निश्चित  हीं  सभी को आकर्षित करता है। उपन्यास और लम्बी कहानियां लोग कम पढ़ना चाहते हैं।समयाभाव के कारण,  इसलिए लघुकथा "गागर में सागर" सरीखा है। 

पश्न न.११- लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है? 
उत्तर - एक नयी विधा की जानकारी हुई। कम समय में सुन्दर सारगर्भित कथानक सुन्दर शीर्षक और असीम अर्थ समेटे एक झटके में या एक पंच में , जैसे सिनेमा समाप्त जैसी अनुभूति होती है। आत्मिक सुखद अनूभति प्रदान करती है लघुकथा मुझे। मेरा मनोविज्ञान  और हिन्दी विषय रहा है। अतः उस नजरिए से भी लघुकथा मुझे काफी बार कुछ सोचने और समझने को प्रेरित करती है।

Comments

  1. बहुत ही सटीक सार्थक सारगर्भित लघुकथा से संबंधित आपका विचार 🙏🌹
    हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं 🙏🌹

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

वृद्धाश्रमों की आवश्यकता क्यों हो रही हैं ?

हिन्दी के प्रमुख लघुकथाकार ( ई - लघुकथा संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी

लघुकथा - 2023 ( ई - लघुकथा संकलन )