सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा से साक्षात्कार

              जन्म तिथि  : 9 नवम्बर , 1951 

जन्म स्थान :जगाधरी (यमुना नगर - हरियाणा )                                                    
पिता  : स्वर्गीय  श्री मोहन लाल
माता :  स्वर्गीय  श्रीमति धर्मवन्ती ( जमनी बाई )
गुरुदेव : स्वर्गीय  श्री सेवक वात्स्यायन ( कानपुर विश्वविद्यालय )                                                                                                                                            
पत्नी  : श्रीमती  कृष्णा कुमारी                                
शिक्षा  : स्नातकोत्तर ( प्राणी - विज्ञान ) कानपुर 
            बी . एड . ( हिसार - हरियाणा )
           
लेखन विधा  : -
लघुकथा , कहानी , बाल  - कथा ,  कविता , बाल - कविता , पत्र - लेखन , डायरी - लेखन , सामयिक विषय आदि

आजीविका  :
शिक्षा निदेशालय , दिल्ली के अंतर्गत 32 वर्ष तक जीव - विज्ञानं के प्रवक्ता पद पर कार्य करने के पश्चात नवम्बर  2013 में  अवकाश प्राप्ति : (अब तक के लेखन से सन्तोष )

पुस्तकें : -

- आज़ादी ( लघुकथा - संगृह – 1999    )
- विष - कन्या   ( लघुकथा – संगृह 2008 )
-   तीसरा पैग   ( लघुकथा – संगृह 2014)
-  बन्धन - मुक्त तथा अन्य कहानियां  ( कहानी – संगृह 2006) 
- मेरे देश कि बात ( कविता - संगृह  2006) 
- सपने और पेड़ से टूटे पत्ते  ( कविता - संगृह  2019)     
- बर्थ -  डे , नन्हें चाचा का ( बाल -  कथा - संगृह  2014)  - उतरन ( लघुकथा – संगृह 2019 ) ,
- सफर एक यात्रा ( लघुकथा – संगृह 2020 )
-  मुमताज तथा अन्य कहानियां  ( कहानी – संगृह 2021) - रुखसाना ( इ -  लघुकथा – संग्रह 2019 ) 

- शंकर की वापसी ( इ -  लघुकथा – संग्रह 2019 )                    


सम्पादन पुस्तकें   : -
        
- तैरते - पत्थर  डूबते कागज़ (लघुकथा - संगृह - 2001)   
- दरकते किनारे (   लघुकथा - संगृह – 2002 )  ,
- अपूर्णा  तथा अन्य कहानियां  ( कहानी - संगृह - 2004)
- इकरा एक संघर्ष ( लघुकथा - संगृह – 2021 )
        
पुरूस्कार : - 
1 . हिंदी अकादमी ( दिल्ली ) , दैनिक हिंदुस्तान ( दिल्ली ) से  पुरुस्कृत
2 . भगवती - प्रसाद न्यास , गाज़ियाबाद से कहानी बिटिया  पुरुस्कृत
  3 . " अनुराग सेवा संस्थान " लाल - सोट ( दौसा - राजस्थान ) द्वारा लघुकथा – संगृह ”विष कन्या“  को वर्ष – 2009 में सम्मान
  4. स्वर्गीय गोपाल प्रसाद पाखंला स्मृति -  साहित्य सम्मान

विशेष : -
- प्रथम प्रकाशित रचना :  कहानी  " लाखों रूपये " क्राईस चर्च कालेज पत्रिका - कानपुर ( वर्ष –1971 ) में प्रकाशित
-  मृग मरीचिका  ( लघुकथा एवं काव्य पर आधारित अनियमित पत्रिका वर्ष 2015 से सम्पादन )
                                                                       पता : 

डी-184, श्याम आर्क एक्सटेंशन,

 साहिबाबाद -201005 उत्तरप्रदेश  

प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 

 उत्तर : उसका कथ्य  अर्थात विषय वस्तु , उसका प्रस्तुतिकरण एवं शब्दों का चुनाव। 


प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उत्तर : कोई एक नहीं , ढेर सारे नाम है , जो  अपने - अपने ढंग से इस विधा को स्थापित एवं समृद्ध कर रहे हैं। , फिर भी   बीजेन्द्र जैमिनी जी , बलराम अग्रवाल जी ,योगराज प्रभाकर जी एवं कमल चोपड़ा जी  का नाम केवल इसलिए लेना चाहूंगा क्योंकि वे साहित्य की इस विधा में  निःस्वार्थ भाव और पूरी लगन के साथ लघुकथा विधा को समृद्ध करने में लगे हैं । इतना ही नहीं वे  ढेर सारे नए हस्ताक्षरों को भी इस विधा में लेकर आये हैं। साथ ही  स्वर्गीय जगदीश कश्यप जी को भी याद करूँगा जिन्होंने पहली बार मुझे एहसास करवाया कि मैं भी लघुकथा का एक सिपाही बन सकता हूँ।   


प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?   

उत्तर : मैं लघुकथा को किसी प्रकोष्ठ में कैद करने में विश्वास नहीं करता।  कम शब्दों में यदि लघुकथा एक सामान्य  पाठक की संवेदनाओं को स्पर्श कर लेती है तो वही उस लघुकथा विशेष का उदेश्य पूरा कर देती है। 


प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उत्तर : सभी के अपने - अपने पाठक हैं , इसलिए सभी का अपना महत्व है। साहित्य का  सामान्य पाठक तक पहुंचना आवश्यक है। डिजिटल  माध्यम  यह कार्य अच्छे ढंग से कर रहा  है।  


प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?

उत्तर : लघुकथाओं मेँ गंभीर तत्वों  के साथ , सर्वकालिक  विषयों  का अभाव  है।  राष्ट्र - चिंतन  को लेकर भी कम लघुकथाएं लिखी जा रही हैं। देश को  मजहबी कट्टरवाद ने घेर रखा है और इस पर रचनाये कम देखने को मिलती हैं तो असुविधा होती है।   


प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?

उत्तर : हाँ , यह विधा निरंतर प्रगति पर है और सामान्य पाठक इन्हें पढ़ना भी चाहता है। 


प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?

उत्तर : एक अति सामान्य परिवार , जिसमें सह्त्यिक रूचि या लेखन से कभी कोई जुड़ाव्  नहीं था। सामान्य पाठक मेरी रचनाओं को पढ़कर जब अपनी प्रतिक्रिया  देता है , तब संतोष का अनुभव  होता है।   


प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 

उत्तर :   कुछ भी नहीं। हाँ , माँ - पिता का आभारी आवश्य हूँ कि उन्हीं  के माध्यम से मुझे लेखन की क्षमता ईश्वर ने दी। लेखन को मैं एक नैसर्गिक गुण मानता हूँ जो हमारे गुणसूत्रों में होता है और गुणसूत्र हमें माँ - पिता से मिलते हैं।   


प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?

उत्तर : स्वांत सुखाय , लेखन से कोई आय नहीं , निवेश आवश्य होता है।   


प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 

उत्तर : लघुकथा  साहित्य  का भविष्य उज्जवल है।  खूब अपनाया  जायेगा इस विधा को। संख्या होगी तो गुणवत्ता  भी निकलेगी।  निकल भी रही है। तेजी  से भागते समय में लोगों के पास समय का अभाव है , इसलिए  पाठक लघुकथाओं को पढ़ते हैं और स्तरीय लघुकथाओं को सराहते भी हैं । इसलिए लघुकथा के भविष्य को लेकर आश्वस्त हूँ।   


प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?

उत्तर : आत्म संतोष , रूचि का पोषण , मानसिक सुख ईश्वर ने जो सामर्थ्य बक्शी , उसके प्रति आभार की अभ्व्यक्ति।  


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