डॉ. मालती बसंत से साक्षात्कार

जन्म तिथि : 14 जुलाई 1954 , ग्वालियर - मध्यप्रदेश
शिक्षा : एम. ए. हिन्दी , एम. एड् , पीएचडी , डी सी एच इग्नू

विधा : लघुकथा , कहानी , हास्य व्यंग, कविता

सम्प्रति : शासकीय सेवा के बाद स्वतन्त्र लेखन व समाज सेवा

प्रकाशित पुस्तकें : -

अतीत का प्रश्न ( लघुकथा संग्रह ) - 1991
बुढ़ापे की दौलत ( लघुकथा संग्रह ) - 2004
शिक्षा और संस्कार ( लघुकथा संग्रह ) - 2006
         व विभिन्न विधाओं की 26 पुस्तकें

सम्पादन पुस्तक : -
नारी संवेदना की लघुकथाएं

सम्मान : -
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र पुरस्कार
मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी का पुरस्कार
राष्ट्रीय साहित्य पुरस्कार ( भारत सरकार )

पता : ९२, सुरेन्द्र माणिक , (विद्या सागर कालेज के सामने )
अवध पुरी , भोपाल -४६२०२२ मध्य प्रदेश

प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 
उत्तर - लघुकथा का मुख्य तत्व है संवेदना "कथ्य" लघुकथा के माध्यम से हम क्या कहना चाहते हैं , स्पष्ट रूप से अभिव्यक्त होना चाहिए ।

प्रश्न न. 2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - वरिष्ठ लघुकथाकारों में स्वर्गीय श्री सतीशराज पुष्करणा जी , सतीश दुबे जी हैं। नवोदितों में श्रीमती कांता राय , श्रीमती संध्या तिवारी हैं ।

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 
उत्तर - लघुकथा की समीक्षा के लिए, वे ही मापदंड हैं जो अन्य विधाओं के हैं । क्या कहा है ? क्यों कहा है ? कैसे कहा गया है  ,इस कसौटी पर समीक्षकों को देखना चाहिए ।

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - लघुकथा साहित्य में तो सोशल मीडिया में अनेक प्लेटफॉर्म हैं जिनमें बहुत कार्य हो रहा है । श्री सुकेश साहनी जी का लघुकथा डाट काम , कान्ता राय का परिंदे । 

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - साहित्यिक परिवेश का आलम तो यह है कि, लघुकथा ही चहुंओर छायी है ।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - जी हां , कल्पना से  अधिक काम हो रहा है ।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - बचपन में घर में बहुत पत्र-पत्रिकाएं आती थी । धर्मयुग, साप्ताहिक हिंदुस्तान ,पराग इत्यादि । पढ़ने-लिखने की इच्छा जागृत हुई । मैंने जब लिखना शुरू किया तो लघुकथा ही सबसे पहले लिखी। तब लघुकथा का नाम लघुकथा नहीं था ,न ही उसके मापदंड थे। मार्ग दर्शक तो मैं कभी नही बन पाई। आज भी मैं लघुकथा की विद्यार्थी हूं।

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 
उत्तर - लेखन में मेरे परिवार भूमिका शून्य है ।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - सदैव आजीविका और लेखन को अलग-अलग रखा है  ।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 
उत्तर -  लघुकथा का भविष्य उज्जवल है। पर अनेक लघुकथा के गुरु हो गये हैं। इसलिए अनेक खेमें भी है।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - लघुकथा से साहित्य जगत में पहचान तो मिली है। लघुकथा की भीड़ में हमारा भी एक नाम है ।

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