महेश राजा से साक्षात्कार

जन्म : 26 फरवरीशिक्षा : बी.एस.सी.एम.ए. साहित्य.एम.ए.मनोविज्ञानसम्प्रति : जनसंपर्क अधिकारी, भारतीय संचार लिमिटेड।

पुस्तकें : -
1. बगुलाभगत एवम
2. नमस्कार प्रजातंत्र प्रकाशित।

विशेष : -
- 1983से पहले कविता,कहानियाँ लिखी । फिर लघुकथा और लघुव्यंग्य पर कार्य
- दस से अधिक साझा संकलन में लघुकथाऐं प्रकाशित
- रचनाएं गुजराती, छतीसगढ़ी, पंजाबी, अंग्रेजी,मलयालम और मराठी,उडिय़ा में अनुदित।
- पचपन लघुकथाऐं रविशंकर विश्व विद्यालय के शोध प्रबंध में शामिल।
- कनाडा से वसुधा पत्रिका में निरंतर प्रकाशन।
- भारत की हर छोटी,बड़ी पत्र पत्रिकाओं में निरंतर लेखन और प्रकाशन।
- आकाशवाणी रायपुर और दूरदर्शन से प्रसारण।

पता:
वसंत - 51, कालेज रोड़ ,
महासमुंद - छत्तीसगढ़ - 493445

प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 

उत्तर - लघुकथा का मूल तत्व विषय वस्तु है। यह लेखन की आत्मा है।कथानक,शिल्प और शैली बाद की बात है।

प्रश्न न. 2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उत्तर - बहुत सारे नाम जेहन में है : -

१.डा.बलराम अग्रवाल

२.डा.अशोक भाटिया

३.डा.कांता राय

४.बीजेन्द्र जैमिनी 

५.एम.आई.सिद्दिकी।

प्रश्न न.3 -  लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 

उत्तर - लघुकथा मूल्यांकन के दो पक्ष है : -

१.समीक्षा २.आलोचना

समीक्षक को गिद्ध दृष्टि रखनी चाहिये

विवेक,मन और विश्वशनीयता से यह धर्म निभाना चाहिये

आलोचना बौद्धिक कार्य है पक्षपात रहित कार्य जरूरी

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उत्तर - वाट्सएप, फेसबुक, ट्विटर और इंन्स्टा्ग्राम

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?

उत्तर - आज कल लघुकथा के क्षेत्र में नित नये शोध कार्य हो रहे है।नये लोग,नये विचार।

स्थिति उत्साह वर्धक है।

प्रश्न न. 6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप संतुष्ट हैं ?

उत्तर - जी मैं रोजाना ही लिखताहूँ

और,रोज कुछ नया सीखने की कोशिश करता हूँ।आज के दौर में लिखी जा रही रचनाऐं पसंदहै,उनमें विविधता है।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?

उत्तर - शुरूआती दौर में कुछ प्रेम कविताएं लिखी,लेख लिखता था,फिर कहानी।मेरे बड़े भाई अरुण राजा उन दिनों लिखा करते है।उन्हें देखकर पठन पाठन,लेखन में रूचि हुयी।  पूर्ण गंभीरत आदरणीय गुरु वर स्व.श्री लतीफ घोंघी जी के सानिध्य में लघुव्यंग्य और  लघुकथाऐं लिखनी शुरु की।अब डा.बलराम जी,डा.अशोक भाटिया और श्रीमति काँता राय से सीख रहा हूँ।

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 

उत्तर - परिवार में मेरे बच्चे जो इंजीनियर है,बाहर रहते है।मेरी लेखन की रूचि से काफी खुश है। पत्नी भारती राजा रेसिपी राइटर और फीचर लिखती है,पूर्व दिनों में मेरी रचनाएं टाइप राइटर पर टाइप कर देती थी। अब तो सीधे मोबाइल पर डायरी में लिखता हूँ। दोनों बहुऐं बहुत चाव से मुझे पढ़ती है।पढ़ी  लिखी है,डिस्कस भी करती है।पोता कुश राजा बच्चों पर लिखी लघुकथाऐं पसंद करता है।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?

उत्तर - आजीविका में लेखन का कोई योगदान नहीं है।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?

उत्तर - लघुकथा का भविष्य बहुत उज्जवल है। इस पर बहुत काम हो रहा है। नये लेखक नयापन लाने की कोशिश कर रहे है। हम पुरानी पीढ़ी भी इसी कोशिश में है।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?

उत्तर - लघुकथा लेखन से सम्मान और आत्मसंतुष्टि मिला। फुरसत के क्षण व्यस्तता में बदल गये। एक आत्मिक आनंद और ढ़ेर सारे पाठक मित्र मिले।


Comments

  1. हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं 🙏💐💐

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