डॉ.अंजु लता सिंह ' प्रियम ' से साक्षात्कार

पिता का नाम : डा.विजयपाल सिंह (सेवानिवृत्त प्राचार्य)  
माता का नाम : सरस्वती देवी सिंह                
शिक्षा : एम.ए,पी एच.डी(हिंदी) , बी.एड 

अनुभव : चौंतीस ( 2+ 32) वर्षों का हिंदी व्याख्याता पद पर  अध्यापनानुभव क्रमशः हरि सिंह गौर वि.वि.,सागर,म.प्र. में दो वर्ष एवं केंद्रीय विद्यालय संगठन, नई दिल्ली में 

चार पुस्तकें प्रकाशित : -

1.शोध प्रबंध-"आंचलिक उपन्यासों के परिप्रेक्ष्य में फणीश्वरनाथरेणु का विशेष अध्ययन"-2004
सूर्यभारती प्रकाशन,नई सड़क,नई दिल्ली 
2.काव्यांजलि-( प्रेरक कविता संग्रह)2010
सूर्यभारती प्रकाशन,नई सड़क,नई दिल्ली 
3."सारे जमीन पर"(बाल कविता संग्रह)
सूर्यभारती प्रकाशन,नई सड़क,नई दिल्ली, 2014
4."महकता हरसिंगार" (लघुकथा संग्रह)
अयन प्रकाशन,महरौली,नई दिल्ली,2021

विशेष : -

चार बैस्ट टीचर्स अवार्ड्स से सम्मानित 
 केंद्रीय विद्यालय संगठन, नई दिल्ली द्वारा कारगिल विजय पर रचित नाटिका 'उजाले की ओर' पर पुरस्कृत एवं सम्मानित, 
 राजभाषा समिति,भारत सरकार द्वारा राजभाषा शील्ड से सम्मानित.
साहित्य लेखन और पत्रकारिता के क्षेत्र  में व्यास पुरस्कार से सम्मानित.
अनेक पत्र-पत्रिकाओं में  लगभग आठ सौ साठ रचनाएं प्रकाशित.
जल मंत्रालय, भारत सरकार,दिल्ली  द्वारा मेरी स्वरचित नाटिका "बिन पानी सब सून" के लेखन और मंचन हेतु पुरस्कृत एवं सम्मानित (2015) 
मानव संसाधन विकास मंत्रालय की वार्षिक पत्रिका "शिक्षायण" में  दो दीर्घकाय लेख प्रकाशित एवं सम्मानित .
नगर राजभाषा समिति,फरीदाबाद की पत्रिका "नगर सौरभ" में सात बार रचना प्रकाशन पर सम्मान पत्र प्राप्त .
संप्रति : - 

गैर सरकारी समाज सेवी संस्था "प्रतिभा विकास मिशन" की  मुख्य  संचालिका पद पर कार्यरत.
अंतर्राष्ट्रीय  महिला काव्य मंच (रजि.) दक्षिणी दिल्ली इकाई में  वरिष्ठ उपाध्यक्ष पद पर सक्रिय.

सम्पर्क : -
सी-211,212
पर्यावरण (ट्री)काम्पलेक्स , समीपस्थ-नगर निगम स्कूल ,
सैदुलाजाब , नई  दिल्ली-30
प्रश्न क्र.1- लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 
उत्तर- किसी विशेष घटना के कथ्य को आम बोलचाल की भाषा में , प्रभावी शैली में, सीमाबद्ध शब्दों में प्रस्तुत करना।

प्रश्न क्र. 2- समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताइये ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर- बीजेन्द्र जैमिनी जी ,कांता राय जी ,विनय अंजू कुमार
मीरा जैन जी ,कल्पना मिश्रा जी

प्रश्न क्र.3- लघुकथा की समीक्षा के कौन-कौन से मापदंड होने चाहिए ? 
उत्तर - घटना का विवरण, विषय वस्तु का समुचित चयन,
पात्रों के संवाद,पाठकीय जिज्ञासा,भाषा, प्रभान्विति एवं संक्षिप्तता।  

प्रश्न क्र.4- लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन-कौन से प्लेटफार्म बहुत ही महत्वपूर्ण हैं ? 
उत्तर - लघुकाय,रोचक,प्रभावी,संदेशपूर्ण और पठनीय गद्य विधा होने के कारण लघुकथा को सभी मीडिया प्लेटफ़ॉर्म अपनाना चाहते  हैं।  जैसे दूरदर्शन,रेडियो, मोबाइल, वाट्सएप एवं फ़ेसबुक आदि पर भी इन्हें महत्वपूर्ण स्थान दिया जा रहा है। थियेटर के रंगमंच पर भी इनकी लोकप्रियता बढ़ने लगी है। पाठकों, दर्शकों एवं श्रोताओं का रुझान इस ओर अधिक हुआ है।

प्रश्न क्र.5- आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - वर्तमान समय में "लघु कथा" को एक लोकप्रिय गद्य विधा के रूप में बेहद पसंद किया जा रहा है। मीडिया में लघुकथा-संग्रह , साझा- संग्रह एवं लघुकथा समीक्षा साहित्य तीव्र गति से दिखाई देने लगा है। नए-नए लघुकथाकार रोज ही संचार माध्यमों में दिखाई दे रहे हैं।लघु की लोकप्रियता का अनुमान इसी बात से हो जाता है।लघुकथा की वर्तमान स्थिति संतोषजनक है, लेकिन फिर भी अच्छे और उम्दा कथाकार साहित्य के क्षेत्र में आएं, यह बेहद जरूरी है।

प्रश्न क्र.6- क्या आप लघुकथा की वर्तमान स्थिति से संतुष्ट हैं ?
उत्तर - जी हाँ.. वर्तमान काल में लघुकथा का प्रचार प्रसार बढ़ा है। असंख्य पाठक, दर्शक और श्रोतागण लघु कथा के दीवाने होने लगे हैं। दूरदर्शन पर शॉर्ट स्टोरीज, रेडियो पर झलकियां और मीडिया के अन्य माध्यमों में लघु कथाओं को खासी तवज्जो मिली है।

प्रश्न क्र.7- आप किस प्रकार की पृष्ठभूमि से आए हैं ? बताइये  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - पढ़े-लिखे परिवार से संबंध रखने के कारण माता पिता द्वारा लगातार समुचित मार्गदर्शन के कारण शहरी परिवेश की पृष्ठभूमि में सदैव आगे बढ़ने, जागरूक पाठक बने रहने और लेखन के क्षेत्र में आगे बढ़ने का काम मैं हरदम ही करती रही हूँ । जीवन की प्रेरक घटनाओं को लेकर लघुकथा लेखन का जज्बा मेरी कलम में भी जन्म ले चुका है।

प्रश्न क्र.8 - आप के लेखन में,आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 
उत्तर - परिवार की भूमिका ही एक निष्पक्ष, श्रमजीवी और लोकप्रिय कलमकार को सफल बनाती है। मेरे परम पूज्य एवं सम्माननीय  प्रोफ़ेसर पिता और ममतालु माता का अक्षुण्ण प्रभाव सदैव मेरे लेखन को निखारता रहा है।

प्रश्न क्र.9 - आप की आजीविका में,आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - मेरी आजीविका हिंदी व्याख्याता के रूप में लगभग 30 वर्ष तक सरकारी नौकरी ही रही है। अब सेवानिवृत्ति के पश्चात पेंशन माध्यम है। फिर भी कुछ स्तरीय पत्र-पत्रिकाओं से मानदेय प्राप्ति, स्वरचित पुस्तकें  प्रकाशित होने के बाद परिचित लोगों की लाइब्रेरी में क्रय होने पर संतोषजनक राशि मिलना अतिरिक्त खुशी बन जाती है।

प्रश्न क्र.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 
उत्तर - गद्य विधा "लघुकथा" का भविष्य समुज्ज्वल है,क्योंकि शॉर्टकट परंपरा से लगाव होने के कारण पाठक इन्हें रुचि से पढ़ेंगे, दर्शक देखेंगे और श्रोता सुनेंगे। हर काम झटपट करना अब हमारी फितरत हो चली है।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - कम समय में ही अधिकाधिक आनंद की प्राप्ति, ज्ञान का विकास, जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों का सार ग्रहण करके समरसता का सुख प्राप्त हुआ है।
स्वयं भी कविताओं के लेखन के साथ-साथ उभरती हुई इस 
गद्य विधा "लघुकथा" लेखन क्षेत्र में  कदम बढ़ाया है।     

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