सुनीता मिश्रा से साक्षात्कार

जन्म तिथि : 15अगस्त 1949 , भोपाल
शिक्षा : स्नातकोत्तर मनोविज्ञान

सम्प्रति : सेवा निवृत प्रचार्य,शा उ मा वि कन्या विद्यालय ग्वालियर

लेखन :-
आलेख,व्यंग्य,संस्मरण ,नुक्कड़ ,नाटक,कहानियाँ,लघुकथा ,कवितायें आदि का लेखन 

पुस्तक : -
दोराहा ( लघुकथा संग्रह )

सम्मान : -
- भोपाल की समाजिक संस्था "उड़ान"तथा "समाज कल्याण समिति" द्वारा "भोपाल रत्न"से सम्मानित
- लेखिका संघ म प्र द्वारा "दोराहा" लघुकथा संग्रह के लिये     नव लेखन पुरस्कार से सम्मानित
- विश्व हिंदी लेखिका मंच द्वारा साहित्य लेखन के लिये सम्मानित।

पता :-
140 - सी-सेक्टर,सर्व धर्म कॉलोनी, कोलार रोड,
भोपाल - मध्यप्रदेश 
प्रश्न क्र.1- लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 
उत्तर - यूँ तो लघुकथा के सभी तत्व मिलकर एक मानक लघुकथा को जन्म देते है। विषय,शीर्षक,कथ्य, शिल्प,शैली,तेवर,जीवन दर्शन (जिसे हम पंच भी कह सकते हैं)मेरे मतानुसार लघुकथा का आखिरी तत्व (पंच) सबसे महत्वपूर्ण है। लघुकता का पूरा कथन ,पंच की दीवार पर टिका  है। जो पाठक के हृदय को झकझोर दे,चिंतन पर मजबूर करे। आह या वाह की स्तिथि पर लाकर खड़ा कर दे। विद्वानों के कथनानुसार लघुकथा  विसंगतियों से जन्म लेती है। इसमे समस्या का समाधान नहीं,वरन एक लघुकथा दूसरी लघुकथा का विषय तैयार करती है।

प्रश्न क्र. 2- समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताइये ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - समकालीन लघुकथा साहित्य के पाँच नाम -
कान्ता रॉय , बीजेन्द्र जैमिनी , महेश राजा , राम मूरत राही , प्रेरणा गुप्ता 

प्रश्न क्र.3- लघुकथा की समीक्षा के कौन-कौन से मापदंड होने चाहिए ? 
उत्तर - लघुकथा की समीक्षा करते समय ये मापदंड सुनिश्चित करना आवश्यक है:-
शीर्षक-लघुकथा के कथानक पर युक्ति-संगत है या नहीं।
लघुकथा भूमिका विहीन हो। अनावश्यक शब्दों का विस्तार न हो। लघुकथा, क्षण विशेष की घटना है, अत:काल खंड दोष न हो। लघुकथा का कथ्य,विषय के साथ न्याय-संगत हो। लघुकथा मे  उसके तेवर,बुनावट और कसावट हो।
लघुकथा की शैली । लघुकथा में व्याकरण सम्मत शुद्धि होना भी आवश्यक है। लेखकीय प्रवेश न हो। अन्त मारक हो,अर्थात पाठकों को  चिंतन के लिये प्रेरित करे।

प्रश्न क्र.4- लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन-कौन से प्लेटफार्म बहुत ही महत्वपूर्ण हैं ? 
उत्तर - लघुकथा साहित्य को विस्तार देने के लिये,जीवन्त आयाम देने के लिये,साहित्य के क्षेत्र में विशिष्ठ स्थान बनाने के लिये,सोशल मीडिया में आनन पटल (फेस बुक), ब्लॉग,लघुकथा समूह, लघुकथा ई  संकलन,(जिस पर बीजेन्द्र जैमिनी जी,श्रम साध्य कार्य कर रहें हैं) की भूमिका बहुत महत्व पूर्ण है।

प्रश्न क्र.5- आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आज के साहित्यिक परिवेश मे लघुकथा अपना स्थान बनाने में अभूतपूर्व सफलता प्राप्त कर रही है। बहुत से साहित्यविद लघुकथा को स्थापित करने में अपना अथक श्रम और सहयोग दे रहें हैं।

प्रश्न क्र.6- क्या आप लघुकथा की वर्तमान स्थिति से संतुष्ट हैं ?
उत्तर - एकदम तो संतुष्ट नहीं हैं।बहुत से कलमकार अभी लघुकथा के प्रारूप को समझ ही नहीं पायें है।उनके विचार से लघुकथा यानी छोटी कहानी।पहले लघुकथा क्या है,यह समझना आवश्यक है।

प्रश्न क्र.7- आप किस प्रकार की पृष्ठभूमि से आए हैं ? बताइये  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - शहर में ही रहें हैं।परिवार में सभी शिक्षित और नौकरी पेशा हैं।सीखने और सिखाने पर विश्वास रखते हैं।

प्रश्न क्र.8 - आप के लेखन में,आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 
उत्तर -  परिवार का सहयोग है।मेरी लघुकथा पढ़ते हैं।अपने विचार भी प्रेषित करते हैं।जब मैने उन्हें बताया कि हरियाणा के बीजेन्द्र जैमिनी जी मेरी लघुकथाओं को अपनी ई-संकलन मे स्थान दे रहें हैं तो सभी ने बधाई दी।

प्रश्न क्र.9 - आप की आजीविका में,आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - चूंकि सेवा निवृत है।सरस्वती पूजन के लिये पर्याप्त समय है।

प्रश्न क्र.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 
उत्तर - लघुकथा साहित्य में वर्तमान सुखमय चल रहा है,सभी साहित्यकार श्रम कर रहें हैं,समर्पित हैं, लघुकथा साहित्य के लिये। बीजेन्द्र जैमिनी जी जैसे गुणीजन,अपना समय,श्रम,सहयोग दें रहें तो नि:सन्देह लघुकथा साहित्य का भविष्य श्रेष्ठ होगा।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - बहुत नया सीखने को मिला।कभी हम भी इसी मुगालते में रहते थे कि लघुकथा मतलब लघु-कथा।पर धीरे धीरे दोनों मे अंतर समझ में आने लगा। इसके लिये मैं अपनी गुरू कान्ता राय जी को धन्यवाद कहना चाहूँगी।

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