मेरी पच्चीस लघुकथाएं
लघुकथा - 01 भाईचारा एक इंजिनियर रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा जाता है। अदालत में पेश किया जाता है न्यायधीश पूछता है – आप ने रिश्वत ली ? इंजिनियर – मैनें तो रिश्वत मांगी ही नहीं है न्यायधीश – फिर ये क्या है ? इंजिनियर – सर ! ये तो भाईचारा है ये हमें पैसे देते है हम इन का काम करते है। मैने तो रिश्वत मांगी ही नहीं है। फिर ये रिश्वत कैसे हो सकती है ? केस चल रहा है फैसला आना बाकी है।०० ---------------------------------------------------- लघुकथा - 02 मातृभाषा अपने ओफिस के पास चाय की दुकान पर हिन्दी दैनिक अकबार की जगह गलती से अग्रेजी अखबार डाल गया है। चाय वाले ने सारा दिन फोटो देख-देख कर दिन गुजार दिया। शाम को मेरे पास आया कि यह अग्रेजी अखबार आप ले लो, हमारे को अग्रेजी आती नहीं है और ना ही हमारे किसी ग्राहक ने, अभी तक ये अग्रेजी अखबार पढा है। मैं चाय वाले का मुहँ देख कर सोच रहा हूँ कि फिर अग्रेजी जानने वालों का इतना सम्मान क्यों होता है या फिर