विजयानंद विजय से साक्षात्कार

जन्म तिथि - 1 जनवरी 1966
जन्म स्थान - ग़ाज़ीपुर (उ.प्र.)
शिक्षा - एम.एस-सी; एम.एड् ; एम.ए. (हिंदी)
संप्रति - अध्यापन ( राजकीय सेवा )

लेखन विधा - लघुकथा, कविता, कहानी, व्यंग्य

प्रकाशित पुस्तक : -

संवेदनाओं के स्वर (लघुकथा संग्रह)

प्रकाशित साझा संग्रह : -

(1) आधुनिक हिंदी साहित्य की चयनित लघुकथाएँ (बोधि प्रकाशन)
(2) सहोदरी कथा - 1 (लघुकथा)
(3) दीप देहरी पर (लघुकथा) - उदीप्त प्रकाशन
(4 )सहोदरी सोपान - 4 (काव्य संग्रह)
(5) यादों के दरीचे ( संस्मरण)
(6) परिंदो के दरमियाँ ( सं. - बलराम अग्रवाल)
(7) कलमकार संकलन - 1, 2, 3 - कलमकार मंच
(8) प्रेम विषयक लघुकथाएँ ( अयन प्रकाशन)
(9) नयी सदी की लघुकथाएँ (सं. - अनिल शूर आजाद)
(10) लघुकथा मंजूषा -2, 3, 5 ( वर्जिन साहित्यपीठ)
(11) चुनिंदा लघुकथाएँ (विचार प्रकाशन)
(12) मेरी रचना (रवीना प्रकाशन )
(13) स्वाभिमान ( मातृभारती )
(14) मिलीभगत (साझा व्यंग्य संकलन)
(15) इन्नर (सं. - विभूति बी.झा)
(16) श्रमिक की व्यथा - काव्य संकलन (प्राची डिजिटल पब्लिकेशन)
(17) लम्हे - लघुकथा संकलन (प्राची डिजिटल पब्लिकेशन)
(18)चलें नीड़ की ओर - लघुकथा संकलन (अपना प्रकाशन)
(19) नयी लेखनी नये सृजन - कहानी संकलन (इंक पब्लिकेशन)
(20) इक्कीसवीं सदी के श्रेष्ठ व्यंग्यकार (सं. लालित्य ललित, राजेश कुमार)
(21) जीवन की प्रथम लघुकथा ( ई- लघुकथा संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी
(22) मां ( ई- लघुकथा संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी
(23) लोकतंत्र का चुनाव ( ई- लघुकथा संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी
(24) नारी के विभिन्न रूप ( ई- लघुकथा संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी
(25) लघुकथा - 2020 ( ई- लघुकथा संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी
(26) कोरोना वायरस का लॉकडाउन ( ई- लघुकथा संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी
(26) कोरोना ( ई- काव्य संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी

सम्मान : -

-  अखिल भारतीय शब्द निष्ठा सम्मान ( लघुकथा ) - 2017 (राजस्थान)
-  प्रेमनाथ खन्ना सम्मान - 2017 (पटना)
-  भाषा सहोदरी सम्मान - 2017
-  प्रतिलिपि कथा सम्मान - 2018
- साहित्य भूषण सम्मान - 2018(काव्य रंगोली पत्रिका समूह)
- भारतीय लघुकथा विकास मंच , पानीपत - हरियाणा द्वारा " कोरोना योद्घा रत्न सम्मान - 2020 " से सम्मानित

विशेष : -

अतिथि संपादन - देवभूमि समाचार, देहरादून
सह संपादक - राइजिंग बिहार साप्ताहिक, पटना
संपादन, डायमंड बुक्स की बाल साहित्य योजना - 2021

पता : आनंद निकेत , बाजार समिति रोड ,पो. - गजाधरगंज
बक्सर ( बिहार ) - 802103

प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?

उत्तर - कथ्य, शिल्प, भाषा और उद्देश्य की स्पष्टता लघुकथा सृजन के महत्त्वपूर्ण तत्व हैं। लघुकथा प्रभावशाली कथ्य, सुघड़ शिल्प और भाषाई सौंदर्य के माध्यम से अपने उत्कर्ष को प्राप्त होती है।

 

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओ जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उत्तर - अगर पाँच नाम लूँ तो कांता राय , संतोष सुपेकर , बीजेन्द्र जैमिनी , मृणाल आशुतोष,घनश्याम मैथिल अमृत आदि समकालीन लघुकथाकार हैं, जो लघुकथा विधा को समृद्ध करने में अपना महती योगदान दे रहे हैं।समकालीन लघुकथाकारों की एक लंबी श्रृंखला है, जो अधिकांश संकलनों में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराती रही है।


प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 

उत्तर - समीक्षक को प्रथमतः तो एक सुधी पाठक होना चाहिए।लघुकथा के हर पहलू का सागोपांग अवलोकन करते हुए समीक्षक को उसके गुण-दोष पर भी समुचित चर्चा करनी चाहिए और अगर कहीं गुंजाइश हो, तो उसके परिमार्जन और परिवर्धन हेतु उचित मार्गदर्शन भी दिया जाना चाहिए।

 

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?

उत्तर - लघुकथा के परिंदे, साहित्य संवेद, किस्सा कोताह, क्षितिज, लघुकथा साहित्य, स्वर संवेदनाओं के, लघुकथा गागर में सागर, लघुकथा वाटिका, भारतीय लघुकथा विकास मंच , साहित्य संसद, लघुकथा लोक इत्यादि अनेकों फेसबुक समूह हैं, जो लघुकथा के क्षेत्र में काफी अच्छा काम कर रहे हैं। इससे जुड़े वरिष्ठ लघुकथाकारों के मार्गदर्शन में लघुकथाकारों की नयी पीढ़ी भी अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराने में सफल रही है। 


प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?

उत्तर - जहाँ तक मैं देख रहा हूँ, आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा ने एक महत्त्वपूर्ण स्थान हासिल कर रखा है। आज ऐसा कोई समाचार पत्र और ऐसी कोई पत्रिका नहीं है जिसमें लघुकथाएं न छप रही हों। विभिन्न पत्रिकाओं ने लघुकथा विशेषांक भी निकालने शुरू किए हैं।लघुकथा संकलन और लघुकथा संग्रहों ने भी लघुकथा विधा को समृद्ध किया है। लघुकथा का भविष्य उज्जवल है। इस लिहाज से मैं आज के समय को लघुकथा का स्वर्ण काल कहूँगा।


प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?

उत्तर - बिल्कुल। मैं आज लघुकथा विधा में नयी संभावनाओं का उदय देख रहा हूँ।


प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार की पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?

उत्तर - मूलत: मैं ग्रामीण परिवेश से रहा हूँ। परवरिश व पढ़ाई-लिखाई शहर में हुई है।विभिन्न विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा ग्रहण की है। उसी दरम्यान रचनात्मक लेखन म़े रूचि जगी।मेरे संपर्क में आई नयी पीढ़ी के कई लघुकथाकारों को मैंने भाषाई और शिल्पगत स्तर पर प्रेरित और प्रोत्साहित किया है।


प्रश्न न.8 - आप के लेखन में आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 

उत्तर - परिवार और स्वजनों की भूमिका काफी उत्साहवर्धक व सराहनीय रही है। उनके सहयोगात्मक समर्थन के बिना मैं वो कर नहीं पाता, जो मैं करना चाहता था।


प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में  आपके लेखन की क्या स्थिति है ?

उत्तर - मैं चूँकि पेशे से अध्यापक हूँ, इसलिए अपनी और अन्य स्रोतों से प्राप्त प्रेरणास्पद लघुकथाओं को अपनी कक्षा में छात्रों के बीच भी प्रस्तुत करता रहा हूँ। 

 

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 

उत्तर - उज्जवल व स्वर्णिम।


प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?

उत्तर - लेखन से आत्मिक संतुष्टि मिलती है। लघुकथा मेरी प्रिय विधा रही है और लघुकथा लेखन ने मुझे मेरी पहचान बनाने में मदद की है।

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