सविता गुप्ता से साक्षात्कार

पति- अरुण कु गुप्ता 
माता का नाम-सरस्वती गुप्ता 
जन्मतिथि-१६ सितंबर 
शिक्षा-स्नातक (दर्शनशास्त्र)ऑनर्स -राँची विश्वविद्यालय 
बी एड -प्रयाग राज विधा पीठ

संप्रति- गृहिणी व लेखन

प्रकाशित पुस्तकें-

  लघुकथा संकलन-घरौंदा।
साहित्यनामा साँझा संग्रह,
भोर पत्रिका ,संझावत भोजपुरी पत्रिका,
अविरल प्रवाह पत्रिका आदि पत्रिकाओं में प्रकाशित रचनाएँ ।

सम्मान-
१)जैमिनी अकादमी (पानीपत)द्वारा झारखंड रत्न सम्मान ।
२)स्टोरी मिरर द्वारा प्राप्त सम्मान।
३)नवीन कदम द्वारा प्राप्त सम्मान।
४)साहित्योदय मंच से प्राप्त सम्मान।

कई पत्र ,पत्रिकाओं में प्रकाशित रचनाएँ व ब्लॉग लेखन

पता : -
 श्री ए.के.गुप्ता 
न्यू ए जी कोऑपरेटिव काॅलोनी
एच.नं. 72 / कडरु ,रांची - झारखंड
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 
उत्तर - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कथा की बुनावट होती है।जिसे पात्रों के संवादों और कथानक से बुनकर प्रस्तुत किया जाता  है ताकि कथा मानस पटल पर अमिट छाप छोड़ जाए।जिसमें कुछ सीख या समाज के लिए एक सार्थक संदेश हो।

प्रश्न न. 2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - समकालीन लघुकथा साहित्य में सुकेश साहनी, चित्रा मुग्दल, अशोक भाटिया, हरिशंकर परसाई, बीजेन्द्र जैमिनी आदि लघुकथाकार हैं।
    बीजेन्द्र जैमिनी जी एक उत्कृष्ट लघुकथाकार हैं। जिन्होंने समकालीन लघुकथा साहित्य को काफ़ी आगे बढ़ाया है।इन्होंने आज के लेखकों को प्रोत्साहित कर एक विशाल मंच प्रदान किया है। समय समय पर लेखकों को मंच प्रदान कर लघुकथा साहित्य को काफ़ी ऊँचाइयों तक पहुँचाया है। आप प्रेरणा के स्त्रोत हैं। आपकी भूमिका लघुकथा साहित्य में अत्यंत ही प्रशंसनीय है।

प्रश्न न. 3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 
उत्तर - उत्कृष्ट लघुकथा की समीक्षा के कई श्रेणियों में मापदंड तय होने चाहिए मसलन रोचक , संवाद, प्रवाह, कथानक, संदेश और सबसे महत्वपूर्ण अंत असरदार हो। जैसे खाने के बाद मीठा खाने से मुँह में स्वाद आ जाता है। ठीक वैसे ही कथा समाप्त होते ही आह! या वाह मुँह से निकल जाए।

प्रश्न न. 4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - वैसे तो साहित्य को प्रचार की कोई आवश्यकता नहीं होती है।साहित्य प्रेमी निरंतर सृजनशील रहते हैं। आज से पंद्रह साल पहले तक सोशल मीडिया नगण्य था। समाचार पत्र या रेडियो के माध्यम से साहित्यिक रचनाएँ प्रकाशित या प्रचारित होती थी ।
आज फ़ेसबुक,वाह्टसैप ,गूगल ने तो क्रांति ला दी है।हर क्षेत्र में सोशल मीडिया ने लोगों को जोड़ने में एक मज़बूत सेतु का काम किया है।आज सात समुंदर भी चुटकी में क़रीब आ जाता है।आसानी से एक दूसरे की रचनाओं को भेजना हो या पढ़ना सब कुछ सुगम हो गया है।

प्रश्न न. 5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आज के साहित्य का परिवेश काफी विशाल,वृहद् हो चुका है।पुरूष से लेकर महिलाओं का रुझान लघुकथा लेखन की  ओर अग्रसर है।लघुकथा कारों की बाढ़ सी आ गई है।अल्प शब्दों में भावों ,घटनाओं को उकेरना और सजाकर परोसना काफ़ी प्रचलित हो रहा है।अपने आस पास की घटनाओं को या विचारों को कलम बद्ध कर सुंदर कथा में गूँथ कर लिखने की कोशिश करते हैं। अच्छी लघुकथाओं के संग्रह प्रकाशित हो रहे हैं । वहीं एक ओर शीघ्रातिशीघ्र ख्याति प्राप्त करने के लिए कुछ लेखक गण लिख तो लेते हैं पर कथा मानदंडों पर खरा नहीं उतर पाता।वह ना तो लघुकथा की श्रेणी में आती है ,ना ही कहानी की श्रेणी में। कई लेखक तो चोरी पर उतारू हो गए हैं। दूसरों की रचनाओं को तोड़ मोड़ कर अपना नाम दें देते हैं।अंत:लेखकों को लिखने से ज़्यादा अच्छे रचनाकारों को पढ़ना चाहिए ताकि उनकी रचना में निखार आए।

प्रश्न न. 6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - हाँ,आज अधिक से अधिक लघुकथा ही लिखी जारी है।बड़ी कहानियाँ कम लिखी जा रही। समयाभाव के कारण लोग उपन्यास और लंबी कहानियाँ लिखने और पढ़ने में कम रुचि दिखाते है। परंतु साहित्यकारों की इस भीड़ में कुकुरमुत्ते की तरह लेखक उग आए हैं। जो जल्द से जल्द अपनी पुस्तक प्रकाशित करने के होड़ में शामिल हैं। जिस वजह से वर्तनी या व्याकरण की अशुद्धियाँ या भावों का अभाव साफ़ नज़र आता है। मेरे विचार से नवोदित लेखकों को पहले अच्छे लेखकों को पढ़ने की आवश्यकता है। तभी भीड़ में पहचान बना पाएँगे और उत्कृष्ट रचनाओं का सृजन संभव हो पाएगा।

प्रश्न न. 7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मेरी पृष्ठ भूमि उच्च मध्यम वर्गीय रही है। लेखन में रुचि स्कूल के दिनों में जागृत हुई थी पर समय के गर्त में कहीं दब गई थी। गाहें बगाहे सुप्त पड़ी लेखनी सोती जागती रही।कभी कभार छोटे -मोटे कार्यक्रमों में कविता पाठ करती।
     गत तीन साल से नियमित निरंतर लेखन कार्य जारी है। जहाँ तक मार्गदर्शक बनने की बात है। अभी मैं उस लायक़ अपने आप को नहीं मानतीं। एक लघुकथा संग्रह “घरौंदा “प्रकाशित हुई है जिसे संगी साथियों का प्यार मिला तो एक विश्वास की बीज अंकुरित हुई। जिसे लहलहाते वृक्ष बनाने के लिए मुझे ख़ुद को सींचने की आवश्यकता है।

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 
उत्तर - मेरे लेखन में मेरे परिवार ,रिश्तेदारों और दोस्तों की भूमिका बिलकुल वैसी है जैसे लंगड़े को लाठी का सहारा मिल गया हो। उनका सहयोग मुझे निरंतर मिलता रहा मानो एक सूख रहे वृक्ष को खाद्य पानी समय पर मिल जाने से वह खिल उठता है ठीक उसी तरह मुझे मेरे परिवार वालों ने हौसला अफ़जाई किया। मेरी कलम में ताक़त की स्याही परिवार के उत्साहवर्धन ने भरा। उनके वजह से लिखने की चाहत को गति मिली।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - लेखन में मेरी आस्था है जिसकी मैं पूजा करती हूँ ।इसे पैसा कमाने का ज़रिया बनाऊँ ,कभी सपने में भी नहीं सोच सकती।इसलिए मेरी पुस्तक अमेजन पर बिकती हैं पर मैं पब्लिशर से एक पैसा नहीं लेती हूँ।पाठकों की समीक्षा ही मेरी पूँजी है।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 
उत्तर - लघुकथा का भविष्य उज्ज्वल है।निरंतर शिखर छू रहा  है।पहले लघुकथा को लिखने का दायरा सीमित लेखकों तक ही था पर अब ज़्यादातर कहानी लेखक ,उपन्यासकार धड़ल्ले से लघुकथा पर अपनी लेखनी चला रहे हैं।आज मनुष्य के पास समय और संयम की कमी है।वे जल्द से जल्द निष्कर्ष पर पहुँचना चाहते हैं।यही वजह है कि लंबी कहानियाँ,उपन्यास कम लिखे जा रहे है।
लघुकथा के पाठकों का विस्तार हुआ है।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - लघुकथा साहित्य मेरे लिए एक ऐसा वरदान साबित हुआ । जिसके माध्यम से मेरे भावनाओं के उद्गार पन्नों पर बहने लगे। अपने विचारों के उड़ान को गति मिल गई। समाज तक संदेश पहुँचाने का बेहतरीन माध्यम साबित हुआ। अल्प वाक्यों और सीमित दायरे में रहकर अपनी कथा को गढ़कर मूर्त रूप में प्रस्तुत करने का मज़बूत स्तंभ मिला और यहाँ वहाँ डायरी के पन्नों पर पड़े लघुकथाओं को समेट कर एक लघुकथा संग्रह प्रकाशित करवाने में सफल हुई।

Comments

  1. अच्छा साक्षात्कार है, बहुत से बिन्दुओं पर प्रकाश डालने के लिए पर्याप्त है

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